अब तक आपने पढ़ा की ज्योति यह राज बताती हैं की उसके बेटी डॉली को ड्राइवर राजेश से गोद लिया हैं और अमर उसका जुड़वा भाई हैं. ज्योति के बेटे जय का असली बाप ज्योति का ससुर हैं. अब आगे…
ज्योति: “डॉली और जय, तुम्हारे मा बाप भले ही अलग अलग हो मगर मैने और सतीश जी ने तुम दोनो को बराबर रूप से अपना बच्चा माना हैं”
दोनो बच्चे अपनी मा और पापा के गले लग गये. उन्होने जो भी ग़लती की थी उसकी माफी भी माँग ली.
ज्योति ने मन मे सोच लिया की वैसे भी अब सारे राज बाहर हैं. अब वो खुलकर आरके से अपना बदला लेगी और अपने घर की ख़ुसीया भी वापिस लाएगी.
डॉली ने पोलिटिकल करियर बनाने का सपना देखना बंद कर दिया. वो अब एक शांति वाली लाइफ जीना चाहती थी. अधिकतर वो खामोश और गुमसूँम ही रहती थी.
इसी तरह एक दिन डॉली अपने बरामदे मे उदास बैठी हुई थी. घर मे पापा सतीश और मम्मी ज्योति भी नही थे किसी काम से बाहर गये थे.
बारिश हो रही थी. जय बाइक से भीगता हुआ कौलेज से आया था. उसने डॉली को उदास बैठे देखा तो उसको बुरा लगा.
जय अपनी बहन का मूड ठीक करना चाहता था. उसने बाइक खड़ी की और बरामदे मे पहुचा.
जय: “अकेली क्यू बैठी हो आप. मम्मी कहाँ हैं?”
डॉली: “बाहर गयी हैं. तुम गीले हो गये हो, कपड़े चेंज करके आओ, सर्दी लग जाएगी”
जय: “डॉली दीदी आप इस तरह उदास अच्छे नही लग रहे. चलो बरामदे से बाहर निकलो और बारिश मे नाच कर मज़े लो और खुश हो जाओ”
डॉली: “मैं अभी नही आ सकती, फिर और कभी”
जय: “याद हैं, जब छोटे थे तो बारिश होते ही हम दोनो कैसे बारिश मे भीग कर कुदा करते थे. अभी कोई बहाना नही चलेगा, आपको चलना पड़ेगा, नही तो मैं खुद आपको उठा कर ले जाउन्गा”
डॉली: “तुम समझ नही रहे हो. बारिश मे कपड़े सुख़्ते नही हैं”
जय फिर भी नही माना और ज़बरदस्ती डॉली का हाथ पकड़ कर खींच कर बरामदे से लगे लॉन मे ले आया.
डॉली फिर से भाग कर छाँव मे जाना चाहती थी पर जय ने हाथ पकड़े रखा और जाने नही दिया.
जय खुद उछल उछल कर नाच रहा था. डॉली को भी पुराने दिन याद आ गये. वो भी स्माइल करने लगी. थोड़ी ही देर मे वो भी पूरी गीली हो चुकी थी.
थोड़ी देर वो दोनो उछल कर नाचते कूदते रहे. फिर अचानक जय गंभीर चेहरा बनाए रुक गया और डॉली को खुशी से उच्छलते हुए देखने लगा.
थोड़ी देर डॉली कूदती रही और जय को भी कूदने को बोला. फिर डॉली ने देखा की जय का ध्यान डॉली की छाती पर ही था.
डॉली ने कूदते हुए ध्यान दिया की इन सब मस्ती वो भूल ही गयी थी की वो बारिश मे भीगने क्यू नही आना चाहती थी.
बारिश मे डॉली के सारे ब्रा गीले होने की वजह से सूखे नही थे उस वक़्त पहने हुए उस वाइट टीशर्ट के गीले होने से वो उसके बूब्स से चिपक चुका था.
डॉली के कूदने से उसके बूब्स लगभग नंगे होकर उछल रहे थे और जय का ध्यान उन पर जाते ही वो रुक चुका था. डॉली ने भी मामला समझा और कूदना रुक गया.
जय की नज़र अभी भी डॉली की छाती पर थी. कूदने से डॉली की साँस तेज चल रही थी और उसके भारी मम्मे उपर नीचे होकर मादक लग रहे थे.
जय ने कभी अपनी बड़ी बहन डॉली के बूब्स इस तरह नही देखे थे. डॉली भी इस तरह अपना अंग प्रदर्शन कर शर्मा गयी थी.
डॉली ने जल्दी से अपने हथेलियों से अपने बूब्स को धक लिया. जय का ध्यान अब छाती से हटकर डॉली के शरमाते चेहरे पर गया.
जय ने डॉली के हाथ को उसकी छाती से हटाया. डॉली सिर्फ़ जय का चेहरा देखते रह गयी और हाथ नीचे किए खड़ी रही.
जय आगे बढ़ा और कमर से डॉली का टीशर्ट पकड़ लिया और उपर उठाने लगा. डॉली ने उसका हाथ पकड़ लिया.
डॉली: “नही जय, यह ग़लत हैं”
Adultery चूत लंड की राजनीति
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Re: Adultery चूत लंड की राजनीति
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Re: Adultery चूत लंड की राजनीति
जय ने अपने हाथ हटाए और एक हाथ से डॉली को गर्दन के पीछे से पकड़ा और अपने चेहरे के पास उसका चेहरा लाया.
जय फिर एक झटके मे अपने होंठ को डॉली के होंठो के नज़दीक ले आया. दोनो के होंठ सिर्फ़ 1 इंच की दूरी पर थे. दोनो की सासें एक दूसरे से टकराने लगी.
जय: “क्या यह करना ग़लत हैं?”
डॉली: “हा”
जय थोड़ा पीछे हट गया.
जय: “तो फिर आपके होंठ अभी भी खुले क्यू हैं, किसका इंतेजार हैं”
डॉली: “ह्म्म्म्मम .. किसी का नही”
जय: “तो होंठ बंद करो”
डॉली: “नही करूँगी, देखती हूँ तुम क्या करोगे”
जय: “मैं आपके होंठ चूम लूँगा”
डॉली: “हिम्मत हैं तो चूम कर बताओ”
जय ने अपना टीशर्ट निकाल लिया और टॉपलेस हो गया. उसकी नज़रे एक बार फिर डॉली के बूब्स पर थी. वाइट टीशर्ट मे डॉली के निपल नुकीले होकर दिख रहे थे.
डॉली: “क्या देख रहे हो?”
जय: “एक खूबसूरत चीज़”
डॉली: “कब तक देखोगे?”
जय: “जब तक मेरे मूह मे नही आ जाती”
डॉली: “तो ले लो मूह मे”
जय ने डॉली की कमर से उसका टीशर्ट फिर पकड़ लिया. इस बार डॉली ने उसको नही रोका.
जय: “खोल दूं?”
डॉली: “मम्मी को क्या जवाब दोगे?”
जय ने अपना एक हाथ उठाया और दो उंगलियो के बीच टीशर्ट के उपर से ही डॉली का एक निपल पकड़ कर हल्का सा दबा कर छोड़ दिया.
डॉली: “आआअहह”
जय: “क्या हुआ दर्द हुआ?”
डॉली: “हा, मीठा वाला दर्द”
जय: “और दूं?”
डॉली ने शर्म से सिर्फ़ पलके झपकई. जय ने दूसरे निपल को भी उसी तरफ दो उंगलियो मे हल्का सा दबा दिया. डॉली की फिर से आ निकल गयी.
वो दोनो एक दूसरे को स्माइल करते हुए देखने लगे. दोनो के होंठ धीरे धीरे पास मे आने लगे. और फिर इतने पास गये की आपस मे टच हो गये.
एक बाअर टच होने के बाद दोनो ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया और एक दूसरे के होंठो पर टूट पड़े और चूमने और चूसने लगे.
उपर से बारिश हो रही थी पर उन दोनो भाई बहन के बदन मे लगी आग पर वो बूँदें पेट्रोल का काम रही थी. कभी पीठ, तो कभी गर्दन के पीछे तो कभी सर मे हाथ फेराए दोनो एक दूसरे से चिपक कर चूमे जा रहे थे जैसे बरसो के प्यासे थे.
थोड़ी ही देर मे वो चूम चूम कर तक चुके थे और होंठो को दूर किया. जय एक कदम पीछे हट गया. दोनो एक दूसरे की आँखों मे झाँक रहे थे.
डॉली ने अपना टीशर्ट उपर कर सर से बाहर निकाल दिया. डॉली अब टॉपलेस जय के साआँने भीगी हुई खड़ी थी. डॉली के बूब्स और नंगे शरीर पर पानी की बूँदें जमी थी.
डॉली के निपल तन कर उपर की तरफ खड़े थे. डॉली ने गर्दन उपर नीचे कर जय को इशारा किया और जय ने आगे बढ़ कर डॉली के निपल को अपने मूह मे भर लिया और पागलो की तरह चूसने लगा.
जय फिर एक झटके मे अपने होंठ को डॉली के होंठो के नज़दीक ले आया. दोनो के होंठ सिर्फ़ 1 इंच की दूरी पर थे. दोनो की सासें एक दूसरे से टकराने लगी.
जय: “क्या यह करना ग़लत हैं?”
डॉली: “हा”
जय थोड़ा पीछे हट गया.
जय: “तो फिर आपके होंठ अभी भी खुले क्यू हैं, किसका इंतेजार हैं”
डॉली: “ह्म्म्म्मम .. किसी का नही”
जय: “तो होंठ बंद करो”
डॉली: “नही करूँगी, देखती हूँ तुम क्या करोगे”
जय: “मैं आपके होंठ चूम लूँगा”
डॉली: “हिम्मत हैं तो चूम कर बताओ”
जय ने अपना टीशर्ट निकाल लिया और टॉपलेस हो गया. उसकी नज़रे एक बार फिर डॉली के बूब्स पर थी. वाइट टीशर्ट मे डॉली के निपल नुकीले होकर दिख रहे थे.
डॉली: “क्या देख रहे हो?”
जय: “एक खूबसूरत चीज़”
डॉली: “कब तक देखोगे?”
जय: “जब तक मेरे मूह मे नही आ जाती”
डॉली: “तो ले लो मूह मे”
जय ने डॉली की कमर से उसका टीशर्ट फिर पकड़ लिया. इस बार डॉली ने उसको नही रोका.
जय: “खोल दूं?”
डॉली: “मम्मी को क्या जवाब दोगे?”
जय ने अपना एक हाथ उठाया और दो उंगलियो के बीच टीशर्ट के उपर से ही डॉली का एक निपल पकड़ कर हल्का सा दबा कर छोड़ दिया.
डॉली: “आआअहह”
जय: “क्या हुआ दर्द हुआ?”
डॉली: “हा, मीठा वाला दर्द”
जय: “और दूं?”
डॉली ने शर्म से सिर्फ़ पलके झपकई. जय ने दूसरे निपल को भी उसी तरफ दो उंगलियो मे हल्का सा दबा दिया. डॉली की फिर से आ निकल गयी.
वो दोनो एक दूसरे को स्माइल करते हुए देखने लगे. दोनो के होंठ धीरे धीरे पास मे आने लगे. और फिर इतने पास गये की आपस मे टच हो गये.
एक बाअर टच होने के बाद दोनो ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया और एक दूसरे के होंठो पर टूट पड़े और चूमने और चूसने लगे.
उपर से बारिश हो रही थी पर उन दोनो भाई बहन के बदन मे लगी आग पर वो बूँदें पेट्रोल का काम रही थी. कभी पीठ, तो कभी गर्दन के पीछे तो कभी सर मे हाथ फेराए दोनो एक दूसरे से चिपक कर चूमे जा रहे थे जैसे बरसो के प्यासे थे.
थोड़ी ही देर मे वो चूम चूम कर तक चुके थे और होंठो को दूर किया. जय एक कदम पीछे हट गया. दोनो एक दूसरे की आँखों मे झाँक रहे थे.
डॉली ने अपना टीशर्ट उपर कर सर से बाहर निकाल दिया. डॉली अब टॉपलेस जय के साआँने भीगी हुई खड़ी थी. डॉली के बूब्स और नंगे शरीर पर पानी की बूँदें जमी थी.
डॉली के निपल तन कर उपर की तरफ खड़े थे. डॉली ने गर्दन उपर नीचे कर जय को इशारा किया और जय ने आगे बढ़ कर डॉली के निपल को अपने मूह मे भर लिया और पागलो की तरह चूसने लगा.
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Re: Adultery चूत लंड की राजनीति
डॉली भी आसमान की तरफ देखते हुए आहेयने भरने लगी. जय एक हाथ से एक बूब को दबा रहा था तो दूसरे बूब को मूह से चूस रहा था.
थोड़ी ही देर मे जय ने डॉली के गोरे बूब्स को लाल कर दिया था. डॉली स्माइल कर रही थी और जय भी. जय ने अब आपी पैंट नीचे खिसकई और पूरा नंगा हो गया.
जय का कड़क लंबा लंड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था. डॉली यह देख कर शर्मा गयी. जय ने शरारती अंदाज़ मे अपनी आँखों से डॉली की कमर के नीचे इशारा किया.
डॉली ने गर्दन हिला कर मना किया की वो अपना पाजामा नही उतारेगी. जय ने फिर से इशारा किया. डॉली ने अपने हाथ ने जय का लंड पकड़ लिया. जय की एक आ निकली.
डॉली: “क्या करना चाहता है इस से?”
जय: “वोही जो एक लड़का लड़की करते हैं”
डॉली: “क्या करते हैं?”
जय: “करके बताऊ?”
डॉली शर्मा गयी. जय ने फिर से इशारा किया और डॉली ने अपना पाजामा और पैंटी एक साथ नीचे कर निकाल दी. डॉली शरमाये हुए खड़ी थी.
जय की नज़रे अब डॉली की चूत पर थी. जय ने अपना हाथ आगे कर डॉली की चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा. डॉली ने भी जय का कड़क लंड पकड़ कर रगड़ दिया.
दोनो धीरे धीरे नीचे बैठे और फिर डॉली लेट गयी. जय डॉली की दोनो टाँगो के बीच आया और अपनी पोज़िशन बना कर बैठ गया.
जय ने अपना कड़क लंड डॉली की नाज़ुक चूत पर फेराया और फिर डॉली की चूत के होंठो को चौड़ा करते हुए अपना लंड अंदर घुसा दिया.
जय: “डॉली … आई विल फक यू”
डॉली: “आआआहह .. जय …. कम ओं फक मी … ”
जय ने अब आगे पीछे होते हुए धक्के मारने शुरू किए और डॉली को चोदने लगा. डॉली आहें भर रही थी और जय भी ज़ोर से साँसें लेते हुए चोदता रहा.
बारिश के च्चिंटो से भीगा डॉली का बदन सुलग रहा था और जय अपने लंड से उसको ठंडक दे रहा था. जय अब पूरा डॉली पर लेट गया.
दोनो के होंठ थोड़ी थोड़ी देर मे एक दूसरे को चूम और चाट रहे थे. जय के लंड के धक्के इस बीच डॉली की चूत पर बराबर पढ़ रहे थे.
उस बारिश का असर था या फिर बहन भाई की आपस मे पहली चुदाई की उत्तेजना थी, वो दोनो जल्दी ही अपने चरम की तरफ बढ़ने लगे थे.
दोनो भाई बहन का जूस छूटकर अब डॉली की चूत मे आकर मिल चुका था. जय के लंड के हर धक्के के साथ डॉली की चूत पूछक्क पूछक्क की आवाज़ करते हुए दोनो को नशा दे रही थी.
डॉली ने अपनी टांगे साँप की तरफ जय की टाँगो पर लपेट कर झकड़ ली थी. जय अब अपना नंगा बदन आगे पीछे डॉली के बदन पर रगड़ रहा था.
दोनो की साँसें बहुत भारी और तेज थी. दोनो एक दूजे को उत्तेजित कर अपने चरम पर बढ़ना चाहते थे.
डॉली: “ये … कम ओं … ह्म .. मजाअ रहा हैं … ज़ोर से कर ले … जय . .. आाईए … डाअल दे … उम्म्म ”
जय: “यह ले … ऊऊऊः … एयेए .. ये ले .. ये ले … और ले … अया आ आ आ उम्म्म ”
डॉली: “आआईए जय … ओह मम्मी … ओह मम्मी … मज़ा आ रहा हैं … अयाया चोद … ज़ोर से … जय … ज़ोर से .. कर ले”
जय: “अया डॉली … उहह तेरी चूत … बहुत गर्म हैं … आाईए .. उहह .. उहह .. ओह डॉली ..”
जय ने अपने लंड की पिचकारी को ज़ोर से दबाया और एक तेज धार लंड के जूस की डॉली की चूत मे उतर गयी. डॉली अपने बदन को उपर नीचे पटकने लगी.
दोनो ने एक दूसरे के शरीर को कस कर पकड़ लिया और चूमने लगे. दोनो मे होड़ मच गयी की कौन एक दूसरे की जीभ को चाट लेगा.
थोड़ी देर बाद वो तूफान शांत हो गया और दोनो एक दूसरे से चिपके पड़े रहे.
डॉली: “अपनी बहन को चोदते शर्म नही आई तुझे?”
जय: “नही आई, बोल क्या करेगी?”
डॉली: “जब तक तुझे शर्म नही आएगी तब तक मैं तुझसे चुदवाती रहूंगी”
जय: “फिर तो मुझे ज़िंदगी भर शर्म नही आएगी”
डॉली: “अभी उठ, मुझे गंदा कर दिया तूने”
जय अब डॉली के उपर से हट कर लुढ़क कर उसके पास ही लेट गया. बारिश की बूँदें अब उन दोनो के बदन को सॉफ कर रही थी. दोनो बारिश मे ऐसे ही नंगे थोड़ी देर लेटे रहे.
अगले एपिसोड मे पढ़िए ज्योति अपना इंतकाम आरके से कैसे लेती हैं.
थोड़ी ही देर मे जय ने डॉली के गोरे बूब्स को लाल कर दिया था. डॉली स्माइल कर रही थी और जय भी. जय ने अब आपी पैंट नीचे खिसकई और पूरा नंगा हो गया.
जय का कड़क लंबा लंड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था. डॉली यह देख कर शर्मा गयी. जय ने शरारती अंदाज़ मे अपनी आँखों से डॉली की कमर के नीचे इशारा किया.
डॉली ने गर्दन हिला कर मना किया की वो अपना पाजामा नही उतारेगी. जय ने फिर से इशारा किया. डॉली ने अपने हाथ ने जय का लंड पकड़ लिया. जय की एक आ निकली.
डॉली: “क्या करना चाहता है इस से?”
जय: “वोही जो एक लड़का लड़की करते हैं”
डॉली: “क्या करते हैं?”
जय: “करके बताऊ?”
डॉली शर्मा गयी. जय ने फिर से इशारा किया और डॉली ने अपना पाजामा और पैंटी एक साथ नीचे कर निकाल दी. डॉली शरमाये हुए खड़ी थी.
जय की नज़रे अब डॉली की चूत पर थी. जय ने अपना हाथ आगे कर डॉली की चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा. डॉली ने भी जय का कड़क लंड पकड़ कर रगड़ दिया.
दोनो धीरे धीरे नीचे बैठे और फिर डॉली लेट गयी. जय डॉली की दोनो टाँगो के बीच आया और अपनी पोज़िशन बना कर बैठ गया.
जय ने अपना कड़क लंड डॉली की नाज़ुक चूत पर फेराया और फिर डॉली की चूत के होंठो को चौड़ा करते हुए अपना लंड अंदर घुसा दिया.
जय: “डॉली … आई विल फक यू”
डॉली: “आआआहह .. जय …. कम ओं फक मी … ”
जय ने अब आगे पीछे होते हुए धक्के मारने शुरू किए और डॉली को चोदने लगा. डॉली आहें भर रही थी और जय भी ज़ोर से साँसें लेते हुए चोदता रहा.
बारिश के च्चिंटो से भीगा डॉली का बदन सुलग रहा था और जय अपने लंड से उसको ठंडक दे रहा था. जय अब पूरा डॉली पर लेट गया.
दोनो के होंठ थोड़ी थोड़ी देर मे एक दूसरे को चूम और चाट रहे थे. जय के लंड के धक्के इस बीच डॉली की चूत पर बराबर पढ़ रहे थे.
उस बारिश का असर था या फिर बहन भाई की आपस मे पहली चुदाई की उत्तेजना थी, वो दोनो जल्दी ही अपने चरम की तरफ बढ़ने लगे थे.
दोनो भाई बहन का जूस छूटकर अब डॉली की चूत मे आकर मिल चुका था. जय के लंड के हर धक्के के साथ डॉली की चूत पूछक्क पूछक्क की आवाज़ करते हुए दोनो को नशा दे रही थी.
डॉली ने अपनी टांगे साँप की तरफ जय की टाँगो पर लपेट कर झकड़ ली थी. जय अब अपना नंगा बदन आगे पीछे डॉली के बदन पर रगड़ रहा था.
दोनो की साँसें बहुत भारी और तेज थी. दोनो एक दूजे को उत्तेजित कर अपने चरम पर बढ़ना चाहते थे.
डॉली: “ये … कम ओं … ह्म .. मजाअ रहा हैं … ज़ोर से कर ले … जय . .. आाईए … डाअल दे … उम्म्म ”
जय: “यह ले … ऊऊऊः … एयेए .. ये ले .. ये ले … और ले … अया आ आ आ उम्म्म ”
डॉली: “आआईए जय … ओह मम्मी … ओह मम्मी … मज़ा आ रहा हैं … अयाया चोद … ज़ोर से … जय … ज़ोर से .. कर ले”
जय: “अया डॉली … उहह तेरी चूत … बहुत गर्म हैं … आाईए .. उहह .. उहह .. ओह डॉली ..”
जय ने अपने लंड की पिचकारी को ज़ोर से दबाया और एक तेज धार लंड के जूस की डॉली की चूत मे उतर गयी. डॉली अपने बदन को उपर नीचे पटकने लगी.
दोनो ने एक दूसरे के शरीर को कस कर पकड़ लिया और चूमने लगे. दोनो मे होड़ मच गयी की कौन एक दूसरे की जीभ को चाट लेगा.
थोड़ी देर बाद वो तूफान शांत हो गया और दोनो एक दूसरे से चिपके पड़े रहे.
डॉली: “अपनी बहन को चोदते शर्म नही आई तुझे?”
जय: “नही आई, बोल क्या करेगी?”
डॉली: “जब तक तुझे शर्म नही आएगी तब तक मैं तुझसे चुदवाती रहूंगी”
जय: “फिर तो मुझे ज़िंदगी भर शर्म नही आएगी”
डॉली: “अभी उठ, मुझे गंदा कर दिया तूने”
जय अब डॉली के उपर से हट कर लुढ़क कर उसके पास ही लेट गया. बारिश की बूँदें अब उन दोनो के बदन को सॉफ कर रही थी. दोनो बारिश मे ऐसे ही नंगे थोड़ी देर लेटे रहे.
अगले एपिसोड मे पढ़िए ज्योति अपना इंतकाम आरके से कैसे लेती हैं.
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Re: Adultery चूत लंड की राजनीति
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
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