क्रेजी ज़िंदगी

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डीजे के शोर से दूर आते ही मेरे कानों को राहत महसूस हुई। हम मैरियट गार्डन में चले आए, जो अभी रात के वक्त शांत था। दिसंबर की हवा में हल्की सर्दी थी और मैं अपने हाथों को रगड़ने लगी।
‘हम कहाँ जा रहे हैं?’ राज ने कहा।
‘लोगों की नज़रों से दूर।’ मैंने कहा। हमें एक बेंच मिल गई, जिस पर हम बैठ गए। एक-दूसरे के पास, जबकि हमारे सामने समुद्र था।
‘क्या कभी-कभी केवल साँसें लेते रहना ही खूबसूरत नहीं होता?’ मैंने कहा।
‘हाँ। लेकिन वे लोग हमें ढूँढने लगेंगे। जल्द ही एक सर्च पार्टी यहाँ पर आ धमकेगी।’
‘सबकुछ बहुत क्रेज़ी हो गया है। ’
‘डोंट वरी। दो दिन में सभी मेहमान चले जाएँगे। फिर मैं और तुम ही रह जाएँगे।’
‘हाँ।’ मैं सोच रही थी कि कैसे अपनी बात शुरू करूँ।
‘और जल्द ही हम बाली के लिए प्लेन में होंगे।’
‘हाँ राज, लेकिन...’
वह मुझे नज़रअंदाज़ कर एक्साइटेड तरीके से बोलता रहा। ‘और बाली सैन फ्रांसिस्को लौट जाने के बाद वीकेंड में मुझे अपार्टमेंट्‌स ढूंढने हैं।’
‘राज, मैं यह नहीं कर सकती।’
‘क्या? यह बहुत हेक्टिक जो जाएगा ना? ठीक है, हम अपार्टमेंट्‌स बाद देख लेंगे।’
‘मैं अपार्टमेंट खोजने की बात नहीं कर रही हूँ।’
‘फिर?’
‘यह। यह सब जो हो रहा है। आई एम सॉरी, मैं यह नहीं कर सकती।’
‘क्या? रिश्तेदार? हाँ, उन्होंने तो मेरी भी नाक में दम कर रखा है। पता नहीं हमें और कितनों के पैर छूने होंगे।’
मैंने उसका कंधा पकड़ा और उसे अपनी ओर कर लिया।
‘राज, मैं यह शादी नहीं कर सकती।’
‘क्या? सॉरी, मैं समझा नहीं।’
‘जो तुमने सुना, वही।’
उसने मेरी ओर देखा और हँस दिया।
‘क्या?’ मैंने कहा।
‘तुम बहुत फनी और स्वीट हो।’ उसने मेरे गाल खींचे।
‘स्वीट?’ मैंने कहा। उसे मंझधार में छोड़कर जाने में भला कौन-सी स्वीटनेस हो गई?
‘तुम नर्वस हो। और इसीलिए छोटे बच्चों की तरह बोल रही हो कि मैं यह नहीं कर सकती। यह स्वीट नहीं तो क्या है?’
‘ऐसा नहीं है...’
‘डर मुझे भी लग रहा है। मैं अकेला रहता हूँ। अब मेरे साथ कोई और भी रहने वाला होगा। यह मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है। फिर यह सब इतनी जल्दी में हो रहा है।’
‘जल्दी में? हम कई महीनों से इसकी प्लानिंग कर रहे थे।’
‘तुमने हाँ कह दिया, मैंने हाँ कह दिया। क्योंकि हमें कोई-ना-कोई फैसला तो करना ही था।’
‘राज, कैन यू प्लीज़ ट्रस्ट मी? मैं यह नहीं कर सकती।’
वह फिर मुस्करा दिया। उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया।
‘आज के बाद से तुम्हारे सारे डर मेरे हैं और मेरे तुम्हारे। तो चाहे तुम्हें डर लगे या कुछ और, मैं तुम्हारे साथ हूँ।’
मैं बेंच से उठी और उसके सामने खड़े हो गई।
‘राज, मुझे नहीं लगता कि तुम मेरी बात समझ पा रहे हो। यह नर्वसनेस नहीं है। मुझे कुछ ज़रूरी फैसले लेने हैं और मेरे दिमाग में खलबली मची हुई है।’
‘मुझे वह सुनकर मायूसी हुई लेकिन।’
‘लेकिन क्या?’
‘अंदर कोई दो सौ लोग नाच रहे हैं, हमारे मिलने की खुशी मे। एक मूड स्विंग अब हमारे फैसले नहीं ले सकता।’
‘ये मूड स्विंग नहीं है, राज?’
‘तो फिर क्या है? तुम मुझसे कुछ कहना चाहती हो?’
‘यह मेरा पास्ट है, जो आज भी मेरा पीछा कर रहा है।’
वह मेरी तरफ देखने लगा और सोचने लगा कि मैं क्या कहना चाह रही हूँ।
‘यह मेरा फ्यूचर भी है, जिसके बारे में मुझे तय करना है।’
राज का फोन बजा। वह मुस्करा दिया।
‘ये लो, सर्च पार्टी शुरू हो गई।’ उसने कहा और फोन उठा लिया।’ हाँ डैड, मैं यहीं पर हूँ। बस थोड़ी देर खुली हवा में साँस लेने चला आया था। हाँ, सुषमा भी मेरे साथ में है। हम केवल चैटिंग कर रहे हैं, डैड। ठीक है, हम आ रहे हैं।’
उसने फोन रखा और मेरी तरफ देखा।
‘बड़े-बुजुर्ग लोग जा रहे हैं। वे हमें आशीर्वाद देना चाहते हैं।’
‘सॉरी राज। मैं...’
‘हमें अभी जाना होगा। सुनो सुषमा, मैं लड़कियों के मामले में एक्सपर्ट नहीं हूँ। लेकिन शायद हर लड़की अपनी शादी से पहले ऐसे ही सोचती होगी, जैसे तुम सोच रही हो।’
‘सभी नहीं।’
‘शायद अरेंज्ड मैरिज में वे ऐसा सोचती हों। हम अब भी एक-दूसरे को जानते नहीं। क्या मैं कुछ सजेस्ट कर सकता हूँ?’
‘क्या?’
‘अपने रूम में जाओ और आराम कर लो। इन सभी मेहमानों और सेलिब्रेशन्स से तुम्हें दिक्कत हो रही है।’
‘वेल, ये मैंने ही चुना था कि मेरी शादी इतने ग्रैंड तरीके से हो।’
‘एग्ज़ैक्टली। तो शायद तुम्हारे डाउट्‌स केवल आखिरी समय में उपजने वाले अंदेशे भर हैं। थोड़ी देर आराम करने के बाद तुम बेहतर महसूस करोगी।’
‘लेकिन।’
‘डैड कॉलिंग अगेन।’ राज ने कहा और फोन उठा लिया।

रूम में पहुँचते ही मैने अदिति दीदी से अपना फोन वापस लिया। जैसे ही मैंने अपना फोन अनलॉक किया, मैसेजेस की बाढ़-सी आ गई। मैसेजेस इस तरह थे:
देबू : हे बेबी, क्या हो रहा है?
देबू : क्या मैं कोई मदद कर सकता हूँ? क्या मैं तुम्हारी साइड से किसी से बात कर सकता हूँ?
नील : मैं अपने रूम में ही रहूँगा। कभी भी अगर तुम्हें ज़रूरत हो तो।
नील : हम कब बात कर सकते हैं?
नील : क्या हम मिल सकते हैं? एक मिनट के लिए?
राज : होप यू आर फाइन। गेट सम रेस्ट, ओके?
राज : सब ठीक हो जाएगा। शांत रहो।
जब तीन मर्द मुझे हर घंटे एक दर्जन मैसेज भेज रहे हों और कल मेरी शादी हो, तब मैं भला कैसे शांत रहूँ? अभी तो मुझे यह भी नहीं मालूम कि मेरी शादी आखिर किससे होगी?
अदिति दीदी मेरे पास सी रही थी। वे पानी पीने के लिए उठीं तो मेरे हाथ में चालू फोन देखा।
‘सो जाओ, यू इडियट! नहीं तो अपनी वेडिंग पिक्चर्स में तुम डार्क सर्कल्स के साथ नज़र आती रहोगी।’
हाँ शायद अभी मुझे इसी बात की सबसे ज़्यादा चिंता होनी चाहिए कि क्या मेरी मेकअप लेडी मेरे डार्क सर्कल्स को छुपा पाएगी या नहीं। लेकिन मैं दूसरी लड़कियों जैसी क्यों नहीं हूँ?
टिंग। एक और मैसेज आया।
‘फोन साइलेंट पर रख दो।’ अदिति दीदी ने नींद में ही चिल्लाकर कहा।
मैंने अपना फोन देखा।
सूरज : होप आपको डेकोरेशंस पसंद आया, मैडम। आपका डांस बहुत अच्छा था।
मैंने फोन बंद कर दिया। आँखें मूँद लीं लेकिन सो नहीं पाई।
अब मैं क्या करूँ? सुषमा, द ग्रेट डिस्ट्रेस्ड एनालायिस्ट। इस डिस्ट्रेस्ट सिचुएशन से निकलने का कोई रास्ता तो तलाशो।
कुछ लोग फैसले लेने में अच्छे होते हैं। मैं उनमें से नहीं हूँ। कुछ लोग बहुत जल्दी सो भी जाते हैं। मैं उनसे से भी नहीं हूँ। रात के 3 बजे थे, लेकिन मैं अपने बिस्तर में करवटें बदल रही थी। पंद्रह घंटे बाद मेरी शादी होने वाली थी। होटल में दो सौ गेस्ट थे, जो यहाँ मेरी शानदार डेस्टिनेशन वेडिंग में शरीक होने आए थे। सभी एक्साइटेड थे। मैं दुल्हन थी। मुझे अपनी ब्यूटी स्लीप लेना चाहिए थी। लेकिन मैं सो नहीं पा रही थी। मुझे अभी अपनी ब्यूटी की चिंता नहीं थी। मैं यही सोच रही थी कि इस मुसीबत से कैसे निकला जाए।
3.30 बजे मैं उठी और कमरे के परदे हटा दिए। समुद्र अंधेरे में डूबा हुआ था। दूर जहाजों की बत्तियाँ टिमटिमा रही थीं। मेरे आँखों में चाँदनी भर गई।
ये तुम्हारी लाइफ है, सुषमा। इसका फैसला तुम्हें ही करना है। किसी ने मेरे भीतर कहा। यह एक शांत आवाज़ थी, मिनी-मी की शोरगुल से भरी आवाज़ नहीं।
‘कौन हो तुम?’ मैंने खुद से पूछा।
यह मैं हूं, तुम्हारे मन की आवाज़।
‘मेरे भीतर रहने वाली मेरी क्रिटिक, जिस लगता है कि मैं एक टोटल बिच हूँ?’
नहीं, वह जिसे लगता है तुम्हें खुशी के साथ जीने का हक है।
‘रियली? मेरे भीतर ऐसा भी कोई इंसान है?’
सभी के भीतर ऐसा एक इंसान होता है।
‘वेल, तो मैं क्या करूँ? किसको चुनूँ?’
शांत रहो, सुषमा। शांत रहो। तुम्हें जवाब मिल जाएगा।
मैं वही तो कर रही थी। पिछले आधे घंटे से मैं जैसे ध्यान लगा रही थी। मेरी आँखें अंधेरे में डूबे समुद्र पर जमी हुई थीं। धीरे-धीरे जैसे मेरे सिर पर से बोझ हटने लगा। मैं समझने लगी कि मुझे क्या करना चाहिए।
मैंने अपना फोन निकाला और देबू, नील और राज तीनों को एक ही मैसेज भेज दिया : ‘यू देयर?’
सबसे पहले देबू का रिप्लाई आया। चंद ही सेकेंड बाद।
‘यस बेबी। सोने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन सो नहीं पा रहा।’
‘5 बजे मुझसे होटल कॉफी शॉप पर मिलो।’ मैंने जवाब दिया।
‘ओह रियली? दैट्स ग्रेट। यानी एक घंटे बाद। सी यू।’
उसने मुझे कुछ एक्साइटेड और हैप्पी स्माइली भी भेजे।
‘थैंक्स।’ मैंने जवाब दिया। ‘सी यू।’
दस मिनट बाद नील का जवाब आया।
‘यस, आई एम हियर।’
मैंने उसे वही लिख दिया, जो देबू को लिखा था। सुबह 5 बजे कॉफी शॉप पर मिलो।
‘ओके श्योर।’ उसका जवाब आया।
राज का रिप्लाई 4.30 पर आया।
‘हे, गुड मॉर्निंग। तुम अभी से जाग गईं? आराम किया या नहीं?’
‘मैं ठीक हूँ।’
‘गुड। वॉट्‌सअप?’
मैंने उसे भी वही लिख दिया, जो देबू और नील को लिखा था।
‘रियली? इतनी सुबह?’
‘कैन यू? प्लीज़?’
‘ऑफ कोर्स। सी यू।’
मैंने अपना फोन एक तरफ रख दिया और एक गहरी सॉस ली। अदिति दीदी जाग गईं।
‘तुम वहाँ सोफे पर क्या कर रही हो?’
‘अपनी लाइफ को फिक्स कर रही हूँ।’
‘क्या?’
‘कुछ नहीं। बस शॉवर लेने जा रही हूँ, ’ मैंने कहा और बाथरूम में चली गई।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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ठीक 5 बजे मैं कॉफी शॉप पहुँच गई। नील और देबू वहाँ पहले ही पहुँच चुके थे। वे अलग-अलग टेबल्स पर बैठे थे, एक-दूसरे से अनजान। देबू ने सफेद कुर्ता पायजामा पहन रखा था और अपनी दाढ़ी और चश्मे के कारण वह कोई कम्युनिस्ट इंटेलेक्चुअल लग रहा था। नील ने एक डार्क ब्यू शर्ट और बेहतरीन इस्तरी किए हुए बीज शॉर्ट्स पहने थे। मैंने सिम्पल सफेद सलवार कमीज़ पहनी थी और वह शादी के लिए पहनने वाले कपड़ों से कहीं ज़्यादा कंफर्टेबल थी। इंडिगो एयरलाइंस के चार क्रू मेंबर्स दूसरी टेबल पर बैठे कॉफी पी रहे थे। इनके अलावा कॉफी शॉप में कोई और कस्टमर्स नहीं थे। सुबह हुई ही थी और भोर की ठंडी हवा मेरे बालों को सहला रही थी, जो शॉवर के बाद अभी तक गीले थे।
जैसे ही मैं कॉफी शॉप में घुसी, नील और देबू दोनों उठकर मेरे पास आ गए।
‘हे, ’ देबू ने कहा।
‘हाय, लुकिंग फ्रेश।’ नील ने कहा।
नील और देबू ने एक-दूसरे को सरप्राइज़ और कंफ्यूजन के साथ देखा।
‘गुड मॉर्निग, देबू। ये है नील। नील, दिस इज देबू।’ मैंने कहा।
‘गुड मॉर्निग, ‘देबू ने कहा। वह सिचुएशन को समझने की कोशिश कर रहा था।
‘हाय।’ नील ने देबू से कहा।
‘लेट्‌स हैव सम ब्रेकफास्ट।’ मैंने कहा।
मैं एक सी-फेसिंग टेबल पर बैठ गई। दोनों अपनी जगह पर खड़े रहे।
‘आओ तुम दोनों।’ मैंने कहा और मुस्करा दी।
वे हिचकिचाहट के साथ बैठ गए। वेटर ऑर्डर लेने आया।
‘मैं एक कपूचिनो और ब्राउन-ब्रेड टोस्ट लूंगी। पीनट बटर और हनी के साथ। और आप लोग?’ मैने कहा।
देबू और नील ने एक-दूसरे की ओर देखा।
‘ब्लैक कॉफी। पॉरिज।’ नील ने कहा।
‘ऑरेंज जूस।’ देबू ने कहा।
वेटर चला गया। मैं मुस्कराती रही और उन दोनों की कंफ्यूज्ड हालत का मज़ा लेती रही।
‘ये तुम्हारे फ्रेंड है?’ नील ने देबू के बारे में पूछा।
‘हाँ, तुम ऐसा कह सकते हो।’
‘तुम मुझे प्रॉपरली इंट्रोड्‌यूस करना चाहोगी?’ देबू ने अपना गला साफ करते हुए कहा।
‘बिलकुल।’
‘यस, बिकाँज़ सॉरी देबू, मैं तुम्हें जानता नहीं और उस वजह से यह सब बहुत कंफ्यूजिंग और सरप्राइज़िग हो गया है।’ नील ने कहा।
‘आप दोनों मेरे एक्स हैं। मेरे पास्ट लवर्स।’ मैंने कहा।
यदि प्राइसलेस एक्सप्रेशंस के लिए कोई पुरस्कार होता तो इस वक्त नील और देबू दोनों को नोबेल मिलता।
‘सॉरी, मैं समझा नहीं।’ नील ने कहा।’ मैं तुम्हारा एक्स हूँ?, लेकिन ये कौन है?’
‘देबू, मेरा न्यूयॉर्क वाला बॉयफ्रेंड। मैंने बताया था ना?’
‘ओह दैट गाय, ’ नील ने कहा।
‘नील भी तुम्हारा एक्स है? सॉरी, ये कब हुआ?’ देबू ने कहा।
‘हांगकांग में।’
‘ओह, ’ देबू ने कहा और चुप हो गया। वह नील का अच्छी तरह से मुआयना कर रहा था।
‘यस, नील ओल्डर हैं, देबू। मच ओल्डर। वे मैरिड भी हैं।’ मैंने कहा।
‘मैरिड था। अभी नहीं हूँ।’ नील ने मुझे करेक्ट करते हुए कहा। ‘तो देबू तुम्हारी शादी में आया है? दैट्‌स नाइस।’
‘नहीं, वो यहाँ शादी अटेंड करने नहीं आया है। वो यहाँ मुझसे शादी करने आया है। वह खुद दूल्हे की जगह पर बैठना चाहता है यहीं, इसी जगह।’
‘क्या? ’नील ने कहा।’ मैं तो समझ रहा था तुम दोनों के बीच सबकुछ ख़त्म हो गया है। ये वही इंसान है ना, जिसकी वजह से तुम्हें न्यूयॉर्क छोड़ना पड़ा था?’
‘हाँ, लेकिन अब उसका हार्ट चेंज हो गया है। जस्ट लाइज़ यू।’
फिर मैं देबू की ओर मुड़ी।
‘और देबू, नील भी यहाँ मेरी शादी रुकवाने के लिए ही आए हैं। उनका स्टाइल थोड़ा डिफरेंट है। वे अपने साथ चार्टर्ड जेन लेकर आए हैं।’
देबू की आँखें फटी-की-फटी रह गई।
‘तो तुम देख सकते हो कि ये कितने अमीर हैं। और तुमको अमीरों से हमेशा ही प्रॉब्लम रही है।’
‘मैं... मैं... मैं...’ देबू हकलाने लगा। ‘मुझे अमीरों से कोई प्रॉब्लम नहीं है। किसने कहा तुम्हें?’
नील बीच में बोल पड़ा, ‘मैं चार्टर्ड प्लेन से इसलिए नहीं आया कि मैं अपनी अमीरी दिखाना चाह रहा था। लेकिन मेरे सामने वही बेस्ट ऑप्शन था।’
‘नील, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। लेकिन आप दोनों सिचुएशन को समझने की कोशिश करो। आप दोनों यहाँ पर मेरी शादी रुकवाने के लिए आए हो, जो कि चंद ही घंटों में होने जा रही है। इतना ही नहीं, आप यह भी चाहते हो कि मैं आपसे शादी कर लूँ। तो जैसी कि उम्मीद की जा सकती है, इसने मुझे खासी परेशानी में डाल दिया है।’
वेटर हमारा नाश्ता लेकर आ गया। नील और देबू अपनी अपनी सीट पर असहज होकर बैठे थे और एक-दूसरे को अवॉइड करने की कोशिश कर रहे थे। मैं आराम से अपने टोस्ट पर पीनट बटर लगाती रही। वेटर के जाने के बाद देबू बोला।
‘सॉरी सुषमा, मुझे नहीं मालूम था कि तुम्हारा एक एक्स बॉयफ्रेंड यहाँ पर है। क्या इन जेंटलमैन को एक बॉयफ्रेड बोला भी जा सकता है? ये कितने ओल्ड और मैरिड है।’
‘मैं अब मैरिड नहीं हूँ। और मेरा नाम नील है, नील गुप्ता।’ नील ने अपनी कमीज़ की कॉलर ठीक करते हुए कहा।
‘वॉटेवर। लेकिन, सुषमा, मुझे तो लगा था कि हम यहाँ पर अकेले मिलेंगे। वैसे भी तुम्हें मेरे साथ ही जाना चाहिए।’
‘क्यों? तुम भूल गए तुमने उसके साथ कैसा सलूक किया था? उसे तुम्हारे कारण अमेरिका छोड़ना पड़ा।’ नील ने कहा।
‘तुम्हारे लिए भी, नील।’ मैंने कहा।
नील ने हैरत से मेरी ओर देखा।
‘सुषमा, मैंने सॉरी कह दिया था। मैंने कभी तुम्हारी बेइज़्ज़ती नहीं की। हाँ, मुझे थोडा कंफ्यूज़न जरूर था, लेकिन अब वैसा कुछ नहीं है।’
‘मिस्टर नील, बेहतर होगा अगर आप अपनी उम्र की कोई ढूँढ लें।’ देबू ने बीच में टोकते हुए कहा।
‘उम्र से ज़्यादा महत्त्व कनेक्शन का होता है। और सॉरी टु से, लेकिन मैं तुमसे ज़्यादा फिट लग रहा हूँ।’ नील ने कहा।
मैं इस बातचीत पर यकीन नहीं कर पा रही थी। मैं अपनी हँसी रोकने की पुरजोर कोशिश कर रही थी। सच कहूँ तो मुझे अच्छा लग रहा था कि वे दोनों मुझको लेकर लड़ रहे थे। मेरा बस चलता तो दिनभर यह नाटक देखती रहती, लेकिन मेरे पास समय नहीं था।
‘बॉयज़-बॉयज़, लड़ना बंद करो और जो मैं कह रही हूँ, उसको सुनो।’ मैंने कहा।
‘मैं जानता हूँ तुम मुझे चाहती हो बेबी। मैं तुम्हारा पहला प्यार हूँ।’ देबू ने कहा।
‘जो अकसर एक गलती साबित होता है। हमारे बीच एक खास कनेक्शन है सुषमा, प्यार से भी परे। हम एक जैसे हैं और तुम यह जानती हो।’ नील ने कहा।
‘मुझे तो लगता है कि आप दोनों सबसे ज़्यादा अपनी आवाज़ को प्यार करते हैं। क्या आप कुछ देर चुप रहेंगे ताकि मैं कुछ बोल सकूँ?’ मैंने कहा।
दोनों ने हामी भर दी।
‘थैंक्स।’ मैंने कहा। ‘सॉरी, मैं तुम दोनों के साथ यह कर रही हूँ। लेकिन शायद तुम दोनों एक-दूसरे से कुछ सीख सकते हो।’
‘इट्स फाइन, ’ नील ने कहा।
‘देबाशीष सेन, तुम्हें हमारी न्यूयॉर्क की वह वॉक याद है, जब तुमने कहा था कि लड़कियाँ कुछ भी कर सकती है कि लड़कियों को उड़ना चाहिए। तुमने कुछ फ़ेमिनिस्ट किताबों के बारे में भी बताया था।’
‘हाँ।’ देबू ने कहा।
‘यह सब सुनने में ही अच्छा लगता है। लेकिन असल ज़िंदगी में एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड के प्रमोशन की पार्टी दे सकती है, जबकि बॉयफ्रेड से अपनी गर्लफ्रेड को मिलने वाला बोनस बर्दाश्त नहीं होता। है ना?’
‘ऐसा नहीं है... ‘उसने कहा, लेकिन मैंने उसे बीच में ही टोक दिया।
‘मुझे बोलने दो। तुमने कहा लड़कियों को उड़ना चाहिए, लेकिन जब मैंने ऊँची उड़ान भरी तो तुम मेरे पंख कतरने लगे।’
देबू की नज़रें नीची हो गई। तब मैं नील की ओर मुड़ी।
‘नील, तुमने मुझे इसीलिए प्यार किया, क्योंकि मैं उड़ रही थी और तुम चाहते थे कि मैं और ऊँची उड़ान शरूँ।’
‘बिलकुल।’
‘लेकिन पता है तुमसे कहाँ भूल हुई?’
‘कहाँ?’
‘तुम नहीं चाहते थे कि मेरा अपना कोई घोंसला हो।’
नील के पास इसका कोई जवाब नहीं था।
‘मैं इक्वल राइट्‌स में यकीन करता हूँ, तुम यह जानती हो।’ नील ने कहा।
‘तुम इस बात को समझ नहीं पाए कि मैं बेवकूफ बनने को तैयार नहीं थी? शायद इक्वल राइट्‌स देने का मतलब लड़कियों को समान अधिकार देना होता है, लेकिन समान चीज़ नहीं। समान अधिकार, वह हासिल करने के लिए जो वे चाहती हैं, वह नहीं जो मर्द चाहते हैं।
देबू अपना सिर खुजाने लगा।
‘इसका क्या मतलब?’ नील ने कहा।
‘तुम क्या चाहती हो? कैरियर? घर?’ देबू ने कहा। ‘मैं सचमुच कंफ्यूज्ड हूँ।’
‘हाँ, तुम चाहती क्या हो? जो तुम चाहती हो, वही चुनो, सुषमा।’ नील ने कहा।
मैंने कॉफी का एक सिप लिया।
‘आह, चुनना। यह चुनना ही तो फेमिनिज्म का बेंचमार्क वर्ड है, राइट? यदि मैं औरतों को अपना घर और कैरियर चुनने की आज़ादी दूँ, तो मैं एक ग्रेट फ़ेमिनिस्ट हूँ।’
‘मैं समझा नहीं। इसमें गलत क्या है?’ नील ने कहा।
‘हाँ, यही तो फेयर बात है कि औरतों को चुनने की आज़ादी मिले।’ देबू ने कहा।
‘नहीं, यह फेयर नहीं अनफेयर है। क्योंकि यही तो बुनियादी दिक्कत है। पता है हम औरतें सचमुच क्या चाहती हैं? हम चुनना ही नहीं चाहतीं। हम उड़ना भी चाहती हैं और अपना एक खूबसूरत घोंसला भी चाहती है। हम ये दोनों चाहती हैं।’
‘मैं तो कुछ भी समझ नहीं पा रहा हूँ।’ देबू ने कहा। नील भी कंफ्यूज्ड लग रहा था।
‘अगर मर्दों के नज़रिए से सोचें तो वे क्या चाहते हैं? एक कैरियर, है ना?’
‘हाँ।’ देबू ने कहा।
‘मर्द सेक्स चाहते हैं, राइट? कोई जजमेंट नहीं है, लेकिन वे सेक्स चाहते है, ठीक?’
‘हाँ।’ इस बार नील ने कहा। मैं पलभर को रुकी और फिर बोलने लगी।
‘तो कैसा हो अगर पुरुषों के अधिकार के नाम पर उन्हें एक च्वॉइस दे दी जाए तो वे क्या चुनेंगे? कैरियर या सेक्स? उन्हें इक्वल राइट्‌स दिए जा रहे है और उन्हें चुनना चाहिए। वे क्या चाहेंगे : सेक्स या कैरियर?’
‘सॉरी, लेकिन यह एक बहुत बेतुकी च्वॉइस है।’ नील ने कहा।
‘बिलकुल। तुम सही हो, नील। यह बिलकुल एक बेतुकी च्वॉइस है। उतनी ही बेतुकी च्वॉइस, जैसी कि औरतों के सामने रखी जाती है : या तो उड़ो या घोंसले में रह लो। तुम दोनों चाहते हो, लेकिन औरतों से उम्मीद करते हो कि वे इन दोनों में से कोई एक चुनें?’
मैंने कॉफी के तीन सिप ले लिए, तब जाकर नील ने कुछ कहा।
‘मैं समझ गया। औरतें सबकुछ चाहती है। अच्छा घर। अच्छा परिवार। माँ बनना और अपने कैरियर को चमकाना भी।’
‘लेकिन यह प्रैक्टिकली पॉसिबल कैसे है? कैरियर का मतलब है ऑफिस में लंबा समय बिताना। घर का मतलब है बच्चे और उनकी जिम्मेदारियाँ।’ देबू ने कहा।
‘एग्ज़ैक्टली! तुमने कभी सोचा कि यह प्रैक्टिकल क्यों नहीं है?’ मैंने कहा।
‘क्यों?’ देबू ने कहा।
‘क्योंकि यह दुनिया मर्दों ने बनाई है। उन्होंने ऑफिस की टाइमिंग्स तय की हैं : नौ से छह, हफ्ते में पाँच दिन। औरतें वर्कफोर्स का हिस्सा नहीं हुआ करती थीं, लेकिन वे अब है। ये टाइमिंग्स मर्दों के लिए ठीक है, उन्हें घर पर माँ की भूमिका नहीं निभानी होती है। लेकिन हम क्या करें?’
‘हम यानी?’
‘हम यानी पूरी दुनिया। ऐसा कब होगा कि हम इसमें बदलाव लाएँगे? बदलाव लाना तो दूर हम इसको समझने की कोशिश तक नहीं कर रहे हैं।’
मैं गहरी साँस लेने के लिए रुकी। फिर उनकी बातें सुनने के लिए आगे की तरफ झुकी।
‘तुम्हारी बात में दम है। मान लिया। मैं समझ नहीं पाया था कि तुम्हारे भीतर अपना एक परिवार बनाने की भी गहरी इच्छा है। शायद इसी से बहुत गलतियाँ हो गई।’ नील ने कहा।
‘ मैंने तुम पर अपने विचार थोप दिए। एक अच्छा कैरियर बनाने की तुम्हारी इच्छा को नज़रअंदाज़ कर दिया। इसके लिए मुझे माफ कर दो लेकिन मेरा साथ मत छोड़ो। मै तुम्हारा साथ दूँगा।’ देबू ने कहा।
‘नहीं।’ मैंने कहा। मेरी आवाज़ जैसे मेरे भीतर कहीं गहराई से आ रही थी।’
‘अगर तुम मुझको चुनोगी तो तुम एक सही फैसला कर रही होगी, सुषमा।’ नील ने कहा।
‘नहीं, नील। तुम भी नहीं।’
‘क्या?’
मैंने समय देखा। 5 बजकर 28 मिनट हो चुके थे।
‘मैं तुम दोनों के ही साथ जाने को तैयार नहीं हूँ। तुम दोनों में कुछ बुनियादी बातें हैं, जो बदलेंगी नहीं। देबू, तुम कहते हो कि तुम मेरा साथ दोगे, लेकिन जिस तरह से तुम मेरी कामयाबी देखकर सकपका गए, उससे तो ऐसा नहीं लगता, जबकि मैं तो आगे चलकर और कामयाब होना चाहती हूँ।’
‘लेकिन सुषमा...’ देबू ने कहना शुरू किया, लेकिन मैंने अपने होंठों पर ऊंगुली रखकर उसे चुप होने को कह दिया।
‘और नील, इसमें कोई शक नहीं कि तुम कमाल के हो। चार्टर्ड प्लेन के बारे में सोचकर यूँ भी कोई फ्लैट हो जाएगा।... और अब तो तुमने डाइवोर्स भी ले लिया है। लेकिन सच यह है कि तुम मुझे आधा ही प्यार करते हो। और मेरा दूसरा भाग है कुसुम, जिसे तुमने छोड़ दिया है। तुम्हें एक पार्टी गर्ल चाहिए। एक जवान लड़की, जो तुम्हें इस बात का अहसास दिलाती रहे कि तुम भी अभी जवान हो। लेकिन मैं कब तक एक जवान लड़की बनी रहूँगी? और तब नील गुप्ता मेरे साथ क्या करेंगे, कौन जानता है? नील अपनी यंग वाइस प्रेसिडेंट सुषमा को चाहते है, लेकिन जब यही सुषमा उनके बच्चों के डायपर बदल रही होगी, तब भी क्या वे उसे चाहेंगे?’
‘ऑफ कोर्स, मैं... ’
‘श्श्श! मैं कंप्रोमाइज़ करने और कम पर राज़ी होने को तैयार नहीं हूँ। मैं मन बना चुकी हूँ। मेरी बातें सुनने के लिए थैंक्यू। अब कोई लेक्चर नहीं, सीधे एक्शन प्लान पर बात करते हैं।’
‘क्या?’ देबू ने कहा।
‘मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों अभी इसी वक्त यहाँ से चले जाओ। इस होटल से, गोवा से और मेरी ज़िंदगी से। आज के बाद तुम दोनों कभी मुझे, मेरी फैमिली या मेरे मेहमानों को तंग नहीं करोगे। कोई मैसेज नहीं, कोई कॉल्स नहीं। तुम दोनों मेरा पास्ट हो और अपने पास्ट को मैं दफना चुकी हूँ। तो प्लीज़।’ मैंने बाहर के रास्ते की ओर इशारा करते हुए कहा।
‘लेकिन, ’ देबू ने कहा।
‘मैं तुम दोनों से बहुत अच्छी लैंग्वेज में कह रही हूँ कि यहाँ से दफा हो जाओ। प्लीज़, इसको एप्रिशिएट करो। और सच में यहाँ से दफा हो जाओ।’
देबू और नील एक-दूसरे की ओर देखते रहे। फिर उन्होंने मेरी तरफ देखा और जाने के लिए उठ खड़े लुए। चुपचाप वे उस रेस्तरां और मेरी ज़िंदगी से बाहर चले गए, दोनों एक साथ।
जैसे ही वे बाहर गए, राज भीतर आया। वह सीधे मेरे पास आया। उसने ग्रे वर्कआउट क्लॉथ्स पहन रखे थे। उसने देखा कि टेबल पर इस्तेमाल की जा चुकी क्रॉकरी और कटलरी रखे हुए हैं।
‘गुड मॉर्निग, मेरी होने वाली वाइफ।’ उसने कहा। ‘ये लोग, ये तुमसे मिलने आए थे?’
‘गुड मॉर्निग, राज। आओ, हमें कुछ बात करनी है।’ मैंने कहा। उसने मेरा गंभीर चेहरा देखा तो मेरे पास में बैठ गया।
‘हाँ श्योर। बाय द वे, सफेद रंग तुम पर बहुत सूट करता है।’ उसने कहा।
‘थैंक्स।’
राज ने एक प्लेन डोसा और कॉफी ऑर्डर की।
‘कल रात से बेहतर महसूस कर पा रही हो?’ वेटर के जाते ही राज ने कहा।
‘कुछ-कुछ।’
‘होता है। रात के वक्त हम कुछ ज़्यादा ही परेशान हो जाते है। डोंट वरी। बस यह याद रखो कि जीवन में जो कुछ भी होता है, आख़िरकार वह अच्छे के लिए ही होता है।’
‘तुम सचमुच इसमें यकीन करते हो?’ मैंने कहा।
‘हाँ।’
‘गुड। तो राज, मैंने रातभर इस बारे में सोचा। यह मुझे ठीक नहीं लग रहा है। मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती।’
‘क्या?’ उसने कहा।’ आर यू सीरियस? तुम्हारी नर्वसनेस मैं समझ सकता हूँ लेकिन... ’
‘अब मैं अपने पैरेंट्‌स को बताने जा रही हूँ और उसके बाद तुम्हारे पैरेंट्‌स को।’
‘क्या?’
‘बशर्ते तुम खुद ही पहले उनसे बात नहीं कर लेते और मुझ पर इसका दोष नहीं डाल देते। मैं तो यही प्रिफर करूँगी।’
‘सुषमा!’
मैं उसे इग्नोर कर बोलती रहाँ।
‘मैं सारे बिल्स सेटल कर दूँगी। तुम्हारी फैमिली को कुछ पे नहीं करना पड़ेगा। आई एम सो सॉरी फॉर दिस एंड... ’
राज ने मुझे बीच में ही रोक दिया।
‘तुम अपने आपको समझती क्या हो?’ उसने ऊँची आवाज़ में कहा। उसके इस तेवर से मैं चौंक गई।
‘आई एम सॉरी। मैं समझ सकती हूँ कि तुम अपग्रेट होगे।’ मैंने कुछ देर बाद कहा।
‘तुम समझ सकती हो? बस इतना ही? मेरी पूरी फैमिली यहाँ पर है।
हम लोग पिछले एक हफ्ते से सेलिब्रेट कर रहे हैं। आज हमारी शादी है। मैं उन्हें जाकर क्या बोलूँगा? यह कि दुल्हन मना कर रही है? कि अब उसकी शादी करने की कोई इच्छा नहीं है?’
‘ये सब मेरी गलती है। मैं समझती हूँ।’
‘सब लोग यहाँ पर हैं, सुषमा। एवरीवन।’
‘जानती हूँ।’
वेटर डोसा और कॉफी लेकर आया, लेकिन राज ने उन्हें छुआ तक नहीं।
‘क्या मैं जान सकता हूँ क्यों?’ राज ने कहा।
मेरी आँखों से आँसू बहने लगे।
‘क्या बात है, सुषमा?’
‘जिन लोगों को तुमने यहाँ से जाते हुए देखा था, वे मेरा पास्ट हैं। मेरे एक्स।’
उसने रेस्तरां के एग्जिट पर मुड़कर देखा।
‘इट्स ओके। अब वे जा चुके हैं।’ मैंने कहा।
‘उन्हें तुमने यहाँ बुलाया था?’
मैंने उसे संक्षेप में बताया कि पिछले एक हफ्ते से गोवा में क्या हो रहा है। उसने ध्यान से सुना। आखिरी में उसके चेहरे पर शक एक्सप्रेशन नज़र आ रहा था।
‘क्या खूब कहानी है।’ उसने कहा।
‘हाँ, मेरा पिछला सप्ताह इसी तरह बीता है।’
‘तो तुमने फाइनली क्या डिसाइड किया?’
‘ मैंने उन्हें गेट आउट कर दिया। गोवा से और अपनी ज़िंदगी से, हमेशा के लिए।’
‘गुड। तो फिर क्या दिक्कत है? तुम्हारा पास्ट तो जा चुका है।’
‘लेकिन मैं अपने आज में भी नहीं हूँ। सच कहूँ तो मैं कहीं भी नहीं हूँ। मुझे अपने को खोजना है।’
‘खोजना? तुमने मुझे बताया कि तुम दो रिलेशनशिप्स में रह चुकी हो। लेकिन अगर वे पास्ट का हिस्सा है तो मुझे उसकी परवाह नहीं।’
‘नहीं राज। यह शादी नहीं हो पाएगी। आई एम सॉरी।’ मैंने कहा और उठ खड़ी हुई।
उसने मेरी ओर देखा। मेरे एक्सप्रेशन से वह समझ गया कि मैं किसी भी किस्म की बातचीत के लिए तैयार नहीं हूँ। वह चुप रहा। मैं उठी और कॉफी शॉप से बाहर निकल गई।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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41
गोवा के मेरे रूम में मरघटी नजारा था। फाइव स्टार लग्जरी और सोने से लदी मेरी आंटियों के बावजूद लोगों के चेहरे लटके हुए थे। मैंने सबको अपना फ़ैसला बता दिया था। मेरी माँ इस पर बदहवास हो गई थीं। पापा ठोस चेहरा लिए खडे रहे। मेरी आंटियाँ माँ को घेरे हुए थीं और उन्हें दिलासा दे रही थीं। लेकिन मन-ही-मन वे उछल रही थीं। मैंने उन्हें आने वाले कई महीनों के फैमिली गॉसिप की रसद मुहैया करा दी थी।
कमला बुआ ने अभी तक हार नहीं मानी थी।
‘राज ने तुमसे कुछ कहा? सच-सच बताना।’
‘मैं कई बार बता चुकी हूँ कि उसका इससे कोई ताल्लुक नहीं है। वह तो बहुत स्वीट है।’
‘तो फिर प्रॉब्लम क्या है, पागल लड़की?’ माँ ने ज़ोर से चिल्लाकर कहा।
वे आई और मुझे कसकर एक तमाचा जड़ दिया। इससे पहले कि वे दूसरा तमाचा मारतीं, कमला बुआ ने उन्हें रोक लिया। मैंने कुछ रिएक्ट नहीं किया।
‘नहीं अपर्णा, अपने पर काबू करो। सांई बाबा सब ठीक कर देंगे।’ कमला बुआ ने कहा।
‘क्या ठीक कर देंगे? हम बर्बाद हो गए। और इसको तो देखो, अब भी मुझे घूरकर देख रही है।’
‘मुझ पर हाथ उठाने की कोई ज़रूरत नहीं है, मॉम।’ मैंने कहा। मेरा चेहरा लाल हो गया था और मैं अपने आँसुओं को रोकने की भरसक कोशिश कर रही थी।
‘तो मैं तुम्हारे पागलपन का इलाज करने के लिए क्या करूँ? अदिति को देखो। थर्ड ईयर में उसकी इंगेजमेंट हो गई थी और ग्रेजुएशन होते ही उसने शादी कर ली।’
‘मैं अदिति दीदी नहीं हूँ।’
‘लड़कियों को ज़्यादा पढ़ा देने से यही होता है।’ कमला बुआ ने कहा।
‘ये सब इसके पापा की गलती है। उन्होंने कभी इसकी किसी बात पर ना नहीं कहा। अहमदाबाद, न्यूयॉर्क, हांगकांग, जहाँ भी यह जाना चाहती थी, वहाँ इसे जाने दिया।’
‘क्या आप डैड को इस सबसे बाहर रखेंगी, मॉम?’ मैंने कहा। फिर मैं सबकी ओर मुड़ी और अपने हाथ बाँध लिए।
‘आप सभी से मैं रिक्वेस्ट करती हूँ कि जो कुछ हुआ, उसके लिए मुझे ही ज़़िम्मेदार ठहराएँ, किसी और को नहीं। आप मुझे जज कर सकते हैं, लेकिन प्लीज़ मेरे पैरेंट्‌स को जज करने की कोशिश मत कीजिए।’
मेरी आंटियों और अंकलों ने एक-दूसरे की ओर देखा।
मैं बोलती रही : ‘इसे गोवा में बिताई गई छुट्टियों की तरह लीजिए। समझ लीजिए कि मैंने आपको ट्रीट दी थी। मुझे आपके सपोर्ट की ज़रूरत है। मुझे राज और उसकी फैमिली की चिंता है। वे लोग अभी बहुत हर्ट होंगे। मैं चाहती हूँ कि जब मैं उन्हें अपना फैसला सुनाऊँ, तब मेरी साइड से बड़े-बुजुर्ग मेरे साथ रहें।’
किसी ने भी इस पर रिस्पॉन्स नहीं दिया।
‘फ़ाइन, मैं खुद ही उनसे बात कर लूँगी। प्लीज़ गोवा में अपने आखिरी दिन का मज़़ा लीजिए। और जो यहाँ से जल्दी निकल जाना चाहते हैं, वे फ्लाइट बदलने के लिए सूरज से बात करें।’ मैंने कहा।
‘रुको, मैं आ रही हूँ।’ अदिति दीदी ने कहा। ‘मुझे समझ नहीं आ रहा तुम क्या कर रही हो। फिर भी मैं आ रही हूँ। मेरी बहन यह अकेले नहीं कर सकती।’
वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई और मेरा हाथ थाम लिया। मैं मुस्करा दी, आँसुओं को रोकते हुए।
‘मैं भी तुम्हारे साथ आ रहा हूँ।’ पंकज मामा ने कहा। ‘आओ रिचा, हम उसको अकेले नहीं जाने दे सकते।’ रिचा मामी सोचने लगीं कि नाराज मामी और वफादार बीवी में से कौन-सी भूमिका निभाएँ। आखिर में उन्होंने वफादार बीवी बनना चुना।
‘इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।’ मेरी माँ ने कहा। ‘वह हर काम अकेले ही करती है।’
‘डैड, आपको भी चलना चाहिए।’ अदिति दीदी ने कहा। पापा उठ खड़े हुए।
‘चलो अपर्णा।’ पापा ने कोमल स्वर में कहा। माँ ने सबकी ओर देखा। फिर हिचकिचाहट के साथ उठ खड़ी हुईं।
‘चलो, सब मिलकर ही अपनी बेइज़्ज़ती करवाएँ।’ उन्होंने कहा।

मैंने घंटी बजाई। राज ने दरवाज़ा खोला। उसने कुछ नहीं कहा और मुझे और मेरे परिवार वालों के लिए रास्ता छोड़ दिया।
राज के पैरेंट्‌स, मिस्टर एंड मिसेज शर्मा, जो मेरे सास और ससुर बनते-बनते रह गए थे, मुँह लटकाए खड़े थे। राज के रिलेटिव्स बेड पर बैठे थे। उसकी दोनों मौसियाँ रोहिणी मासी और गुंजन मासी सोफे पर बैठी थीं। सभी को देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे किसी ने उनकी पीठ में चाकू घोंप दिया हो। राज उन्हें पहले ही बता चुका था।
मैं सोचने लगी कि कहाँ से शुरू करूँ। लेकिन मेरी माँ अच्छी तरह जानती थीं कि एक मैच्योर रिएक्शन क्या होता है। वे ज़ोर से रोने लगीं और सीधे जाकर राज की माँ के गले लग गईं।
‘हमें किसी की नज़र लग गई है, सुलोचना।’ माँ ने कहा। उनके इस विलाप से कमरे में बैठे लोग और असहज महसूस करने लगे। राज की माँ ने कुछ रिएक्ट नहीं किया।
‘हम तो बरबाद हो गए। किसने सोचा था कि मेरी अपनी बेटी ऐसा करेगी। किसी को क्या बोलें जब अपना ही सिक्का खोटा निकले।’ माँ ने फुल वॉल्यूम में रोते हुए कहा।
‘बैठ जाइए, अपर्णा जी।’ राज के पिता ने कहा।
मैं समझ गई कि अब मुझे सिचुएशन को कंट्रोल करना होगा। मैं कमरे के बीच में चली गई और बोलने लगी :
‘हैलो एवरीवन, मैं केवल एक मिनट का समय-लूँगी। इस कमरे में मौजूद सभी लोगों से मैं माफी माँगना चाहती हूँ। आई एम रियली, रियली सॉरी। मैं माफी इसलिए माँग रही हूँ, क्योंकि मैंने इस शादी के लिए तैयार नहीं होने के बावजूद हाँ कह दी थी। मैं इसलिए माफी माँग रही हूँ क्योंकि मैंने आप सभी की खुशियों में खलल डाल दिया। इसके बावजूद मैंने यह इसलिए किया क्योंकि मुझे लगा कि इस रिश्ते में आगे बढ़ना राज और उनकी फैमिली के साथ ज़्यादती होगी।
‘क्या ऐसा करना सही है?’ राज की माँ ने कहा। उनकी आवाज़ बहुत तीखी थी।
‘नहीं। लेकिन इस रिश्ते में आगे बढ़ना इससे भी गलत होता। दो गलतियों में से छोटी गलती को चुनना ठीक रहता है।’
‘लेकिन तुम्हें अंदाज़ा भी है कि अब हमें अपने मेहमानों और नाते-रिश्तेदारों के सामने कैसे ज़लील होना पड़ेगा?’ राज की माँ ने कहा।
‘मैं समझती हूँ। मैं हाथ जोड़कर माफी माँगती हूँ।’ मैंने कहा। मेरी आँखों में आँसू थे।
राज ने पहले अपनी माँ और फिर मेरी तरफ देखा। वह हाथ बाँधे चुपचाप खड़ा था।
‘तुम दोनों की जोड़ी कितनी अच्छी लगती है। क्या हम अब भी कुछ नहीं कर सकते?’
मैंने सिर हिलाकर मना कर दिया।
‘हमारे रिलेटिव्स यहाँ पर हैं। सभी बंदोबस्त हो चुके हैं। हम अब भी इस नाटक को यहीं खत्म कर सकते हैं, सुषमा।’ राज की माँ ने कहा। ‘किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। शादी अब भी हो सकती है।’
‘नहीं आंटी, आई एम सॉरी।’ मैंने कहा।
‘किस तरह की लड़की हो तुम?’ उन्होंने कहा।
‘ मैंने कहा ना, हमारा ही सिक्का खोटा है।’ मेरी माँ ने कहा। ‘मेरी दूसरी बेटी हीरा है। वह कितनी अच्छी बहू साबित हुई है।’
‘इनफ, अपर्णा आंटी।’ राज ने कहा। कमरे में मौजूद सभी लोगों ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा। ‘अगर सुषमा को मुझसे शादी करने के फैसले पर अफसोस हो रहा है, तो इसका यह मतलब नहीं कि आप उसे खोटा सिक्का कहें।’
मैंने आँसू भरी आँखों से उसकी ओर देखा। मैंने उसके साथ जो किया, इसके बावजूद वह मेरा साथ दे रहा था। इससे मुझे और बुरा लगने लगा।
‘और मॉम, वह अपना मन बना चुकी है। हमें भले ही यह पसंद ना आए, लेकिन इसमें कुछ नहीं किया जा सकता।’ राज ने कहा।
‘लेकिन बेटा, सभी लोग यहाँ पर हैं और सभी तैयारियाँ हो चुकी हैं...’ राज की माँ ने कहा।
‘मॉम, शादी केवल इसीलिए नहीं की जातीं कि तैयारियाँ पूरी थीं और मेहमान मौजूद थे।’
मैंने राज को इशारों में थैंक्स कहा। उसने सिर हिला दिया। फिर उसने मुझे आँसू पोंछने के लिए टिशू का एक बॉक्स दिया। उसकी इस नर्मदिली ने जैसे मेरी जान ही ले ली।
‘आप लोग अब भी हमारे गेस्ट हैं।’ मेरे पिता ने हाथ जोड़ते हुए कहा। ‘और अपनी बेटी की तरफ से मैं सॉरी बोल रहा हूँ।’
मैं अपने पिता को ऐसी हालत में नहीं देख सकती थी। मैं वहाँ से चली जाना चाहती थी ताकि खुलकर रो सकूँ।
‘यदि आपको किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो सूरज इसमें आपकी मदद करेंगे। आपके सभी बिल्स भर दिए जाएँगे। थैंक यू।’ मैंने कहा और कमरे से बाहर निकल गई।

शर्माज़ और मेहताज़ अगले दिन गोवा होटल से चेक-आउट कर गए। दोनों परिवार एक-दूसरे से नज़र मिलाने से बचते रहे। दो दिन पहले हुई संगीत नाइट में ये ही लोग ग्रुप सेल्फी लेते नहीं थक रहे थे। दो दिन में हालात पूरी तरह बदल चुके थे।
शर्माज़ की मुंबई फ्लाइट हमसे पहले जाने वाली थी। वे बस में अपनी-अपनी जगह जाकर बैठ गए।
‘राज, एक सेकेंड।’ मैंने कहा। वह अपना बैकपैक पहने होटल लॉबी बाहर निकल रहा था।
‘यस, ’ उसने कहा। उसकी आवाज़ रूखी थी।
‘क्या हम दो मिनट बात कर सकते हैं?’
‘रियली? क्यों?’
मैं चुप रही। उसने एक गहरी साँस ली।
‘ठीक है।’ उसने कहा। ‘लेकिन यहाँ पर सबके सामने नहीं। पाँच मिनट में मुझसे बीच पर मिलो।’

‘कल सबके सामने मेरा सपोर्ट करने के लिए थैंक्स।’ मैंने कहा।
हम मैरियट बीच पर आखिरी बार चल रहे थे।
‘मुझे यह पसंद नहीं है कि कोई ऊँची आवाज़ में किसी से बात करे या पब्लिकली किसी की इंसल्ट करे।’
‘लेकिन तुम्हें पूरा हक था कि मेरी इंसल्ट करते। तुम अब भी कर सकते हो। अभी हम पब्लिक में भी नहीं हैं।’
उसने मेरी ओर एक सेकेंड के लिए देखा, अपना सिर हिलाया और एक उदास हँसी हँस दिया।
‘आई गेस, मैं वैसे भी कभी औरतों को समझ नहीं पाया। मुझे लगता था कि मैं थोड़ा-बहुत समझने लगा हूँ, लेकिन ज़ाहिर है कि मैं अभी भी इससे कोसों दूर हूँ।’
‘नहीं, तुम समझते हो। तुम लोगों को समझते हो। तुम एक भले इंसान हो, राज। यह मैं थी, जिसकी वजह से यह सब गड़बड़झाला हुआ।’
‘खैर। अब तुम्हारा क्या करने का प्लान है?’
‘अभी तो मैं सीधे अपने काम पर जाऊँगी। फिर शायद कुछ वीज़ा के लिए अप्लाई करूँ और लंबी छुट्टियों पर निकल जाऊँ। शायद उन राउंड-द-वर्ल्ड टिकटों में से कोई एक। एक ऐसा टिकट, जो आपको एक दिशा में उड़ने देता है। नाक की सीध में चलते चले जाना।’
‘वेल, दुनिया गोल है, इसलिए कोई भी हमेशा सीधे नहीं चल सकता। तुम्हें आखिरकार लौटकर घर आना ही होगा। हकीकत में लौटना ही होगा।’
‘यह सच है, अफसोस कि यह सच है।’
‘तो फिर, बाय।’
‘बाय, राज।’
‘तुम होटल नहीं जा रही हो?’
‘जाऊँगी। लेकिन मैं समुद्र की इन लहरों को कुछ मिनटों तक देख लेना चाहती हूँ।’ मैंने कहा और क्षितिज की ओर देखने लगी।
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(^%$^-1rs((7)
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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42
तीन महीने बाद
एल अल्बर्ग होटल,
ओलान्तेताम्बू, पेरू
मैं कैफे में बैठी कॉफी पी रही थी। माचू पिच्चू ले जाने वाली छोटी नीली ट्रेनें समय-समय पर आ-जा रही थीं। मैंने अपने फोन से लैपटॉप में बैकअप के रूप में मेरी ट्रिप पिक्चर डाउनलोड की। लैपटॉप ने आज की डेट फ्लैश की : 23 मार्च। इसी के साथ एक रिमाइंडर आया : ‘बी को मैसेज करना है।’ गोवा में हुए तमाशे को तीन महीने पूरे हो गए थे, लेकिन मैं अभी तक मैसेज करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी। ध्यान भटकाने के लिए मैं अपनी यात्रा की तस्वीरें देखने लगी।
पिछले महीने मैंने लंदन से पूर्व दिशा में अपनी यात्रा शुरू की थी। मैं बर्लिन, काहिरा, बीजिंग और सिडनी जा चुकी थी। फिर मैंने पेरू में लीमा की फ्लाइट पकड़ी। लीमा से मैं ओलान्तेताम्बू पहुँची, जो माचू पिच्चू पहुँचने के लिए सबसे अच्छी जगह मानी जाती है। मैं यहाँ मिनी ट्रेन स्टेशन पर मौजूद इस खूबसूरत होटल में ठहरी थी।
एक घंटा बीतने और दो कैपिचिनो पी लेने के बाद मैंने अपना फोन निकाला।
सुषमा, जस्ट डू इट। ज़्यादा-से-ज़्यादा क्या होगा?
मैंने राज को एक वॉट्‌सएप मैसेज भेजा।
‘हाय।’
मैं आधे घंटे इंतज़ार करती रही। आखिरकार ब्लू टिक्स नज़र आईं। उसने मेरा मैसेज देख लिया था, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। मेरा दिल बैठने लगा।
‘हाय, क्या चल रहा है?’ कुछ मिनटों बाद उसका जवाब आया।
‘आज तीन महीने हो गए। हमारी ऑलमोस्ट वेडिंग एनिवर्सिरी को।’
उसने एक स्माइली भेज दी।
‘सॉरी अगेन।’
‘हे, लाइफ में ये सब होता रहता है। क्या कर रही हो?’
‘गुड। ट्रैवलिंग। मैंने कहा था कि मैं एक लंबे सफर पर निकल जाऊँगी?’
‘राउंड द वर्ल्ड?’
‘यस।’
‘सर्कल पूरा हुआ?’
‘ऑलमोस्ट। दो फ्लाइट और पकड़नी हैं।’
‘कूल। और तुम अभी कहाँ हो?’
‘पेरू। माचू पिच्चू देखने आई हूँ।’
‘नाइस।’
‘और तुम कहाँ पर हो?’
‘ऑफिस में, और कहाँ?’
‘राज, मैं तुमसे कुछ पूछना चाहती हूँ।’
‘श्योर।’
‘मेरा अगला स्टॉप सैन फ्रांसिस्को है। मैं वहाँ तीन दिन बाद पहुँच रही हूँ।’
‘ओह, कूल।’
‘यस। क्या तुम एक कॉफी पीने मुझसे मिलोगे?’
उसने कुछ मिनटों तक जवाब नहीं दिया। मैंने एक और मैसेज भेजा :
‘अगर तुम नहीं आ सको या आना नहीं चाहो तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी।’
‘सॉरी, मुझे बॉस ने बुला लिया था। श्योर, तुम्हारे साथ कॉफी पीकर बहुत अच्छा लगेगा।’
‘रियली? ग्रेट।’
‘क्या हम मेनलो पार्क में मिल सकते हैं? इससे मुझे आसानी होगी।’
‘ऑफ कोर्स। जो भी तुम्हारे ऑफिस के करीब हो। तो बुधवार को मिलें?’
‘श्योर। मेनलो पार्क में फिल्ज कॉफी पर। चार बजे।’

फिल्म कॉफी,
मेनलो पार्क
मैं पाँच मिनट पहले पहुँच गई थी। फिल्ज कॉफी फ़ेसबुक कैम्पस के ठीक बाहर मौजूद है। मैंने खिड़की के पास वाली एक सीट ले ली और एक ऐसी कंपनी के ऑफिस को देखने लगी, जिसने दुनिया के डेढ़ अरब लोगों को जोड़ रखा है। मैंने ब्लू-व्हाइट चेक्ड ड्रेस पहनी थी, जो कैलिफोर्निया की धूप को रिफ्लेक्ट करती लग रही थी।
‘हाय।’ राज ने मेरी टेबल के करीब आने पर कहा। मैं उठ खड़ी हुई और हमने एक छोटा-सा हग किया।
‘मुझसे मिलने के लिए थैंक्स।’ मैंने कुछ-कुछ सेल्फ-कांशियस होते हुए कहा।
‘नो इशूज़ मेरे शहर में स्वागत है।’ उसने कहा। उसने एक ब्लैक हुडी और ब्लू जीन्स पहन रखी थी। उसके कंधे ज़्यादा चौड़े लग रहे थे, जैसे कि वह पहले से ज़्यादा मज़बूत हो गया हो। उसने गले में फ़ेसबुक कॉर्पोरेट आईडी बैज पहन रखा था।
‘तुम्हें काम पर देखकर थोड़ा अजीब लग रहा है।’
‘हाँ, रिश्तेदारों के बिना। लेकिन तुम्हें देखकर मुझे लग रहा है, जैसे अभी कहीं से मेरी कोई आंटी बाहर निकलकर आ जाएगी।’
‘बिलकुल। मुझे भी यही लग रहा है कि बुआ और मासी कहाँ हैं?’
‘और मुझे किसी के पैर छूने की ज़रूरत महसूस हो रही है।’
हम दोनों हँस पड़े।
वह बरिस्ता काउंटर पर गया और दो कैपिचिनो ले आया। उसके बैठने के बाद मैं बोली।
‘हालाँकि कोई भी माफी नाक़ाफी ही होगी, फिर भी, एक बार फिर सॉरी। जिस एक इंडियन लड़की से तुम आखिरकार शादी करने आए, उसने ऐसा ड्रामा कर दिया।’
उसने अपने हाथ लहराते हुए कहा : ‘तुम्हें ऐसा कहने की ज़रूरत नहीं है। मैं लगभग उससे उबर चुका हूँ। लाइफ गोज़ ऑन। हालाँकि मैं लगातार सोचता रहा हूँ कि तुमने वैसा क्यों किया था।’
‘तो तुम्हें क्या लगा?’
‘यही कि तुम्हें या किसी भी लड़की को खुद को जानने के लिए किसी मर्द की ज़रूरत नहीं है। तुम्हें एक ऐसे इंसान की ज़रूरत है, जो तुम्हें सपोर्ट कर सके, इंस्पायर कर सके, या तुम्हें समझ सके। जो तुम्हें सबसे बेहतर बनने में मदद कर सके, फिर चाहे वह बैंकर बनना हो या माँ बनना या दोनों ही हो या और कुछ हो। और जब तक तुम ऐसा कोई इंसान खोज नहीं लेतीं, तब तक तुम सेटल होना नहीं चाहती।’
मैंने राज की ओर देखा और मन ही मन उसकी समझ की सराहना की।
‘तुम्हें ऐसा लगता है?’
‘बिलकुल। और तुम केवल एक इंडियन गर्ल नहीं हो। तुम एक स्पेशल इंडियन गर्ल हो।’
मैं मुस्कराई और उसे एक थैंक्स का ईशारा किया।
‘फिर भी मैं खुद को दोष देती हूँ। बहुत ज़्यादा दोष। मैंने तुम्हें अपने रिलेटिव्स के सामने इतना बुरा महसूस कराया।’
‘ऐसा मत करो। एक्चुअली, मैं तो जब भी गोवा को याद करता हूँ तो मेरे रिलेटिव्स के बारे में सोचता तक नहीं।’
‘दैट्‌स गुड। तो तुम्हें कोई अफसोस नहीं?’
‘ऐसा तो नहीं। ओके, एक अफसोस है।’
‘क्या?’
‘तुम्हें पुलिस स्टेशन वाली वो रात याद है?’
‘ओह यस। जब हम अंजुना गए थे। वो इंस्पेक्टर। हमारे पैरेंट्‌स का वहाँ पर आना। टेरिबल।’
‘हाँ, और वो जो सब हमने किया था, वह मैं तुम्हारे बिना कभी नहीं कर पाता।’
‘वेल, मेरी सोहबत बुरी है। वो एक क्रेज़ी रात थी।’
‘यस, तो बात यह है कि उसके बाद मैं तुम्हारे साथ ऐसी ही एक क्रेजी ज़िंदगी बिताने के सपने संजोने लगा था। वो हो ना सका और यही मेरा अफसोस है।’ उसने कंधे उचकाए और मुस्करा दिया।
हमारी आँखें मिलीं। मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था। इसलिए मैंने यह विषय बदलना ही बेहतर समझा।
‘तुम पहले से ज़्यादा फिट लग रहे हो।’
‘ मैंने एक जिम ज्वॉइन कर लिया है। मैं वहाँ रोज जाने की कोशिश करता हूँ।’
‘हाँ, दिख रहा है।’
‘थैंक्स। तुम भी रिलैक्स लग रही हो। तुम्हारे चेहरे पर अब ज़्यादा शांति है।’
‘मेरे मन में भी। एक महीने की ट्रैवलिंग का यह फल है।’
‘यस, आई एम श्योर। तुम अच्छी लग रही हो।’
मैं मुस्करा दी। हमने अपनी कॉफी सिप की।
‘काम कैसा चल रहा है?’ मैंने पूछा।
‘बढ़िया। मेरा बिज़नेस आइडिया भी आगे बढ़ रहा है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स या आईओटी एप्स को डेवलप करने के लिए एक सर्विस प्रोवाइडर। आईओटी नेक्स्ट बिग थिंग है। जो भी कंपनी आईओटी एप्स बनाएगी, उसके लिए स्कोप है।
‘सो तो है।’
‘लेकिन वीसीज़ के लिए मुझे एक फॉर्मल बिज़नेस प्लान की ज़रूरत है, जो तकलीफ दे रहा है। उन्हें फाइनेंशियल मॉडल्स और प्रोजेक्शंस और क्या कुछ नहीं चाहिए।’
‘तुम चाहो तो मैं मदद कर सकती हूँ।’
‘रियली?’
‘यही मेरा काम है।’ मैंने कहा और मुस्करा दी।
‘ओह यस, ऑफ कोर्स।’
‘मुझे बिज़नेस को समझना होगा। और फिर उसे नंबर्स से भरी एक स्प्रेडशीट में बदल देना होगा। मैं पूरे समय यही करती रहती हूँ।’
‘मैं तुमसे डिटेल्स शेयर करूँगा। तुम यहाँ कितने समय के लिए हो?’
‘मेरे पास पाँच दिन की छुट्‌टियाँ और हैं। मैं एक-दो दिन में एक क्विक मॉडल बना सकती हूँ।’
‘ओह, यह तो बहुत कमाल होगा। क्या हम वीकेंड में इस पर काम कर सकते हैं?’
‘नो प्रॉब्लम।’ मैंने कहा।
हम चुपचाप अपनी कॉफी सिप करते रहे।
‘वैसे, वीकेंड में ही यहाँ पुनीत सिंह का एक कॉन्सर्ट भी है।’
‘ओह कूल। मुझे वो बहुत पसंद है।’ मैंने कहा। उसने मुझे कॉन्सर्ट के बारे में बताया। लेकिन मैं समझ नहीं पाई कि उसने इशारों-इशारों में मुझे अपने साथ कॉन्सर्ट में चलने को कहा है।
‘यस। तो?’ उसने कॉफी का एक और सिप लेते हुए कहा। उसके होंठों पर झाग का एक घेरा बन गया था।
मैं उसके होंठों की ओर इशारा किया।
‘क्या?’
मैं अपने फोन का कैमरा खोला, उसे सेल्फी मोड पर किया और उसे उसका चेहरा दिखा दिया।
‘ओह नो।’ उसने झेंपते हुए कहा। उसने एक टिशू से झाग वाली अपनी मूँछें साफ कर दीं।
‘राज, क्या तुम मेरे साथ पुनीत सिंह के कॉन्सर्ट में चलोगे?’ मैंने धड़कते दिल से पूछा।
‘ऑफ कोर्स। मैं वही तो कहना चाह रहा था। तुम काम में मेरी मदद कर रही हो तो हम साथ में कॉन्सर्ट तो जा ही सकते हैं।’
‘मुझे तुम्हारे साथ जाकर बहुत अच्छा लगेगा।’
‘हाँ, और मुझे तुम्हारे साथ और वक्त बिताकर बहुत अच्छा लगेगा।’
हमारी आँखें मिलीं। उसने कॉफी का एक और सिप लिया। उसके होंठों पर झाग की एक और मूँछ बन गई। मैंने उसे फिर अपने फ़ोन के कैमरे से उसका चेहरा दिखाया। वह मुस्करा दिया। मैं भी मुस्करा दी। और फिर हम दोनों ठहाका लगाकर हँस पड़े।



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