आखिरी शिकार complete

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rajaarkey
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Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

"आपकी जानकारी के लिये यार्क स्टेशन से एक आदमी आपके कम्पार्टमेंट में सवार हुआ था । उसने रेडियो ब्राडकास्ट में आपका हुलिया सुना था और आपको फौरन पहचान लिया था । डार्लिंगटन उतरकर उसने पुलिस को रिपोर्ट कर दी थी । सूचना यार्ड पहुंच गई थी कि आप डेनवर की ट्रेन में सवार थे । मैं पुलिस हैलीकॉप्टर द्वारा बारविक पहुंच गया और वहीं से इस टेन पर सवार हो गया । साथ में मैं पीटर को ले आया था ताकि आपकी शिनाख्त हो सके। वैसे पीटर का जबड़ा अभी भी दुख रहा है ।"

“आप चाहते क्या हैं ?" - राज खोखले स्वर से बोला।

"यह भी बताने की जरूरत है!" - इन्स्पेक्टर आश्चर्य व्यक्त करता हुआ बोला - "यू आर अन्डर अरैस्ट, मिस्टर राज | आप डेनवर उतरकर मेरे साथ वापिस लन्दन चल रहे हैं ।"

"किस इलजाम में अन्डर अरैस्ट हूं मैं ?"

"इलजाम कुछ नहीं । आप अपनी मर्जी से मेरे साथ चल रहे हैं।"

"अपनी मर्जी से तो मैं यहां से हिलूंगा भी नहीं।"

"देखो, मिस्टर !" - इन्स्पेक्टर एकाएक बेहद कर्कश स्वर से बोला - "ज्यादा होशियारी दिखाने की कोशिश मत करो वर्ना पछताओगे । मैं तुम्हारी असलियत जान चुका हं इसलिये तम्हारे साथ इज्जत से पेश आना चाहता हं । तम प्रेस रिपोर्टर हो । यह तुम्हारा प्रेस कार्ड और पासपोर्ट मुझे तुम्हारे सामान में से मिला है ।" - इन्स्पेक्टर अपनी जेब से दोनों चीजें निकाल कर राज के सामने करता हुआ बोला - "तुम अपने देश के प्रधानमंत्री की प्रेस पार्टी के साथ लन्दन आये हो इसलिये तुम्हें और तुम्हारे देश को और तुम्हारे प्रधानमंत्री को किसी स्कैण्डल से बचाने के लिये मैं तुम्हारे साथ शराफत से पेश आ रहा हूं वर्ना मैं तुम्हें एक दर्जन चार्ज लगाकर गिरफ्तार कर सकता हूं जिनमें से इंगलैंड में अनाधिकार प्रवेश
और एक पुलिस अधिकारी पर हमला तो बड़े मामूली चार्ज हैं।"

राज ठण्डा पड़ गया ।

"डेनवर में हेलीकॉप्टर हमारी प्रतीक्षा कर रहा होगा । उसमें सवार होकर हम वापिस लन्दन जा रहे हैं । ओके?"

“आप मुझसे चाहते क्या हैं ?"

"मुख्यत: हम तुम्हारे अनिल साहनी और रोशनी नाम के दो साथियों को गिरफ्तार करना चाहते हैं जिनकी वजह से हमारे पुलिसमैनों की जान गई हैं और साथ ही मैं यह जानना चाहता हूं कि यह
सब कुछ क्यों हो रहा है ? इसके अलावा भी बहुत-सी बातें हैं जो तुम हमें बताओगे जैसे..."


उसी क्षण कम्पार्टमेंट का द्वार खुला ।

तीनों ने घूमकर द्वार की ओर देखा । द्वार पर मारिट खड़ी थी।

राज ने एक गुप्त दृष्टि इन्स्पेक्टर और पुलिसमैन के चेहरों पर डाली ।

उनकी सूरतों से ऐसा नहीं लगता था जैसे उन्होंने मार्गरेट को पहचाना हो। मार्गरेट भीतर प्रविष्ट होने लगी।

"आई एम सॉरी, मैडम" - इन्स्पेक्टर खेदपूर्ण स्वर से बोला - "यह कम्पार्टमेंट सुरक्षित है । आप किसी दूसरे कम्पार्टमेंट में जगह तलाश कीजिये ।"

"और कहीं जगह नहीं है ।" - मार्गरेट बोली - "और यह कम्पार्टमेंट खाली पड़ा है । और फिर मुझे कहीं लिखा तो दिखाई दे नहीं रहा कि यह
सुरक्षित कम्पार्टमेंट है।"

"फिर भी आप भीतर नहीं आ सकतीं । मैं पुलिस अधिकारी हूं और हमें इस कम्पार्टमेंट की जरूरत है

"ओह !" - मारिट निराश स्वर से बोली- "आई एम सॉरी।"

इन्स्पेक्टर उसके विदा होने की प्रतीक्षा करने लगा। \

"लेकिन अगर आप पुलिस अधिकारी हैं तो मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हूं।" “पूछिये ।" - इन्स्पेक्टर उतावले स्वर से बोला ।

"जिस जंजीर को खींचकर गाड़ी रुकवाई जाती है उस पर लिखा है कि जंजीर खींचने वाले को पांच पाउण्ड जुर्माना हो सकता है । क्या यह सच है?"

“बिल्कुल सच है ?"

"और अगर किसी के पास पांच पाउण्ड न हो तो ?"

"तो उसे जेल जाना पड़ सकता है।"

"ओह । बैंक्यू ।" मारिट वहां से चली गई।

राज का दिल धड़कने लगा | जो ऊंट-पटांग बातें वह इन्स्पेक्टर से करके गई थी उनका एक ही मतलब हो सकता था ।

वह जंजीर खींचने वाली थी और वह राज को इस बात का स्पष्ट संकेत दे गई थी।

राज बड़ी व्यग्रता से ट्रेन रुकने की प्रतीक्षा करने लगा।

गाड़ी रुक गई।

"क्या हो गया ?" - इन्स्पेक्टर होंठों में बुदबुदाया

और खिड़की का पल्ला खोलकर बाहर झांकने लगा। राज ने देखा गाड़ी एक नदी के पुल पर खड़ी थी।
फिर उसने एक लापरवाही भरी निगाह पुलिसमैन पर डाली, वह भी उसके प्रति असावधान था । राज ने एक बार फिर अपने और कम्पार्टमेंट के दरवाजे के बीच में खड़े पुलिसमैन पर छलांग लगा दी।
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rajaarkey
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Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

पुलिसमैन, जो कि पहले ही मिशन कम्पाउण्ड की पिछली गली में पहले राज के और फिर अनिल साहनी के आक्रमण का शिकार होकर अधमरा हो चुका था, रेत के बोरे की तरह भरभरा कर एक ओर गिर गया ।

अगले ही क्षण राज कम्पार्टमेंट से बाहर था ।

उसी क्षण इन्स्पेक्टर वापिस घूमा । जब तक उसकी समझ में आया कि वास्तव में क्या हो गया था, तब तक राज बाहर गलियारे में भागा
जा रहा था । इन्स्पेक्टर ने रिवाल्वर निकाल लिया और उसके पीछे भागा । \

कई लोग अपने-अपने कम्पार्टमेंट से बाहर गलियारे में निकल आये थे । राज उनके बीच में से रास्ता बनाता हुआ आगे बढ रहा था । उस स्थिति में राज को गोली का निशाना बना पाना
सम्भव नहीं था। और इससे पहले कि इन्स्पेक्टर राज के समीप पहुंच पाता राज बोगी के दरवाजे पर पहुंच गया और फिर उसने वहीं से नीचे नदी में छलांग लगा दी।
लगभग तभी बगल की बोगी के दरवाजे में से मार्गरेट नदी में कूद पड़ी।

सौभाग्यवश अगर वे दोनों ही दक्ष तैराक न होते तो उनके लिये इतनी ऊंचाई से छलांग लगा पाना सम्भव नहीं होता।

राज कुछ क्षण पानी के भीतर ही तैरता हुआ आगे बढता रहा फिर जब उसकी सांस टूटने लगी तो उसने पानी के ऊपर सिर निकाला | मार्गरेट भी उससे थोड़ी दूर पानी में तैर रही थी।

नदी का बहाव बहुत तेज था इसलिये वह कुछ क्षणों में ही पुल से इतनी दूर निकल आये थे कि इन्स्पेक्टर का उन्हें गोली का निशाना बना पाना सम्भव नहीं था।
मार्गरेट और राज नदी के बहाव के साथ-साथ तैरने लगे । शीघ्र ही पुल और उस पर खड़ी रेलगाड़ी उनसे काफी दूर हो गई । फिर राज ने रेलगाड़ी को अपने स्थान से रेंगते देखा।
कुछ देर वे यूं ही पूरी शक्ति से नदी के बहाव के साथ तैरते रहे फिर वे दोनों किनारे पर आ गये और नदी के किनारे पर बैठकर हांफने लगे। उनके कपड़े भीगकर उनके शरीर से चिपक गये थे।

"तुमने नदी में छलांग क्यों लगाई ?" - सांस व्यवस्थित हो जाने पर राज ने पूछा ।


"एक ही सवाल बार-बार मत पूछो ।" - वह बोली - "मैं पहले ही बता चुकी हूं कि अगर मेरा भाई जिन्दा है तो मैं उसे चेतावनी देना चाहती हूं कि तुम उसकी हत्या करना चाहते हो ।"

"इतनी ऊंचाई से नदी में कूदने से तुम्हारी गरदन टूट सकती थी।" "तुम्हारी गरदन भी टूट सकती थी लेकिन गरदन न मेरी टूटी है और न तुम्हारी ।"

"तुमने खामखाह अपने आपको झमेले में फंसा दिया ।"

"अब फिजूल बातें करना बंद करो और शुक्र मनाओ कि मेरी वजह से तुम पुलिस के हाथों में पड़ने से बच गये हो ।"

"तुम्हारे लिये तो मेरा पुलिस के हाथों पड़ना ही अच्छा था । फिर मैं तुम्हारे भाई की हत्या कैसे कर पाता?"

"तुम अपने बाकी दो साथियों को भूल रहे हो।"

राज चुप हो गया । वह सोच रहा था कि क्या रोशनी और अनिल साहनी डेनवर पहुंच पायेंगे ।

मार्गरेट अपने शरीर पर हाथ फेर-फेर कर अपने गीले कपड़ों में से पानी निकालने का प्रयत्न करने लगी।

"तुम्हें तो इस इलाके की जानकारी होगी !" - राज भी वही क्रिया दोहराता हुआ बोला । मारिट ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला दिया |

"यहां डेनवर कितनी दूर हैं ?"

"बीस मील ।" - मार्गरेट बोली - "डेनवर उन पहाड़ियों के पीछे है ।" - मारिट दूर उन पहाड़ियों की ओर, जिनके पीछे से सूर्य उदय हो रहा था, संकेत करती बोली।

"और हम वहां तक पहुंचेंगे कैसे ?"

“पैदल चलने के सिवाय कोई चारा दिखाई नहीं देता लेकिन पैदल चलने से भी बड़ी समस्या है कपड़े सुखाने की और पेट भरने की ।"

"उसका भी इन्तजाम हो जायेगा ।" - राज अनिश्चित स्वर से बोला।

"और यह भी सम्भव है कि इन्स्पेक्टर भी पुल पर ही ट्रेन से उतर गया हो और अब हमारे पीछे आ रहा हो ।"

"मुझे यह कम सम्भव दिखाई देता है । मेरे ख्याल से वह ट्रेन द्वारा डेनवर पहुंचेगा और फिर वहां से पुलिस की सहायता से हमारी तलाश करवायेगा।"

"यह भी हो सकता है।" - मार्गरेट ने स्वीकार किया।

"मार्गरेट, एक बात बताओ?"

"पूछो।" “

क्या तुम्हें वाकई विश्वास है कि जार्ज टेलर मर चुका है ?"

“पहले था लेकिन अब तुम लोगों की बातें सुन कर नहीं रह है । अब मैं वाकई सोचने लगी हूं कि शायद मेरे देश के विदेश मन्त्रालय ने मेरे भाई की शिनाख्त में गलती की हो ।"

"तुम्हारा भाई न केवल जिन्दा है बल्कि वह हाल ही में पांच आदमियों की हत्या भी कर चुका है। और मेरा खुद उससे सामना हो चुका है । उसने मेरी भी हत्या करने की कोशिश की थी।"

"लेकिन तुमने उसकी सूरत नहीं देखी थी । केवल आवाज सुनी थी।"

"वह नि:संदेह जार्ज टेलर था । वह जार्ज टेलर की ही आवाज थी । वह आवाज उसके सिवाय किसी और की हो ही नहीं सकती थी।"

"देखो मिस्टर" - एकाएक मारिट तनिक उच्च स्वर से बोली- "मेरा भाई जिन्दा है या नहीं, इस बारे में मुझे कोई संदेह नहीं है कि मेरा भाई दगाबाज नहीं है, नहीं था । वह अपने साथियों
को धोखा नहीं दे सकता ।"

राज ने जान-बूझकर उस बात का विरोध नहीं किया ।
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Jemsbond
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Re: आखिरी शिकार

Post by Jemsbond »

Excellent story bro, waiting for next update
😠 😡 😡 😡 😡 😡
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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rajaarkey
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Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

उनकी तकदीर अच्छी थी । रास्ते में एक किसान के घर में उन्हें शरण मिल गई जहां उन्हें कपड़े सुखाने की सुविधा तो प्राप्त हुई ही, साथ ही वहां उनके भोजन का भी प्रबन्ध हो गया । फिर उसी किसान के सब्जी के ट्रक पर बैठकर वे डेनवर
पहुंच गये । जब तक वे समुद्र के किनारे पहुंचे तब तक अंधेरा हो चुका था |

मार्गरेट उसे समुद्र के पानी में बने एक स्टील और लकड़ी के शैड में ले आई।

शैड में एक लगभग बीस फुट लम्बी मोटरबोट खड़ी थी। '

मार्गरेट मोटरबोट के केबिन में प्रविष्ट हो गयी। उसने अपना बैग खोला और उसमें से एक चाबी छांट कर इग्नीशन में लगाई । मोटरबोट के शक्तिशाली इंजन की घरघराहट से वातावरण गूंज उठा।

"आओ।" - मार्गरेट ने राज को आवाज दी ।

राज ने पैर आगे बढाया ही था कि उसे अपने पीछे हल्की-सी आहट की आवाज सुनाई दी ।

उसने घूमकर पीछे देखा ।
अन्धकार में उसे कुछ दिखाई नहीं दिया ।

"कौन है?" - वह जोर से बोला ।

भूत की तरह रोशनी उसके सामने आ खड़ी हुई ।

राज ने देखा उसके होंठ भिंचे हुये थे और चेहरा राख की तरह सफेद था ।

"हल्लो !" - राज बोला ।

"जार्ज टेलर के टापू पर जा रहे हो?" - रोशनी का स्वर ऐसा था जैसे किसी कुयें में से निकल रहा हो।

"हां । यह मोटरबोट जार्ज टेलर की है । मारिट हमें टापू तक ले जायेगी।"

"अन्धकार में वह हमें भटका तो नहीं देगी ?"

"अगर वह खुद भटक जाये तो दूसरी बात है वर्ना वह जानबूझ कर ऐसा करे, इसकी मुझे संभावना नहीं दिखाई देती ।"

"चलो।" - रोशनी बोली और मोटरबोट की ओर बढी।

“अनिल साहनी कहां है ?" - राज ने पूछा ।

"मोटरबोट में चलो । मैं सब बताती हूं।" दोनों मोटरबोट में सवार हो गये और केबिन में
आ गये।

मार्गरेट ने मोटरबोट की हैड लाइट ऑन कर दी
और इन्जन स्टार्ट कर दिया । मोटरबोट समुद्र की छाती को चीरती हुई आगे बढी ।

राज कुछ क्षण केबिन के प्रकाश में रोशनी के वीरान चेहरे को देखता रहा और फिर बोला "अनिल साहनी..."

"मर चुका है ।" - रोशनी धीरे से बोली ।

"कैसे?" - राज हैरानी से बोला - "क्या हुआ था ? क्या पुलिस..."

"वह भी जार्ज टेलर का शिकार बन गया ।"

मार्गरेट के होंठों से सिसकारी निकल गई ।

"कैसे ?" - राज ने पूछा।

"बताती हूं।" - रोशनी यूं बोली जैसे नींद में बोल रही हो - "मैं और अनिल साहनी लन्दन से चुपचाप एक मालगाड़ी में सवार होने में सफल हो गये थे । अनिल बुरी तरह घायल था । पुलिस की एक गोली उसके कन्धे को फाड़ती हुई। निकल गयी थी । जख्म की मुनासिब ड्रेसिंग करवाने का कोई साधन नहीं था । मैंने किसी प्रकार बांधकर खून रोक दिया था लेकिन अनिल की हालत खराब होती जा रही थी । रात में उसको बुखार भी हो गया । सारी रात वह भयंकर तकलीफ में तडपता रहा । प्यास से उसका बरा हाल था लेकिन कहीं पानी नहीं था । सवेरा होने पर गाड़ी एक स्थान पर खेतों के बीच में रुकी। मुझे दूर खेतों में एक ट्यूबवैल दिखाई दिया । मैं मालगाड़ी से उतर कर अनिल के लिये पानी लेने चली गयी । अभी मैं थोड़ी ही दूर गयी थी कि अनिल की चीख सुनायी दी । मैंने घूमकर देखा और..."

एकाएक रोशनी चुप हो गई । उसकी मुट्ठियां भिंच गई । उसके होंठ एक-दूसरे के साथ कस गये । उसकी आंखें सिकुड़ गयी ।

"फिर क्या हुआ ?" - राज ने व्यग्र स्वर से पूछा।
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Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

"फिर क्या हुआ ?" - राज ने व्यग्र स्वर से पूछा।

"मैंने देखा, अनिल मालगाड़ी के डिब्बे से आधा बाहर लटक रहा था । जार्ज टेलर ने उसकी गरदन दबोची हुई थी। अनिल बुरी तरह उसकी पकड़ में छटपटा रहा था । फिर मेरे देखते-ही देखते जार्ज टेलर ने अनिल को डिब्बे से बाहर धकेल दिया । अनिल बगल की रेल की पटरी पर जाकर गिरा । उसी समय उस पटरी पर विपरीत दिशा से एक ट्रेन आ रही थी । मैं बहुत दूर थी। मैं कुछ कर नहीं सकती थी । अनिल में पटरी से उठ पाने की हिम्मत नहीं थी । नतीजा यह हुआ कि वह विपरीत दिशा से आती ट्रेन के नीचे आ गया और कट कर मर गया । जैसे जार्ज टेलर ने जे सिहांकुल को चलती गाड़ी के आगे धक्का देकर मार डाला था वैसे ही उसने अनिल साहनी की भी जान ले ली।"

"यानी कि तुमने अपनी आंखों से मेरे भाई को देखा था ?" - मार्गरेट तीव्र स्वर से बोली।

"हां!"

मार्गरेट ने विचित्र नेत्रों से राज की ओर देखा ।

"तुमसे जार्ज टेलर को पहचानने में गलती तो नहीं हुई ?" - राज बोला।

"डोंट टाक नानसैंस ।" - रोशनी बोली- "मेरा और जार्ज टेलर का बरसों का साथ था । मुझसे उसे पहचानने में गलती नहीं हो सकती ।"

"अनिल साहनी के मरने के बाद क्या हुआ ?"

"मैं मालगाड़ी की ओर भाग रही थी । जब तक मैं पटरियों के समीप पहुंची, विपरीत दिशा से आती हुई रेलगाड़ी वहां से गुजर चुकी थी। अनिल साहनी की कटी हुई लाश पटरियों पर पड़ी थी और मालगाड़ी भी अपने स्थान पर रेंगने लगी थी । मैं जल्दी से मालगाड़ी में सवार हो गई । मैंने गाड़ी से बाहर दोनों ओर दूर तक देखा। जार्ज टेलर मुझे कहीं दिखाई नहीं दिया । मुझे विश्वास था कि वह
मालगाड़ी के ही डिब्बे में छुपा हुआ था । मालगाड़ी डेनवर पहुंच गई, गाड़ी स्टेशन के आउटर सिग्नल पर रुकी और फिर एकाएक मेरी निगाह एक डिब्बे से निकल कर भागते हुये जार्ज टेलर पर पड़ी । मैं भी गाड़ी से उतर कर उसके पीछे भागी । समुद्र तट तक मैंने उसका पीछा किया । वहां से वह एक मोटरबोट पर सवार होकर भाग निकला । मुझे विश्वास है कि वह जरूर अपने टापू की ओर गया था ।"

"लेकिन मेरे भाई की मोटरबोट तो यह है ।" - मार्गरेट तीव्र विरोधपर्ण स्वर से बोली- "अपनी मोटरबोट छोड़कर वह किसी दूसरी मोटरबोट पर सवार होकर टापू की ओर क्यों गया ?"
"यह सब मुझे नहीं मालूम ।" - रोशनी बोली "लेकिन मैंने उसे मोटरबोट पर सवार होकर टापू की ओर जाते देखा है।"

"और तुमसे जार्ज टेलर को पहचानने में कोई गलती नहीं हुई है ?" - राज ने पूछा । "सवाल ही नहीं पैदा होता ।" - रोशनी दृढ स्वर से बोली।

"आल राइट ।" - राज पटाक्षेप करता हुआ बोला - "हम जार्ज टेलर के टापू की ओर जा ही रहे हैं । अगर वह टापू पर है तो हम उसे जरूर
खोज निकालेंगे।" '

फिर कोई कुछ नहीं बोला ।
***

टापू राज की कल्पना से ज्यादा बड़ा निकला । वहां तेज हवायें चल रही थीं और वह गहरी धुंध की चादर से ढक हुआ था । डेनवर के समुद्र तट पर स्थिति शैड जैसा ही एक शैड वहां भी बना हुआ था, जिसमें मार्गरेट ने बड़ी सावधानी से लाकर मोटरबोट खड़ी कर दी। “कोई और मोटरबोट यहां नहीं है ।" - राज बोला।
"शायद जार्ज टेलर ने मोटरबोट कहीं और खड़ी की हो !" - रोशनी बोली।

"तुमने उसे समुद्र तट से मोटरबोट पर रवाना होते देखा था । सम्भव है वह यहां आया ही न हो ।"

"वह जरूर यहीं आया होगा ।" - रोशनी दृढ स्वर में बोली। '

"तुम ऐसा दावा कैसे कर सकती हो?"

"मेरा दिल कहता है ।"

"लेकिन..."

"अगर मेरा भाई टापू पर मौजूद है" - एकाएक मार्गरेट बीच में बोल पड़ी - "तो वह टापू पर मौजूद मकान के अतिरिक्त और कहीं नहीं हो सकता।"
"तुम हमें वहां का रास्ता दिखाओ।" - रोशनी अधिकारपूर्ण स्वर से बोली ।

मार्गरेट ने एक उपेक्षापूर्ण निगाह रोशनी पर डाली और फिर उसने राज को मोटरबोट से उतरने का संकेत किया।
राज और रोशनी मोटरबोट से नीचे उतर आये

राज ने मारिट की मोटरबोट को किनारे से बांधने में सहायता की । फिर मार्गरेट भी मोटरबोट से उतर आई।

मार्गरेट एक अंधेरी पगडण्डी पर चलने लगी। उसके पीछे रोशनी और सबसे पीछे राज चलने लगा।

"आप लोग मेरे एकदम पीछे चलिये ।" - मारिट चेतावनी भरे स्वर से बोली - "वर्ना कहीं दलदल में पांव पड़ जायेगा ।"
कोई कुछ नहीं बोला।

अन्धकार में वे थोड़ी दूर आगे बढे । फिर सामने चट्टानों में से काटकर बनाई गई सीढियां दिखाई देने लगीं । वे सीढिया चढने लगे।

लगभग दो सौ सीढियां तय करने के बाद एकाएक एक विशाल इमारत उनके सामने आ गई । इमारत दोमंजिली थी और चट्टानों में ही काटे हुए लम्बे-चौड़े प्लेटफार्म पर बनी हुई थी। उसकी दीवारें भारी पत्थरों की बनी हुई थीं।
इमारत के पिछवाड़े से और ऊंचाई की ओर सीढियां जा रही थीं।

मार्गरेट मुख्यद्वार की ओर बढी ।

"ठहरो।" - राज ने उसकी बांह थाम ली "शायद भीतर कोई हो !"

"भीतर कोई नहीं है ।" - मार्गरेट बोली - "यह औरत खामखाह अनाप-शनाप बक रही है ।"

"फिर भी रिस्क लेने की जरूरत नहीं ।"

"मुझे दरवाजे के पास तक जाने दो । मैं दरवाजा देखकर ही बात दूंगी कि भीतर कोई है या नहीं

"कैसे?"

"हम टापू छोड़ने से पहले दरवाजे को हमेशा सील कर जाते हैं । अगर सील ठीक हुई तो इसका मतलब है कि भीतर कोई नहीं गया ।"
"आई सी ।"

"तुम्हारे पास माचिस है ?"

राज ने सिगरेट लाइटर निकालकर जलाया । लाइटर का प्रकाश द्वार पर पड़ा । जहां द्वार के दोनों पल्ले मिलते थे वहां लाख की सील लगी हुयी थी जो एकदम सही सलामत मौजूद थी। साफ जाहिर था कि हाल ही मैं दरवाजे को खोला नहीं गया था ।
"क्या भीतर घुसने का कोई और भी रास्ता है ?" - राज ने पूछा।

"कोई नहीं ।" - मार्गरेट बोली - "भीतर घुसने का यही एक रास्ता है ।"

"शायद कोई खिड़की खुली हो!" - रोशनी बोली

"खिड़की के रास्ते कोई भीतर नहीं घुस सकता। हर खिड़की में मोटी-मोटी सलाखें लगी हुई हैं
और अगर खिड़की के रास्ते भीतर घुसा जा भी सकता हो तो भी मेरे भाई को अपने ही मकान में खिड़की के रास्ते घुसने की क्या जरूरत है ?" रोशनी कुछ नहीं बोली।
मार्गरेट ने अपने पर्स में से एक चाबी निकाली और उसकी सहायता से मुख्य द्वार का ताला खोला । उसने द्वार को धक्का देकर खोल दिया ।
तीनों भीतर प्रविष्ट हो गये।
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