Faridi aur Leonard ibne safi

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Masoom
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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‘‘मेरा ख़याल है कि हिन्दुस्तान में आपके इस म़र्ज का ठीक से इलाज हो जायेगा।’’ फ़रीदी ने कहा।

अजनबी उसके जुमले पर चौंक पड़ा।
और बोला, ‘‘जी हाँ....! मैं दरअसल आपके अख़बार में एक इश्तहार देने के लिए आया था।’’

‘‘हाँ, हाँ.... शौक़ से।’’ एडिटर ने कहा।

‘‘मुझे एक ड्राइवर की ज़रूरत है।’’

‘‘अगर यह बात है तो अंग्रेज़ी अख़बार आप के लिए बेकार साबित होगा।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘क्योंकि हिन्दुस्तान में शायद ही कोई अंग्रेज़ी पढ़ा हुआ पेशेवर ड्राइवर मिल सके।’’

‘‘लेकिन मुझे तो अंग्रेज़ी ही जानने वाला चाहिए, क्योंकि मैं हिन्दुस्तानी ज़बान नहीं समझ पाता।’’ अजनबी ने कहा।

‘‘ख़ैर, कोशिश कीजिए। शायद कोई मिल ही जाय।’’ फ़रीदी बोला।

‘‘आप अपना पता मुझे दे दीजिए.... मैं इश्तहार छपवा दूँगा।’’ एडिटर ने अजनबी से कहा।

थोड़ी देर तक इधर-उधर की बात करने के बाद अजनबी खड़ा हो गया। उसने वहाँ से बैठे हुए सब आदमियों से हाथ मिलाया और कमरे से बाहर निकल गया।

‘‘हाँ, तो फ़रमाइए.... मैं आपकी क्या ख़िदमत कर सकता हूँ।’’ एडिटर ने फ़रीदी की तरफ़ देख कर कहा।

‘‘जनाब, पहले यह बताइए कि आपके कमरे में इतना सफ़ोकेशन क्यों है।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘क्यों....? क्या बात है?’’ एडिटर ने कहा।

‘‘मुझे कुछ ऐसा महसूस होता है जैसे मैं भी थोड़ी देर बाद बेहोश हो जाऊँगा।’’ फ़रीदी ने घुटी हुई आवाज़ में कहा।

‘‘अरे....!’’ एडिटर हैरत से आँखें फाड़ता हुआ बोला।

‘‘जी हाँ.... ज़रा जल्दी से.... डॉक्टर शायद अभी थोड़ी दूर ही गया होगा।’’ फ़रीदी यह कहते-कहते कुर्सी पर एक तरफ़ लटक गया। उसका बायाँ हाथ ज़मीन पर झूल रहा था।

एडिटर घबरा कर खड़ा हो गया। वह उसे आवाज़ें दे रहा था, लेकिन बेकार। फ़रीदी बेहोश हो चुका था। बजाय इसके कि वह घण्टी बजा कर किसी को बुलाता, एडिटर ख़ुद बाहर की तरफ़ भागा। शायद वह डॉक्टर को बुलाने जा रहा था। उसने उसे इमारत के गेट पर ही जा लिया।

‘‘डॉक्टर.... डॉक्टर.... फ़ौरन वापस चलो.... दूसरे साहब भी बेहोश हो गये।’’

दूसरे दिन फ़रीदी और हमीद में बात हो रही थी। उस दिन के ‘न्यू स्टार’ का एडिशन मेज़ पर खुला हुआ पड़ा था।

‘‘देखो, आज उन दिलचस्प इश्तहारों का सिलसिला नहीं छपा।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘एडिटर ने माफ़ी भी माँगी है।’’ हमीद बोला। ‘‘यह देखिए, लिखता है, हमें अफ़सोस है कि अचानक काग़ज़ खो जाने की वजह से आज के अंक में ब्लैकमेलिंग का दिलचस्प इश्तहार प्रकाशित न हो सका।’’

‘‘यह बात तो उसने बिलकुल सच लिखी है।’’ फ़रीदी बोला। ‘‘काग़ज़ सचमुच खो गये हैं और शायद तुम यह भी जानते हो कि आजकल शहर में खोयी हुई चीज़ें मेरी जेब से बरामद होती हैं।’’

‘‘क्या मतलब....?’’ हमीद ने उसे ग़ौर से देखते हुए कहा।

‘‘यानी यह कि वह काग़ज़ इस वक़्त मेरी जेब में मौजूद है।’’ फ़रीदी ने जेब से एक तह किया हुआ काग़ज़ निकालते हुए कहा, ‘‘पढ़ो।’’

हमीद पढ़ने लगा।
‘‘लन्दन की हसीन रात कौन भूल सकता है, जब प्रिंस.... ने अपनी कुँवारी चचेरी बहन को एक रात के लिए अपनी बीवी बनाया था। लन्दन के जेंफ़र्ज होटल का कमरा नम्बर ११५ सुहाग रात की रंगीनियों से भरा हुआ था। प्रिंस की चचेरी बहन दूसरे ही दिन हिन्दुस्तान के लिए रवाना हो गयी। वापसी पर तीन दिन के अन्दर ही उसने एक जागीरदार से शादी कर ली। मेरे पास इसके काफ़ी सबूत मौजूद है कि वह जिस बच्चे की माँ बनने वाली है, वह जागीरदार का नहीं है। मैं उस प्रिंस और उसकी चचेरी बहन से १५ करोड़ रुपये का सौदा करता हूँ, अदायगी न होने की सूरत में यह राज़ उस जागीरदार को सबूत के साथ बताया जायेगा। लेन-देन इसी अख़बार के ज़रिये होगा।’’

‘‘लेकिन यह आपको मिला कैसे?’’ हमीद ने पूछा।

फ़रीदी ने उस रात के सारे हालात बताते हुए कहा, ‘‘मेरे बेहोश होते ही एडिटर घबरा कर डॉक्टर को बुलाने के लिए कमरे से बाहर निकल गया और मैंने जल्दी-जल्दी उस कमरे की तलाशी लेना शुरू कर दी। सबसे पहले मैंने मेज़ के दराज़ों को खोला। इत्तफ़ाक़ से यह काग़ज़ ऊपर ही रखा हुआ मिल गया। इतना काफ़ी था। मैंने जल्दी से इसे जेब में डाला और फिर बेहोश बन कर लेट गया। इस काग़ज़ पर दो आदमियों की उँगलियों के निशान मिले हैं और दूसरे निशान के बारे में अभी कुछ कह नहीं सकता। लेकिन मुझे जिस पर शक है, उसके पीछे तुम्हें लगाना चाहता हूँ। तुम आसानी से उसकी उँगलियों के निशान ले सकोगे।’’

‘‘वह कौन है?’’ हमीद ने बेताबी से पूछा।

‘‘वही शख़्स जो रात एडिटर के कमरे में बेहोश हो गया था।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘इसके लिए तुम्हें उसका ड्राइवर बनना पड़ेगा।’’

‘‘मैं समझ गया.... हाँ, आइडिया तो अच्छा है।’’ हमीद बोला। ‘‘लेकिन यह तो बताइए कि आपने होश में आने के बाद एडिटर को क्या बताया था कि आप उससे क्यों मिलने गये थे।’’

‘‘अरे, यह भी कोई ख़ास बात है।’’ फ़रीदी मुस्कुरा कर बोला। ‘‘मैंने कल के एक लेख के बारे में उससे बातचीत शुरू कर दी थी जो कुछ सरकार के ख़िलाफ़ था। मैंने उससे कहा कि ‘न्यू स्टार’ मुझे बहुत पसन्द है। मैं नहीं चाहता कि सरकार उस पर किसी क़िस्म की पाबन्दी लगा दे। लिहाज़ा इस क़िस्म के लेख न छापे जायें।’’

‘‘बहुत ख़ूब....!’’ हमीद ने कहा। ‘‘और उस शख़्स की अचानक बेहोशी के बारे में आपकी क्या राय है।’’
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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‘‘मेरा ख़याल है कि वह शख़्स यह विज्ञापन एडिटर को देने के लिए आया होगा और मौक़ा न देख कर उसने यह चाल चली। उसे बेहोश होते देख कर एडिटर ने अपने असिस्टेंट को डॉक्टर के लिए दौड़ाया। इस दौरान उसने वह विज्ञापन एडिटर को दिया होगा। जब वह होश में आया, उस वक़्त मैं वहाँ मौजूद था। मेरे अलावा डॉक्टर भी था। हम लोगों की मौजूदगी में उसने यही ज़ाहिर करना मुनासिब समझा कि वह एक मोटर ड्राइवर के लिए अख़बार में इश्तहार देना चाहता है।’’

हमीद ने कुछ समझते हुए सिर हिलाया।
‘‘इस अख़बार में प्रिंस अदनान की तरफ़ से एक ड्राइवर के लिए इश्तहार छपा हुआ है। लेकिन अब उसे धोखा देना मुश्किल हो जायेगा।’’ हमीद ने कहा।

‘‘तुम ठीक समझे! एडिटर ने उसे रात ही में ख़बरदार कर दिया होगा कि इश्तहार का काग़ज़ गुम हो गया है और वह भी समझ गया होगा कि यह काम मेरा ही है। इसमें शक नहीं कि अब प्रिंस अदनान काफ़ी एहतियात से काम लेगा।’’

‘‘आप ये सब बातें कैसे कह रहे हैं, जैसे आपको पूरा यक़ीन हो कि प्रिंस अदनान ही असली मुजरिम है।’’ हमीद ने कहा।

‘‘असली मुजरिम वह नहीं, बल्कि लियोनार्ड है। वह तो उसका एक एजेंट मालूम होता है।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘चलिए, एक न सही दो सही।’’ हमीद ने कहा। ‘‘मैं तो प्रिंस अदनान ही को लियोनार्ड समझ रहा था।’’

‘‘तुम ग़लत समझ रहे थे।’’ फ़रीदी मुस्कुरा कर बोला। ‘‘लियोनार्ड अंग्रेज़ है और प्रिंस अदनान हिन्दुस्तानी।’’

‘‘हिन्दुस्तानी या इराक़ी....?’’ हमीद ने कहा।

‘‘सौ फ़ीसदी हिन्दुस्तानी।’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘पहले तुम उसे एक बार देख आओ.... फिर बताऊँगा।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘तो मैं किस तरह जाऊँ।’’ हमीद ने कहा।

‘‘पैदल....!’’

‘‘ओ हाँ! मेरा यह मतलब नहीं।’’ हमीद ने झुँझला कर कहा। ‘‘मैं उससे किस हैसियत से मिलूँ।’’

‘‘नौकरी के लिए एक ड्राइवर की हैसियत से।’’

‘‘मगर वह अब काफ़ी होशियार हो गया होगा।’’

‘‘तब तो मुझे और भी ज़्यादा आसानी हो जायेगी।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘हमेशा याद रखो कि मुजरिम उस वक़्त बहुत आसानी से पकड़ में आ जाता है जब वह हद से ज़्यादा होशियार हो जाये। मैं तो यह चाहता ही हूँ कि तुम्हारे जाने पर उसे किसी तरह शक हो जाये कि यहाँ के जासूस उसके पीछे लग गये हैं।’’

हमीद ने ‘हाँ’ के अन्दाज़ में सिर हिलाया।

‘‘लेकिन एक बात का ख़ास ख़याल रखना।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘उस पर यह न ज़ाहिर होने पाये कि तुम बहुत अंग्रेज़ी जानते हो। बात टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में ही करना और इस बात की कोशिश करना कि उसे शक न होने पाये। अगर शक हो भी गया तो उसकी फ़िक्र नहीं, क्योंकि इस सूरत में भी कोई-न-कोई रास्ता निकाल ही लूँगा।

‘‘मैं अच्छी तरह समझ गया।’’ हमीद ने कहा। ‘‘अच्छा तो मैं किस तरह जाऊँ.... क्या भेस बदलने की भी ज़रूरत होगी।’’

‘‘बिलकुल.... बग़ैर भेस बदले उसके सामने जाना भी मत। वरना सारा खेल बिगड़ जायेगा। आज तीन बजे तुम उसके यहाँ पहुँच जाना.... और हाँ, मैं अभी तुम्हें एक तजरुबेकार मिलिट्री ड्राइवर का सर्टिफ़िकेट भी दे दूँगा।’’
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नोक-झोंक

ख़ुफ़िया पुलिस के दफ़्तर में मिस्टर जैक्सन के कमरे में मुल्क के छै आला जासूसों की मीटिंग हो रही थी। फ़रीदी के अलावा हर एक अपनी रिपोर्ट मिस्टर जैक्सन के सामने पेश कर चुका था।

‘‘क्यों मिस्टर फ़रीदी, आप क्या सोच रहे हैं।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘मैं यह सोच रहा था कि एक ऐसे शख़्स का पता लगाना कितना मुश्किल है जिसे आज तक किसी ने न देखा हो, जिसकी तस्वीर डिपार्टमेंट ऑफ़ इनवेस्टिगेशन के दफ़्तर में मौजूद न हो। स्कॉटलैंड यार्ड वाले सिर्फ़ इसी बिना पर उसे पकड़ न सके कि उनके पास न तो तस्वीर थी और न दूसरे ऐसे निशान जिनसे वह पकड़ा जा सके।’’

‘‘तो इसका मतलब यह हुआ कि हमें नाउम्मीद हो जाना चाहिए।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘मैं यह भी नहीं कह सकता।’’ फ़रीदी ने कुछ सोचते हुए कहा। ‘‘हो सकता है कि वह हमारी पकड़ में आ ही जाये, लेकिन ऐसे लोगों का पकड़ा जाना सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ होता है। काम के किसी ख़ास तरीक़े पर अमल करके ऐसों को गिरफ़्तार कर लेना बिलकुल नामुमकिन है।’’

‘‘बहरहाल, इस बहस से कोई फ़ायदा नहीं।’’ जैक्सन ने कहा। ‘‘यह बताओ कि तुमने अब तक क्या किया।’’

‘‘मैंने आपसे अपने जिस शक का इज़हार किया था, उसके तहत मैं अख़बार के दफ़्तर में गया था, लेकिन वहाँ तहक़ीक़ात करने पर पता चला कि मैं ग़लती पर था। एडिटर ने मुझे बताया कि वह लोगों की दिलचस्पी के लिए इसी क़िस्म के दूसरे सिलसिले भी शुरू करने वाला है।’’

‘‘वह तो मैं पहले ही कह रहा था।’’ मिस्टर जैक्सन ने मुस्कुरा कर कहा।

‘‘अरे, फिर कहाँ आप और कहाँ मैं। आप बहरहाल हम सब के उस्ताद हैं।’’

जैक्सन हँसने लगा।

‘‘तो फिर अब तुम्हारा क्या इरादा है?’’ जैक्सन बोला।

‘‘मैं किसी ख़ास लाइन पर काम नहीं कर रहा हूँ।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘तो फिर इन जासूसों के बनाये हुए प्लान में उनके काम में शामिल हो जाओ।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘मैं इसे वक़्त बर्बाद करने के अलावा और कुछ नहीं समझता।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘यह आप किस तरह कह सकते हैं।’’ एक जासूस तेज़ आवाज़ में बोला। बाक़ी जासूसों के चेहरों से भी यही ज़ाहिर हो रहा था कि उन्होंने फ़रीदी के इस जुमले का बुरा माना है।

‘‘देखिए, जनाब यह शेर का शिकार तो है नहीं कि आपने हाँका लगा दिया और इसका इन्तज़ार करने लगे कि अभी शेर ख़ुद-ब-ख़ुद सामने आ जायेगा।’’ फ़रीदी ने मुस्कुरा कर कहा। ‘‘यह एक ऐसे आदमी का मामला है जिसे आज तक किसी ने देखा ही नहीं और फिर उसने यहाँ कोई वारदात भी नहीं की कि उसके सहारे किसी ख़ास नतीजे पर पहुँचा जा सके।’’

‘‘तो इसका मतलब यह है कि उसे गिरफ़्तार किया ही नहीं जा सकता।’’ दूसरा जासूस बोला।

‘‘अगर उसका कुछ पता-निशान न मिले तो मैं ऐसा ही समझता हूँ।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘मेरा तो ख़याल यह है कि जब तक वह ख़ुद हमरे सामने आ कर यह न कह दे कि वही लियोनार्ड है, उसका पकड़ा जाना मुश्किल है।’’ एक जासूस ने तेवर में कहा।

‘‘बेशक हालात तो ऐसे ही हैं।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘और फिर न घोड़ा दूर न मैदान, हर एक के जौहर खुल जायेंगे।’’

‘‘भई, आख़िर इस नोक-झोंक से क्या फ़ायदा।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘बहरहाल साहब, हम लोगों ने जो प्लान तैयार किया है उसी के मुताबिक़ काम करेंगे।’’ एक जासूस बोला। ‘‘आपको अख़्तियार है, चाहे आप हमारा साथ दें या न दें।’’

‘‘आपका ख़याल बिलकुल ठीक है।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘और यह ज़रूरी नहीं है कि हर मामले में मेरी राय ठीक ही हो। हो सकता है कि आपका बनाया हुआ प्लान ही ठीक हो। बहरहाल, मुझसे आप जिस वक़्त जो काम लेना चाहें, ले सकते हैं।’’

‘‘आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।’’ एक बूढ़े जासूस ने ग़ुस्से में कहा।

‘‘मैं यह चाहता हूँ कि आप लोग यह काम मिल-जुल कर करें।’’ जैक्सन ने कहा। ‘‘क्योंकि मुक़ाबला बहुत ही होशियार आदमी से है।’’

‘‘क़रीब-क़रीब हम सब भी यही चाहते हैं।’’ फ़रीदी ने हँस कर कहा।

थोड़ी देर के बाद वे सब मिस्टर जैक्सन के कमरे से उठ कर चले गये। फ़रीदी अपने कमरे में आ कर बैठ गया। उसने उँगलियों के वे निशान निकाले जो उसने अख़बार के दफ़्तर से चुराये हुए काग़ज़ पर से हासिल किये थे। थोड़ी देर तक उन्हें ग़ौर से देखता रहा फिर उठ कर रिकॉर्ड-रूम में चला गया। वहाँ उसने दो-तीन फाइलें निकालीं और उन्हें उलटता-पलटता रहा। तभी वह चौंक पड़ा....एक फ़ाइल में एक जगह किसी आदमी की उँगलियों के निशान थे। वह अपने हासिल किये हुए निशान से उनका मिलान करने लगा और फिर एक तस्वीर पर उसकी ऩजर पड़ी। अचानक उसकी ऊँघती हुई आँखों में अजीब क़िस्म की चमक पैदा हो गयी। वह देर तक उस फ़ाइल के काग़ज़ात को उलटता-पलटता रहा। इतने में घड़ी ने चार बजाये और उसने फ़ाइलें अलमारी में रख दीं और अपने कमरे में आ कर घर जाने की तैयारी करने लगा।
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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लगभग आठ बजे रात को हमीद लौट आया और आते ही एक सोफ़े पर ढेर हो गया।

‘‘ख़ैरियत....!’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘मैंने यह लफ़्ज़ आज तक नहीं सुना।’’

फ़रीदी समझ गया कि ज़रूर कोई ख़ास बात हुई है।

‘‘क्यों भई....!’’ आख़िर इतनी बदहवासी क्यों।

‘‘थका-थका कर मार डाला हराम़जादे ने।’’ हमीद ने कहा।

‘‘और आख़िर बाद में कह दिया तुम उस कार की हिफ़ाज़त न कर सकोगे, क्योंकि तुम हमेशा मिलिट्री लॉरियाँ चलाते रहे हो।’’

‘‘बहुत ख़ूब....!’’ फ़रीदी ने मुस्कुरा कर कहा। ‘‘तो उसने तुम्हारे सर्टिफ़िकेट देखे थे?’’

‘‘जी हाँ.... काफ़ी देर तक।’’ हमीद बोला। ‘‘और फिर उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हारा ट्रायल लेना चाहता हूँ.... यह कह कर जो उसने मुझे अपनी कार में जोता है तो अब फ़ुर्सत मिली है। काफ़ी घूम-फिर लेने के बाद उसने मुझे पाँच का नोट टिकाया और ठण्डे-ठण्डे विदा कर दिया।

‘‘ख़ैर, कोई परवाह नहीं.... मेरा मक़सद इतने ही में हल हो गया।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘लाओ, वे सर्टिफ़िकेट वापस कर दो।’’

‘‘कैसे सर्टिफ़िकेट....‘‘ हमीद ने संजीदगी से कहा। ‘‘वे तो उसी के पास रह गये।’’

‘‘क्या कहा....! उसके पास रह गये। उसके पास क्यों रह गये?’’

‘‘तो क्या मुझे वापस ले लेने चाहिए थे।’’ हमीद ने भोलेपन से कहा।

‘‘अजीब गधे आदमी हो।’’ फ़रीदी ने झुँझला कर कहा।

‘‘यह बिलकुल नामुमकिन है।’’ हमीद ने कहा। ‘‘मैं या तो गधा हो सकता हूँ या आदमी। एक ही वक़्त में गधा और आदमी होना मेरे बस की बात नहीं। चाहे फिर नौकरी रहे या जाये।’’

‘‘सीधी तरह निकालते हो सर्टिफ़िकेट या दूँ एक घूँसा।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘शौक़ से दीजिए मैं उसे बहुत ही हिफ़ाज़त से अपने बक्स में रख दूँगा।’’

‘‘क्या बकवास है।’’

‘‘हुज़ूर, यह बकवास नहीं, फ़लसफ़ा है।’’

‘‘जहन्नुम में जाओ तुम और तुम्हारा फ़लसफ़ा दोनों।’’ फ़रीदी ने झुँझला कर कहा। ‘‘लाओ.... लाओ, सर्टिफ़िकेट लाओ।’’

‘‘लीजिए जनाब.... आख़िर इस क़दर नाराज़ क्यों होते हैं।’’ हमीद ने जेब से सर्टिफ़िकेट निकाल कर फ़रीदी को दे दिया और मुँह फुलाये हुए कमरे से बाहर चला गया।

‘‘अजीब गधा है.... न मौक़ा देखता है और न वक़्त।’’ फ़रीदी बड़बड़ाता हुआ अजायब-घर वाले कमरे में घुस गया।

दिलचस्प धमकी

‘‘क्यों भई, तुम्हारा मुँह सीधा हुआ या नहीं।’’ फ़रीदी ने हमीद से कहा जो एक सोफ़े पर लेटा कोई किताब देख रहा था।

‘‘तो मेरा मुँह टेढ़ा कब था।’’ हमीद ने किताब पर से ऩजर हटाये बग़ैर कहा।

‘‘किताब बन्द करो।’’

‘‘लीजिए....!’’ हमीद ने किताब बन्द करके एक तरफ़ रखते हुए कहा।

‘‘उठ कर बैठ जाओ।’’

‘‘अगर मैं लेटे-लेटे ही बैठा रहूँ तो क्या बुराई है।’’

‘‘अगर तुम दो मिनट के अन्दर सीरियस न हुए तो मैं तुम्हारे दोनों कान उखाड़ लूँगा।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘अरे हुज़ूर! आप मेरी नाक भी उखाड़ सकते हैं।’’ हमीद ने कहा। ‘‘आपका मातहत जो ठहरा।’’

‘‘अच्छा बकवास बन्द....!’’

‘‘लीजिए.... बिलकुल बन्द।’’

‘‘जानते हो मैंने सर्टिफ़िकेट में क्या पाया।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘जी हाँ, जानता हूँ।’’

‘‘क्या....’’

‘‘सिनेमा के टिकट....!’’ हमीद ने मुस्कुरा कर कहा।

‘‘फिर वही हरकत।’’

‘‘कौन-सी।’’

‘‘तुम्हारा दिमाग़ ख़राब हो गया है।’’

‘‘तो फिर इसी बात पर मुझे तीन-चार महीने की छुट्टी दिलवा दीजिए।’’

‘‘अच्छा....!’’ फ़रीदी ने ग़ुस्से में कहा और फिर कमरे से जाने लगा।

हमीद ने उठ कर उसे पकड़ लिया।

‘‘आख़िर आजकल आप इतने चिड़चिड़े क्यों हो गये हैं।’’ हमीद ने कहा।

‘‘इस वक़्त हट जाओ.... मैं अब थोड़ी देर बाद ही तुमसे बात करने के क़ाबिल हूँगा।’’

‘‘और अगर आप थोड़ी देर बाद भी इस क़ाबिल न हुए तो?’’ हमीद ने मासूमियत से पूछा।

‘‘ओ फ़रीदी के बाप! मैंने उस सर्टिफ़िकेट में अपनी तस्वीर एक बूढ़ी औरत को चूमते हुए पायी है।’’ फ़रीदी ज़ोर से चीख़ा।

‘‘क्या मतलब....!’’ हमीद ने उसे घूरते हुए कहा।

फ़रीदी ने तह किये हुए सर्टिफ़िकेटों के बीच में से एक तस्वीर निकाल कर हमीद की तरफ़ बढ़ा दी।

हमीद देख कर बेतहाशा हँसने लगा।

‘‘मैं आप को इतना बदमज़ाक़ नहीं समझता था।’’ हमीद ने हँसी रोकते हुए कहा। ‘‘यह तो वही मिस्ल हुई....तौबा टूटी भी तो टूटे हुए पैमाने से?’’

‘‘फिर वही बकवास।’’ फ़रीदी ने चीख़ कर कहा। ‘‘मैं तुम्हें इतना बदतमीज़ नहीं समझता था।’’ फ़रीदी को सचमुच ग़ुस्सा आ गया था।

‘‘मैंने क्या बदतमीज़ी की।’’ हमीद ने सहम कर कहा।

‘‘यह तस्वीर कहाँ से आयी।’’
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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‘‘मैंने क्या बदतमीज़ी की।’’ हमीद ने सहम कर कहा।

‘‘यह तस्वीर कहाँ से आयी।’’

‘‘ख़ुदा की कसम, मैं नहीं जानता।’’ हमीद ने संजीदगी से कहा। ‘‘मुझे जिस हालत में उसने सर्टिफ़िकेट दिये मैंने जेब में डाल लिये थे और बिलकुल वैसे ही आपको वापस कर दिये थे।’’

फ़रीदी कुछ सोचने लगा।

‘‘समझा....!’’ उसने थोड़ी देर बाद समझने के अन्दाज़ में सिर हिला कर कहा।

‘‘क्या....!’’

‘‘जानते हो, यह औरत कौन है?’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘नहीं....!’’

‘‘ज़िलाधिकारी मिस्टर रॉबर्ट की बीवी।’’

‘‘तो क्या वाक़ई आप....!’’

‘‘क्या फ़िज़ूल बकते हो।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘फिर आख़िर....!’’

‘‘यह लियोनार्ड की तरफ़ से मेरे लिए एक ख़ामोश धमकी है।’’

‘‘मगर यह तस्वीर हाथ की बनायी हुई है नहीं।’’ हमीद ने कहा।

‘‘तुम्हें इतनी ही अक़्ल होती तो फिर रोना किस बात का था।’’

‘‘कुछ बताइए भी तो....!’’

‘‘अरे मियाँ, अलग फ़िल्मों पर दो तस्वीरें ले कर उन्हें मिला देना कोई मुश्किल काम नहीं।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘ओह.... भई, मान गया। वाक़ई लियोनार्ड को जैसा सुना था, वैसा ही पाया।’’ हमीद ने कहा।

‘‘मैंने तुम्हें यह सर्टिफ़िकेट सिर्फ़ इसलिए दिये थे कि उनके ज़रिये मैं प्रिंस अदनान की उँगलियों के निशान हासिल कर सकूँगा। मगर बेकार, जो शख़्स इतना लम्पटबाज़ हो ऐसी ग़लती नहीं कर सकता।’’

‘‘ओह.... ठीक, याद आया।’’ हमीद ने कुछ सोचते हुए कहा। ‘‘उसने सर्टिफ़िकेट लेते वक़्त दस्ताने पहन लिये थे।’’
फ़रीदी फिर कुछ सोचने लगा।

‘‘उसने मुझे धमकी दी है कि अगर मैंने उसका पीछा किया तो वह इस क़िस्म की दूसरी तस्वीर ज़िलाधिकारी तक पहुँचा देगा।’’

‘‘यह तो बहुत बुरा हुआ।’’ हमीद ने कहा। ‘‘क्या ज़िलाधिकारी की बीवी से आपकी जान-पहचान है।’’

‘‘बिलकुल नहीं....!’’

‘‘वाक़ई, बहुत बुरे फँसे।’’ हमीद ने कहा।

‘‘ओह.... देखा जायेगा।’’ फ़रीदी ने भवें सिकोड़ कर कहा। ‘‘अब सबसे पहले प्रिंस अदनान को ठिकाने लगाना चाहिए।’’

‘‘वह किस तरह।’’

‘‘अभी मैं उसके बारे में कोई सही स्कीम नहीं बना सका, लेकिन यह तय कर लिया है कि उसे किसी तरह जकड़ लूँ।’’

‘‘मगर यह चीज़ ख़तरनाक होगी।’’

‘‘क्यों....!’’

‘‘इसलिए कि अगर आपके कहने के मुताबिक़ वह ख़ुद लियोनार्ड नहीं है तो आप ख़तरे में पड़ जायेंगे। लियोनार्ड इस तस्वीर को ज़िलाधिकारी के हवाले कर देगा।’’
फ़रीदी फिर कुछ सोचने लगा।
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