Incest माँ का आशिक

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josef
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by josef »

शादाब समझ गया कि उसे आज भी चूत नहीं मिलने वाली थी इसलिए बोला:"

" अम्मी अब घर चले बिल्कुल अंधेरा हो चुका है।

शहनाज़:" हान बेटा चल, रेशमा दुखी हो रही होगी।

दोनो जैसे ही चलते हुए गाड़ी के पास पहुंचे तो अचानक से जोर जोर से बारिश और तूफान आने लगा। शहनाज़ डर के मारे शादाब से चिपक गई और शादाब उसे गाड़ी में लेकर घुस गया। शादाब ने तेजी से सभी खिड़की बंद कर दी और बोला:"

" अम्मी लगता हैं आज मुझे चूत मिल ही जाएगी।

शहनाज़ शादाब की बात सुनकर शर्मा गई और बोली:"

"तेरी किस्मत हैं बेटा, कोशिश कर क्या पता किस्मत खुल जाए तेरी

इतना कहकर शहनाज़ ने अपने बुर्का उतार दिया और एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां बगावत करती नजर आईं। शादाब ने आगे बढ़कर शहनाज़ की चूचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा। शहनाज़ मचल उठी और सिसकते के बोली:_

" आह थोड़ा और से शादाब, दर्द होता हैं मुझे।

शादाब ने एक झटके के साथ शहनाज़ का सूट उतार दिया और बोला:" आज तो बड़े कितना अच्छा मौका मिला है, दूर दूर तक कोई नहीं, आज तो तेरी जी भर कर आवाज गूंजेगी यहां।

शहनाज़:" शादाब एक बार रेशमा को फोन कर दे कि हम लेट हो जाएंगे। कहीं वो परेशान ना हो।

शादाब ने रेशमा को कॉल किया तो वो बोली:" शादाब यहां भी बहुत तेज तूफान चल रहा है, आराम से आना बेटा जल्दी मत करना तुम।

शादाब:" बुआ यहां तो कुछ पेड़ टूटकर सड़क पर गिर गए हैं, रास्ता नहीं है शायद आज रात ना अा पाऊ मैं।

शहनाज़ ने शादाब की तरफ देखा और उसे मारने का इशारा किया तो शादाब ने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया।

रेशमा:" बेटा घबराना मत और शहनाज़ भाभी का ध्यान रखना, वसीम अा गए हैं मेरी चिंता मत करना तुम ।

शादाब:" ठीक है बुआ, बाद मैं करता हूं।

इतना कहकर शादाब ने फोन काट दिया और शहनाज़ की आंखो में देखते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया। लंड खुशी के मारे उछल उछल कर ठुमके लगा रहा है तो शहनाज़ बोली:"

_" इसे क्या हुआ मेरे राजा?

शादाब ने शहनाज़ को वहीं सीट पर लिटा दिया और बोला:" चूत मिलने की खुशी हैं शहनाज़।

इतना कहकर शादाब शहनाज़ के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ चूसने लगा। शहनाज़ भी मस्त हो गई और किस करते करते ही अपनी सलवार के साथ साथ पेंटी भी नीचे सरका दी। शादाब अब शहनाज़ की चूचियों को मसल रहा था, रगड़ रहा था। और शहनाज़ मस्ती में उड़ी जा रही थी।

" आह शादाब, मेरी चूत गीली हो गई है बेटे, कुछ कर तू

इतना कहकर शहनाज़ ने अपनी टांगे पूरी खोल दी और शादाब कर लंड को अपनी चूत के होंठो पर लगा दिया और बोली;"

" मार ले मेरी चूत शादाब, घुसा दे अपना लोला मेरी चूत में। आह ।

शादाब ने शहनाज़ को सीट पर ही झुका दिया और दोनो चूचियों को पकड़ लिया और एक जोरदार धक्का लगाया तो लंड शहनाज़ को चूत में घुस गया, पूरा जड़ तक।

शहनाज़ दर्द और मस्ती से कराह उठी

" आह ज़ालिम घुसा दिया पूरा अन्दर, उफ्फ हाय मा।

शादाब ने बिना देर शहनाज़ की चूत को चोदना शुरू कर दिया और लंड तेजी से अंदर बाहर होने लगा। शहनाज़ की चूत अब खुल गई तो उसे पुरा मजा आने लगा और सिसकते हुई बोली:"

" आह, उर्फ हाय एसआईआईआई, मेरा शादाब मुझे चोद रहा हैं,


शादाब जोश में आ गया और तेजी से धक्के लगाने लगा।शहनाज़ को के मुंह से तेज तेज सिसकियां निकलने लगीं और शादाब को अपनी बांहो में कस लिया। शादाब और शहनाज़ दोनो की चुदाई के लिए तड़प रहे थे इसलिए ज्यादा देर नहीं टिक पाए और शादाब ने लंड को बाहर निकाल कर एक तगड़ा धक्का लगाया और जड़ तक अन्दर घुसा दिया तो शहनाज़ को चूत भी इस धक्के के साथ ही झड़ गई और इसके शादाब को जोर से कस लिया और शादाब के लंड से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी।

.........................
badlraj
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by badlraj »

कहानी बहुत मस्त और कामुक है । साथ बनाये रखें।
josef
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by josef »

चुदाई के बाद दोनो मा बेटे एक दूसरे से चिपक गए और किस करने लगे।

धीरे धीरे बारिश और हवा बन्द हो गई तो शहनाज़ अपने कपड़े पहनने लगीं और बोली:"

" चल जल्दी से अपने कपड़े पहन ले बेटा हम बहुत लेट हो गए हैं।

शादाब:" अम्मी यहीं रुकते हैं ना जंगल में ताकि आप मजे से आवाज निकाल सके, घर सुबह चले जाएंगे।

शहनाज़ ने उसके गाल पर एक प्यारी सी चपत लगाई और अपनी सलवार का नाड़ा बांधते हुए बोली:'

" मेरे राजा जल्दी ही हम शहर शिफ्ट हो जाएंगे फिर आराम से मजे करना, अभी जो टाइम हैं वो रेशमा के साथ बिताने दो मुझे। मुझे बहुत अच्छी लगती हैं बिल्कुल मेरी छोटी बहन जैसी।

शादाब अपने कपड़े पहनते हुए बोला:" थोड़े दिन पहले तो वो आपको बिल्कुल पसंद नहीं थी आपको देखकर लगता था मानो उसका खून पी जाओगी आप!!

शहनाज़ ने शादाब को घूरकर देखा और बोली:" तब की बात और थी शादाब, वो मेरे राजा के पीछे पड़ी हुई थी, अब वो बदल गई है।

शादाब:" मतलब अगर वो अब फिर से मुझे लाइन मारे तब आप क्या करेगी?

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"अब नहीं मारेगी मेरे राजा क्योकी अब उसकी मारने वाला अा गया है।

इतना कहकर शहनाज हंस पड़ी और शादाब में भी हंसते हुए गाड़ी आगे बढ़ा दी। करीब आधे घंटे बाद वो घर पहुंच गए।

उनके घर पहुंचते ही रेशमा और वसीम ने सुकून की सांस। दोनो मा बेटे बारिश भीग गए थे इसलिए सबसे पहले नहाए। खाना आज वसीम बाहर से ही ले आया था क्योंकि उसे पता था आज शहनाज़ घर पर नहीं हैं और उसे आने में देरी हो सकती हैं।

सारा परिवार साथ बैठ कर खाना खा रहा था। रेशमा बोली:"

" तो शादाब बेटा डील का क्या हुआ ?

शादाब ने सारी बाते बताई तो सभी लोग बहुत खुश हुए और रेशमा बोली:"

':" तूने उनके लिए जॉब की बात करके बहुत अच्छा किया और अब इन्हें बाहर जाने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी।

वसीम के चेहरे पर खुशी देखने लायक थी। सारा परिवार खुश था क्योंकि एक लंबे समय के बाद घर में खुशियां वापिस अाई थी।
खाना खाने के बाद सारा परिवार सो गया, वसीम और रेशमा कल की तरह नीचे ही सोए जबकि शहनाज़ और शादाब बच्चो के साथ ऊपर।

वसीम ने आज रेशमा को नंगी कर दिया और आराम से उसकी चुदाई करी। रेशमा ने भी अपनी पति का साथ दिया लेकिन दोनो की ताकत और लंड में जमीन आसमान का अंतर था। शुरू में जहां वसीम के लंड से रेशमा चुद कर मस्त हो जाती थी वहीं आज उसे छोटा और कमजोर महसूस हुआ और उसे शादाब से चुदने की इच्छा फिर से जाग उठी।

अगले दो दिन कैसे खुशी खुशी बीत गए पता ही नहीं चला। हॉस्पिटल बनने का काम शुरू हो गया था और वसीम की देख रेख में ही सारा काम हो रहा था। रेशमा अब ठीक हो हुई थी और घर के काम काज में भर शहनाज की मदद कर रही थी।

रेशमा और शहनाज़ घर पर बैठे हुए थे और रेशमा बोली:"

" भाभी कल तो आप शादाब शहर में घर देखने जाओगे अगर आप कहें तो आज मै हॉस्पिटल का काम देख आऊ एक बार ?

शहनाज़ खुश होते हुए बोली:"

" हान हान रेशमा क्यों नहीं, मैं शादाब को बोल देती हूं कि वो तुम्हे खेत पर ले जाएगा।

रेशमा खुश हो हुई क्योंकि वो शादाब के शहर जाने से पहले उसके साथ मजे करना चाहती थीं

शहनाज़:" अरे बेटा शादाब जरा नीचे आना ,

शादाब अपनी अम्मी कि आवाज सुनकर दौड़ता हुआ आया और बोला:"

"जी अम्मी बोलिए आप ?

शहनाज़:" बेटा वो अपनी बुआ को खेत पर ले जा और हॉस्पिटल दिखा ला, और हान आपके फूफा के लिए खाना भी लेता जा।
josef
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by josef »

शादाब गाड़ी लेने चला गया और रेशमा की चूत खुशी के मारे गीली होकर रस छोड़ने लगी।थोड़ी देर बाद ही गाड़ी गांव से निकल कर जंगल की तरफ दौड़ने लगी।

रेशमा शादाब के साथ आगे वाली सीट पर ही बैठी हुई थी। वो बोली:"

" शादाब कल फिर तो शहर जा रहे हो नया घर देखने ?

शादाब:" हां बुआ अब पढ़ाई का बहुत नुकसान हो गया है।इसलिए जाना ही होगा।

रेशमा ने एक लम्बी आह भरी और बोली:"

" शहर जाकर तो टीम अपनी बुआ को भूल ही जाओगे।

शादाब ने गाड़ी एक तेज मोड़ पर घुमाई और रेशमा एक झटके के साथ शादाब से जा लगीं। शादाब उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" आपको कैसे भूल सकता हूं बुआ, आपने अपने आपको बिल्कुल बदल दिया है, जान पर खेलकर मेरी अम्मी को बचाया, मैं आपको बहुत पसंद करने लगा हूं बुआ।

इतना कहकर शादाब ने रेशमा का गाल चूम लिया तो गाड़ी हल्की सी अनियंत्रित होकर लहरा सी गई तो रेशमा डर के मारे कांप उठी और बोली:"

" शादाब बेटा मरवाएगा क्या मुझे भी अपने साथ, प्यार बाद में कर लेना पहले ड्राइविंग पर ध्यान दे ।

इतना कहकर रेशमा ने शादाब के होंठ चूम लिए और शादाब की तरफ जीभ निकाल कर उसे चिढ़ा दिया तो शादाब ने एक झटके के साथ गाड़ी को सड़क के किनारे रोक दिया और रेशमा के होंठो पर टूट पड़ा। रेशमा तो जैसे इसके लिए कब से तरस रही थी और वो शादाब के होंठो को चूसने लगी और अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी और शादाब मजे से अपनी बुआ की जीभ चूसने लगा।

किस करते करते शादाब ने रेशमा की चूचियों को दबा दिया तो रेशमा मस्ती से लहरा गई और किस तोड़ते हुए बोली:"

" शादाब हम लेट हुए तो खाना ठंडा हो जाएगा, पहले तेरे फूफा जी को खाना दे दें

शादाब ने फुर्ती से गाड़ी हाईवे पर दौड़ा दी और आंधी तूफान की तरह उड़ाता हुआ कुछ ही मिनटों में खेत पर पहुंच गया।

रेशमा ने वसीम को खाना दिया और वो आराम से एक पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाने लगा ।

रेशमा:चल शादाब मुझे दिखा कि हॉस्पिटल में क्या क्या बनेगा ?

शादाब खुशी खुशी अपनी बुआ को लेकर चल दिया। बिल्डिंग की बड़ी बड़ी दीवारें खड़ी हो गई थी और दोपहर होने के कारण सभी मजदूर खाना खा रहे थे। रेशमा और शादाब अंदर अा गए और शादाब रेशमा को बताने लगा तो रेशमा के एक दीवार के पीछे शादाब को खींच लिया और बोली:"

" आह शादाब छोड़ ना तो हॉस्पिटल, अा जा मैं तुझे अपना आईसीयू दिखाती हूं

इतना कहकर वो शादाब के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसने शादाब की पेंट की चैन को खोल दिया और उसके लंड को बाहर निकाल लिया जो कि अभी सोया हुआ पड़ा था फिर भी वसीम के लंड के बराबर लग रहा था।

रेशमा ने बिना देर किए लंड के सुपाड़े को मुंह में भर लिया और चूसने लगी। शादाब मस्ती से भर उठा और आंखे बंद करके इस मस्त एहसास को महसूस करने लगा।
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