दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete

Post Reply
cool_moon
Novice User
Posts: 1095
Joined: 10 Aug 2018 12:51

Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by cool_moon »

बहुत ही गरम कहानी..
josef
Platinum Member
Posts: 5381
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by josef »

माँ ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया, और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाईं मे साथ देने लगी.
मैं भी अब उतना अनाड़ी नहीं रहा और उनकी चूची को मसलते हुए दनादन शॉट लगा रहा था. पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाज से गूँज उठा था.
माँ अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुद रही थीं और बोली जा रही थीं- अह्! आह! हउन! ऊओ! ऊऊह! हाहा! आ मेरे रजजा! मर गई री! लल्ला चूओद रे चूओद!
उईई मीई माआ! फाआ गाईंई! रीईई आज तो मेरी चूत!
मेरा तो दम निकाल दिया तूने आज. बड़ा जाआलीएम हऐरे तूऊमहारा लौरा!
मैं भी बोल रहा था- लेईए मेरीई रानीई, लेई लेईए मेरा लौरा अपनीई चूत मेंईए!!
बड़ाड़ा तड़पायाया है तुनेई मुझीई! लीईए लीई, लेईए मेरीई रानीई यह लण्ड अब्ब तेराआ हीई है! अह्ह! उहह्! क्या जन्नत का मज़ाआ सिखयाआ तुनेईए!
मैं तो आज से तेरा गुलाम हो गया माँ!
माँ गांड उछाल उछाल कर मेरा लण्ड अपने चूत मे ले रही थीं और, मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी चूचियों को मसल मसल कर अपने गहरे दोस्त की माँ की गहरी चुदाई कर रहा था.
माँ मुझको ललकार कर कहा, लगाओ शॉट मेरे राजा!
मैं जवाब देता,यह ले मेरी रानी! ले ले अपनी चूत मे.
जरा और जोर से सटकाओ, अपना लण्ड मेरी चूत मे मेरे राजा!
यह ले मेरी रानी! यह लण्ड तो तेरे भोसड़े के लिए ही है.
देखो रज्जा! मेरी चूत तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गई है, और जोर से और जोर से आई! मेरे रज्जजा!
मैं गई रेई! कहते हुए माँ ने मुझको कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ लिया और, उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया.

अब तक मेरा भी लण्ड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला- मैं भी आयाया! मेरी जाआन! और मेंने भी अपना लण्ड का पानी छोड़ दिया और मैं हाँफ़ते हुए उनकी चूची पर सिर रख कर कस के लिपट कर लेट गया.
यह मेरी पहली चुदाई थीं. इसलिए, मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थीं. मैं माँ के सीने पर सर रख कर सो गया.
वो भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थीं.
कुछ देर बाद होश आया तो मैंने उनके रसीले होंठों के चुम्बन लेकर उन्हें जगाया.
माँ ने करवट लेकर मुझे अपने ऊपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फुस-फुसा कर बोली- बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे, लम्बे लण्ड ने तो कमाल कर दिया!
क्या गजब की ताकत है तुम्हारे मोटे लण्ड मे!
मैंने उत्तर दिया- कमाल तो आपने कर दिया है! आज तक तो मुझे मालूम ही नहीं था कि अपने लण्ड को कैसे काम में लिया जाता है?
यह तो आपकी मेहरबानी है! जो कि आज मेरे लण्ड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.
अब तक मेरा लण्ड उनकी चूत के बाहर झांटो के जंगल मे रगड़ मार रहा था. माँ ने अपनी मुलायम हथेलियों मे मेरा लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरु किया.

उनकी उंगली मेरे आण्ड से खेल रही थीं. उनकी नाजुक उंगलियाँ के स्पर्श की पकड़ से मेरा लण्ड भी जाग गया और एक अंगड़ाई लेकर माँ की चूत पर ठोकर मारने लगा.
माँ ने कस कर मेरे लण्ड को कैद कर लिया और बोली- बहुत जान है! तुम्हारे लण्ड में, देखो फिर से साला कैसा फ़ड़क रहा है अब मैं इसको नहीं छोड़ने वाली.
हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थें. माँ ने मुझको चित लेटा दिया और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा चढ़ा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगीं.
साथ ही साथ अपनी गाण्ड हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगड़ने लगी.
उनकी चूत पिछली चुदाई से अभी तक गीली थीं और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाये हुए था. अब मुझसे रहा नहीं गया और करवट लेकर माँ की तरफ़ मुँह करके लेट गया.
उनकी चूची को मुंह मे दबा कर चूसते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा.
उन्होंने एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर लिपट गईं, और जोर जोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुदवाने लगीं. अपने हाथ से मेरे लण्ड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रही थीं.
मेरा लण्ड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सख्त हो गया था. अब माँ की बेताबी हद से ज्यादा बढ गई थीं और, खुद ही चित हो कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
josef
Platinum Member
Posts: 5381
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by josef »

मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोलीं- आओ मेरे राजा! दूसरा राउंड हो जाए.
मैंने झट कमर उठा कर धक्का दिया और, मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.
माँ चिल्ला उठी और बोलीं- जियो मेरे राजा! क्या शॉट मारा? अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फ़ाड़ दो मेरी चूत को.
माँ का आदेश पाकर मैं दोगुने जोश मे आ गया और, उनकी चूची को पकड़ कर हुमच हुमच कर माँ की चूत में लण्ड पेलने लगा.
उंगली की चुदाई से उनकी चूत गीली हो गई थीं और, मेरा लण्ड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था. वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब मेरा पूरा लौड़ा लेकर जोश के साथ दे रही थीं.
माँ ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी चूत मे लण्ड घुसवा रही थीं.
वो मुझे बस इतना उठाती थीं कि बस लण्ड का सुपाड़ा अन्दर रहता और, फिर नीचे से जोर लगा कर घप से लण्ड चूत मे घुसवा लेती थीं.
पूरे कमरे में हमारी साँस और घपा-घप!फचा-फच! की आवाज गूंज रही थीं.

जब हम दोनों की ताल से ताल मिल गईं, तब माँ ने अपने हाथ नीचे लकर मेरे चूतड़ को पकड़ लिया और कस कस कर दबोच कर चुदाई का मज़ा लेने लगीं.
कुछ देर बाद माँ ने कहा- आओ एक नया आसन सिखाती हूँ! और मुझे अपने ऊपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लण्ड पक्क! की आवाज साथ बाहर निकल आया.
मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लण्ड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था. माँ उठ कर घुटनों और हथेलियों पर मेरे बगल मे बैठ गईं.
मैं लण्ड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा.
माँ ने मेरे लण्ड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा- ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो?
चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लण्ड को घुसाओ!
मैं भी उठ कर उनके पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
क्या मस्त गोल गोल गद्देदार गाण्ड थीं?

माँ ने जाँघ को फैला कर अपने चूतड़ ऊपर को उठा दिए, जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ़ नज़र आने लगी.
उनका इशारा समझ कर, मैंने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.
माँ ने एक सिसकारी भर कर अपनी गाण्ड पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दीं. मैं भी माँ की पीठ से लिपट कर लेट गया, और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनों चुची को पकड़ कर मसलने लगा.
वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतड़ को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगीं.
उनके मुलायम चूतड़ मेरी मस्ती को दोगुना कर रही थी. मेरा लण्ड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था.
कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद माँ बोलीं- चलो रज्जा! अब लण्ड आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नहीं जाता.
मैं उठ कर सीधा हो गया, और माँ के चूतड़ को दोनों हाथों से कस कर पकड़ कर, चूत मे हमला शुरु कर दिया.
जैसा कि माँ ने सिखाया था, मैं पूरा लण्ड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अन्दर कर देता.
शुरु में तो मैंने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ़ गया और धक्को की रफ़्तार भी बढती गई.
धक्का लगाते समय मैं माँ के चूतड़ को कस के अपनी ओर खींच लेता, ताकि शॉट करारा पड़े. माँ भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर रही थीं.
हम दोनों की साँसें तेज हो गई थीं. माँ की मस्ती पूरे परवान पर थी. नंगे जिस्म जब आपस में टकराते तो घप-घप की आवाज आती.
काफ़ी देर तक मैं उन्हीं की कमर पकड़ कर धक्का लगाता रहा. जब हालात बेकाबू होने लगा, तब माँ को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा.
हम दोनों ही पसीने से लथपथ हो गए थे पर, कोई भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.
तभी माँ ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपनी टांगे मेरे चूतड़ पर रख दिया और कस कर जोर जोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झड़ गईं.
उनके झड़ने के बाद मैं भी माँ की चूची को मसलते हुए झड़ गया और हाँफ़ते हुए उनके ऊपर लेट गया.
हम दोनों की साँसें जोर जोर से चल रही थीं और हम दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे.
कुछ देर बाद माँ बोलीं- क्यों बेटा, कैसी लगी हमारी चूत की चुदाई?
मैं बोला- हाय मेरा मन करता है कि, जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत में लण्ड डाले पड़ा रहूँ.
josef
Platinum Member
Posts: 5381
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by josef »


माँ बोलीं- जब तक तुम यहाँ हो, यह चूत तुम्हारी है! जैसे मर्जी हो, मज़े लो! अब थोड़ी देर आराम करते हैं.
नहीं माँ, कम से कम एक बार और हो जाए!
देखो! मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है.
माँ ने मेरे लण्ड को पकड़ कर कहा- यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुशबू जो मिल गई है.
पर देखो, रात के तीन बज गए है! अगर सुबह समय से नहीं उठे तो तुम्हारी बुआ जी को शक जाएगा.
अभी तो सारा राज सामने है, और आगे के इतने राज हमारे पास है. जी भर कर मस्ती लेना!
मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाऊँगी! माँ का कहना मान कर, मैंने भी जिद्द छोड़ दी और माँ भी करवट ले कर लेट गईं और मुझे अपने से सटा लिया.
मैंने भी उनकी गाण्ड की दरार में लण्ड फंसा कर चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और माँ के कंधे को चूमता हुआ लेट गया.
नींद कब आई? इसका पता ही नहीं चला.
सुबह जब अलार्म बजा तो, मैंने समय देखा, सुबह के सात बज रही थी!
माँ ने मुझे मुस्कुरा कर देखा, और एक गर्मा-गर्म चुम्बन मेरे होंठों पर जड़ दिया.
मैंने भी माँ को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार का जवाब दिया. फिर, माँ उठ कर अपने रोज के काम काज में लग गईं. वो बहुत खुश थीं!
मैं उठ कर नहा, धोकर फ़्रेश होकर आँगन में बैठ कर नाशता करने लगा.
तभी बुआ जी आ गईं और बोलीं, बेटा खेत चलोगे?
मैंने कहा- क्यों नहीं! और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरे आँखों के सामने नाचने लगा.
इतने में डॉली (दोस्त की बहन) बोलीं, मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलूँगी और हम तीनों खेत की ओर चल पड़े.
रास्ते में जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थें, तो देखा की उस खेत में ककड़ियाँ उगी हुई थी.
मैंने ककड़ियों को दिखाते हुए बुआ जी से कहा, बुआ जी देखो! इस खेत वाले ने तो ककड़ियाँ उगाई है. ककड़ियों में काफ़ी गुण होते हैं.
बुआ जी लम्बी साँस भरती हुई बोलीं, हाँ बेटा ककड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता है और कई कामों में इसका उपयोग किया जाता है. जैसे सलाद में, सब्जियों में, कच्ची ककड़ी खाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है!
मैं बोला- हाँ! बुआ जी इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है. इस तरह की बातें करते करते हम लोग अपने खेत में पहुँच गए.

वहाँ जाकर, मैं मकान में गया और लुंगी और बनियान पहन कर वापस बुआ जी के पास आ गया. बुआ जी खेत में काम कर रही थीं और डॉली (दोस्त की बहन) उनके काम में मदद कर रही थीं.
मैंने देखा! बुआ जी ने साड़ी घुटनों के ऊपर कर रखी थीं और डॉली स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहने हुए थीं. मैं भी लुंगी ऊँची करके (मद्रासी स्टाईल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा.
जब डॉली झुककर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी दिखाई देती थी!
हम लोग करीब 1 या 1:30 घण्टे काम करते रहे.
फिर मैं बुआ जी से कहा, बुआ जी मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ!
तो बुआ बोलीं, ठीक है! और मैं खेत के मकान में आकर आराम करने लगा.
कुछ देर बाद कमरे में डॉली आई और कहने लगी, राज भैया आप वहाँ बैठ जाए क्योंकि, कमरे में झाड़ू मारनी है और मैं कमरे के एक कोने में बैठ गया. वो कमरे में झाड़ू मारने लगी.
झाड़ू मारते समय जब डॉली झुकी तो, मुझे उसकी चड्डी दिखाई देने लगी और मैं उसकी चुदाई के ख्यालों में खो गया.
थोड़ी देर बाद फिर वो बोली- भैया, जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है.
मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आ गया! देखा डॉली कमर पर हाथ रखी मेरे पास खड़ी है.
मैं खड़ा हो गया और वो फिर झुक कर झाड़ू लगाने लगी. मुझे फिर उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया था.. पर आज की बात ही कुछ और थी.
रात माँ से चुदाई की ट्रैनिंग लेकर, एक ही रात में मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़रिए से देखना चाहता था.
Post Reply