Erotica नज़मा का कामुक सफर

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Masoom
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Re: नज़मा का कामुक सफर

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दूसरी तरफ घर में नज़मा भी सुबह की घटनाओ के बारे में सोच रही थी| उसके दिमाग में अपनी माँ के कहे हुए सारे शब्द गूँज रहे थे| उसको साफ़ पता चल चूका था की उसकी माँ ने क्या कहा और कहे गए एक-२ शब्द का क्या मतलब है| नज़मा बेचारी एक बहुत ही मासूम बच्ची थी, वो अपनी माँ के कहे शब्दों का मतलब भी तो अपने बच्चों वाले दिमाग से ही निकालेगी| नज़मा के दिमाग में एक प्लान जनम ले चूका था| रात को भी नज़मा अपने प्लान के बारे में सोचती रही और ठीक से सो भी नहीं पायी| वो बार अपने प्लान को अपने दिमाग में सोच रही थी, उसकी छोटी-२ चीज़ों के बारे में वो पूरी तरह से आश्वस्त हो जाना चाहती थी| पता नहीं कब सोचते-२ नज़मा की आंख लग गयी|

अगली सुबह, नज़मा ने उठ कर अपनी योजना के अनुसार काम शुरू कर दिया| जैसे ही उसके पापा पिछवाड़े से नहा से आये, नज़मा रोज़ की तरह शौच करने के बाद, नहाने बैठ गयी| आज नज़मा ने अपना पेटीकोट भी उतार के एक साइड में रख दिया और केवल पेंटी में अपने भाई का इंतज़ार करने लगी| नज़मा के निप्पल उत्तेजना के मारे सख्त हो गए थे| उसका बदन उत्तेजना के मारे हल्का-२ कांप रहा था| उसके सारे रोयें खड़े हो रखे थे|

अब किसी भी समय उसका भाई पिछवाड़े में आ सकता था| थोड़ी देर में ही एक आवाज़ सुनाई दी| नज़मा के हाथ अपने आप ही नारी लज्जा के कारण बोबे छिपाने के लिए उठे लेकिन नज़मा ने हिम्मत करके बिलकुल नार्मल रही|

इरफ़ान पिछवाड़े में आ चूका था| एक पल को तो इरफ़ान की ऐसा लगा की उसकी बहन बिलकुल नंगी बैठी है लेकिन फिर उसने देखा की उसकी बहन ने सिर्फ एक छोटी सी कच्छी पहनी हुई है| उसे अपनी आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा था| उसे उम्मीद थी की रोज की तरह आज भी उसकी बहन पारदर्शी पेटीकोट में होगी लेकिन ये नज़ारा तो पूरी तरह से चौंका देने वाला था।

नज़मा को इरफ़ान की घूरती नज़रें अपने बदन पे महसूस हो रही थी| नज़मा बैठी हुई थी और उसकी छाती उसके पैरों से दबी हुई थी| उसके बोबे दबकर थोड़ा साइड में फ़ैल गए थे| इरफ़ान को नज़मा के साइड से बोबे नंगे दिखाई दे रहे थे|

इरफ़ान (हकलाते हुए): दीदी ... तुम .... तुम .... नंगी क्यों नहा रही हो? पेटीकोट क्यों नहीं पहना?

नज़मा ( मासूमियत से अपनी आँखों को नीचे करते हुए): पता नहीं भाई, माँ ने मुझे नहाते हुए पेटीकोट पहनने से मना किया है|

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इरफान: लेकिन दीदी, माँ ऐसा क्यों कहेगी?

नज़मा: इरफ़ान मुझे नहीं पता, माँ ने ये मुझे डांटते हुए कहा था| मैंने उनसे पुछा भी लेकिन माँ ने कहा की उनकी बात मानने में ही मेरी भलाई है| अगर मैंने उनकी बात नहीं मानी तो वो मेरी टाँगे तोड़ देंगी|

नज़मा: भाई, मुझे ऐसे नहाने में बहुत शर्म आती है| वो तो खुदा का शुक्र है की तुम ही आये हो, सोचो पापा आ जाते तो?

इरफ़ान: यार समझ नहीं आ रहा की माँ ऐसा क्यों कहेंगी? अगर आप बोले तो मैं माँ से बात करूँ?

नज़मा: पागल हो गए हो क्या भाई? अगर तू बात करेगा तो भी माँ को लगेगा की मैंने ही कहा होगा| माँ को लगेगा की मैं तुझसे उनकी शिकायत करती हूँ| तू तो लड़का है तुझे तो कुछ नहीं कहेंगी लेकिन मुझे मार डालेंगी| माँ मुझे कितना डांटती है| मुझे कोई प्यार नहीं करता|

इरफ़ान: अरे .... क्या दीदी .... मैं करता हूँ ना आपसे सबसे ज़्यादा प्यार ... आप दुखी मत हो .... अगर आप नहीं चाहती तो मैं माँ से बात नहीं करूँगा|

नज़मा: भाई .. तू ही तो जिससे में दिल की बात कह सकती हूँ .... तू अपना सगा लगता है मुझे ... माँ तो ऐसे बात करती है जैसे मैं उनकी सौतेली बेटी हूँ ...

नज़मा: भाई ... तेरे सामने मुझे ज़्यादा शर्म भी नहीं आती ... अगर पापा आ जाते तो मेरी क्या हालत होती ...

इरफ़ान: नहीं आये ना पापा अभी ... क्यों जबरदस्ती जो नहीं हुआ उसे सोच के परेशान हो रही है ...

नज़मा: कितना प्यारा भाई है मेरा ... कितनी समझदारी की बातें करता है ...

नज़मा अभी तक नंगी ही बैठी हुई अपने भाई से बातें कर रही थी| नज़मा अचानक से खड़े होने लगी और अपने दोनों हाथों से अपने बोबे छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी| नज़मा के खड़े होते ही इरफ़ान से लंड को फिर से एक झटका लगा| नज़मा ऊपर से पूरी तरह से टॉपलेस, नीचे सिर्फ एक छोटी सी चड्डी में उसके सामने खड़ी थी| नज़मा अपने बोबों को अपने हाथों से छुपाने का प्रयास कर रही थी लेकिन वो मुद्रा उसे और भी सेक्सी बना रही थी| इरफ़ान को नज़मा के बोबे आधे से ज़्यादा दिखाई दे रहे थे| इस समय इरफान को अपनी बहन कामदेवी की प्रतिमा नज़र आ रही थी| नज़मा सिमटी सी खड़ी अपने जोबन को बचाने की कोशिश कर रही थी|

इरफ़ान अपनी बहन की जवानी में खो गया| इरफ़ान की आँखें लाल हो गयी और पलक झपकना भी भूल गया| इरफ़ान आँखों ही आँखों में जैसे नज़मा की जवानी की प्रशंसा कर रहा था| नज़मा अपने भाई के सामने शर्माने का नाटक कर रही थी लेकिन वास्तव में नज़मा इसके हर सेकंड का आनंद ले रही थी। नज़मा की चूत बुरी तरह से रिस रही थी तो दूसरी तरफ इरफ़ान का लंड इतना सख्त हो गया था जैसे फट ही जायेगा| नज़मा ने सोचा भी नहीं था की वो कभी इस हालत में अपने भाई के सामने हो सकती है।

नज़मा: भाई ..... भाई ... कहाँ खो गए .... वो तौलिया पकड़ा दो प्लीज ....

इरफ़ान (मदहोशी से बाहर आते हुए): हाँ ... हाँ देता हूँ ...

इरफ़ान ने पास टंगा हुआ तौलिया उठा के नज़मा की और बढ़ा दिया| नज़मा ने बड़ी चालाकी से अपना एक हाथ बोबे से हटा के तौलिया पकड़ लिया| जैसे ही नज़मा ने अपना एक हाथ हटाया उसका एक बोबा खुली हवा में नंगा हो गया| नज़मा का खड़ा सख्त गुलाबी निप्पल देख के इरफ़ान के हाथ कांपने लगे| नज़मा के निप्पल कम से कम 2 इंच को तो होंगे ही, इरफ़ान ने सोचा| नज़मा जब तौलिया लेने लगी तो दोनों की उँगलियाँ एक पल के लिए छु गयी| इरफ़ान के मुंह से एक आह निकली जो नज़मा ने सुन के अनसुनी कर दी| लेकिन चेहरे पे आती मुस्कराहट को नज़मा नहीं छुपा पायी|

नज़मा (मन में): इरफ़ान सही रास्ते पे आ गया है| जल्दी ही मंज़िल मिल जाएगी|

इरफ़ान (मन में): दीदी का बदन तो एक दम माल हो गया है, क्या बोबे हैं, क्या निप्पल हैं| लेकिन बेचारी बहुत मासूम है| दीदी को तो पता भी नहीं चल रहा की कैसे में उसकी जवानी को चक्षुचोदन कर रहा हूँ| लंड खड़ा कर दिया दीदी ने आज तो, मज़ा आ गया|

फिर नज़मा ने तौलिया लपेट लिया और इरफ़ान अंदर चला गया|

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कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: नज़मा का कामुक सफर

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अगली सुबह नज़मा ने कुछ नया सोच रखा था| आज भी नज़मा सिर्फ कच्छी में बैठी इरफ़ान के आने का इंतज़ार कर रही थी| इरफ़ान जब पिछवाड़े में आया और उसने नज़मा को कच्छी में बैठे देखा तो सोचने लगा, माँ ने नज़मा के साथ गलत किया या सही, लेकिन मेरे मज़े करवा दिए|

इरफ़ान: कैसी हो दीदी?

नज़मा: मैं ठीक हूँ भाई| लेकिन मुझे अभी भी ये सोच-२ के बहुत शर्म आ रही है की मुझे माँ के कारण यहाँ ऐसे लगभग नंगे नहाना पड़ रहा है|

इरफ़ान: अरे दीदी, इतना क्यों परेशान होते हो| यहाँ कौन है मेरे सिवा| मैं कोई ग़ैर थोड़े ना हूँ| आप मेरे सामने बिलकुल ना शरमाया करें| आपका छोटा भाई ही तो हूँ|

नज़मा: मुझे माँ हर समय डांटती रहती है| कुछ भी मांगो, साफ़ मना कर देती है| अब ये देख|

कहते हुए नज़मा अपने भाई से दूसरी तरह मुंह करके खड़ी हो गयी| आज नज़मा ने एक छोटी सी गुलाबी रंग की चड्डी पहनी हुई थी जो की उसके चूतड़ों को 25 % से ज़्यादा डक नहीं पा रही थी| सबसे बड़ी बात उस कच्छी में गांड के सुराख़ के बिलकुल ऊपर एक बड़ा सा छेद था| उस छेद में झांकती नज़मा के चूतड़ों के बीच की लकीर साफ़ दिख रही थी| इरफ़ान को सुबह की ग़ुलाबी ठण्ड में भी नज़मा की गांड की लकीर देख के पसीना आने लगा|

नज़मा: देख भाई, फ़टी कच्छी पहन रही हूँ, पिछले 2 महीनो से| माँ को जब बोलो तो कहती है की मैं खर्चा बहुत करती हूँ| अब तू ही बता भाई, शर्म नहीं आएगी क्या|

इरफ़ान (थूक निगलते हुए): वो .. वो .. दीदी ... मैं लेके आऊंगा आपके लिए ...

नज़मा: भाई .. मैं भी नहीं चाहती की खर्चा ज़्यादा हो .. मुझे भी सब पता है घर की हालत ... ये देख ....

नज़मा ने अपनी कच्छी के दोनों हिस्से पकड़ के अपनी गांड के दरार में घुसा दिए| अब नज़मा की चड्डी बिलकुल थोंग में तब्दील हो गयी थी|

नज़मा: अगर भाई ... मैं ऐसे कर लूँ फ़टी चड्डी के छेद छुपाने के लिए ... तो सारे चूतड़ नंगे हो जाते हैं ...

इरफ़ान अपनी बहन के मुंह से "चूतड़" सुन के पागल हो गया| उसका लंड पाजामे में से बाहर आने के लिए फड़फड़ाने लगा|

इरफ़ान: मैं ला दूंगा दीदी .... आप ... आप

नज़मा: क्या ... आप-२?

इरफ़ान: साइज बता दो मुझे ...

नज़मा (मुस्कुराते हुए): मैं कैसे बताऊँ ... मुझे शर्म आती है ...

इरफ़ान: क्या दीदी ... आप तो फिर वही .. मुझ से कैसी शर्म

नज़मा: नहीं भाई ... मैं नहीं बता सकती .. तूने सब देख तो लिया है ... तुझे नहीं पता लगा साइज ..

इरफ़ान: दीदी .. कहाँ देखा है ठीक से .... और देख के तो केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है ...

नज़मा (मन में): क्या बात है| ये फट्टू तो बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है| खुदा ने चाहा तो जल्दी ही भाई से अपनी गांड मरवाउंगी|

नज़मा: तो ठीक है ... अंदाजे से ही ले आना|

इरफ़ान: दीदी, अगर गलत साइज आ गए तो सारे पैसे बरबाद हो जाएंगे ..... अगर आप नहीं बताना चाहती तो मैं नाप ले लूँ ....

इरफ़ान ने सोचा क्या पता दीदी बचपने में उसे ये भी चांस दे दें| लेकिन उसे क्या पता नज़मा बच्ची नहीं सबकी माँ थी| नज़मा को चुदना भी था और वो भी अपनी शर्तों पे| नज़मा को सब अपने कण्ट्रोल में चाहिए था| शायद जब भी कुछ उसके कण्ट्रोल से बाहर गया, वो वहां से पीछे हट गयी थी, जैसे की चमन चाचा|

नज़मा: kkkkkkkkkkkkkkkya .... बताती हूँ ... अपनी तरह मुझे भी बेशरम बना के मानोगे .... वो ... वो ... 34B ... और वो नीचे मीडियम ....

इरफ़ान के लंड ने नज़मा का साइज सुन के झटका मारा|

इरफ़ान: क्या-२ ... दोबारा बताना

नज़मा: सुन तो लिया है ... बहन का साइज सुन के मज़ा आ रहा है क्या .... बेशरम

इरफ़ान: दीदी बोला ना, हम भाई-बहन में कोई शर्म नहीं| आप भी कब तक ऐसे घुट-२ के जियोगी| कब तक माँ की डाँट सुन-२ के दुखी होती रहोगी| मैं हूँ ना आपका ख्याल रखने के लिए| लेकिन आप अगर मुझ से खुल के बात नहीं करोगी, इतना शरमाओगी तो कैसा चलेगा ....

नज़मा ने भावुक होने का नाटक करते हुए, मुड कर इरफ़ान के दोनों हाथ थाम लिए| नज़मा के बोबे खुल कर इरफ़ान के सामने आ गए| नज़मा के गोरे-२ चिकने बोबे देख के इरफ़ान पगला गया| नज़मा के बोबे इतने गोरे थे की उनमें से लाल-नीली नसें साफ़ दिखाई दे रही थी|

नज़मा: ओह मेरा प्यारा भाई .... जितना तू मुझ से प्यार करता है ना, उससे कहीं ज्यादा मैं तुझे प्यार करती हूँ|

इरफ़ान: अच्छा जी इतना प्यार करती हो .... तो फिर झूट क्यों बोला मुझ से

नज़मा: मैंने ... मैंने क्या झूट बोला?

इरफ़ान: अपने साइज के बारे में .... 34B में इतने बड़े बोबे कैसे आ सकते हैं?

नज़मा: या खुदा ... शर्म नहीं आती अपनी बहन से ऐसे बात करते हुए?

ये कहते हुए नज़मा ने अपने हाथ छुड़ाते हुए मुंह फेर लिया|

इरफ़ान: दीदी ... अगर बुरा ना मानो तो एक बात और कहूं?

नज़मा: अब और कितनी बेशर्मी करोगे? बोलो, क्या बोलना है?

इरफ़ान: मीडियम साइज ही चड्डी में ये तुम्हारे बड़े-२ चूतड़ भी नहीं आने वाले|

नज़मा: कमीने ... तुम्हे मैं मोटी दिखती हूँ?

इरफ़ान: मोटी कहाँ दीदी ... तुम तो माल दिखती हो|

नज़मा: बेशर्मी की हद है .... तुम्हारा बस चले तो तुम तो अपनी बहन को ही चो.....

इरफ़ान: चो, चो ... क्या चो?

नज़मा को लगा की एक दिन में इतना काफी है|

नज़मा: दफा हो बेशरम ... ये तौलिया दे मुझे और भाग यहाँ से|

इरफ़ान ने नज़मा को तौलिया दिया और अंदर चला गया|
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Re: नज़मा का कामुक सफर

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उस दिन शाम को सब एक साथ खाना खा रहे थे। इरफ़ान ज़रुरत से ज़्यादा खुश दिखाई दे रहा था और बार-बार अपनी बहन की तरह देख के मुस्करा रहा था। नज़मा भी अपने भाई के इस रवैये से खुश थी लेकिन उसे डर था की कहीं उसकी माँ को कोई शक न हो जाये। उसने एक-दो बार इरफ़ान को नार्मल रहने का इशारा भी किया लेकिन शायद इरफ़ान समझ नहीं पाया।

नज़मा अपने भाई को अपने बोबों और आधी नंगी गांड के दर्शन करवा चुकी थी। अगले दिन नज़मा ने गेम को आगे बढ़ाने का सोचा। नज़मा ने प्लान किया की क्यों न आज इरफ़ान को अपनी कुंवारी चूत के दर्शन करवाए जाएँ। लेकिन वो अपनी चूत ऐसे दिखानी चाहती की जैसे ये एक गलती जैसा लगे। आज इरफ़ान थोड़ा लेट उठा था, ये नज़मा के प्लान के लिए बहुत बढ़िया था।

नज़मा पिछवाड़े में जाके नहा ली और एक सूखा पेटीकोट पहन के इरफ़ान का इंतज़ार करने लगी। नज़मा ने आज अपना सूखा पेटीकोट बाकी दिनों के अपेक्षा थोड़ा ज़्यादा ऊपर पहना था। पेटीकोट उसकी उतनी की जांघें ढक पा रहा था जितना एक माइक्रो स्कर्ट ढक पाती है। अगर वो सीधी खड़ी रहती तो पीछे से हल्का सा चूतड़ों का उभार दिखाई देता लेकिन अगर वो सामने की तरफ झुक जाती तो अच्छे अच्छों का पानी निकल जाता। झुकते ही उसकी पेंटी में छिपी चिकनी चूत उभर कर सामने आ जाती।



नज़मा आज अपने भाई पे कहर बरपाने वाली थी। नज़मा ने प्लान किया की जैसे ही उसका भाई पिछवाड़े में आएगा, वो झुक के अपनी गीली पैंटी उतारने लगेगी और ऐसे नाटक करेगी जैसे उसे भाई के आने का पता ही ना चला हो। जब वो झुक के अपनी पानी और कामरस से भीगी पेंटी उतारेगी तो उसके भाई को उसकी चमकती चिकनी कुंवारी चूत के दर्शन हो जायेंगे।

नज़मा कुछ देर अपने भाई का इंतजार करती रही लेकिन कोई नहीं आया। नज़मा ने सोचा की अब कल ही इस प्लान को किया जायेगा लेकिन तभी उसे किसी के आने की आवाज़ सुनाई दी। नज़मा तुरंत अपनी पोजीशन में आ गयी और अपने चूतड़ ड्राइंग रूम की तरफ करके झुक के अपनी पेंटी निकलने लगी। जैसे ही पेंटी नीचे हुई उसकी चिकनी चूत के होंठ और उसकी पूरी गांड सुबह की सुनहरी धुप में चमकने लगे। उसकी चूत ने भी रिसना शुरू कर दिया।


तभी नज़मा को अपनी माँ की आह सुनाई दी "या अल्लाह"।

ये क्या हुआ, परवीन???? नज़मा तो अपने भाई का इंतज़ार कर रही थी, ये उसकी माँ कहाँ से आ गयी? हूँ यूँ था की परवीन को कल रात ही कुछ अंदेशा हो गया था। आज सुबह जब इरफ़ान अपने कमरे से निकल के पिछवाड़े में जाने लगा तो अपनी माँ को ड्राइंग रूम में देख के थोड़ा ठिठका और वापिस अपने कमरे में चला गया जिससे परवीन का शक और गहरा हो गया। परवीन ने तब पिछवाड़े में जाने का फैसला लिया। जैसे ही परवीन पिछवाड़े में पहुंची तो वो उसे झुकी हुई नज़मा दिखाई दी। नज़मा की चूत और गांड नंगे चमक रहे थे। परवीन के मुंह से आह निकल गयी।

नज़मा ने अपनी माँ की आवाज़ सुन ली लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था। नज़मा को बड़े ठन्डे दिमाग से काम लेना था। नज़मा ने बिना हड़बड़ाए थोड़ा-थोड़ा करके पैंटी को नीचे लाना जारी रखा और आखिर में उसे टखनों तक गिरा दिया। इरफान भी अब ड्राइंग रूम में आ गया था और वहीँ से छुप के माँ बेटी को देख रहा था।

परवीन (चिल्ला के): नज़मा, ये क्या कर रही है तू?

नज़मा ने जैसे ही माँ की आवाज़ सुनी तो उसने चौंकने का नाटक किया और तुरंत घूम गयी लेकिन उसकी एड़ियों में पैंटी फसी हुई थी जिसके कारण वो गिर गयी।

गिरते ही नज़मा चिलायी: ओह, माँ मर गयी।

परवीन सब भूल के तुरंत भाग के अपनी बेटी को मदद देने के लिए आई।

परवीन: क्या हुआ बेटी, ज़्यादा चोट तो नहीं लगी?

नज़मा: हाय माँ, मेरा पिछवाड़ा। आपने डरा दिया पीछे से आवाज़ दे के।

परवीन अपनी बेटी को चूत की सरेआम नुमाइश के लिए डांटना चाहती थी लेकिन अब उसकी गलती से उसकी बेटी को चोट लग गयी थी। और कुछ दिन पहले भी वो नज़मा को बुरी तरह डांट चुकी थी इसलिए परवीन ने आराम से नज़मा को समझाने का मन बनाया।

परवीन: नज़मा तुम अपनी पैंटी क्यों उतार रही थी? तू पेंटी अपने कमरे में नहीं उतार सकती क्या?

नज़मा: माँ क्या है आपको? जब देखो तब मुझे डांटते रहते हो? मैं अब बड़ी हो गयी हूँ, मुझे पता है कैसे नहाना है। पहले पेटीकोट और अब ये पेंटी, आपको मेरे नहाने के तरीके में इतनी दिलचस्पी क्यों है?

परवीन: बेटी मैं तेरी भलाई के लिए ही पूछ रही हूँ, तू पेंटी अपने कमरे में नहीं उतार सकती क्या?

नज़मा: मैं गीली पेंटी पहन के कमरे तक जाउंगी क्या?

परवीन (मन में): बहुत मुर्ख है ये। अब इसे क्या बताऊँ की ये पेटीकोट के नीचे से पेंटी उतारते हुए छुपाती कम है, दिखती ज़्यादा है। ज़्यादा क्या दिखती है , पूरी नंगी ही तो हो गयी थी मुंदबुद्धि कहीं की।

परवीन: तू ऐसा कर ना। तू अपने कमरे में ही पेंटी उतार के आ और नहाने बाद रूम में जाके पेंटी पहन ले।

नज़मा: माँ, क्या कह रहे हो आप। मुझे बहुत शर्म आएगी।

परवीन: मुझे पता है की मैं क्या कह रही हूँ। तेरी दुश्मन नहीं हूँ, माँ हूँ तेरी। ज़्यादा सवाल जवाब ना कर मुझ से। आज से तू अपने कमरे में ही अपनी पैंटी निकाल के आएगी। बिना पैंटी के भी नहा सकती है, कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। अभी तू पेंटी पहन के नहाती है, इसलिए तुझे अजीब लग रहा है, धीरे-२ आदत हो जाएगी बिना पेंटी नहाने की।

नज़मा: लेकिन मम्मी

परवीन: चुप, अब कोई बहस नहीं। जैसा मैं कहूँ वैसा कर। फिर से पानी डाल ले अपने पे, गन्दी हो गयी है नीचे गिर के।

परवीन वापिस अंदर चली गयी। माँ को अंदर आता देख इरफ़ान भाग के अपने रूम में चला गया।
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Re: नज़मा का कामुक सफर

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बात तो परवीन ने बिलकुल ठीक कही थी लेकिन नज़मा के शैतानी दिमाग ने क्या समझा ये तो नज़मा की जाने । इरफ़ान भी छुप के सारी बातचीत सुन चूका था, उसे भी अपने कानो पे यकीं नहीं हो रहा था । कैसे उसकी माँ नज़मा को पहले बिना पेटीकोट और तो बिलकुल नंगी, बिना कच्छी के? इरफ़ान को कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन उसे समझ के करना भी क्या था, जो भी हो रहा था उसमें इरफ़ान का तो फायदा ही होने वाला था ।

दूसरी और नज़मा अपनी माँ के दिए नए निर्देशों से बहुत उत्साहित थी। उसकी माँ गलती से नज़मा को ऐसा निर्देश देती थी की नज़मा उसे आराम से अपने मतलब के लिए थोड़-मरोड़ सकती थी । परवीन ने नज़मा को दोबारा नहाने के लिए कहा था इसलिए नज़मा दोबारा नहाने लगी लेकिन इस बार बिना पेंटी, बिलकुल मादरजात नंगी ।

पांच मिनट बाद जब इरफ़ान अपने कमरे से बाहर आया तो उसकी माँ तब तक दूकान के लिए निकल चुकी थी । नज़मा अभी तक पिछवाड़े में ही थी इसलिए इरफ़ान भी पिछवाड़े में पहुँच गया।

नज़मा को इरफ़ान के आने की उम्मीद नहीं थी इसलिए नज़मा अभी अभी नहा के उठी ही थी और तौलिये से अपने नंगे बदन को पूँछ रही थी । अचानक से इरफ़ान के आने की आवाज़ सुन के नज़मा ने तौलिये से अपने बदन को स्वाभाविक नारी लज़्ज़ा के कारण छुपा लिया । इरफ़ान को साइड से नज़मा के उभरे हुए चूतड़ दिखाई दे रहे थे ।



इरफ़ान (मन में): तो दीदी ने मान ली माँ की बात, इतनी जल्दी, बढ़िया है, बढ़िया है

इरफ़ान नज़मा के पास आया और दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे ।

इरफ़ान: कैसी हो दीदी?

नज़मा (रोने वाला मुंह बनाते हुए): मैं ठीक नहीं हूँ भाई

इरफ़ान: अब क्या हुआ मेरी प्यारी दीदी को? माँ ने फिर कुछ कहा क्या?

नज़मा: हाँ, फिर से । माँ नहीं दुश्मन है मेरी । पहले पेटीकोट अब तो ....

इरफ़ान: अब तो क्या?

नज़मा: माँ ने अब नहाते हुए कच्छी पहनने से भी मना किया है ...

इरफ़ान: क्या ...... क्यों ...... तो क्या तुम अभी ....

नज़मा: हाँ भाई .... बिलकुल नंगी नहा रही हूँ .... ये देख ...

नज़मा ने थोड़ा सा घूमके अपने भाई को अपने नंगे चूतड़ दिखा दिए |

इरफ़ान: आह .... हाँ दीदी ... आप तो सही में ... बिलकुल नंगी हो ...

इरफ़ान से रहा नहीं गया और उसने नज़मा के सामने की पजामे में तम्बू बनाते अपने लंड को मसल दिया | नज़मा तो आज इरफ़ान को वैसे भी अपनी कुंवारी चूत के दर्शन करवाना चाहती थी लेकिन अब ऐसे, एक दूसरे को देखते हुए, वो ये कैसे कर सकती थी | नज़मा अगर अब अपनी चूत दिखाती तो इरफ़ान को पता चल जाता की नज़मा ये सब जानबूज के कर रही है | लेकिन नज़मा अपनी चूत इरफ़ान को दिखाने के लिए तड़प रही थी|

आखिरकार नज़मा ने हिम्मत करके तौलिया अपने हाथों से गिरा दिया | आखिरकार नज़मा ने हिम्मत करके तौलिया अपने हाथों से गिरा दिया | लेकिन जैसे ही नज़मा के तौलिया गिराया वो भी बैठ गयी, नज़मा के ऐसा दिखाया जैसे गलती से उसके हाथ से तौलिया गिर गया हो और उसके बाद वो अपने बदन को छुपाने के लिए बैठ गयी | इरफ़ान को नज़मा की चूत तो दिखाई दी लेकिन सिर्फ एक पल के लिए | इससे पहले की इरफ़ान अपनी जवान बहन की चूत को अच्छे से देख पता वो नज़ारा तो गायब हो चूका था |



इरफ़ान को अपनी बहन के नंगे चूतड़, जांघें और पीठ सब दिखाई दे रहा था | इरफ़ान वासना से पागल हो रहा था | इरफ़ान ने साड़ी शर्म छोड़ दी और अपनी बहन के सामने की अपने लंड को मसलने लगा |

नज़मा: आआआह ...... मेरे साथ ही क्यों सब बुरा होता है ..... क्या यार ... भाई तूने मुझे बातों में लगा दिया ... देख तौलिया भी गिर गया मुझ से ...

इरफ़ान: तो क्या हो गया ऐसा? क्यों इतना टेंशन ले रही हो | मैं ही तो हूँ यहाँ | आप नहाओ ना आराम से ...

नज़मा: तू है इसी चीज़ की तो टेंशन है | मुझे सब पता है तेरा | कहाँ रहती हैं तेरी नज़रें आज कल |

इरफ़ान: क्या दीदी, आप भी न |

नज़मा: भाई, प्लीज मेरा एक काम कर दे | तू अंदर से एक सूखा तौलिया ला दे | तब तक मैं अपने बाल शैम्पू कर लेती हूँ | सुन आने से पहले दरवाज़ा खटखटा देना ताकि मुझे तेरे आने का पता चल जाये | ना जाने मैं कैसे नहा रही होंगी ...

इरफ़ान: आप भी ना दीदी, शर्म छोड़ोगी नहीं | अब हम दोनों के बीच कोई शर्म की जगह नहीं है |

नज़मा: हाँ हाँ ठीक है, तू तौलिया ला दे ... और सुन ... खटखटाना मत भूलना |

इरफ़ान: दीदी, मुझे थोड़ा काम भी है अपने कमरे में, आप आराम से शैम्पू करो, मैं दस मिनट में आपका तौलिया लेके आता हूँ | कोई और हुकम ?

नज़मा: और कुछ नहीं, ड्रामेबाज़ ...

इरफान अपनी बहन को देखते उलटे पाँव अंदर तौलिया लेने के लिए चला गया | इरफान ने तुरंत तौलिया उठाया और पिछवाड़े की तरफ चल दिया, वो अपनी जवान बहन के नंगे जिस्म के दीदार को एक सेकंड के लिए भी गवाना नहीं चाहता था | इरफ़ान को पता था की उसकी बहन सेक्सी है, लेकिन इतनी सेक्सी, ये तो सनी लियॉन से बड़ी वाली निकली | इरफ़ान पिछवाड़े में पहुँच और पानी की टंकी की ओट में खड़ा हो कर अपनी बहन की नंगेपन को निहारने लगा |

नज़मा खड़ी हुई अपने बालों को शैम्पू कर रही थी | नज़मा का मुंह दूसरी और था | इरफ़ान को अपनी बहन की नंगी गांड, पीठ, जांघें साफ़ नज़र आ रहे थे | इरफ़ान अपने लंड को अपने पजामे के ऊपर से लगातार रगड़े जा रहा था |



आवाज़ से नज़मा को अपने भाई के आने का पता लग गया था | लेकिन नज़मा ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे उसे कुछ पता न चला हो | नज़मा के हाथ शैम्पू करने के लिए उठे हुए थे इसलिए इरफ़ान को साइड से नज़मा के बोबे भी दिखाई दे रहे थे | नज़मा के हाथों के साथ उसके बोबे भी हिल रहे थे |

गांड तो नज़मा पहले भी दिखा चुकी थी अब वो इरफ़ान को अपनी चूत दिखाना चाहती थी | शैम्पू करते करते नज़मा अपने भाई की तरफ मुड़ गयी | शैम्पू करने के बहाने से नज़मा ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी | कुछ देर के लिए नज़मा रुक गयी और बिलकुल कामदेवी की मूरत बन गयी | नज़मा चाहती थी की उसका भाई उसके बदन को अच्छे से निहार सके | नज़मा की चूत से पानी रिस रहा था और उसके निप्पल और बोबे कड़क हो गए थे |

इरफ़ान के लिए यह सब स्लो-मोशन में चल रहा था| अपनी जवान बहन को बिलकुल नंगी देख कर इरफ़ान को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था | गुलाबी धुप में चमकते नज़मा के ने इरफ़ान के दीमाग के फ्यूज उड़ा कर रख दिए थे | नज़मा अब धीरे-२ अपने बालों में हाथ चला रही थी |

अचानक से नज़मा ने झाग से भरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया और अपनी चूत मसलने लगी | ये दृशय देखते ही इरफ़ान की हालत ख़राब हो गयी, उनके लंड की नसें फटने को हो आईं थी |

ओह, ये क्या | बहनचोद | नज़मा ने अपनी चूत में एक ऊँगली डाल दी और धीमे-२ उसे हिलाने लगी |

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कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: नज़मा का कामुक सफर

Post by Masoom »

नज़मा को ऊँगली करते देख इरफ़ान भी बर्दाश्त नहीं कर पाया| इरफ़ान ने भी तुरंत अपने पाजामे का नाडा खोला और अपने लंड को मज़बूती से पकड़ के मुठ मारने लगा|

पानी की टंकी के एक पार नज़मा अपनी चूत को बेदर्दी से मसल रही थी और टंकी के दूसरी पार इरफ़ान अपने लंड को मुठिया रहा था| इरफ़ान चाहता था की समय यहीं रूक जाये और वो कयामत तक अपनी जवान बहन को नंगी निहारता हुआ और मुठ मारता रहे| इरफ़ान इस मस्ती को ज्यादा से ज्यादा समय जीना चाहता था लेकिन इरफ़ान के ना चाहते हुए भी इरफ़ान के हाथ की तेज़ी बढ़ती जा रही थी| नज़मा अपनी दो उँगलियों से अपने चूत के दाने को पकड़ के कभी खींच रही थी और कभी दबा रही थी| बीच-२ नज़मा अपनी चूत में उँगलियाँ सरका भी देती थी| अपनी बहन का ये कामुक रूप देख के इरफ़ान हैरान रह गया| इरफ़ान को समझ आ रहा था की उसकी बहन उतनी भी शरीफ नहीं ही जितना वो समझता आया था|

इतने में तो हद ही हो गयी| नज़मा ने मस्ती में अपनी मुनिया को हलके-2 दो तीन थप्पड़ जड़ दिए| इरफ़ान ये देख के पागल हो गया| ये बहन नहीं बहन की लोड़ी है| ये नज़मा तो मिया खलीफा से भी सेक्सी तरीके से ऊँगली कर रही थी| इरफ़ान के बदन ने झटका खाया और ना चाहते हुए भी उसके मुंह एक दबी हुई सिसकारी निकल गयी| इसी के साथ ही इरफ़ान के लंड ने ढेर सारा माल उढेल दिया| ये सारा वाकया सिर्फ २-३ मिनट में ही हो गया था| शायद आज पहली बार इरफ़ान का माल इतनी जल्दी छूटा था| सिसकारी की आवाज़ से नज़मा को पता चल गया की उसके भाई का काम हो गया है|

नज़मा (मन में): जल्दी ही झड़ गया भाई, हा हा, बेचारा बर्दाश्त नहीं कर पाया अपनी बहन के जिस्म की गर्मी .... हा हा

जैसे ही नज़मा ने इरफ़ान के फारिग होने की सिसकारी सुनी, नज़मा वापिस से अपनी पानी की बाल्टी की तरह मुड़ गयी और अपने बदन पर पानी डाल के शैम्पू हटाने लगी|

इरफ़ान इतनी बुरी तरह से झड़ा था की वो वहीँ जमीन पर बैठ गया| 2 मिनट में इरफ़ान ने अपने आप संभाला और खड़ा होकर अपनी बहन की तरफ चल दिया| जैसे ही इरफ़ान बहन के बिलकुल नजदीक पहुंचा तो

इरफ़ान (तेज आवाज़ में): धप्पा

नज़मा (मन में): मैं यहाँ जवानी के खेल खेलना चाह रही हूँ, इस चूतिये का बचपना नहीं जा रहा|

नज़मा तेजी से मुड़ी और अपने सीने पे हाथ रखते हुए बोली: क्या भाई, तूने तो मुझे डरा ही दिया था ...

नज़मा ने अपने अपना हाथ अपने एक बोबे पर रखा हुआ था लेकिन उसका दूसरा बोबा और चूत उसके भाई के सामने थे|

इरफ़ान: देखा, डरा दिया ना दीदी

नज़मा: डराना तो ठीक है, लेकिन तू बिना खटखटाये यहाँ आया कैसे? तुझे बोला था ना मैंने ..

इरफ़ान: दीदी, अब आप भी ना| क्यों शर्माती हो मुझ से इतना?

नज़मा: हाँ-२ ठीक बात है, अपने भाई से क्या शर्माना| तू तो ये ही चाहता है ना की मैं तेरे सामने बिलकुल नंगी घूमती रहूं?

इरफ़ान (धीमी आवाज़ में): चाहने से क्या होता है?

नज़मा: क्या बोला? सब सुन रहा है मुझे| बहुत बेशर्म हो गया है तू | कैसे बेशर्मी से घूर रहा है अपनी बहन को?

इरफ़ान की आँखें अपनी बहन की चूत पे जमी हुई थी| दूर से वो अपनी बहन की चूत को अच्छे से नहीं देख पाया था| उसकी बहन के चूत के होंठ आपस में बिलकुल चिपके हुए थे, जैसे किसी कुंवारी लड़की के होने चाहिए|

[IMG]

नज़मा: कमीने कम से कम बात करते हुए तो आंखों में देख ले| कहाँ कहाँ घूर रहा है, खा जायेगा क्या अपनी बहन को?

इरफ़ान (धीरे से): खाऊंगा नहीं सिर्फ चाटूँगा

नज़मा: या अल्लाह, कितना बेशर्म है ये लड़का| अब घूरना बंद कर और ये तौलिया दे

इरफ़ान ने हाथ बढ़ा के तौलिया नज़मा को दे दिया और नज़मा वापिस से उसकी तरफ अपनी गांड करके अपने बदन को पूंछने लगी | अपने सामने अपनी बहन की गोल मटोल गांड देख के इरफ़ान से रुका नहीं गया और उसका हाथ अपने आप ही जवान बहन की गांड के तरफ बढ़ गया| इरफ़ान ने हलके से अपनी बहन की गांड को दबाया| अपने भाई को हाथ अपनी गांड पे महसूस करते ही नज़मा की सिसकी छूट गयी|

नज़मा: आहhhhhhhhhhhh, भाईiiiiiiiiiiiii, क्या कर रहा है?

इरफ़ान: क्या हुआ दीदी?

नज़मा: भाई, बहुत दर्द कर रहा है यहाँ|

इरफ़ान (अपनी बहन की गांड सहलाते हुए): क्या हुआ दीदी?

नज़मा: आज मैं माँ की वजह से गिर गयी थी, बहुत चोट लगी यहाँ पर

इरफ़ान का लंड अब फिर से सर उठाने लगा था| इरफ़ान अभी भी अपनी बहन की गांड को मसल रहा था|

इरफ़ान: ओह, ये माँ भी ना| कहाँ लगी दीदी?

नज़मा: बताया तो, जहाँ तुम्हारा हाथ है?

इरफ़ान: कहाँ हाथ है मेरा

नज़मा: ओहफ़ो, मेरी यहाँ दर्द से जान निकली जा रही है और तुम हो की तुम्हारी मस्ती पूरी नहीं होती| चूतड़ों पे .... चूतड़ों पे| बस, हो गयी तसल्ली अब

इरफ़ान: क्या दीदी? आप तो छोटी सी बात से बुरा मान जाती हो| अच्छा सुनो अगर दर्द हो रहा है तो मैं मालिश कर दूँ?

नज़मा: तो अभी क्या कर रहे हो?

इरफ़ान: अरे ऐसे नहीं दीदी, अच्छे से, गरम तेल से

नज़मा: नहीं ... नहीं ... रहने दे ... तू टेंशन मत ले ... अपने-आप ठीक हो जायेगा एक-दो दिन में

इरफ़ान: आप भी ना दीदी, फिर कहते हो की कोई प्यार नहीं करता| मुझे कुछ नहीं सुनना, आप अपने कमरे में पहुंचो, मैं तेल गरम करके लाता हूँ|

नज़मा: भाई ये ठीक रहेगा? तू अपनी बहन की मालिश .... तू समझ रहा है ना, मैं क्या कहना चाह रही हूँ?

इरफ़ान: दीदी, सब सही है| अगर ज़रुरत में भाई ही बहन के काम नहीं आएगा तो कौन आएगा?

नज़मा: फिर भी भाई, सोच ले

इरफ़ान: इतना क्या सोचना है? मालिश ही तो करनी है ... या आपको कुछ और भी करवाना है?

नज़मा: हट बदमाश, कुछ भी बोलता है ...

इरफ़ान: चलो फिर आप कमरे में पहुंचो, मैं दो मिनट में आता हूँ

ये कह के इरफ़ान पिछवाड़े से अंदर की तरफ चल दिया| अचानक से इरफ़ान मुड़ा और बोला

इरफ़ान: दीदी, सुनो ... वो अभी कपडे मत पहनना ... मालिश अच्छे से नहीं हो पाएगी

नज़मा के उत्तर का इंतज़ार किये बिना इरफ़ान तेज़ी से अंदर चला गया|

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