काला साया – रात का सूपर हीरो
ऊन दीनों बंगाल में सावन का तगड़ा मौसम शुरू हुआ था….फाटक के नज़दीक हॉएँ से इस छोटे शहर इतर में बाढ़ का प्रकोप तरफ गया था…और रोज़ मुसलसल बारिश चल रही थी….फसल गाँव के घर सब तूफान से या फिर बाढ़ में तबाह हो जाते…कुछ लोग इस तूफान से बचने के लिए टाउन में चलते आते और फिर सब सामान्या हो जाने के बाद वापिस अपने गाँव लौट आते…ऊन दीनों बाँध टूटने का अलर्ट हो गया था…और इस वजह से गाँव सब खाली करवा दिए गये थे…लेकिन शहर से बाज़ार का रास्ता सुनसान जंगल और वीरान छोढ़े गये बस्तियो से होकर गुजरता था इस शहर में रात गये औरत बूढ़ी वृढ को भी बदमाश लोग उठाकर रेप करके ऊन्हें जंगलों में मरने के लिए फैक देते थे….कोई भी औरत अकेले ज्यादा सुरक्षित नहीं होती थी…औरत पे हो रहे यौन सोशण का मामला बढ़ता जा रहा था….पर पुलिस ऊन बदमाशो का कुछ पता नहीं लगा पाई थी
आधी रात का वक्त हो चुका था और ऊस सुनसान कीचड़ बारे रास्ते पे वो औरत फिसल फिसल के तेजी से चल रही थी 30 साल की उमर कसा हुआ बदन छाती पेंट और गान्ड बाहर निकले हुए थे….अपनी मैली गीली सारी को अपने चेहरे के लगे पसीने से पोंछते पोंछते वो बाज़ार से शहर के रास्ते की ओर जा रही थी उसे डर भी लग रहा हां की इतनी सुनसान सड़क पे वो अकेले चल रही रास्ता भी काफी फिसलन भरा ऐसे में कोई साँप और उससे भी कई ज़्ीडा वीरान बस्ती के भूतों की मुसीबत गाँव में ये बात फैली हुई थी की वीरान इन बस्तियो में आत्मा वास करती है ऐसे में ऊस देहाती औरत कंचन का डरना लाज़मी था…कंचन शादी शुदा औरत थी और वो घरो में काम किया करती थी…उसे शहर से अपने बच्चों के लिए कुछ दवाइयाँ लानी थी पति शराबी उससे तो कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए वो खुद पे ये ज़िंमेरदारी उठाकर अकेले हिम्मत करके शहर चली गयी लेकिन मुसलसल बारिश में वो ऐसी फँसी की रात काफी गहरी हो गयी और सड़क और भी खराब और सुनसान अपने मन में अल्लाह अल्लाह का नाम लेकर वो आगे बार रही थी इतने में उसे दो बाइक सवार आते दिखे
वो सहेमी डरी बस आंखें झुकाए आगे बढ़ती रही लेकिन वो लोग उसके करीब आने लगे…वो दौड़ भी नहीं सकती थी…फिसलने का डर था….और ऊपर से ऊन बदमाशो के हँसी को सुनकर उसे पक्का लग चुका था की आज तो वो गयी काम से आज उसका भी बाकी औरतों की तरह गान्ड और चुत में लंड डाल डालकर ये लोग उसका बलात्कार करेंगे और अपना पानी छोढ़ने के बाद उसे भी लावारिस लाश बनकर चोद देंगे अचानक एक बाइक सवार उसके करीब आकर बाइक उसके सामने रोक देता है
कंचन – आर…रही क्या बदत्तमीज़ी है छोढ़ूओ जाननने दम तुम मुझहहे जानते नहीं आहह छोड्धूओ
बाइक सवार – ज्यादा चिल्लाई तो मुँह में लंड डाल दूँगा क्या रे? हाथ पकड़ रे इसका साली को वही ऊस खेत के भीतर ले जाकर चोदते है
कंचन – आह भगवान के लिए चोद दो मेरे दो छोटे छोटे बच्चे है…अल्लाह से डर
बाइक सवार – चुप साली (इतना कहकर वो लोग कंचन को ज़ब्रन हाथ पाओ से पकड़कर रास्ते से नीचे के ढलान में ले जाने लगे)
कंचन को तो लगने लगा जैसे आज उसे इन शैतानो के हाथ से कोई नहीं बच्चा पाएगा….अभी वो लोग ढलान से नीचे उतरे ही थे…की कंचन एक को धक्का मारा और फिसलते हुए दो बार गिर पड़ी फिर वो पूरी ताक़त से अपने मोटापे का फायदा उठाकर एक बदमाश के सीने पे लात जमा देती है वो वही गिर परता है..कंचन पूरी ताक़त लगाकर उठके जैसे ही सड़क पे दौड़ने वाली होती है उसका गुंडे फिर रास्ता चैक लेते है इस बार उसे वही सड़क पे गिराके ऊसपे सवार होने लगते है…
लेकिन तभी एक जोरदार रोशनी ऊन लोगों के चेहरे पे पार्टी है….बाइक सवार हड़बड़ाकर उठ खड़े हो जाते है…”अययएए कौन है आबे? किसने हेडलाइट ऑन किया”…..सब बाइक सवार भौक्लाए ऊस हेडलाइट के सामने खड़े अक्स को घूर्रने लगते है….वो अक्स धीरे धीरे काली परछाई बनकर उनके सामने खड़ा हो जाते है वो लोग बारे गौर से उसका चेहरा पहचानने की कोशिश करते है लेकिन उसके चेहरे पे एक कृष जैसा मास्क होता है और पूरे चेहरे पे काला रंग लगा होता है…सिर्फ़ उसके होंठ और उसके गुस्से भारी निगाहों को ही वो लोग देख सकते है
एक बदमाश चाकू फहत से निकल लेता है..एक उसे हिदायत देता है शायद उसके पास हत्यार हो “क्या रे? कौन है आबे तू?”….वो साया कोई जवाब नहीं देता बस ऊस्की एक भारी आवाज़ बादल के गारज़ते ही निकलती है “काला साया”……वो लोग एकदम से चुप्पी सांधके सहम उठते है ये काला साया वही था जिसने एक करप्ट ऑफिसर को इतना मारा की ऊस्की दोनों टाँगें ही तोड़ दी थी…बदमाश लोग सावधान हो गये और फिर कंचन को वही छोढ़के उसके करीब आने लगे
ऊन लोगों ने अभी उसे घैरना ही चाहा था..की इतने में उसके बाए कमर से निकलती एक फुर्रत से हत्यार उनके जिस्मो को छू गया दो बदमाश वही चट्टक चटक की आवाज़क ए साथ चीखके गिर परे….काला साया के हाथ में एक नानचाकू था….ऊसने फौरन दूसरे गुंडे ए गले में उसे लपटा और उसके ठुड्डी पे एक लात मारा वो सीधे पीछे के जंगली धंस में जा गिरा…दूसरा बदमाश तीनों के अचानक पीटने के बाद सामने आया ऊसने चाकू ऊसपे चलना चाहा पर ऊस साए से आर पार जैसे चाकू होता उसका बचाव इतना तेज था ऊसने क़ास्सके ऊस गुंडे का हाथ पकड़ा और उसके हाथ ही को तोड़ डाला…और फिर उसके चेहरे पे इतने घुसों की बौछार की वो और उठ ना पाया
चारों के चारों बाइक सवार बुरी तरीके से मर खाए परे हुए थे…लेकिन काला साया ने एक एक करके ऊन सभी के गर्दन को मोड़ माड़ोध के तोड़ डाला अब वहां सिर्फ़ लाशें थी और बदल की खौफनाक गारज़ान….काला साया फौरन कंचन के करीब आया जो सुबकते हुए रो रही थी जब ऊसने अपनी नज़र ऊपर उठाई तो वो सहेंटे हुए मुस्करा उठी “काला साया आप बाबू आपने हमारी जान बच्चा ली अल्लाह का शुक्र है की आप जैसा फरिश्ता उन्होंने भेज दिया”…..काला साया मुस्कुराकर कंचन को उठाने लगता है
बारिश तेज हो जाती है…काला साया पास में परे एक दवाई की शीशी जो कंचन के हाथ से चुत गयी थी ऊस पॉलयथीन को कंचन को देता है…”चलो बारिश तेज हो चुकी है तुम्हें तुम्हारे घर तक चोद दम”…..कंचन ऊन लाशों को देखकर खौफ से भर जाती है
कंचन – बाबू ये लोग मर गये क्या?
काला साया – हाँ मैंने इन हरामजादो को मर दिया
कंचन – बहुत ठीक किया अपने बाबू थूकती हूँ इनपे इन नमर्दो पे जिन्होंने हम औरतों का जीना हराम कर रखा था (कंचन ने पास जाकर उनके चेहरों पे थूक डाला देखकर साफ था जैसे वो ना तो काला साया से डर रही थी और ना ही उसे डर था की काला साया ने ऊँका खून कर डाला)
काला साया – इनकी लाशें यही चोद दो पुलिस शिनाख्त करके इन्हें ले जाएगी तुम बस यही कहना की मैंने तुम्हारी जान बचाई वैसे तुम इन लफडो में नहीं परोगी
कंचन – आप फिक्र ना करो साहेब मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी और मैं जानती हूँ जबसे आप इस शहर में आए हो तबसे हमारा खौफ कितना कम हुआ है
काला साया – अच्छा चलो वरना यहां पानी भर जाएगा ये तूफानी बारिश नहीं रुकेगी मैं तुम्हें शहर तक चोद देता हूँ
इतना कहकर कंचन अपने गीले सारी से खिकध को झधते हुए बाइक में काला साया के साथ सवार हो जाती है….बाइक काफी तेजी से कक़ची सड़क और बगल के खेत जंगलों से होते हुए चलने लगता है….अचानक काला साया की बाइक फिसल जाती है और उसे बीच में ही बाइक रोकनी पढ़ती है “अफ हो लगता है ये सड़क बंद हो चुकी है यहां दलदल का भी खतरा हो सकता है”…काला साया की बात सुनकर कंचन घबरा जाती है की अब वो घर कैसे जाएगी? उसके बच्चों की दवाई खत्म हो गयी थी…कंचन ने जब काला साया को अपना कारण बताया तो वो भी सोच में डूब गया की करे तो करे क्या? एक तो ये ना थमने वाली बारिश ऊपर से बढ़ता तूफान…”देखो कंचन ये मौसम शायद सुबह 4 बजे तक चल सकता है तब्टलाक़ तुम्हें कही आज तो तहेरना ही पड़ेगा वरना ऐसी हालत में अपने बस्ती जाओगी कैसे?”…..कंचन भी कही हड़त्ाक मायूस होकर काला साए की बात पे हामी भरने लगी
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Re: काला साया – रात का सूपर हीरो
“ये लो तुम अपने घर पे फोन कर दो”……काला साया ने तुरंत मोबाइल कंचन को पकड़ाया…कंचन ने अपने घर पे फोन करा और मालूम किया की उसके बच्चे कैसे है? ऊसने अपने एक सहेली को फोन करके अपना हाल बताया ऊस्क इपदोस वाली थी ऊसने कंचन को समझाया की वो कहीं तहेर जाए आज की रात कहीं कांट ले…कंचन को भी यही ठीक लगा वक्त के हाथों वो मज़बूर हो गयी लेकिन उसे काला साया पर पूरा भरोसा था काला साया ने इससे पहले भी उसे एक बार बचाया था उसके पति के ज़ुल्मो से और तबसे वो काला साया को अपना गार्डियन मानती थी…
काला साया अपने चेहरे पे मुकोता लिए शहर का गश्त लगता था…और बढ़ते वारदटो को रोकता था…लेकिन आज वो भी इस मुसलाधार बारिश में फ़ासस चुका था…अचानक उसे दूर की वो वीरान बस्ती दिखी…काला साया को एक सुझाव मिला..”कंचन आज रात हमको यही काटनी पड़ेगी तुम परेशान मत हो मैं तुम्हारे साथ हूँ”….इतना कहकर काला साया बाइक को घस्सीटते हुए ऊस वीरान बस्ती के पास आया…”हम दूर दूर तक कोई नहीं और ऐसी बरसाती रात में होगा भी कौन? चलो जल्दी से अंदर चलते है”……काला साया की बात सुनकर एकपल के लिए कंचन सहम उठी उसे वही आत्माओं वाली बात पे डर था पर वो जानती थी काला साया जब साथ है तो उसे वो कुछ होने तो नहीं देगा
वो बिना कुछ कहें काला साया के साथ ऊस सबसे उचे वाले झोपरे में घुस गयी…बरसात काफी तेज हो गयी और बरसात का पानी काफी ज्यादा तेज हो गया….एक झोपड़ी में बाइक घुसाके काला साया कंचन के संग उक्चे वाले झोंपड़े में घुस गया….अंदर आते ही लोहे का एक दरवाजा जो बेहद पुराना था उससे काला साया ने झोपड़ी को बंद कर डाला…कंचन ठंड से कनपने लगी
काला साया ने लाइटर जलाया और उससे इकहट्टा करी बड़ी मुश्किल से सुखी घससो पे आग लगाई अब पूरे कमरे चकाचोँद रोशनी थी एक छेद से बाहर के बिजली की रोशनी बीच बीच में पार जाती…इस बार कंचन ने बड़ी ही गौर से काला साया को देखा जो अपने चेहरे को हार्वक़्त एक मुकोते से धक्कें रहता है और उसके पूरे चेहरे पे कालिक जैसा कुछ लगा है बस उसके गुलाबी होंठ दिख सकते थे बाकी उसके बदन पे एक लंबा सा ब्लैक कोट और एक क़ास्सी जीन्स जिसकी चाँदी वाले काँटे बने लोहे का बेल्ट चमक रहा है…काला साया कहरा होकर पास से एक बंदूक निकलकर पास रखता है और फिर एक लंबा 8इंच का चाकू
कंचन थोड़ी सहम उठी फिर ऊसने बारे ही गौर से ऊस बंदूक की ओर देखा इतने में काला साया ने कंचन की चुप्पी तोड़ी “अरे तुम तो पूरी भीग गयी हो लो मेरा कोट ढक लो इतना कहकर काला साया अपने बदन से कोट उतार देता है उसके बदन पे सिर्फ़ एक काली बनियान होती है…”आपको ठंड लग जाएँगी”…कंचन ने अपने बाल झधते हुए कहा…”मेरे अंदर इतने बदले की आग है की मुझे हरपल गरम महसूस होता है”…..कंचन मुस्कुराकर उसके हौसले की तारीफ करती है
कंचन इस बार अपने गीले सारी और आधे गीले ब्लाउज और पेटीकोट को पल्लू से साफ करने लगती है….अचानक काला साया की निगाह उसके छातियो के काटव पे पार्टी है ऊस्की गोल गहरी नाभी के नीचे से निकले पेंट पर कितने स्ट्रेच मार्क्स थे जो शाया उसके बच्चा पैदा होनेके बाद उसे परे होंगे….कंचन मुस्कराए काला साया का कोट पहन लेती है….काला साया का लंड अकड़ने लगता है जिसे कंचन देख लेती है वो इस बात को भाँपके मन ही मन मुस्कराने लगती है वो जानती है काला साया कभी भी अपने ज्यादती जिंदगी के बार्िएन में नहीं बताता
काला साया बार बार कंचन के मोटे पिछवाड़े को पेटीकोट के बाहर से ही देख सकता है की वो कितनी बड़ी है वो बीच बीच में अपने लंड को दबा देता है जीन्स के ऊपर से पर उसका उभर खंभक्त कम हो ही नहीं रहा….अचानक बदल बड़ी ज़ोर से गारज़ता है कंचन फिर धीरे धीरे काला साया से बात करने लगती है की वो उसे तो कम से कम अपन चेहरा दिखा सकता है वो कौन है?…काला साया मुस्कुराकर मना कर देता है की वो ये बात सबसे छुपाके रखता है..उसके दिल में लगी जो आग है वो इस शहर जुड़ी हुई है…और वो सिर्फ़ काला साया एक परिवार से बदला लेने के लिए बना है….ये सब सुनकर कंचन बारे ही दिलचस्पी से ऊस्की बात सुनती है अचानक…कंचन ठंड से बहुत ज्यादा तिठुरने लगती है..काला साया ये बात जानके उसे आग के पास बैठने बोलता है..कंचन धीरे धीरे आग के पास बैठ जाती है
काला साया – थोड़ी गरमहत मिलेगी तुम्हें अब ठीक लग रहा है
कंचन – बहुत ज्यादा ठंडा लग रहा है ऊन खंभक्तो की वजह से पूरे सारी पे कीचड़ लग गया आज अगर आप ना आते साहेब तो
काला साया – अब तुम्हें डरने की जरूरत नहीं कंचन वो लोग अब कोई नुकसान पहुंचने के लायक नहीं रहेंगे और तुम फिक्र मत करो मैं हूँ ना
काला साया धीरे धीरे कंचन से बात करने लगा अपने मन को समझाने लगा जो निगाहें ऊस्की कंचन के बदन पे गाड़ी सी हुई थी….”तुम इतनी खूबसूरत हो फिर भी तुम्हारा नामर्द पति तुम्हें कैसे चोद रखा है”….मेरी बात सुनकर उसके गाल गुलाबी हो गये “खैर जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी खूबसूरती की तारीफ की और वो भी आपके मुँह से साहेब”…..कंचन बेहद खुश हुई वो अपने घर और अपनी शादी के बार्िएन में बताने लगी..लेकिन काला साया तो बार बार उसके भारी चुचियों को देखने लगा…कंचन इसको भाँपने लगी वो घबरा भी रही थी पर ओस्से पता था की काला साया उसके साथ कोई गलत काम नहीं करेगा
कंचन – साहेब अब आप शादी कर ही लो
काला साया – मुझ जैसे खतरनाक आदमी से कौन शादी करेगी जो हरपल ख़तरो से खेलता है हाहाहा
कंचन – आप जैसा मर्द अगर मेरा पति होता मैं सबसे खुशनसीब होती
काला साया – अच्छा ग वैसे कंचन तुमेहीं ग्रहस्ति से बाहर भी दोस्ती करनी चाहिए ताकि तुम्हारा मन बहले तुम भी किसी से तालुक़ात रखकर जिंदगी के मजे लो
कंचन – हम जैसी गरीब औरत से कौन प्यार करेगा सहाएब जो पति के जुल्म की मारी है…सिवाय दुख दर्द तक़लीफ़ के मिलता ही क्या है? एक आप ही हो जो हमें समझते हो और मेरे बच्चे
काला साया – फिर भी तुम इतनी जवान हो तुम्हें सोचना चाहिए
कंचन – क्या करे हमारा मोहल्ले में किसी को पता चला तो गुनाह की बात करने लगेंगे और शायद मेरी बदनामी हो जाए
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काला साया अपने चेहरे पे मुकोता लिए शहर का गश्त लगता था…और बढ़ते वारदटो को रोकता था…लेकिन आज वो भी इस मुसलाधार बारिश में फ़ासस चुका था…अचानक उसे दूर की वो वीरान बस्ती दिखी…काला साया को एक सुझाव मिला..”कंचन आज रात हमको यही काटनी पड़ेगी तुम परेशान मत हो मैं तुम्हारे साथ हूँ”….इतना कहकर काला साया बाइक को घस्सीटते हुए ऊस वीरान बस्ती के पास आया…”हम दूर दूर तक कोई नहीं और ऐसी बरसाती रात में होगा भी कौन? चलो जल्दी से अंदर चलते है”……काला साया की बात सुनकर एकपल के लिए कंचन सहम उठी उसे वही आत्माओं वाली बात पे डर था पर वो जानती थी काला साया जब साथ है तो उसे वो कुछ होने तो नहीं देगा
वो बिना कुछ कहें काला साया के साथ ऊस सबसे उचे वाले झोपरे में घुस गयी…बरसात काफी तेज हो गयी और बरसात का पानी काफी ज्यादा तेज हो गया….एक झोपड़ी में बाइक घुसाके काला साया कंचन के संग उक्चे वाले झोंपड़े में घुस गया….अंदर आते ही लोहे का एक दरवाजा जो बेहद पुराना था उससे काला साया ने झोपड़ी को बंद कर डाला…कंचन ठंड से कनपने लगी
काला साया ने लाइटर जलाया और उससे इकहट्टा करी बड़ी मुश्किल से सुखी घससो पे आग लगाई अब पूरे कमरे चकाचोँद रोशनी थी एक छेद से बाहर के बिजली की रोशनी बीच बीच में पार जाती…इस बार कंचन ने बड़ी ही गौर से काला साया को देखा जो अपने चेहरे को हार्वक़्त एक मुकोते से धक्कें रहता है और उसके पूरे चेहरे पे कालिक जैसा कुछ लगा है बस उसके गुलाबी होंठ दिख सकते थे बाकी उसके बदन पे एक लंबा सा ब्लैक कोट और एक क़ास्सी जीन्स जिसकी चाँदी वाले काँटे बने लोहे का बेल्ट चमक रहा है…काला साया कहरा होकर पास से एक बंदूक निकलकर पास रखता है और फिर एक लंबा 8इंच का चाकू
कंचन थोड़ी सहम उठी फिर ऊसने बारे ही गौर से ऊस बंदूक की ओर देखा इतने में काला साया ने कंचन की चुप्पी तोड़ी “अरे तुम तो पूरी भीग गयी हो लो मेरा कोट ढक लो इतना कहकर काला साया अपने बदन से कोट उतार देता है उसके बदन पे सिर्फ़ एक काली बनियान होती है…”आपको ठंड लग जाएँगी”…कंचन ने अपने बाल झधते हुए कहा…”मेरे अंदर इतने बदले की आग है की मुझे हरपल गरम महसूस होता है”…..कंचन मुस्कुराकर उसके हौसले की तारीफ करती है
कंचन इस बार अपने गीले सारी और आधे गीले ब्लाउज और पेटीकोट को पल्लू से साफ करने लगती है….अचानक काला साया की निगाह उसके छातियो के काटव पे पार्टी है ऊस्की गोल गहरी नाभी के नीचे से निकले पेंट पर कितने स्ट्रेच मार्क्स थे जो शाया उसके बच्चा पैदा होनेके बाद उसे परे होंगे….कंचन मुस्कराए काला साया का कोट पहन लेती है….काला साया का लंड अकड़ने लगता है जिसे कंचन देख लेती है वो इस बात को भाँपके मन ही मन मुस्कराने लगती है वो जानती है काला साया कभी भी अपने ज्यादती जिंदगी के बार्िएन में नहीं बताता
काला साया बार बार कंचन के मोटे पिछवाड़े को पेटीकोट के बाहर से ही देख सकता है की वो कितनी बड़ी है वो बीच बीच में अपने लंड को दबा देता है जीन्स के ऊपर से पर उसका उभर खंभक्त कम हो ही नहीं रहा….अचानक बदल बड़ी ज़ोर से गारज़ता है कंचन फिर धीरे धीरे काला साया से बात करने लगती है की वो उसे तो कम से कम अपन चेहरा दिखा सकता है वो कौन है?…काला साया मुस्कुराकर मना कर देता है की वो ये बात सबसे छुपाके रखता है..उसके दिल में लगी जो आग है वो इस शहर जुड़ी हुई है…और वो सिर्फ़ काला साया एक परिवार से बदला लेने के लिए बना है….ये सब सुनकर कंचन बारे ही दिलचस्पी से ऊस्की बात सुनती है अचानक…कंचन ठंड से बहुत ज्यादा तिठुरने लगती है..काला साया ये बात जानके उसे आग के पास बैठने बोलता है..कंचन धीरे धीरे आग के पास बैठ जाती है
काला साया – थोड़ी गरमहत मिलेगी तुम्हें अब ठीक लग रहा है
कंचन – बहुत ज्यादा ठंडा लग रहा है ऊन खंभक्तो की वजह से पूरे सारी पे कीचड़ लग गया आज अगर आप ना आते साहेब तो
काला साया – अब तुम्हें डरने की जरूरत नहीं कंचन वो लोग अब कोई नुकसान पहुंचने के लायक नहीं रहेंगे और तुम फिक्र मत करो मैं हूँ ना
काला साया धीरे धीरे कंचन से बात करने लगा अपने मन को समझाने लगा जो निगाहें ऊस्की कंचन के बदन पे गाड़ी सी हुई थी….”तुम इतनी खूबसूरत हो फिर भी तुम्हारा नामर्द पति तुम्हें कैसे चोद रखा है”….मेरी बात सुनकर उसके गाल गुलाबी हो गये “खैर जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी खूबसूरती की तारीफ की और वो भी आपके मुँह से साहेब”…..कंचन बेहद खुश हुई वो अपने घर और अपनी शादी के बार्िएन में बताने लगी..लेकिन काला साया तो बार बार उसके भारी चुचियों को देखने लगा…कंचन इसको भाँपने लगी वो घबरा भी रही थी पर ओस्से पता था की काला साया उसके साथ कोई गलत काम नहीं करेगा
कंचन – साहेब अब आप शादी कर ही लो
काला साया – मुझ जैसे खतरनाक आदमी से कौन शादी करेगी जो हरपल ख़तरो से खेलता है हाहाहा
कंचन – आप जैसा मर्द अगर मेरा पति होता मैं सबसे खुशनसीब होती
काला साया – अच्छा ग वैसे कंचन तुमेहीं ग्रहस्ति से बाहर भी दोस्ती करनी चाहिए ताकि तुम्हारा मन बहले तुम भी किसी से तालुक़ात रखकर जिंदगी के मजे लो
कंचन – हम जैसी गरीब औरत से कौन प्यार करेगा सहाएब जो पति के जुल्म की मारी है…सिवाय दुख दर्द तक़लीफ़ के मिलता ही क्या है? एक आप ही हो जो हमें समझते हो और मेरे बच्चे
काला साया – फिर भी तुम इतनी जवान हो तुम्हें सोचना चाहिए
कंचन – क्या करे हमारा मोहल्ले में किसी को पता चला तो गुनाह की बात करने लगेंगे और शायद मेरी बदनामी हो जाए
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Re: काला साया – रात का सूपर हीरो
{UPDATE-03}
अचानक कंचन का ठंड बहुत ज्यादा बिगड़ने लगा और वो खाषने लगी उसे बेहद तिठुरती ठंड लगने लगी…कंचन का बुरा हाल देखकर काला साया ने उसे पास ही के एक टूटे खतिए पे लाइत्न्े को कहा….कंचन को ऊसने विश्वास दिया की वो रात भर पहरा देगा और जैसे ही बारिश थामेगी वो लोग वहां से निकल जाएँगे….थोड़े देर में कंचन काँपने लगी उसका पूरा बदन ठंडा पड़ने लगा…काला साया इसे देखकर समझ चुका था की शायद कंचन को जबरदस्त ठंड लगी है और ऐसे मौसम में बीमार होना मतलब साक्षात मौत…काला साया जनता था उसके पास कंचन को बचाने का एक ही उपाय है बेरेहाल वो संकोच करते हुए हिम्मत जुटाकर अपने जीन्स की ज़िप और बेल्ट उतारने लगा…फिर ऊसने धीरे से कंचन को हिलाया पर कंचन ने कोई जवाब नहीं दिया…वो ठंड में बेशुड बस तिठुर रही थी उसके दाँत कटकता रहे थे….काला साया ने अब ज्यादा देर नहीं की ऊसने धीरे से कंचन के ब्लाउज और पेटीकोट को किसी तरह खोल डाला
और कुछ ही देर में कामवाली कंचन उनके सामने एकदम नंगी थी उसके मोटी चुचियां उसके कड़े निपल्स को देखकर काला साया बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसके ऊपर धीरे से सवार हो गया दोनों पूरी तरीके से एक दूसरे से चिपके बिलकुल नंगे थे…धीरे से कंचन की पेटीकोट का नारा खोल के काला साया ने टांगों तक उसे खींच दी अब मांसल मोटी जांघें और झाँतें डर चुत काला साया के सामने थी…ऊसने फिर ब्लाउज से बाहर निकले ऊन तरबूज जैसे साइज के छातियो को काश क़ास्सके दबाना शुरू कर दिया और वैसे ही उसके शरीर के ऊपर चढ़के ऊपर नीचे होने लगा उसका सख्त लंड चुत पे रगड़ खाने लगा
“आहह आहह”…..कस्मती कंचन की बेशुड आहें मंडी आँखें देखकर काला साया समझ चुका था की उसे भी शायद सेक्स चढ़ रहा है हूँ धीरे धीरे नीचे होने लगा और फिर ऊसने अपने घुटनों को मोधके खतिए के किनारे बैठकर दो उंगली कंचन की चुत में डाल दिया..अंगुल करने से ही कंचन को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जब उंगली की रफ्तार तेज हुई तो कंचन खुद ही आहें भरने लगी
काला साया समझ चुका था अब कंचन को मजा आने लगा है ऊसने फौरन अपनी जीभ कंचन के चुत पे लगा दी..ऊस्की ऐसी हालत थी की हूँ बिना झातेंदार कंचन की मांसल जांघों की बीच की चुत को चाँतें बिना रही नहीं पा रहा था ऊसने उसके पसीने भरे बदबूदार चुत में मुँह डाल ही दिया और फिर बारे ही चाव से उसके चुत के फहाँको में मुँह डाले उसके छेद को जुबान से टटोलता रहा इस मुख मैथुन के असर जल्द ही कंचन पे हुआ और हूँ बहुत ज़ोर से साँस छोढ़ने लगी वो कसमसाने लगी..उसका तिठुरता बदन थाम गया और वो अब लंबी लंबी आहें भरने लगी
इधर काला साया ने भी चुत में उंगली करते हुए उसके दाने और चुत में जबान लगाए रखी कंचना अब आंखें मुंडें सर इधर उधर मारने लगी “आहह उफ़फ्फ़ सस्स औरर्र ज़ोर से हाीइ अल्ल्लह”……हूँ कसमसाए जा रही थी अब बहुत ही तेज तेज काला साया ऊस्की चुत में जुबान डालने लगा अब धीरे धीरे चुत से सफेद रस बाहर आने लगा जिसका नमकीन स्वादड चक्कर काला साया भधकने लगा…ऊसने फौरन बिना डायरी किए फिर कंचन से लिपट गया और ऊस्की फहुली रेशम झाँतें डर बालों के गुकचे में लंड फहीराते हुए चुत के मुआने में रखकर थोड़ा पुश किया…इस बार लंड अंदर धीरे धीरे सरकने लगा….साली का पति उसे खूब चोदता है ये बात काला साया अच्छे से भाप चुका था…लेकिन लंड की मोटाई दुगुनी थी इसलिए चुत का द्वार के चीरने से कंचन भी बीच बीच सेकेंड में चीखने लगी….लेकिन अब रुकना किसके हाथ में था
अपना चेहरा कंचन के मुँह के ऊपर रखकर हूँ नीचे जोरदार धक्के मारने लगा…अपने आप ही कंचन की चुत का द्वार हाथ गया और ऊसने लंड को समा लिया अब धक्के बहुत तेज तेज चल रहे थे ठप्प ठप्प करते हुए दोनों के जाँघ एक दूसरे से लग्के आवाज़ कर रहे थे अंडकोष चुत के मुआने पे तालियो की तरह बज रहे थे..इतने में काला साया ने फिर ऊन दोनों छातियो को खूब ज़ोर ज़ोर से छूसा और उसका रसपान करने लगा इतनी मस्त कामुक औरत अपनी जिंदगी में शायद काला साया ने कभी चोदा नहीं था..अब खुद पे खुद कंचन ने अपने टाँगें चौड़ी कर लिट ही और हवा में आधा टाँग था…और मुट्ठी काससे अपनी पूरी मर्दानगी ताक़त से काला साया ऊस्की चुत मारने लगा दिन भर के घशट की थकान कामवाली की चुत में खत्म होने जा रही थी
काला साया ने बिना डायरी किए और तेज धक्के लगा डालें इस बार कंचन होश में आ चुकी थी दोनों पसीने से तरबतर होने लगे आग की लपटें घर को और गरम करने लगी…लग ही नहीं रहा था की अभी दोनों कपकपटि ठंड में तिठुर रहे थे जबकि बाहर बारिश तेज हो चुका था और भारी तूफान चल रहा था….इतने में काला साया थकने लगा और ऊसने फच्छ फछ की आवाज़ को संक एक बार लंड को चुत से बाहर खींचा…जैसे आत्म कार्ड मशीन से बाहर निकलता है ठीक ऊटने ही माखन की तरह लंड चुत से बाहर निकल आया और फिर फहूट फहूट के प्री-कम की लहरें बहने लगी इधर कंचन की चुत भी पूरी गीली हो चुकी थी उसके रस हूँ कब दो बार झड़ गयी पता ना चला ऊस्की चीखें इस बात की गवाह थी
कंचन अब भी हाँफ रही थी मानो जैसे उसका सेक्स अभी खत्म नहीं हुआ था…ऊसने क़ास्सके काला साया को पकड़ लिये और उसके चेहरे के इर्द गिर्द चूमने लगी…”आहह से आहह एम्म”….काला साया ने क़ास्सके कंचन के होंठ चुस्सा डालें कंचन के हाथ काला साया के पीठ पे जैसे साँप की तरह रैंग रहे थे…काला साया बारे ही फुर्सत से उसके गले कान और गाल पर चुम्मा लेता गया फिर उसके बालों पे हाथ फहरट एहुए उसे उल्टा लेटने लगा…कंचन का जैसा नशा टूट गया मानो वैसे ही ऊस्की आँखें अधखुली दिखी कंचन को जाने में डायरी तो नहीं लगी की काला साया ने उसके साथ क्या किया? पर अब करने को और बच्चा ही क्या था? पहले काला साया रुका पर ऊसने मुस्कुराकर ऊस्की थोड़ी तारीफ कर दी और बिना ऊस्की इजाज़त लिए उसके गान्ड में लंड घिसता हुआ ऊस्की काली गान्ड के छेद में लंड घुसाने लगा…खटिया को दोनों ओर कंचन ने पकड़ लिया…लेकिन ठीक ऊटने ही मिनट में काला साया अपनी थूक से लंड को गीला करके गान्ड की दरार में लंड डाल चुका था…लंड धीरे धीरे जाने लगा…”आहह आहह आहिस्स्ट्टी से आहह आहिस्ते काररो साहिब आहह”….कंचन पेंट के बाल लेटी आंखों में दर्द के भाव दिखाते हुए ज़ोर से बोली ऊस्क इयवाज़ घूँट गयी और फिर खतिए को दोनों ओर से पकड़कर काला साया उसके ऊपर चढ़के लंड को अंदर बाहर करने लगा…कंचन ने दाँतों पे दाँत रख दिया…काफी जोरदार चुदाई चल रही थी…ठप्प ठप्प आवाज़ फिर हसुरू हो गयी…बारिश सामान्या हो गया था इसलिए दोनों की चीखें पूरे वातावरण में न्गूँज़ रही थी…काला साया काफी जोरदार तरीके से कंचन की गान्ड मारने लगा कंचन का एक तंग अपने तंग के ऊपर रखकर उल्टा उसे खूब ज़ोर से चोदने लगा
कंचन काफी देर तक खतिए के ऊपर पीसती रही ऊस्की छातिया खतिए के बीच में दब गयी थी दोनों पसीने पसीने होने लगे…”आहह सहीब्बब बहुत दर्रद्द हो रहा है आराम से मारो आहह मुझे तक़लीफ़ हो रही हे आहह”…..काला साया मौका चोदना नहीं चाहता था ऊसने धीरे से कंचन को कुल्हा से उचकाया और उसके चेहरे को नीचे कर दिया अब हूँ पूरी कुतिया के भट्टी मुद्रा में थी…और पीछे किसी सांड़ की तरह काला साया ऊस्की गान्ड मारता रहा…उसके छेद से कभी बाहर कभी अंदर कभी बाहर कभी अंदर लंड आ रहा ताज आ रहा था…इन देसी औरतों में झेलने की ताक़त बहुत होती है…काला साया काफी ज्यादा पागल होने लगा और काफी बेदर्दी से ऊस्की गान्ड मारता रहा..उसके तुरंत बाद जब उसे लगा की हूँ अब बस निकल जाएगा तो ऊसने लंड बाहर खींच लिया कंचन के मुख पे रख दिया कंचन ने पहले मना किया पर काला साया के मज़बूती से चेहरे पे पकड़े होने से ऊसने एक दो बार मुँह में लेकर चोद दिया…पर काला साया मना नहीं ऊसने उसके मुँह में लंड घुसा दिया कंचन को मज़बूरन चूसना ही पड़ा…पहले तो उसे अच्छा नहीं लगा पर धीरे धीरे उसके चाँदी को पीछे खिसकाके उसके सुपाडे का स्वाद लेने में कंचन की छूते के बार फिर पानी चोद गयी हूँ वैसे ही बैठी खड़े काला साया के लंड को चुस्ती रही और फिर कुछ ही देर में काला साया ने उसके चेहरे को पकड़कर लंड का पानी उसके पूरे चेहरे पे चोद दिया
काला साया कसमसाते हुए काँपते हुए पष्ट पार गया…और वही नंगी कंचन के साथ बगल में बैठ गाया उसका रस अब भी लंड से उगल रहा था…एकटक कंचन ख़स्ते हुए काला साया का बदन और फिर उसके लंड को देखने लगी..पसीना पसीना हो गया था काला साया लेकिन कंचन थोड़ी मायूस भी थी
काला साया – मुझे मांफ करना कंचन मैंने तुम्हारे साथ सेक्स किया असल में हालत ही कुछ ऐसे थे अगर मैं ऐसा नहीं करता तो लेकिन तुमविश्वास रखो तुम्हें जब मदद चाहिए होंगी तब तुम याद करना मैं हाज़िर हो जाऊंगा
कंचन – बुरा तो लग रहा है एक शादी शुदा औरत हूँ साहिब कभी पराए मर्द के साथ ऐसा कुछ नहीं करा…पर आपके साथ जो हुआ मैं उसे भूल जाऊंगी आप भी भूल जाओ साहेब आपको मेरी वजह से
काला साया – क्या बात करती हो कंचन? तुममें हूँ नमकीन स्वाद है जो क्सिी और में नहीं
अचानक कंचन का ठंड बहुत ज्यादा बिगड़ने लगा और वो खाषने लगी उसे बेहद तिठुरती ठंड लगने लगी…कंचन का बुरा हाल देखकर काला साया ने उसे पास ही के एक टूटे खतिए पे लाइत्न्े को कहा….कंचन को ऊसने विश्वास दिया की वो रात भर पहरा देगा और जैसे ही बारिश थामेगी वो लोग वहां से निकल जाएँगे….थोड़े देर में कंचन काँपने लगी उसका पूरा बदन ठंडा पड़ने लगा…काला साया इसे देखकर समझ चुका था की शायद कंचन को जबरदस्त ठंड लगी है और ऐसे मौसम में बीमार होना मतलब साक्षात मौत…काला साया जनता था उसके पास कंचन को बचाने का एक ही उपाय है बेरेहाल वो संकोच करते हुए हिम्मत जुटाकर अपने जीन्स की ज़िप और बेल्ट उतारने लगा…फिर ऊसने धीरे से कंचन को हिलाया पर कंचन ने कोई जवाब नहीं दिया…वो ठंड में बेशुड बस तिठुर रही थी उसके दाँत कटकता रहे थे….काला साया ने अब ज्यादा देर नहीं की ऊसने धीरे से कंचन के ब्लाउज और पेटीकोट को किसी तरह खोल डाला
और कुछ ही देर में कामवाली कंचन उनके सामने एकदम नंगी थी उसके मोटी चुचियां उसके कड़े निपल्स को देखकर काला साया बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसके ऊपर धीरे से सवार हो गया दोनों पूरी तरीके से एक दूसरे से चिपके बिलकुल नंगे थे…धीरे से कंचन की पेटीकोट का नारा खोल के काला साया ने टांगों तक उसे खींच दी अब मांसल मोटी जांघें और झाँतें डर चुत काला साया के सामने थी…ऊसने फिर ब्लाउज से बाहर निकले ऊन तरबूज जैसे साइज के छातियो को काश क़ास्सके दबाना शुरू कर दिया और वैसे ही उसके शरीर के ऊपर चढ़के ऊपर नीचे होने लगा उसका सख्त लंड चुत पे रगड़ खाने लगा
“आहह आहह”…..कस्मती कंचन की बेशुड आहें मंडी आँखें देखकर काला साया समझ चुका था की उसे भी शायद सेक्स चढ़ रहा है हूँ धीरे धीरे नीचे होने लगा और फिर ऊसने अपने घुटनों को मोधके खतिए के किनारे बैठकर दो उंगली कंचन की चुत में डाल दिया..अंगुल करने से ही कंचन को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जब उंगली की रफ्तार तेज हुई तो कंचन खुद ही आहें भरने लगी
काला साया समझ चुका था अब कंचन को मजा आने लगा है ऊसने फौरन अपनी जीभ कंचन के चुत पे लगा दी..ऊस्की ऐसी हालत थी की हूँ बिना झातेंदार कंचन की मांसल जांघों की बीच की चुत को चाँतें बिना रही नहीं पा रहा था ऊसने उसके पसीने भरे बदबूदार चुत में मुँह डाल ही दिया और फिर बारे ही चाव से उसके चुत के फहाँको में मुँह डाले उसके छेद को जुबान से टटोलता रहा इस मुख मैथुन के असर जल्द ही कंचन पे हुआ और हूँ बहुत ज़ोर से साँस छोढ़ने लगी वो कसमसाने लगी..उसका तिठुरता बदन थाम गया और वो अब लंबी लंबी आहें भरने लगी
इधर काला साया ने भी चुत में उंगली करते हुए उसके दाने और चुत में जबान लगाए रखी कंचना अब आंखें मुंडें सर इधर उधर मारने लगी “आहह उफ़फ्फ़ सस्स औरर्र ज़ोर से हाीइ अल्ल्लह”……हूँ कसमसाए जा रही थी अब बहुत ही तेज तेज काला साया ऊस्की चुत में जुबान डालने लगा अब धीरे धीरे चुत से सफेद रस बाहर आने लगा जिसका नमकीन स्वादड चक्कर काला साया भधकने लगा…ऊसने फौरन बिना डायरी किए फिर कंचन से लिपट गया और ऊस्की फहुली रेशम झाँतें डर बालों के गुकचे में लंड फहीराते हुए चुत के मुआने में रखकर थोड़ा पुश किया…इस बार लंड अंदर धीरे धीरे सरकने लगा….साली का पति उसे खूब चोदता है ये बात काला साया अच्छे से भाप चुका था…लेकिन लंड की मोटाई दुगुनी थी इसलिए चुत का द्वार के चीरने से कंचन भी बीच बीच सेकेंड में चीखने लगी….लेकिन अब रुकना किसके हाथ में था
अपना चेहरा कंचन के मुँह के ऊपर रखकर हूँ नीचे जोरदार धक्के मारने लगा…अपने आप ही कंचन की चुत का द्वार हाथ गया और ऊसने लंड को समा लिया अब धक्के बहुत तेज तेज चल रहे थे ठप्प ठप्प करते हुए दोनों के जाँघ एक दूसरे से लग्के आवाज़ कर रहे थे अंडकोष चुत के मुआने पे तालियो की तरह बज रहे थे..इतने में काला साया ने फिर ऊन दोनों छातियो को खूब ज़ोर ज़ोर से छूसा और उसका रसपान करने लगा इतनी मस्त कामुक औरत अपनी जिंदगी में शायद काला साया ने कभी चोदा नहीं था..अब खुद पे खुद कंचन ने अपने टाँगें चौड़ी कर लिट ही और हवा में आधा टाँग था…और मुट्ठी काससे अपनी पूरी मर्दानगी ताक़त से काला साया ऊस्की चुत मारने लगा दिन भर के घशट की थकान कामवाली की चुत में खत्म होने जा रही थी
काला साया ने बिना डायरी किए और तेज धक्के लगा डालें इस बार कंचन होश में आ चुकी थी दोनों पसीने से तरबतर होने लगे आग की लपटें घर को और गरम करने लगी…लग ही नहीं रहा था की अभी दोनों कपकपटि ठंड में तिठुर रहे थे जबकि बाहर बारिश तेज हो चुका था और भारी तूफान चल रहा था….इतने में काला साया थकने लगा और ऊसने फच्छ फछ की आवाज़ को संक एक बार लंड को चुत से बाहर खींचा…जैसे आत्म कार्ड मशीन से बाहर निकलता है ठीक ऊटने ही माखन की तरह लंड चुत से बाहर निकल आया और फिर फहूट फहूट के प्री-कम की लहरें बहने लगी इधर कंचन की चुत भी पूरी गीली हो चुकी थी उसके रस हूँ कब दो बार झड़ गयी पता ना चला ऊस्की चीखें इस बात की गवाह थी
कंचन अब भी हाँफ रही थी मानो जैसे उसका सेक्स अभी खत्म नहीं हुआ था…ऊसने क़ास्सके काला साया को पकड़ लिये और उसके चेहरे के इर्द गिर्द चूमने लगी…”आहह से आहह एम्म”….काला साया ने क़ास्सके कंचन के होंठ चुस्सा डालें कंचन के हाथ काला साया के पीठ पे जैसे साँप की तरह रैंग रहे थे…काला साया बारे ही फुर्सत से उसके गले कान और गाल पर चुम्मा लेता गया फिर उसके बालों पे हाथ फहरट एहुए उसे उल्टा लेटने लगा…कंचन का जैसा नशा टूट गया मानो वैसे ही ऊस्की आँखें अधखुली दिखी कंचन को जाने में डायरी तो नहीं लगी की काला साया ने उसके साथ क्या किया? पर अब करने को और बच्चा ही क्या था? पहले काला साया रुका पर ऊसने मुस्कुराकर ऊस्की थोड़ी तारीफ कर दी और बिना ऊस्की इजाज़त लिए उसके गान्ड में लंड घिसता हुआ ऊस्की काली गान्ड के छेद में लंड घुसाने लगा…खटिया को दोनों ओर कंचन ने पकड़ लिया…लेकिन ठीक ऊटने ही मिनट में काला साया अपनी थूक से लंड को गीला करके गान्ड की दरार में लंड डाल चुका था…लंड धीरे धीरे जाने लगा…”आहह आहह आहिस्स्ट्टी से आहह आहिस्ते काररो साहिब आहह”….कंचन पेंट के बाल लेटी आंखों में दर्द के भाव दिखाते हुए ज़ोर से बोली ऊस्क इयवाज़ घूँट गयी और फिर खतिए को दोनों ओर से पकड़कर काला साया उसके ऊपर चढ़के लंड को अंदर बाहर करने लगा…कंचन ने दाँतों पे दाँत रख दिया…काफी जोरदार चुदाई चल रही थी…ठप्प ठप्प आवाज़ फिर हसुरू हो गयी…बारिश सामान्या हो गया था इसलिए दोनों की चीखें पूरे वातावरण में न्गूँज़ रही थी…काला साया काफी जोरदार तरीके से कंचन की गान्ड मारने लगा कंचन का एक तंग अपने तंग के ऊपर रखकर उल्टा उसे खूब ज़ोर से चोदने लगा
कंचन काफी देर तक खतिए के ऊपर पीसती रही ऊस्की छातिया खतिए के बीच में दब गयी थी दोनों पसीने पसीने होने लगे…”आहह सहीब्बब बहुत दर्रद्द हो रहा है आराम से मारो आहह मुझे तक़लीफ़ हो रही हे आहह”…..काला साया मौका चोदना नहीं चाहता था ऊसने धीरे से कंचन को कुल्हा से उचकाया और उसके चेहरे को नीचे कर दिया अब हूँ पूरी कुतिया के भट्टी मुद्रा में थी…और पीछे किसी सांड़ की तरह काला साया ऊस्की गान्ड मारता रहा…उसके छेद से कभी बाहर कभी अंदर कभी बाहर कभी अंदर लंड आ रहा ताज आ रहा था…इन देसी औरतों में झेलने की ताक़त बहुत होती है…काला साया काफी ज्यादा पागल होने लगा और काफी बेदर्दी से ऊस्की गान्ड मारता रहा..उसके तुरंत बाद जब उसे लगा की हूँ अब बस निकल जाएगा तो ऊसने लंड बाहर खींच लिया कंचन के मुख पे रख दिया कंचन ने पहले मना किया पर काला साया के मज़बूती से चेहरे पे पकड़े होने से ऊसने एक दो बार मुँह में लेकर चोद दिया…पर काला साया मना नहीं ऊसने उसके मुँह में लंड घुसा दिया कंचन को मज़बूरन चूसना ही पड़ा…पहले तो उसे अच्छा नहीं लगा पर धीरे धीरे उसके चाँदी को पीछे खिसकाके उसके सुपाडे का स्वाद लेने में कंचन की छूते के बार फिर पानी चोद गयी हूँ वैसे ही बैठी खड़े काला साया के लंड को चुस्ती रही और फिर कुछ ही देर में काला साया ने उसके चेहरे को पकड़कर लंड का पानी उसके पूरे चेहरे पे चोद दिया
काला साया कसमसाते हुए काँपते हुए पष्ट पार गया…और वही नंगी कंचन के साथ बगल में बैठ गाया उसका रस अब भी लंड से उगल रहा था…एकटक कंचन ख़स्ते हुए काला साया का बदन और फिर उसके लंड को देखने लगी..पसीना पसीना हो गया था काला साया लेकिन कंचन थोड़ी मायूस भी थी
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
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Re: काला साया – रात का सूपर हीरो
{UPDATE-04}
“सच”…..कंचन मुस्करा पड़ी उसके चेहरे की खुशी लौट आई…काला साया ने मुस्कुराकर सर ऊपर नीचे किया..ऊसने कंचन को एक बार फिर गले लगाया डॉन वन अपने इस छुपे रिश्ते को इस वीरान झोंपड़े में ही दफ़न कर दिया…और सुबह चार बजते बजते तक सेक्स करते रहे…काला साया उसके पति की तरह उसके बदन को छूने लगा और कंचन भी इस पे कोई विरोध नहीं जताया काला साया 2 बार झड़ चुका था ऊसने कंचन को बहुत तक दिया था…फिर दोनों ने जब देखा की बारिश थाम चुकी है तो कीचड़ बारे रास्तो से निकलकर बाइक को किसी तरह ऑन करके किसी साए की तरह काला साया अपनी ब्लैक बाइक से कंचन को उसके बस्ती चोद देता है और फिर वहां से फिर शहर का रुख कर लेता है और उसके बाद अंधेरी गलियों से गुजरते हुए स्ट्रीट लाइट की रोशनी में वो एक काला साया बनकर गायब हो जाता है…
किसी बाबा आदम युग की वो सुनहेरी रंग की पुरानी सी अलार्म इतने ज़ोर से बज उठी…की बगल में बिस्तर पे लेटा वो लड़का जो बेशुड घोड़े बेचके सोया हुआ था अपने कान के परदों को दबाते हुए तकिये से इधर उधर ऐतने लगा…”उफ़फ्फ़ हो बहेनचोड़ड़ अबबेययय चुप्प”…..देवश ने फौरन उठके एक तकिया ऊस अलार्म के मारा…वो अलार्म सीधे गरगरते हुए फर्श पे जाकर टूट गयी
“आ हाहाहा फाइनली मां का यह अलार्म जो क़ब्रिस्तान के मुर्दे को भी जगा दे उसे फाइनली तोड़ ही दिया एस्स”….भाई साहेब अभी अंगड़ाई लेकर अपने प्यज़ामे से लंड को ठीक करते हुए आंखें मुंडे ही थे की तभी एक बहुत ही तीखी आवाज़ बज उठी
देवश फिर चीखके उठ बैठा “आबेययय याअरर”…..वो पूरा झल्ला गया..ऊसने उठके फौरन ऊस टूटे अलार्म की तरफ देखा जो अब भी बज रही थी…ऊसने अलार्म को उठाया और उसे बंद करना चाहा पर साला बंद नहीं हुआ अचानक उसे याद आया और फिर ऊसने ज़ोर से एक ताली आवाज़ बंद हो गया
अब तो नींद टूट चुकी थी अब मिया सोते भी कैसे?…देवश 22 साल का नौजवान जो यहां पुलिस की दफ्तर में इंस्पेक्टर की पोस्टिंग पे आया था…घूस अमीरो से लेना सेक्सी औरतों को पटना और अपने फर्ज के प्रति ढीला होने का स्वभाव तो था ही दिल्ली पुलिस में 2 साल काम करने के बाद देवश को वहां से तबादला कर दिया गया और वो इस शहर में आकर और भी आलसी हो गया…लेकिन मां का जो तोहफा था उसे वो बेहद प्यार करता था क्योंकि मां की यह आखिरी निशानी थी
ऊसने बारे ही प्यार से टूटे अलार्म को मेज़ पे रखा और अभी चाय बनाने किचन की तरफ मुड़ा ही था अचानक घंटी बज उठी….”अफ लगता है कामवाली कंचन आ गयी”…..जैसे ही देवश ने दरवाजा खोला कंचन के चेहरे के खुशी के भाव देखकर वो अंदर आई
आज कंचन ने पर्पल रंग की सारी पहनी हुई थी…धोती जैसा पेटीकोट और बॅकलेस पीठ…उसके चलते ही ऊस्की माटतकी गान्ड और चाल दोनों को देखकर देवश मिया की नींद गायब हो गयी
देवश : क्या रे कंचन सुबह सुबह बड़ी खुश है क्या बात है?
कंचन : अब खुश नहीं होंगे तो क्या रोज़ की तरह दुखी होंगे बाबू?
देवश : अच्छा चल जल्दी से छैीइ ला…थाना भी निकलना है
देवश अंगड़ाई लेता हुआ ब्रश करने लगता है कंचन उसके सामने चाय चढ़ाके झाड़ू लगाने लगती है..देवश मिया दाँत को ब्रश से घीसते हुए कंचन के चुचियों के कटाव को निहारने लगता है “क्या माल है?”….अचानक देवश ने के मंसुदे में ऐसा बुरष लगा की वो दर्द से बिलबिला उठा
“आहह साला गया रे”…होंठ के बीच उंगली लगाए वो खून थूकने लगा “क्या हुआ साहेब?”…..कामवाली कंचन उठके उसे देखने लगी
देवश : अरे कुछ नहीं बस वो घिस्स गया आहहह सस्स दाँत के नीचे ब्रश गलती से लग गया
कंचन : बाबू दवाई है आपके पास
देवश : हाँ है ना वो अलमारी से निकाल ले
कंचन दवाई लिए मंसुदे में दवाई लागने लगी…कंचन देवश के सामने खड़ी थी इसलिए देवश की निगाह उसके पसीने भरे ब्लाउज के बगल पे गयी…अफ ऊस्की भीनी खूबशु सूँघके देवश का लंड अंगड़ाई लेने लगा लेकिन दवाई के जलन से आहह आ करते हुए देवश का ध्यान हटा कंचन देवश के चेहरे को हाथों से छोढ़के फिर चाय लेकर आई….चाय की चुस्किया लेकर बिना कंचन की तारीफ किए देवश बोला
देवश : अच्छा तू कुछ बता रही थी खुशी का कारण ज़रा बताना
कंचन : और क्या बताए बाबू? कल रात को काला साया मिला था
“सच”…..कंचन मुस्करा पड़ी उसके चेहरे की खुशी लौट आई…काला साया ने मुस्कुराकर सर ऊपर नीचे किया..ऊसने कंचन को एक बार फिर गले लगाया डॉन वन अपने इस छुपे रिश्ते को इस वीरान झोंपड़े में ही दफ़न कर दिया…और सुबह चार बजते बजते तक सेक्स करते रहे…काला साया उसके पति की तरह उसके बदन को छूने लगा और कंचन भी इस पे कोई विरोध नहीं जताया काला साया 2 बार झड़ चुका था ऊसने कंचन को बहुत तक दिया था…फिर दोनों ने जब देखा की बारिश थाम चुकी है तो कीचड़ बारे रास्तो से निकलकर बाइक को किसी तरह ऑन करके किसी साए की तरह काला साया अपनी ब्लैक बाइक से कंचन को उसके बस्ती चोद देता है और फिर वहां से फिर शहर का रुख कर लेता है और उसके बाद अंधेरी गलियों से गुजरते हुए स्ट्रीट लाइट की रोशनी में वो एक काला साया बनकर गायब हो जाता है…
किसी बाबा आदम युग की वो सुनहेरी रंग की पुरानी सी अलार्म इतने ज़ोर से बज उठी…की बगल में बिस्तर पे लेटा वो लड़का जो बेशुड घोड़े बेचके सोया हुआ था अपने कान के परदों को दबाते हुए तकिये से इधर उधर ऐतने लगा…”उफ़फ्फ़ हो बहेनचोड़ड़ अबबेययय चुप्प”…..देवश ने फौरन उठके एक तकिया ऊस अलार्म के मारा…वो अलार्म सीधे गरगरते हुए फर्श पे जाकर टूट गयी
“आ हाहाहा फाइनली मां का यह अलार्म जो क़ब्रिस्तान के मुर्दे को भी जगा दे उसे फाइनली तोड़ ही दिया एस्स”….भाई साहेब अभी अंगड़ाई लेकर अपने प्यज़ामे से लंड को ठीक करते हुए आंखें मुंडे ही थे की तभी एक बहुत ही तीखी आवाज़ बज उठी
देवश फिर चीखके उठ बैठा “आबेययय याअरर”…..वो पूरा झल्ला गया..ऊसने उठके फौरन ऊस टूटे अलार्म की तरफ देखा जो अब भी बज रही थी…ऊसने अलार्म को उठाया और उसे बंद करना चाहा पर साला बंद नहीं हुआ अचानक उसे याद आया और फिर ऊसने ज़ोर से एक ताली आवाज़ बंद हो गया
अब तो नींद टूट चुकी थी अब मिया सोते भी कैसे?…देवश 22 साल का नौजवान जो यहां पुलिस की दफ्तर में इंस्पेक्टर की पोस्टिंग पे आया था…घूस अमीरो से लेना सेक्सी औरतों को पटना और अपने फर्ज के प्रति ढीला होने का स्वभाव तो था ही दिल्ली पुलिस में 2 साल काम करने के बाद देवश को वहां से तबादला कर दिया गया और वो इस शहर में आकर और भी आलसी हो गया…लेकिन मां का जो तोहफा था उसे वो बेहद प्यार करता था क्योंकि मां की यह आखिरी निशानी थी
ऊसने बारे ही प्यार से टूटे अलार्म को मेज़ पे रखा और अभी चाय बनाने किचन की तरफ मुड़ा ही था अचानक घंटी बज उठी….”अफ लगता है कामवाली कंचन आ गयी”…..जैसे ही देवश ने दरवाजा खोला कंचन के चेहरे के खुशी के भाव देखकर वो अंदर आई
आज कंचन ने पर्पल रंग की सारी पहनी हुई थी…धोती जैसा पेटीकोट और बॅकलेस पीठ…उसके चलते ही ऊस्की माटतकी गान्ड और चाल दोनों को देखकर देवश मिया की नींद गायब हो गयी
देवश : क्या रे कंचन सुबह सुबह बड़ी खुश है क्या बात है?
कंचन : अब खुश नहीं होंगे तो क्या रोज़ की तरह दुखी होंगे बाबू?
देवश : अच्छा चल जल्दी से छैीइ ला…थाना भी निकलना है
देवश अंगड़ाई लेता हुआ ब्रश करने लगता है कंचन उसके सामने चाय चढ़ाके झाड़ू लगाने लगती है..देवश मिया दाँत को ब्रश से घीसते हुए कंचन के चुचियों के कटाव को निहारने लगता है “क्या माल है?”….अचानक देवश ने के मंसुदे में ऐसा बुरष लगा की वो दर्द से बिलबिला उठा
“आहह साला गया रे”…होंठ के बीच उंगली लगाए वो खून थूकने लगा “क्या हुआ साहेब?”…..कामवाली कंचन उठके उसे देखने लगी
देवश : अरे कुछ नहीं बस वो घिस्स गया आहहह सस्स दाँत के नीचे ब्रश गलती से लग गया
कंचन : बाबू दवाई है आपके पास
देवश : हाँ है ना वो अलमारी से निकाल ले
कंचन दवाई लिए मंसुदे में दवाई लागने लगी…कंचन देवश के सामने खड़ी थी इसलिए देवश की निगाह उसके पसीने भरे ब्लाउज के बगल पे गयी…अफ ऊस्की भीनी खूबशु सूँघके देवश का लंड अंगड़ाई लेने लगा लेकिन दवाई के जलन से आहह आ करते हुए देवश का ध्यान हटा कंचन देवश के चेहरे को हाथों से छोढ़के फिर चाय लेकर आई….चाय की चुस्किया लेकर बिना कंचन की तारीफ किए देवश बोला
देवश : अच्छा तू कुछ बता रही थी खुशी का कारण ज़रा बताना
कंचन : और क्या बताए बाबू? कल रात को काला साया मिला था
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Re: काला साया – रात का सूपर हीरो
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