शक्ति गाड़ी चलाता हुआ बड़बड़ाया
"उल्लू की पट्ठी....उस हाथी का पक्ष ले रही है-मेरी मंगेतर होकर दूसरे मर्दो की प्रशंसा करती है...आज मैं तुझे इस योग्य नहीं छोडूंगा कि दूसरे
मों की ओर देख भी सके।"
कार दौड़ती रही और सुनीता बेहोश पड़ी रही-शक्ति की आंखों में शैतान नाचने लगा।
जगमोहन ने आखिरी स्टूडेंट को सान्ताक्रूज की एक दूर की बस्ती में उतारा, जहां एक ओर एक उजड़ा-सा पार्क था-उतरने वाली लड़की ने कहा-"धन्यवाद जगमोहन भाई। आइए, चाय पीकर जाइए।"
"नहीं, मिस्टर! मुझे जल्दी जाना है।"
"आप बहुत अच्छे हैं...जगमोहन भाई।"
"तुम अच्छी हो इसलिए तुम्हें मैं अच्छा लगता हूं-मेरा दोस्त कहता है....आप भले से जग भला।"
फिर वह कार लेकर चल पड़ा-जब कार पार्क के पास से गुजर रही थी तो उसके कानों से किसी लड़की की चीख की आवाज सुनाई दी-"बचाओ।"
....
जगमोहन ने जल्दी से ब्रेक लगाए-"यह आवाज तो पार्क में से आ रही है। लगता है जरूर किसी लड़की की इज्जत खतरे में है।"
आवाज फिर आई-"बचाओ....!"
जगमोहन जल्दी से कार में से उतर आया। पार्क में घुसा तो एक कोने में उसे शक्ति की टूटी-फूटी
कार नजर आई। वह सिर खुजाकर बड़बड़ाया-'यह कार तो पहचानी हुई-सी मालूम होती है....किसी अकेली लड़की को किसी ने घेर लिया है।'
वह आगे बढ़ा तो देखा-कार के पीछे जमीन पर पड़ी हुई सुनीता का मुंह शक्ति ने देवा रखा था....और उसके दोनों हाथों को घुटनों से दबाए हुए था। सुनीता बेबस हालत में अपने पैरों को पटक रही थी। जिससे उनमें पहनी हुई पाजबें मधुर संगीता वातावरण में बिखेर ही थीं। जगमोहन कुछ देर मंत्रमुग्ध-सा मधुर आवाज को सुनता रहा। फिर उसके कानों में शक्ति की आवाज सुनाई पड़ी जो कानाफूसी में कह रहा था-"आज मुझे भगवान भी नहीं बचा सकता है।"
सुनीता बिलबिलाई.शक्ति ने कहा-'कुतिया ! मेरी मंगेतर होकर मेरी परवाह नहीं करती....आज के बाद तू खुद कहेगी कि मेरी मांग भर दो।"
अचानक सुनीता ने झटके से अपना मुंह छुड़ाया तो जबमोहन उसे सामने खड़ा दिखाई दे गया वह जोर से चिल्लाई-"जगमोहन ! मुझे बचाओ !
।
.
शक्ति ने फिर जल्दी से उसका मुंह बंद कर दिया, लेकिन जगमोहन चौंक पड़ा था-वह बड़बड़ाया-"यह तो आवाज भी पहचानी हुई है। फिर आगे बढ़कर कार के दूसरी ओर देखकर वह चौंक पड़ा-"अरे! यह तो सुनीता जी हैं।"
शक्ति ने गुर्राकर कहा-"भाग जाओ यहां से।"
"अपनी मंगेतर के साथ सुहागरात मना रहा हूं।"
"इस वीराने में? सुहागरात तो बैडरूम सजाकर मनाई जाती है....हमने कई फिल्मों में देखा है।"
"मैं कहता हूं-भाग जाओ यहां से।"
"देखिए ! आज सुनीता जी को घर से जाकर सुहागरात मनाइए।"
"अरे, उल्लू के पट्टे... भाग यहां से।"
.
.
"देखो भाई! गाली मत बको....हमें गुस्सा आ जाता है।"
.
.
"मैं तेरा पेट फाड़ दूंगा।"
"कुछ भी करो, मगर गाली मत बकना।"
अचानक सुनीता का मुंह खुल गया और उसने गिड़गिड़ाकर कहा-"मुझे बचा तो जगमोहन। यह मेरी इज्जत लूटना चाहता है...अभी हमारी शादी नहीं हुई।"
जगमोहन ने शक्ति से कहा-"अब तो आप सुहागरात नहीं मना सकते....शक्ति भाई....इसे छोड़ दें।"
"अबे जाता है कि नहीं तेरे बाप का माल है।
"अब तुम बाप तक पहुंचे....बस, बहुत हो गया....अब हमें गुस्सा आ गया। और फिर उसने एक उचटता हुआ थप्पड़ हाथ घुमाकर शक्ति के गाल पर मारा और शक्ति सुनीता को छोड़कर लुढ़कियां खाता हुआ दीवार से जा टकराया। सुनीता हड़बड़ाकर उठी और जगमोहन से लिपट गई-उसकी आंखें छलक रही थीं।
जगमोहन ने कहा-"आप घबराइए मत.वह आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।"
सुनीता से सिसककर कहा-"मैं....मैं....आपका यह उपकार कभी नहीं भूल सकती।"
Romance फिर बाजी पाजेब
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Re: Romance फिर बाजी पाजेब
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
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Re: Romance फिर बाजी पाजेब
.
"नहीं....बार-बार शर्मिंदा मत कीजिए-यह तो कर्तव्य था मेरा।" जगमोहन बोला-'अच्छा अब मैं चलता हूं।"
सुनीता जल्दी से बोली-''ठहरिए...वह कमीना होश में आकर मेरा पीछा करेगा....भगवान के लिए मुझे किसी बस स्टॉप तक पहुंचा दीजिए।
"आइए...कार बाहर खड़ी है।"
सुनीता जगमोहन के साथ कार में आ गई-कार चल पड़ी। जगमोहन ने बस का नम्बर पूछा और कार बस स्टॉप पर जाकर रूक गई....और जगमोहन ने क कार बढा ली-उसने यह नहीं देखा था कि सेठ दौलतराम ने पीछे से जगमोहन की कार से सुनीता को उतरते देख लिया था। सेठ की आंखे गुस्से से लाल हो गईं...उन्होंने साथ बैठे मुंशी से पूछा-"तुमने भी कुछ देखा।"
"जी, छोटे मालिक अपनी कार में थे।"
"और वह उसके साथ।
"वह लड़की थी जो स्टॉप पर खड़ी थी।"
"मतलब सेठ दौलतराम का इकलौता बेटा टटपूंजिया लड़कियों के साथ दिल बहलाने लगा है।"
"मालिक! लड़की बहुत खूबसूरत है।"
"खूबसूरत है तो क्या हुआ? है तो सड़क छाप ।'
"मालिक, शायद छोटे मालिक इस लड़की को पसंद करने लगे हैं।"
"ऐसी लड़की को पसंद करता है जो बसों में यात्रा करती है।"
'मालिक, बहू बन जाएगी तो कारों में घूमेगी।"
"हाट नानसेंस ! वह टटपूंजिया लड़की हमारे घर
की बहू बनेगी।"
"छोटे मालिक को पसंद है तो बनाना ही पड़ेगा।"
"हगिंज नहीं।"
.
"बड़े मालिक....आजकल के नौजवान विद्रोह पर उतर आते हैं।"
"पता लगाओ.....यह लड़की है कौन ?'
.
.
.
"वह तो....मालिक ! मैं पहले ही जानता हूं कि कौन है। स्वर्गीय मास्टर देवीदयाल की इकलौती बेटी है।"
सेठजी एकाएक उछल पड़े और बोले
"वह मास्टर जी....स्वतंत्रता सेनानी।"
"हां।"
"आपने इतनी देर से क्यों नहीं बताया?"
"आपने पूछा ही कब था-शायद आप उन्हें कोई महत्व न देते हों।"
“विद्यादेवी..उसकी मां जिन्दा है।"
"जी हां।"
.
.
"वह बंगला भी अभी नहीं बिका....स्कूल भी नहीं बना ?"
"जी नहीं।"
-
"तब तो यह लड़की... हमारे घर की बहू बन सकती है।"
"बस में सफर करने वाली।"
"बहू बनकर आएगी तो नई से नई कार में घूमेगी। मास्टर देवीदयाल की इकलौती लड़की जब बहू बनकर आएगी तो बंगला भी तो लेकर आएगी।"
"मालिक ! बंगला कैसे दौडत्रकर आ जाएगा ?"
"अब गधे...बंगला दहेज में मिलेगा न।'
.
"वह तो है।"
"बस तो, वहां एक शानदार पन्द्रह माले की बिल्डिंग बन सकती है और नीचे एक शानदार शॉपिंग कम्पलैक्स....बाजार..रेस्टोरेंट इत्यादि भी बन सकते हैं।
"बिल्कुल मालिक।"
"बस तो फिर यह भाग्यशाली लड़की हमारे घर की जरूर बहू बनेगी।"
"सच मालिक !"
"तुम तो ऐसे खुश हो रहे हो जैसे वह तुम्हारी बेटी है।"
"मालिक ! मेरी बेटी का इतना सौभाग्य कहां।"
राजेश कार का हार्न सुनकर उछल पड़ा और रूक गया-जगमोहन की कार उसके पास ही रूक गई तो राजेश ने ठंडी सांस ली और खिड़की के पास आकर बोला
"तू फिर आ गया ?"
"तो क्या न आता ?"
"मैंने तो आज ही सुबह मना किया था इसलिए कि मेरा आखिरी साल है पढ़ाई का।"
"तो क्या हुआ ?"
"सेठ साहब ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।"
"आज बैठ जा...मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूं।"
"नहीं....बार-बार शर्मिंदा मत कीजिए-यह तो कर्तव्य था मेरा।" जगमोहन बोला-'अच्छा अब मैं चलता हूं।"
सुनीता जल्दी से बोली-''ठहरिए...वह कमीना होश में आकर मेरा पीछा करेगा....भगवान के लिए मुझे किसी बस स्टॉप तक पहुंचा दीजिए।
"आइए...कार बाहर खड़ी है।"
सुनीता जगमोहन के साथ कार में आ गई-कार चल पड़ी। जगमोहन ने बस का नम्बर पूछा और कार बस स्टॉप पर जाकर रूक गई....और जगमोहन ने क कार बढा ली-उसने यह नहीं देखा था कि सेठ दौलतराम ने पीछे से जगमोहन की कार से सुनीता को उतरते देख लिया था। सेठ की आंखे गुस्से से लाल हो गईं...उन्होंने साथ बैठे मुंशी से पूछा-"तुमने भी कुछ देखा।"
"जी, छोटे मालिक अपनी कार में थे।"
"और वह उसके साथ।
"वह लड़की थी जो स्टॉप पर खड़ी थी।"
"मतलब सेठ दौलतराम का इकलौता बेटा टटपूंजिया लड़कियों के साथ दिल बहलाने लगा है।"
"मालिक! लड़की बहुत खूबसूरत है।"
"खूबसूरत है तो क्या हुआ? है तो सड़क छाप ।'
"मालिक, शायद छोटे मालिक इस लड़की को पसंद करने लगे हैं।"
"ऐसी लड़की को पसंद करता है जो बसों में यात्रा करती है।"
'मालिक, बहू बन जाएगी तो कारों में घूमेगी।"
"हाट नानसेंस ! वह टटपूंजिया लड़की हमारे घर
की बहू बनेगी।"
"छोटे मालिक को पसंद है तो बनाना ही पड़ेगा।"
"हगिंज नहीं।"
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"बड़े मालिक....आजकल के नौजवान विद्रोह पर उतर आते हैं।"
"पता लगाओ.....यह लड़की है कौन ?'
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"वह तो....मालिक ! मैं पहले ही जानता हूं कि कौन है। स्वर्गीय मास्टर देवीदयाल की इकलौती बेटी है।"
सेठजी एकाएक उछल पड़े और बोले
"वह मास्टर जी....स्वतंत्रता सेनानी।"
"हां।"
"आपने इतनी देर से क्यों नहीं बताया?"
"आपने पूछा ही कब था-शायद आप उन्हें कोई महत्व न देते हों।"
“विद्यादेवी..उसकी मां जिन्दा है।"
"जी हां।"
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"वह बंगला भी अभी नहीं बिका....स्कूल भी नहीं बना ?"
"जी नहीं।"
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"तब तो यह लड़की... हमारे घर की बहू बन सकती है।"
"बस में सफर करने वाली।"
"बहू बनकर आएगी तो नई से नई कार में घूमेगी। मास्टर देवीदयाल की इकलौती लड़की जब बहू बनकर आएगी तो बंगला भी तो लेकर आएगी।"
"मालिक ! बंगला कैसे दौडत्रकर आ जाएगा ?"
"अब गधे...बंगला दहेज में मिलेगा न।'
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"वह तो है।"
"बस तो, वहां एक शानदार पन्द्रह माले की बिल्डिंग बन सकती है और नीचे एक शानदार शॉपिंग कम्पलैक्स....बाजार..रेस्टोरेंट इत्यादि भी बन सकते हैं।
"बिल्कुल मालिक।"
"बस तो फिर यह भाग्यशाली लड़की हमारे घर की जरूर बहू बनेगी।"
"सच मालिक !"
"तुम तो ऐसे खुश हो रहे हो जैसे वह तुम्हारी बेटी है।"
"मालिक ! मेरी बेटी का इतना सौभाग्य कहां।"
राजेश कार का हार्न सुनकर उछल पड़ा और रूक गया-जगमोहन की कार उसके पास ही रूक गई तो राजेश ने ठंडी सांस ली और खिड़की के पास आकर बोला
"तू फिर आ गया ?"
"तो क्या न आता ?"
"मैंने तो आज ही सुबह मना किया था इसलिए कि मेरा आखिरी साल है पढ़ाई का।"
"तो क्या हुआ ?"
"सेठ साहब ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।"
"आज बैठ जा...मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूं।"
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
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Re: Romance फिर बाजी पाजेब
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
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Re: Romance फिर बाजी पाजेब
राजेश कार में बैठ गया और बोला-"पूछ, क्या पूछना है ?"
.
"ठहर, याद कर लूं।" फिर अचानक बोला-"हां, याद आ गया....तुझे मालूम है, ताजमहल होटल किसने बनवाया था ?"
"अबे ताजमहल होटल तेरे डैडी ने नहीं बनवाया, बहुत पुराना बना हुआ है। मगर किसने पूछा था
"प्रोफेसर ने।
"ताजमहल होटल नहीं-खाली ताजमहल पूछा होगा-वो ताजमहल जो आगरा में है.पर्यटकों के लिए है-संसार का सातवां बड़ा अजूबा है जो मुगल शहनशाह शाहजहां ने अपनी बेगम की याद में बनवाया था...वह उससे बहुत मुहब्बत करता था।"
"हां, बाद में प्रोफेसर ने बताया था.. तो मैं क्या आठवां अजूबा हूं ?"
"यह किसने कहा था तुझे?' राजेश हंसकर बोला।
"मेरे जवाब न देने पर एक लड़की ने खड़ी होकर कहा था।"
"किस लड़की ने ?"
"शायद सुनीता नाम था उसका। मेरी क्लासमेट है।"
"अरे ! तू लड़कियों से मजाक उड़वाता है।"
"छोड़ यार ! कोई मजाक उड़ाए तो क्या बिगड़ता है ?"
"अच्छा आगे बोल।"
"आज ही संयोग से मैंने उसी लड़की की इज्जत बचाई है।"
राजशे संभलकर बैठ गया और बोला-"कब ?"
"बस थोड़ी देर पहले।"
"किससे ?"
"अरे ! अपने ही कॉलेज का एक लड़का है।"
"क्या तूने उसे मारा भी ?"
"बस एक थप्पड़ हाथ घुमाकर-गाल पर जड़ दिया-तुमने ही यह गुर सिखाया था।"
"काफी था मगर तूने आज मार कैसे लिया ? तू तो किसी पर हाथ नहीं उठाता।"
"डैडी की शान और सम्मान का ख्याल आ गया।"
"फिर क्या हुआ ?"
"वह लड़की बच गई....और सिसककर मुझसे लिपट गई... कहने लगी-आपने मेरी इज्जत लुटने
से बचा ली–में आपका यह उपकार कभी नहीं भूलूंगी।"
"तूने क्या कहा?"
"मुझे एक फिल्म का डायलॉग याद आ गया-'मेरा फर्ज था'- बस वही दोहरा दिया।"
"फिर क्या हुआ ?"
"उसने कहा-यह बदमाश होश में आकर मेरे पीछे न लग जाए..आप मुझे बस स्टॉप तक छोड़ दीजिए...और मैंने उसे बस स्टॉप पर छोड़ दिया।"
.
राजेश ने उसे एक धप्प मारी और कहा-"गधा है तू....उसे घर तक पहुंचाना चाहिए था।"
"अपने घर तक ?"
"नहीं...उसके घर तक।"
"इससे क्या होता ?"
"अरे तू फिल्में देखता है-ऐसे ही दृश्यों से हीरो हीरोइन की मुलाकात शुरू होती है। जब वह । तुझसे लिपट गई थी तो तुझे कुछ नहीं हुआ था
.
"क्या होता ?"
"अरे हाड़-मांस के पहाड़! तेरे शरीर में दिल नहीं, भाव नहीं। कोई नौजवान सुन्दर लड़की तेरे जैसे नौजवान शरीर से लिपट जाए तो क्या होना चाहिए ? तुझे यह भी नहीं मालूम ।'
.
"हमसे पहले कभी कोई लड़की नहीं लिपटी।"
"अरे तुझे कोई सनसनी महसूस नहीं हुई-खून में कोई गरमी नहीं आई...कोई जोश नहीं आया ?"
"क्या ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है ?"
"अरे ! यहीं से तो मुहब्बत की शुरूआत होती है।"
"तौ क्या वह लड़की हमसे मुहब्बत शुरू कर देगी
"सेंट-परसेंट....तूने उसकी इज्जत बचाई है न।"
।
उसने एकदम गाड़ी रोक ली तो राजेश ने पूछा-"क्या हुआ ?"
.
.
"ठहर, याद कर लूं।" फिर अचानक बोला-"हां, याद आ गया....तुझे मालूम है, ताजमहल होटल किसने बनवाया था ?"
"अबे ताजमहल होटल तेरे डैडी ने नहीं बनवाया, बहुत पुराना बना हुआ है। मगर किसने पूछा था
"प्रोफेसर ने।
"ताजमहल होटल नहीं-खाली ताजमहल पूछा होगा-वो ताजमहल जो आगरा में है.पर्यटकों के लिए है-संसार का सातवां बड़ा अजूबा है जो मुगल शहनशाह शाहजहां ने अपनी बेगम की याद में बनवाया था...वह उससे बहुत मुहब्बत करता था।"
"हां, बाद में प्रोफेसर ने बताया था.. तो मैं क्या आठवां अजूबा हूं ?"
"यह किसने कहा था तुझे?' राजेश हंसकर बोला।
"मेरे जवाब न देने पर एक लड़की ने खड़ी होकर कहा था।"
"किस लड़की ने ?"
"शायद सुनीता नाम था उसका। मेरी क्लासमेट है।"
"अरे ! तू लड़कियों से मजाक उड़वाता है।"
"छोड़ यार ! कोई मजाक उड़ाए तो क्या बिगड़ता है ?"
"अच्छा आगे बोल।"
"आज ही संयोग से मैंने उसी लड़की की इज्जत बचाई है।"
राजशे संभलकर बैठ गया और बोला-"कब ?"
"बस थोड़ी देर पहले।"
"किससे ?"
"अरे ! अपने ही कॉलेज का एक लड़का है।"
"क्या तूने उसे मारा भी ?"
"बस एक थप्पड़ हाथ घुमाकर-गाल पर जड़ दिया-तुमने ही यह गुर सिखाया था।"
"काफी था मगर तूने आज मार कैसे लिया ? तू तो किसी पर हाथ नहीं उठाता।"
"डैडी की शान और सम्मान का ख्याल आ गया।"
"फिर क्या हुआ ?"
"वह लड़की बच गई....और सिसककर मुझसे लिपट गई... कहने लगी-आपने मेरी इज्जत लुटने
से बचा ली–में आपका यह उपकार कभी नहीं भूलूंगी।"
"तूने क्या कहा?"
"मुझे एक फिल्म का डायलॉग याद आ गया-'मेरा फर्ज था'- बस वही दोहरा दिया।"
"फिर क्या हुआ ?"
"उसने कहा-यह बदमाश होश में आकर मेरे पीछे न लग जाए..आप मुझे बस स्टॉप तक छोड़ दीजिए...और मैंने उसे बस स्टॉप पर छोड़ दिया।"
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राजेश ने उसे एक धप्प मारी और कहा-"गधा है तू....उसे घर तक पहुंचाना चाहिए था।"
"अपने घर तक ?"
"नहीं...उसके घर तक।"
"इससे क्या होता ?"
"अरे तू फिल्में देखता है-ऐसे ही दृश्यों से हीरो हीरोइन की मुलाकात शुरू होती है। जब वह । तुझसे लिपट गई थी तो तुझे कुछ नहीं हुआ था
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"क्या होता ?"
"अरे हाड़-मांस के पहाड़! तेरे शरीर में दिल नहीं, भाव नहीं। कोई नौजवान सुन्दर लड़की तेरे जैसे नौजवान शरीर से लिपट जाए तो क्या होना चाहिए ? तुझे यह भी नहीं मालूम ।'
.
"हमसे पहले कभी कोई लड़की नहीं लिपटी।"
"अरे तुझे कोई सनसनी महसूस नहीं हुई-खून में कोई गरमी नहीं आई...कोई जोश नहीं आया ?"
"क्या ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है ?"
"अरे ! यहीं से तो मुहब्बत की शुरूआत होती है।"
"तौ क्या वह लड़की हमसे मुहब्बत शुरू कर देगी
"सेंट-परसेंट....तूने उसकी इज्जत बचाई है न।"
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उसने एकदम गाड़ी रोक ली तो राजेश ने पूछा-"क्या हुआ ?"
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मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
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Re: Romance फिर बाजी पाजेब
.
"शायद वह लड़की अभी स्टॉप पर खड़ी हो।"
"तुमसे मुहब्बत जाहिर करने का इन्तजार कर रही हो। कल कॉलेज में मिल लेना।"
"तो क्या उसी सीन की सेम रिहर्सल-शक्ति उसकी इज्जत पर हमला करे और मैं उसे मजा चखऊं?"
"नहीं-उस लड़की को कार में लिफ्ट देना और रास्ते में धीरे से उसके कान में कहना-मैं तुमसे प्यार करता हूं।"
"अरे, बाप रे बाप-!"
जगमोहन ने स्टेयरिंग छोडनकर दिल थाम लिया और राजेश ने जल्दी से स्टेयरिंग संभाल लिया।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सेठ दौलतराम के चेहरे से खुशी फूटी पड़ रही थी। उन्होंने किसी का टेलीफोन रिसीव किया...फिर रिसीवर रखकर इन्टरकॉम का बटन दबाया। दूसरी ओर से आवाज आई-"यस सर ।"
सेठ दौलतराम ने रिसीवर रख दिया। कुछ देर बाद ही दरवाजे के पास से आवाज आई
"मैं...मैं..अंदर आ सकता हूं सर।"
"आ जाइए।"
प्रेम अंदर आकर शिष्टता से बोला-"यस सर ।"
"बैठिए !" प्रेम बैठ गया तो सेठ दौलतराम ने मुस्कराकर कुर्सी की पीठ से टेक लगाते हुए कहा-"मिस्टर प्रेम....हमारा एक ही बेटा है जगमोहन-अगर हम उसकी शादी करें तो कम से कम कितना दहेज मिलना चाहिए?"
"सर ! कम से कम दस-पन्द्रह करोड़ तो मिलना ही चाहिए।"
"अगर हम कहें, एक अरब तक मिल रहे हों तो....।"
"फिर....सर, देर नहीं करनी चाहिए, तुरन्त ही छोटे सेठजी का रिश्ता पक्का कर दें।"
"हां, आपसे यही सलाह लेनी थी।"
"तो क्या छोटे सेठजी का रिश्ता लगा दिया है ?"
"नहीं ! हमारा बेटा एक अरबपति आसामी की बेटी से मुहब्बत करने लगा है।"
.
।
"अच्छा !'' प्रेम खुश होकर बोला।
"हां-आज हमने अपनी आंखों से देखा था।'
"कहां?"
"सांताक्रूज में एक बस स्टॉप के पास।"
"अच्छा! वह लड़की बस स्टॉप पर गई थी ?"
"नहीं, वहां वह कार से उतरी थी....बस में बैठने के लिए।
प्रेम ने आंखें फाड़कर कहा-"अरबपति की बेटी
और बस से सफर।"
"मामला कुछ ऐसा ही है।"
"क्या किसी कंजूस सेठ की बेटी है?"
"नहीं...एक ऐसे आदमी की इकलौती बेटी जिसके पास पुराना बंगला है।"
"ओहो !"
"और बंगला भी ऐसी जगह जहां पन्द्रह माले तक की बिल्डिंग और नीचे शॉपिंग कम्पलैक्स बनाए जा सकते हैं।"
"वैरी गुड ! फिर देर किस बात की है ?"
"बस..आज हम रिश्ता पक्का करने जा रहे हैं।"
"बात करने तो उन्हें आना चाहिए।"
"बेचारी का बाप अब इस दुनिया में नहीं रहा।"
"ओह ! क्या स्वर्गवासी हो गया है ?"
"खून हो गया था बेचारे का।"
"कब?"
"दस बरस पहले।"
प्रेम चौंका-"किसके हाथों ?"
"हमारे हाथों।"
प्रेम के मस्तिष्क में एक छनाका हुआ-उसने संभलकर बैठते हुए आश्चर्य से कहा
"आप मास्टर जी की बात कर रहे हैं। मगर सुना है उस लड़की की तो सगाई हो गई है।"
"वह गलत सुना है आपने वह आज ही जगमोहन के साथ कार में घूम रही थी।"
"तो फिर क्या देरी है।" प्रेम ने थूक निगलकर कहा-"इस शुभ काम में।"
"हम आज की विद्यादेवी से मिलने जाएंगे-आप भी हमारे साथ चलिएगा।"
.
.
"म..म..मुझे आज काम था सर !"
"क्या काम ?"
"वो...आज मेरी पत्नी के रिश्ते के भाई के मुंडन है....और आप जानते ही हैं कि इस दुनिया में
आदमी का पहला काम धर्मपत्नी को खुश रखना होता है।"
सेठ दौलत राम हंसकर रह गए और बोले-"ठीक है, हम अकेले ही चले जाएंगे।"
प्रेम उठकर अपने केबिन में आ गया। उसके मस्तिष्क में खलबली-सी मची हुई थी। अपनी कुर्सी पर बैठकर उसने सबसे पहले अपना मोबाइल निकाला और नम्बरों के बटन दबाए-फिर रिसीवर कान से लगा लिया...कुछ देर बाद दूसरी
ओर से आवाज आई-"हैलो!"
आवाज कुछ कराहती हुई थी। प्रेम ने चौंककर रिसीवर कान से हटाकर माउथपीस में बोला-"किसके पास है तेरा मोबाइल ?"
दूसरी ओर से आवाज आई-"मेरे ही पास है..मैं ही बोल रहा हूं डैडी।"
.
"अबे-तेरी आवाज को क्या हो गया?"
"आवाज को छोड़िए...आप काम बताइए।"
"अरे ! तू क्या खाक काम करेगा..तूने तो काम बिगाड़ने पर कमर कस ली है अपनी।"
"जले पर नमक मत छिड़किए डैडी।"
"मैंने तुझे क्या काम सौंपा था ?"
"खाना-पीना....कॉलेज जाना।"
"और सुनीता...!"
"उकसी तो मैं पिछले दस बरस से पटा रहा हूं।"
"आज सुनीता तेरे साथ कॉलेज गई थी ?"
"नहीं...वह बस से गई थी।"
"वापसी में तूने उसे लिफ्ट नहीं दी।"
"वह तो खुद मुझे लिफ्ट नहीं देती....मैं उसे क्या लिफ्ट दूं ?
"अरे! इतना बड़ा सांड हो गया तुझसे एक लौंडिया नही पटती।"
"आप ही पटा लें।"
"अबे! मैं उसके बाप के बराबर हूं।"
"मेरे भी तो बाप हैं आप।
"उल्लू के पट्टे !"
-
"बिल्कुल ठीक कहा....डैडी।"
"आज सुनीता सेठजी के बेटे जगमोहन के साथ कार में देखी गई थी।"
"तो मैं क्या करूं?"
"अबे ! तू नहीं कुछ करेगा तो क्या मैं करूंगा ?"
"डैडी ! वह लड़की मेरे बस में आने वाली नहीं है।"
"मेरा बेटा होकर हथियार डाल रहा है। मैंने तेरी मां जैसी औरत को अपने बस में कर लिया था।"
"शायद वह लड़की अभी स्टॉप पर खड़ी हो।"
"तुमसे मुहब्बत जाहिर करने का इन्तजार कर रही हो। कल कॉलेज में मिल लेना।"
"तो क्या उसी सीन की सेम रिहर्सल-शक्ति उसकी इज्जत पर हमला करे और मैं उसे मजा चखऊं?"
"नहीं-उस लड़की को कार में लिफ्ट देना और रास्ते में धीरे से उसके कान में कहना-मैं तुमसे प्यार करता हूं।"
"अरे, बाप रे बाप-!"
जगमोहन ने स्टेयरिंग छोडनकर दिल थाम लिया और राजेश ने जल्दी से स्टेयरिंग संभाल लिया।
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सेठ दौलतराम के चेहरे से खुशी फूटी पड़ रही थी। उन्होंने किसी का टेलीफोन रिसीव किया...फिर रिसीवर रखकर इन्टरकॉम का बटन दबाया। दूसरी ओर से आवाज आई-"यस सर ।"
सेठ दौलतराम ने रिसीवर रख दिया। कुछ देर बाद ही दरवाजे के पास से आवाज आई
"मैं...मैं..अंदर आ सकता हूं सर।"
"आ जाइए।"
प्रेम अंदर आकर शिष्टता से बोला-"यस सर ।"
"बैठिए !" प्रेम बैठ गया तो सेठ दौलतराम ने मुस्कराकर कुर्सी की पीठ से टेक लगाते हुए कहा-"मिस्टर प्रेम....हमारा एक ही बेटा है जगमोहन-अगर हम उसकी शादी करें तो कम से कम कितना दहेज मिलना चाहिए?"
"सर ! कम से कम दस-पन्द्रह करोड़ तो मिलना ही चाहिए।"
"अगर हम कहें, एक अरब तक मिल रहे हों तो....।"
"फिर....सर, देर नहीं करनी चाहिए, तुरन्त ही छोटे सेठजी का रिश्ता पक्का कर दें।"
"हां, आपसे यही सलाह लेनी थी।"
"तो क्या छोटे सेठजी का रिश्ता लगा दिया है ?"
"नहीं ! हमारा बेटा एक अरबपति आसामी की बेटी से मुहब्बत करने लगा है।"
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।
"अच्छा !'' प्रेम खुश होकर बोला।
"हां-आज हमने अपनी आंखों से देखा था।'
"कहां?"
"सांताक्रूज में एक बस स्टॉप के पास।"
"अच्छा! वह लड़की बस स्टॉप पर गई थी ?"
"नहीं, वहां वह कार से उतरी थी....बस में बैठने के लिए।
प्रेम ने आंखें फाड़कर कहा-"अरबपति की बेटी
और बस से सफर।"
"मामला कुछ ऐसा ही है।"
"क्या किसी कंजूस सेठ की बेटी है?"
"नहीं...एक ऐसे आदमी की इकलौती बेटी जिसके पास पुराना बंगला है।"
"ओहो !"
"और बंगला भी ऐसी जगह जहां पन्द्रह माले तक की बिल्डिंग और नीचे शॉपिंग कम्पलैक्स बनाए जा सकते हैं।"
"वैरी गुड ! फिर देर किस बात की है ?"
"बस..आज हम रिश्ता पक्का करने जा रहे हैं।"
"बात करने तो उन्हें आना चाहिए।"
"बेचारी का बाप अब इस दुनिया में नहीं रहा।"
"ओह ! क्या स्वर्गवासी हो गया है ?"
"खून हो गया था बेचारे का।"
"कब?"
"दस बरस पहले।"
प्रेम चौंका-"किसके हाथों ?"
"हमारे हाथों।"
प्रेम के मस्तिष्क में एक छनाका हुआ-उसने संभलकर बैठते हुए आश्चर्य से कहा
"आप मास्टर जी की बात कर रहे हैं। मगर सुना है उस लड़की की तो सगाई हो गई है।"
"वह गलत सुना है आपने वह आज ही जगमोहन के साथ कार में घूम रही थी।"
"तो फिर क्या देरी है।" प्रेम ने थूक निगलकर कहा-"इस शुभ काम में।"
"हम आज की विद्यादेवी से मिलने जाएंगे-आप भी हमारे साथ चलिएगा।"
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.
"म..म..मुझे आज काम था सर !"
"क्या काम ?"
"वो...आज मेरी पत्नी के रिश्ते के भाई के मुंडन है....और आप जानते ही हैं कि इस दुनिया में
आदमी का पहला काम धर्मपत्नी को खुश रखना होता है।"
सेठ दौलत राम हंसकर रह गए और बोले-"ठीक है, हम अकेले ही चले जाएंगे।"
प्रेम उठकर अपने केबिन में आ गया। उसके मस्तिष्क में खलबली-सी मची हुई थी। अपनी कुर्सी पर बैठकर उसने सबसे पहले अपना मोबाइल निकाला और नम्बरों के बटन दबाए-फिर रिसीवर कान से लगा लिया...कुछ देर बाद दूसरी
ओर से आवाज आई-"हैलो!"
आवाज कुछ कराहती हुई थी। प्रेम ने चौंककर रिसीवर कान से हटाकर माउथपीस में बोला-"किसके पास है तेरा मोबाइल ?"
दूसरी ओर से आवाज आई-"मेरे ही पास है..मैं ही बोल रहा हूं डैडी।"
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"अबे-तेरी आवाज को क्या हो गया?"
"आवाज को छोड़िए...आप काम बताइए।"
"अरे ! तू क्या खाक काम करेगा..तूने तो काम बिगाड़ने पर कमर कस ली है अपनी।"
"जले पर नमक मत छिड़किए डैडी।"
"मैंने तुझे क्या काम सौंपा था ?"
"खाना-पीना....कॉलेज जाना।"
"और सुनीता...!"
"उकसी तो मैं पिछले दस बरस से पटा रहा हूं।"
"आज सुनीता तेरे साथ कॉलेज गई थी ?"
"नहीं...वह बस से गई थी।"
"वापसी में तूने उसे लिफ्ट नहीं दी।"
"वह तो खुद मुझे लिफ्ट नहीं देती....मैं उसे क्या लिफ्ट दूं ?
"अरे! इतना बड़ा सांड हो गया तुझसे एक लौंडिया नही पटती।"
"आप ही पटा लें।"
"अबे! मैं उसके बाप के बराबर हूं।"
"मेरे भी तो बाप हैं आप।
"उल्लू के पट्टे !"
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"बिल्कुल ठीक कहा....डैडी।"
"आज सुनीता सेठजी के बेटे जगमोहन के साथ कार में देखी गई थी।"
"तो मैं क्या करूं?"
"अबे ! तू नहीं कुछ करेगा तो क्या मैं करूंगा ?"
"डैडी ! वह लड़की मेरे बस में आने वाली नहीं है।"
"मेरा बेटा होकर हथियार डाल रहा है। मैंने तेरी मां जैसी औरत को अपने बस में कर लिया था।"
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...