(UPDATE-54)
दिव्या का गुस्सा कहीं हड़त्ाक शायद जायेज़ था..पर शायद कहीं ना कहीं गलती मैं भी कर रहा था…एक तरफ देवश की दिव्या और दूसरी तरफ उसी के दूसरे रूप काला साया की अक्स जैसी रोज़….जिसकी तरफ मैं कुछ ज्यादा झुकाव देने लगा उसके आक्राशण में ऐसा खोया की दिव्या को भूल गया लेकिन यक़ीनन मज़बूरी मैं दिव्या को सहारा दिया था पर क्या मैं उससे प्यार भी करने लगा था नहीं बस उसके साथ दुश्मनों तालूक़ रखे थे एक दूसरे की प्यास भुज़ाई यक़ीनन रोज़ अगर जिंदगी में ना आती तो मैं दिव्या से ही शादी करता लेकिन अब सिचुयेशन बदल चुकी थी…
दिव्या को समझाने में मुझे बहुत वक्त लग गया…केस को भी भूल उसी को मानने में लग गया…आख़िरकार दिव्या सुबकते हुए मेरी ओर देखकर मुझसे उक्चि आवाज़ में बात करने के लिए माँफी मागने लगी…मैंने उसे अपने गले लगा लिया…मैं जनता था दिव्या शायद ऊन चिपकू औरतों में से नहीं बस वो प्यार चाहती है…शायद अपने औकवाद के चलते वो ये सोचती है की मैं उससे शादी नहीं करूँगा..लेकिन उसे समझाना बेहद जरूरी था की मैं उससे क्यों नहीं शादी कर सकता? फिलहाल वो वजह मैं बोल ना सका क्योंकि दिव्या मेरे जिस्म पे हाथ फेरने लगी और उसके मन में क्या चल रहा था ? ये मैं जनता था..दिव्या भी गरम लड़की थी इसमें कोई शक नहीं और ऊस वक्त बिना ऊस्की चुदाई के दिल नहीं मना
मैंने दिव्या को बाहों में भरा और उसके होठों को चूमने लगा..दिव्या भी मेरे बालों पे हाथ फिराती मुझे चूमने लगी….ऊस वक्त अगर रोज़ होती तो जाहिर है मुझे जान से मर देती…पर इन लड़कियों को इनके ही जगह रखना ठीक है…मैंने दिव्या को बहुत ज़ोर से किस किया…और ऊसने भी मुझे पागलों की तरह चुम्मना शुरू कर दिया…मेरे हाथ उसके छातियो पे चलने लगे और कपड़े को ऊपर से ही ऊस्की छातियो को दबाने लगा….दिव्या ने फौरन मुझे धकेला और अपना पजामा नीचे खिसका लिया…मैंने भी अपने कपड़े उतार फ़ैक्हे
दिव्या मेरे सीने पे चढ़के मेरे छाती को चूमते हुए मेरे निपल्स पे ज़बानफहिराने लगी मैंने उसके चेहरे को उठाया हाथों में लिया और उसे अपनी बाहों में खींच लिया…दिव्या की चुत में लंड अंदर बाहर हो रहा था…ऊस्की टाँगें मेरे कंधों पे थी और मैं कभी ऊपर तो कभी नीचे होता…ऊस्की चुत के मुआने पे उंगली करता हुआ लंड को बहुत फुरती से उसके चुत में रगड़ रगदके घुसाता…धक्के पेलता….दिव्या आंखें मुंडें मीठी मीठी सिसकियां ले रही थी
दिव्या ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया…और मैंने भी धक्के ज़ोर से देने शुरू कर दिए..लंड चुत से अंदर बाहर होने लगा..और मेरे हाथ उसके बिखरी ज़ुल्फो को समिटाने लगे वो मेरे होठों को चुस्सने लगी….हम दोनों पसीने पसीने होकर भीगने लगे…दिव्या की चुत से मैंने लंड बाहर खींचा….और उसके पेंट पे ही झधने लगा…धायर सारा रस उसके पेंट और नाभी पे भरने लगा….
दिव्या निढल पड़ी मुझे अपनी ऊपर खींच लेती है…मैं उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लेता हूँ….कब शाम का ढलता सूरज ढाल गया पता ही नहीं चला…
रोज़ जल्द ही बाइक से उतरके ख़ुफ़िया घर में प्रवेश करती है फिर चारों तरफ देखते हुए अनॅलिसिस रूम की लाइट्स ऑन करती है…”अरे देवश अभीतक नहीं है यहां”……वो चारों ओर देखते हुए मेरा नाम पुकारती है पर मैं उसे किसी जगह नहीं मिलता…”यक़ीनन पे.से में होगा”..अचानक ऊस्की निगाह मेरी इंतजार में ही ठहरी थी इतने में…उसका ध्यान ऑन परे पीसी पे परता है
उसे ऑन करते ही उसका दिमाग तनकता है…स्क्रीन पे खलनायक और उसके शागीर्दो का चेहरा दिखता है उनकी डीटेल्स जो मैंने पुलिस स्टेशन से लेकर रखी थी और ऊस केस पे मैं काम कर रहा था वो सब पढ़ लेती है…उसके चेहरे पे मुस्कान उमाध उठती है..और वो फिर अपने ग्लव्स और हेलमेट को पहने वापिस बाइक पे सवार होकर ख़ुफ़िया दरवाजे से बाहर निकल जाती है…
“इस लौंडिया को देखा है?”……काला लंड वन के अंदर ही ऊस खबरी को पूछता है…पहले तो वो खबरी रोज़ के तस्वीर को देखकर मुस्कुराता है और फिर बताता है की वो इस रास्ते से गश्त लगते हुए जंगल के रास्ते की ओर निकल जाती है….काला लंड खुश होता है…और उसके आंखों में शैतनपान दिखता है
बाइक को फुरती से चलते हुए रोज़ देखती है की उसके सामने दो वन खड़ी है…वो वन से फौरन उठ खड़ी होती है..वन से निकलते हॉकी का डंडा और चैन लिए खलनायक के गुंडे उसी को देखकर तहाका लगाकर हस्सने लगते है…और फिर धीरे धीरे रोज़ को घैर लेते है…”श तो ऊस कुत्ते के पलुए हो तुम लोग”………..रोज़ चारों ओर ऐसे निगाहों से देखती है मानो उसके लिए ये कोई छोटी बात हो
फौरन कुत्ता शब्द सुनकर ऊसपे हमला बोल देते है गुंडे…रोज़ फुरती से अपनी बेक किक सामने से आते गुंडे पे मारते हुए दूसरे गुंडे पे बाअई किक मारती है…इस बार उसके मुक्के ऊन गुंडों पे बरसते है..ऊस्की फुरतिदार..पार्कौुर करते हुए करतब लगते हुए…लातों घुसो की बरसात करते हुए हरक़तो को देख..काला लंड अपनी वन से बाहर आता है…वो लोग रोज़ को जकड़ लेते है…पर काला साया के दिए ट्रेनिंग और अपने हुनर से वो दोनों टाँग सामने के गुंडों पे मारते हुए चैन को पकड़कर सीधे ऊस गुंडे को ही जकड़ लेती है जो उसे पकड़ा हुआ होता है….
वो गुंडा वही दम तोड़ देता है…दूसरा गुंडा जैसे ऊसपे हावी होता रोज़ ने उसके मुँह को पकड़कर अपने घुटने से दे मारा उसके मुँह से खून निकल गया वो अपना चेहरा पकड़ा गिर गया…रोज़ ने अपना हॉकी का डंडा पकड़ा..और ऊन गुंडे पे बरसाना शुरू कर दिया…ऊनमें से कोई भी ऊसपे हावी नहीं हो पा रहा था….काला लंड मुस्कुराकर बस देखें जा रहा था
रोज़ आख़िर ऊन आखिरी बचे गुंडों को भी दरशाही कर देती है…इतने में उसके सर पर प्रहार होता है…रोज़ अपना सर पकड़े दूसरी ओर देखती है जिसके हाथ में पीपे होता है काला लंड उसके सामने खड़ा है…अपने सामने इतने भयनकर ख़ूँख़ार हिंसक काले नक़ाबपोश शॅक्स को देख रोज़ थोड़ी ठिठक जाती है पर वो लरआई नहीं छोढ़ती….रोज़ ऊसपे बरस पार्टी है…और उसके भाई डाई बेक मंकी सारी किक्स उसके चेहरे पे उतार देती है…काला लंड जितना उसे कक्चा समझ रहा था वो उतनी थी नहीं
ऊसने फौरन पीपे उसके मुँह पे दे मारा..रोज़ भौक्लाके गिर पड़ी उसके होठों से खून निकल गया..पर रोज़ झुकी नहीं और सीधे ही काला लंड से भीढ़ गयी…काला लंड उसे उठा उठाकर पटकने की कोशिश करने लगा पर हर पटकी से पहले ही रोज़ करतब करके उछाल फहानाद के ज़मीन पे स्त्री होकर कूद पड़ती…रोज़ को ये लरआई भारी लग रही थी पर हार मना उससे स्वीकार नहीं
अचानक से देवश की घंटी बज उठी…देवश ने टाइम देखा..”श में गोद रात हो गयी शितत्त”……उसे याद आया की रोज़ के गश्त लगाने का वक्त है यह…वो जैसे तैसे अपनी बेवकूफी भरे दिमाग को कोसता हुआ ख़ुफ़िया घर पहुंचा “र्रोस्से रोस्से”….रोज़ वहां नहीं थी…अचानक से देवश ने फौरन नॅविगेशन सिस्टम ऑन किया जिसमें ट्रेसिंग डिवाइस था रोज़ की बाइक पे हरपल होता है वो…ताकि देवश उसे बॅकप दे सके…अचानक से रोज़ की ट्रेस में उसे अपना ख़ुफ़िया कमरा दिखता है….रोज़ लर्र रही है एक काले नक़बपसो के साथ और चारों ओर गुंडे गिरे परे है…..”शितत्त”…….देवश फौरन भाग निकलता है
उधर चक्कर महसूस होते ही गश खाके घायल रोज़ फौरन ज़मीन पे गिर पार्टी है..काला साया उसके गले से उसे उठाकर फौरन उसके सर को वन के दीवार पे पटकता है…रोज़ दर्द से सिसकते हुए वापिस ज़मीन पे देह जाती है…अब उससे ये लरआई लरना संभव नहीं था…अपने कटे होंठ से खून को पोंछते हुए काला लंड उसके बालों से उसे उठता है और अपने बाए पॉकेट से खैची निकालता है..वो पागलों की तरह उसके लहू लुहन चेहरे पे हाथ फेरते हुए उसका खून चखता है..और फिर कैची उसके बालों में जैसे ही फंसाने को होता है
इतने में जीप पे बैठा देवश फुरती से ऊस जीप को काला लंड के पास ले आता है काला लंड रोज़ को चोद जीप को घूर्रता है और हिंसक की तरह उसके सामने दौधता है…देवश भी गुस्से में जीप को तेजी से काला लंड के ऊपर चढ़ाने वाला ही होता है की इतनें आइन काला लंड खुद ही बैलेन्स बिगड़ते ही जीप के ऊपर से टकराते हुए दूसरी ओर जा गिरता है…देवश जल्दी से निकलकर गोली ऊसपे डाँगता है
गोली दो बार काला लंड के बाज़ूयो में लगती है और वो वही गिर परता है….”ओह नो रोस्से रोस्से”…….देवश बाए साइड में गिरी रोज़ को उठाते हुए कहता है…”आहह ससस्स बहुत मारा कमीने ने”…….रोज़ के होठों पे गाली को सुन देवश को चैन आया की वो ज़िंदा है…ऊसने गुस्से भारी निगाहों से काला लंड की ओर देखा और उसे उठते देख हैरान हो गया….काला लंड उठके एकदम से गुस्से में जीप को उठाने लगता है उसके ऐसी असीम ताक़त कोदेख देवश घबरा जाता है
“ओह माइ गॉड ये इंसाना है की मॉन्स्टर”…..इतने देर में काला लंड जीप ऊन दोनों के ऊपर लुड़का देता है…देवश फौरन रोज़ को खींच लेता है..और दोनों दूसरी ओर गिर पारट है और ऊस ओर जीप गिर पार्टी है…काला लंड उसके करीब आता है “ओह माइ गॉड इस पे तो गोली का कोई असर नहीं हुआ”……..डीओॉश हड़बाहात में गोली सड़क पे चोद देता है और फौरन अपने काला साया पैट्रो से ऊसपे हमला करता है पर वो डीओॉश को दूर उछाल फैक्टा है…डीओॉश बैलेन्स बनकर उठ खड़ा होता है और फिर जीप पे देखते हुए ऊस ओर खड़ा हो जाता है “आबे ओह मादरचोद”…….काला लंड का गुस्सा दहेक उठता है रोज़ के पास जाने के बजाय देवश की ओर भागता है…देवश मुस्कुराकर अपनी जेब से निकलते लाइटर को जीप पे फ़ेक देता है जिसका पेट्रोल लीक कर रहा था
और ऊस ओर से जैसे कूड़ता है…काला लंड जीप से दौड़ते हुए टकराता है और तभी बूओं एक धमाका होता है…जीप के चीटड़े उड़ जाते है…और आग की लपतो में काला लंड चिल्लाते हुए जंगल में कूद जाता है…डीओॉश हालत को समझते हुए रोज़ को कंधे से उठता है और किसी तरह रोज़ की बाइक पे सवार होकर उसके सामने निढल रोज़ को बिता देता है और जितनी हो सके उतनी रफ्तार से बाइक दौड़ा देता है
Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-55)
काला लंड आग की लपतो को भुजाते हुए रास्ते के सामने खड़ा होकर दूर जाते देवश और रोज़ की तरफ देखता है और ज़ोर से दहधाता हाईईईई…देवश निढल रोज़ के सर को अपने सीने पे रख देता है और उसके चेहरे को चूमते हुए बाइक फुरती से दौधने लगता है
जल्दी ख़ुफ़िया घर पहुंचकर…बाइक को किसी तरह अनॅलिसिस ऑफिस वाले घर में लाकर…मैं जल्दी से बाइक रोककर रोज़ को अपने बाहों में भरके उठता हूँ…और उसे लाके सोफे पे लेटा देता हूँ…रोज़ अब भी निढल थी
पहले तो उसके कपड़े जैसे तैसे उतारे और सिर्फ़ उसे ब्रा और कक़ची में रखा..ताकि उसके पूरे बदन का मुआना करूं अफ कितने चोटें थी लाल लाल निशानो की कुछ तरफ खरोचें थी…बाल भी बिखरे हुए थे..आज तो ऊस जल्लाद ने मेरी रोज़ को मर ही दिया होता….मैंने मुआना किया और एक एक अंगों को चेक किया…शुक्र है की हड्डी सलामत कोई अंग नहीं टूटा…असल में जब काला साया के वक्त भी ऐसे गुंडों से टकराने पे खुद को घायल महसूस करता था…तो अपने काबिल डॉक्टर से सीखी कुछ स्किल्स की मदद से खुद को चेक कर लेता था…मेरे हाथ में अब भी ऐसा स्प्रेन है जो अभीतक ठीक नहीं हुआ और ये मेरी एक बेहद दर्दनाक कमज़ोरी है
खैर मैंने ऊपर वाले का धनञयवाद करते हुए..फौरन इलाज के लिए फर्स्ट ाईड बॉक्स और कुछ पत्तियां ले आया….पहले बाल्टी भर वॉर्म वॉटर से रोज़ के जिस्म को स्पंज बात करने लगा…उससे उसका हाथ मुँह धोया…चेहरे और नाक से निकल रहे खून को पोंछा..और फिर उसके बदन को फिर जहां जहां उसे दर्द था वहां वहां पत्तियां कर दी…उसके बाए आर्म के शोल्डर पे पट्टी बाँधी और फिर एक जाँघ के निचले हिस्से पे…रोज़ अब काफी बेहतर महसूस कर रही थी
रोज़ को जल्द ही होश आ गया….”रोज़ अरे यू ऑलराइट? सब ठीक तो है ना”….उसके चेहरे को थपथपाते हुए मैंने बोला….ऊसने जैसे मेरी ओर धुंधली निगाहों से देखा वो मुस्कुराते हुए मेरे गले लग गयी…कुछ देर तक हम वैसे ही बैठे रहे
रोज़ : आहह आज तो ऊस कमीने ने मर ही दिया होता
देवश : हां हां हां और जाए अकेले जंग में कूदने के लिए…क्या जरूरत थी? मुझे तुमने एक फोन तक नहीं किया
रोआए : मुझे लगा तुम खुद बिज़ी हो…बेक उप तो थे ही तुम
देवश : हाँ और कब फोन करती बेक उप के लिए जब तुम ऊपर चली जाती तब…फिर मेरा क्या होता? सोचा है इन ज़ालिमो के अंदर रहें नाम की चीज़ नहीं खैर ये शॅक्स काला लंड तुम्हें कहाँ मिला था?
रोज़ : इसने मेरे रास्ते को घैर लिया…इसका टारगेट मैं ही थी हो ना हो इसकी मेरे से कोई दुश्मनी है (रोज़ अभी कशमकश में खोई सी थी इतने में कमिशनर और ब्ड के ऑफिसर उस्मान की बात दिमाग में घूम गयी और एक ही नाम सामने आया खलनायक)
फिर मैंने तफ़सील से रोज़ की ओर देखते हुए उसे बताया की खलनायक एक शातिर माफिया है और इसके गान्ड में दो खतरनाक गुंडे है जो इसके पलूए है और अब शायद इनके निशाने में तुम इसलिए हो क्योंकि तुमने खलनायक के ड्रग्स और उसके आदमियों को मर गिराया जावेद हुस्सियान उसी का आदमी था
रोज़ : ओह ई से (रोज़ फिर गहरी सोच में दुबई फिर ऊसने मुझे ऊन्हें एलिमिनेट करने का कोई रास्ता पूछा)
देवश : नहीं रोज़ मैं तुम्हें और खतरे में नहीं डालूँगा तुम ऊन ल्गो से दूर रहो
रोज़ : ऐसे कैसे कह सकते हो तुम? मैं एक सूपरहीरो हूँ और मैंने अक्चाई से लार्न के लिए वचन लिया
देवश : अचाई क्या जिंदगी से बढ़के है तुम्हारे? मेरी पुलिस फोर्स है ऊन लूग के पीछे अब तुम्हें अकेले मौत के मुँह में दावत देने नहीं चोदूंगा समझी तुम
मेरे परवाह और आंखों में अपने लिए डर को देख….रोज़ मुस्कराई ऊसने ऐसे कई ख़तरो से खेला था…पर आज ऊस्की कोई परवाह करने वाला सामने बैठा था….रोज़ ने हल्के से मुस्कराया लेकिन वो फीरसे सोफे पे लाइट गयी उसे थोड़ा दर्द था बदन में “तुम आराम करो मैं निकलता हूँ”……..देवश उठने ही वाला था की रोज़ ने उसके हाथ को क़ास्सके पकड़ लिया
रोज़ : मुझे छोढ़के आज कहीं मत जाओ ना (ऊस्की आंखों में अपने लिए जो प्यार उमड़ते देखा उससे साला मेरे पाओ जम गये)
बात भी ठीक ही थी उसे अकेला छोढ़ने का मेरा भी कोई मन नहीं था…पर दिव्या वो भी तो अकेले थी…लेकिन रोज़ पे जानलेवा हमला मतलब अब खलनायक उसे टारगेट कर रहा है कहीं ना कहींशायद मुझे भी करेगा…और ऐसी हालत में दूर रहना ठीक बात नहीं…मैंने फौरन घर पे फोन किया हाल जाना….दिव्या आज गुस्सा नहीं हुई उसे मुझपर यकीन नहीं था…मैंने फोन कट कर दिया….तभी मामुन का भी फोन आ गया…ऊनसे बताया की वो अपने यार के यहां तेहरा है आज घर नहीं आएगा वहां पार्टी है…मैंने कहा मैं कौन सा घर में हूँ जहाँ मर्जी वहां तहेर? आज वैसे भी मैं घर नहीं आने वाला बिज़ी हूँ काम पे…उससे भी बात करके फोन कट कर दिया
फिर अपने शर्ट और जीन्स को उतारके वैसे ही चड्डी पहने…रोज़ के बगल में आकर उसे लिपटके लाइट गया…रोज़ ने हम दोनों के ऊपर चादर ओढ़ ली और मेरे सीने पे मुँह लगाए मेरे पीठ पे हाथ फेरते हुए आराम करने लगी मैं बस उसके ज़ुल्फो के साथ खेलने लगा…आज सेक्स करने का मूंड़ नहीं था ऊससकी हालत ठीक नहीं थी मैं बस उसके साथ वैसे ही लिपटे आनंद ले रहा था और कब मेरी भी आँख भारी होने लगी मुझे पता नहीं
“य्ाआआआआआ”……धड़धस धड़धस्स करके चीज़ों को पटकते हुए काला लंड गुस्से से तमतमाए जा रहा था…..खलनायक बस चुपचाप अपने आदमियों के सामने खड़ा उसके गुस्से को घूर्र रहा था….काला लंड के सर पे खून सवार था…आज ऊसने सबसे बड़ी हार वॉ भी महीज़ एक पुलिस ऑफिसर से पाई थी और एक लड़की से…”ऊस कमीने के वजाहह से मेरा सारा मूंड़ खराब हो गया ऊसने मेरे बदन पे आग लगाइइ कमीने को चोदूंगा नहीं मैं मां चोद दूँगा ऊस्की”…….काला लंड गारज़ते हुए पास कहरे आदमी का गला दबोच देता है
निशानेबाज़ सिर्फ़ मुस्कुराता है…गला चोदते ही वो आदमी फर्श पे गिरके मर जाता है….खलनायक अपने आदमियों को ऊस्की लाश ठिकाने लगाकर कहकर पास आत है
खलनायक : जानता हूँ मैं तुम्हारे गुस्से को लेकिन फिहल तुम्हें आराम की सख्त जरूरत है…तुम्हारे ज़ख़्म्म्म
काला लंड : ये ज़ख़्म्म्म तब शांत होंगे जब मैं ऊस रंडी की बच्ची को अपने हाथों से नंगा करके टॉर्चर करूँगा मुझे वो इंस्पेक्टर चाहिईए बॅस (काला लंड के पागलपन और गुस्से को खलनायक जनता था..वो मुस्कुराकर हामी भरके बाहर आ गया साथ में निशानेबाज़ भी)
निशानेबाज़ : अब क्या करे? जो काम आपने इसे दिया था ये ऊसपे खड़ा नहीं उतरा
खलनायक : बिना मारें काला लंड शांत नहीं होगा देखा नहीं कैसे ऊस आदमी को मर डाला जबतक किसी का खून ना बहा दे तबतक शांत नहीं होता यह (काला लंड दीवार पे घुस्से मर रहा था जिसकियवाज़ बाहर सबको सहेमा दे रही थी)
खलनायक : बाकी के गुंडे कहाँ है? कौन था वो शॅक्स जिसने ऊस रोज़ को बचाया?
निशानेबाज़ : सर बाकी गुंडे या तो हॉस्पिटल में साँसें गीं रहे है या कुछ तो मर चुके फिलहाल तो पुलिस के आदमी पे हमला हुआ है ये बात आग की तरह फैल गयी होंगी हुम्हें कुछ दिन तक तो काला लंड का गुस्सा और खुद को अंडरग्राउंड रखान भी जरूरी है
काला लंड आग की लपतो को भुजाते हुए रास्ते के सामने खड़ा होकर दूर जाते देवश और रोज़ की तरफ देखता है और ज़ोर से दहधाता हाईईईई…देवश निढल रोज़ के सर को अपने सीने पे रख देता है और उसके चेहरे को चूमते हुए बाइक फुरती से दौधने लगता है
जल्दी ख़ुफ़िया घर पहुंचकर…बाइक को किसी तरह अनॅलिसिस ऑफिस वाले घर में लाकर…मैं जल्दी से बाइक रोककर रोज़ को अपने बाहों में भरके उठता हूँ…और उसे लाके सोफे पे लेटा देता हूँ…रोज़ अब भी निढल थी
पहले तो उसके कपड़े जैसे तैसे उतारे और सिर्फ़ उसे ब्रा और कक़ची में रखा..ताकि उसके पूरे बदन का मुआना करूं अफ कितने चोटें थी लाल लाल निशानो की कुछ तरफ खरोचें थी…बाल भी बिखरे हुए थे..आज तो ऊस जल्लाद ने मेरी रोज़ को मर ही दिया होता….मैंने मुआना किया और एक एक अंगों को चेक किया…शुक्र है की हड्डी सलामत कोई अंग नहीं टूटा…असल में जब काला साया के वक्त भी ऐसे गुंडों से टकराने पे खुद को घायल महसूस करता था…तो अपने काबिल डॉक्टर से सीखी कुछ स्किल्स की मदद से खुद को चेक कर लेता था…मेरे हाथ में अब भी ऐसा स्प्रेन है जो अभीतक ठीक नहीं हुआ और ये मेरी एक बेहद दर्दनाक कमज़ोरी है
खैर मैंने ऊपर वाले का धनञयवाद करते हुए..फौरन इलाज के लिए फर्स्ट ाईड बॉक्स और कुछ पत्तियां ले आया….पहले बाल्टी भर वॉर्म वॉटर से रोज़ के जिस्म को स्पंज बात करने लगा…उससे उसका हाथ मुँह धोया…चेहरे और नाक से निकल रहे खून को पोंछा..और फिर उसके बदन को फिर जहां जहां उसे दर्द था वहां वहां पत्तियां कर दी…उसके बाए आर्म के शोल्डर पे पट्टी बाँधी और फिर एक जाँघ के निचले हिस्से पे…रोज़ अब काफी बेहतर महसूस कर रही थी
रोज़ को जल्द ही होश आ गया….”रोज़ अरे यू ऑलराइट? सब ठीक तो है ना”….उसके चेहरे को थपथपाते हुए मैंने बोला….ऊसने जैसे मेरी ओर धुंधली निगाहों से देखा वो मुस्कुराते हुए मेरे गले लग गयी…कुछ देर तक हम वैसे ही बैठे रहे
रोज़ : आहह आज तो ऊस कमीने ने मर ही दिया होता
देवश : हां हां हां और जाए अकेले जंग में कूदने के लिए…क्या जरूरत थी? मुझे तुमने एक फोन तक नहीं किया
रोआए : मुझे लगा तुम खुद बिज़ी हो…बेक उप तो थे ही तुम
देवश : हाँ और कब फोन करती बेक उप के लिए जब तुम ऊपर चली जाती तब…फिर मेरा क्या होता? सोचा है इन ज़ालिमो के अंदर रहें नाम की चीज़ नहीं खैर ये शॅक्स काला लंड तुम्हें कहाँ मिला था?
रोज़ : इसने मेरे रास्ते को घैर लिया…इसका टारगेट मैं ही थी हो ना हो इसकी मेरे से कोई दुश्मनी है (रोज़ अभी कशमकश में खोई सी थी इतने में कमिशनर और ब्ड के ऑफिसर उस्मान की बात दिमाग में घूम गयी और एक ही नाम सामने आया खलनायक)
फिर मैंने तफ़सील से रोज़ की ओर देखते हुए उसे बताया की खलनायक एक शातिर माफिया है और इसके गान्ड में दो खतरनाक गुंडे है जो इसके पलूए है और अब शायद इनके निशाने में तुम इसलिए हो क्योंकि तुमने खलनायक के ड्रग्स और उसके आदमियों को मर गिराया जावेद हुस्सियान उसी का आदमी था
रोज़ : ओह ई से (रोज़ फिर गहरी सोच में दुबई फिर ऊसने मुझे ऊन्हें एलिमिनेट करने का कोई रास्ता पूछा)
देवश : नहीं रोज़ मैं तुम्हें और खतरे में नहीं डालूँगा तुम ऊन ल्गो से दूर रहो
रोज़ : ऐसे कैसे कह सकते हो तुम? मैं एक सूपरहीरो हूँ और मैंने अक्चाई से लार्न के लिए वचन लिया
देवश : अचाई क्या जिंदगी से बढ़के है तुम्हारे? मेरी पुलिस फोर्स है ऊन लूग के पीछे अब तुम्हें अकेले मौत के मुँह में दावत देने नहीं चोदूंगा समझी तुम
मेरे परवाह और आंखों में अपने लिए डर को देख….रोज़ मुस्कराई ऊसने ऐसे कई ख़तरो से खेला था…पर आज ऊस्की कोई परवाह करने वाला सामने बैठा था….रोज़ ने हल्के से मुस्कराया लेकिन वो फीरसे सोफे पे लाइट गयी उसे थोड़ा दर्द था बदन में “तुम आराम करो मैं निकलता हूँ”……..देवश उठने ही वाला था की रोज़ ने उसके हाथ को क़ास्सके पकड़ लिया
रोज़ : मुझे छोढ़के आज कहीं मत जाओ ना (ऊस्की आंखों में अपने लिए जो प्यार उमड़ते देखा उससे साला मेरे पाओ जम गये)
बात भी ठीक ही थी उसे अकेला छोढ़ने का मेरा भी कोई मन नहीं था…पर दिव्या वो भी तो अकेले थी…लेकिन रोज़ पे जानलेवा हमला मतलब अब खलनायक उसे टारगेट कर रहा है कहीं ना कहींशायद मुझे भी करेगा…और ऐसी हालत में दूर रहना ठीक बात नहीं…मैंने फौरन घर पे फोन किया हाल जाना….दिव्या आज गुस्सा नहीं हुई उसे मुझपर यकीन नहीं था…मैंने फोन कट कर दिया….तभी मामुन का भी फोन आ गया…ऊनसे बताया की वो अपने यार के यहां तेहरा है आज घर नहीं आएगा वहां पार्टी है…मैंने कहा मैं कौन सा घर में हूँ जहाँ मर्जी वहां तहेर? आज वैसे भी मैं घर नहीं आने वाला बिज़ी हूँ काम पे…उससे भी बात करके फोन कट कर दिया
फिर अपने शर्ट और जीन्स को उतारके वैसे ही चड्डी पहने…रोज़ के बगल में आकर उसे लिपटके लाइट गया…रोज़ ने हम दोनों के ऊपर चादर ओढ़ ली और मेरे सीने पे मुँह लगाए मेरे पीठ पे हाथ फेरते हुए आराम करने लगी मैं बस उसके ज़ुल्फो के साथ खेलने लगा…आज सेक्स करने का मूंड़ नहीं था ऊससकी हालत ठीक नहीं थी मैं बस उसके साथ वैसे ही लिपटे आनंद ले रहा था और कब मेरी भी आँख भारी होने लगी मुझे पता नहीं
“य्ाआआआआआ”……धड़धस धड़धस्स करके चीज़ों को पटकते हुए काला लंड गुस्से से तमतमाए जा रहा था…..खलनायक बस चुपचाप अपने आदमियों के सामने खड़ा उसके गुस्से को घूर्र रहा था….काला लंड के सर पे खून सवार था…आज ऊसने सबसे बड़ी हार वॉ भी महीज़ एक पुलिस ऑफिसर से पाई थी और एक लड़की से…”ऊस कमीने के वजाहह से मेरा सारा मूंड़ खराब हो गया ऊसने मेरे बदन पे आग लगाइइ कमीने को चोदूंगा नहीं मैं मां चोद दूँगा ऊस्की”…….काला लंड गारज़ते हुए पास कहरे आदमी का गला दबोच देता है
निशानेबाज़ सिर्फ़ मुस्कुराता है…गला चोदते ही वो आदमी फर्श पे गिरके मर जाता है….खलनायक अपने आदमियों को ऊस्की लाश ठिकाने लगाकर कहकर पास आत है
खलनायक : जानता हूँ मैं तुम्हारे गुस्से को लेकिन फिहल तुम्हें आराम की सख्त जरूरत है…तुम्हारे ज़ख़्म्म्म
काला लंड : ये ज़ख़्म्म्म तब शांत होंगे जब मैं ऊस रंडी की बच्ची को अपने हाथों से नंगा करके टॉर्चर करूँगा मुझे वो इंस्पेक्टर चाहिईए बॅस (काला लंड के पागलपन और गुस्से को खलनायक जनता था..वो मुस्कुराकर हामी भरके बाहर आ गया साथ में निशानेबाज़ भी)
निशानेबाज़ : अब क्या करे? जो काम आपने इसे दिया था ये ऊसपे खड़ा नहीं उतरा
खलनायक : बिना मारें काला लंड शांत नहीं होगा देखा नहीं कैसे ऊस आदमी को मर डाला जबतक किसी का खून ना बहा दे तबतक शांत नहीं होता यह (काला लंड दीवार पे घुस्से मर रहा था जिसकियवाज़ बाहर सबको सहेमा दे रही थी)
खलनायक : बाकी के गुंडे कहाँ है? कौन था वो शॅक्स जिसने ऊस रोज़ को बचाया?
निशानेबाज़ : सर बाकी गुंडे या तो हॉस्पिटल में साँसें गीं रहे है या कुछ तो मर चुके फिलहाल तो पुलिस के आदमी पे हमला हुआ है ये बात आग की तरह फैल गयी होंगी हुम्हें कुछ दिन तक तो काला लंड का गुस्सा और खुद को अंडरग्राउंड रखान भी जरूरी है
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-56)
खलनायक : खलनायक कोई चूहा नहीं जो अंडरग्राउंड हो जाए…पता करो वो इंस्पेक्टर कौन है?
स्साहीब साहेब…एक गुंडा आया जिसके हाथ पाओ पट्टी से बँधे थे…ऊसने बताया की ऊसने ऊस इंस्पेक्टर का पिक लिया जैसे उसे होश आय फौरन हॉस्पिटल से यहां चला आया “उम्म्म इसका मतलब साफ है की वो लड़की रोज़ और वो लड़का एक दूसरे को अच्छे से जानते है और काफी हुनरबाज़ भी है तभी तो हमारी फौज पे ही वो भारी पड़े”……..खलनायक का शातिर दिमाग टांका
खलनायक ने वो मोबाइल पिक्चर ड्केही…दो तीन पिक थे कुछ तो ज्यादा ब्लर हो गये थे पर एक पिक साफ थी…”हम क्या नाम है इसका? शकल थोड़ी थोड़ी पहचान में नहीं आ पा रही साफ नहीं है”…..खलनायक ने गुस्से से गुंडे को देखते हुए बोला…”साहेब ये पिक भी तो चुपके लिया था…वैसे उसका नाम इंस्पेक्टर हाँ इंस्पेक्टर देवश चटर्जी है”…….खलनायक का दिमाग ठनक गया….”क्या? अच्छा अच्छा”…..तो इसका मतलब इस देवश मिया के अंदर कोई रहस्य है उसे रोज़ के लिए जाओ ले आओ उसे यहां मैं उसे 24 घंटों के अंदर यहां पेश चाहता हूओ”………खलनायक के आर्डर को फॉलो करते हुए गुंडा निकल गया
खलनायक : और हाँ एक काम और करो? एक कमसिन लौंडिया को पेश करो…आज काला लंड के भूख वही शांत कर सकती है…वरना उसे आउट ऑफ कंट्रोल होने से कोई नहीं बच्चा पाएगा
खलनायक के सनकी हँसी को सुनते हुए निशानेबाज़ भी तहाका लगाकर हस्सता है…जल्द ही कमरे के भेतर एक लड़की को फैक दिया जाता है…उसे देखते ही काला लंड घुर्राने लगता है…लड़की एकदम ज़ोर से उसे देखकर सहेंटे हुए पीछे होने लगतीई है…और फिर उसके बाद काला लंड उसके बालों से उसे पकड़कर उसके होठों पे दाँत बिताके कांट लेता है…दर्दनाक बेरहेमी का यह तमाशा खलनायक गौर से देखते हुए बस तहाका लगाकर हस्सता है.
“व्हातत्त नॉन्ससेंसी?”……कमिशनर गिलास का पनई पीट हुए देवश की ओर्देखते हुए कहते है “तुम्हारी जान ऊस रोज़ ने बचाई ऊस चोर ने”………कमिशनर ने देवश की सारी बातों को सुनते हुए कहा
देवश : सर मैं सच कह रहा हूँ मुझपर जानलेवा हमला हुआ है…और इसमें हाथ खलनायक का है…और रोज़ नहीं होती तो मुझे कोई नहीं बच्चा पाता
कमिशनर : देखो देवश हर बात की एक हद होती है तुम ऊसें एर सामने उकचा दिखाने की कोशिश कर रहे हो पर कानून के निगहाओ में वो सिर्फ़ एक महेज़ मुज़रिम है…तुमपे आहेसां होंगे उसके पर मेरेल इए वो महेज़ खलायक के भट्टी एक मुज़रिम है
देवश : आप समझना चाहते क्यों नहीं है सर? अगर मैं उसे बचाता नहीं तो रोज़ को कुछ हो जाता
कमिशनर : तो फिर तुमने उसे अरेस्ट क्यों नहीं किया? काला लंड को क्यों नहीं पकड़ पाए जिसके तुमने बारे बारे दावे किए थे
देवश : ई आम सॉरी सर वहां से भागना बेहद जरूरी था वरना ऊस ताकतवर शैतान से बचना मुश्किल ही था मुझे आपसे उसके लिए चुत अट साइट का आर्डर चाहिए
कमिशनर : देखो देवश पहले ही तुमने ऊसपे गोली चलाई ठीक वो मारा नहीं इट;से फॉर डिफेन्स लेकिन उसके लिए चुत अट साइट का मैं आर्डर तुम्हें काटतायी नहीं देने वाला बिकॉज़ मैं ऊन तीनों को ज़िंदा पकड़ना चाहता हूँ इट’से अबौट और कंट्री’से रेप्युटेशन
देवश : वाहह सर सिर्फ़ एक रेप्युटेशन के लिए यू आर बिकमिंग सो सडिस्टिक कोई मारे या बचे इट डोएस्न;त मॅटर तो यू वेट्स रॉंग विड यू सर? प्ल्स सर अगर उसे रोका नहीं गया तो वो और मासूमों की जानें लगा हे इस गोडड़मान ब्लडी साइको
कमिशनर : और यू अरे आ ब्लडी अडमेंट (देवश खून खौले आंखों से कमिशनर की ओर देखने लगा) ठीक है है सर आप मुझे आर्डर नहीं देंगे ना सही लेकिन अगर आगे छलके कोई मासूम मारा तो उसके ज़िमीडार आप होंगे…मुझे अपनी प्रमोशन की परवाह नहीं…ऐसे ही तो आपने काला साया के लिए एन्कौतेर लिख डाला…जबकि ऊसने नायक काम किया जिस मुज़रिम से आपको बेनेफिट है उसे मारना मतलब क्रोरो का नुकसान
अगर पुलिस ही नुकसान और प्रॉफिट की बात सोचे वो भी मुर्ज़िमो से तो फिर कानून के तरज़ू में सिर्फ़ प्रॉफिट और करप्षन ही मुझे दीखेगा
कमिशनर : गेट आउट देवश और डोंट आर्ग्यू विड में मैं जनता हूँ मैंने क्या किया और ई हॅव डन एवेरितिंग राइट..गो नाउ राइट नाउ
देवश : जा रहा हूँ सर ये याद रखिएगा आज काला साया का होना कितना जरूरी था…कल रोज़ भी मारी जाएगी…फिर हमारा कानून ऊन मुर्ज़िमो को पकड़ पाए या ना पाए पर ऊन लोगों के लिए हिज़ाड़ो की तरह ताली जरूर बजाएगा
इस बार देवश का गुस्सा सर चढ़के बोला….और वो तमतमते हुए थाने से निकल गया….पीछे कमिशनर बस गुलाबी निगाहें लिए टेबल पे मर के बैठ गया…
देवश पूरे रास्ते गुस्से से जीप को चला रहा था…कमिशनर की एक एक काँटे डर चुबती बातें उसके दिमाग को जैसे कांटें जा रही थी…जल्द ही वो इतर पहुंचा…और फिर अपने घर ऊसने गाड़ी रोकी और गुस्से में टमतमाते हुए दरवाजे की ओर देखा…ये क्या? लगता है मामुन अभीतक आया नहीं
देवश ने अकेले ही दरवाजा खोला और फिर बिस्तर पे जाकर लाइट गया…आज उसका मूंड़ बेहद खराब था एक तो काला लंड से भीढात के साथ ही उसे भी थोड़ी चोटें आई थी…ऊपर से कमिशनर चुत अट साइट के आर्डर को भी रेफ्यूज़ कर रहा था वो जनता नहीं की ये तीन बदमाश कितने खतरनाक है…लेकिन ऊपर के कुर्सी में बैठे लोगों को कैसे समझाए???
देवश सर पे हाथ रखकर अभी बैठा ही था इतने मेंडरवाजे पे दस्तक हुई….देवश ने दरवाजा खोला…”अरे ये क्या काकी मां आप?”…..देवश के चेहरे पे थोड़ा मुस्कान आया
अपर्णा काकी : हाँ और नहीं तो क्या? बेटा ज़रा एक गिलास पानी पीला दे बहुत दूर से छलके आई हूँ
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स्साहीब साहेब…एक गुंडा आया जिसके हाथ पाओ पट्टी से बँधे थे…ऊसने बताया की ऊसने ऊस इंस्पेक्टर का पिक लिया जैसे उसे होश आय फौरन हॉस्पिटल से यहां चला आया “उम्म्म इसका मतलब साफ है की वो लड़की रोज़ और वो लड़का एक दूसरे को अच्छे से जानते है और काफी हुनरबाज़ भी है तभी तो हमारी फौज पे ही वो भारी पड़े”……..खलनायक का शातिर दिमाग टांका
खलनायक ने वो मोबाइल पिक्चर ड्केही…दो तीन पिक थे कुछ तो ज्यादा ब्लर हो गये थे पर एक पिक साफ थी…”हम क्या नाम है इसका? शकल थोड़ी थोड़ी पहचान में नहीं आ पा रही साफ नहीं है”…..खलनायक ने गुस्से से गुंडे को देखते हुए बोला…”साहेब ये पिक भी तो चुपके लिया था…वैसे उसका नाम इंस्पेक्टर हाँ इंस्पेक्टर देवश चटर्जी है”…….खलनायक का दिमाग ठनक गया….”क्या? अच्छा अच्छा”…..तो इसका मतलब इस देवश मिया के अंदर कोई रहस्य है उसे रोज़ के लिए जाओ ले आओ उसे यहां मैं उसे 24 घंटों के अंदर यहां पेश चाहता हूओ”………खलनायक के आर्डर को फॉलो करते हुए गुंडा निकल गया
खलनायक : और हाँ एक काम और करो? एक कमसिन लौंडिया को पेश करो…आज काला लंड के भूख वही शांत कर सकती है…वरना उसे आउट ऑफ कंट्रोल होने से कोई नहीं बच्चा पाएगा
खलनायक के सनकी हँसी को सुनते हुए निशानेबाज़ भी तहाका लगाकर हस्सता है…जल्द ही कमरे के भेतर एक लड़की को फैक दिया जाता है…उसे देखते ही काला लंड घुर्राने लगता है…लड़की एकदम ज़ोर से उसे देखकर सहेंटे हुए पीछे होने लगतीई है…और फिर उसके बाद काला लंड उसके बालों से उसे पकड़कर उसके होठों पे दाँत बिताके कांट लेता है…दर्दनाक बेरहेमी का यह तमाशा खलनायक गौर से देखते हुए बस तहाका लगाकर हस्सता है.
“व्हातत्त नॉन्ससेंसी?”……कमिशनर गिलास का पनई पीट हुए देवश की ओर्देखते हुए कहते है “तुम्हारी जान ऊस रोज़ ने बचाई ऊस चोर ने”………कमिशनर ने देवश की सारी बातों को सुनते हुए कहा
देवश : सर मैं सच कह रहा हूँ मुझपर जानलेवा हमला हुआ है…और इसमें हाथ खलनायक का है…और रोज़ नहीं होती तो मुझे कोई नहीं बच्चा पाता
कमिशनर : देखो देवश हर बात की एक हद होती है तुम ऊसें एर सामने उकचा दिखाने की कोशिश कर रहे हो पर कानून के निगहाओ में वो सिर्फ़ एक महेज़ मुज़रिम है…तुमपे आहेसां होंगे उसके पर मेरेल इए वो महेज़ खलायक के भट्टी एक मुज़रिम है
देवश : आप समझना चाहते क्यों नहीं है सर? अगर मैं उसे बचाता नहीं तो रोज़ को कुछ हो जाता
कमिशनर : तो फिर तुमने उसे अरेस्ट क्यों नहीं किया? काला लंड को क्यों नहीं पकड़ पाए जिसके तुमने बारे बारे दावे किए थे
देवश : ई आम सॉरी सर वहां से भागना बेहद जरूरी था वरना ऊस ताकतवर शैतान से बचना मुश्किल ही था मुझे आपसे उसके लिए चुत अट साइट का आर्डर चाहिए
कमिशनर : देखो देवश पहले ही तुमने ऊसपे गोली चलाई ठीक वो मारा नहीं इट;से फॉर डिफेन्स लेकिन उसके लिए चुत अट साइट का मैं आर्डर तुम्हें काटतायी नहीं देने वाला बिकॉज़ मैं ऊन तीनों को ज़िंदा पकड़ना चाहता हूँ इट’से अबौट और कंट्री’से रेप्युटेशन
देवश : वाहह सर सिर्फ़ एक रेप्युटेशन के लिए यू आर बिकमिंग सो सडिस्टिक कोई मारे या बचे इट डोएस्न;त मॅटर तो यू वेट्स रॉंग विड यू सर? प्ल्स सर अगर उसे रोका नहीं गया तो वो और मासूमों की जानें लगा हे इस गोडड़मान ब्लडी साइको
कमिशनर : और यू अरे आ ब्लडी अडमेंट (देवश खून खौले आंखों से कमिशनर की ओर देखने लगा) ठीक है है सर आप मुझे आर्डर नहीं देंगे ना सही लेकिन अगर आगे छलके कोई मासूम मारा तो उसके ज़िमीडार आप होंगे…मुझे अपनी प्रमोशन की परवाह नहीं…ऐसे ही तो आपने काला साया के लिए एन्कौतेर लिख डाला…जबकि ऊसने नायक काम किया जिस मुज़रिम से आपको बेनेफिट है उसे मारना मतलब क्रोरो का नुकसान
अगर पुलिस ही नुकसान और प्रॉफिट की बात सोचे वो भी मुर्ज़िमो से तो फिर कानून के तरज़ू में सिर्फ़ प्रॉफिट और करप्षन ही मुझे दीखेगा
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इस बार देवश का गुस्सा सर चढ़के बोला….और वो तमतमते हुए थाने से निकल गया….पीछे कमिशनर बस गुलाबी निगाहें लिए टेबल पे मर के बैठ गया…
देवश पूरे रास्ते गुस्से से जीप को चला रहा था…कमिशनर की एक एक काँटे डर चुबती बातें उसके दिमाग को जैसे कांटें जा रही थी…जल्द ही वो इतर पहुंचा…और फिर अपने घर ऊसने गाड़ी रोकी और गुस्से में टमतमाते हुए दरवाजे की ओर देखा…ये क्या? लगता है मामुन अभीतक आया नहीं
देवश ने अकेले ही दरवाजा खोला और फिर बिस्तर पे जाकर लाइट गया…आज उसका मूंड़ बेहद खराब था एक तो काला लंड से भीढात के साथ ही उसे भी थोड़ी चोटें आई थी…ऊपर से कमिशनर चुत अट साइट के आर्डर को भी रेफ्यूज़ कर रहा था वो जनता नहीं की ये तीन बदमाश कितने खतरनाक है…लेकिन ऊपर के कुर्सी में बैठे लोगों को कैसे समझाए???
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-57)
देवश : अच्छा रुकिये
देवश ने अपर्णा काकी के सारी से आ रही पसीने की महक को महसूस किया…और जल्दी से फटाफट पानी के बजाय ग्लूकों-द काकी को दी…काकी ने मुस्कुराकर ग्लूकों-द को एक ही साँस में पी लिया…”अब जाकर राहत मिली”…..अपर्णा काकी ने धीमी साँस लेते हुए कहा
देवश : आप कहाँ से आ रही हो इतना छलके?
अपर्णा : अरे बेटा तेरी शीतल के लिए रिश्ता पक्का हुआ है
देवश : क्या? वाहह ये बहुत खुशी की बात आपको भी मुबारकबाद कब कैसे?
अपर्णा : अरे बेटा एक लड़का शीतल को कुछ दीनों से पीछा कर रहा था…खेतों से लेकर घर तक मुझे लगा कहीं लड़का गलत तो नहीं लेकिन फिर मैंने उसके बारे में पूछताछ की तो पाया की वो लड़का फ़ौजी में वो क्या नक्शा बनाते है वो कमा करता है…डाल में रहके और बर्दमान में रहता है
देवश : अच्छा लड़का लेकिन ठीक तो है ना
अपर्णा : हाँ बेटा मुझे तो बहुत अच्छा लगा उसे शीतल बहुत पसंद है…बोलता है की मैं इसके बिना किसी से शादी नहीं करूँगा वो दहेज की भी डीमाड नहीं कर रहा…अब ऐसा लड़का हमें कहाँ मिलेगा तू ही बता? ये कामकल तो समझती नहीं
देवश : क्यों शीतल राजी नहीं है?
अपर्णा : बेटा मैं तो उसे समझते समझते तक गयी बस रोने लगती है बोलती है की मैं आपको और देवश भैया को छोढ़के कहीं नहीं जाना चाहती अब तू ही बता ऐसे थोड़ी ना होता है
देवश : होगा काकी मां शीतल राजी होगी
अपर्णा : वो कैसे बेटा?
देवश : वो आप मुझपर चोद दीजिए मैं एक बार ऊस लड़के से मिल लू जिंदगी का सवाल है देख भी लूँगा उसका खंडन कैसा है? क्या वो मेरी शीतल को खुश भी रख पाएगा
अपर्णा : हाँ बेटा ये काम तो तू ही कर सकता है बस किसी तरह शीतल को मना ले बहुत ही अच्छा लड़का है हाथ से निकल गया तो चिराग लेकर भी नहीं मिलेगा
देवश : ठीक है मुझे टाइम दीजिए (मैंने फौरन अपर्णा काकी से ऊस लड़के का नाम पूछा ऊन्होने बताया रामलाल है मैंने उसे फोन किया और उससे मुलाकात करने को कहा पहले तो वो झिझक गया फिर वो मान गया)
अपर्णा काकी खुश हो गयी….”बेटा सोच रही हूँ अगले महीने ही शीतल की शादी करवा दम वो के है ना? लड़का फिर चला भी जाएगा वापिस वो बोल रहा है वहां क्वार्टर में उसे रखेगा”……..मेरे लिए ये बात सुनकर बहुत ही अच्छा महसूस हुआ…मैं भी चाहता था की शीतल अब मुझसे थोड़ी दूरिया बनाए ताकि वो अपना नया ग्रहस्ति जीवन जी सके…एक बार दूसरे मर्द की आदत पढ़ जाएगी खुद पे खुद वो ऊस की हो जाएगी….ये सब सोचते हुए मैं खुश हुआ
अपर्णा काकी ने मेरे उदासी को समझा की आज मेरा मूंड़ ज्यादा क्यों नहीं ठीक है?….”केस के मामले में थोड़ा बिज़ी हूँ काकी मां और ऊपर से बढ़ते काम का भोज”………..अपर्णा काकी ने मुस्कुराकर बोला….”तू भी शादी कर ले बेटा एक बार औरत आ गयी तो फिर तेरी टेन्शन दूर हो जाएगी “………मैंने मुस्कुराकर अपर्णा काकी की बात को सुना
देवश : क्या काकी मां? तुम भी ना मुझे कोई और लड़की झेल भी सकेगी आप तो मेरे राग राग से वाक़िफ़ हो
अपर्णा : हाँ हाँ तू अपने इस पेंट के भीतर छुपे ऊस राक्षस की बात कर रहा है ना जो एक बार हमारी बिल में घुस्सके खुद दर्द पहुंचता है
देवश : हाँ काकी मां बस वही बात है
अपर्णा : तब तो तेरे लिए औरत खोजनी पड़ेगी 40-35 की जो तुझे झेल सके
देवश : क्या काकी मां?
अपर्णा : और नहीं तो क्या तेरे इस मोटे मूसल को तो गड्ढा चाहिए छेद थोड़ी ही
देवश : अच्छा ग मेरे साथ रही रहके आप भी खुल गयी हो
अपर्णा काकी हंस पड़ी…ऊँका पल्लू थोड़ा नीचे सरक गया और उनके भारी छातियो के कटाव को देखकर मैं खुद पे खुद उनके चेहरे के करीब आने लगा…काकी भी मेरे नज़दीक आने लगी…हम अभी एक दूसरे के होठों से होंठ सताके चुमन्ने ही लगे थे की मेरा सख्त आइरन रोड की तरह खड़ा हो गया…मेरे हाथ काकी मां के ब्लाउज के फ़िटे पे और उनकी न्नगी पीठ को सहलाने लगे हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये…एक दूसरे के होठों को पागलों की तरह चूम ही रहे थे इतने में दरवाजे की घंटी बज उठी मैं दरवाजे की ओर रुख करने लगा…पर काकी मां मेरे चेहरे को पाखारे अपने होठों से सताने लगी…ऊन्हें तारक चढ़ चुकी थी..फिर फोन बज उठा…मैंने फुआरन काकी मां को धकेल दिया और दरवाजा खोलने के लिए हम दोनों गहरी गहरी साँसें चोद रहे थे काकी मां ने अपना पल्लू अपने छातियो के ऊपर रख लिया…जैसे दरवाजा खोला मामुन आ चुका था
काकी मां को देखकर एकटक उसके मदमस्त जवानी को निहारने लगा…मैंने उसे झिंजोधा “क्या देख रहा है आबे”……मामुन कुछ नहीं बोला बस मुझे अनख् मर दी “ये वैसी औरत नहीं है”……मैंने धीमे आवाज़ में कहा…काकी मां बर्तन ढोने चली गई…उसे भी मम्मून को देखकर थोड़ा आश्चर्य हुआ…कुछ देर बाद मैं किचन आया माँफी माँगी काकी मां से मामुन के रवैये के लिए…ऊन्होने कुछ नहीं कहा बस मुस्कराया..और बोली की ये कौन है?…मैंने ऊन्हें बताया तो ऊन्हें याद आ गया ऊन्होने बोला ये यहां कैसे? मैंने बताया की वो मुझे ढूँढते हुए आया है…काकी मां ने उसे संभलके रहने को कहा और पूछा की कबतक रहेगा? मैंने बताया की बस चला जाएगा कल परसों तक…तो ऊन्होने फिर कुछ नहीं कहा फिर मुझसे रिकवेस्ट की रामलाल से मिल लू आज शाम…मैंने हामी भारी और ऊन्होने जल्द ही विदा कर दिया मामुन के सामने उनके साथ कुछ करना ठीक नहीं…क्योंकि मैं अपनी औरतों को दूसरों के सामने पेश नहीं करता
फिर मामुन से बातचीत में बातें काट गयी…मेरा गुस्सा कहीं हड़त्ाक शांत हो चुका था…मैं दोपहर तक दिव्या और मेरे दूसरे घर पहुंचा…घर में ताला लगा हुआ था…यक़ीनन सब्ज़ी मंदी गयी होंगी….मैं फिर वहां से रामलाल को फोन मिलाए उससे मिलने गया
रामलाल नुक्कड़ पे ही चाय पी रहा था…मुझे देखते ही वो उठ खड़ा हुआ…रामलाल देखने में गबरू जवान था 25 साल का और काफी देखखे ही डिसेंट लग रहा था…मैंने गाड़ी रोकी और उससे हाथ मिलाया…वो भी मुझसे मेरे बार्िएन में पूछने लगा एक अफ़सर एक फ़ौजी से आज मिला था…फिर हमने कुछ देर चाय पी एक दूसरे का परिचय लिया और खेतों की तरफ निकल लिए
देवश : देखो रामलाल मुझे तुमसे कुछ बातें कहनी है इसी लिए तुम्हें बुलाया है?
रामलला : हाँ कहिए ना भैया
देवश : देखो उमर में तो हुमुमर ही हो तुम मेरे…लेकिन रही बात ज़िम्मेदारियो की वो तुम्हें संभालनी होगी मेरी बहन है शीतल खून का रिश्ता तो नहीं पर खून के रिश्तो से भी बढ़के है…तुम मेरी बहन का पीछा करते थे मैंने सुना
रामलाल हकला गया…”दररो नहीं तुम मुझसे एकदम खुलके कह सकते हो क्या तुम्हें शीतल पसंद है?”……वो शर्मा गया फिर ऊसने हाँ कहा…”उम्म देखो एक दूसरे के साथ जबतक फ्रेंक नहीं होंगे बात आगे नहीं बढ़ेगी मैं यही चाहता हूँ की तुम शीतल की खूबसूरती के साथ साथ ऊस्की इक्चाओ को समझो मेरी बहन पे सभियो की नज़र है कोई भी उसे गंदा ही करना चाहेगा फ्रॅंक्ली बोल रहा हूँ तुम्हें कहना नहीं”………मैंने उसे समझते ही कहा और वो सुनता रहा हाँ हाँ में जवाब देता रहा
रामलाल : हाँ भैया मुझे शीतल पसंद है पर वो मुझसे राजी नहीं हो रही क्या मैं इतना बुरा हूँ? मैं उसे दुनिया की सारी खुशिया दूँगा मेरे घर में सिर्फ़ मेरी एक बीमार मां है जो मेरे बाबा के साथ यहां रहती है मेरी पोस्टिंग बर्दमान में है 22000 की टंकवह है और सरकारी फेसिलिटी अलग से
देवश : देखो रामलाल मेरी बहन ने बहुत तक़लीफें देखी है ऊसने बहुत गरीबी और दर्द सहा है वो मेहनती है और कोई लालची नहीं पैसों की इसी लिए तुम ये भूल जाओ की वो तुम्हारी पोस्टिंग के लियेटुँसे शादी करेगी असल सुख तब उसे दोगे जब औरत को तुम उसका असली गहना दोगे उसे खुश रखोगे उसे वो वाला प्यार दोगे
रामलाल पहले तो कुछ समझा नहीं फिर वो जब समझा की मैं किस टॉपिक की बात कर रहा हूँ तो मुस्कुराकर शरमाते लगा ..”बोलो मेरी बहन को तुम ऊन सबतरह की सुख दे पाओगे”….रामलाल ने मेरे हाथ को पकड़ा और बोला “सच पूछिए तो बिलकुल मेरी एक गर्लफ्रेंड थी इससे पहले मैं झूठ नहीं बोलूँगा उससे मेरे काफी अच्छे संबंध थे पर वो मुझे धोखा दे गयी अगर आपको ये बात बुरा ना लगे इसलिए मैंने ये बात कहीं”………..मैंने रामलाल के कंधे पे हाथ रखकर ऊस्की बातों को गौर से सुना
देवश : अच्छा रुकिये
देवश ने अपर्णा काकी के सारी से आ रही पसीने की महक को महसूस किया…और जल्दी से फटाफट पानी के बजाय ग्लूकों-द काकी को दी…काकी ने मुस्कुराकर ग्लूकों-द को एक ही साँस में पी लिया…”अब जाकर राहत मिली”…..अपर्णा काकी ने धीमी साँस लेते हुए कहा
देवश : आप कहाँ से आ रही हो इतना छलके?
अपर्णा : अरे बेटा तेरी शीतल के लिए रिश्ता पक्का हुआ है
देवश : क्या? वाहह ये बहुत खुशी की बात आपको भी मुबारकबाद कब कैसे?
अपर्णा : अरे बेटा एक लड़का शीतल को कुछ दीनों से पीछा कर रहा था…खेतों से लेकर घर तक मुझे लगा कहीं लड़का गलत तो नहीं लेकिन फिर मैंने उसके बारे में पूछताछ की तो पाया की वो लड़का फ़ौजी में वो क्या नक्शा बनाते है वो कमा करता है…डाल में रहके और बर्दमान में रहता है
देवश : अच्छा लड़का लेकिन ठीक तो है ना
अपर्णा : हाँ बेटा मुझे तो बहुत अच्छा लगा उसे शीतल बहुत पसंद है…बोलता है की मैं इसके बिना किसी से शादी नहीं करूँगा वो दहेज की भी डीमाड नहीं कर रहा…अब ऐसा लड़का हमें कहाँ मिलेगा तू ही बता? ये कामकल तो समझती नहीं
देवश : क्यों शीतल राजी नहीं है?
अपर्णा : बेटा मैं तो उसे समझते समझते तक गयी बस रोने लगती है बोलती है की मैं आपको और देवश भैया को छोढ़के कहीं नहीं जाना चाहती अब तू ही बता ऐसे थोड़ी ना होता है
देवश : होगा काकी मां शीतल राजी होगी
अपर्णा : वो कैसे बेटा?
देवश : वो आप मुझपर चोद दीजिए मैं एक बार ऊस लड़के से मिल लू जिंदगी का सवाल है देख भी लूँगा उसका खंडन कैसा है? क्या वो मेरी शीतल को खुश भी रख पाएगा
अपर्णा : हाँ बेटा ये काम तो तू ही कर सकता है बस किसी तरह शीतल को मना ले बहुत ही अच्छा लड़का है हाथ से निकल गया तो चिराग लेकर भी नहीं मिलेगा
देवश : ठीक है मुझे टाइम दीजिए (मैंने फौरन अपर्णा काकी से ऊस लड़के का नाम पूछा ऊन्होने बताया रामलाल है मैंने उसे फोन किया और उससे मुलाकात करने को कहा पहले तो वो झिझक गया फिर वो मान गया)
अपर्णा काकी खुश हो गयी….”बेटा सोच रही हूँ अगले महीने ही शीतल की शादी करवा दम वो के है ना? लड़का फिर चला भी जाएगा वापिस वो बोल रहा है वहां क्वार्टर में उसे रखेगा”……..मेरे लिए ये बात सुनकर बहुत ही अच्छा महसूस हुआ…मैं भी चाहता था की शीतल अब मुझसे थोड़ी दूरिया बनाए ताकि वो अपना नया ग्रहस्ति जीवन जी सके…एक बार दूसरे मर्द की आदत पढ़ जाएगी खुद पे खुद वो ऊस की हो जाएगी….ये सब सोचते हुए मैं खुश हुआ
अपर्णा काकी ने मेरे उदासी को समझा की आज मेरा मूंड़ ज्यादा क्यों नहीं ठीक है?….”केस के मामले में थोड़ा बिज़ी हूँ काकी मां और ऊपर से बढ़ते काम का भोज”………..अपर्णा काकी ने मुस्कुराकर बोला….”तू भी शादी कर ले बेटा एक बार औरत आ गयी तो फिर तेरी टेन्शन दूर हो जाएगी “………मैंने मुस्कुराकर अपर्णा काकी की बात को सुना
देवश : क्या काकी मां? तुम भी ना मुझे कोई और लड़की झेल भी सकेगी आप तो मेरे राग राग से वाक़िफ़ हो
अपर्णा : हाँ हाँ तू अपने इस पेंट के भीतर छुपे ऊस राक्षस की बात कर रहा है ना जो एक बार हमारी बिल में घुस्सके खुद दर्द पहुंचता है
देवश : हाँ काकी मां बस वही बात है
अपर्णा : तब तो तेरे लिए औरत खोजनी पड़ेगी 40-35 की जो तुझे झेल सके
देवश : क्या काकी मां?
अपर्णा : और नहीं तो क्या तेरे इस मोटे मूसल को तो गड्ढा चाहिए छेद थोड़ी ही
देवश : अच्छा ग मेरे साथ रही रहके आप भी खुल गयी हो
अपर्णा काकी हंस पड़ी…ऊँका पल्लू थोड़ा नीचे सरक गया और उनके भारी छातियो के कटाव को देखकर मैं खुद पे खुद उनके चेहरे के करीब आने लगा…काकी भी मेरे नज़दीक आने लगी…हम अभी एक दूसरे के होठों से होंठ सताके चुमन्ने ही लगे थे की मेरा सख्त आइरन रोड की तरह खड़ा हो गया…मेरे हाथ काकी मां के ब्लाउज के फ़िटे पे और उनकी न्नगी पीठ को सहलाने लगे हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये…एक दूसरे के होठों को पागलों की तरह चूम ही रहे थे इतने में दरवाजे की घंटी बज उठी मैं दरवाजे की ओर रुख करने लगा…पर काकी मां मेरे चेहरे को पाखारे अपने होठों से सताने लगी…ऊन्हें तारक चढ़ चुकी थी..फिर फोन बज उठा…मैंने फुआरन काकी मां को धकेल दिया और दरवाजा खोलने के लिए हम दोनों गहरी गहरी साँसें चोद रहे थे काकी मां ने अपना पल्लू अपने छातियो के ऊपर रख लिया…जैसे दरवाजा खोला मामुन आ चुका था
काकी मां को देखकर एकटक उसके मदमस्त जवानी को निहारने लगा…मैंने उसे झिंजोधा “क्या देख रहा है आबे”……मामुन कुछ नहीं बोला बस मुझे अनख् मर दी “ये वैसी औरत नहीं है”……मैंने धीमे आवाज़ में कहा…काकी मां बर्तन ढोने चली गई…उसे भी मम्मून को देखकर थोड़ा आश्चर्य हुआ…कुछ देर बाद मैं किचन आया माँफी माँगी काकी मां से मामुन के रवैये के लिए…ऊन्होने कुछ नहीं कहा बस मुस्कराया..और बोली की ये कौन है?…मैंने ऊन्हें बताया तो ऊन्हें याद आ गया ऊन्होने बोला ये यहां कैसे? मैंने बताया की वो मुझे ढूँढते हुए आया है…काकी मां ने उसे संभलके रहने को कहा और पूछा की कबतक रहेगा? मैंने बताया की बस चला जाएगा कल परसों तक…तो ऊन्होने फिर कुछ नहीं कहा फिर मुझसे रिकवेस्ट की रामलाल से मिल लू आज शाम…मैंने हामी भारी और ऊन्होने जल्द ही विदा कर दिया मामुन के सामने उनके साथ कुछ करना ठीक नहीं…क्योंकि मैं अपनी औरतों को दूसरों के सामने पेश नहीं करता
फिर मामुन से बातचीत में बातें काट गयी…मेरा गुस्सा कहीं हड़त्ाक शांत हो चुका था…मैं दोपहर तक दिव्या और मेरे दूसरे घर पहुंचा…घर में ताला लगा हुआ था…यक़ीनन सब्ज़ी मंदी गयी होंगी….मैं फिर वहां से रामलाल को फोन मिलाए उससे मिलने गया
रामलाल नुक्कड़ पे ही चाय पी रहा था…मुझे देखते ही वो उठ खड़ा हुआ…रामलाल देखने में गबरू जवान था 25 साल का और काफी देखखे ही डिसेंट लग रहा था…मैंने गाड़ी रोकी और उससे हाथ मिलाया…वो भी मुझसे मेरे बार्िएन में पूछने लगा एक अफ़सर एक फ़ौजी से आज मिला था…फिर हमने कुछ देर चाय पी एक दूसरे का परिचय लिया और खेतों की तरफ निकल लिए
देवश : देखो रामलाल मुझे तुमसे कुछ बातें कहनी है इसी लिए तुम्हें बुलाया है?
रामलला : हाँ कहिए ना भैया
देवश : देखो उमर में तो हुमुमर ही हो तुम मेरे…लेकिन रही बात ज़िम्मेदारियो की वो तुम्हें संभालनी होगी मेरी बहन है शीतल खून का रिश्ता तो नहीं पर खून के रिश्तो से भी बढ़के है…तुम मेरी बहन का पीछा करते थे मैंने सुना
रामलाल हकला गया…”दररो नहीं तुम मुझसे एकदम खुलके कह सकते हो क्या तुम्हें शीतल पसंद है?”……वो शर्मा गया फिर ऊसने हाँ कहा…”उम्म देखो एक दूसरे के साथ जबतक फ्रेंक नहीं होंगे बात आगे नहीं बढ़ेगी मैं यही चाहता हूँ की तुम शीतल की खूबसूरती के साथ साथ ऊस्की इक्चाओ को समझो मेरी बहन पे सभियो की नज़र है कोई भी उसे गंदा ही करना चाहेगा फ्रॅंक्ली बोल रहा हूँ तुम्हें कहना नहीं”………मैंने उसे समझते ही कहा और वो सुनता रहा हाँ हाँ में जवाब देता रहा
रामलाल : हाँ भैया मुझे शीतल पसंद है पर वो मुझसे राजी नहीं हो रही क्या मैं इतना बुरा हूँ? मैं उसे दुनिया की सारी खुशिया दूँगा मेरे घर में सिर्फ़ मेरी एक बीमार मां है जो मेरे बाबा के साथ यहां रहती है मेरी पोस्टिंग बर्दमान में है 22000 की टंकवह है और सरकारी फेसिलिटी अलग से
देवश : देखो रामलाल मेरी बहन ने बहुत तक़लीफें देखी है ऊसने बहुत गरीबी और दर्द सहा है वो मेहनती है और कोई लालची नहीं पैसों की इसी लिए तुम ये भूल जाओ की वो तुम्हारी पोस्टिंग के लियेटुँसे शादी करेगी असल सुख तब उसे दोगे जब औरत को तुम उसका असली गहना दोगे उसे खुश रखोगे उसे वो वाला प्यार दोगे
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