क्रेजी ज़िंदगी

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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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‘दीदी, अब चलो, बस वेट कर रही है, ’ मैंने कहा। अदिति दीदी ने पिछले दो घंटे एक दर्जन कपड़े बदलने में खर्च कर दिए थे। आखिरकार उसने वह रेड ड्रेस ही पहनी, जिसे वो शुरू से पहनना चाहती थी।
‘इसमें क्लीवेज बहुत दिख रहा है ना?’ उसने कहा।
आखिर तुम यही तो चाहती हो ना? मैं दुल्हन हूँ। ये मेरी बैचलरेट पार्टी है। क्या तुम एक हफ्ते के लिए भी मुझे प्रायर्टी बनते नहीं देख सकतीं!
रूम के फोन की घंटी बजी। मैंने फोन उठाया।
‘हे, ’ राज ने कहा। मैं उसकी आवाज़ पहचानने लगी थी। यह एक अच्छी बात थी, है ना?
‘हाय राज, ऑल सेट?’
‘हाँ, मेरी गैंग बस में है। मैं रिसेप्शन से कॉल लगा रहा हूँ।’
‘ओह, आप लोग पहले पहुँच जाइए। ड्राइवर को पता होगा कि क्लब क्यूबाना कहीं पर है?’ मैंने कहा।
‘हाँ, वो जानता है। वह अरपोरा में है। एलपीके से तुम्हारी बस भी यहाँ जल्द आ रही है ना?’
‘बहुत जल्द।’
‘काश कि हम दोनों एक ही जगह जा रहे होते, ’ राज ने कहा।
मैं हँस पड़ी।
‘दैट्‌स स्वीट, राज, लेकिन आखिर बैचलर पार्टी का मतलब ही यही है कि तुम एक तंग करने वाली बीवी के बिना एक कुँवारे के रूप में अपनी आखिरी रात को एंज्वॉय करो। आज के दिन लड़के और लड़कियाँ अलग ही होते हैं।’
‘लेकिन तुम तो मुझे तंग नहीं करतीं।’ उसने कहा।
‘ऑबवियसली, तुम अभी मुझे जानते ही नहीं।’
‘मैं यहाँ से जाने से पहले तुम्हें देखना चाहता था। मेरी पूरी गैंग ही सभी सजी-धजी मेहता-गर्ल्स को देखना चाहती थी।’
‘कहीं तुम्हारी गैंग की नज़र मेरी इनोसेंट कजिन्स पर तो नहीं है।’
मैंने फोन रख दिया और अदिति दीदी की ओर मुड़ी, जो आईने के सामने खड़ी होकर अब भी अपनी ड्रेस एडजस्ट कर रही थी। आखिरकार मैंने कहा : ‘दीदी, आप समझ रही हैं या नहीं कि यह मेरी बैचलरेट है आपकी नहीं! ’

‘ये रहा, ’ मेरी सेकेंड कज़िन ज्योति ने एक बड़े-से पीले साइनबोर्ड की ओर इशारा करते हुए कहा, जिस पर लिखा था : ‘लव पैशन कर्मा’ या एलपीके। यह क्लब होटल से महज़ आधे घंटे के फ़ासले पर नेरूल नदी के करीब है। उसे स्टोन एज स्टाइल में डिज़ाइन किया गया है, जिसमें पत्थर की गुफाएँ और मूर्तियाँ बनाई गई हैं। हम पंद्रह लड़कियों का ग्रुप था और सूरज ने हमारे लिए दो बाउंसर्स का बंदोबस्त भी करवाया था। एक सेमी-प्राइवेट एरिया में हमें एक टेबल मुहैया कराई गई थी, जिस पर बलून्स और शैम्पेन की बोतलें थीं।
नाइस जॉब, सूरज, मैंने मन-ही-मन सोचा।
‘कुछ लड़कियाँ तो उम्र में बहुत ही छोटी लग रही हैं मैडम, ’ क्लब के मालिक ने अदिति दीदी से कहा।
‘ये सभी अठारह से ज़्यादा की हैं, ’ दीदी ने पुख्ता जवाब दिया। ‘फिर भी ठीक है, उन्हें सॉफ्ट ड्रिंक्स ही दो। पर हाँ, मेरी बहन आज जरूर नशे में धुत्त हो जानी चाहिए।’
‘नो दीदी, ’ मैंने कहा, लेकिन तब तक क्लब का मालिक एक राउंड टेकिला ला चुका था। मुझे दो लेनी पड़ी। ज्योति ने एक और राउंड की फरमाइश की। मेरे पड़ोसी की बेटी रजनी चाहती थी कि म्यूजिक और तेज बजाया जाए। मेरे बचपन की दोस्त श्रुति की च्वॉइस हनी सिंह के गाने थे। दीदी की बेस्ट फ्रेंड सलोनी चाहती थी कि ड्रिंकिंग गेम्स खेले जाएँ। होशोहवास खो देने को तैयार पंद्रह पंजाबी लड़कियों से ज़्यादा क्रेजी और कुछ नहीं हो सकता।
मुझे राज का मैसेज आया : ‘क्लब क्यूबाना इज़ नाइस। थैंक्स।’
‘यू आर वेलकम। कैसा चल रहा है?’
‘तीन ड्रिंक हो गईं। और तुम?’
‘मुझे टकिला शॉट्‌स पीने पड़े।’
‘वॉव। रुको, तुमसे चैटिंग करने पर लड़के मुझे छेड़ रहे हैं।’
‘हाहा, गो हैव फन।’ मैंने अपना फोन एक तरफ रख दिया।
अदिति दीदी ने इन शब्दों के साथ मेरे नाम का टोस्ट पिया : ‘मेरी इकलौती प्यारी स्वीटेस्ट सिस्टर के लिए, जिसने हमेशा मन लगाकर पढ़ाई की और कभी कोई शरारती हरकत नहीं की।’ मैं मुस्करा दी। दीदी ने आगे कहा : ‘मैं बहुत मुश्किल से पास हो पाती थी, लेकिन वह हमेशा टॉप करती। मैं एक हाउसवाइफ बन गई, लेकिन वह एक हाई-फाई बैंकर बनी। मेरे पास बूब्स थे, उसके पास ब्रेन्स!’
यह सुनकर सभी लड़कियां हँस पड़ीं। यहाँ तक कि बाउंसर्स भी शरमा गए। मेरा फोन घनघनाया। यह जरूर राज होगा। वह स्वीट है। मुझसे लगातार कनेक्ट होने की कोशिश कर रहा है।
‘हे! मैं जेएफके एयरपोर्ट पर हूँ और पता लगा रहा हूँ कि कोई लास्ट-मिनट टिकट है या नहीं।’ देबू का मैसेज था।
‘व्हाट!’ मैंने जवाब में लिख भेजा।
‘यहाँ से मुंबई पंद्रह घटे का सफर है। फिर तो गोवा तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।’
‘देबू, आर यू सीरियस? बंद करो यह सब!’
अदिति दीदी की नज़र मुझ पर पड़ी।
‘जरा देखो तो उसे। अपने होने वाले पति से चैटिंग कर रही है। कम-से-कम आज तो उसे बख्श दो।’ उसने कहा। सभी हँस दिए। लेकिन अगला मैसेज देखकर मैं टेंशन में आ गई।
देबू ने मुझे जेएफके से एयर इंडिया काउंटर की तस्वीर भेजी थी। इसके साथ एक स्माइली थी।
‘लो लो, एक और शॉट लो ना, ’ मेरी एक कज़िन ने मुझसे इसरार करते हुए कहा।
इससे तो अच्छा होगा कि मुझे शूट कर दो।
‘मिस यू, ’ एक और मैसेज आया।
‘क्या तुम अपनी यह बकवास बंद करके घर जाओगे, ’ मैंने जवाब में लिखा, लेकिन उसे भेजने से ऐन पहले मैंने देखा कि यह ‘मिस यू’ मैसेज राज की तरफ से आया था। मैंने तुरंत उसे हटाकर लिखा : ‘ऑ, सो स्वीट’ और इसके साथ बहुत सारी स्माइली भेज दीं। मुझे इसके अलावा और कुछ नहीं सूझा। इसके बाद मैंने देबू को मैसेज लिखा : ‘प्लीज़ मुझे तंग मत करो और घर चले जाओ।’
‘गर्ल्स, अगर हम आज की शाम के लिए दुल्हन को उसके फोन से अलग कर दें तो कैसा रहेगा?’ अदिति दीदी ने अनाउंस किया।
‘नहीं दीदी, ऐसा नहीं...’ मैं बोल ही रही थी कि उसने मेरा फोन छीनकर अपने हैंडबैग में रख लिया। फिर कहा, ‘यह एक बैचलरेट के रूप में तुम्हारी आखिरी रात है। फोन में वक्त ज़ाया करने के बजाय कुछ क्रेजी चीज़ें करो।’ मैं उससे कहना चाहती थी कि मेरे फोन में पहले ही बहुत सारी क्रेजी चीज़ें हो रही हैं!
‘ठीक है, ’ अदिति दीदी ने कहा। ‘अब चैलेंज द ब्राइड खेलते हैं। सभी ब्राइड को कोई चैलेंज देंगे और सुषमा को उसे करना होगा।’
मैंने आसपास देखा। हमारी टेबल कोने में थी। बीच मे कई लोग बार स्टूल्स पर बैठे थे। आधे कस्टमर्स इंडियन थे, जो यहाँ क्रिसमस की छुट्‌टियाँ मनाने आए थे। बाकी यूरोपियन और अमेरिकन टूरिस्ट थे।
ज्योति ने मुझे पहला टास्क दिया।
‘वो देखो उधर एक टकला गोरा।’ उसने बार में बैठे एक अधेड़ व्यक्ति की ओर इशारा किया। ‘पता करो कि उसका नाम क्या है और वो किस देश का है।’
‘ये तो बहुत आसान है।’ दीदी ने कहा।
‘अच्छा तो फिर उसका नाम और देश का नाम पता करो और उसकी टक्कल पर एक किस करो!’ सभी हँस दिए।
‘नो वे, ’ मैंने कहा।
‘यस वे। यह लो, इसे पी जाओ।’ सलोनी ने मुझे आधा गिलास शैम्पेन दी। मैं उसे गटागट पी गई। ‘अब जाओ।’ अदिति ने कहा। मैं बार की ओर बढ़ी।
‘हाय देयर, ’ मैंने उस आदमी से कहा। उसने एक सफेद वेस्ट और जीन्स पहन रखी थी। उसके दाएँ हाथ में दो रिंग थीं और कंधे पर एक ड्रैगन टैटू बना हुआ था।
‘हाय, यंग लेडी, ’ उसने ऑस्ट्रेलियन एक्सेंट में कहा। मुझे इसे कंफर्म करना था।
‘क्या आप एक ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर हैं?’ वह हँस पड़ा।
‘नो मैट, मैं ऑस्ट्रेलियन ज़रूर हूँ, लेकिन क्रिकेट नहीं खेलता।’
‘क्या आप फिलिप ली हैं?’ मैंने वहीं एक नाम बना लिया।
‘क्या वह भी कोई प्लेयर है?’
‘तो आप फिलिप नहीं हैं?’
‘नहीं।’ उसने कहा। ‘क्या मैं तुम्हें एक ड्रिंक खरीदकर दूँ, यंग लेडी?’
‘वेल, तब आप कौन हैं?’
‘मैं मार्क हूँ। आप कौन-सी ड्रिंक लेना पसंद करेंगी?’
‘टकिला शॉट।’
मार्क ने शॉट्‌स ऑर्डर किए। अभी तक मैं अपनी तीन में से दो टास्क पूरा कर चुकी थी।
‘चीयर्स, ’ उसने शॉट लेने पर कहा। मैंने गिलास टेबल पर रख दिया।
‘तुम यहाँ छुट्‌टियाँ मनाने आई हो?’
‘एक्चुअली, मैं यहाँ शादी करने आई हूँ!’
‘रियली?’
‘हाँ। और अब मुझे जाना होगा। बाय, मार्क।’
इससे पहले कि वो कुछ कहता, मैंने उसका सिर चूम लिया।
‘थैंक्स फॉर द ड्रिंक, ’ मैंने कहा और वहाँ से चली आई। लड़कियों ने स्टैंडिंग ओवेशन से मेरा स्वागत किया।
‘अब बहुत हुआ, ’ मैंने कहा। मार्क ने मुझे देखकर बार से आँख मारी।
लड़कियाँ हँस-हँसकर दोहरी हुई जा रही थीं। हम शैम्पेन की चार बोतलें गटक चुके थे। इसके बाद हमने चार और ऑर्डर कीं। हमें यह भी नहीं पता चला कि हमने आखिर कब नाचना शुरू कर दिया। डीजे ने ‘सुबह होने ना दे’ और ‘बेबी डॉल’ जैसे ट्रैक बजाने शुरू कर दिए। पब में मौजूद कुछ मर्दों ने मेरी कज़िन्स के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश की, लेकिन अदिति दीदी ने उन्हें फटकार दिया। लेकिन एक घंटे बाद हमने देखा कि लड़कों का और एक समूह क्लब में आ धमका है। हम लड़कियों को माजरा समझने में थोड़ा वक्त लगा।
‘ओह माय गॉड, ये तो राज जीजू और उनकी गैंग है!’ सलोनी ने कहा।
राज डांस फ्लोर पर चलकर मेरे पास आया।
‘नॉट अलाउड, नॉट अलाउड, ’ ज्योति ने कहा।
‘तुम तो क्लब क्यूबाना में थे ना। क्या हुआ?’ श्रुति ने राज के ममेरे भाई अखिल से पूछा।
‘कुछ नहीं। हमने कुछ ड्रिंक्स लीं। फिर हम इस बात पर लड़ने लगे कि जब गोवा में मौजूद सबसे खूबसूरत लड़कियाँ यहाँ अकेले पार्टी कर रही हैं, तो फिर हम वहाँ क्या कर रहे हैं।’ अखिल ने कहा।
श्रुति शरमा गई। ऊपर-ऊपर से भले ही लड़कियों ने लड़कों के वहाँ आने का विरोध किया, लेकिन मन-ही-मन वे इससे खुश थीं। हम लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं। हम चाहती हैं कि हमें कोई चाहे, फिर चाहे हम ऊपर से ऐसा दिखाएँ कि हम ऐसा नहीं चाहतीं।
‘तुम बहुत खूबसूरत दिख रही हो, ’ राज ने कहा। डीजे अब हनी सिंह का ‘ब्लू आईज’ बजा रहा था, शायद इसलिए ताकि सुरूर में डूबे हुए सिंगल मर्द फ्लोर पर आ जाएँ।
‘ज़ाहिर है आपने बहुत पी ली है, ’ मैंने कहा। क्योंकि मैं बाकी लोगों को तो बहुत खूबसूरत नज़र नहीं आ रही थी।
‘वेल, मैंने पी तो है, मगर इतनी भी नहीं। लेकिन मैंने तो हमेशा ही तुम्हें बहुत खूबसूरत माना है, ’ राज ने कहा।
स्वीट, मैंने मन-ही-मन कहा। मेरे भीतर की टकिला ने उसे एक हग दिया।
‘ मैंने तुम्हें बहुत सारे मैसेज किए, ’ राज ने कहा।
‘ओह? लेकिन मेरा फोन? मुझे यह भी नहीं मालूम कि मेरा फोन कहाँ पर है।’
‘मैं जानना चाहता था कि अगर हम यहाँ आ जाएँ तो ठीक रहेगा ना। मैंने सबको रोकने की बहुत कोशिश भी की।’
‘इट्‌स ओके। आखिर हम यहाँ पर मौज-मस्ती करने ही तो आए हैं।’
‘नाइस म्यूजिक।’
‘तुम डांस करना चाहोगे?’
‘मुझे डांस नहीं आता।’
‘मुझे कौन-सा आता है।’
मैंने उसके कंधे को थाम लिया और हम ‘ब्लू आईज’ की धुन पर थिरकने लगे। लड़कियों ने आह भरी और फिर ‘हाऊ स्वीट, हाऊ स्वीट’ करने लगीं।
देखिए, मैं एक अच्छी लड़की भी हो सकती हूँ। क्या मैं एक अच्छी लड़की बनने की कोशिश नहीं कर रही हूँ? मैंने अपने भीतर की मिनी-मी से पूछा, जो कि मेरी निजी दोस्त और क्रिटिक थी। लेकिन मिनी-मी अब तक सो चुकी थी। यह अल्कोहल की कृपा से हुआ था। शायद अधिकतर लोग इसीलिए पीते हैं, ताकि अपने भीतर के क्रिटिक की आवाज़ को चुप करा सकें। फिर उसके बाद वे जो चाहें, वह कर सकें।
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दोपहर के 4 बजे थे। बीती रात पार्टी करने वाले हर इंसान पर हैंगओवर हावी था। हम सुबह 6 बजे होटल लौटे थे और सीधे ब्रेकफास्ट करने चले गए थे। मुझे याद है कि मैं अपनी मॉम के साथ बैठकर पैनकेक्स ऑर्डर कर रही थीं। लेकिन मैं पूरे समय ऊँघती रही और ज़्यादा खा नहीं सकी।
‘वेक अप। ये ठीक नहीं है। राज के पैरेंट्‌स सोचेंगे कि कैसी अनकल्चर्ड दुल्हन उनके घर आ रही है। इस तरह भला कोई पीता है?’ मेरी माँ मुझे हिलाते हुए कह रही थीं।
‘उनके बेटे ने भी तो ऐसा ही किया। वह तो उल्टे हमारे क्लब चला आया।’
‘वो लड़का है।’
उस हैंगओवर वाली हालत में भी मेरे भीतर की फेमिनिस्ट जाग उठी और मैंने माँ को घूरकर देखा।
‘लड़का हुआ तो क्या?’ अल्कोहल के कारण आया हुआ कांफिडेंस अब भी मुझमें कायम था।
‘कुछ खा लो। और फिर थोड़ा आराम कर लो। आज भजन होंगे, इसलिए कुछ डिसेंट-सा पहन लेना। आखिर तुम लोगों को भजन से पहले वाली रात को ही ऐसे पार्टी करने की ज़रूरत क्या थी?’
‘आप बुजुर्गों को पार्टी के अगले दिन भजन करने की क्या ज़रूरत है?’
‘तुम पैसा कमाने लगी हो, इसका मतलब तुम कुछ भी बोलोगी?’
मैं चुप रही। मैंने नहीं कहा कि उनकी यही अनकल्चर्ड और गैरज़िम्मेदार बेटी आज अपनी शादी का खर्चा खुद उठा रही थी। एक लाख पचास हज़ार डॉलर्स या एक करोड़ रुपए मेरी सैलेरी से वेडिंग बजट के नाम पर कटे थे। क्या उन्हें इसकी कोई परवाह भी थी?
मुझे खुद को शांत करने के लिए एक गिलास ऑरेंज ज्यूस गटकना पड़ा। तुमने अपनी लाइफ की पहले ही बारह बजा ली है, क्या अब तुम कुछ दिन अच्छे से रह सकती हो या नहीं? मेरे भीतर की आवाज़ ने मुझसे कहा। ओह, गुड मोर्निंग, मिनी-मी। तुम नींद से कब जागीं?
मुझे अपने रूम में ले जाया गया। वहाँ अदिति दीदी अब भी अपनी लाल ड्रेस पहने सो रही थी। मैंने चेंज करके टी-शर्ट और पायजामा पहना, दीदी की टांगें ठीक कीं और उनके पास लेट गई। मेरा सिर ऐसे दर्द कर रहा था, मानो किसी ने उस पर हथौड़े मारे हों। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं।
दोपहर में ढाई बजे मुझे दीदी ने उठाया।
‘उठ जाओ, भजन करना है।’
‘भजन चार बजे होंगे, अभी से क्यों उठा रही हो?’ मैंने कहा। मेरी आँखों में दिन की रोशनी चुभ रही थी। दीदी ने परदे खोल दिए।
‘तुम्हें तैयार होने के लिए भी तो समय चाहिए। यह लो, तुम्हें यह ऑरेंज साड़ी पहननी है।’
‘नहीं।’ मैंने कहा और एक तकिये से अपना मुँह ढाँक लिया।
लेकिन आखिरकार मुझे उठना ही पड़ा। मैं कपड़े पहनने की लंबी प्रक्रिया को लेकर बड़बड़ाती रही, जिसे लड़कियाँ ही समझ सकती हैं। होटल ने एक हेयर और मेकअप ड्रेसर को हमारे रूम में भिजवाया, जिसके हेयर-ड्रायर की आवाज़ से मेरा सिर और दुखने लगा।
हम नीचे फंक्शन रूम में पहुँचे। उसे इस तरह सजाया गया था, मानो वह किसी मंदिर के अंदरूनी हिस्से जैसा लगे। दीवारें गेंदे के फूलों से सजी थीं। बीच में साँई बाबा की बड़ी-सी तस्वीर रखी थी। मेरे पैरेंट्‌स किसी भी भगवान से ज़्यादा उनमें आस्था रखते थे। दूसरे हिंदू भगवानों की मूर्तियाँ भी वहाँ थीं। भजन गायकों ने अपने माइक सेट कर रखे थे।
नौजवान लोग पीछे की तरफ बैठे थे। राज के दोस्त और कजिन्स ने सिल्क के कुर्ता-पायजामे पहन रखे थे। तरोताज़ा दिखने के लिए वे शॉवर लेकर आए थे। अपने हैंगओवर से निपटने के लिए वे कॉम्बिफ्लैम की गोलियों का सेवन कर रहे थे। लड़कियों की हालतभी कोई बेहतर नहीं थी। उनमें से अधिकतर लहंगा या सलवार-कमीज़ पहने दीवार से टिककर बैठी थीं। जिस तरह से भारतीय लड़कियाँ छोटे कपड़े पहनने वाली पार्टी चिक्स से तुरंत ढँकी-छुपी भजन गाने वाली कन्याएँ बन जाती हैं, वह किसी चमत्कार से कम नहीं।
भजन शुरू हुए। सिंगर की आवाज़ बहुत अच्छी थी, लेकिन हैंगओवर के कारण हमें वह बिजली की कड़कड़ाहट जैसी सुनाई पड़ रही थी। राज ने मेरी ओर देखा और मुस्करा दिया। मैंने इशारा किया कि मैं सो जाना चाहती हूँ। उसने मेरी तरफ कॉम्बिफ्लैम की एक गोली बढ़ा दी।
‘तुम्हारी तबियत तो ठीक है?’ कमला बुआ ने कहा।
‘बस थकान है।’
‘मेरे पास एक आयुर्वेदिक दवाई है, जो अच्छा काम करती है।’ कमला बुआ ने कहा। लेकिन मैं उनसे कहना चाहती थी कि कॉम्बिफ्लैम से बेहतर कुछ नहीं हो सकता।
‘भजन अच्छे हैं बुआ।’ मैंने कहा।
हमारे लिए ब्लैक कॉफी आईं। मैंने दो कप उठा लिए। कॉफी पीने के बाद जैसी मुझमें थोड़ी चेतना आई।
‘चलो अब आगे आकर प्रार्थना करो बेटा’, मेरी एक आंटी ने मुझसे कहा।
राज और मैं दोनों आगे बढ़े और भगवान के आगे सिर झुकाया। सिंगर्स ने हम दोनों के लिए एक स्पेशल गाना गाया। मैंने राज की ओर देखा। उसकी आँखें बंद और हाथ जुड़े हुए थे। वह सच में प्रार्थना कर रहा था। मुझे अफसोस हुआ कि मैं उसकी जितनी श्रद्धा से प्रार्थना नहीं कर पा रही थी।
फिर मैं पीछे जाकर लड़कियों के साथ बैठ गई। राज लड़कों के पास चला गया। अगला भजन थोड़ा ज़्यादा पॉपुलर था, इसलिए लोग भी साथ में गाने लगे। लेकिन तेज आवाज़ के बावजूद मुझे हल्की-सी झपकी लग गई। लेकिन जैसे ही दाढ़ी वाला एक नौजवान कमरे के भीतर आया, मैं एक झटके से जाग गई। उसके घुंघराले बाल थे और उसने सफेद कुर्ता-पायजामा पहन रखा था।
‘ओह गॉड, देबू?’ मेरे मुँह से निकल गया।
‘क्या?’ मेरे पास बैठी रजनी ने कहा।
‘कुछ नहीं, ’ मैंने कहा।
वह कांफिडेंस के साथ साँई बाबा की तस्वीर के पास गया, घुटनों के बल झुका और सिर नवाया। इसके बाद वह लड़कों के बीच जाकर बैठ गया। फिर भजन की लय पर हाथ बजाकर ताल देने लगा।
ये यहाँ पर क्या कर रहा है? कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही? नहीं ऐसा तो नहीं है।
उसने मेरी ओर देखा और मुस्करा दिया। ठीक उसी समय राज भी मेरी ओर देखकर मुस्कराया। मैंने दोनों को एक फेक-स्माइल दी। मुझे देबू से बात करनी थी। लेकिन कैसे? मेरा फोन कहाँ था?
‘मेरा फोन कहाँ है? आज तो मैंने उसे देखा ही नहीं। कहीं क्लब में ही तो नहीं रह गया?’ मैंने रजनी से कहा।
‘कल रात को तो वह अदिति दीदी के पास था ना?’
मैंने अदिति दीदी के कंधे थपथपाए। वे मेरे सामने सलवार-कमीज़ पहने बैठी थीं और बहुत आस्था से भजन गा रही थीं। कोई भी नहीं कह सकता था कि बीती रात उन्होंने ‘बेबी डॉल’ गाने पर सनी लियोनी के हर स्टेप को करके दिखाया था।
‘क्या है?’ उन्होंने कहा। मैंने इशारे से उनसे पूछा कि मेरा फोन कहाँ है। उन्होंने अपने पर्स में हाथ डाला और उसे निकालकर मुझे दे दिया।
उसमें केवल 5 परसेंट बैटरी बची थी। मैंने अपने मैसेजस चेक किए। कुछ राज के मैसेज थे, जब वह रात को क्लब क्यूबाना आना चाह रहा था। देबू के भी मैसेज थे कि वह अब टेक-ऑफ कर रहा है। और फिर एक मैसेज यह भी कि वह गोवा पहुँच चुका है।
‘तुम यहाँ पर कर क्या रहे हो?’ मैंने देबू को मैसेज किया।
उसने अपना फोन चेक नहीं किया। वह भजनों में खोया हुआ था। मैंने उसे इशारा किया कि वह अपना फोन चेक करे।
उसने अपना फोन चेक किया और बहुत सारी विंक स्माइलीज भेज दीं।
‘लेकिन तुम यहाँ क्यों आए हो?’
‘नाइस सरप्राइज़, है ना?’
‘बकवास बंद करो, देबू। मेरी पूरी फैमिली यहाँ पर है।’
‘हाँ, मैंने देखा। दूल्हे को भी देखा। उसकी भी पूरी फैमिली यहीं है। गोल्डन सिल्क कुर्ता, यही पहना है ना दूल्हे ने?’
‘क्या चाहिए तुम्हें?’
‘आमने-सामने की बातचीत।’
‘मैं नहीं कर सकती।’
‘मैं इतनी दूर से आया हूँ, प्लीज़।’
‘मेरा फोन बंद हो रहा है।’
‘मुझसे मिलो।’
‘कैसे?’
‘कहीं भी, कभी भी।’
‘भजन के बाद, होटल की जिम में।’
मैंने सोचा कि ठीक है, वैसे भी भजन के बाद जिम मे कौन आएगा। देबू ने थंब्सअप का साइन बनाकर भेजा।

देबू बेंच प्रेस पर बैठा था। उसके हाथ में एक डम्बबेल थी और वह बाइसेप कर्ल्स कर रहा था। मैं उसके सामने खड़ी थी।
‘आर यू क्रेज़ी?’ मैंने कहा।
‘यहाँ आने के लिए शुक्रिया। और तुम इस ऑरेंज साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो। वॉव। जस्ट वॉव।’
‘व्हाटेवर। लेकिन क्या तुम उस डम्बबेल को नीचे रखोगे?’
‘मैं तो बस नैचुरल लगने की कोशिश कर रहा हूँ।’
‘तुम कुर्ते में हो और मैं साड़ी में। हम यहाँ नैचुरल लग ही नहीं सकते। देबू, तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने है ना। तुम फ्लाइट पकड़कर सीधे यहाँ आ पहुँचे।’
‘हाँ, और अब जेटलैग मुझे घेरे हुए हैं।’
‘तुम्हें पता नहीं, मैं यहाँ कैसे आई हूँ। सभी लोग मुझे डिनर के लिए ढूँढ रहे होंगे। यह कोई मज़ाक नहीं है। मेरी पूरी फैमिली यहाँ पर है। उनकी इज़्ज़त का सवाल है। तुम एकदम से भजन करने कैसे चले आए?’
‘क्योंकि मैं यह प्रार्थना करना चाहता था कि मेरा मिशन कामयाब हो।’
‘कैसा मिशन?’
‘तुम्हें फिर से हासिल करना। क्योंकि अभी मेरे लिए तुम इस दुनिया की सबसे कीमती चीज़ हो।’
मैं हैरान रह गई और उसकी ओर देखती रही। उसके चेहरे पर हमेशा की तरह दो हफ्ते की दाढ़ी थी और उसके बाल घुंघराले थे। उसका वजन जरूर थोड़ा बढ़ गया था।
‘कैसी हो बेबी?’
‘मुझसे इस तरह बात मत करो।’ मैंने इतनी जोर से कहा कि ट्रेडमिल पर चल रहे एक अमेरिकी आदमी ने पलटकर मेरी ओर देखा।
‘तुम्हें अंदाज़ा भी है, मुझे तुम्हारी वजह से क्या कुछ सहना पड़ा? तुमने तो जैसे मुझे अपनी ज़िंदगी से निकालकर फेंक ही दिया था।’
‘वो मेरी बेवकूफी थी। तब मैं केवल चौबीस साल का इनसिक्योर नौजवान था।’
‘और अब तुम क्या हो? अठाइस साल के एक बेवकूफ?’
‘हो सकता है। लेकिन अब मैं कम-से-कम इतना बड़ा तो हो ही गया हूँ कि यह समझ सकूँ कि तुम मेरी ज़िंदगी में आई सबसे खूबसूरत इंसान थीं।’
‘क्या? इट्‌स ओवर, देबू। यह बहुत पहले ही खत्म हो चुका है। तुम तो मेरे फोन का भी जवाब नहीं देते थे।’
‘आई एम सॉरी।’
‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब मैं तुमसे कहूँगी कि यहाँ से चले जाओ। जाओ, कोलकाता में अपने पैरेंट्‌स से मिल आओ। आखिर तुम इंडिया में हो।’
‘न्यूयॉर्क, बेबी।’
‘व्हाट न्यूयॉर्क?’
‘क्या तुम्हें वे दिन याद नहीं, जो हमने न्यूयॉर्क में साथ बिताए थे? हमारे बीच इशूज़ थे, माना। लेकिन तुम वो तमाम यादें कैसे भूल सकती हो?’
उसने मेरी आखों में झाँककर देखा। ऐसा लग रहा था मानो वह बहुत तकलीफ में हो। यह मेरे साथ पहली बार हुआ था कि कोई आधी दुनिया का चक्कर लगाकर मेरे लिए आया हो। और जिस इंसान ने आपके लिए यह किया हो, उस पर आप देर तक चिल्ला नहीं सकते।
‘तुम सबकुछ भूल गई हो, बेबी?’ देबू ने फिर पूछा।
‘नहीं देबू, मुझे सबकुछ याद है, ’ मैंने कोमल स्वर मे कहा।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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न्यूयॉर्क
चार साल पहले




5
‘बे-गल्स। वे इन्हें ऐसे ही प्रनाउंस करते हैं, बे-ग-ल्-स, -’ अविनाश ने गोल्डमान साक्स के 85 ब्रॉड स्ट्रीट, वर्ल्डवाइड हेडक्वार्टर्स के ब्रेकफास्ट काउंटर पर कहा।
अविनाश आईआईएमए का मेरा बैचमेट था। मेरी तरह उसने भी यहाँ पर जॉब पाने में कामयाबी पाई थी। वो अपना एमबीए करने से पहले भी विदेश में जॉब कर चुका था। अमेरिका में चीज़ें कैसे होती हैं, इस बारे में वह मुझसे कहीं बेहतर जानता था। उसने डॉनट के आकार वाली ब्रेड उठाई, उसे काले प्लास्टिक के एक चाकू से हॉरिज़ोन्टली स्लाइस किया और उस पर पनीर लगा दिया।
‘बेगल और क्रीम चीज़, क्लासिक कॉम्बो, ’ उसने कहा।
‘थैंक्स अविनाश, ’ मैंने कहा। मैंने ज़िंदगी में पहली बार एक वेस्टर्न स्टाइल ऑफिस सूट पहना था। आईआईएमए में हुए अपने इंटरव्यू तक में मैंने साड़ी ही पहनी थी।
कहीं यह स्कर्ट बहुत टाइट तो नहीं? कहीं मेरा पिछवाड़ा बहुत बड़ा तो नहीं दिख रहा? मेरे बाल तो ठीक हैं? मेरे भीतर रहने वाली मिनी-मी आज बहुत बोल रही थी। आखिर यह उसके लिए बक-बक करने की एक परफेक्ट सिचुएशन जो थी।
दुनियाभर से दो सौ और फ्रेश रिक्रुट्स ने ज्वॉइन किया था। हमारी एसोसिएट ट्रेनिंग दस सप्ताह तक चलने वाली थी और इसके लिए हमें सुबह 7.30 बजे रिपोर्ट करना था। एक क्विक ब्रेकफास्ट के बाद क्लासेस शुरू होनी थीं और शाम 6.30 तक चलती रहनी थी।
कॉर्पोरेट फाइनेंस, इक्विटीज़ एंड डिस्ट्रेस्ट डेट्स जैसे अलग-अलग डिपार्टमेंट्‌स के पार्टनर्स और सीनियर एम्पलॉइज़ को, सेशंस लेकर हमारे ग्रुप में होने वाली चीज़ों के बारे में बताना था। 20 हज़ार लोगों की फर्म में कोई 200 पार्टनर्स थे और वे सीनियर-मोस्ट पोजिशंस पर थे। उनकी सालाना कमाई करोड़ डॉलर तक होती।
‘गोल्डमान साक्स बिज़नेस प्रिंसिपल्स खोलिए, ’ एक सीनियर पार्टनर गैरी कोलबर्ट ने कहा, जो किसी अमीर बुजुर्ग जैसे नज़र आ रहे थे। गोल्डमान के कुल चौदह बिज़नेस प्रिंसिपल्स थे।
‘लॉन्ग टर्म ग्रीड, ’ गैरी ने बोलना शुरू किया। ‘प्रिंसिपल्स में यह पंक्ति पढ़िए। जी हाँ, यहाँ पर हमारा यही मकसद रहता है।’
इंवेस्टमेंट बैंकिंग और लालच का चोली-दामन का साथ होता है। यह गोल्डमान की ईमानदारी थी कि वे इसको स्वीकार करते थे। वे इसमें कोई देरी भी नहीं करते थे, क्योंकि जितना लालच किया जाए, पे-ऑफ उतना ही अच्छा मिलता था। गैरी ने गोल्डमान में अपने पैंतीस साल लंबे कैरियर के बारे में बताया, जिसकी शुरुआत एक ऑपरेशंस असिस्टेंट के रूप में हुई थी।
‘गोल्डमान में सभी जमकर मेहनत करते हैं। इससे बचने का कोई तरीका नहीं है। यदि आपको आराम की लाइफ चाहिए तो यह जगह आपके लिए नहीं है, ’ गैरी ने कहा। वेल, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अब मैं कहीं और नहीं जा सकती थी। मैं न्यूयॉर्क में थी और ऐसी कहानियाँ सुन चुकी थी कि किस तरह से नए एसोसिएट्‌स को ऑफिस में ही सोना पड़ता था।
हमारी ट्रेनिंग शुरू हुए दो हफ्ते हो गए थे, जब अविनाश मेरे पास आया और बोला : ‘यहाँ न्यूयॉर्क में हम इंडियन फ्रेंड्‌स का एक ग्रुप है। हम आज रात ड्रिंक्स के लिए मिल रहे हैं। तुम आना चाहोगी?’
‘मुझे मर्जर मॉडल स्प्रेडशीट पूरी करना है, ’ मैंने कहा।
‘तुम मुग्गु की मुग्गु रह गईं, ’ अविनाश ने कहा। हमेशा काम में मसरूफ रहने वालों को ‘मुग्गु’ कहा जाता था। आईआईएमए में मुझे जो तमगे मिले थे, वे इतनी आसानी से मेरा पीछा छोड़ने वाले नहीं थे।
लेकिन सच कहूँ तो मैंने झूठ बोला था। मेरा एक हेयरकट अप्वॉइंटमेंट था। यहाँ आने के बाद मैंने अपने पढ़ाकू और अनफैशनेबल लुक को त्यागने का मन बना लिया था। मेरी क्लास की एक एसोसिएट ट्रेनी के बेहद खूबसूरत, कमर तक लहराते बाल थे, और मैं भी ऐसे ही बाल चाहती थी। उसने मेरे लिए 32वीं स्ट्रीट के एक सैलून में बुकिंग करवा दी थी।
ज़ाहिर है, मैं अविनाश को यह नहीं बता सकती थी। वह मेरी हँसी उड़ाता। आईआईएमए एल्युमनी ग्रुप में खबर फैल जाती कि मुग्गु बाल सँवार रही है।
‘तुम न्यूयॉर्क में हो, तुम्हें थोड़ा जी भी लेना चाहिए।’ अविनाश ने कहा।
‘ड्रिंक्स पार्टी कहाँ पर है?’ मैंने कहा।
‘व्हिस्की ब्लू पर। यह डब्ल्यू होटल में एक बार है। बेंजामिन होटल के ठीक सामने, जहाँ तुम ठहरी हो।’
दुनिया में कुछ प्रॉब्लम्स ऐसी होती हैं, जो केवल हम लड़कियों के लिए ही होती हैं। जैसे कि क्या पहनें! उस रात मेरे पास पहनने के लिए अच्छा कुछ नहीं था।
‘पक्का तो नहीं कह सकती, मैं देखती हूँ।’ मैंने कहा।
‘क्या देखती हूँ, बस चली आओ।’ उसने कहा।

मेरे जैसी थोड़ी हटके लड़कियों के लिए, जिनके लिए शॉपिंग बहुत मुश्किल होती है और जो यह तय नहीं कर पाती हैं कि क्या पहना जाए, बनाना रिपब्लिक सबसे अच्छी जगह है।
‘हाय, यंग लेडी।’ एक एफ्रो-अमेरिकन सेल्स असिस्टेंट ने मुझसे कहा।
‘मुझे कुछ दोस्तों के साथ ड्रिंक्स पर जाना है और शॉपिंग करना मेरे बस की बात नहीं। क्या आप मेरी मदद करेंगी?’ मैंने अपनी ज़िंदगी में अभी तक केवल टेक्स्ट बुक की ही शॉपिंग की थी।
शॉप असिस्टेंट ने मेरे लिए एक ब्लू लैस ड्रेस निकाली। ड्रेस फिट थी, लेकिन वह मेरी जांघों तक जाकर खत्म हो जा रही थी।
‘यह बहुत छोटी है, ’ मैंने कहा।
‘बिलकुल नहीं। वैसे भी ये गर्मियों के दिन हैं। आप इसमें बहुत अच्छी लग रही हैं, ’ उसने कहा। मुझे उसका यह कहना अच्छा लगा, हालाँकि उसे ऐसी बातें कहने के पैसे मिलते थे। ‘लेकिन आपकी लेग्स को वैक्स करना होगा, बशर्ते आप नैचुरल रहना ना पसंद करती हों।’ सेल्सपर्सन ने मशहूर अमेरिकन पोलिटिकल करेक्टनेस का उदाहरण देते हुए कहा।

मैं रात नौ बजे व्हिस्की ब्लू पहुँची। इस आलीशान बार और लाउंज के सोफे बहुत अच्छी हालत में नहीं थे और यहाँ लाइट भी डिम थी। सबसे पहले मुझे अविनाश ने पहचाना।
‘हे, तुम लेट हो गईं। और वॉव!’
‘क्या?’
‘तुम्हारी ड्रेस। मैं तो तुम्हें पहचान ही नहीं पाया।’
मैं मन-ही-मन सोचने लगी कि यह कौन-सा वाला वॉव था : ‘ओह माय गॉड, तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो’ वाला या ‘हाय राम, ये तुमने क्या पहन लिया’ वाला?
अविनाश ने मुझे सबसे इंट्रोड्‌यूस कराया : ‘दैट्स रुचि, आशीष, निधि, रोहन और ये हैं हमारे ड्रीमर-फिलॉस्फर देबू। और गाईज़, ये हैं सुषमा, आईआईएमए की मेरी बैचमेट, एक नंबर की मुग्गु हैं ये!
फ़क यू, अविनाश! मैंने मन ही मन सोचा।
‘लेकिन यह देखने में तो मुग्गु नहीं लगती, ’ देबू ने कहा और मेरे बैठने के लिए जगह बनाई।
हमारे पास दो सोफा थे। उनमें से एक पर रुचि, आशीष और निधि बैठे थे। दूसरी पर रोहन, अविनाश, देबू और मैं थे। वेटर ने मेरे ऑर्डर के बारे में पूछा।
‘मैं तो ज़्यादा पीती नहीं, ’ मैंने कहा।
‘डोंट वरी, वे एक बार में एक गिलास ही देते हैं, ’ देबू ने कहा। मैं मुस्करा दी।
उसने मेरी आँखों में झाँककर देखा। वाकई उसका लुक फिलॉस्फरों जैसा था, बढ़ी दाढ़ी और बिखरे हुए बालों के साथ।
‘वाइन, ठीक है?’ उसने कहा।
‘श्योर, ’ मैंने कहा।
‘लेडी के लिए एक गिलास शिराज़, ’ देबू ने वेटर से कहा। इससे पहले मेरे लिए किसी ने शिराज़ ऑर्डर नहीं की थी। बाद में मुझे पता चला कि यह एक किस्म के अंगूर से बनी वाइन का नाम है।
‘चीयर्स, ’ ड्रिंक्स आने के बाद देबू ने कहा।
सभी ने अपने गिलास उठाए। देबू ने कहा : ‘यहाँ आने वाले नए लोगों अविनाश, सुषमा और रोहन के नाम : वेलकम टू यूनाइटेड स्टेट्‌स, वेलकम टू न्यूयॉर्क!’
धीरे-धीरे मुझसे उन लोगों के बारे में पता चलता रहा। रोहन आई आईआईएमसी से आया था। उसका जॉब मोर्गन स्टेनले में था। निधि और आशीष एक-दूसरे को डेट कर रहे थे। वे मेरिल लिंच न्यूयॉर्क में दो साल काम कर चुके थे।
जब सब बातचीत में खोए हुए थे, तब देबू मुझसे मुखातिब हुआ और कहा : ‘गोल्डमान साक्स, राइट? दैट्‌स अ बिग डील। कैसा लग रहा है वहाँ काम करना?’
‘इट्‌स ओके। मैं अब भी ट्रेनिंग में ही हूँ। बहुत कुछ मेरे सिर के ऊपर से ही निकल जाता है। तुम सुनाओ, तुम्हारा कैसा चल रहा है? तुम भी किसी बैंक में हो?’
देबू हँस पड़ा। ‘बिलकुल नहीं। मेरा हिसाब-किताब से कोई लेना-देना नहीं है। मैं बीबीडीओ में काम करता हूँ। यह मेडिसन एवेन्यू पर एक एड एजेंसी है।’
‘दैट्‌स सो कूल, ’ मैंने कहा।
‘मुझे यही एक अच्छा क्रिएटिव कैरियर समझ आया।’
‘तुम कहाँ से हो?’ मैंने कहा।
‘मैं कलकत्ता में पला-बढ़ा। फिर दिल्ली के एसआरसीसी में चला गया, फिर यहाँ से मास्टर्स किया...’
मैंने उसे बीच में ही रोक दिया : ‘एसआरसीसी? तुम वहाँ किस बैच में थे?’
‘ मैंने तीन साल पहले पास किया, ’ उसने कहा।
‘व्हाट! यानी तुम मुझसे एक बैच सीनियर हो।’
एक ही कॉलेज से पढ़ाई करने के बावजूद हम लोग कभी मिले नहीं थे।
‘सॉरी, मुझे याद नहीं आ रहा हम कब मिले थे, ’ मैंने कहा। ‘इसमें तुम्हारी गलती भी नहीं। मैं ही वहाँ हरदम पढ़ाई में डूबी रहती थी।’ हम दोनों हँस दिए। मेरे गिलास से ज़रा-सी वाइन मेरे पैरों पर गिर गई। उसने मुझे एक टिशू दिया। अंधेरा था, फिर भी मैंने पाया कि वह मेरी टाँगों को देख रहा था।
ओह, तो इसी तरह से लड़के लड़कियों को चेक आउट करते हैं। गनीमत है कि अभी अंधेरा है। लगता है मुझे अपने लिए जल्द ही एक वैक्सिंग अप्वॉइंटमेंट भी बुक कराना होगा।
‘तुम कहाँ ठहरी हो?’ देबू ने कहा।
‘सडक के उस पार, बेंजामिन होटल में। लेकिन केवल ट्रेनिंग तक। जल्द ही मुझे अपने लिए एक अपार्टमेंट ढूँढना होगा।’
उसने सिगरेट जलाई और मुझे ऑफर की। मैंने मना कर दिया।
‘क्या मैं कुछ कह सकता हूँ?’
‘श्योर।’
‘तुम्हारी यह ड्रेस बहुत अच्छी है।’
‘ओह थैंक्स।’
‘लेकिन तुम चाहो तो मैं वह प्राइस टैग हटा सकता हूँ। सिक्सटी नाइन नाइंटी फाइव। अच्छे दामों पर मिल गई।’
मेरे चेहरे का रंग बदलकर रेड वाइन जैसा हो गया। मैं अपने जीवन में इससे पहले कभी इतना एम्बैरेस नहीं हुई थी।
‘या तुम अगर ड्रेस लौटाना चाहती हो तो उसे वहीं रहने दो। अमेरिका में रिटर्न पॉलिसी बहुत ज़ोरदार है।’
मैंने जैसे-तैसे अपनी पीठ पर टंगे प्राइस टैग को ढूँढा। वह हँसा, टेबल से कटलरी चाकू उठाया और टैग को काट दिया।
‘वाट्‌सअप, गाईज़?’ अविनाश ने पूछा।
‘कुछ नहीं। मुझे इनकी ड्रेस अच्छी लगी तो ब्रांड चेक कर रहा था।’ देबू ने कहा।
‘तुम एड वाले हमेशा इन चीज़ों में दिलचस्पी लेते हो, ’ अविनाश ने कहा।
ड्रिंक्स के बाद ग्रुप के लोगों ने रेज़ जाने का फैसला किया, पिज्जा खाने के लिए एक बेहतरीन जगह।
‘तुम्हें खाने में क्या पसंद है?’ देबू ने पिज्जा खाते हुए मुझसे पूछा।
मुझे ऐसी कोई खास चीज़ पसंद नहीं थी और इंडियन फूड का नाम मैं यहाँ लेना नहीं चाहती थी, इसलिए मैंने बोल दिया, ‘चाइनीज़!’
‘यहाँ एक जगह बहुत अच्छा चाइनीज़ मिलता है। यदि तुम चाहो तो हम कभी चल सकते हैं।’
क्या उसने अभी-अभी मुझे अपने साथ बाहर ले जाने की बात कही थी? थैंक यू, बनाना रिपब्लिक। या शायद वह केवल मदद करना चाह रहा है और मुझे बताना चाह रहा है कि अच्छा चाइनीज़ फूड कहाँ मिलता है।
वह मेरी ओर देख रहा था, जवाब के इंतज़ार में।
‘हाँ, क्यों नहीं? तुम मुझे एड्रेस दे सकते हो, या अगर वे होम डिलीवरी कर सकें तो...’
‘मेरा मतलब यह था कि क्या तुम मेरे साथ वहाँ जाना चाहोगी?’
‘ओह, ’ मैंने कहा और चुप हो गई।
‘केवल तुम और मैं, ’ देबू ने कहा।
मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। क्या इसी को लोग डेट कहते हैं?
‘ओके, हम चल सकते हैं’ मैंने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
‘तो अगले शुक्रवार?’
मेरे दिमाग में कई तरह के विचार घूम रहे थे। क्या वह बहुत जल्दी नहीं कर रहा था? यदि मैं हाँ कह दूँ, तो यह बहुत चीप तो ना लगेगा? कहीं वह मुझे एक स्लट तो नहीं समझ लेगा? लड़कियाँ इस दुनिया में कैसे रहें, इसका कोई यूज़र मैन्यूअल क्यों नहीं होता।
‘शुक्रवार।’ मैंने कहा और चुप हो गई। वह जरूर यह सोच रहा होगा कि आखिर गोल्डमान ने मुझे नौकरी पर रखा कैसे।
‘हाँ वीकेंड, जिसमें अगले दिन ऑफिस जाने का टंटा नहीं।’ उसकी आवाज़ अब बहुत सहज नहीं जान पड़ रही थी।
‘ठीक है।’ मैंने यह ठीक ऐसे कहा, जैसे मुझे सात भारी सूटकेस उठाने पड़े हों।
‘कूल। फिर मैं तुम्हें मैसेज करके बता दूंगा कि कितने बजे चलना है।’
‘श्योर, ’ मैंने कहा।
‘यदि तुम मुझे अपना नंबर दे सको तो, ’ उसने कहा।
‘ओह, ऑफकोर्स।’ मैंने कहा।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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6
‘डिस्ट्रेस्ड डेट : स्पेशल सिचुएशंस ग्रुप, ’ प्रोजेक्शन सिस्टम की स्लाइड पर लिखा हुआ था। एसोसिएट ट्रेनिंग क्लास में सन्नाटा पसरा हुआ था। यह सबसे मुश्किल ग्रुप था। हर साल इस ग्रुप में केवल एक या दो एसोसिएट्‌स को जॉब मिलता था। लेकिन यह जॉब हासिल करने वालों को तेज़ तरक्की और बढ़िया बोनस भी दिया जाता था।
इस प्रजेंटेशन के लिए सभी इंतजार कर रहे थे।
‘गुड मोर्निंग, एवरीवन, ’ स्पीकर ने ब्रिटिश एक्सेंट में कहा। ‘आई एम नील गुप्ता, हांगकांग ऑफिस में स्पेशल सिचुएशंस ग्रुप में पार्टनर।’
मैंने अपनी डेस्क से सिर उठाकर देखा। वह छह फीट का तगड़ा शख्स था। गालों की हड्‌डियाँ उभरी हुईं, हल्का भूरा रंग, कुछ पके बाल। उसने नेवी ब्लू सूट और मैचिंग टाई पहन रखी थी। उसने कहा : ‘मैं आपको डिस्ट्रेस्ड डेट ग्रुप का एक ओवरव्यू देना चाहता हूँ, जो कि गोल्डमान में होने के लिए सबसे एक्साइटिंग जगह है।’ मेरे पास चार अमेरिकन लड़कियाँ बैठी थीं : मैगी, एंजेला, जेसिका और कैरोलिन। वे एक-दूसरे को देखकर ‘ही-इज़-सो-हॉट’ की मुद्रा बना रही थीं। यदि वह इस ग्रुप का पार्टनर नहीं होता तो वह बहुत आसानी से उन विज्ञापनों में आने वाला एक मॉडल बन सकता था, जिनमें चंद खास लोग महंगी घड़ियाँ खरीदते नज़र आते हैं।
उसने स्लाइड बदली। इस स्लाइड में बिज़नेस की अलग-अलग स्टेज के बारे में बताया गया था। शुरुआत स्टार्टअप स्टेज से होती थी, जिसमें आगे चलकर ग्रोथ, मैच्योरिटी, डिक्लाइन और डिमाइस की स्टेजेस थीं।
‘एंजेल फंड्‌स, वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी। इन्हें कंपनी का मैटर्निटी वार्ड भी कहा जा सकता है, क्योंकि ये नई कंपनियों के लिए मददगार होते हैं।’ लड़कियाँ उसे देखकर कनखियों से इशारे करती रहीं। हांगकांग की लड़कियों को उसे देखकर गर्व की अनुभूति होती रही।
नील ने अपनी बात जारी रखी : ‘दूसरी तरफ हम डेथ वार्ड वाले हैं। हमारा काम तब शुरू होता है, जब कंपनी नाकाम हो चुकी होती है और हमारे सामने यह सवाल होता है कि क्या हमें कुछ ज़ोरदार करना चाहिए या फिर लाइफ सपोर्ट को हटाने का वक्त आ गया है। आपको क्या लगता है यह कितना सरल होगा?’
वह क्लास में टहलता हुआ मेरे पास आ खड़ा हुआ। उसने ज़बर्दस्त परफ्यूम लगा रखा था, ऐसा कि आपका उसके पास जाकर उसे सूँघने का मन हो।
‘यू यंग लेडी, तुम्हें लगता है कि फैक्टरियों को बंद करके लोगों को नौकरी से निकाल देना आसान है?’
मैं इसकी उम्मीद नहीं कर रही थी कि जहाँ दुनियाभर से लोग आए हों, वहाँ मुझसे कोई सवाल पूछा जाएगा। क्या होगा अगर मैंने कोई मूर्खतापूर्ण बात कह दी तो। कहीं वे मुझे पर दिल्ली एक्सेंट में तो नहीं हँसेंगे?
मैं नर्वस-सी उठ खड़ी हुई।
‘बैठ जाओ और अपनी सीट पर से ही जवाब दो। कहाँ से हो तुम?’
‘इंडिया, सर।’
‘आह, मेरी परवरिश वहीं की है। बारह की उम्र में यूके चला आया था। एनीवे, तो तुम्हें क्या लगता है, किसी बिज़नेस को कब बंद कर देना चाहिए?’
‘जब तमाम ऑप्शंस खत्म हो गए हों। जब उसे चलाए रखने का मतलब पैसा बर्बाद करना बन जाए। जब कोई उम्मीद ना बचे।’
‘जब कोई उम्मीद ना बचे, हूँ, बात तो अच्छे से कही है। लेकिन जब ऐसा होता है, तब क्या दिल नहीं टूट जाता?’
मैं चुप रही। वो आगे बढ़ गया।
‘मरे हुए लोगों को दफनाने की कोशिश करने को क्या गलत ठहराया जा सकता है?’ नील ने कहा। उसके इस उदाहरण ने तस्वीर को साफ कर दिया था। इससे यह विषय भी रोचक बन गया। नील ने आगे कहा : ‘मैं बारह साल में पार्टनर बन गया। फर्म के दूसरे पार्ट्स में इसके लिए बीस से ज़्यादा साल लगते हैं। हमारे एसोसिएट को उतना पैसा मिलता है, जितना दूसरे ग्रुप्स में वीपी को मिलता है। अगर आप डिस्ट्रेस्ड डेट से जुड़े रहते हैं, तो आपको एक ख़ासा अमीर व्यक्ति बनने से कोई रोक नहीं सकता।’
गोल्डमान साक्स कभी भी सार्वजनिक रूप से पैसों की बात नहीं करता था। ट्रेनी एक-दूसरे के कानों में फुसफुसाते कि नील के पास कंपनी के कोई तीन करोड़ डॉलर मूल्य के शेयर थे! इस जानकारी ने उसकी बोल्डनेस में और इज़ाफा कर दिया था।
उसका सेशन खत्म होने पर तालियों से स्वागत किया गया। जाने से पहले उसने आखिरी बात कही : ‘ग्रुप में कुछ ही जगहें खाली हैं। जिनको दिलचस्पी है, वे ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर को अप्लाई करें। हम शॉर्टलिस्ट करने के बाद फिर आपसे मिलेंगे।’ फिर उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा, ‘कोशिश करना, इतने सब के लिए इतना तो किया ही जा सकता है।’
क्या उसने मुझे अप्लाई करने के लिए इशारा किया था? क्या उसको मेरा जवाब अच्छा लगा? तभी मेरा फोन घनघनाया। देबू का मैसेज था।
‘ताओ रेस्तरां। 58वीं स्ट्रीट और पार्क एवेन्यू के बीच। रात आठ बजे। ओके?’
ओह, मैं तो भूल ही गई थी कि आज मेरी डेट है। लेकिन उससे पहले मुझे एक और ज़रूरी काम करना था। मेरी वैक्सिंग अप्वॉइंटमेंट।

‘ओहो... जरा धीरे, इट हर्ट्स, ’ मैंने वैक्सिंग लेडी से कहा।
‘तुमने यह पहले कभी नहीं किया?’ कोई पचपन साल की वैक्सिंग लेडी कैथरीन ने कहा।
मैं अपनी अंडरवियर में लेटी हुई थी। मैं ‘कंप्लीटली बेयर’ में आई थी, 68वीं स्ट्रीट और मैडिसन पर मौजूद एक वैक्सिंग स्टूडियो।
‘किया तो है, लेकिन केवल दो बार। इंडिया में। सालों पहले।’ मैंने कहा।
‘रियली? क्या तब भी दर्द हुआ था?’
‘हाँ, हुआ तो था। घर में एक शादी थी और अदिति दीदी ने मुझ पर ज़ोर डालकर यह करवाया था। लेकिन उसके बाद नहीं।’ काश देबू को पता चल जाता कि उसके साथ एक प्लेट नूडल्स खाने के लिए मुझे क्या सहन करना पड़ रहा है। कैथरीन ने मोल्टेन वैक्स के बॉउल में स्पातुला डुबोया।
‘कोल्ड वैक्स में और दर्द होता है, लेकिन रिजल्ट लंबे समय तक रहता है।’ उसने मेरी ऊपरी जाँघों पर वैक्स लगाया, फिर उस पर छह इंच लंबी और दो इंच चौड़ी एक सफेद पट्‌टी बिछाई। बाल उस पर चिपक गए। मैं समझ गई कि कहर ढाया जाने वाला है।
‘क्या आप मुझे लोकल एनेस्थेसिया नहीं दे सकतीं?’
‘रिलैक्स, हनी।’
मैंने अपने दाँतों को भींच लिया और आँखें मूंद लीं। मुझे लग रहा था जैसे मैं मिडिल ईस्ट में हूं। वहाँ पर औरतों को कोई भूल करने पर कोड़ों से मारकर सज़ा दी जाती है। मुझे लग रहा था, मेरे लिए भी ऐसा कोई फतवा जारी किया गया है। उसने मेरी जाँघें साफ कीं, फिर मुझे पलटने को कहा। मुझे लग रहा था कि मैं कोई मछली हूँ, जिसे डिनर के लिए तैयार किया जा रहा हो।
‘तुम ब्राज़ीलियन पसंद करोगी? उसमें केवल पंद्रह डॉलर और लगेंगे।’
‘ये क्या होता है?’
‘इसका मतलब है सबकुछ सफाचट। वहाँ पर भी।’
मुझे उसकी बात समझने में कुछ सेकंड लगे। तब जाकर मुझे समझ आया कि वह करवाने में कितनी तकलीफ होने के साथ ही कितना अजीब भी महसूस होगा।
‘क्या लड़कियाँ वह करवाती हैं?’
‘सभी लड़कियाँ। आजकल के लड़कों को बुशेस पसंद नहीं।’
ठीक है, मैंने खुद से कहा। पंद्रह डॉलर ही तो और लगेंगे। करवा ही लिया जाए।
‘यू वांट इट?’ कैथरीन ने पूछा।
शायद हाँ। आज रात देबू के लिए नहीं, लेकिन शायद मेरे लिए। सुषमा, बहुत हुआ पढ़ाकू बनकर रहना। इसे करवा ही डालो!
‘श्योर, ब्राजीलियन हो जाए।’
इसके बाद जो हुआ, उसे मैं डिटेल में नहीं बताना चाहूंगी। कैथरीन ने मेरे शरीर के उस हिस्से का अच्छे-से मुआयना किया, जिसे अभी तक किसी ने देखा नहीं था। फिर उसने वहाँ पर कोल्ड वैक्स लगा दिया। मैं सोचने लगी कि हम लड़कियाँ यह सब क्यों करवाती हैं? लड़के ऐसा क्यों नहीं करवाते? फिर मैंने सोचा कि इससे तो सऊदी अरब में कोड़े खाना ही बेहतर।
‘देयर वी गो, ’ कैथरीन ने दस मिनट बाद कहा। ‘तुम्हें जल्द ही इसकी आदत हो जाएगी। और मेरा यकीन मानो, उसको यह बहुत पसंद आएगा।’
ऐसा कोई नहीं है, मैं उसे कहना चाहती थी। कि मैं आज केवल वॉन्टन सूप लेने जा रही हूँ, वॉन्टन सेक्स करने नहीं।
कैथरीन अपने साथ क्रिस्टल डॉट्‌स की एक स्ट्रिप लेकर लौटी।
‘और एक स्पेशल प्रमोशन के चलते ब्राज़ीलियन करवाने वाले अपने सभी कस्टमर्स को हम देते हैं मुफ्त स्वारोव्स्की सेवा। यकीन मानो, इससे बिलकुल तकलीफ नहीं होगी।’
मुझे यकीन नहीं हुआ, जब कैथरीन ने वहाँ पर तीस क्रिस्टल्स का एक पैटर्न बना दिया। इसके बाद उसने मुझे खड़े होकर आईने में देखने को कहा।
‘मैं किसी स्ट्रिपर जैसी दिख रही हूँ, ’ मैंने कहा।
‘नहीं, तुम सेक्सी दिख रही हो।’
‘लेकिन मैं वहाँ पर क्रिस्टल्स पहनकर नहीं चल सकती... यू नो।’
‘कोई बात नहीं, वे दो दिन में निकल जाते हैं। खासतौर पर जब तुम उसे साबुन से अच्छे से रगड़ो।’
देबू का फोन आया।
‘हे, ट्रेनिंग हो गई? टाइम पर पहुँच जाओगी ना, या हम 8.30 पर मिलें?’
‘हाँ, ट्रेनिंग हो गई। बस थोड़े ‘इंटर्नल इशूज’ थे। मैं जल्द ही पहुँच रही हूँ।’

‘तुम तो कमाल लग रही हो।’ उसने कहा।
‘थैंक यू, ’ मैंने कहा।
‘और तुम्हारी ड्रेस भी बहुत प्यारी है।’
‘और देखो, आज कोई टैग भी नहीं, ’ मैंने कहा और पीछे मुड़कर दिखाया।
हम दोनों हँस पड़े। मैंने एक मिलिट्री ग्रीन लेस ड्रेस पहनी थी। वह मेरे घुटनों से बहुत ऊपर खत्म हो जा रही थी। लेकिन मुझे नहीं लगता देबू ने अभी तक उसे नोटिस किया था, जिसके लिए मैंने सौ डॉलर खर्च किए थे। रेस्तरां में डिम लाइट थी और मेरी टाँगें टेबल के नीचे छुपी हुई थीं।
देबू ने हमारे लिए एक सेट डिनर ऑर्डर किया।
हम ताओ में अपर लेवल में बैठे थे। न्यूयॉर्क को देखते हुए यह एक काफी बड़ा रेस्तरां था। नीचे हम बुद्ध की एक बड़ी-सी मूर्ति और जेन कोई पॉन्ड देख सकते थे।
‘नाइस प्लेस, ’ मैंने कहा।
‘तुम्हें पता है कि यहाँ पर ‘सेक्स एंड द सिटी’ की शूटिंग हुई थी?’ देबू ने पूछा।
‘नहीं। वैसे तुम्हारा आज का दिन कैसा रहा?’
‘अच्छा। हम अंडर आर्मर नाम के एक नए स्पोट्र्सवियर ब्रांड को प्रमोट कर रहे हैं। उम्मीद है कि यह चलेगा। गोल्डमान में सब ठीक चल रहा है?’
‘मैं अब भी ट्रेनिंग के दौर से ही गुज़र रही हूँ। काम बहुत है और आने वाले दिनों में और बढ़ने वाला है।’
मैंने उसे नील के प्रज़ेंटेशन के बारे में बताया। और यह भी कि कैसे मुझसे उसने भरी क्लास में सवाल पूछा था। मैंने कहा : ‘सोच रही हूँ कि डिस्ट्रेस्ड डेट के लिए अप्लाई नहीं करना चाहिए। वैसे भी यह बहुत कठिन है।’
‘तुम अप्लाई क्यों नहीं कर सकतीं? तुम आईआईएमए से हो। तुम आसानी से उसे क्रैक कर दोगी।’
‘लेकिन मेरी क्लास में दुनिया के टॉप कॉलेजेस के लोग हैं। हार्वर्ड, स्टेनफर्ड, एक-एक कर गिनते जाओ।’
‘तो क्या हुआ? तुमने उस सवाल का जवाब दिया था ना?’
मैंने देबू की ओर देखा। उसने मेरी बातों को ध्यान से सुना था। उसकी गहरी काली आँखें कैंडल लाइट में चमक रही थीं। मैं अपनी कुर्सी पर पीछे खिसकी और क्रॉस लेग कर बैठ गई। ऐसा करना बहुत स्मूद लगा और इसकी वजह सोचकर मैं मुस्करा दी।
‘तुम मुस्करा क्यों रही हो?’ उसने पूछा।
‘कुछ नहीं।’
‘सुनो, ’ उसने मेरे हाथों पर अपना हाथ रखते हुए कहा, ‘तुम्हें अप्लाई करना ही होगा। बहुत सारे इंडियंस इस शहर में आते हैं और इसे देखकर घबरा जाते हैं। लेकिन तुम ऐसा मत करो। तुम वह कर सकती हो और करोगी।’
‘थैंक्स। और तुम्हारा वह अंडर आर्मर भी कामयाब रहेगा।’
‘चीयर्स।’ उसने कहा और हमने अपने पानी के गिलास उठा लिए। वेटर हमारा खाना लेकर आ गया - चिकन नूडल सूप और वेजिटेबल फ्राइड राइस। सूप का स्वाद मुझे नहीं जमा तो मैं राइस खाने लगी।
‘तुम्हें चिकन पसंद नहीं?’ उसने कहा।
‘मैं मीट खा लेती हूँ, लेकिन मैं वेजीटेरियन ही प्रिफ़र करती हूँ, ’ मैंने कहा।
‘मैं भी वेजीटेरियन हूँ, ’ उसने कहा।
‘रियली?’
‘मैं बंगाली हूं। हम लोगों के लिए फिश और चिकन, वेजीटेबल की तरह ही हैं।’
हम दोनों हँस पड़े।
पूरे डिनर के दौरान हम बातें करते रहे। उसने मुझे कोलकाता में अपने पैरेंट्‌स के बारे में बताया। उसके पिता की एक प्रिंटिंग प्रेस थी, हालाँकि अब उससे ज़्यादा कमाई नहीं होती थी। उसकी माँ हाउसवाइफ थी। देबू बचपन से ही एक पेंटर बनने के सपने देखता था। लेकिन बाद में वह एक कमर्शियल आर्टिस्ट बनने पर राज़ी हो गया। उसके पैरेंट्‌स ने इतनी बचत की थी कि उसे अमेरिका में डिज़ाइन एंड आर्ट्स का कोर्स करने भेज सकें। कैम्पस प्लेसमेंट के ज़रिये उसे यह जॉब मिला था।
‘एडवरटाइज़िंग की फील्ड कूल लगती है। और वह भी मेडिसन एवेन्यू पर। दुनिया में यह करने के लिए इससे बेहतर जगह कोई दूसरी नहीं।’ मैंने कहा।
‘लेकिन अंदर से सबकुछ इतना कूल नहीं है। पोलिटिक्स चलती रहती है। पैसा बहुत नहीं मिलता। मैं लकी था कि मुझे अच्छे कैम्पेन्स में काम करने का मौका मिला। लेकिन जूनियर्स को ज़्यादा क्रिएटिव काम नहीं मिलता।’
‘लेकिन बात केवल किस्मत की ही नहीं होगी। तुम अपने काम में माहिर भी होंगे।’
उसने मेरी ओर देखा और मुस्करा दिया। वह चॉपस्टिक्स की मदद से खा रहा था। मैंने भी कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। मिनी-मी ने मुझसे कहा कि तुम्हारे लिए फोर्क और स्पून से खाना ही बेहतर रहेगा।
‘थैंक्स फॉर दर कांप्लिमेंट, ’ उसने कहा। ‘डेज़र्ट?’
मैंने मेनू देखा। उसमें स्वीट रेड बीन पुडिंग और टोफू आइस्क्रीम लिखा था।
‘रेड बीन पुडिंग? यह क्या होता है?’ मैंने कहा।
‘राजमा। कह लो राजमे की खीर।’
‘छी।’
‘चाइनीज डेज़र्ट्स में वो बात नहीं होती है।’
‘बंगाली मिठाइयों का कोई जवाब नहीं।’ मैंने कहा।
देबू का सीना जैसे गर्व से फूल गया।
‘बंगाली मर्द भी बुरे नहीं होते।’ उसने कहा।
क्या उसने मेरे साथ फ्लर्ट किया? क्या इसे ही फ्लर्टिंग कहते हैं? क्या मुझे भी इसका कोई ऐसा ही जवाब देना चाहिए?
‘बंगाली मिठाइयों जितने ही स्वीट?’ मैंने पूछा।
देखा, मैं भी फ्लर्ट कर सकती हूँ।
उसे इसकी उम्मीद नहीं थी। उसने थोड़ा रुककर कहा : ‘तुम खुद ही क्यों नहीं पता कर लेतीं?’
दैट्‌स इनफ, सुषमा। अब बात खतरे के निशान से ऊपर जा रही है। सब्जेक्ट बदलने की कोशिश करो। तुम अपनी पहली ही डेट पर स्लट समझी जाना पसंद नहीं करोगी।मैं खुद से बात कर रही थी।
देखिए, हमारे साथ यही होता है। जब हम किसी मर्द के साथ होती हैं, तो हमें लगता है जैसे हम कोई इन्तिहान दे रही हों। सवालों का सोच-समझकर जवाब देना। इस तरह दिखाना मानो हम कुछ समझती ही नहीं। नैचुरल होने के बजाय हमेशा बनने की कोशिश करना।
‘मर्दों का पता नहीं। अलबत्ता अभी मैं जरूर एक रसगुल्ला खाना चाहूँगी।’ मैंने कहा। ‘लेकिन यहाँ मैनहटन में वो कहाँ मिलेगा।’
‘कोई बात नहीं। हम बंगालियों ने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है। तो किसी रसगुल्ला प्लेस में चलें?’
‘यहाँ पर?’
उसने सिर हिलाया और मुस्करा दिया। बिल आया। उसने खोलकर देखा।
‘हम आधा आधा कर लें।’ मैंने कहा और बीस डॉलर के दो नोट निकाल लिए।
उसने कुछ पल सोचा और फिर कहा : ‘एक्चुअली, नो। इस बार मेरी तरफ से यह दावत।’
डेट्स पर तो ऐसा ही होता है, लेकिन फिर जेंडर इक्वेलिटी का क्या होगा? मैंने खुद से कहा।
‘क्यों? हम मिलकर कर सकते हैं।’ मैंने कहा।
‘नहीं, ’ उसने पर्स से पैसे निकालते हुए कहा। ‘इतने ज़्यादा नहीं हैं। तुम चाहो तो रसगुल्ले अपने पैसों से खा लेना।’

देबू और मैं एक येलो कैब लेकर 28वीं स्ट्रीट और लेक्सिंगटन एवेन्यू पर पहुँचे। यह एरिया मरी हिल कहलाता है।
‘इसको करी हिल भी कहते हैं, ’ देबू ने टैक्सी से निकलते ही बताया। आसपास का नज़ारा देखकर मैं समझ गई कि क्यों। सड़क के दोनों तरफ इंडियन, बांग्लादेशी, पाकिस्तानी रेस्तरां थे। कुछ तो भारत के रोडसाइड ढाबों की याद दिलाने वाले थे।
‘क्या हम न्यूयॉर्क में ही हैं?’ मैंने हँसते हुए कहा।
‘यह मिडटाउन मैनहटन है, ’ देबू ने कहा। ‘तुम्हें पसंद आया?’
‘मुझे बहुत अच्छा लगा। इन फैक्ट, अच्छा होता यदि हम पहले यहीं आते।’
‘ओह, तब तो ताओ पर बेकार ही पैसा खर्च किया। काश कि मुझे पता होता कि तुम एक चीप डेट हो सकती हो।’
डेट! डसने डेट शब्द का इस्तेमाल किया। क्या मैं एक डेट पर हूँ? हम लाहौरी कबाब नाम की एक परांठा शॉप पर थे, इसके बावजूद डेट पर होने की बात मुझे रोमांचित कर रही थी।
‘क्या हम एक परांठा ले सकते है?’ मैंने कहा।
‘हाँ, लेकिन हमने अभी तो खाना खाया है।’
‘मैं पंजाबी हूँ। राइस को हम लोग खाना नहीं समझते।’
देबू ने दो गोभी परांठे ऑर्डर किए। मैंने देखा कि वहाँ चार इंडियन लड़के भी मौजूद थे, जिन्होंने नियोन कंस्ट्रक्शन वर्कर वाली जैकेट पहन रखी थी। मैंने देखा कि वे मेरी टांगों को घूर रहे थे।
चलो, आख़िरकार इतना पैसा खर्च करने के बाद कोई तो देखने वाला मिला, मैंने खुद से कहा।
रेस्तरां में इंडियन मिठाइयाँ भी थीं। परांठों के बाद हमने दो-दो रसगुल्ले खाए।
बेहतर होगा अगर कल तुम लंच ना ही लो, मिनी मी ने कहा, मोटी टांगों को वैक्स करने से भी कोई फायदा नहीं होने वाला।
‘मुझे अच्छा लग रहा है कि तुम एंज्वॉय कर रही हो, ’ देबू ने कहा।
‘सॉरी, मैंने कई हफ्तों से इंडियन फूड नहीं खाया था, ’ मैंने कहा।
उसने एक टिशू से मेरे होंठ पोंछ दिए। मैं मुस्करा दी।
‘ब्रुकलिन में जहाँ मैं रहता हूँ, वहाँ भी कुछ इंडियन रेस्तरां हैं।’ देबू ने कहा।
‘तुम ब्रुकलिन में रहते हो?’ मैंने कहा।
‘हाँ। मैंने कहा था ना कि एड की दुनिया केवल कागज़ पर ही ग्लैमरस होती है। वे इतना पैसा नहीं देते। हम ब्रुकलिन में ही रहने की जगह अफोर्ड कर सकते हैं।’
‘हम यानी?’
‘मैं शेयर करता हूँ। मेरे साथ दो और बंदे हैं।’
‘ओह ओके। मुझे भी जल्द ही एक अपार्टमेंट लेना है।’ मैंने कहा।
बिल आया। इस बार मैंने पैसा चुकाया। कुल जमा आठ डॉलर। हम उठ खड़े हुए।
‘तुम अगले हफ्ते कोई मूवी देखना चाहोगी? शाहरुख खान की ‘डॉन 2’आ रही है।’
‘यहाँ पर इंडियन मूवीज़ के थिएटर भी है?’ मैंने उत्साह से कहा।
‘हाँ हैं कुछ। तो अगले शुक्रवार?’
मैंने सिर हिलाकर हामी भर दी।
डेट नबंर टू, बेबी, मैंने खुद से कहा और मन-ही-मन खुद को एक हाई-फाइव दिया।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

Post by Masoom »

7
एक महीने बाद
एसोसिएट ट्रेनिंग के आख़िरी दिन मुझे अपनी ट्रेनिंग मैनेजर जेन रोसेनबर्ग का एक मेल मिला। उसने मुझे अपने ऑफिस बुलवाया था।
मैं सोचने लगी कहीं मुझसे कोई भूल तो नहीं हो गई। मैंने देबू से मिलने के लिए कुछ क्लास स्किप की थीं। क्या उन्हें पता चल गया?
मैंने और देबू ने दो फिल्में देखी थीं। एक, ‘यान्की बेसबॉल गेम’ और दूसरा ‘द लॉयन किंग’ नाम का एक ब्रॉडवे म्यूज़िकल। हमने मैनहटन के तमाम रेस्तरां छान मारे थे और इटैलियन, इंडियन, मिडिल -ईस्टर्न हर तरह का खाना खा लिया था।
मुझे न्यूयॉर्क से प्यार हो गया था। मुझे देबू भी अच्छा लगने लगा था, हालाँकि अभी तक हमारे बीच रोमांटिक रिलेशन नहीं थी।
हमारी अगली डेट कल थी। इसके लिए मैंने एक शॉर्ट वाइन -कलर्ड ड्रेस चुनी थी, मेरी अब तक की सबसे बोल्ड ड्रेस।
तभी मार्क नाम के एक अमेरिकन एसोसिएट ने आकर कहा कि क्या जेन ने मुझे भी अपने ऑफिस बुलाया है।
‘हाँ। लेकिन तुम्हें कैसे मालूम?’
‘क्योंकि मेरे ईमेल पर तुम्हारा नाम भी सीसी में था। तुम, मैं और एक और एसोसिएट कार्ल वोंग को बुलाया गया है।

मैं 85 ब्रॉड स्ट्रीट पर सोलहवें फ्लोर पर मौजूद जेन के ऑफिस पहुँची। जेन, चालीस पार की एक महिला, अपनी डेस्क पर बैठी कंप्यूटर में खोई हुई थी।
‘वेलकम, तो आप लोग न्यू एसोसिएट्‌स हैं, ’ जेन ने कहा।
मैंने मार्क और कार्ल की ओर देखा। वो मेरी तुलना में ज़्यादा रिलैक्स नज़र आ रहे थे।
‘ मैंने आप लोगों को यहाँ इसलिए बुलाया, क्योंकि मेरे पास आपके लिए फ़्रेश ऑफ़र्स हैं। आप तीनों का सिलेक्शन डिस्ट्रेस्ड डेट ग्रुप के लिए कर लिया गया है।’
‘यस्स!’मार्क ने कहा और हवा में मुक्का मारा। फिर मार्क और कार्ल ने हाई-फाइव किया।
‘रियली!’ मैंने कहा। मैं तो पूछना चाहती थी कि कहीं कोई भूल तो नहीं हो रही है। ये सच है कि मैंने एप्लाई किया था। मैं कुछ लोगों से मिली भी थी। लेकिन मुझे तो कभी नहीं लगा था कि मेरा दूर-दूर तक कोई चांस है।
‘ये एक टफ चैलेंज है, लेकिन एक ग्रेट अपॉर्च्यूनिटी भी है, ’ जेन कह रही थी। ‘क्या आप इसे एक्सेप्ट करते हैं या फिर आप किसी दूसरे डिपार्टमेंट में जाना चाहेंगे?’
‘यस ऑफ कोर्स, आई एक्सेप्ट, ’ मार्क ने कहा। ‘आएम गोइंग टू किल इट!’
‘टोटली एक्सेप्ट, ’ कार्ल ने कहा। मूल रूप से चीनी होने के बावजूद उसकी आवाज़ में अमेरिकी एक्सेंट था।
‘और तुम रा-डी-का?’
‘यस, वेल आई एम थिंकिंग।’
मैं क्या सोच रही थी? क्या मैं यह कर पाऊँगी? कहीं भूल से तो मेरा नाम नहीं ले लिया गया? कहीं यह बहुत कठिन तो नहीं होगा? हम लड़कियों के साथ यही दिक्कत है। लड़के तो इस ऑफर पर खुशी से कूद रहे थे और मैं उलझन में डूबी हुई थी। मिनी-मी, क्या तुम कुछ देर को चुप रहोगी? मैंने एक गहरी साँस ली।
‘यस, आई एक्सेप्ट, ’ मैंने कहा।
ऑफर लेटर साइन करते समय मैंने अपने भीतर रोमांच की एक सिहरन महसूस की। मैं इसे किसी से शेयर करना चाहती थी। मैंने तय किया कि इंडिया बाद में फोन करूंगी और मैं पहले देबू को बताऊंगी।’ देबू, मुझे डिस्ट्रेस्ड डेट मिल गया है!’ मैंने कहा।
‘ मैंने तो पहले ही कहा था कि तुम यह कर सकती हो और करोगी।’
‘हाँ, तुमने कहा तो था। देखते हैं अब क्या होता है। तुम क्या कर रहे हो?’
‘मैं ऑफिस में एक प्रज़ेंटेशन में बिज़ी हूँ। तो हम कल मिल रहे हैं, राइट?’
‘बिलकुल और इस बार दावत मेरी तरफ से। मेरे खयाल से हमें सेलिब्रेट करना चाहिए।’
‘श्योर। आई कांट वेट, ’ देबू ने कहा।
मैंने एक और ज़रूरी कॉल किया।
‘कंप्लीटली बेयर? मैं कल के लिए एक वैक्सिंग अप्वॉइंटमेंट बुक कराना चाहती हूँ।’

‘शैम्पेन, मैम। जैसा कि आपने ऑर्डर किया था, ’ वेटर ने कहा। उसने दो गिलास तैयार किए और बॉटल को एक आइस बकेट में रख दिया।
हम सोहो के एक्वाग्रिल में आए थे। इस रेस्तरां की ख़ासियत थी सी-फूड। देबू ने मुझे बताया था कि कोलकाता में हर खाने में फिश होती थी। हमने सेट डिनर चुना। वेटर साल्मन और एस्पैरेगस से बना स्टार्टर लेकर आया।
‘वाह, ये तो कमाल है!’ देबू ने कहा।
‘तुम्हें सी - फूड पसंद है, इसीलिए मैंने यह जगह चुनी है, ’ मैंने कहा। उसने सिर हिलाकर खींसे निपोर दीं। हर बार उससे मिलने पर मुझे उसके कर्ली बाल, बड़ी दाढ़ी और मुस्कराहट और अच्छी लगने लगी थी।
मेरी ड्रेस मेरी जांघों पर ही ख़त्म हो जा रही थी। मैं सोच रही थी कि वो इसको नोटिस करेगा या नहीं।
‘जब से हम पहली बार मिले, तब से हर हफ्ते मिलते रहे हैं, है ना?’ उसने कहा। मैंने उसके होंठों पर अपनी नज़रें जमा दीं।
हाँ, यह सच था। फिर हमने अभी तक किस क्यों नहीं किया? क्या किसी लड़की के लिए ऐसा सोचना गलत है? क्या उसे मुझे इसके लिए पूछना चाहिए?
‘क्या सोच रही हो?’ देबू ने कहा।
‘हुँ, कुछ नहीं। शायद अपने नए असाइनमेंट को लेकर नर्वस हूँ।’
आखिर कोई लड़की यह कैसे बोल सकती है कि वह किसिंग के बारे में सोच रही थी? ऐसा तो सुपर - स्लट ही करती हैं।
‘रिलैक्स। तुम कुछ भी कर सकती हो। तुम बहुत स्मार्ट हो। मैं अपनी ज़िंदगी में इतने स्मार्ट लोगों से कम ही मिला हूँ।’
मैंने उसकी ओर देखा। एक मर्द होकर एक लड़की की स्मार्टनेस की तारीफ करना! अब तो मैं उसे और चूमना चाहती थी। देबू, तुम कुछ करोगे या नहीं? या बस - बस ठूँस - ठूँसकर खाते ही रहोगे?
मैंने अपनी टाँगें समेट लीं और उनकी स्मूदनेस को एंज्वॉय करने लगी। देबू, अगर तुम सही कदम उठाते हो तो आज की रात तुम्हें बहुत खुशियाँ मिल सकती हैं।
‘डिस्ट्रेस्ड डेट। यह सुनने में ही डरावना लगता है, ’ देबू ने कहा।
आखिर मैं सब्जेक्ट को डिस्ट्रेस्ड डेट से बदलकर मेरी वैक्स टाँगों तक कैसे लेकर आऊँ?
‘हाँ, डरावना तो है। आपको खब्ती बिज़नेस ओनर्स से निगोशिएट करना होता है। वे कभी-कभी बैंक को पैसे चुकाने से मना कर देते हैं। तब हमें उनकी प्रॉपर्टीज़ ज़ब्त करके अपनी रकम हासिल करनी होती है।’
‘वॉव। यह सुनने में तो एक रेगुलर डेस्क जॉब नहीं लगता।’
‘हाँ। इसीलिए टीम में बामुश्किल ही कोई लड़की है। यह मर्दों का जॉब है।’
‘व्हाट नॉनसेंस। एक लड़की यह क्यों नहीं कर सकती। लडकियाँ बेहतर निगोशिएटर होती हैं।’
मुझे तुम पसंद हो। सचमुच। आगे बढ़ते जाओ, देबू।
देबू बोलता रहा : ‘ये सब मर्दों की फैलाई हुई बकवास है, ताकि लडकियाँ कोई पोज़िशन न हासिल कर सकें। हकीकत तो यह है कि मर्द तुम जैसी टैलेंटेड लड़कियों से डरते हैं।’
‘थैंक्स, देबू।’
लेकिन आज रात मेरे सामने डिस्ट्रेस्ड डेट से भी बड़ा चैलेंज था। मुझे देबू को बढ़ावा देना था, ताकि बात आगे बढ़ सके। लेकिन, जैसा कि ज़ाहिर है, चूँकि मैं एक लड़की हूँ, इसलिए मुझे यह दिखावा भी करना था कि मैं कुछ नहीं जानती।
वेटर ने हमें हमारा फाइनल कोर्स लाकर दिया : मिसो सॉस के साथ परोसी गई कॉडफिश।
‘वॉव, इससे बेहतरीन फिश मैंने कभी नहीं खाई। या शायद इससे बेहतर कोई और चीज़ ही मैंने कभी नहीं खाई है।’ देबू ने कहा।
‘हाँ। लेकिन अभी डेज़र्ट बाकी है। सबसे अच्छे को सबसे आखिर के लिए बचाकर रखो।’ मैने कहा।
क्या यह डबल मीनिंग था? फ़क, अपने आपको एक स्लट साबित मत करो, सुषमा!
वह हँस पड़ा। क्या उसे मेरी बात समझ में आई थी?
‘तुम तो जानती ही हो बोंगस और मिष्टी का नाता।’ उसने कहा। नहीं, वो नहीं समझा था।
‘काम कैसा चल रहा है?’ मैंने कहा।
‘बढ़िया। अंडर आर्मर वाले मामले में हमें लगभग कामयाबी मिल गई है। मेरे बॉस का कहना है कि अगर मैं यह डील कराने में कामयाब हो जाता हूँ तो वे मुझे प्रमोट करके सीनियर क्रिएटिव एसोसिएट बनवा देंगे।’
‘यह तो सुनने में डिस्ट्रेस्ड डेट एसोसिएट से कहीं कूल लग रहा है।’
वह हँस दिया : ‘तुम्हें पैसे ज़्यादा मिलते हैं। तो ज़्यादा कूल वह है।’
मैं पैसों के बारे में बात नहीं करना चाहती थी, इसलिए फिर से सब्जेक्ट बदलने की कोशिश करने लगी।
‘अंडर आर्मर एक कूल ब्रांड है। कल मैंने उनका स्टोर देखा। ग्रेट स्टफ, ’ मैने कहा।
‘मैं उनके कैम्पेन पर काम करने के लिए बेताब हूँ।’
हमारी आखिरी डिश डार्क चॉकलेट माउस केक विद ऑरेंज सॉस थी।
‘तुमने कमाल का रेस्तरां चुना, सुषमा, ’ देबू ने कहा। ‘पहले - पहल तो मुझे लगा था कि यह बहुत फैंसी है। लेकिन खाना बहुत मज़ेदार था। वॉव!’
वेटर बिल लाया। उसने उसे देबू को थमाया, लेकिन मैंने उसे उसके हाथ से छीन लिया। मैंने देबू से कहा था कि यह ट्रीट मेरी तरफ से होगी। मैंने बिल पर एक नजर दौड़ाई। 200 डॉलर का बिल था। मैंने बिल फोल्डर में पैसा रखा और उसे वेटर को दे दिया।
‘बहुत भारी बिल था ना? तुमने इतना खर्च क्यों किया?’
‘लुक, मैं न्यूयॉर्क में अपने अकेले दोस्त के साथ सेलिब्रेट करना चाहती थी। सो थैंक्यू फॉर बीइंग हियर।’
मैंने अपना शैम्पेन का गिलास उठाया। उसने भी ऐसा ही किया और एक टोस्ट दिया : ‘मेरी टैलेंटेड दोस्त सुषमा के नाम, जो डिस्ट्रेल्ड डेट में जाकर मर्दो को बताएगी कि काम कैसे किया जाता है!’

हमने तय किया कि एक्वाग्रिल से बेंजामिन होटल तक का सफर हम पैदल चलकर तय करेंगे। वहाँ से देबू ब्रुकलिन की एक सीधी ट्रेन पकड़ सकता था। मेरे पास अब केवल 30 मिनट बचे थे। मेरे भीतर का एक हिस्सा चीखकर कहना चाहता था कि देबू, मुझे किस करो! लेकिन ज़ाहिर है, एक अच्छी इंडियन लड़की के रूप में ताउम्र ब्रेनवॉशिंग किए जाने के कारण मैं ऐसा नहीं कर सकती थी।
देबू ने कोई पहल नहीं की। अलबत्ता पूरे रास्ते वह बहुत अच्छी बातें ज़रूर करता रहा।
‘यह बहुत जरूरी है कि लडकियाँ अच्छा काम करके दिखाएँ। यह नौजवान लड़कियों के लिए भी एक उदाहरण होगा। वे इससे इंस्पायर होंगी।’ उसने कहा।
‘लेकिन मैं किसको इंस्पायर कर रही हूँ?’ मैने कहा। मेरे दिमाग में इस समय कई चीज़ें चल रही थीं। जैसे, क्या उसने मेरे लेग्स पर गौर किया। कहीं डिनर से मेरा पेट ज़्यादा तो नहीं फूल गया। मेरे बूब्स तो अपनी जगह पर ठीक से हैं ना? क्या इस बंदे को धीमे नहीं चलना चाहिए ताकि मैं अपनी हील्स में आराम से चल सकूँ।
‘ऑफ कोर्स, तुम एक इंस्पिरेशन हो। मिसाल के तौर पर, तुम्हारे कज़िन्स के लिए।’
मैं हँस दी।
‘क्या हुआ?’ उसने कहा।
‘पता नहीं। मेरी बहन अदिति ने बहुत मुश्किल से ग्रेजुएशन किया है, फिर भी उसे पसंद करने वालों की तादाद बहुत है। मेक – अप, कपड़ों वगैरह के बारे में वह मुझसे कहीं ज़्यादा जानती है।
अब जाकर देबू ने कहा : ‘तुम्हारी कपडों की च्वॉइस बहुत अच्छी है।’
‘रियली?’ मुझे इस पर यकीन करने में दिक्कत हो रही थी।
‘हाँ। तुम्हारी एक सटल अंडरस्टेटेड स्टाइल है। जैसे यही रेड ड्रेस, माफ करना, लेकिन... ’
‘लेकिन क्या?’
‘लेकिन तुम इसमें बहुत हॉट लग रही हो!’
ओह देबू! भगवान तुम्हारा भला करे। तुम्हारी हर इच्छा पूरी हो। जीवन में पहली बार मुझे किसी ने हॉट कहा था। दुनिया में आखिर कोई ऐसा था, जिसे मैं हॉट लगी थी। मेरे भीतर मेरी आत्मा ब्रेकडांस कर रही थी।
‘सचमुच?’ मैंने अपने टोन को जितना हो सके, उतना कैजुअल रखते हुए कहा।
‘हाँ। उम्मीद करता हूँ तुमने मेरी बात का बुरा नहीं माना होगा।’
बुरा? अरे, तुम तो यह लगातार बोलते रहो। होटल पहुँचने में अभी भी दस मिनट थे। प्लीज़, मेरी तारीफ करते रहो। मेरे कपड़ों, लुक्स और मेरे लेग्स के बारे में बोलोगे तो और अच्छा होगा। मैंने इन कांप्लिमेंट्‌स को बहुत मिस किया है।
‘नहीं, मैं क्यों बुरा मानने लगी। जनरली हम काम वगैरह की ही बातें करते हैं। लेकिन इट्‌स ओके। मैं तो यह जानने को तैयार रहती हूँ कि आखिर मर्द लोग सोचते क्या हैं।’ मैंने कहा और हँस पड़ी।
‘आई थिंक, तुम्हारे पास एक बहुत अच्छा फ़िगर है।’ उसने कहा।
कौन सा हिस्सा, कौन सा हिस्सा? मैं एक्साइटमेंट में चीखना चाहती थी। तुम्हें मेरी कमर अच्छी लगी? या बूब्स? या पिछवाड़ा? बोलो ना, देबू।
‘रियली?’ मैंने कुछ इस तरह कहा, जैसे कि मुझे ऐसी बात कहे जाने की कोई उम्मीद ही नहीं थी।
‘हाँ। तुम्हारे लेग्स, आई मीन... यू हैव नाइस लेग्स।’
‘ओह, तो तुम्हें मेरे बारे में बस यही अच्छा लगता है?’
स्टुपिड, सुषमा। ये क्या था? मैंने खुद से कहा।
‘नहीं, नहीं। मुझे तुम्हारा चेहरा भी पसंद है। तुम्हारे बाल, आँखें। तुम्हारी पूरी पर्सनैलिटी, एक्चूअली।’
‘हाँ, अब तो तुम यह कहोगे ही। लेकिन पसंद तो तुम्हें मेरे लेग्स ही आए हैं।’
वैसे भी यह अच्छा ही है। क्योंकि मैंने इसके लिए 100 डॉलर चुकाए हैं।
‘नो, नो, सॉरी... आई मीन... ’
‘रिलैक्स देबू, मैं मज़ाक कर रही हूँ।’ मैंने कहा और उसका गर्म हाथ थाम लिया। मैं नहीं चाहती थी कि उसका मूड उखड़ जाए। लेकिन मैं यह भी नहीं चाहती थी कि इसे मेरी तरफ से एक पहल समझा जाए। ओह, हम लड़कियों को इतने रूल्स क्यों फॉलो करने पड़ते हैं
मैंने उसका हाथ छोड़ दिया। हम बार्न्स एंड नोबेल बुकस्टोर के करीब से गुज़रे और हमें एक ट्रैफिक सिग्नल क्रॉस करना पड़ा। इस बार उसने मेरा हाथ थाम लिया। हमने हाथ थामे सड़क पार की। लेकिन उसने मेरा हाथ उसके बाद भी नहीं छोड़ा।
मैंने उसे कनखियों से देखा। वह मुस्करा दिया।
‘एक्चुअली, मेरी बहन ज़्यादा खूबसूरत है।’ मैंने कहा।
‘ओह, इस पर यकीन करना कठिन है, बशर्ते वह कोई मिस यूनिवर्स वगैरा ना हो।’
मैं उसके इस इनडायरेक्ट कांप्लिमेंट पर मुस्करा दी। मेरा मन कर रहा था कि उसके घुंघराले बालों में अपनी अंगुलियां फिराने लगूँ।
फिर उसने कहा : ‘एक्चुअली, अगर वो मिस यूनिवर्स होगी तो भी मैं तुम्हें ही ज़्यादा खूबसूरत मानूंगा।’
खूबसूरत झूठ! आह, ज़िंदगी में इनका भी एक मुकाम होता है। मैंने आह भरते हुए सोचा।
‘थैंक्स, देबू।’
हम बेंजामिन होटल पहुँचे। हमारा रिश्ता थोड़ा आगे बढ़ चुका था। हमने एक-दूसरे का हाथ थाम लिया था। लेकिन बात इसके आगे नहीं बढ सकी थी।
‘तो ये है वो जगह, जहाँ मैं रहती हूँ। ट्रेन ठीक यहाँ आकर रुकती है।’ मैंने सबवे साइन की ओर इशारा करते हुए कहा।
‘हमने बहुत अच्छा वक्त गुज़ारा। ट्रीट के लिए थैंक्स।’
‘यू आर वेलकम, ’ मैंने कहा। ‘बाय।’
मेरा दिल बैठ - सा गया। मैं नहीं चाहती थी कि वो चला जाए।
‘हे, एक चीज़।’ उसने कहा।
‘हाँ?’
‘तुम्हारे पास रूम में तुम्हारी दीदी की फोटो है। मैं बस देखना चाहता था कि क्या वह वाकई तुमसे भी सुंदर है।’
क्या यह उसकी तरफ से एक पहल है? उसने मेरे रूम का नाम लिया। क्या वह मेरे साथ ऊपर आना चाहता है? या वह केवल इतना ही चाहता है कि मैं ऊपर जाकर वह फोटो नीचे ले आऊँ? लेकिन अदिति दीदी की तस्वीर तो मेरे पास फोन में ही है।
मैं मुस्करा दी।
‘दैट्स स्वीट। सो आर यू।’ मैंने कहा।
‘मैं भी क्या? सुंदर?’
‘नहीं, हैंडसम, स्मार्ट। और क्रिएटिव भी।’
‘थैंक्स, ’ उसने कहा।
‘ओके, मेरे पास लैपटॉप में दीदी के कुछ फोटो हैं। तुम ऊपर आना चाहोगे?’ मैंने कहा।
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