Faridi aur Leonard ibne safi

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Masoom
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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‘‘मैंने ज़बर्दस्त धोखा खाया.... कमबख़्त ने सादे काग़ज़ों के ऊपर कुछ नोट लगा रखे थे.... नोटों की गड्डियों में ऊपर-नीचे नोट और बीच में सादा काग़ज़ था।’’

‘‘तस्वीरों का क्या हुआ....?’’ रेडियो से आवाज़ आयी।

‘‘निगेटिव समेत ले गया।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘तुम बिलकुल बेवकूफ़ हो।’’ रेडियो से आवाज़ आयी।

‘‘क्या लड़की भी वापस कर दी?’’

‘‘नहीं....!’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘यह मेरी पहली ग़लती है उम्मीद है कि आप मुझे माफ़ कर देंगे।’’

‘‘ख़ैर, जाने दो....!’’ रेडियो से आवाज़ आयी। ‘‘लड़की को हिफ़ाज़त से रखना और अगर हो सके तो उस गधे को भी उठा लाओ.... और हाँ, फ़रीदी से होशियार रहना।’’

‘‘वह बुरी तरह मेरे पीछे पड़ गया है.... अगर हुक्म हो तो उसे क़त्ल कर दिया जाये।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘तुम उसकी फ़िक्र मत करो.... मैं उसका क़ायदे से इन्तज़ाम कर रहा हूँ।’’ रेडियो से आवाज़ आयी।

फ़रीदी ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और बोला.... ‘‘कल दिन में आपसे बात नहीं कर सकूँगा.... मेरा इरादा है कि उस नवाब के बच्चे को एक अच्छा सबक़ पढ़ाऊँ।’

‘‘उसे सबक़ देने का सबसे आसान तरीक़ा तुम्हें बताता हूँ।’’ रेडियो से आवाज़ आयी। ‘‘लड़की तुम्हारे क़ब्ज़े में है ही, किसी के साथ उसकी तस्वीर खींच कर उसे रिहा कर दो और तस्वीर की एक-एक कापी उसके हर रिश्तेदार के पास भिजवा दो।’’

फ़रीदी उलझन में पड़ गया। अदनान ने कहा था कि उसे लड़की के अपहरण के बारे में कुछ मालूम ही नहीं। लियोनार्ड ने सीधे उसे ग़ायब कर दिया था और उसी ने उसे कहीं रखा भी था।

‘‘आपका यह ख़याल बहुत अच्छा है। ऐसा ही किया जायेगा।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘और कोई हुक्म।’’

‘‘नहीं, अब बस कल रात को फिर बात होगी।’’ रेडियो से आवाज़ आयी और कमरे में पूरे तौर से सन्नाटा छा गया। फ़रीदी ने ख़ाना बन्द कर दिया। वह सोच रहा था कि आख़िर ग़ज़ाला का पता कैसे लगाये। अगर वह उसी मकान में किसी जगह क़ैद है तब तो आसानी से पता चल जायेगा और अगर यहाँ न हुई तो उसके लिए उसे दोबारा अदनान के साथ सख़्ती करनी पड़ेगी। उसने अदनान के साथ जो रवैया अपनाया था, वह उसे बिलकुल पसन्द न था, लेकिन इसके अलावा कोई और सूरत भी तो न थी। वह अच्छी तरह जानता था कि इस क़िस्म के लोग मारने-पीटने से ही क़ाबू में आते हैं और कभी-कभी तो मार-पीट भी उन्हें सीधे रास्ते पर लाने के लिए बेकार साबित होती है।

फ़रीदी रात भर जागता रहा। जब मकान के सारे लोग सो गये तो वह उठा और मकान का कोना-कोना छान मारा। मगर ग़ज़ाला का कोई पता नहीं चला।
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कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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फ़रीदी पागल हो गया

दूसरे दिन सुबह फ़रीदी अपने घर पहुँचा। उसने हमीद को पहले ही ख़बर भिजवा दी थी और अब उसके आने का इन्तज़ार कर रहा था। हमीद की ग़ैरमौजूदगी में घर उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। नाश्ते की मेज़ पर पहुँच कर भी उसने हमीद की कमी महसूस की।

‘‘क्यों भई.... ये बंगाली रसगुल्ले कहाँ से आये थे?’’ फ़रीदी ने मेज़ के क़रीब खड़े हुए नौकर से पूछा। उसे बंगाली रसगुल्ले बेहद पसन्द थे।

‘‘चीफ़ साहब ने आपके लिए भिजवाये हैं।’’ नौकर ने जवाब दिया।

फ़रीदी ने रसगुल्ला उठाया, लेकिन फिर फ़ौरन ही रख दिया। वह कुछ सोच रहा था। ट्रांसमीटर पर बोलने वाले के शब्द अब तक उसके कानों में गूँज रहे थे और फिर आज से पहले कभी चीफ़ इन्स्पेक्टर साहब ने इतनी मेहरबानी नहीं की थी। फ़रीदी ने एक रसगुल्ला उठा कर क़रीब बैठे हुए कुत्ते के आगे डाल दिया। कुत्ता उसे खा कर दोबारा फ़रीदी की तरफ़ देखने लगा। फ़रीदी ने एक और डाल दिया। धीरे-धीरे उसने सारे रसगुल्ले उसे खिला दिये। थोड़ी देर के बाद कुत्ता ऊँघने लगा। फ़रीदी चाय के घूँट ले ले कर ग़ौर से उसे देखता रहा। कुछ देर बाद अचानक कुत्ता चौंका और एक बड़े आईने में अपना चेहरा देख कर उस पर झपटा.... वह आईने के सामने इस तरह उछल-कूद रहा था जैसे किसी दूसरे कुत्ते से लड़ रहा हो। फ़रीदी के होंटों पर थोड़ी-सी मुस्कुराहट पैदा हुई। वह उठा और कमरे से निकल गया। दो नौकरों ने कुत्ते के शोर के बारे में उससे पूछा। लेकिन उसने उन्हें यह कह कर टाल दिया कि उसने एक चूहा पकड़ लिया है। उसने दूसरे कमरे में जा कर पिस्तौल निकाला और फिर कमरे में लौट आया। ऐसा मालूम हो रहा था जैसे कुत्ता पागल हो गया हो। फ़रीदी ने पिस्तौल चला दिया। कुत्ते ने एक छलाँग लगायी और ज़मीन पर आ गिरा। गोली चलने की आवाज़ सुन कर कई नौकर कमरे की तरफ़ दौड़ आये। फ़रीदी का चेहरा लाल हो रहा था। लाल-लाल आँखें उबली पड़ रही थीं। उसने नौकरों की तरफ़ देख कर एक डरावना क़हक़हा लगाया और उन्हें भी गोली मार देने की धमकियाँ देने लगा।

सारे नौकर डर कर इधर-उधर चले गये। फ़रीदी तरह-तरह की आवाज़ें निकालता हुआ उछल-कूद कर रहा था।

इतने में हमीद आ गया, फ़रीदी को इस हालत में देख कर उसे हँसी आ गयी।

‘‘क्यों बे उल्लू के पट्ठे, तू हँस क्यों रहा है?’’ फ़रीदी ने चीख़ कर कहा।

हमीद फौरन संजीदा हो गया। फ़रीदी ने आज तक उससे इस तरह की बात न की थी।

‘‘अबे, बोलता क्यों नहीं?’’ फ़रीदी फिर चीख़ा।

इस बार हमीद सिर-से-पैर तक काँप गया। उसने फ़रीदीकी आँखों में एक बहुत ही भयानक क़िस्म की चमक देखी।

‘‘अबे, बोल....’’ फ़रीदी फिर गरजा।

‘‘क्या बोलूँ....?’’ हमीद ने डरते-डरते कहा।

‘‘अबे, वही बोल जो तुझे शैतान की मौसी ने सिखाया है।’’ फ़रीदी चीख़ा। ‘‘अबे बोल, बन्दर की औलाद, कौड़ियाले साँप के भांजे।’’

हमीद को फिर हँसी आ गयी और फ़रीदी ने जेब से पिस्तौल निकाल कर फ़ायर कर दिया। गोली हमीद के दाहिने कान के क़रीब से निकल गयी।

हमीद बदहवास हो कर भागा.... फ़रीदी उसके पीछे दौड़ रहा था। हमीद ने बाथरूम में घुस कर दरवाज़ा बन्द कर लिया। फ़रीदी दरवाज़ा पीटने लगा।

‘‘अबे, ओ टमाटर के मौसा.... दरवाज़ा खोलो.... वरना कच्चा खा जाऊँगा।’’ फ़रीदी चीख़ा।

घर के सारे नौकर उसकी यह हालत देख कर इधर-उधर छिपते फिर रहे थे।

‘‘अच्छा बेटा.... न खोलो.... दफ़्तर से लौट कर तुम्हारी मरम्मत करूँगा।’’ फ़रीदी ने कहा और वहाँ से हट गया।

उसने पायजामे और कमीज़ पर टाई बाँधी, एक पैर में काला जूता पहना और दूसरे में कत्थई और सिर पर गाँधी कैप रख कर दफ़्तर की तरफ़ पैदल ही चल दिया।

रास्ते भर लोग उसे देख-देख कर हँसते रहे.... और वह उन्हें मुँह चिढ़ाता रहा।

दफ़्तर में घुसते ही उसने हुल्लड़ मचाना शुरू कर दिया।

‘‘आई ऐम द बेस्ट-आई ऐम द बेस्ट।’’ वह चीख़-चीख़ कर गा रहा था।

दफ़्तर के सारे कर्मचारी उसके पास इकट्ठे हो गये थे। गाते-गाते उसने एक हाथ कमर पर रखा और दूसरा सिर पर और अंग्रेज़ी गाना गाता हुआ हिन्दुस्तानी अन्दाज़ में ठुमुक-ठुमुक कर नाचने लगा।

लोग खड़े हँस रहे थे। बहुतेरों के ज़ेहन में यह बात आयी कि शायद वह जासूसी के सिलसिले में कोई नयी चाल चल रहा है।

यह सिलसिला जारी था कि हमीद भी दफ़्तर पहुँच गया। लोग उससे पूछने लगे।

‘‘नहीं, बिलकुल नहीं.... यह बहरूपिया हरगिज़ नहीं हो सकता।’’ हमीद ने कहा। ‘‘अभी-अभी उन्होंने मुझ पर पिस्तौल से वार किया था.... अगर मैं एक तरफ़ न हो जाता तो खोपड़ी साफ़ हो गयी थी।’’

यह सुन कर बहुत-से लोग डर कर फ़रीदी के पास से हट गये।

‘‘तुम आ गये मेरे बेटे।’’ फ़रीदी हमीद की तरफ़ हाथ बढ़ाता हुआ बोला। ‘‘भाइयो! मेरे पहले शौहर की औलाद है।’’

फिर एक ज़ोरदार हँसी हुई और हमीद झेंप कर वहाँ से हट गया।

आख़िरकार यह हुल्लड़ इतना बढ़ा कि मिस्टर जैक्सन को अपने कमरे से बाहर निकल आना पड़ा।

लोग उसे देख कर इधर-उधर फैल गये।

‘‘वेल मिस्टर फ़रीदी, क्या बात है?’’ जैक्सन ने उसे इस तरह देख कर हैरत ज़ाहिर करते हुए कहा।

‘‘दिल का मेरी जान तुम्हारे इश़्क में यह हाल हो गया है।’’ फ़रीदी ने उसकी तरफ़ बढ़ कर उसे लिपटाने की कोशिश करते हुए कहा।

‘‘क्या बदतमीज़ी है।’’ जैक्सन उसे हटाते हुए गरज कर बोला।

‘‘मार डालो मेरी जान, बस इसी अदा पर जान जाती है।’’ फ़रीदी ने अपने सीने पर हाथ मार कर कहा।

‘‘अरे, इसे क्या हो गया?’’ जैक्सन ने बेबसी से कहा।

‘‘इश़्क हो गया है, इश़्क....‘‘ फ़रीदी इतने जोर से चीख़ा कि उसकी आवाज़ भर्रा गयी।

जैक्सन ने लोगों को पुकारा.... वहाँ फिर भीड़ लग गयी।

‘‘शायद इसने बहुत ज़्यादा पी ली है।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘नहीं साहब.... शायद इनका दिमाग़ ख़राब हो गया है।’’ एक आदमी बोला।

‘‘अचानक दिमाग़ कैसे ख़राब हो गया?’’ जैक्सन ने पूछा।

‘‘मुझे नौकरों की ज़बानी मालूम हुआ कि सुबह नाश्ते के वक़्त अचानक उन पर इस क़िस्म का दौरा पड़ गया।’’ हमीद ने कहा। ‘‘पहले इन्होंने एक कुत्ते को मार डाला और फिर मुझ पर भी गोली चलायी।’’

‘‘अरे....!’’ जैक्सन ने कहा और डरी ऩजरों से फ़रीदी की तरफ़ देखने लगा।

फ़रीदी अब भी खड़ा डरावने अन्दाज़ में हँस रहा था।
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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जैक्सन ने लोगों को इशारा किया। दो-तीन लोग फ़रीदी पर टूट पड़े और थोड़ी देर बाद उसे बेबस कर दिया और फिर उसे एक कुर्सी में बाँध दिया गया।

फ़रीदी को जितनी भी ज़बानें आती थीं, वह उनमें एक के बाद एक बेतहाशा गालियाँ बक रहा था।

‘‘कुछ यह भी बता सकते हो कि उन्होंने नाश्ते में क्या खाया था।’’ जैक्सन ने कुछ सोचते हुए हमीद से कहा।

‘‘मैंने इसके बारे में नौकरों से पूछा था।’’ हमीद बोला। ‘‘टोस्ट, अण्डे, जलेबी, मक्खन और कुछ सूखे मेवे.... और हाँ बंगाली रसगुल्ले जो चीफ़ इन्स्पेक्टर साहब ने भिजवाये थे।’’

‘‘मैंने....!’’ चीफ़ इन्स्पेक्टर ने हैरत से कहा। ‘‘मैंने तो नहीं भिजवाये थे।’’

‘‘जी....!’’ हमीद ने चौंक कर कहा।

‘‘हाँ भई, मैंने नहीं भिजवाये थे।’’

‘‘अच्छा, तो यह बात है.... यह सब उन्हीं रसगुल्लों की करामात है। यह ज़रूर उनके किसी दुश्मन की हरकत है।’’ हमीद ने कुछ सोचते हुए कहा।

‘‘क्या उन रसगुल्लों में से कुछ बचा भी है।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘मेरे ख़याल से तो नहीं।’’

‘‘इन्हें फ़ौरन हस्पताल ले चलना चाहिए।’’ जैक्सन ने कहा।

इस दौरान फ़रीदी बेहोश हो चुका था।

लोगों ने उसे कुर्सी से खोला और स्ट्रेचर पर डाल कर हस्पताल की तरफ़ ले चले। चूँकि हस्पताल क़रीब ही था, इसलिए उन लोगों ने पैदल ही जाना मुनासिब समझा। अभी थोड़ी ही दूर गये होंगे कि फ़रीदी स्टे्रचर से कूद कर भागा.... लोगों ने उसका पीछा करना चाहा, लेकिन उसने उन्हें पेच-दर-पेच गलियों में ऐसे-ऐसे चक्कर दिये कि उन्हें थक-हार कर लौट ही जाना पड़ा।

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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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नयी खोज

फ़रीदी दिन भर इधर-उधर छिपता फिरा। अँधेरा होते ही वह उसी शराबख़ाने में फिर जा पहुँचा। उसने बहुत कोशिश की कि किसी तरह प्रिंस अदनान से ग़ज़ाला का पता मालूम हो जाय, लेकिन वह इसमें कामयाब न हो सका। थक-हार कर उसने अपने कमरे का रुख़ किया। वहाँ उसने प्रिंस अदनान का भेस बदला और उसके मकान की तरफ़ रवाना हो गया। आज उसने शराबियों की नक़ल नहीं की। फ़ाटक ही पर उसे वही दोनों आदमी दिखायी दिये, जो उसे पिछली रात उठा कर ले गये थे।

‘‘सरदार....!’’ उनमें से एक आगे बढ़ कर बोला। ‘‘उस लड़की ने तो नाक में दम कर रखा है। सुबह से कुछ नहीं खाया और शाम को दीवार से अपना सिर टकरा कर ज़ख़्मी हो गयी।’’

लड़की का ज़िक्र सुन कर फ़रीदी के कान खड़े हो गये।

‘‘अच्छा चलो....! चल कर देखता हूँ।’’ फ़रीदी ने घर के अन्दर दाख़िल होते हुए कहा।

वह थोड़ी दूर चलता रहा फिर अचानक चीख़ मार कर गिर पड़ा। दोनों उसकी तरफ़ लपके।

‘‘क्या हुआ सरदार....!’’

‘‘चलते वक़्त पैर मुड़ गया है।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘ज़रा पैर खींचो.... शायद कोई नस चढ़ गयी है।’’

एक ने उसका पैर पकड़ कर दो-तीन झटके दिये.... फ़रीदी मुश्किल से खड़ा हुआ और लँगड़ा-लँगड़ा कर चलने लगा।

‘‘अरे, आगे चलो.... भई, तुम कब तक मेरे पीछे रेंगते रहोगे।’’ फ़रीदी ने झल्ला कर कहा।

‘‘मेरे ख़याल से तो इस वक़्त आराम कीजिए, सुबह देखा जायेगा।’’ एक ने झल्ला कर कहा।

‘‘फ़ालतू मत बको।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘चलो, चल कर उसे देखें, कहीं वह ख़ुदकुशी न कर बैठे कि बना-बनाया खेल बिगड़ जाये।’’

वे दोनों आगे-आगे चल रहे थे और फ़रीदी उनके पीछे लँगाता जा रहा था।

एक कमरे में पहुँच कर दोनों ने फ़र्श पर बिछे हुए कालीन को हटाया और उस जगह पर जुड़े हुए तख़्ते को उठाने लगे। तख़्ता हटते ही एक तहख़ाने का रास्ता ऩजर आया.... दोनों सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे। फ़रीदी भी धीरे-धीरे कराहता हुआ उनका साथ दे रहा था। उतरने के बाद वह एक बहुत बड़े कमरे में पहुँचे जहाँ चारों तरफ़ बहुत-से छोटे-छोटे कमरे बने हुए थे। दोनों में एक ने बढ़ कर एक कमरे का दरवाज़ा खोला। कमरे में बल्ब जल रहा था। दोनों गेट के दोनों तरफ़ खड़े हो गये और प्रिंस अदनान लँगड़ाता हुआ कमरे में दाख़िल हुआ। एक औरत सिर झुकाये बैठी थी। उसने आहट सुन कर भी अपना सिर नहीं उठाया। फ़रीदी फिर गेट की तरफ़ वापस लौटा और उन दोनों को चले जाने का इशारा करके फिर वापस आ गया। उसने धीरे से औरत के सिर पर हाथ रखा और वह उछल कर खड़ी हो गयी। यह ग़ज़ाला थी।

‘‘ख़बरदार, मुझे हाथ मत लगाना।’’ वह बिफर कर बोली। उसके माथे के जख़्म पर ख़ून जम गया था। बाल उलझे हुए.... चेहरा वीरान था, आँखें किसी डरी हिरनी की आँखों की तरह मालूम हो रही थीं।

‘‘यह तुमने अपना सिर क्यों फोड़ लिया?’’ फ़रीदी ने धीरे से पूछा।

‘‘तुझसे मतलब....!’’ वह गरज कर बोली।

‘‘खाना क्यों नहीं खाया?’’

‘‘मेरी ख़ुशी....!’’

‘‘आख़िर इस तरह बिगड़ क्यों रही हो?’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘जाओ, जा कर अपना काम करो.... मैं बेकार बातें नहीं करना चाहती।’’

‘‘उफ़! क्या तुम नहीं जानतीं कि मैं तुमसे कितनी मुहब्बत करता हूँ।’’

‘‘अच्छा, यह कब से?’’ ग़ज़ाला तेवर में बोली।
\
‘‘जिस दिन से तुम्हें देखा है।’’

‘‘अच्छा, तो कान खोल कर सुन लो.... अगर अब तुमने इस क़िस्म की बात की तो मैं ख़ुदकुशी कर लूँगी या तुम्हारा गला घोंट दूँगी।’’

‘‘हुस्न ग़ुस्से में बड़ा भला मालूम होता है।’’

‘‘दूर हो जाओ यहाँ से कमीने कुत्ते कहीं के।’’ वह गरज कर बोली।

‘‘देखो.... मेरा कहना मान लो.... मैं तुम्हें आज़ाद कर दूँगा।’’

‘‘ऐसी आज़ादी पर मैं मौत को अच्छा समझती हूँ।’’

‘‘तुम्हारे इस ख़याल से मुझे ख़ुशी हुई।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘घबराओ नहीं.... तुम बहुत जल्द रिहा हो जाओगी।’’
ग़ज़ाला हैरत से उसका मुँह देखने लगी। यह चीज़ उसकी समझ से बाहर थी कि प्रिंस अदनान अचानक कैसे बदल गया।

‘‘मैं अदनान नहीं, फ़रीदी हूँ।’’ फ़रीदी ने धीरे से कहा। ‘‘अदनान मेरी क़ैद में है।’’

‘‘ओह! तो अब तुम यह दूसरी चाल चल रहे हो।’’ ग़ज़ाला कुढ़ कर बोली। ‘‘लेकिन इतना याद रखो कि तुम मुझ पर किसी तरह कामयाब नहीं हो सकते।’’

फ़रीदी हँसने लगा। उसने उसे सारी कहानी सुना दी। वह हैरत से मुँह खोले सुन रही थी।

‘‘यह तो बहुत बुरा हुआ कि उन कमबख़्तों ने वालिद साहब को भी इसकी ख़बर दे दी....!’’ ग़ज़ाला बोली।

‘‘लेकिन तुम इत्मीनान रखो.... मैंने उन्हें तुम्हारी बेगुनाही का यक़ीन अच्छी तरह दिला दिया है।’’

‘‘मगर मैं किस तरह यक़ीन कर लूँ कि आप प्रिंस अदनान नहीं हैं?’’ ग़ज़ाला अविश्वास से बोली।

‘‘यह लो, वे तस्वीरें जो मैंने प्रिंस अदनान से हासिल की हैं।’’ फ़रीदी ने जेब से एक लिफ़ाफ़ा निकाल कर ग़ज़ाला की तरफ़ बढ़ा दिया।

वह लिफ़ाफ़े से तस्वीरें निकाल कर देखने लगी।

‘‘अब लाओ.... मैं इन्हें जला दूँ।’’ फ़रीदी ने उसके हाथ से तस्वीरें ले कर जला दीं।

‘‘कहो, अब यक़ीन आया।’’

ग़ज़ाला ने सिर हिलाया।

‘‘तो फिर मुझे यहाँ से छुटकारा कब मिलेगा?’’ वह बोली।

‘‘बहुत जल्द.... ज़रा वह शख़्स क़ब्ज़े में आ जाये, जो इस सारे गोरख-धन्धे का सरग़ना है।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘हाँ, यह तो बताओ कि तुम उस दिन होटल से अचानक ग़ायब किस तरह हो गयी थीं।’’
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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‘‘यह भी एक अजीबो-ग़रीब दास्तान है। जैसे ही बाथरूम से निकली, मुझे वालिद साहब दिखायी दिये, मैं परेशान हो गयी। मैं दरअसल उनसे यह कह कर आयी थी कि मैं ख़ाला के यहाँ देहली जा रही हूँ। उन्होंने वहाँ मेरी मौजूदगी का सबब पूछा जिसका मैं कोई सही जवाब न दे सकी। उन्होंने मुझसे वापस चलने के लिए कहा और मैं उनके साथ हो ली। बाहर टैक्सी खड़ी थी। हम दोनों उस पर बैठ कर चल दिये। उन्होंने मुझसे कहा कि वह मुझे अपने एक दोस्त के यहाँ लिये जा रहे हैं और फिर मुझे कुछ अच्छी तरह याद नहीं कि मैं इस क़ैदख़ाने में किस तरह पहुँची।’’

ग़ज़ाला ख़ामोश हो गयी।

‘‘और यही वजह है कि अब जल्दी से किसी बात पर यक़ीन कर लेने को दिल नहीं चाहता।’’ ग़ज़ाला बोली।

‘‘लेकिन मेरी बातों पर यक़ीन न करने की भी कोई वजह नहीं हो सकती।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘मैं अपना मेक-अप बिगाड़ना नहीं चाहता, वरना अभी अपनी असली सूरत भी दिखा देता।’’

ग़ज़ाला ख़ामोश रही।

‘‘आओ, मैं तुम्हारा जख़्म धो कर पट्टी बाँध दूँ।’’ फ़रीदी ने कहा।

ग़ज़ाला कुछ नहीं बोली। फ़रीदी ने स्टूल पर रखा हुआ पानी का जग उठाया और अपना रूमाल तर करके ज़ख़्म धोने लगा। ग़ज़ाला आँखें बन्द किये बैठी रही। दो मोटे-मोटे आँसू उसकी आँखों से निकल कर चेहरे पर बह चले।

‘‘अरे.... तो तुम रोती क्यों हो।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘घबराओ नहीं.... तुम्हें यहाँ सिर्फ़ दो एक-दिन और रहना पड़ेगा।’’

ग़ज़ाला फिर भी कुछ न बोली।

‘‘ठहरो....मैं पट्टियाँ और बैंड एड ले आऊँ।’’ फ़रीदी ने कहा और कमरे से निकल आया। अभी वह कुछ क़दम चला था कि तभी उसे ऐसा मालूम हुआ जैसे कोई अंग्रेज़ी में कुछ कह रहा हो। वह पलट पड़ा.... जिस कमरे से आवाज़ आ रही थी उसके शीशों से झाँक कर उसने देखा एक शख़्स उसकी तरफ़ पीठ किये बैठा कुछ पढ़ रहा था। फ़रीदी ने दरवाज़ा खोलना चाहा, मगर बाहर से ताला बन्द था। फ़रीदी ने इतना अन्दाज़ा ज़रूर लगा लिया कि वह कोई अंग्रेज़ है।

फ़रीदी तहख़ाने से निकल कर उन दोनों आदमियों को तलाश करने लगा। दोनों एक कमरे में बैठे हुए शराब पी रहे थे।

फ़रीदी को देखते ही दोनों घबरा कर खड़े हो गये। उनके अन्दाज़ से ऐसा मालूम हो रहा था जैसे फ़रीदी अचानक कमरे में पहुँच गया हो।

‘‘आज जी भर कर पियो मेरे शेरू.... आज मैं बहुत ख़ुश हूँ।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘लेकिन पहले ज़रा एक काम कर दो।’’

‘‘कहिए....!’’ एक बोला।

‘‘फ़र्स्ट एड बक्स लाओ,’’ फ़रीदी ने कहा, ‘‘और नम्बर बारह की चाभी।’’

उनमें से एक बाहर चला गया और दूसरे ने एक चाभी निकाल कर फ़रीदी को दे दी। फ़रीदी एक कुर्सी पर बैठ कर गये हुए आदमी का इन्तज़ार करने लगा।

कुछ मिनट बाद वह वापस आया। उसके हाथ में मरहमपट्टी का सामान रखने वाला एक बक्स था। फ़रीदी बक्स ले कर तहख़ाने की तरफ़ चला गया और दोनों फिर बैठ कर शराब पीने लगे।

फ़रीदी ने ग़ज़ाला की मरहम-पट्टी की और दूसरे कमरे की तरफ़ चला गया।

जैसे ही वह दरवाज़ा खोल कर अन्दर गया, उसके मुँह से हैरत की चीख़ निकल गयी और उसका चेहरा ख़ुशी से झूमने लगा।

अन्दर बैठा अंग्रेज़ जैक्सन था। वह देखने में बहुत दुबला और कमज़ोर लग रहा था।

फ़रीदी को देख कर उसने नफ़रत से मुँह सिकोड़ लिया।

‘‘तो मेरा शक सही निकला....!’’ फ़रीदी धीरे से बड़बड़ाया। ‘‘कहिए मिस्टर जैक्सन, कैसे मिज़ाज हैं?’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘ठीक हूँ।’’ जैक्सन ने लापरवाही से कहा।

जैक्सन उसकी तरफ़ देखने लगा।

‘‘आप यहाँ किस तरह आये?’’ फ़रीदी ने पूछा। वह यह भी भूल गया था कि वह इस वक़्त प्रिंस अदनान के भेस में था।

‘‘क्या मतलब....!’’ जैक्सन ने बुरी आवाज़ में कहा। ‘‘क्यों मेरा मज़ाक़ उड़ाने की कोशिश कर रहे हो।’’

‘‘मैं फ़रीदी हूँ।’’ फ़रीदी ने झुक कर धीरे से कहा।

‘‘अरे....!’’ जैक्सन उछल कर खड़ा हो गया।

‘‘जी हाँ।’’

‘‘मगर तुम....मगर तुम....!’’

‘‘जी हाँ.... मैं प्रिंस अदनान के भेस में हूँ और वह मेरी क़ैद में है।’’

ज़ैक्सन फ़रीदी से लिपट गया।

‘‘मैं सच कहता हूँ मिस्टर फ़रीदी कि ख़ुदा के बाद मुझे सिर्फ़ तुम्हारी ज़ात से इसकी उम्मीद थी।’’ जैक्सन मुहब्बत से बोला।

‘‘लेकिन आप यहाँ किस तरह।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘हस्पताल से छुट्टी होने में कुछ ही दिन बाक़ी थे कि अचानक एक दिन मैंने ख़ुद को यहाँ इस कोठरी में पाया और उसके अलावा मैं कुछ और नहीं जानता।’’

‘‘आप कुछ बता सकते हैं कि आप किसकी क़ैद में हैं?’’

‘‘नहीं.... बिलकुल नहीं।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘आप लियोनार्ड की क़ैद में हैं।’’

‘‘लियोनार्ड....!’’ जैक्सन उछल कर बोला। ‘‘वह यहाँ कहाँ?’’

‘‘वह यहाँ के नवाबों और राजाओं को ब्लैक-मेल करने के लिए आया हुआ है और आजकल आपका रोल अंजाम दे रहा है।’’

‘‘क्या मतलब....!’’

‘‘वह आपके भेस में जासूसी विभाग के सुप्रिन्टेंडेण्ट का फ़र्ज़ निभा रहा है।’’

जैक्सन हैरत से फ़रीदी का मुँह देखने लगा।

‘‘मिस्टर फ़रीदी, अगर तुमने उसे गिरफ़्तार कर लिया तो तुम न सिर्फ़ हिन्दुस्तान, बल्कि पूरी ब्रिटिश एम्पायर के बहुत बड़े आदमी होगे।’’ जैक्सन ने फ़रीदी का हाथ दबाते हुए कहा।

‘‘अच्छा, अब थोड़ी देर ठहरिए।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘मैं इसी वक़्त आपको ले चलूँगा.... और आज ही रात को लियोनार्ड को गिरफ़्तार करने की कोशिश करूँगा, वरना मालूम नहीं कल क्या हो। वह बहुत चालाक आदमी है।’’
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