Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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josef
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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मामुन एकदम से तहाका लगकर हस्सने लगा “दास्तान तो सच्ची थी पर किरदार कोई और था तुझे क्या लगता है? की मैं खलनायक हूँ इतना बड़ा गान्डू समझा है मुझे जो अपना राज़ खुद ही बता दम…असली खलनायक तो ये है”……..मामुन ने अपने भाई के गले मिलते हुए बोला दोनों एक दूसरे से यूँ गले मिलते देख मैं दर्द से काँपते हुए उठने की कोशिश करने लगा कबीर मामुन का भाई जिसे आजतक मामुन ने छुपाएं रखा था

कबीर : हां हां हां कैसा है भाई मेरे? वाहह आज ऐसे सिचुयेशन में मिलना होगा सोचा नहीं था…मामुन बहुत अच्छा काम किया है तूने मेरे दुश्मन को मेरे ही घर लाके…दरअसल मामुन मेरा बिज़्नेस पार्ट्नर है शान्त्राज की चाल मैं चलता हूँ अंजाम ये उसे देता है खलनायक मैं बनता हूँ नाम ये लेता है समझा नहीं चल मैं समझता हूँ अबतक जो तूने सुना वो दास्तान इसकी नहीं मेरी थी….ये बेचारा तो हालत का मज़बूर था लेकिन जब खलनायक मैं बना तो इसे भी अपना अज़ीज़ बना लिया क्यों भाई?

मामुन : हाँ भाई

कबीर : वरना तू आ रहा है और मैं तेरे सामने आ जाओ ये जानते हुए की तू मुझे मारने के लिए पूरी तैयारी करके आएगा हां हः हां नो वे चल अब मैं तुझे सुनता हूँ आगे की दास्तान….मेरा भाई डर डर की ठोकरे कहा रहा था जब उसे पता चला की मैं एक शातिर डॉन बन गया हूँ खलनायक तो ऊसने मुझे हेल्प की…शातिर ऐसे नहीं बना मामुन की गर्लफ्रेंड क्या नाम था उसका

मामुन : चाँदनी भैईई

कबीर : हाँ चाँदनी ब्ड के सुपेरिटेंडेंट की बेटी जिसे जाल में इसने फंसाया मुझे बहुत पसंद थी मैं पुलिस की निगाहों में अबतक आया ही नहीं था पर साला दिल ये दिल एक दिन उसे इन्हीं हाथों से पकड़कर उसी के बिस्तर पे रेप किया मामुन बहुत कफा था मुझसे बहुत ज्यादा..लेकिन इसने भाई का फर्ज निभाया और हमने मिलकर ऊस्की नंगी लाश उसके बाप के सामने (दोनों भाई तहाका लगाकर हस्सने लगे मैं चुपचाप गिरा हुआ था)

कबीर : पूरा पुलिस फोर्स के जैसे आगे लगा दी हो गान्ड में हमारे पीछे पारह गये…इधर मेरी भी ताक़त दुगुनी होती गयी दुबई ओमान सौदी बांग्लादेश मुंबई सब जगह अपना ही बोलबाला होने लगा….और इधर मां जिसने हमें पाला मेरे बाप ने दूसरी शादी करके जिसे हामरे घर लाया जिसे ये भी पता ना इूसका बेटा कितना सफर्ड करके आज एक शख्सियत बना मेरा तो खून खौल गया और मैंने क्या किया पता हां? ऊस कुतिया को ब्लैकमेल किया अपनी ही सौतेली मां को पहले उसे ज़लील करने के लिए उसका बाय्फ्रेंड बनाया फिर उससे खलनायक बनकर फहईरौती माँगी और उसे पाते पे बुलाया और फिर उसके साथ मिलकर चोदा छोड़ी किया साली गान्ड बहुत टाइट थी….बाप को ये बात पता चल गयी और फिर हमने क्या किया पता है दोनों ने मिलकर ऊसको भी मर दिया हमारी सौतेली मां हम दोनों की रांड़ बन गयी हाहहाहा और एक दिन एक शीक की ऊसपे नज़र पड़ी और उसे भी हमने बैच दिया पहले तो बहुत नखरे कर रही थी फिर उसे इंजेक्शन लगा दिया उसके बाद इस तरह हमारी दास्तान चल पड़ी

देवश : आ..हह सोचा नहीं था की कभी इतने बार एमरडारचोड़ो से पाला पड़ेगा तुम जैसा दाज्जल अगर दुनिया में कोई होगा तो वो तुम दोनों ही होंगे लेकिन फिक्र नोट तुम लोग ये सोचक मुझे मरोगे की अब मैं पोलिसेवाल नहीं रहा तो ग़लतफहमी आहह (देवश ने उठते हुए मुस्कराया)

और ऊसने काला साया वाली चल चल दी अपने जुटे में रखकर ऊस पैकेट को जिसे ऊसने अपने हाथों में गिरे गिरे ही ले लिया था फौरन दोनों के ऊपर फैका हड़बड़ाहट में मामुन ने गोली चला दी जो सीधे पैकेट पे लगी और बढ़म्म से एक धुंआ फैल गया….देवश तब्टलाक़ अपनी भाई किक मामुन के छाती पे उतारके उसे गिरा चुका था…कबीर ख़ास्ते हुए पागलों की तरह अंधाधुंध पीपे मारें जा रहा था “मदारचोड़ड़ मेरे भाई को छोड्धह”…….मामुन कुछ का आर नहीं पा रहा था बस चीख और चिल्ला रहा था..

देवश ने उसके हाथों को बेदर्दी से माधोड़के तोड़ दिया…मामुन ज़ोर से चिल्ला उठा…पास रखी बोतल को देवश ने उठाकर उसके कनपाती पे दे मारा बोतल टूट गयी और मामुन के सर से खून निकालने लगा देवश ने मामुन के गर्दन को क़ास्सके जकड़ा और उसके पेंट पे ही जितनी बार होसका टूटी काँच की बोतल घुसेड़ दी…मामुन चीखता चिलाता रहा पर कबीर धुए की बदौलत अँधा हो गया था…कुछ देर बाद जब धुंआ हटा तो चीखते चिलाते कबीर ने सामने एक लाश देखी मामुन मर चुका था उसके पेंट गहराई तक कटा हुआ था चारों ओर खून ही खून

कबीर : हरामिी मदारचोद्द्दद्ड (कबीर का गुस्सा सातनवे आसमान पे चढ़ गया वो आग बाबूला होकर पागलों की तरह सोफा और टेबल को इधर उधर फैक्ने लगा)

तब्टलाक़ देवश बाथरूम में घुस चुका था और ऊसने अपनी गुण रेलोअडक आर ली…कबीर ने अपनी गुण निकाल ली और चारों ओर देवश को खोजने लगा “कमीने बाहर निकलल्ल्ल आज तुझहहे नहीं चोदूंगा”……अपने से खों भरे मामुन के लगे खून को हाथों से पोंछते हुए गुण किसी तरह देवश ने उठाया और दीवार से झाँका…कबीर ने फौरन फाइरिंग शुरू कर दी…दीवार में छेद हो गया देवश भागते हुए हेमां के पीछे चला गया ऊसने भी फाइरिंग शुरू कर दी….कबीर वैसे ही गिर पड़ा दोनों में से कोई हार नहीं मना….गोली से चारों ओर धुंआ धुंआ होने लगा

जब दोनों की गोली खाली हो गयी..तो फौरन कबीर ने गुण फ़ैक्हके देवश पे छलाँग लाग दी…देवश फौरन कबीर से हातपाई करने लगा…कबीर को जैसे खून सवार था ऊसने उसे फौरन पकड़कर दीवार पे दे मारा…देवश का आएना से सर टकरा गया वो धंस खाके गिर पड़ा….कबीर ने फौरन पास रखी तार देवश के गले पे लगाकर फसनी चाही…पा देवश ऊसपे घुसा और लात मरता रहा…कुछ देर में ही कबीर के सर पे पास रखकर वैसे का प्रहार हुआ और वो गिर पड़ा उसके माथे से खून बहाने लगा…देवश लंगदाते हुए बाहर निकल आया

कबीर ओसॉके ऊपर बैग की तरह झपटा..देवश ने फौरन उसके सर को पकड़ा और दोनों सोफे पे से गिरते हुए सीधे टेबल को ऊपर जा गिरे…टेबल टूट गया और दोनों घायल होकर इधर उधर गिर परे…देवश लंगदाते हुए फिर उठा…कबीर ने उसके दोनों आंखों में उंगली धस्सा दी…देवश ज़ोर से चिल्लाके सीडियो पे जा गिरा…कबीर ने तब्टलाक़ टीवी को उठाकर देवश पे मारना चाहा देवश सीडी से हाथ गया टीवी टूट गयी…देवश और कबीर दोनों ही खून खत्तर हो चुके थे….फार्महाउस जैसी जगह पे घर था दूर दूर तक कोई नहीं जैसे समझ आए की आख़िर मसला क्या है?

कबीर ने देवश को उठाया और सीधे दूसरी ओर पटक दिया…देवश बेहोश हो गया…कबीर इधर उधर भौक्लके गुण ढूंढ़ने लगा…ऊसने मामुन के गुण को उठा लिया और रोते हुए मामुन के चेहरे पे हाथ रखकर उसके माथे को चूमा मामुन की लाश वैसे ही पड़ी हुई थी…कबीर उठके चारों ओर देखने लगा “देवस्शह देवस्शह”…….पागलों की तरह कबीर इधर उधर खोजने लगा…लेकिन देवश वहां से गायब हो चुका था…कबीर को डर सताया और ऊसने बाहर की कुण्डी लगा दी..साथ ही साथ टूटी खिड़कियां और दरवाजे भी…ऊसने टीवी ऑन किया और फुल साउंड पे लगा दिया ताकि बाहर किसी को पता ना चल पाए की यहां क्या हो रहा है?

कबीर धीरे धीरे लंगदाते हुए पास रखी पीपे को उठाकर इधर उधर देवश को खोजने लगा “बाहर निकल्ल्ल मैंनी कहा बाहररर नियकल्ल्ल मदारचदोद्ड साली मेरे आदमियों को मर दिया मेरी महबूबा को मुझसे छीन लिया आहह आजज्ज तुझहही मैं ज़िदनान है छोढ़ूनाग तुझसे तेरा सबकुच छीन लूँगा मेरे भैईई को मारा तुन्नी हारांज़ाडी मेरी बाहियीई को”……कबीर चिल्लाता हुआ दहढ़ रहा था

अचानक वो पर्दे की तरफ जाने लगा..जैसे जैसे वो पर्दे के पास गया ऊसने एक ही झटके में परदा हटाया वहां कुछ नहीं था हवा से परदा हिल रहा था पूरे घर में खामोशी चाय थी सिर्फ़ टीवी की आवाज़ दूसरे कमरे से आ रही थी…इतने मेंन्न्न् कबीर एकदम से हड़बड़ाया और वो सीधे स्टोर रूम के दरवाजे से टकराते हुए उसके सामानो पे जा गिरा…”उग्गघ उहह आह”….ऊस्की आवाज़ घूंत्त चुकी थी सामने उसके ही मुखहोते को पहना खलनायक उसे मुस्कुराकर देख रहा था…कबीर मुँह से खून उगलता रहा उसके पेंट से आर पार एक चुरा हो चुका त हां….खलनायक ने उसे सख्त हाथों से खींचा कबीर ने उसका हाथ पकड़ना चाहा पर खलनायक ने उसे क़ास्सके एक बार और ज़ोर से खींचके निकाल डियाकबीर साँस खिंचता हुआ ऊस मुखहोते के तरफ हाथ बढ़ता है जिसे खलनायक पकड़ लेता है

“जिंदगी में एक आहेसन करना की दोबारा मिर जिंदगी में कभी मत आना अलविदा भी”…..खलनायक अपना मुखहोटा उठ आर फ़ैक्हता है देवोःस सामने खड़ा होता है और साथ ही उसका चुरा फिर कबीर के पेंट के अंदर धंस जाता है…कबीर की आंखें थे जाती है और वो मुस्कुराकर वैसे ही पत्थर बन जाता है

कुछ देर बाद लाहुलुहन लंगड़ते हुए देवश सुकून भर एअंडाज़ में मुस्कुराता है और कबीर की तरफ देखता है…कबीर के नास्स को छूते ही पता चलता है वो मारा जा चुका है चारों ओर सामान बिखरा पर है मामुन की एक जगह लस्शह पड़ी है “आख़िरकार खलनायक का अंत उसी के हाथों को चुका था”…..वो एक बार कमिशनर को खलने क्का मुखहोते पहनकर मर चुका त और उसका मुखहोटा कमिशनर के घर चोद आया था ताकि पुलिसवालो को लगे की खलनायक ने ही कमिशनर को मारा और इस देश से फरार हो गया

देवश बाथरूम में जाकर नहा लेता है और अपने आपको ठीक करते हुए एक बार दोनों लाशों की ओर देखता है कबीर के जगह पे पट्टी थी जहां उसे कल रात गोली लगी थी….देवश जानके खुश होता है खलनायक सच में ही मारा जा चुका है….देवश फोन करता है रोज़ को “हाँ रोज़ आहह से शादी की डेट फिक्स हो चुकी है हाँ तुम तैयार हो जाना प्लान चेंज हो गया है हम मेक्सिको जा रहे है हाँ बस जो कहा उसे सुन लो चुपचाप ओके में जान लव यू”……देवश मुस्कुराता है और खलनायक के मुखहोते को लेकर एक बार दोनों लाशों को देखता है फिर अपने कपड़े को बदलके घर से निकल जाता है….क्सिी को शक भी नहीं होता

देवश अपनी जीप स्टार्ट करता है और वहां से निकल जाता है….जल्द ही न्यूज सुनाने को मिलती है एक घर में दिन दहाड़े बेरहेमी से मौत कौन आया था कौन गया किसी को मालमूं नहीं? दो भाइयों की मौत जिनके बारे में पता चलता है की वो बांग्लादेश से है….कमिशनर का भी रात गये खून हुआ था सबूत में खलनायक का मुखहोटा मिलता है पुलिस को आख़िर खलनायक कौन था? ऊस्की मारने की वजह तो सामने आई ही थी की पुलिस उसके पीछे है और एनकाउंटर के आर्डर खुद कमिशनर ने दिए थे लेकिन खलनाया क्के मुखहोते के पीछे किसका चेहरा था ये आजतक ना तो पब्लिक और ना पुलिस ना जान पाए और ये भी शातिर गन्मन मुज़रिमो के लिस्ट में जुड़ चुका था

उधर काला साया फिर गुमनाम हो गया….ना जाने कहा चला गया लोग बस उसे अपना भगवान मानते थे रोज़ भी गायब थी पर कोई ये नहीं जनता था 2 साल बाद…मेक्सिको के समंदर पे पंचियो की आवाज़ को सुन लहरो को देखते हुए बहुत चलते देवश अपनी पत्नी रोज़ को बाहों में लिए बस अपने आनेवाली जिंदगी के बार्िएन में सोच रहा था …किस किस तरह जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया?….वो बस खुश था की आज उसका बदला यक़ीनन पूरी तरीके पूरा हो चुका था


THE END
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