Romance काला इश्क़

Post Reply
User avatar
naik
Gold Member
Posts: 5023
Joined: 05 Dec 2017 04:33

Re: Romance काला इश्क़

Post by naik »

(^^^-1$i7) (#%j&((7) 😘
fantastic update brother keep posting
waiting your next update 😪
josef
Platinum Member
Posts: 5372
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Romance काला इश्क़

Post by josef »

update 80

सुबह की शुरुआत बड़ी मीठी हुई, पहले तो अनु ने मेरी गर्दन को प्यार से काटा और उसके कुछ देर बाद नेहा ने मेरे गाल पर Kissi की! मैं कुनमुनाता हुआ उठा और नेहा को अपने सामने देख कर बैठ गया| अनु ने नेहा को मेरी गोद में दिया और खुद नीचे चली गई| मैं नेहा को गोद में ले कर खेल रहा था की नीचे हल्ला मच गया| मैं फ़ौरन नीचे आया तो देखा सारे ख़ुशी से एक दूसरे को बधाइयाँ दे रहे हैं| "बेटा तो चाचा बनने वाला है!" ये सुनते ही मैं चौंक गया और फिर भाभी की तरफ देखा जो शरमाई हुई ताई जी के पीछे छुपी हुई थीं| इस उम्र में भाभी का conceive करना एक चमत्कार था, मेरा मन ये सोच कर खुश हुआ की चलो भाभी अभी तक जिन खुशियों से महरूम थीं वो उन्हें मिल ही गईं| मैंने भाभी को दिल से मुबारकबाद दी और फिर चन्दर भैया को भी गले लग कर मुबारकबाद दी| आज पूरा घर खुशियों से झूम रहा था और कहीं इसकी नजर किसी को न लग जाए इसलिए ताऊ जी ने जोश-जोश में पूजा का आयोजन रख दिया| अनु ने फ़ौरन हलवा बनाना शुरू कर दिया और भाभी भी उसी के साथ खड़ी हो गईं| रसोई में चूँकि बस वो दोनों ही थे तो मुझे भाभी से बात करने का मौका मिल गया| जैसे ही मैं रसोई पहुँचा भाभी ने मुझे गले लगा लिया और रुंधे गले से बोलीं; "मानु ये सब तुम्हारी वजह से हुआ, वरना मैं तो गलत रास्ते पर भटक जाती! तुम अगर मुझे इन्हें (चन्दर भैया को) पहले नशा मुक्ति केंद्र ले जाने को कहा और वहीँ मैंने डॉक्टर से इनका बाकी चेक-अप भी करवाया| अगर उस दिन तुम मुझे हिम्मत ना देते और गलत रास्ते पर नहीं जाने देते तो आज ये सब नहीं होता!"

"भाभी इस ख़ुशी के मौके पर रोते नहीं हैं! पहले चलो डॉक्टर के ताकि आपका चेकअप हो जाए!| मैंने कहा| "भाभी ये तो गलत बात है! मुझे तो गले लग कर इतना प्यार नहीं करती जितना इन्हें करती हो!" अनु ने प्यार भरे लहजे में शिकायत की|

"बदमाश! सबसे पहले तू ही गले लगी थी मेरे!" ये कहते हुए भाभी ने उसे गले लगा लिया| सबने हलवा खाया और मैंने डॉक्टर के जाने की बात राखी तो ताऊ जी ने कहा की मैं, अनु, चन्दर भैया और भाभी को अपने साथ बजार ले जाऊँ| पर तभी अनु के मौसा जी आ गए, मैंने उनके पाँव छुए और समझ गया की वो अनु को लेने आये हैं| अनु ऊपर चली गई और उसके पीछे-पीछे मैं भी चला गया| इधर नीचे सब ने उन्हें खुशखबरी दी और मुँह मीठा करवाया, उधर ऊपर आते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और अनु को पीछे से जकड़ लिया| मेरे हाथ अनु की कमर पर सामने की तरफ लॉक हो चुके थे; "दो दिन से ज्यादा नहीं वेट करूँगा!" मैंने कहा|

"I'll try!!!" अनु शर्माते हुए बोली| इतने में भाभी ने नीचे से मुझे आवाज दी| मैं थोड़ा गुस्से में नीचे उतरा और भाभी मेरे चेहरे पर गुस्सा देख हँस पड़ी| 5 मिनट बाद अनु भी नीचे आई, उसका एक छोटा सा बैग मैं पहले ही नीचे ले कर आ गया था| सारा परिवार अनु को छोड़ने बाहर आया, अनु ने भी सब के पाँव छुए और फिर गाडी में बैठ गई| मैंने तुरंत उसे मैसेज कर के एक बार फिर याद दिलाया; "बस दो दिन!" और इसके जवाब में अनु ने मुझे एक Kiss वाली emoji भेजी! अनु के जाने के कुछ देर बाद मैं तैयार हुआ और फिर भाभी, मैं और चन्दर भैया गाडी से निकले| ये आज दोनों की पहली राइड थी, हम हँसते-खेलते हुए बजार पहुंचे और डॉक्टर ने भाभी का चेकअप किया और कुछ टेस्ट वगैरह भी किये| भाभी की प्रेगनेंसी की बात कन्फर्म हुई और डॉक्टर ने कुछ मल्टीविटामिन्स लिख दिए, मैंने घर के लिए मिठाई खरीदी और हम तीनों घर लौटे| ताऊ जी ने छाती ठोक कर पूरे गाँव में मिठाई बाटी| इधर अनु के जाने से मैं अकेला हो गया था तो मैंने अपना मन नेहा के साथ लगा लिया| मैं उसे गोद में ले कर अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था| कुछ देर बाद मैंने अनु को skype पर कॉल किया और मेरी गोद में नेहा को बैठे देख वो खुश हो गई| मैंने फिर से अपनी बात दोहराई और उसे दो दिन याद दिलाये और वो हँसने लगी| "बाबा अभी तो आई हूँ..... और आप अभी से बेकरार हो रहे हो?!" आगे कुछ बात हो पाती उससे पहले ही मम्मी जी आ गईं और फिर उनसे बात शुरू हो गई| खेर कॉल के बाद मैं काम करने लगा, दिन तो जैसे-तैसे बीत गया पर रात लम्बी थी! पर मेरी बेटी का प्यार था जो मैं आराम से सो गया| बड़ी मुश्किल से मैंने दो दिन बिताये और फिर आया तीसरा दिन| मैंने सुबह ही अनु को फ़ोन कर के पुछा तो वो बोली की वो आज नहीं आ रही, क्योंकि कल ही पूजा खत्म हुई है और कम से कम आज उसे घर रहना है| दरअसल डैडी जी ने एक मन्नत मांगी थी की अनु की शादी अच्छे से निपट जाए तो वो मंदिर दर्शन के लिए जायेंगे| पर यहाँ मैं बेसब्र हो गया था; "मैंने कहा था ना की मैं तीसरे दिन आजाऊँगा! सामान पैक करो, मैं, माँ, ताई जी और भाभी आ रहे हैं!" इतना कह कर मैंने फ़ोन काटा और मैं नीचे आ गया| जब मैंने माँ से आज जाने की बात कही तो सबसे मुझे डाँट सुनने को मिली! एक बस भाभी थी जो मेरे दिल की हालत समझती थी पर घरवालों के आगे वो कुछ बोल नहीं पाती थी| हालाँकि घर वालों की डाँट जायज थी पर मेरा अनु के लिए बेसब्र होना भी मुझे जायज लग रहा था|


पर नेहा से अपने पापा की उदासी नहीं देखि गई, उसने अपने हाथ-पैर चलाने शुरू किये जैसे मुझे अपने पास बुला रही हो, मैंने नेहा को गोद में उठाया और छत पर आ गया| "मेरा छोटा बच्चा! एक आप हो जो पापा की उदासी समझते हो!" मैंने तुतलाते हुए नेहा से कहा तो वो मुस्कुराने लगी| कुछ देर बाद भाभी आ गईं वो जानती थी की मैं उदास हूँ तो मेरा दिल बहलाने के लिए वो बात करने लगीं; "मानु देखो कुछ दिन रुक जाओ, उसे भी तो अपने माँ-पिताजी से मिलने दो!"

"मैं जानता हूँ की आप आप सही कह रहे हो भाभी, पर कम से कम आप तो मेरी बेसब्री समझो! साल भर से उसके साथ रहने की आदत हो गई है| उस पर पिछले 3 महीने भी मैं उससे अलग रहा, अब शादी हुई तो भी उसे घर जाना पड़ा! अब कैसे ..... नई-नई शादी हुई....दूल्हे का थोड़ा तो ध्यान रखना चाहिए ना? फिर एक बड़ी जोरदार खुशखबरी भी उसे देनी है!!" ये कहते हुए मैंने भाभी को वो खुशखबरी सुनाई और वो फ़ौरन नीचे आईं और सब को वो बात बताई| भाभी ने बड़े तरीके से मेरी खुशखबरी को मेरी बेसब्री के ऊपर रख ऐसे जताया जैसे ये खबर सुनाने को मैं मरा जा रहा हूँ| आखिर नीचे से बुलावा आया और पिताजी बोले; "देख मैं या भाईसाहब तो जाने वाले नहीं, क्योंकि हमें अच्छा नहीं लगता की हम इतनी जल्दी बहु को लेने जाएँ!" अभी पिताजी की बात पूरी भी नहीं हुई की मैं बीच में ही बोल पड़ा; "पिताजी मैं माँ, भाभी और ताई जी को ले जाता हूँ! इसी बहाने वो सब भी घूम आएंगे!"

"कुछ ज्यादा ही समझदार हो गया तू? पर जाते हुए मिठाई ले जाइओ और अपनी भाभी की खुशखबरी भी दे दिओ!" पिताजी बोले और जाने की इजाजत दी| अब मुझे माँ और ताई जी को मनाना था जो इतना मुश्किल नहीं था! आखिर हम सारे निकले, भाभी आगे बैठीं और उनकी गोद में नेहा बैठी थी| आज पहलीबार मेरी बेटी गाडी में बैठी थी और इसकी ख़ुशी अनु से मिलने की ख़ुशी के साथ जुड़ गई!

मैंने गाडी एक दूकान पर मिठाई लेने के लिए रोकी और उसी बीच अनु को फ़ोन किया; "अपनी दुल्हनिया को लेने उसके दूल्हे राजा आ रहे हैं और साथ ही आपकी चहेती (नेहा) को भी ला रहे हैं!" ये सुन कर अनु हँस पड़ी और उसने ये बात फ़ौरन मम्मी जी को बता दी| मिठाई की दूकान के बाद गाडी सीधा अनु के दरवाजे पर रुकी, जहाँ अनु पहले से ही खड़ी थी| उसे देखते ही भाभी बोलीं; "आग दोनों तरफ लगी है!" पहले भाभी गाडी से उतरीं और उनके गोद में नेहा को देख अनु फ़ौरन उनके पास पहुँची| पहले उनसे गले मिली और फिर नेहा को गोद में उठा लिया| फिर निकली माँ और ताई जी और उन्हें देख वो एकदम हैरान हो गई और दौड़ कर उनके पाँव छुए पर मुझे एक Hi तक नहीं बोला बल्कि नेहा और सब को ले कर अंदर चली गई| मैं बेचारा लास्ट में अंदर आया, सब के सब बैठक में बैठ गए और तब मैंने मम्मी-डैडी जी का मुँह मीठा करवाया| डैडी जी को (अनु के) मौसा जी ने पहले ही सब बता दिया था, मम्मी-डैडी ने भाभी को आशीर्वाद दिया और उन्होंने मंदिर में भाभी के लिए अर्चना कराई थी उसका प्रसाद भी दिया|

"समधी जी माफ़ करना हमने इस तरह बिना बताये आने की गलती की पर ये जो है ना हमारा लड़का वो थोड़ा सा पागल है!" माँ ने जैसे-तैसे बात शुरू करते हुए कहा|

"अरे समधन जी ये आप क्या कह रहीं हैं?! आप सब का हमेशा स्वागत है! वैसे हम अच्छे से जानते हैं हमारे जमाई को, पागल नहीं अनु से बहुत प्यार करता है!" डैडी जी बोले पर मुझे थोड़ा बहाना तो करना था;

"वो डैडी जी....काम....काम बहुत पेंडिंग है!" मैंने बहाना मारा|

"हाँ बीटा जी! हम जानते हैं कितना काम पेंडिंग है?" मम्मी जी हँसते हुए बोलीं| अब मेरी पोल-पट्टी तो खुल ही चुकी थी तो मैंने सोचा की चलो सब के साथ ख़ुशी साजा कर लूँ|

"दरअसल डैडी जी मैं और अनु जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे उसी के जरिये मैंने New York में बात की थी और हमें एक और कंपनी में मिलने के लिए बुलाया गया है| पर उसके पहले हमें अपनी कुछ Highlights Pitch करनी हैं! अगर हमारा प्रपोजल उन्हें पसंद आ गया तो हमें जल्दी ही New York जाना होगा|" मैंने कहा और ये खबर सुन कर मम्मी-डैडी बहुत खुश हुए पर ठीक उसी समय पर भाभी ने अपना काम किया;

"इसी बहाने इन दोनों का वो....वो क्या होता? शादी के बाद मियाँ-बीवी कहाँ जाते हैं?" भाभी बोलीं और मैं अपने उत्साह में बोल गया;

"Honeymoon!!!" ये सुन कर सारे हँसने लगे, इधर मैं और अनु शर्म से लाल हो गए! फिर भाभी ने वहाँ सब के सामने मेरी और अनु की बड़ी खिचाई की, आखिर खाना-पीना कर के हम सब निकले| आगे की तरफ अनु बैठी और उसकी गोद में नेहा थी और पीछे माँ, ताई जी और भाभी बैठे थे| कुछ दूर आने पर मैंने अनु से शिकायत करते हुए अंग्रेजी में कहा; "You greeted everyone but didn’t even said ‘Hi’ to me, this ain’t fair!”

“Sorry!” अनु ने शर्माते हुए कहा|

"ये क्या दोनों अंग्रेजी में गिट-पिट कर रहे हो?" भाभी बोलीं तो मैंने अनु की शिकायत सबसे कर दी!

"मैं कह रहा था की जब हम आये तो इन्होने सब का प्यार से स्वागत किया और मुझे एक छोटा सा Hi तक नहीं कहा!" ये सुनते ही ताई जी अनु की हिमायत करते हुए बोलीं;

"तेरे लिए बेचारी दरवाजे पर खाड़ी इंतजार कर रही थी ना?" और बाकी की रही-सही कसर माँ ने निकाल दी; "हमारी बहु शर्मीली है, तेरी तरह बेशर्म नहीं! दो दिन भी उसके बिना नहीं रह पाया!" मैं अपना इतना सा मुँह ले कर चुप हो गया और उधर भाभी और अनु का हँस-हँस कर बुरा हाल हो गया|


खेर हम घर पहुँचे और अनु को देख कर सब खुश हुए लेकिन मुझे एक बार फिर सब की डाँट खानी पड़ी! पर कम से कम अनु घर वापस आ गई थी और मैं इसी से खुश था| रात को खाने के बाद अनु का प्यार मुझ पर बरसने लगा, पर तभी नीचे से नेहा के रोने की आवाज आई| मैं फ़ौरन नीचे पहुँचा; "तेरे बिना ये सोने वाली नहीं, इसे सुला कर मेरे पास वापस दे दे!" भाभी बोलीं| मैं उनका मतलब समझ गया था, वो चाहती थीं की अनु और मुझे अकेला टाइम मिले पर वो क्या जाने की हम दोनों नेहा से कितना प्यार करते हैं| मैंने बस ना में सर हिलाया, और नेहा को पुचकारते हुए ऊपर ले आया| नेहा को रोता देख अनु ने उसे गोद में लेने को हाथ खोले पर नेहा उसकी गोद में नहीं गई| "अच्छा बेटा! मेरे पास नहीं आओगे, ठीक है मैं आपसे बात नहीं करुँगी!" ये कहते हुए अनु रूठ गई| "Hawwwww!!! देखो मम्मा गुच्छा हो गए!" मैंने तुतलाते हुए नेहा से कहा और वो एकदम से चुप हो गई| फिर मैं उसे अनु के पास ले गया और नेहा ने अपने हाथ एकदम से खोल दिए| अनु एकदम से पिघल गई और उसने नेहा को गोद में ले लिया और उसे प्यार करने लगी| अनु ने नेहा को बीच में लिटाया और हम दोनों उसके दोनों तरफ लेट गए| अनु ने अपना दायाँ हाथ मेरी कमर पर रखा और मैं अपने बाएँ हाथ से अनु के गाल को सहलाने लगा| "आपको पता है मैंने आपको कितना miss किया!" मैंने कहा|

"Miss तो मैंने किया आपको! आपके पास तो कम से कम नेहा थी मेरा तो वहाँ हाल ही बुरा था!" अनु बोली| फिर वो एक दम से उठी और मेरे होठों पर Kiss दे कर लेट गई| नेहा अब भी जाग रही थी तो उसे सुलाने को मैंने एक कहानी सुनाई| कहानी सुनते-सुनते माँ-बेटी सो गए और कुछ देर बाद मैं भी सो गया| अगले 3 दिन हम दोनों ने ऑफिस का काम किया, बेचारी अनु को घर का काम भी देखना पड़ता और मेरे साथ बैठ कर काम भी करना पड़ता| मैं अपनी तरफ से कोशिश कर रहा था की मैं अनु को ज्यादा तंग ना करूँ पर बिना उसके इनपुट के काम होना मुश्किल था| माँ ने भी कई बार अनु को कहा की वो काम करे और घर का काम भाभी कर लेंगी पर अनु नहीं मानी| खेर Pitch रेडी हुई और मैंने वो भेज दी और अब हम दोनों बेसब्री से जवाब आने का इंतजार करने लगे|
josef
Platinum Member
Posts: 5372
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Romance काला इश्क़

Post by josef »

update 81

दो दिन बीते, मैं अब भी पुराने वाले प्रोजेक्ट में लगा था| आकाश और पंडित जी को मैंने पुराने काम दे रखे थे जैसे की GST Return भरना, बिल,वाउचर चढ़ाना, ITR फाइल करना| जब बॉस सर पर ना हो तो employee ढीले हो ही जाते हैं! अनु को तो वो अब जैसे कुछ समझते ही नहीं थे, वो तो मैं उनकी लगाम किसी तरह खींच कर रखता था| डेली उनको फ़ोन कर के जान खाता था की कितनी प्रोग्रेस हुई है तब जा कर वो सीरियसली काम कर रहे थे| पिताजी और ताऊ जी जब मुझे फ़ोन पर उन पर हुक्म चलाते हुए देखते या मुझे उनकी क्लास लेते हुए देखते तो उन्हें बड़ा फ़क्र होता! खेर दूसरे दिन की बात है, सुबह मैं अपने काम में लगा था| पिताजी और चन्दर भैया कुछ काम से शहर गए थे और ताऊ जी को एक काम था पर वो कहने में झिझक रहे थे| मैं उठ कर उनके पास बैठ गया और उनसे पूछने लगा तो उन्होंने झिझकते हुए कहा; "बेटा वो.... मिश्र से पैसे लाने थे.....तो ...." बस ताऊ जी इतना ही बोल पाए की मैं एकदम से उठ खड़ा हुआ; "तो चलिए चलते हैं!"

"पर बेटा....तेरा काम...." ताऊ जी बोले|

"ताऊ जी वो मैं वापस आ कर कर लूँगा!" मैंने कहा तो ताऊ जी मुस्कुराते हुए खड़े हुए और मुझे आशीर्वाद दिया| फिर हम दोनों गाडी से निकल पड़े, मैंने गाडी बड़े ध्यान से चलाई और रास्ते में ताऊ जी ने मुझे हमारे खेती-बाड़ी के काम के बारे में काफी कुछ बताया| पर उन्हें जान कर हैरानी हुई जब मैंने उन्हें कुछ ऐसी दुकानों के बारे में बताया जहाँ बीज सबसे बढ़िया क्वालिटी के मिलते थे, और तो और कुछ ऐसे व्यपारियों के बारे में भी बताया जहाँ उन्हें रेट सबसे अच्छा मिलता है| ये सब मैंने कुछ साल पहले जब मैं संकेत के साथ भाई-दूज वाले दिन निकला था तब देखा और सीखा था| इधर मैं और ताऊ जी बातें करते हुए जा रहे थे और उधर घर पर काण्ड हो गया|

अनु उस वक़्त रसोई में नाहा-धो कर खाना बनाने में लगी थी, ताई जी और मान पड़ोस में किसी के यहाँ गईं थी और भाभी नहा रही थी| नेहा को नहलाने का समय हो गया था तो अनु ने पानी गर्म कर दिया था| भाभी ने नहाने जाते हुए रितिका को आवाज मार के कह दिया था की रसोई से गर्म पानी ले कर नेहा को नहला दे| अब अगर मैं घर पर होता तो मैं ही नेहा को नहला देता पर मेरी गैरहाजरी का फायदा उठा कर रितिका ने नेहा को ठंडे पानी से नहला दिया| मेरे घर लौटने तक नेहा की तबियत खराब हो चुकी थी, जैसे ही मैं घर में घुसा मुझे नेहा के रोने की आवाज आई और मैं भागता हुआ अंदर आया तो देखा अनु नेहा को गोद में ले कर चुप कराने की कोशिश कर रही है| मुझे देखते ही अनु ने फ़ौरन नेहा को मेरी गोद में दे दिया, अभी वो कुछ बोल पाती उससे पहले ही मुझे नेहा के बुखार का एहसास हो गया| "नेहा को तो बुखार है?" मैंने गुस्से में कहा और ठीक उसी वक़्त रितिका ऊपर से अंगड़ाई लेते हुए नीचे उतरी| "यहाँ रितिका को बुखार चढ़ हुआ है और तू ऊपर सो रही है?" मैंने रितिका पर चीखते हुए कहा| पर वो जहरीली नागिन पलट कर बोली; "मुझ पर क्यों चीख रहे हो? अपनी बीवी से कहो या अपनी भाभी से कहो!" इतना कह कर वो पलट कर ऊपर चली गई| मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया पर अभी मेरे लिए नेहा की तबियत ज्यादा जर्रूरी थी| ताऊ जी भी गुस्से से तमतमा गए थे और बर्न वाले थे; "ताऊ जी अभी आप इसे कुछ मत कहना, पहले मुझे वापस आने दो!" इतना कह कर मैं और अनु दोनों डॉक्टर के निकल गए| मैंने चाभी अनु को दी और उसे ड्राइव करने को कहा| मैं नेहा को अपनी छाती से चिपकाए रखा और उसे अपने जिस्म की गर्मी देता रहा| नेहा की सांसें तेज चलने लगी थीं और मेरी जान निकलने लगी थी| "मेरा बच्चा! बस ...बस पापा है ना यहाँ! मेरा brave बच्चा.... बस थोड़ी देर में हम डॉक्टर के पहुँच जाएँगे फिर आप ठीक हो जाओगे! ओके?" मैं नेहा को हिम्मत बंधा रहा था| नेहा के नन्हे से हाथ ने मेरी ऊँगली कस कर पकड़ ली थी और मेरे मन में बैठा डर बाहर आ गया था, आँसुओं की धारा बहते हुए मेरे हाथ पर गिरी जिसे देख अनु भी घबरा गई| उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे हिम्मत बढ़ाने लगी, मैंने भी गाडी में बैठे-बैठे भगवान को याद करना शुरू कर दिया| आखिर हम डॉक्टर के पहुँचे और मैं दौड़ता हुआ अंदर पहुँचा और डॉक्टर को नेहा को चेक करने को कहा| डॉक्टर ने नेहा का अच्छे से चेक-अप किया और मुझसे कहा; "अच्छा हुआ की आप इसे ठीक समय पर ले आये, देर करते तो ह्य्पोथेरमिआ का खरा बन जाता| वैसे हुआ क्या था?" अब मुझे तो कुछ पता नहीं था तो अनु बोली; "वो किसी ने नेहा को ठन्डे पानी से नहला दिया था!" अनु का ये बोलना था की मेरा खून खोल गया, क्योंकि मैं जानता था की ये काम किस का है| डॉक्टर ने हम दोनों को ही झाड़ा की इतनी छोटी बच्ची को ठंडे पानी से कौन नहलाता है और हम दोनों कितने गैर-जिम्मेदार माँ-बाप हैं! हम दोनों चुप-चाप सब सुनते रहे, बस मेरे मन को ये तसल्ली थी की मेरी बेटी को कुछ नहीं होगा| दवाई ले कर हम घर वापस आ गए और पूरे रास्ते ना तो में कुछ बोलै और न ही अनु कुछ बोली| नेहा मेरी गोद में ही सो चुकी थी, जैसे मैं घर में दाखिल हुआ मुझे माँ दिखीं और उन्होंने नेहा का हाल-चाल पुछा| मैंने नेहा को उनकी गोद में दिया और उन्हें कमरे में जाने को कहा| माँ के अंदर जाने तक मैं चुप रहा और तब तक घर के सारे लोग इकठ्ठा हो चुके थे, सिवाए रितिका के! मैंने दहाड़ते हुए उसे आवाज दी; "रितिका!!!!!!" मेरी दहाड़ सुनते ही वो नीचे आ गई, उसे देखते ही मैं तमतमाता हुआ उसके पास तेजी से चल कर पहुँचा और उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा मारा| रितिका जा कर सीढ़ी पर गिरी, घर का कोई भी सदस्य कुछ नहीं बोला और न ही कोई अपनी जगह से हिला! "अगर आज मेरी बच्ची को कुछ हो जाता ना, तो तुझे आज भगवान भी नहीं बचा सकता था! तेरी जान ले लेता मैं!!!!" मैंने चीखते हुए कहा| "अनु...why the fuck you didn't call me earlier! Were you waiting for the situation to go worse? You heard what the doctor said? If we were a lil more late her situation could have gone worse!” मैंने अनु को डाँट लगाई|


"तू (रितिका) अभी तक इस घर में है तो सिर्फ इसलिए की मेरी बच्ची को माँ के दूध की जर्रूरत है वरना तुझे धक्के मार के निकाल देता!.... और आप सब भी सुन लीजिये आज से कोई भी नेहा को इसके साथ अकेला नहीं छोड़ेगा! मुझे इस नागिन पर जरा भी भरोसा नहीं, अपनी सनक के चलते ये नेहा को नुक्सान पहुँचा सकती है!.... और अगर नेहा को कुछ हुआ तो पहले इसकी जान लूँगा उसके बाद अपनी जान!" इतना कहते हुए मैं माँ के कमरे में घुसा और नेहा को गोद में ले कर ऊपर अपने कमरे में आ गया| आज फिर एक बार एक बाप का प्यार सामने आया था और घर वाले चुप-चाप सर झुकाये खड़े थे| कुछ देर बाद अनु कमरे में आई, नेहा बिस्तर पर लेटी थी और मैंने उस पर एक कंबल दाल रखा था| मैं टकटकी बंधे नेहा को देख रहा था, उसका पेट तेजी से सांस लेते हुए ऊपर-नीचे हो रहा था और मैं डिहर प्रार्थना कर रहा था की मेरी बेटी चहकती हुई उठे ताकि मैं उसे प्यार कर सकूँ| अनु दरवाजे पर कान पकड़ कर खड़ी हो गई और वहीँ से दबी हुई सी आवाज में बोली; "सॉरी!" उसकी आवाज सुन मैं ने उसकी तरफ देखा| उसके चेहरे से उसका दर्द झलक रहा था, मैं उठा और उसे अपने गले से लगा लिया| "I’m really sorry!” अनु रो पड़ी क्योंकि वो भी नेहा से बहुत प्यार करती थी| "Its okay! I'm sorry!!! मुझे आपको वहाँ सब के सामने नहीं डाँटना चाहिए था!" मैंने कहा|

"आपको सॉरी बोलने की कोई जर्रूरत नहीं है, आपने कुछ नहीं किया! मेरी जगह आपने ये गलती की होती तो मैं भी आपको ऐसे ही डाँटती!" अनु बोली|

इतने में भाभी खाना ले कर आ गईं और वो भी थोड़ी घबराई सी थीं| पर अनु को गले लगाने के बाद मेरा गुस्सा शांत हो चूका था; "माफ़ करना भाभी!" मैंने कहा, अनु ने एकदम से भाभी के हाथ से खाने की थाली ले ली और मुझे उन्हें भी गले लगाने को कहा| मैंने भाभी को गले लगाया और तभी भाभी बोली; "साऱी (सॉरी) मानु भैया! (भाभी ने अंग्रेजी बोलने की कोशिश की!) वादा करती हूँ की आज के बाद मैं नेहा का ख्याल रखूँगी!" मेरे लिए इतना ही बहुत था फिर उन्होंने मुझे खाने को कहा तो मैंने मना कर दिया; "भाभी एक बार नेहा को उठ जाने दो, फिर मैं खा लूँगा!" भाभी ने थोड़ी जोर-जबरदस्ती की पर मैं अड़ा रहा| आखिर भाभी नीचे चली गईं और उनके पीछे मैंने अनु को भी भेज दिया ताकि वो सबको खिला दे| अनु ने सब को समझबूझा कर खाना खिला दिया और सबको यक़ीन दिला दिया की मेरा गुस्सा शांत हो चूका है| शाम को चार बजे नेहा उठी और उसने उठते ही मुझे देखा| मुझे देख कर उसकी किलकारियाँ कमरे में गूंजने लगी, बुखार अब कम हो चूका था और अब उसके खाने का समय था| मैं नेहा को ले कर नीचे आया तो देखा सब के सब चुप-चाप आंगन में बैठे हैं| मैंने भाभी को इशारे से अपने पास बुलाया और उन्हें नेहा को दते हुए कह दिया की वो नेहा को दूध पिला दें| रितिका मेरी झाड़ सुनने के बाद भाभी के कमरे में ही दुबकी बैठी थी और जब भाभी नेहा को ले कर आईं तो वो समझ गई की नेहा का दूध पीने का समय हो गया है| भाभी उसी के सर पर बैठी रहीं जबतक उसने नेहा को दूध नहीं पिला दिया|


इधर मैं आंगन में बैठ गया और अनु खाना परोसने लगी| "बेटा इतना गुस्सा मत किया कर! तेरा गुस्सा देख कर तो आज मैं भी डर गया था!" ताऊ जी बोले|

"देख तेरे चक्कर में बहु ने भी खाना नहीं खाया!" माँ बोली| मैंने सब के पाँव छू कर उनसे अपने बुरे बर्ताव की माफ़ी माँगी और उन्हें समझा दिया की मैं नेहा को ले कर बहुत possessive हूँ! मेरी मानसिक स्थिति को समझते हुए उस समय किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा| पर ये बात अनु को भली-भाँती समझाई जा चुकी थी की मेरा नेहा से इस कदर मोह बढ़ाना सही नहीं है! अनु भी मजबूर थी और किसी से कुछ नहीं कह सकती थी वरना वो सबको सच बता देती| मैंने और अनु ने खाना खाया और कुछ देर बाद भाभी नेहा को ले कर वापस मेरे पास आ गईं, नेहा मेरी गोद में आकर मेरे सीने से चिपक गई| रात को खाना खाने तक मैं सब के साथ नीचे बैठा रहा पर नेहा को एक पल के लिए भी खुद से दूर नहीं किया| खाना खाने के बाद मैं, नेहा और अनु ऊपर आ गए| मैं कपडे बदल रहा था और नेहा बिस्तर पर चुप-चाप लेटी थी; "बेटा! I'm sorry!!! मैंने आपकी तकलीफ नहीं समझी! आप रो रहे थे और मैं ......कुछ नहीं कर पाई! I'm a bad mother!!!" अनु ने खुद को कोसते हुए कहा|

“No you’re not a bad mother! That idiot’s a bad mother! अब खुद को blame करना बंद करो और नेहा को प्यारी सी Kissi दो!" मैंने कहा तो अनु ने नेहा के गाल को चूमा| नेहा को Kissi मिली तो वो एकदम से मुस्कुरा दी और अपने नन्हे हाथों से अनु की लट को पकड़ लिया| अनु अपनी नाक को नेहा की नाक से रगड़ने लगी| मेरी बेटी फिर से हंसने लगी और उसकी किलकारियाँ कमरे में गूंजने लगी| मैं और अनु नेहा के दोनों तरफ लेट गए और उसे सुलाने के लिए मैंने कहानी सुनाना शुरू किया| कुछ ही देर में अनु सो गई पर नेहा जाग रही थी, मैंने नेहा को गोद में लिया और बेडपोस्ट का सहारा ले कर बैठ गया| आखिर कुछ देर बाद नेहा को नींद आ गई पर मैं जागता रहा और उसके प्यारे मुखड़े को देखता रहा| रात तीन बजे नेहा ने रोना शुरू किया, उसका बुखार लौट आया था| मैंने फ़ौरन नेहा का बुखार देखा तो वो थोड़ा ज्यादा था, इधर अनु ने फटाफट डॉक्टर को फ़ोन मिलाया और उसे नेहा का टेम्परेचर बताया| डॉक्टर ने बताया की हमें क्या उपचार करना है, करीब घंटे भर बाद नेहा शांत हुई और मेरी ऊँगली पकड़ कर सो गई| कुछ देर बाद थकावट के कारन अनु की भी आँख लग गई पर मैं सुबह तक जागता रहा| सुबह जब नौ उठी तो मुझे जागते हुए पाया; "आप साऱी रात सोये नहीं! थोड़ा रेस्ट आकर लो वरना बीमार पड़ जाओगे और फिर नेहा का ख्याल कैसे रखोगे|" अनु बोली तो मैं उसकी बात मान कर नेहा से लिपट कर कुछ देर के लिए सो गया| घंटेभर बाद ही नेहा उठ गई और अपने छोटे-छोटे हाथों से मेरी दाढ़ी पकड़ने लगी| उसके छोटे-छोटे हाथों का एहसास पाते ही मैं उठ गया और उसे इस तरह हँसते हुए देख जान में जान आई| मैंने नेहा का बुखार देखा तो वो अब नहीं था, मैंने चैन की साँस ली| इतने में अनु आ गई और मेरी गर्दन पर Kiss करते हुए बोली; "आपकी लाड़ली का बुखार अब उतर चूका है! अब उठो और अपनी ये दाढ़ी साफ़ करो! मुझे मेला शोना clean shaven चाहिए!" ये पहलीबार था की अनु ने मुझे 'शोना' कहा हो| "पहले तो मैं आपको दाढ़ी में अच्छा लगता था, अब अचानक से clean shaven क्यों?" मैंने उठ कर बैठते हुए पुछा|

"पहले इसलिए कहती थी ताकि आपको Kiss न कर पाऊँ! पर अब तो जैसे आपको Kissi करने के लिए जगह का अकाल पड़ने लगा है|" अनु ने हँसते हुए कहा| मैं फटाफट तैयार हुआ और मुझे clean shaven देख अनु बहुत खुश हुई! "क्या बात है? हम कहते तक गए की दाढ़ी ना रख पर मानु भैया ने एक ना सुनी और बहु ने एक बार क्या कहा सारा जंगल छोल (साफ़) दिया|" चन्दर भैया बोले| ये सुन कर भाभी ने अनु को प्यार से कंधा मारा और दोनों खी-खी कर हँसने लगे| नाश्ता कर के हम दोनों डॉक्टर के आ गए और उसने चेक कर के बता दिया की अब घबराने की कोई बात नहीं है| कुछ हिदायतें हमें दी गईं जिसे अच्छे से समझ कर हम घर लौट आये| दोपहर को खाने के बाद नेहा मेरी गोद में सो गई और मैं मेल चेक करने लगा| तभी मैंने देखा की कंपनी का जवाब आया था और उन्होंने हमें अगले महीने New York बुलाया है| अनु ने वो मेल मुझसे पहले देख लिया था पर मुझसे उसने कुछ कहा नहीं था| कुछ देर बाद जब अनु ऊपर आई तो मैंने उससे बात की; "बेबी! एक बात बताना, वो ...कोई रिवर्ट आया?" ये सुन कर अनु कुछ सोच में पड़ गई और वो कुछ जवाब देती उससे पहले ही मैं बोल पड़ा; "मेरा बेबी मुझसे बात छिपा रहा है?" मैंने तुतलाते हुए कहा तो अनु मेरी तरफ देखने लगी; "वो....आप नेहा को ले कर इतना परेशान थे....तो मैंने ....इसलिए...." अनु ने घबराते हुए कहा| मैंने हाथ खोल कर अनु को गले लगने बुलाया और उसके कान में खुसफुसाते हुए बोला; "आपको पता है ना हमने कितनी मेहनत की है? मैं नेहा से प्यार करता हूँ पर उतना ही प्यार मैं अपने काम से भी करता हूँ| इसलिए नेक्स्ट टाइम मुझसे कोई बात मत छुपाना| हमारे पास बस एक महीना है और अभी काफी काम पेंडिंग है!" मैंने कह तो दिया पर मैं जानता था की मैं नेहा को छोड़ कर नहीं जा पाउँगा| अगर मैं चला भी जाता तो वापस गाँव नहीं लौट सकता था क्योंकि 6 महीने होने वाले थे हम दोनों को ऑफिस अटेंड किये और वहाँ काम संभालने वाला कोई नहीं था! मैं बस इसी चिंता में खोया था की अनु मेरी तकलीफ समझते हुए बोली; "I promise की हम अकेले नहीं जाएँगे! नेहा हमारे साथ जाएगी!" अनु की ये बात सुन मेरा दिल उम्मीद से भर उठा, मैं इतना खुश था की मैंने अनु से ये तक नहीं पुछा की वो ये सब कैसे करने वाली है?


अगले दिन की बात है, मैं ताऊ जी, पिताजी और चन्दर भैया एक साथ निकले| दरअसल मैं उन्हें वो सब जगह दिखाना चाहता था जहाँ से समान सस्ता मिलता है और उन व्यापारियों से भी मिलना चाहता था जिनके साथ हम काम कर रहे थे| इधर घर पर माँ, भाभी और ताई जी एक कीर्तन में चले गए| भाभी नेहा को अपने साथ ले गईं, उन्होंने अनु को भी कहा पर उसने ऑफिस के काम का बाहना बना दिया| दरअसल अनु को रितिका से बात करने का मौका चाहिए था! सब के जाने के बाद अनु ऊपर छत पर आई, रितिका वहाँ अकेली बैठी कुछ सिलाई कर रही थी| शादी के बाद से अभी तक दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की थी| काम को लेकर अगर कोई बात हुई हो तो हुई हो वरना और कोई बात नहीं हुई थी| अनु उसके सामने बैठ गई और बात शुरू करते हुए बोली; "देख....तेरे चाचा (अर्थात मैंने) ने मुझे सब कुछ बता दिया है!" इतना सुनते ही रितिका अनु पर बरस पड़ी; "क्या चाचा? मैं प्यार करती थी उससे और वो भी मुझसे प्यार करता था! शायद अब भी करता हो!" रितिका ने जलन की एक चिंगारी जलाते हुए कहा| अनु को गुस्सा तो बहुत आया पर अभी उसे जो बात करनी थी उसके लिए उसे ये कड़वा घूँट पीना पड़ा! "सॉरी! देख....मैं जानती हूँ तू बंध के रहने वालों में से नहीं है! तुझे उड़ना अच्छा लगता है, अपनी मनमानी करना अच्छा लगता है, ऐशों-आराम अच्छा लगता है और घूमना फिरना भी! यहाँ रहते हुए तो तेरे ये शौक पूरे नहीं हो सकते! मैं तुझे एक बहुत अच्छा मौका देती हूँ.... मैं तुझे इस घर से निकालूँगी...जहाँ तू चाहेगी वहाँ तू रहना, जो चाहे वो करना.....तुझे जो भी चाहिए होगा वो तुझे दूँगी...सारे ऐशों-आराम तेरे होंगे! जितने पैसे चाहिए सब दूँगी.....पर तुझे नेहा की कस्टडी 'इन्हें' देनी होगी!" अनु की बात सुन कर रितिका जोर से हँसने लगी| "देख मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती हूँ....प्लीज मेरी बात मान जा!" अनु ने मिन्नत करते हुए कहा पर रितिका की हँसी और तेज होती गई| अनु को गुस्सा तो बहुत आया, मन किया की उसे छत से नीचे फेंक दे पर उससे वो मरती नहीं! इधर जब रितिका का पेट हँस-हँस कर दुःख गया तब वो अपनी हँसी रोकते हुए बोली; "ये जो नेहा को खो देना का डर तेरे पति के मन में है ना इससे कई गुना ज्यादा डर मैंने झेला है!" रितिका ने गंभीर होते हुए कहा| "पता है कैसा लगता है जब कोई तुम्हारी जान लेने घर में घुस आता है? मुझे पता है.... सब कुछ था मेरे पास...पैसा, घर, नौकर-चाकर, गाडी, इतना बड़ा घर, रुतबा.... इस घर का हर एक शक़्स गर्व महसूस कर रहा था, सिर्फ और सिर्फ मेरी वजह से! मेरी वजह से उन्हें इतने बड़े घर से नाता जोड़ने का मौका मिला था! क्या गलती थी मेरी? क्या एक लड़की को चैन की जिंदगी जीने का हक़ नहीं होता? मानु मुझे ये सब कभी नहीं दे सकता था, इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया! Big Deal?! पर उसने मुझे बद्दुआ दी....ऐसी बद्दुआ जिसने मेरे हँसते-खेलते जीवन में आग लगा दी थी! मैं प्रेग्नेंट थी....तुम्हार पति के 'बीज' से! हाँ मैंने ये सच कभी राहुल को नहीं बताया ...खुदगर्जी की...तो क्या? पर फिर वो काली रात आई मेरे जिंदगी में, वो चार लोग घर में घुस आये और गोलियाँ चलाने लगे| मैं कितना डर गई थी, पर राहुल ने मुझे संभाला और मुझे ऊपर के स्टोर रूम में छुपने को कहा| मैं ऊपर पहुँची और स्टोर रूम के दरवाजे के पीछे छुप गई, मैंने अपने पूरे परिवार की चीखें सुनी! सोच सकती हो वो डर क्या होता है? वो लोग मुझे ढूंढते हुए ऊपर आ गए और स्टोर रूम के बाहर खड़े हो गए| मैंने साँस लेना रोक लिया था क्योंकि अगर उन्हें मेरी साँस लेने की आवाज सुनाई दे जाती तो वो मुझे भी मार देते! वो तो मेरी क़िस्मत थी की मैं बच गई और सुबह होने तक वहीँ छुपी रही| सुबह जब वहाँ से निकली तो सबसे पहले अपनी पति की लाश देखि और उसे खून में लथ-पथ देख मैंने अपने होश खो दिए!


जब होश आया तो मैं हॉस्पिटल के बेड पर थी और मेरे आस-पास सब थे! होश आने के बाद मैंने दो दिन तक किसी से बात नहीं की, क्योंकि मेरे मन में जो आग लगी थी वो थी तुम्हारे पति से बदला लेने की! फिर नेहा पैदा हुई और जानती हो मैंने उसका नाम 'नेहा' क्यों रखा? क्योंकि मैं अपने दुश्मन का नाम भूलना नहीं चाहती थी, आखिर ये नाम उसी ने मुझे बताया था! एक-एक दिन मैंने जलते हुए काटा फिर छोटी दादी (मेरी माँ) का ड्रामा शुरू हो गया और घर में तुम्हारे पति की वापसी की बातें चलने लगी| यही वो समय था जब मैंने उससे बदला लेने का प्लान बनाना शुरू कर दिया| पर मेरे पास कोई जरिया नहीं था, उसकी कोई कमजोरी नहीं थी| इसलिए मैंने कमजोरी पैदा करने की सोची और नेहा को जानबूझ कर उसकी गोद में डाल दिया| कुछ ही दिन में उसे नेहा से प्यार हो गया, मुझे लगा शायद उसका मन मेरे लिए पिघल जायेगा और मैं एक बार फिर उसे अपने प्यार के चक्कर में फाँस कर उसका इस्तेमाल करूँ यहाँ से निकलने के लिए पर वो साला मेरे झांसे में ही नहीं आया| तो मैंने अपनी आखरी चाल चली और नेहा को उससे दूर कर दिया! वो दो दिन वो जिस तरह तड़प-तड़प कर रोया उसे देख कर मेरे दिल को सुकून मिला! पर मेरी किस्मत ने मुझे एक बार फिर धोका दे दिया.....तुझे यहाँ भेज कर! बस तबसे मेरे सारे डाव उलटे पड़ने लगे! तुम दोनों को इस तरह रोमांस करते देख मेरा खून जलता है, कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब मैं तुम दोनों को बद्दुआ ना दूँ!" रितिका ने अपने दिल की साऱी बढास निकाल दी थी और अनु को ये सब सुन कर बहुत बड़ा झटका लगा| उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की रितिका अपने अंदर इतना जहर पाले है! पर अब अनु के सब्र की इंतेहा हो चुकी थी, रितिका का एक और कड़वा शब्द और वो अपना आपा खो देती!

"वैसे इतना नशा करने के बाद तो जान रही नहीं होगी उसमें जो तुझे माँ बना सके? तभी तो उसने तुझे यहाँ भी दिया मेरे पास, भीख मांगने! नामर्द कहीं का!" रितिका घमंड में बोली पर अनु ने उसे एक जोरदार जवाब देते हुए एक झन्नाटेदार तमाचा मारा| "उन्होंने मुझे यहाँ नहीं भेजा, मेरी मति मारी गई थी जो मैं यहाँ तुझे समझाने आई! तेरे साथ जो हुआ उसके लिए मुझे जरा भी अफ़सोस नहीं, तू इसी के लायक थी! बुरा कगता है तो सिर्फ उस लड़के के लिए जो तुझ जैसी मतलबी लड़की से प्यार कर बैठा! तेरी ही काली किस्मत खा गई उसे! भगवान् ने तुझे इतना प्यार करने वाला दिया जिसने तेरे पैदा होने से ले कर बड़े होने तक प्यार किया और तूने उसी के जज्बातों से खेला! तुझे समझाया था न 'इन्होने' की तेरे इस 'so called प्यार' में कितना खतरा है? बताया था न तुझे तेरी माँ की करनी पर तब तो तू 'इनसे' सच्चा प्यार करती थी! तब तो तू आग का दरिया पार करने को तैयार थी, जरा सी struggle क्या करनी पड़ी तेरी हालत खराब हो गई! हो भी क्यों न, हराम का जो खाती आई है आजतक? मर यहाँ और सड़ती रह! "प्यार क्या होता है ये तुझे कुछ दिनों में पता चल जायेगा जब मैं इनके बच्चे की माँ बनूँगी! नेहा के प्यार की कमी को तो मैं पूरा नहीं कर सकती पर जब इनकी गोद में हमारा बच्चा होगा तब ये खुद को संभाल ले लेंगे!" इतना कहते हुए अनु जाने को पलटी, रितिका अपने गाल पर हाथ रखे खड़ी रही और रोती हुई बोली; "इस थप्पड़ का बदला तू याद रखेगी!" अनु ने उसकी इस धमकी का कोई जवाब नहीं दिया और नीचे आ गई| कुछ देर बाद भाभी, माँ और ताई जी कीर्तन से लौट आये| शाम तक मैं भी सबके साथ लौट आया और अनु में अलग सा बदलाव पाया| और दिन वो सिर्फ तभी घूंघट करती थी जब ताऊजी, पिताजी या चन्दर भय सामने होते वरना वो सर पर पल्ला रखे काम करती पर आज मैं जब से आया था वो घूंघट काढ़े घूम रही थी और मुझसे नजरें चुरा रही थी| मैंने बहाने से उसे ऊपर आने को कहा तो उसने घूंघट किये हुए ही सर ना में हिला दिया| मैं समझ गया की कुछ तो बात है, मैं अपने कमरे में आया और वहाँ से आवाज लगा कर अनु को ऊपर बुलाया| आखिर अनु को ऊपर आना पड़ा और उसने अभी भी घूंघट कर रखा था| मैंने फ़ौरन उसे अंदर खींचा और दरवाजा बंद कर दिया, हाथ पकड़ कर अनु को पलंग पर बिठाया और उसके सामने घुटनों पर बैठ गया| जैसे ही मैंने अनु का घूंघट उठाया तो उसकी आँखों को आसुओं से भरा हुआ पाया, मैं कुछ कहता उससे पहले ही वो बिफर पड़ी; "I’m sorry…. मैं अपना वादा पूरा नहीं कर सकी!” और फिर अनु ने रोते हुए साऱी बात बताई, मैंने अनु की बात बड़े इत्मीनान से सुनी और जब उसकी बात खत्म हुई तब पहले उसके आँसू पोछे; "मेले बेबी ने मेले लिए इतना कुछ किया? पर ये बताओ आपको उसके मुँह लगने की क्या जर्रूरत थी? और जो आप उसे ऐशों-आराम देने की बात कर रहे थे उसके लिए हम पैसे कहाँ से लाते? बेबी मैं नेहा से बहुत प्यार करता हूँ पर हालात ऐसे हैं की मैं उसे छह कर भी नहीं अपना सकता! कई बार जब कोई रास्ता नहीं रह जाता तो खुद को हालातों के सहारे छोड़ देना चाहिए! समय हमेशा एक सा नहीं रहता! कहने को तो जब उसने मेरा दिल तोडा तो मैं बहुत कुछ कर सकता था और उसकी शादी कभी होने नहीं देता पर मैंने ऐसा नहीं किया| मैंने खुद को हालात के सहारे छोड़ दिया और देखो मुझे आप मिल गए! आपने आज जो किया वो मेरे लिए बहुत है, रही बात नेहा की तो.......देखते हैं क्या होता है!" मैंने अनु के सर को चूमा और उसे गले लगा लिया| इतने दिनों में मुझ में इतनी तो समझ आ गई थी की मैं नेहा को अपना नाम नहीं दे सकता और रहा उसका मोह, तो वो भी मैं चाह कर भी नहीं छोड़ सकता| जानता था की जुदाई के समय बहुत दर्द होगा....पर सह लेंगे थोड़ा!


मैंने और अनु ने सब को हमारे New York जाने की बात बता दी थी और ये भी की वहाँ से लौट कर हमें बैंगलोर ही रहना है| मेरा बैंगलोर रहने का फैसला घर में सब के लिए कष्टदाई था तो अनु बोली; "माँ आप चिंता ना एक्रो, हम धीरे-धीरे अपना काम समेटना शुरू करते हैं और फिर लखनऊ में अपना ऑफिस शिफ्ट कर लेंगे! या फिर अपना मैं ऑफिस यहाँ खोल लेंगे!" अनु की बात सुन माँ को संतुष्टि हुई की उन बेटा उनके पास जल्द ही लौट आएगा| इसी के साथ अनु ने सब को बैंगलोर आने का भी निमंत्रण दे दिया और सब ख़ुशी-ख़ुशी मान गए|
josef
Platinum Member
Posts: 5372
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Romance काला इश्क़

Post by josef »

update 82

दिन बीतते गए और इन बीते दिनों में मैंने नेहा को खूब प्यार दिया| इतना प्यार जो शायद आने वाले सालों तक उसके ऊपर आशीर्वाद बनकर रहता| मैंने और अनु ने मिलकर घरवालों के साथ बहुत अच्छी और प्यारी-प्यारी यादें बनाई! जहाँ माँ और ताई जी ने अनु को अपनी बेटी की तरह प्यार दिया वहीँ मैं जो की घर का सबसे छोटा बेटा था उसे उसकी जिम्मेदारी का एहसास होने पर ताऊ जी और पिताजी ने खूब आशीर्वाद दिया| चन्दर भैया और भाभी के संग मेरा और अनु का दोस्तों जैसा रिश्ता बन गया था| भाभी मेरा और अनु का खूब ख्याल रखती और कहती रहती की जल्दी से जल्दी खुशखबरी सुनाओ! अब चूँकि घर पर हम दोनों को ज्यादा प्राइवेट समय नहीं मिल पाता था तो दोनों अपने-अपने काम में लगे रहते| हमारा रोमांस केवल Kiss तक ही सिमट कर रह गया था| प्यासे दोनों ही थे पर अपने प्यास को काबू रखने जानते थे| ऐसे कई पल आया जब रितिका ने हम दोनों को रोमांस करते देखा और जलती हुई चली गई पर हमें उससे कोई फर्क नहीं पड़ा| अनु ने नेहा को अपनी बेटी जितना प्यार दिया और अगर मेरे बाद किसी इंसान से नेहा को प्यार मिला तो वो अनु ही थी| जब कभी मैं घर पर नहीं होता तो अनु उसके साथ खेलती, नहलाती, कपडे बदलती और उस गुड़िया को अपने से चिपकाए रहती| जब मैं घर पर होता तो अनु हमारी इतनी फोटो खींचती की क्या कहूँ! हम दोनों ही जानते थे की नेहा धीरे-धीरे बड़ी होगी और उसे ये प्यार याद नहीं रहेगा, उसके लिए हम उसके दादा-दादी होंगे ना की माँ-बाप! ये एक ऐसा दर्द था जो हम अभी से महसूस कर रहे थे पर हालात के आगे मजबूर थे! हम दोनों का प्यार ही था जो हमें सहारा दे रहा था! नेहा के साथ बितायी ये यादें ही हमारे लिए सब कुछ था! उधर भाभी की डिलीवरी की डेट नवम्बर के आखरी हफ्ते की थी और भाभी ने दोनों को सख्त हिदायत दी थी की हम अगर तब यहाँ नहीं आये तो वो हमसे कभी बात नहीं करेंगी! इन खुशियों में दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला|

हमारे जाने से एक दिन पहले की बात है, सुबह से ही मैं बहुत बुझा-बुझा था! नेहा के सुबह उठते ही मैं उसे अपनी छाती से चिपकाए कमरे में बैठा था| आज मेरी गुड़िया भी बहुत खामोश थी, और दिन तो उसकी किलकारियाँ गूंजती रहती थीं पर आज वो बहुत शांत थी| ऐसा लगा मानो उसे पता ही की कल उसके पापा चले जाएंगे! फिर एक ख्याल आया की एक बार भगवान् से मदद मांग कर देखूँ, क्या पता वो मेरी सुन लें! मैं नहा-धो कर तैयार हुआ और नेहा को भी नहला कर रेडी किया| नेहा को गोद में लिए मैं नंगे पाँव मंदिर चल दिया| जाने क्यों पर आज लग रहा था की मेरी इस तपस्या का फल मुझे अवश्य मिलेगा| मैं आजतक कभी इतना नंगे पाँव नहीं चला था, यहाँ तो मंदिर भी खेतों के बीच था सो वहाँ तक पहुँचने में जाने कितनी ही बार पाँव में कंकड़ लगे, पर भगवान पर आस्था और नेहा के प्यार ने मुझे सहारा दिया| आखिर मंदिर पहुँच कर मैंने भगवान से प्रर्थना की; "आप से आज तक मैंने आप से जो माँगा अपने मुझे वो दिया है, आज बस एक आखरी बार आपसे कुछ माँगना चाहता हूँ! मुझे मेरी बेटी दे दो! मैं नेहा को अपने साथ रखना चाहता हूँ, उसकी परवरिश करना चाहता हूँ, उसे उसके पापा का प्यार देना चाहता हूँ! वादा करता हूँ फिर आप से कुछ नहीं माँगूँगा! प्लीज भगवान जी... कोई तो रास्ता सुझा दो मुझे या फिर इसकी माँ को ही अक्ल दे दो ताकि वो नेहा को मुझे सौंप दे!" मैं घुटनों पर खड़ा भगवान से मिन्नतें करता रहा, आसुओं की धारा नेहा पर गिरी जो चुप-चाप मेरी ही तरफ देख रही थी| नेहा ने कैसे कुछ बोलने के लिए मुँह खोला और फिर चुप हो गई, मानो कह रही हो की पापा आप मत रोइये! मैंने उसे एक बार चूमा और फिर भगवान पर सब छोड़ कर मैं घर लौट आया इस बात से अनजान की अनु पहले ही यहाँ आ कर यही दुआ माँग कर गई है| जब मैं घर पहुँचा तो माँ ने पुछा की मैं कहाँ गया था? पर माथे पर टीका देख वो समझ गईं, "मेले बच्चे को मंदील ले कल गया था!" मैंने तुतलाते हुए बोला तो नेहा की किलकारियाँ शुरू हो गईं| घर में सब जानते थे की मैं नेहा से कितना प्यार करता हूँ और उससे बिछड़ना मेरे लिए आसान नहीं होगा| पर इससे पहले मुझे ये बात कोई समझाता मैंने अपने चेहरे पर ख़ुशी का मुखौटा ओढ़ लिया| मैंने किसी को भी शक नहीं होने दिया की मैं कल नेहा से दूर जाने को ले कर दुखी हूँ| दोपहर को खाने के बाद मैं नेहा को गोद में ले कर अपने कमरे में बैठा था; "बेटा.... मुझे ना... आपको कुछ बताना है! कल है न...मैं...............जा रहा हूँ!" मैंने बड़े भारी मन से नेहा से ये बात कही, नेहा अपनी भोली सी आँखों से मेरी आँखों में देखने लगी जैसे पूछ रही हो की मैं वापस कब आऊँगा? "नेक्स्ट हम ....आपके बर्थडे पर मिलेंगे! तब मैं आपके लिए ढेर सारे गिफ्ट्स ले कर आऊँगा|" पर मेरा इतना कहते ही नेहा ने रोना शुरू कर दिया, जैसे उसे मेरी सब बात समझ आ गई हो| "awww मेरा बच्चा! बस रोना नहीं...I promise मैं आपके बर्थडे पर आऊँगा!" पर नेहा पर इस बात का कोई असर नहीं हुआ, जैसे उसे सिर्फ अपने पापा ही चाहिए और कुछ नहीं चाहिए! "I'm sorry बेटा! But हमारे हालात ऐसे हैं की मैं आपके साथ चाह कर भी नहीं रह सकता! मेरा सारा काम-धंधा बैंगलोर में सेट है....I'm helpless!" मैंने रोते हुए कहा और नेहा को अपने सीने से लगा लिया| करीब आधे घंटे हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे और अब नेहा का रोना बंद हो गया था| "I hope नेक्स्ट टाइम जब आप मुझे देखो तो मुझे भूलोगे नहीं!" मैंने अपने आँसू पोछते हुए कहा| "ऐसे कैसे भूल जायेगी?" अनु पीछे से बोली और चल कर मेरे पास आई| "7 महीने की बच्ची की इतनी अच्छी यादाश्त नहीं होती की वो हर किसी को याद रख सके! उस दिन देखा था जब मैंने shave की थी तो ये मुझे पहचान ही नहीं रही थी!" मैंने कहा|

"वो इसलिए क्योंकि उसे आपको दाढ़ी में देखने की आदत हो गई थी! Unfortunately उसकी माँ (अनु) को आप Clean shaven अच्छे लगते हो! पर आप कांटे हो नेहा ने आपको कैसे पहचाना? आपका स्पर्श पाते ही वो समझ गई की ये उसके पापा हैं!" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा| अनु का तर्क emotional था scientific नहीं! पर मैंने आगे बात को नहीं खींचा और मुस्कुराते हुए अनु को अभी अपने गले लगा लिया| हम तीनों ऐसे ही गले लगे हुए खड़े थे की अनु ने हमारी सेल्फी ले ली! वो पूरा दिन मैं नेहा के साथ बातें करता रहा और उसका मन मैंने दुबारा अपने जाने पर नहीं भटकने दिया| मेरा ये बचपना देख चन्दर भय बोले; "भैया इतनी छोटी है की उसे आपकी बात क्या समझ आती होगी?" पर ताऊ जी ने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा; "बच्चे ऐसे ही बोलना सीखते हैं!" उनकी बात लॉजिकल थी! मैं नेहा को गोद में ले कर खड़ा हुआ और उसे ऐसे पकड़ा जैसे दो लोग डांस करते हैं और गाना गन गुनाते हुए आंगन में नाचने लगा;

"दिन भर करे बातें हम
फिर भी लगे बातें अधूरी आज कल
मन की दहलीजों पे कोई आए ना
बस तुम ज़रूरी आज कल
I love you..." पूरा घर मेरा बचपना देख खुश हो गया और नेहा भी मुस्कुराने लगी| फिर मैंने नेहा की ठुड्डी पकड़ी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा;

"थोड़ा थोड़ा तुझसे सीखा
प्यार करने का तरीका
दिल के खुदा की मुझपे इनायत है तू
आइ लव यू
आइ लव यू"

वो नेहा ही थीं जिसने मुझे एक बाप बनने का मौका दिया और मेरे अंदर एक बाप का प्यार जगाया था! इधर अनु ने चुप-चाप मेरे डांस की वीडियो बना ली थी|


रात तक मेरा यूँ नेहा को गोद में ले कर खेलना और उससे बातें करना जारी था! खाना खाने के बाद भी मैं और नेहा साथ सोये, बेचारी अनु को नेहा को मुझसे चुराने का भी मौका नहीं मिला| पर रात को हम दोनों जागते रहे और बारी-बारी नेहा को चूमते रहे, दोनों में जैसे होड़ लगी थी की नेहा के उठने तक उसे सबसे ज्यादा कौन चूमेगा| उस खेल में पता ही नहीं चला की कब सुबह हो गई| अनु नेहा को आखरी Kiss दे कर उठी और नीचे चली गई और इधर मैं नेहा को पाने सीने से लगा कर लेट गया| मेरा दिल जोर से धड़कने लगा था| यही धड़कन सुन नेहा उठ गई, मैंने जैसे ही उसे देखा तो खुद को रोने से नहीं रोक पाया| नेहा अब भी जैसे समझने की कोशिश कर रही हो की मैं क्यों रो रहा हूँ! उसकी नन्ही सी हथेली मेरी ऊँगली के स्पर्श का इंतजार कर रही थी| मैंने उसे जैसे ही अपनी ऊँगली पकड़ाई उसने कस कर अपनी मुठ्ठी बंद कर ली ताकि कहीं मैं उसे छोड़ कर चला न जाऊँ| जैसे-तैसे मैंने खुद को काबू किया और नेहा को ले कर नीचे आ गया| मेरी शक्ल देख कर कोई भी णता सकता था की मैं रात भर नहीं सोया था और अभी आये आसुओं से मेरी आँखें नम हो चली थीं| मेरी ये हालत देखते ही माँ अनु से बोली; "बहु तुझे कहा था न की मानु से बात कर, उसे समझा की वो नेहा से इतना मोह ना बढाए? देख क्या हालत हो गई है इसकी?!" माँ ने अनु से कहा तो वो सर झुका कर खड़ी हो गई, मेरे तो जैसे मुँह में जुबान ही नहीं थी मैं बस नेहा को देखे जा रहा था और अपना रोना रोक रहा था!


माँ की देखा-देखि ताई जी भी मुझे समझाना शुरू हो गईं, मैंने बड़ी हिम्मत बटोरी और बोला; "ठीक है ताई जी....!" इतना कह कर मैंने बेमन से नेहा को अनु को दिया| मेरा ऐसा करने से सब शांत हो गए ये सोच कर की मैंने उनकी बात मान ली है और इधर अनु को भी नेहा के साथ आखरी कुछ पल मिल गए प्यार करने को| मैं ने पहले अपने सारे कपडे पैक किये और फिर नहाने घुस गया| बाथरूम में मैंने जी भर कर अपने आँसू बहाये, क्योंकि यहाँ मुझे रोकने वाला कोई नहीं था| नहा-धो कर मैं बाहर आया तो अनु ने नेहा को मेरी गोद में दे दिया, फिर सबके साथ बैठ कर हमने नाष्ता किया| "तो बेटा तुम दोनों पहले बैंगलोर जाओगे?" ताऊ जी ने पुछा|

"जी मैंने टैक्सी बुक की थी, जो अभी आती होगी| पहले हम बीएस स्टैंड जायेंगे और वहाँ से दिल्ली की Volvo लेंगे, फिर दिल्ली से डायरेक्ट फ्लाइट New York तक!..... और चन्दर भैया, मेरे आने तक गाडी चलना सीख लेना!" मैंने कहा|

"मुझे लगा तुमलोग पहले बैंगलोर जाओगे?" पिताजी बोले|

"जी पर फिर वहाँ से वापस मुंबई आना पड़ता, इससे अच्छा है की डायरेक्ट ही चले जाते हैं| मैंने कहा और इतने में हमें बाहर से टैक्सी का हॉर्न सुनाई दिया| चन्दर भय सारा समान टैक्सी में रखने लगे और इधर हमदोनों सब के पाँव छू कर आशीर्वाद लेने लगे| माँ बहुत ज्यादा भावुक हो गईं थीं; "माँ...बस कुछ महीनों की बात है, हम नेहा के जन्मदिन पर आ जायेंगे!" मैंने कहा तो माँ खुश हो गईं| सबसे मिलने के बाद अनु ने नेहा को आखरी दफा गोद में लिया और उसे अपने सीने से लगा कर रो पड़ी| भाभी ने अनु को संभाला और उसे चुप कराया| इधर मैं हाथ बांधे नेहा को गले लगाने का इंतजार कर रहा था, बुझे मन से अनु ने नेहा को मुझे दिया| नेहा को गोद में लेते ही मुझे वो रात याद आई जब मैंने उसे पहलीबार गोद में लिया था| मेरे आँसू बह निकले और मैंने नेहा को कस कर अपने सीने से लगा लिया, मेरी तेज धड़कनें सुन नेहा रो पड़ी शायद उसे भी एहसास हो गया था की मैं जा रहा हूँ! मैंने नेहा को गोद में ले कर घूमना शुरू कर दिया और घुमते-घुमते मैं 50 कदम दूर आ गया| मैंने टैक्सी वाले को उसका मीटर चालु करने को कह दिया था ताकि उसका नुक्सान ना हो! इधर मैंने नेहा से बात करना शुरू कर दिया ताकि वो चुप हो जाए और हुआ भी यही, नेहा चुप हो गई और मेरी छाती से लग कर सो गई| आधे घंटे तक मैं उसे लेकर ऐसे घूमता रहा और उधर सबने मुझे संभालने की जिम्मेदारी अनु को दे दी; "बहु...देख मानु बहुत भावुक है! नेहा से उसका मोह कहीं उसे….तू तो जानती ही है... वो जब उदास होता है तो खाना-पीना छोड़ देता है!" माँ अपनी चिंता जताते हुए बोलीं|

"आप चिंता न करो माँ, मैं 'इनका' बहुत अच्छे से ख्याल रखूँगी!" अनु बोली और तब तक मैं भी नेहा को गोद में लिए वापस आ गया| भाभी ने नेहा को गोद में लेना चाहा पर नही ने अपने एक हाथ से मेरी शर्ट और दूसरे से मेरी ऊँगली पकड़ रखी थी| मेरा मन नहीं हुआ उसके हाथ से खुद को छुड़ाने का, इसलिए भाभी ने ही उसके हाथ से मेरी शर्ट और ऊँगली छुड़ाई| नेहा जागने के लिए थोड़ा कुनमुनाई, तो मैंने उसके माथे को एक बार चूमा और नेहा के मुँह पर प्यारी सी मुस्कान आ गई| इसी मुस्कान को आँखों में बसाये मैं जाना चाहता था| अनु और मैं सब को नमस्ते की और गाडी में बैठ गए| कुछ दूर गए होंगे की दोनों की आँखें फिर से बहने लगीं| मैं अपना रोना तो बर्दास्त कर सकता था पर अपनी पत्नी का रोना नहीं| मैंने अनु के आँसूँ पोछे और इधर-उधर की बातें शुरू कर दीं ताकि उसका मन हल्का हो जाए| अनु समझ गई और मेरी बातों को आगे बढ़ाती रही| हम बस स्तब्ध पहुँचे और वहाँ से हमें दिल्ली के लिए Volvo मिली! Volvo में बैठते ही अनु बोली; "आपके साथ ट्रैन की यत्र कर ली, प्लेन की यात्रा कर ली, बाइक यात्रा और कार यात्रा भी कर ली एक बस यात्रा बची थी वो भी आज पूरी हो गई!"

"बेबी बस एक cruise ship की यात्रा रह गई!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा| बस चली और कुछ देर बाद नेहा को याद कर मेरी आँखें फिर से नम हो गईं, अनु ने अपना फ़ोन निकाला और भाभी को वीडियो कॉल की| भाभी ने नेहा को गोद में बिठा कर कैमरा उसकी तरफ कर दिया और इधर अनु ने मेरा ध्यान अपने फ़ोन की तरफ खींचा| नेहा को देखते ही दिल खुश हो गया, मैंने हाथ हिला कर नेहा को बुलाया, मुझे फ़ोन पर देखते ही वो खुश हो गई और अपने छोटे-छोटे हाथों को मेरी तरफ बढ़ा दिया जैसे कह रही हो की पापा मुझे गोदी ले लो! ये देखते ही दिल रोने लगा क्योंकि आज मैं छह कर भी उसे गोद में नहीं ले सकता था| अनु ने मेरा बयां हाथ कस कर दबा दिया और मुझे रोने से बचा लिया| कुछ देर ऐसे ही नेहा से बात की और मन कुछ हल्का हो गया| कॉल के बाद मैंने अनु को थैंक यू कहा तो अनु मुस्कुराने लगी|


हम अगले दिन सुबह 6 बजे दिल्ली पहुँचे और वहाँ से टैक्सी कर एयरपोर्ट पहुँचे| वहीँ पर हम दोनों बारी-बारी से फ्रेश हुए और फिर फ्लाइट ले कर नई यॉर्क पहुँचे| चूँकि हमें कनेक्टिंग फ्लाइट मिली थी तो इतनी travelling से बैंड बजना तो तय था| पूरे रास्ते मैंने खुद को अच्छे से संभाला हुआ था, क्योंकि मुझे रोता हुआ देख अनु को भी वैसे ही दुःख होता जैसा उसे रोता हुआ देख मुझे होता था| मैंने खुद को बिजी रखने के लिए काम में लगा दिया और अपनी बेटी की जुदाई के दर्द को दबाना शुरू कर दिया| होटल पहुँच कर अनु सो गई पर मैं Presentation चेक करने में बिजी हो गया| मीटिंग कल सुबह थी और मैं कुछ भी खराब नहीं करना चाहता था| सुबह जब अनु उठी तो मुझे ऐसे काम करते हुए देख वो नाराज हो गई; "आप सोये नहीं? मुझे तो लेटते ही नींद आ गई और सीधा अभी उठी! बीमार होगये तो?" अनु ने चिंता जताते हुए कहा|

"यार अपने हनीमून पर कोई बीमार होता है?" मैंने मुस्कुरा कर कहा| "Actually कुछ चीजें edit करनी थीं और मैं एक बार साड़ी प्रेजेंटेशन को go though करना चाहता था, you know to be on a safe side!" मैंने कहा और तैयार होने चला गया| अनु ने आज साडी पहनी थी और मैंने बिज़नेस सूट! साडी में अनु कमाल की लग रही थी; "Are you sure हम प्रेजेंटेशन देने जा रहे हैं?" मैंने अनु की तारीफ करते हुए कहा जिसे सुन उसके गाल लाल हो गए|


मैं उम्मीद कर रहा था की हमारी मुलाक़ात मर्दों से होगी पर यहाँ तो साड़ी ladies बैठी थीं| अनु को साडी में देख उनमें से एक ने पूछ लिया; "Ms. Anu we were expecting you to be wearing a business suit, not a typical Indian dress!” पहली औरत ने कटाक्ष करते हुए कहा|

“Oh… its not just a dress! It represents our culture, if wearing business suit is your culture then in our country a woman after marriage wears these…and by the way its called a Saree!” अनु ने दो तुक जवाब दिया जिसे सुन मुझे लगा की गया ये कॉन्ट्रैक्ट हाथ से| पर तभी दूसरी औरत पूछने लगी; "How long have you been married?” इससे पहले अनु कुछ और बोल कर बात बिगड़ती मैंने जवाब दिया; "1 month”.

“You should be on your honeymoon, what are you doing here?” पहली वाली औरत ने हम दोनों को छेड़ते हुए कहा|

“Well my husband’s a very hardworking guy, he worked his butt off to arrange this meeting and I’m not letting him down by nagging about a honeymoon. We’ve our whole life for honeymoon?!” अनु ने फ़टाक से जवाब दिया जिसे सुन वो औरत चुप हो गई| साफ़ जाहिर था की हमें यहाँ प्रेजेंटेशन देनी ही नहीं है, क्योंकि अनु जी की बात सुन कर यहाँ से खाली हाथ ही निकलना पड़ेगा| मैंने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और दरवाजे की तरफ देखने लगा| मैंने सोचा की इससे पहले ये सिक्योरिटी को बुलाएं और हमें धक्के मार कर निकालें बेहतर है की खुद ही निकलते हैं| पर वहाँ काफी देर से चुप बैठीं तीसरी मैडम बोलीं; "Where do you think you’re going mister? We’re waiting for your presentation!” उनका नाम जेनी था और उनकी बात सुन कर मुझे उम्मीद की किरण दिखाई दी और मैंने आगे बढ़ते हुए प्रेजेंटेशन शुरू की, Facts अनु ने संभाले तो Figures मैं संभाल रहा था| वो तीनों हम दोनों की coordination देख कर काफी प्रभावित हुए; "Look Mr. Manu you guys lack in one field, and that’s experience! One year is not sufficient to work with us!” जेनी बोलीं| "Its better than having no experience! We just want a chance, if you like our work then give us the contract if not we won’t complain!” मैंने पूरे आत्मविश्वास से कहा जो जेनी को भा गया, उसने बिना किसी के पूछे ही हमें 1 क्वार्टर का काम ऑफर कर दिया! ये सुन कर मैं और अनु दोनों मुस्कुरा दिए और बाकी के दो मैनेजर चुप बैठे रहे| जेनी उठ के मेरे पास आईं और हमने हैंडशेक किया अब उन दोनों को भी उठ के आना पड़ा और एक फॉर्मल हैंडशेक हुआ| हम दोनों ही मुस्कुराते हुए बाहर आये और कॉन्ट्रैक्ट पाने की ख़ुशी हमारे चेहरे से साफ़ झलक रही थी| हालाँकि अनु उम्मीद कर रही थी की मैं उसे उसके attitude के लिए कुछ कहूँगा पर मैंने उसे एक शब्द भी नहीं कहा| "बेबी आपने जो कहा वो बिलकुल सही था, हमें कहीं भी dress code mention नहीं किया गया था| अब उन दोनों को आपका साडी पहनना अच्छा नहीं लगा तो वो दोनों जाएँ चूल्हे में!" मैंने कहा तो अनु हँस पड़ी! अगले 4-5 दिन हमें वहीँ रुकना था ताकि हम कुछ डाटा कलेक्ट कर सकें, काम खत्म होने के बाद अनु को लगा हम वापस जायेंगे पर जब मैंने अनु को बाकी का प्लान बताया तो वो ख़ुशी से चीख पड़ी| "हम हनीमून के लिए Vegas जा रहे हैं!" ये वो प्लान था जो मैंने अनु से छुपाया था| Vegas का नाम सुनते ही अनु झूम उठी और उसने फ़ौरन ऑफिस फ़ोन कर के अक्कू को हड़का दिया; "बेटा हमारे आने तक तुम लोगों ने अगर काम शुरू नहीं किया ना तो तुम सब की बत्ती लगा दूँगी!" अनु की बात सुन सब की एक साथ फ़ट गई और सारे अपने-अपने काम में लग गए| इधर अनु की बात सुन कर मैं खूब हँसा जो अक्कू ने भी सुनी!


कुछ देर बाद आकाश ने मुझे मैसेज कर के पुछा की Mam क्यों गुस्सा हैं तो मैंने उसे ये ही कहा की वो गुस्से में नहीं बल्कि excited हैं, क्योंकि हमें एक क्वार्टर के लिए प्रोजेक्ट मिल गया है! खेर मैं और अनु Vegas के लिए निकले और पूरे रास्ते अनु बहुत जोश में थी और बहुत खुश भी! वहाँ मैंने पहले से ही रिजर्वेशन कर दी थी जो अनु के लिए दूसरा सरप्राइज था! पहली रात थी और अनु खूब जोश में थी, एक सरप्राइज उसने भी खरीद लिया था| मैं लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था की अनु लॉन्जरी पहन कर इठला कर मेरे पास आई, मैंने फ़ौरन लैपटॉप बंद कर दियाऔर बिना पलकें झपकाए उसे देखने लगा|




लाल रंग की इस लॉन्जरी में अनु के जिस्म का एक-एक हिस्सा कातिलाना लग रहा था| जाली से कपडे में से मुझे अनु का दूधिया जिस्म साफ़ दिख रहा था| मैं उठ कर खड़ा हुआ और अनु को गोद में उठा लिया और उसे बिस्तर के बीचों-बीच लिटा दिया| अनु ने अपनी बाहों का हार मेरे गले में डाल दिया और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी| मैंने भी झुक कर अनु के होठों को अपने होठों में कैद कर लिया और उनका रस निचोड़ने लगा| इधर अनु की कूदती हुई जीभ मेरे मुँह में प्रवेश कर गई जिसे मेरे दाँतों ने दबोच लिया| हम दोनों अभी Kiss में ही डूबे थे की भाभी का video call आ गया| इस विघ्न से पहले तो दोनों को बहुत चिढ हुई पर फिर इस आस से की कहीं नेहा को हमसे कोई बात करनी हो अनु ने कॉल उठा लिया| अनु ने मुझे उसके ऊपर से हटने को कहा पर मैं कहाँ मानने वाला था| अनु ने फ़ोन कुछ इस तरह से पकड़ा की सिर्फ वही दिखे, पर ये कॉल भाभी ने ऐसे ही किया था, जैसे ही उन्होंने पुछा की मानु कहाँ है मैं एक दम से सामने आ गया जिससे भाभी को ये पता चल गया की हम दोनों 'प्यार' कर रहे थे| "भाभी हमेशा गलत टाइम पर कॉल करते हो!" मैंने मजाक करते हुए कहा तो भाभी शर्मा गईं और अनु का भी यही हाल था| उनके कॉल के बाद अनु बोली; "सच्ची आप न ....बड़े वो हो!" मैंने उसे सताने की सोची और एकदम से उठ गया मानो जैसे मैंने उसकी बात का बुरा माना हो| मैं उठ कर काउच पर बैठ गया, अनु डरी सहमी सी आई और बोली; "सॉरी!" उसके डरने से मुझे बहुत हँसी आ रही थी, मैं उठ कर खड़ा हुआ और बाहर जाने लगा तो अनु ने मेरा हाथ पकड़ लिया; "सॉरी!" मैं एक दम से पलटा और उसे गोद में उठा लिया| तब जाकर उसे ये एहसास हुआ की मैं बस उससे मजाक कर रहा था| हम दोनों फिर से बिस्तर पर लेटे एक दूसरे के होठों से खेल रहे थे| अनु और मैं दोनों एकदम से गर्म हो गए थे, एक-एक कर हमने कपड़े उतार फेंके और अनु ने मुझे खुद से चिपका लिया, उसकी दोनों टांगें मेरी कमर पर लोच हो गईं थीं| मेरा खड़ा लंड अनु की पनियाई बुर पर दस्तक दे रहा था| अनु ने अपना हाथ नीचे ले जा कर आज पहली बार मेरा लंड छुआ और उसे अपनी बुर के द्वार पर रखा| अनु के मुलायम हाथों के एहसास ने ही मेरे लंड से pre-cum की बूँद टपका दी थी! मैंने धीरे से लंड को अंदर दबाया और आज भी मुझे उतनी ही ताक़त लगानी पड़ी जितनी सुहागरात में लगानी पड़ी थी| "ससससस....आह्ह!!!" अनु ने सिसकारी ली और लंड फिसलता हुआ पूरा अंदर समा गया| अनु की बुर भट्टी की तरह गर्म थी और मेरे लंड के लिए ये गर्मी झेलना मुश्किल था| इसलिए मैंने अपने लंड को तेजी से अंदर-बाहर करना शुरू किया, अनु को 5 मिनट नहीं लगे और उसने ढेर सारा पानी बाहा दिया जिससे उसकी बुर की गर्मी कुछ कम हुई| घर्षण कम होने की वजह से मुझे आधा घंटा ही मिला खुद को रोके रखने का और फिर मैं और अनु दोनों एक साथ स्खलित हुए! मैं लुढ़क कर अनु की बगल में लेट गया, अनु कुछ देर सीढ़ी लेटी रही और फिर करवट ले कर मुझसे चिपक कर सो गई|


हम वेगास में 7 दिन रुके और हर रात हमने जी भर के सेक्स किया, जिसके परिणाम स्वरुप अनु अब सेक्स में खुल गई थी| जिस दिन हमें वापस इंडिया आना था उस दिन हम एयरपोर्ट जल्दी पहुँच गए, अनु ने हमेशा की तरह आज भी साडी पहनी हुई थी| वो कॉफ़ी लेने काउंटर पर गई और मैं लैपटॉप पर काम करने लगा की एक आदमी जो बात करने के अंदाज से मुझे ऑस्ट्रेलियाई लगा वो अनु से बात करने लगा| जब 5 मिनट तक नौ नहीं आई तो मैंने उसे बैठे-बैठे ढूँढना शुरू किया तो पाया वो उस आदमी से बात कर रही है| अनु लग ही इतनी सुंदर रही थी की वो आदमी उससे बात करने लगा| इधर ये देख कर मेरी जलने लगी और जब अनु ने मेरी तरफ देखा तो मुझे और जलाने के लिए उसने उससे और बातें शुरू कर दीं| अब मुझे भी अनु को दिखाना था की मैं भी कुछ कम नहीं तो मैंने अपना ब्लेजर पहना, बालों को हाथों से सही किया और सनग्लास पहन कर बैठ गया| कुछ दूर एक सुंदर लड़की बैठी थी जो कॉफ़ी पीते हुए सब को देख रही थी| उसके हाथ में फ़ोन था और वो चार्जर कनेक्ट करने का पॉइंट देख रही थी| मैंने हाथ के इशारे से उसे बताया की चार्जिंग पॉइंट मेरे नजदीक है तो वो मुस्कुरा कर मेरे पास आई| फिर उसने मुझे थैंक्स बोलै और मैंने उससे बातें करना शुरू कर दिया| उस लड़की ने शॉर्ट्स पहनी थीं और उसकी लम्बी मखमली गोरी टांगें बहुत सेक्सी लग रही थीं| वो मेरी ही बगल में बैठ कर बातें करने लगी, उसे देखते ही अनु जल भून कर राख हो गई और उस आदमी को बोली; "My husband's waiting for me!" इतना बोल कर वो तेजी से मेरे पास आई और हाथ अपनी कमर पर रख कर गुस्से से मुझे देखने लगी| "Oh....meet my beautiful wife Anu!” मैंने हँसते हुए कहा तो वो लड़की अनु को देखती ही रह गई! जब उसने अनु से बात शुरू की तो पता चला की वो Lesbian है और उसे अनु बहुत पसंद आई! ये सुन कर अनु की हँसी रोके नहीं रुक रही थी! वो दहाड़े मार के हँसने लगी और मैं शर्म से लाल हो गया| इस तरह हँसते हुए हम दिल्ली पहुँचे और वहाँ से बैंगलोर!


बैंगलोर पहुँचते ही मैं सीधा ऑफिस आया, अनु को घर पर कुछ काम था इसलिए वो वहीं रुक गई| ऑफिस आ कर देखा तो वहाँ का हाल एकदम बिगड़ा हुआ था! साफ़-सफाई तो छोडो तीनों ने कोई काम-धाम ही नहीं किया था! जब मैंने काम की अपडेट माँगी तो तीनों ने आधा-अधूरा काम दिखा दिया| “What the hell’s going on here? I trusted you guys here and you’ve been wasting your time! Call your home/hostels and tell them you’re not going back until you wrap all this!” मैंने तीनों को अपना फरमान सुना दिया| इधर अनु का फ़ोन आया तो मैंने उसे सब बताया और वो बहुत नाराज हुई| शाम को वो सब का खाना ले कर आई और तब तक ना मैंने कुछ खाया था ना उन तीनों ने! "दरअसल ये गलती मेरी है! मैंने इन लोगों को सर पर चढ़ा रखा है!" अनु गुस्से में बोली| तीनों जानते थे की हम दोनों जितना एम्प्लाइज का ध्यान रखते थे उतना कोई नहीं रखता था और हमें दोनों को गुस्सा दिला कर तीनों ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी थी| तीनों ने हमें आ कर सॉरी बोला और प्रॉमिस किया की आगे से वो ऐसी लापरवाही नहीं करेंगे| आखिर अनु ने सब को खाना परोसा और खाना खा कर हम पाँचों काम में लग गए| रात 11 बजे तक बैठ कर सारा काम निपटा, अगले दिन की छुट्टी अनु ने दे दी! "कल रात सात बजे तुम तीनों रेडी रहना!" अनु बोली तो तीनों को लगा की कल रात को भी काम करना होगा| "बेवकूफों! शादी में तो आया नहीं गया तुमसे अब रिसेप्शन की पार्टी चाहिए या नहीं?" अनु ने हँसते हुए कहा तो तीनों की जान में जान आई| तीनों को हमने XL वाली कैब से ड्राप किया और फिर 1 बजे घर पहुँचे| घर पर मेरे लिए एक सरप्राइज वेट कर रहा था, जैसे ही मैं कमरे में घुसा तो वहाँ का नजारा देख मैं दंग रह गया! सारे कमरे में अनु ने नेहा और हमारी फोटो चिपका दी थी! ऐसा लगता था मानो पूरे कमरे में नेहा ही छाई हो! आज इतने दिनों बाद मुझे नेहा का एहसास हुआ तो मेरी आँखें नम हो गईं| "Hey... ये माने आपको रुलाने के लिए नहीं किया! ये इसलिए किया ताकि जो दर्द आप अपने अंदर छुपाये रहते हो उसे खत्म कर सकूँ!" अनु बोली| मैंने अनु को कस कर गले लगा लिया और उसे थैंक यू कहा!
Post Reply