कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास complete
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल झड़ने के करीब पहुँच गया तो उसने सुनीता को अपने लंड से दूर कर दिया.
कामया भी विमल से अलग हो गई और दोनो बहने विमल के लंड को चूसने लग गई.
दोनो के होंठों के बीच विमल का लंड हो गया.
विमल से और सहा नही गया , उसने सुनीता को नीचे लेटने को कहा और कामया को उसके उपर, दोनो बहने एक दूसरे के होंठ चूसने लग गई और विमल सुनीता की टाँगों के बीच में आ गया और एक ही झटके में सुनीता की चूत में लंड पेल दिया सुनीता की चीख कामया के होंठों में दब गई.
विमल सततत सुनीता को चोदने लगा और फिर अपने लंड बाहर निकाल कर उसने कामया की चूत में घुसा डाला अब कामया की बारी थी चिल्लाने की
बार बारी विमल दोनो को चोदने लगा, जितनी ज़ोर से वो अपना लंड उनकी चूत के अंदर पेलता उतनी ही ज़ोर से वो चिल्लाती, एक पल सुनीता की चीख निकल ती तो दूसरे पल कामया की.
अपनी उत्तेजना में फसि दोनो चीखती चिल्लाती एक दूसरे के उरोज़ का ज़ोर से मर्दन करने लगी.
आज जो मज़ा दोनो को एक साथ मिल रहा था वो उस मज़े से कहीं आगे था जब रमेश ने दोनो को चोदा था. बेटा बाप से कहीं आगे निकल गया था.
सबसे पहले सुनीता झड़ी और फिर कामया लेकिन विमल सतसट दोनो को ही चोद्ता रहा, वो एक मशीन बन चुका था – एक अनियंत्रित मशीन जिसमे कोई ब्रेक नही था. दोनो औरतों की हालत खराब हो चुकी थी और दोनो ही एक बार और झाड़ गई लेकिन विमल अपनी धुन में था जब उसे लगा वो झड़ने के करीब आ गया है तो उसने दोनो को अपने आगे बिठा लिया और दोनो ही उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी और विमल के वीर्य की पिचकारियाँ दोनो के चेहरे पे गिरने लगी.
फिर दोनो ने उसके लंड को चाट के सॉफ किया और दोनो एक दूसरे के चेहरे से विमल के वीर्य को चाट कर गई. तीनो ही बहुत थक गये थे और बिस्तर पे लूड़क पड़े अपनी साँसे संभालते हुए नींद की आगोश में खो गये.
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राम्या से मोबाइल पे बात कर सोनल अपने बिस्तर पे लेट गई. उसे बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था.
आज बस में जो उसके साथ हुआ वो सोच सोच कर वो गरम हो रही थी, जिस्म की प्यास बढ़ती जा रही थी पर उसे बुझाने का कोई रास्ता उसे नज़र नही आ रहा था.
सुबह जब उसकी स्कूटी खराब हो गई तो वो अपने कॉलेज बस में गई. बस में भीड़ बहुत थी और वो दो बूढ़ो के बीच फस गई.
एक ने तो अपना लंड पीछे से उसकी गान्ड में लगा दिया और घर्षण करने लगा.
सामने जो दूसरा था वो पलट कर बिल्कुल उसके सामने हो गया और भीड़ की वजह से तीनो जैसे चिपक गये थे. सोनल दो बूढ़ो के बीच संड्वीच बन के रह गई थी. एक का लंड उसकी चूत को रगड़ रहा था और दूसरे का पीछे से उसकी गान्ड को. भीड़ के धक्को की वजह से वो आगे पिछे हो रहे थे, सोनल को यूँ लग रहा था जैसे वो दोनो तरफ से चुद रही हो.
उसे बिल्कुल भी हिलने की जगह नही मिल रही थी. चेहरा शर्म और ग्लानि से लाल पड़ता जा रहा था. साँसे तेज होने लगी थी, दोनो बुड्ढे समझ गये कि उसे भी मज़ा मिल रहा है और पीछे वाले ने उसकी कमर को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से अपना लंड उसकी गान्ड में घुसाने की कोशिश करने लगा. गनीमत ये थी कि सोनल ने जीन्स पहनी हुई थी. अगर सलवार पहनी होती तो….. ये सोच कर ही वो सिहर उठी.
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
जल्दी ही सोनल का स्टॅंड आ गया और वो बूढ़ो के चुंगल से किसी तरहा निकल उतर गई. पर सारा दिन उसके दिमाग़ में और जिस्म में उन घर्षण का अहसास रहा.
अपनी आग को बुझाने का कोई और रास्ता ना देख खुद उसका हाथ उसकी चूत पे चला गया और वो ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को दबोचने लगी.
अपनी चूत को रगड़ते रगड़ते वो सो गई पर जिस्म की प्यास ना भुजने पायी, उसे अब राम्या का इंतेज़ार था जिससे बात कर वो कोई हल निकालना चाहती थी.
उधर जब रमेश की नींद खुली तो उसने रिया को अपने साथ नंगी लेटा पाया और उसके दिमाग़ में सब कुछ घूम गया कि क्या और कैसे हुआ था आज वो बेटीचोद बन चक्का था – रमेश चाहे कितना भी चुड़दकड़ क्यूँ ना हो – उसने कभी नही सोचा था कि वो अपनी बेटी को ही चोद डालेगा – उसके दिमाग़ की नसे फटने लगी और वो उठ के सीधा फ्रिज के पास गया और एक बियर की बॉटल निकाल के पीने लग गया – बियर से उसे कुछ राहत मिली – बार बार ग्लानि के झटके लग रहे थे उसे – सोचते सोचते उसके दिमाग़ में राम्या आ गई – अगर फोन ना आया होता तो शायद रिया की जगह वो राम्या को चोद चुका होता.
राम्या का हुस्न उसकी आँखों के सामने तैरने लगा और उसके दिल में राम्या को चोदने की चाहत बढ़ती चली गई. अब वो ये भूल चुका था कि कुछ देर पहले वो खुद को गालियाँ दे रहा था ----- बात वही निकली – एक खून की सज़ा भी फाँसी और दो खून की सज़ा भी फाँसी – जब एक बेटी को चोद लिया तो दूसरी को चोदने में क्या हर्ज़ है.
ऐसी होती है जिस्म की प्यास जो मर्यादा और रिश्ते सब कुछ साथ में बहा के ले जाती है.
रमेश को कुछ ज़रूरी काम भी था – वो रानी के पास जाता है – रानी उसे देखते ही मुस्कुराने लगती है – वो सोच रही थी कि रमेश फिर उसे चोदने आया है पर ऐसा नही था – वो रानी को रिया के पास बैठने का कह कर तयार होता है और अपने काम के लिए निकल पड़ता है.
रानी जानती थी कि उसे क्या करना है – वो थोड़ा पानी गरम कर के रिया के पास चली जाती है .
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अगले दिन विमल, कामया, सुनीता और राम्या देल्ही के लिए निकल पड़ते हैं. कामया ने बहुत बार रमेश को फोन करने की कोशिश करी पास कोई बात नही हो पाई.
विमल ने गाड़ी चलाने का जिम्मा उठा लिया था. सुनीता की हालत थोड़ी खराब थी उसकी गान्ड में अब भी टीस उठ रही थी. रास्ते भर वो विमल की कल्पना करती रही अपने पति से और अपने जीजा से.
कामया बहुत खुश थी – विमल की चुदाई ने उसके जिस्म का पोर पोर आनंद की तरंगो से भर दिया था.
राम्या खुश भी थी और थोड़ा मायूस भी उसे विमल के साथ इतना मोका नही मिला था जितना वो चाहती थी और जब रमेश के साथ आगे बढ़ने का मोका आया था तो फोन ने सब गड़बढ कर दिया था. फिर भी उसके चेहरे पे मुस्कान थी और सारा रास्ता सभी हसी मज़ाक कर रहे थे.
रात के करीब दस बजे सब देल्ही पहुँच जाते हैं. सब को थकान इतनी हो रही थी कि सब फटाफट सोने की कोशिस करते हैं.
विमल भी लगातार इतनी चुदाई और फिर सारे दिन की ड्राइविंग से थक गया था. वो अपने कमरे में जा कर बिना कपड़े बदले बिस्तर पे ढह जाता है.
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
उधर रमेश के जाने के बाद रानी रिया के पास आकर बैठ जाती है – जाहिर था कि रिया चद्दर के अंदर बिल्कुल नंगी है .
रानी जैसी बहुत बार चुदि औरत ये जानती थी कि इस वक़्त रिया की क्या हालत होगी वो टाँगों की तरफ से चद्दर उठा कर देखती है तो हैरान हो जाती है कौमार्य भंग होने से रिया ने बहुत खून बहाया था और उसकी चूत बहुत सूज गई थी.
रानी एक कपड़ा गरम पानी में भिगो कर रिया की चूत सॉफ करने लगी और गरम पानी का सेक उसकी चूत को देने लगी.
नींद में ही रिया को सकुन मिलने लगा उसकी टाँगें अपने आप फैल गई और रानी को सफाई करने में और आसानी हो गई.
रिया को अच्छी तरहा सॉफ करने के बाद रानी अपने कमरे में चली गई और एक पेन किल्लर का पत्ता ले कर आ गई.
फिर किचन में जा कर उसने दूध गरम किया और उसमे कुछ मेवे डाल दिए.
ये सब करने के बाद वोई वापस रिया के पास आई और प्यार से उसके सर पे हाथ फेरते हुए उसे उठाने लगी.
रिया ने आँखें खोली तो सामने रानी को पाया और पिछली दिन हुई घटना उसकी आँखों के सामने घूमने लगी – रिया की आँखों में आँसू आ गये.
‘नही छोटी मालकिन रोते नही – जो होना था हो गया – ये दूध पी लो आपको आराम मिलेगा.’
रिया कुछ ना बोली चुप चाप रानी के हाथ से ग्लास पकड़ा और दूध पीने लगी.
दूध ख़तम करने के बाद रिया नज़रें झुकाए अढ़लेटी रही.
तब रानी ने उसे पेन किल्लर की दो गोलियाँ खिलाई और सहारा दे कर बाथ रूम में ले गई.
रिया ने उसे बाहर जाने को कहा और खुद गरम पानी से भरे टब में लेट गई.
गरम पानी उसके जिस्म को बहुत राहत पहुँचा रहा था.
जब तक रिया बाथरूम से बाहर निकलती रानी ने कमरा ठीक कर डाला, बिस्तर की चद्दर बदल दी और चुदाई के सारे निशान कमरे से मिटा दिए.
रानी बिस्तर के कोने में बैठ कर रिया का इंतेज़ार करने लगी तब उसे ध्यान आया कि रिया के पास बदलने के लिए कपड़े नही हैं फिर वो दूसरे कमरे में चली गई जहाँ पूरे परिवार के कुछ कपड़े एक अलमारी में रखे हुए थे. उनमें से रिया के लिए एक सलवार और कुर्ता ले आई.
रिया जब टवल लप्पेट कर बाथरूम से बाहर निकली तो उसके चेहरे पे एक निखार था बिल्कुल वैसे ही जैसे एक कली जब फूल बनती है तो देखने को मिलता है. चेहरे पे शर्म की लाली थी.
रानी कुछ नही कहती बस उसके कपड़े आगे कर देती है.
रिया बिना ब्रा और पैंटी के सलवार कुर्ता पहन लेती है, उसे रानी के सामने नग्न होने में अब कुछ शरम नही आ रही थी.
बस शरम अपने उस बर्ताव के उपर थी जो उसने कल किया था और किस तरहा रमेश को उकसाया था उसे चोदने के लिए.
रानी जब वहाँ से जाने लगी तो रिया ने हाथ पकड़ उसे रोक लिया.
‘पापा कहाँ है?’
‘छोटी मालकिन वो कुछ काम से गये हैं – थोड़ी देर में आ जाएँगे’
‘रानी……….’ रिया आयेज बोल नही पायी पर रानी उसकी बात समझ गई.
‘चिंता मत करो छोटी मालिकिन – किसी को कुछ नही पता चलेगा’
‘रानी तुम उम्र में बड़ी हो मुझ से – ये छोटी मालकिन कहना बंद करो मुझे मेरे नाम से बुलाया करो’
‘जी छोटी मालकिन’
‘फिर वही – अभी क्या कहा मैने’
‘जी जी रिया मेम्साब’
‘फिर मेम्साब कि दूं’
‘मुझ से नही होगा – कहाँ मैं एक नोकारानी कहाँ आप’
‘आज से तुम मेरी दोस्त हो और दोस्ती में नाम से पुकारा जाता है’
‘माफ़ करो मेम्साब मेरे बस का नही आप जो भी कहो मुझे सिर्फ़ नाम ले कर आपको नही ---- माफ़ करो ना मुझे क्यूँ सज़ा देना चाहती हो’
‘अच्छा बाबा अभी के लिए रिया बहन कह सकती हो – नो मालकिन – नो मेम्साब – वो सब मम्मी और दीदी के लिए’
‘हां रिया बहन बोल सकती हूँ’
दोनो के चेहरे पे मुस्कान आ गई.
रिया : कुछ खिला यार बहुत भूक लग रही है.
रानी : बस अभी लाई रिया बहन.
रानी किचन की तरफ चली गई और रिया बैठी बैठी सोचने लगी – जो उसने किया वो ठीक था या नही – पापा क्या सोचते होंगे.
रमेश देर रात वापस आता है, रिया उससे नज़रें नही मिला पा रही थी और ना ही रमेश उसे नज़रें मिला पा रहा था. कामया का फोन उसे आ चुका था की वो लोग देल्ही पहुँच चुके हैं.
रिया की छुट्टी में अभी एक दिन बाकी था. रमेश चुप चाप खाना ख़ाता है और दूसरे कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर सोने की कोशिश करता है पर नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी, कभी उसकी आँखों के सामने राम्या का अर्ध नग्न जिस्म लहरा जाता तो कभी रिया का हुस्न उसे तड़पाने लगता.
वो बियर निकाल के बैठ गया और पीते पीते सोचने लगा कि उसे क्या करना चाहिए.
रिया ने रानी को अपने पास ही सोने के लिए कहा .
रानी ने रिया के जिस्म का मसाज किया और रिया को नींद आ गई. जब रिया सो गई तो रानी ने एक बार रमेश के कमरे के पास जा कर देखा कि लाइट जल रही है पर दरवाजा अंदर से बंद है, रानी चुप चाप अपने कमरे में चली गई जहाँ उसका पति उसका इंतेज़ार कर रहा था. कमरे में घुसते ही उसने रानी को दबोच लिया और मिया बीवी अपनी रस लीला में खो गये.
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
उधर ऋतु की इच्छा उसके अपने मन में ही रह गई एक साथ दो लंड से चुदने की क्यूंकी वो रवि को बिल्कुल भी दुखी नही करना चाहती थी.
अगले दिन सबने बचा कुचा समान पॅक किया और एरपोर्ट की तरफ निकल पड़े.
जिस वक़्त ये लोग फ्लाइट से देल्ही पहुँचे तो एरपोर्ट पर विमल, कामया और सुनीता इनको रिसीव करने आए हुए थे. सब एक दूसरे से मिले और सुनीता की पारखी आँखों ने ऋतु की चाल में फरक को भाँप लिया.
सब रमेश के घर पहुँचे तो कामया ने एक गेस्ट रूम जो बहुत कम इस्तेमाल होता था वो सुनीता और रमण के लिए फिक्स कर दिया और ऋतु को राम्या के कमरे में भेज दिया. रवि को विमल के साथ भेज दिया.
और रमेश भी रिया को लेकर घर पहुँच गया.
सारे बच्चे एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश थे और अपनी अपनी बातें करने लगे.
रमेश भी रमण के साथ बैठ गया. दोनो ने बियर का दौर शुरू कर दिया और रमेश रमण से उसके आगे के प्लान के बारे में बातें करने लगा.
कामया और सुनीता किचन में बिज़ी हो गई.
रात का खाना हो गया पर बच्चों की आँखों से नींद दूर थी. सुनीता ऋतु से अकेले में बात करना चाहती थी पर मोका नही मिल रहा था.
खाने के बाद रमेश और रमण फिर दारू ले के बैठ गये और सारे बच्चे एक कमरे में घुस कर धमाल मचाने लगे.
कामया को रिया में भी कुछ बदलाव नज़र आया था पर उसके पास भी कोई मोका नही था उससे बात करने का.
सुनीता को विमल की आदत पड़ चुकी थी, उसके बदन में रह रह कर टीस उठ रही थी पर कुछ कर नही सकती थी.
रमण भी सुनीता के साथ कुछ वक़्त बिताना चाहता था पर रमेश उसे छोड़ ही नही रहा था.
कामया बार बार गुस्से से रमेश को देख रही थी, पर रमेश उसकी कोई परवाह नही कर रहा था.
तंग आ कर कामया ने जितना स्नॅक्स उनके लिए तयार किया था सामने टेबल पे रख दिया और एलान कर दिया कि वो और सुनीता सोने जा रही हैं और कामया सुनीता को ले कर अपने कमरे में घुस गई और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.
रमण रमेश से उसके साथ कैसे इनवेस्ट कर सकता है वगेरा वगेरा के बारे में बातें कर रहा था और रमेश का दिमाग़ कहीं और था वो दुबई में इनवेस्टमेंट के बारे में पूछ रहा था. अब ये बातें होंगी तो वक़्त का पता किसे चलता है रात भर इनकी बातें चलती रही और रात भर बच्चे धमाचोकड़ी मचाते रहे.
सुनीता को इस बात की कोई चिंता नही थी कि काफ़ी दिनो के बाद उसका पति आया है और उसे बाँहों में भरने के लिए तड़प रहा होगा और कामया को इस बात की कोई फिकर नही थी कि रमेश भी शायद उसके लिए भूका होगा क्यूंकी वो अच्छी तरहा जानती थी कि रमेश इधर उधर मुँह मारता ही रहता है.
ये दोनो तो किसी तरहा सो जाती हैं पर बाकी सब जागते रहते हैं.
किसी को नही मालूम था कि पिछले कुछ दिनो में क्या क्या हुआ है.
देखते हैं ये बातें खुलती हैं या नही खुलती हैं तो क्या होगा और नही खुलती तो क्या होगा. साथ बने रहिएगा.
सुबह होने वाली थी, बक्चोदि करते करते बच्चे लोग भी थक गये थे. विमल रवि को ले कर अपने कमरे में चला जाता है और तीनो लड़कियाँ राम्या के कमरे में ढह हो जाती हैं.
रवि और विमल बिस्तर पे लेट जाते हैं.
रवि : विमू भाई एक काम कर दोगे.
विमल : हां बोल कर सका तो तेरे लिए क्यूँ नही.
रवि : मैं चाहता हूँ कि आगे की पढ़ाई मैं और ऋतु मुंबई में करे तेरा साथ भी मिल जाएगा.
विमल : तू यहाँ भी तो कर सकता है फिर मुंबई क्यूँ जाना चाहता है.?
रवि : वो सब बाद में, ये बता ये काम करा सकता है या नही और मुझे एक पार्ट टाइम जॉब भी चाहिए होगी.
विमल बस रवि को देखता रह जाता है. रवि ऐसा क्यूँ चाहता है उसे कुछ समझ नही आ रहा था.
रवि : एक बात और, जब तक हमारी अड्मिशन नही हो जाती तू ये बात घर में किसी से भी नही कहेगा.
विमल : भाई तूने इतने सालों में पहली बार कुछ माँगा है. सर्टिफिकेट्स की कॉपीस दे देना सब हो जाएगा.
रवि : थॅंक्स भाई.
विमल : थप्पड़ मारूँगा एक दुबारा थॅंक्स बोला तो. बड़ा हूँ तुझ से.
रवि की आँखों में आँसू आ जाते हैं. और विमल से लिपट जाता है.
नीचे हाल में दोनो साडू रमेश और रमण वहीं सोफे पे ढह जाते हैं. आधे आधे भरे ग्लास टेबल पे ही पड़े थे. पता नही कब इनकी आँख लग गई.
आधी रात को सुनीता की नींद खुल जाती है, उठ के पानी पीती है और पिछले दिनो जो कुछ हुआ वो सोचने लगती है. उसकी आँखों से नींद गायब हो जाती है और बिस्तर के एक कोने में अढ़लेटी हो कर ये सोचने लगती है कि आगे क्या होगा.
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
सुनीता की आँखों के सामने बार बार विमल का चेहरा आ रहा था – अपनी ममता के क़र्ज़ को उतारने के चक्कर में उसने अपनी मर्यादा की दीवारें तोड़ डाली थी और अपने ही बेटे की हमबिस्तर हो गई थी लेकिन कामया ने ऐसा क्यूँ किया –
शायद जलन और डर के मारे कि कहीं विमल को मैं उस से छीन ना लूँ- जबकि मैं उसे कितनी बार कह चुकी थी कि विमल बस उसका ही रहेगा – क्या मेरा दिल इस बात को मान रहा है – नही – क्यूँ मैं अपने वादे को पूरा करने में खुद को असमर्थ पा रही हूँ – कामया ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है – ये बलिदान तो मुझे देना ही पड़ेगा वरना वो टूट जाएगी – तो क्या जो मैने सोचा है – वो सही रहेगा – अगर विमल का अंश मैने अपने उदर में रख लिया तो ऋतु और रवि क्या सोचेंगे – इस उम्र में फिर से माँ बनना कोई मज़ाक नही है – रमण क्या सोचेगा – उफ्फ – हे भगवान क्या करूँ ? मुझे रास्ता दिखा .
रात भर सुनीता सोचती रहती है कोई रास्त नही दिखाई देता उसे और वो सब कुछ किस्मत के हवाले छोड़ देती है.
अगले दिन सुबह जब कामया जागती है तो देखती है कि सुनीता ना जाने कब से जाग रही है और पता नही किन सोचो में गुम है.
‘सुनीता अरे कब जागी तू – लगता है रात भर सोई नही – क्या बात है?’
‘कुछ नही दी- बस सोच रही थी कि पिछले दिनो में जो हुआ क्या वो ठीक था – आगे क्या होगा?’
‘देख जो होना होता है वो हो कर रहता है – इसमे भी उपरवाले की कुछ मर्ज़ी रही होगी – ज़्यादा दिमाग़ मत खराब कर सब उसपे छोड़ दे’
‘दी ये कहना आसान है – अगर रमेश और रमण को पता चल गया तो?’
‘तो कुछ नही – तू मुझ पे छोड़ सब – अगर ये नोबत आ भी गई तो देख लेंगे – चल जल्दी फ्रेश हो और देखें वो दोनो सोए भी हैं या रात भर बॉटल चलती रही और बच्चों को भी देख कर आते हैं’
दोनो फ्रेश होने बाथरूम में घुस जाती हैं.
बाथरूम से आने के बाद सबसे पहले वो हाल में गयी जहाँ जोड़ो के मियाँ लुड़के पड़े थे – दोनो ने एक दूसरे को देखा – अब कोई एक तो अपने मियाँ को था कि बिस्तर तक नही ले जा सकती थी और शायद दोनो मिलके भी ये काम नही कर पाती – नतीजा बेटों का मुँह देखना – तो दोनो विमल के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
अभी विमल के कमरे में घुसी ही नही थी कि रवि की आवाज़ सुनाई दी जब वो विमल को मुंबई के सेटप के बारे में बात कर रहा था – दोनो के पैर वहीं जम गये बस अंदर की बात सुनते रहे और सुनीता की आँखों से आँसू बहने लगे – वो रवि और ऋतु से बहुत प्यार करती थी – दोनो का दूर जाना उसके लिए सहन करने लायक नही था.
सुनीता कुछ देर सुनती रही फिर उसने दरवाजा नॉक किया और बाहर से ही बोल पड़ी – ‘रवि, विमल नीचे आ जाओ चाइ रेडी है’
‘ओके मोम’ रवि अंदर से ही बोला
और सुनीता राम्या के रूम की तरफ बढ़ गई.
कमरा खुला था सुनीता जब कमरे में घुसी तो देखा कि तीनो बहने गुत्थम गुत्था हुई घोड़े बेच कर सो रही थी. सुनीता ने उन्हें उठाना ठीक नही समझा और दरवाजा बंद कर नीचे आ गई.
सुनीता के चेहरे पे परेशानी सॉफ झलक रही थी. कामया ने नोट कर लिया कि वो कुछ परेशान है और वो पूछ ही बैठी.
‘क्या बात है छोटी ये तेरा मुँह क्यूँ अचानक उतर गया’
‘कुछ नही दी कोई बात नही है’
कामया ने उस समय ज़्यादा ज़ोर नही दिया.
रवि और विमल जब नीचे आए तो कामया ने दोनो से कहा ‘बेटा अपने डॅड और अंकल को बिस्तर पे पटक आओ’ कामया की आवाज़ में थोड़ा गुस्सा था और दोनो लड़के समझ गये कि आज तो खैर नही उनके बाप लोगो की’
विमल और रवि ने मिलकर रमेश और रमण को कामया के रूम में भी बिस्तर पे लिटा दिया और कामया ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया.
फिर चारों ने चाइ पी और उसके बाद दोनो बहने नाश्ते की तैयारी में लग गई और विमल रवि को ले कर बाहर घूमने चला गया.
दोपहर तक रिया अपने हॉस्टिल चली गई और शाम को विमल , रवि और ऋतु को अपने साथ मुंबई ले गया और अगले दिन रवि और ऋतु का अड्मिशन मुंबई में हो गया.
रवि और ऋतु दोनो ही विमल के साथ एक फ्लॅट ले कर रहने लगे.
इधर रमेश ने एडी छोटी का ज़ोर लगा कर राम्या के लिए एक अच्छा गारमेंट बिज़्नेस चलाने वाला लड़का ढूंड लिया और रिया के लिए उसका ही एक सीनियर डॉक्टर पसंद कर लिया.
एक महीने के अंदर दोनो लड़कियों की शादी करदी और खुद से वादा कर लिया कि जिस्म की प्यास चाहे कितनी भी क्यूँ ना बढ़ जाए वो अपनी लड़कियों से दूर ही रहेगा.
सुनीता भी अपने बच्चों के साथ मुंबई चली गई और उसने रमण को तलाक़ दे दिया.
इस जिस्म की प्यास के खेल में हारा तो सिर्फ़ रमण ही जो अकेला पड़ गया और और कुछ नही सूझा और वो वापस दुबई चला गया.
कामया और रमेश सुनीता और उसके बच्चों को सपोर्ट करते रहे जब तक रवि अच्छा कमाने ना लग गया. रवि जब अपने पैरों पे खड़ा हुआ तो वो ऋतु को साथ ले कर यूके चला गया जहाँ उसने ऋतु के साथ शादी कर ली और दोनो अपनी नई दुनिया में खो गये.
सुनीता विमल के साथ रही और जब विमल का एमबीए ख़तम हुआ तो वो उसके साथ वापस देल्ही आ गई रमेश और कामया के पास . सुनीता और विमल का जिस्मानी रिश्ता कायम रहा पर कामया ने विमल से दूरी बना ली.
कामया और सुनीता दोनो ही चाहते थे कि विमल शादी कर ले पर विमल बिल्कुल भी तयार नही था वो अपने और सुनीता के बीच में किसी और को नही लाना चाहता था.
रमेश ने भी सुनीता का ख्ववाब देखना छोड़ दिया था वो बस कभी कभी रानी के साथ ज़रूर एक आध रात बिता लेता था लेकिन कामया ने अपना सारा ध्यांन अपनी लड़कियों के वैवाहिक जीवन को खुशियों से भरने में लगा दिया.
पता नही विमल कभी शादी करेगा या नही ………………………………….यूँ अंजाब तक पहुँचा जिम की प्यास के ये खेल.
समाप्त
दा एंड
शायद जलन और डर के मारे कि कहीं विमल को मैं उस से छीन ना लूँ- जबकि मैं उसे कितनी बार कह चुकी थी कि विमल बस उसका ही रहेगा – क्या मेरा दिल इस बात को मान रहा है – नही – क्यूँ मैं अपने वादे को पूरा करने में खुद को असमर्थ पा रही हूँ – कामया ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है – ये बलिदान तो मुझे देना ही पड़ेगा वरना वो टूट जाएगी – तो क्या जो मैने सोचा है – वो सही रहेगा – अगर विमल का अंश मैने अपने उदर में रख लिया तो ऋतु और रवि क्या सोचेंगे – इस उम्र में फिर से माँ बनना कोई मज़ाक नही है – रमण क्या सोचेगा – उफ्फ – हे भगवान क्या करूँ ? मुझे रास्ता दिखा .
रात भर सुनीता सोचती रहती है कोई रास्त नही दिखाई देता उसे और वो सब कुछ किस्मत के हवाले छोड़ देती है.
अगले दिन सुबह जब कामया जागती है तो देखती है कि सुनीता ना जाने कब से जाग रही है और पता नही किन सोचो में गुम है.
‘सुनीता अरे कब जागी तू – लगता है रात भर सोई नही – क्या बात है?’
‘कुछ नही दी- बस सोच रही थी कि पिछले दिनो में जो हुआ क्या वो ठीक था – आगे क्या होगा?’
‘देख जो होना होता है वो हो कर रहता है – इसमे भी उपरवाले की कुछ मर्ज़ी रही होगी – ज़्यादा दिमाग़ मत खराब कर सब उसपे छोड़ दे’
‘दी ये कहना आसान है – अगर रमेश और रमण को पता चल गया तो?’
‘तो कुछ नही – तू मुझ पे छोड़ सब – अगर ये नोबत आ भी गई तो देख लेंगे – चल जल्दी फ्रेश हो और देखें वो दोनो सोए भी हैं या रात भर बॉटल चलती रही और बच्चों को भी देख कर आते हैं’
दोनो फ्रेश होने बाथरूम में घुस जाती हैं.
बाथरूम से आने के बाद सबसे पहले वो हाल में गयी जहाँ जोड़ो के मियाँ लुड़के पड़े थे – दोनो ने एक दूसरे को देखा – अब कोई एक तो अपने मियाँ को था कि बिस्तर तक नही ले जा सकती थी और शायद दोनो मिलके भी ये काम नही कर पाती – नतीजा बेटों का मुँह देखना – तो दोनो विमल के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
अभी विमल के कमरे में घुसी ही नही थी कि रवि की आवाज़ सुनाई दी जब वो विमल को मुंबई के सेटप के बारे में बात कर रहा था – दोनो के पैर वहीं जम गये बस अंदर की बात सुनते रहे और सुनीता की आँखों से आँसू बहने लगे – वो रवि और ऋतु से बहुत प्यार करती थी – दोनो का दूर जाना उसके लिए सहन करने लायक नही था.
सुनीता कुछ देर सुनती रही फिर उसने दरवाजा नॉक किया और बाहर से ही बोल पड़ी – ‘रवि, विमल नीचे आ जाओ चाइ रेडी है’
‘ओके मोम’ रवि अंदर से ही बोला
और सुनीता राम्या के रूम की तरफ बढ़ गई.
कमरा खुला था सुनीता जब कमरे में घुसी तो देखा कि तीनो बहने गुत्थम गुत्था हुई घोड़े बेच कर सो रही थी. सुनीता ने उन्हें उठाना ठीक नही समझा और दरवाजा बंद कर नीचे आ गई.
सुनीता के चेहरे पे परेशानी सॉफ झलक रही थी. कामया ने नोट कर लिया कि वो कुछ परेशान है और वो पूछ ही बैठी.
‘क्या बात है छोटी ये तेरा मुँह क्यूँ अचानक उतर गया’
‘कुछ नही दी कोई बात नही है’
कामया ने उस समय ज़्यादा ज़ोर नही दिया.
रवि और विमल जब नीचे आए तो कामया ने दोनो से कहा ‘बेटा अपने डॅड और अंकल को बिस्तर पे पटक आओ’ कामया की आवाज़ में थोड़ा गुस्सा था और दोनो लड़के समझ गये कि आज तो खैर नही उनके बाप लोगो की’
विमल और रवि ने मिलकर रमेश और रमण को कामया के रूम में भी बिस्तर पे लिटा दिया और कामया ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया.
फिर चारों ने चाइ पी और उसके बाद दोनो बहने नाश्ते की तैयारी में लग गई और विमल रवि को ले कर बाहर घूमने चला गया.
दोपहर तक रिया अपने हॉस्टिल चली गई और शाम को विमल , रवि और ऋतु को अपने साथ मुंबई ले गया और अगले दिन रवि और ऋतु का अड्मिशन मुंबई में हो गया.
रवि और ऋतु दोनो ही विमल के साथ एक फ्लॅट ले कर रहने लगे.
इधर रमेश ने एडी छोटी का ज़ोर लगा कर राम्या के लिए एक अच्छा गारमेंट बिज़्नेस चलाने वाला लड़का ढूंड लिया और रिया के लिए उसका ही एक सीनियर डॉक्टर पसंद कर लिया.
एक महीने के अंदर दोनो लड़कियों की शादी करदी और खुद से वादा कर लिया कि जिस्म की प्यास चाहे कितनी भी क्यूँ ना बढ़ जाए वो अपनी लड़कियों से दूर ही रहेगा.
सुनीता भी अपने बच्चों के साथ मुंबई चली गई और उसने रमण को तलाक़ दे दिया.
इस जिस्म की प्यास के खेल में हारा तो सिर्फ़ रमण ही जो अकेला पड़ गया और और कुछ नही सूझा और वो वापस दुबई चला गया.
कामया और रमेश सुनीता और उसके बच्चों को सपोर्ट करते रहे जब तक रवि अच्छा कमाने ना लग गया. रवि जब अपने पैरों पे खड़ा हुआ तो वो ऋतु को साथ ले कर यूके चला गया जहाँ उसने ऋतु के साथ शादी कर ली और दोनो अपनी नई दुनिया में खो गये.
सुनीता विमल के साथ रही और जब विमल का एमबीए ख़तम हुआ तो वो उसके साथ वापस देल्ही आ गई रमेश और कामया के पास . सुनीता और विमल का जिस्मानी रिश्ता कायम रहा पर कामया ने विमल से दूरी बना ली.
कामया और सुनीता दोनो ही चाहते थे कि विमल शादी कर ले पर विमल बिल्कुल भी तयार नही था वो अपने और सुनीता के बीच में किसी और को नही लाना चाहता था.
रमेश ने भी सुनीता का ख्ववाब देखना छोड़ दिया था वो बस कभी कभी रानी के साथ ज़रूर एक आध रात बिता लेता था लेकिन कामया ने अपना सारा ध्यांन अपनी लड़कियों के वैवाहिक जीवन को खुशियों से भरने में लगा दिया.
पता नही विमल कभी शादी करेगा या नही ………………………………….यूँ अंजाब तक पहुँचा जिम की प्यास के ये खेल.
समाप्त
दा एंड
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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