क्रेजी ज़िंदगी

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‘नो वे। वे तुमसे ज़्यादा सुंदर तो नहीं हैं।’ देबू ने कहा।
‘ओह, कम ऑन। अदिति दीदी का कोई जवाब नहीं है।’
‘लिसन, श्योर वे सुंदर हैं। लेकिन तुमसे ज़्यादा नहीं। तुम्हारे फीचर्स बेहतर हैं।’
‘लेकिन मेरी माँ ने तो कभी ऐसा नहीं कहा।’ मैंने कहा।
‘इसके पीछे कोई पंजाबी कहानी होगी। यही कि जितनी गोरी चमड़ी, उतनी ही खूबसूरती। नॉनसेंस!’
हम बेड के किनारे बैठे थे। मेरा लैपटॉप बीच में रखा था। स्क्रीन पर दो साल पुराना एक फैमिली एलबम खुला हुआ था।
‘मैं अपनी पूरी ज़िंदगी एक पढ़ाकू, गंभीर लड़की ही रही हूँ। दीदी को हमेशा मुझसे सुंदर माना गया।’
‘सॉरी, वो तुम्हारी बहन हैं, लेकिन वे हमेशा ऐसे कपड़े पहने नज़र आ रही हैं, जैसे उन्हें कहीं पार्टी में जाना हो। जबकि ये तो घर की तस्वीर है।’
‘वो ऐसी ही है।’
‘तुम्हारा चश्मा बहुत कमाल का हुआ करता था।’
मैं हँस पड़ी।
‘एक साल पहले मैंने कॉन्टैक्ट लेंस लगाना शुरू कर दिया।’ मैंने कहा और एक तस्वीर की ओर इशारा करते हुए कहा: ‘ये पापा हैं। सिंपल, खामोश रहने वाले इंसान। वे कभी नहीं चाहते कि समाज में उनके खिलाफ कुछ बुरा कहा जाए। और ये मॉम हैं, जो पूरी तरह पापा पर हावी रहती हैं।’
देबू तस्वीरों को गौर से देखता रहा।
‘मैं घर को मिस करती हूँ। ये तस्वीरें देखकर तो और याद आने लगी है। मैं मॉम के साथ बैठकर टीवी सीरियल देखना चाहती हूँ, और कुछ नहीं करना चाहती।’
‘नई हॉटशॉट डिस्ट्रेस डेट बैंकर, अब बहुत देर हो चुकी है।’
मैंने झूठमूठ का उदास चेहरा बना लिया।
मुझे हग करो। जल्दी-जल्दी आगे बढ़ो, देबू। क्या मुझे तुम्हे एक इंस्ट्रक्शन मैन्युअल देना पड़ेगा?
‘स्वीट फैमिली, ’ देबू ने कहा।
‘हूँ।’ मैंने कहा। मैं छोटे, बोरिंग जवाबों से बातचीत को रोक देना चाहती थी। कभी-कभी खामोशियाँ भी असर कर जाती है। लेकिन अफ़सोस कि कुछ इंटेलेक्चुअल बंगाली मर्द कुछ समझते ही नहीं।
‘तुमने नाओमी वुल्फ की किताब ‘ब्यूटी मिथ’ पढ़ी है?’ देबू ने कहा।
‘नहीं, क्या है उसमें?’
‘उसे एक लैडमार्क फ़ेमिनिस्ट बुक माना जाता है। किताब कहती है कि लड़कियों को हमेशा उनके गुड लुक्स के बारे में याद दिलाकर उन पर दबदबा कायम रखा जाता है।’
‘रियली? वेल, कुछ हद तक यह सच भी है।’
‘क्या लड़के भी अपने लुक्स की इतनी तुलना अपने भाइयों से करते है?’
‘शायद नहीं।’ किसी और जगह पर, किसी और वक्त में, मैं इस इंटेलेक्चुअल डिस्कशन में शामिल हो सकती थी, लेकिन अभी नहीं। अभी मेरे दिमाग में कुछ और चल रहा था।
‘बिलकुल, क्योंकि इसके ज़रिये मर्द औरतों पर काबू रखना चाहते हैं और...’
‘मेरे पैर दर्द करने लगे हैं, ’ मैंने उसे बीच में ही टोक दिया। अपने जूते निकाले और पैर ऊपर कर लिए। मेरी पहले ही शॉर्ट ड्रेस मेरी जाँघों पर और ऊपर आ गई। देबू भूल गया कि वो क्या कह रहा था। शायद औरतें भी किसी-न-किसी तरीके से मर्दों को अपने काबू में रखती हैं।
‘सॉरी, तुम क्या कह रहे थे?’
‘हूँ, कुछ नहीं। मैं तुम्हें वह बुक दूंगा।’
‘मुझे इन हील्स में इतना पैदल चलने की आदत नहीं है।’
‘अगर मैं तुम्हें फुट मसाज दूँ तो कैसा रहेगा?’
और आख़िरकार इस बार रिपब्लिक डे पर बहादुरी का अवार्ड देबाशीष सेन को ही दिया जाना चाहिए, मैंने मन-ही-मन अनाउंस किया!
‘रियली? तुम्हें आता है?’
यह उन कुछ बेवकूफाना बातों में से थी, जो कि लड़कियों को कहनी पड़ती है। हमें अपनी मासूमियत दिखाने के लिए ऐसी बातें बोलनी पड़ती हैं।
मुझे अपने पैरों पर उसके हाथों का स्पर्श अच्छा लग रहा था।
‘वॉव, देट्स नाइस!’ मैंने कहा।
वह मेरी पिंडलियों की मसाज करता रहा। फिर उसके हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगे। मैंने उसे रोका नहीं।
‘तुम्हारे पास लोशन है?’ उसने कहा। मैंने बेडसाइड टेबल की ओर इशारा किया। उसने मोइश्चराइजर की एक बॉटल निकाली और मेरे पैरों पर लगा दी। त्वचा पर ठंडा लोशन लगते ही मैं सिहर गई। उसने मेरे पैरों पर अपने गर्म हाथ रख दिए और पिंडलियों से घुटनों तक मसाज करने लगा।
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने महसूस किया कि अब उसके हाथ मेरे घुटनों से ऊपर भी बढ़ रहे हैं। इससे पहले किसी ने मुझे कभी वहाँ पर छुआ नहीं था, बशर्ते हम वैक्सिंग-चेम्बर लेडी की गिनती ना करें। मेरे शरीर में सुख की सिहरन दौड़ने लगी।
पल-दर-पल उसकी हिम्मत बढ़ने लगी। हम दोनों चुप थे। उसके हाथों ने अब मेरी ड्रेस की सीमा को छू लिया। उसकी अंगुलियाँ मेरी जांघों पर फिसल रही थीं।
क्या सबकुछ बहुत जल्दी-जल्दी नहीं हो रहा है? मेरे भीतर की एक आवाज़ ने कहा, लेकिन मुझे उसकी परवाह नहीं थी।
‘यह ठीक है?’ देबू ने कहा।
मैंने सिर हिला दिया और आँखें खोल लीं। मैंने उसे इशारे से अपने पास बुलाया। वह आगे झुका। हमारे होंठ मिले। मैंने अपनी ज़िंदगी का पहला किस किया।
मैंने महसूस कर लिया कि अब वह भी एक्साइट हो गया है। उसके होंठ मेरे होंठों को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थे। हमारी जीभों ने एक-दूसरे को छुआ। मैं समय, जगह मौका सब भूल गई थी। मैने फिल्मों में किसेस देखे थे। मैंने कल्पना की थी कि मेरा पहला किस कैसा होगा। लेकिन यह मेरी देखी और कल्पना की गई हर चीज़ से बेहतर था।
‘तुम बहुत खूबसूरत हो’ उसने मेरे कानों में फुसफुसाते हुए कहा।
उसने अपने हाथ मेरी ड्रेस के ऊपर मेरे ब्रेस्ट पर रख दिए। वह उन्हें भीतर ले जाना चाहता था, लेकिन ऐसा कर नहीं पा रहा था। मैं चाहती थी कि अपनी पूरी ड्रेस उतारकर अपने को उसे सौंप दूँ।
मैंने उसे हल्का-सा पीछे धक्का दिया।
‘सबकुछ बहुत जल्दी नहीं हो रहा है?’ मैंने कहा, जैसे कि ऐसे मौकों पर कोई भी लड़का इस पर हाँ कहेगा।
‘नहीं, बिलकुल नहीं। इट फील राइट, ’ देबू ने कहा। उसका एक हाथ मेरी जाँघों पर था।
वह अपना दूसरा हाथ मेरी पीठ पर ले गया और मेरी ड्रेस की ज़िपर ढूंढने की कोशिश करने लगा।
‘रोशनी बहुत है, ’ मैंने कहा। उसने मेरे शरीर की तारीफ जरूर की थी, लेकिन मैंने इससे पहले कभी किसी मर्द के सामने अपने कपड़े नहीं उतारे थे।
उसने कमरे की बत्तियाँ बुझा दीं। खिड़की के परदे खुले रहे। मैनहटन की स्काइलाइन से आने वाली हल्की-सी रोशनी में हम दोनों एक-दूसरे को देखभर पा रहे थे।
मैंने लाल लॉन्जरी की मैचिंग पेयर पहनी थी, शायद इसी उम्मीद में कि आज कुछ हो।
देबू ने मेरी ड्रेस उतार दी और मेरी ब्रा को खोल दिया। फिर उसने अपनी शर्ट उतार ली।
‘तुम क्या कर रहे हो, देबू?’ मैंने अपनी ब्रा को थामते हुए कहा। मुझे लगा कि अभी मुझे ऐसा जताना चाहिए, मानो यह सब उसकी मर्ज़ी से हो रहा है।
‘जस्ट गो विद द फ्लो।’ देबू ने वही कहा, जो लड़के तब कहते है, जब वे वास्तव में कहना चाह रहे होते हैं कि: प्लीज़, सेक्स में रुकावट मत डालो!
उसने ब्रा उतारकर फेंक दी और मेरे ब्रेस्ट्स को भींच लिया।
‘इतनी सख्ती से नहीं, प्लीज़, ’ मैंने कहा।
‘सॉरी, ’ देबू ने कहा।
‘तुम यह पहले कर चुके हो?’ मैंने कहा।
उसने कुछ देर सोचा, फिर कहा: ‘यदि मैं कहूँ हाँ तो क्या तुम मुझे रुकने को कह दोगी?’
मैं हँस पड़ी।
‘नो, सिली। लेकिन ये मेरा फर्स्ट टाइम है, ’ मैंने कहा।
‘मेरी एक गर्लफ्रेंड थी। दो साल पहले।’
‘क्या अभी उसकी बात करना जरूरी है?’
उसने मेरे निपल्स को चूमा। फिर ऊपर आकर मेरी कॉलरबोन को किस किया। फिर मेरी ठोढ़ी को और आखिर में कई मिनटों तक मेरे होंठों को चूमता रहा। अब उसने मेरी अंडरवियर पर हाथ रखा। मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। क्या मैं एक मर्द के सामने पूरी नेकेड होने जा रही थी?
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसने मेरी पैंटीज निकाली। फिर अपना ट्राउजर्स और अंडरवियर निकाला। मैंने इससे पहले किसी नंगे मर्द को इतने करीब से नहीं देखा था। मैं उसे ध्यान से देखना चाहती थी, लेकिन उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे चूमता रहा। उसके हाथ मेरी जांघों पर थे।
‘तुम्हारे लेग्स कितने सॉफ्ट हैं।’ उसने कहा। मैंने मन-ही-मन तय कर लिया कि मैं कंप्लीटली बेयर की लाइफ मेंबरशिप ले लूंगी।
अब उसने मेरी टाँगों के बीच वाली जगह पर छुआ। ट्रीटमेंट ब्राज़ीलियन के कारण वहाँ पर भी सबकुछ स्मूद था।
‘वॉव, तुम बहुत गीली हो रही हो, ’ उसने कहा।
मैं गीली ही नहीं थी, मैं जैसे पूरी तरह से भीग चुकी थी। वह झुका और अपने चेहरे को मेरी टांगों के बीच ले गया।
‘तुम क्या कर रहे हो?’ मैंने कहा।
‘गोइंग डाउन।’
‘डाउन कहाँ?’
‘वहाँ।’
‘रियली? तुम्हारा मुँह, वहाँ पर!’
‘हाँ, जस्ट रिलैक्स!’
अगले दस मिनटों तक क्या हुआ, मैं डिस्क्राइब नहीं कर सकती। उसकी जीभ मुझे वैक्सिंग स्ट्रिप्स की तुलना में बहुत सॉफ्ट महसूस हो रही थी। उसकी हर हरकत मुझे चरम सुख की ओर लेती जा रही थी। लोग इसे हर समय क्यों नहीं करते? वॉव, इससे पहले मुझे कभी किसी ने बताया क्यों नहीं कि सेक्स इतना अच्छा होता है।
उसने एक अंगुली भीतर डाली। मैं सिसक उठी।
‘केयरफुल, ’ मैने कहा।
‘कैसा लग रहा है?’ उसने कहा।
मैंने सिर हिला दिया। मेरी आँखें बंद थीं।
वह जीभ से अपना काम करता रहा। मैं अब बहुत उत्तेजित हो गई और उस बिंदु पर पहुँच गई थी, जहाँ यह सहन करना कठिन होता जा रहा था।
‘स्टॉप, ’ मैने कहा।
‘क्या?’
‘यहाँ आओ।’
वह मेरे पास आया। मैंने उसे चूमा। कुछ समय पहले उसका मुँह जहाँ पर था, उसको देखते हुए तो यह थोड़ा अजीब ही था।
वह मेरे ऊपर झुका।
‘क्या मैं कर सकता हूँ?’
क्या मैं अब सेक्स करने जा रही थी? वॉव, क्या मैं आखिरकार बड़ी होने वाली थी।, लेकिन क्या मुझे ऐसा करना चाहिए?
‘मेरे पास प्रोटेक्शन है। मेरे पर्स में।’ उसने कहा।
हाय राम, ये तो पूरी तैयारी से आया था! क्या मैं उसके लिए इतना आसान शिकार थी?
लेकिन मैं अब और सोचना नहीं चाहती थी। मैंने सिर हिलाकर हामी भर दी।
वह बहुत ऐहतियात से मेरे भीतर दाखिल हुआ। मुझे थोड़ा दर्द हुआ। सच कहूँ तो उसकी जीभ का स्पर्श मुझे ज़्यादा बेहतर लगा था। लेकिन इसी का नाम सेक्स है, जिसे हमें करना ही था।
सुषमा मेहता, तो आखिरकार तुमने सेक्स कर ही लिया, मैंने मन-ही-मन कहा और खुद को हाई-फाइव दिया। ऐसा लग रहा था, जैसे मैंने कोई बड़ी अचीवमेंट हासिल की हो, आईआईएमए में दाखिल होने और गोल्डमान साक्स में जॉब मिलने जैसी। या फिर डिस्ट्रेस्ड डेट की जिम्मेदारी मिलने जैसी। क्या वह जॉब मेरे लिए कठिन साबित होगा? ओहो, मैं भी क्या सोच रही हूँ, अभी जब एक मर्द मेरे भीतर घुसा हुआ है!
‘तुम कमाल हो!’ उसने कहा।
मुझे अच्छा लगा कि उसने ऐसा महसूस किया। जहाँ तक मेरा सवाल है, तो मैं समझ नहीं पा रही थी कि आखिर सेक्स को इतना हौवा क्यों बनाकर रखा गया है।
क्या मैं उसे फिर से वहाँ जाकर वह करने को कहूँ? या क्या अब उसके लिए देरी हो चुकी है?
उसके स्ट्रोक्स तेज़ होने लगे। उसने मेरे कंधो को कसकर भींच लिया और कराहने लगा। शायद उसे आर्गेज्म हो चुका था। कुछ देर तक गहरी साँसें लेने के बाद उसकी पकड़ मुझ पर ढीली हो गई।
‘वॉव, ’ देबू ने कहा। ‘अमेजिंग! है ना?’
तो, मुझे अपने पहले सेक्स के बाद अब कैसा फील हो रहा था? वेल, वैसा ही, जैसे आप महीनों तक सलमान खान या शाहरुख खान की किसी फिल्म का इंतज़ार करो, फिर उसे फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने जाओ और पाओ कि फिल्म अच्छी तो थी, लेकिन इतनी अच्छी भी नहीं!
‘हाँ, सचमुच अमेजिंग!’ मैंने कहा। मेरे खयाल से बिस्तर में हमें असहमति नहीं जतानी चाहिए।
वह मेरे बाजू में लेट गया और छत को देखने लगा। हमने एक-दूसरे के हाथों को थाम लिया।
‘तुम कयामत हो। इसके लिए शुक्रिया!’ उसने कहा।
शुक्रिया!! किस बात के लिए? क्या शो खत्म हो चुका था? वह अचानक बिना चार्ज किए फोन जैसा बरताव क्यों करने लगा था?
‘वॉज़ इट गुड?’ मैंने कहा।
‘आई रिपीट, अमेज़िंग। मैं तो फिनिश हो गया हूँ।’
‘फिनिश्ड?’
‘मेरा मतलब है सेटिंस्फाइड।’
‘देबू।’
‘हाँ।’
‘क्या तुम मुझे भी सेटिस्फाई कर सकते हो, प्लीज़?’
‘हूँ?’ उसने मेरी ओर अचरज से देखते हुए कहा।
‘वह तुमने जो नीचे जाकर किया था, क्या उसे फिर कर सकते हो?’ मैंने कहा।
‘श्योर, बेबी।’
गुड। आखिरकार मैंने एक अच्छी और शर्मीली हिंदुस्तानी लड़की जैसा व्यवहार नहीं किया, भले ही मुझे इसके लिए एक स्लट माना जाए। वैसे भी में एक ‘फ्रस्ट्रेटेड इंडियन गर्ल’ होने बजाय एक ‘सेटिस्फाइड स्लट ’ बनना ज़्यादा पसंद करूँगी।
पाँच मिनट बाद, मैं भी ज़ोर से कराह रही थी। वॉव। मैंने उसके सिर को अपनी टाँगों के बीच ज़ोरों से थाम लिया था। मेरी टाँगें काँप रही थीं और फिर मेरा पूरा शरीर थरथराने लगा। ओके, तो ऐसा होता है ऑर्गेज्म!
‘कैसी हो तुम?’
मैंने एम्बैरेसमेंट में अपना चेहरा छिपा लिया।
‘व्हाट? मैंने पूछा तुम कैसी हो?’ उसने हँसते हुए कहा।
‘सेटिस्फाइड!’ मैंने जवाब दिया!
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दो महीने बाद
‘हम इस मेगाबॉउल डील्स में अटक-से गए हैं, ’ जोनाथन हस्की ने कहा। वे वाइस प्रेसिडेंट थे और डिस्ट्रेस्ड डेट ग्रुप में मेरे बॉस भी।
मेरा फोन घनघनाया। मैंने समय देखा। शाम के 7 बज चुके थे। मुझे एक घंटे में देबू से मिलना था, लेकिन अब यह नामुमकिन जान पड़ता था।
हम गोल्डमान साक्स डिस्ट्रेस्ड डेट ग्रुप के मीटिंग रूम में थे। गोल्डमान की तरफ से जोनाथन, क्लार्क स्मिथ और मैं मौजूद थे। क्लार्क स्मिथ ग्रुप के एक और एसोसिएट थे। मेगाबॉउल को लोन देने वाली सातों बड़ी बैंकों के प्रतिनिधि भी वहाँ मौजूद थे। मेगाबॉउल बोस्टन स्थित बिल्डर कंपनी थी, जो बॉउलिंग एलीज़ बनाने का काम करती थी। लोगों को तो उनकी बॉउलिंग एलीज़ में खेलने पर मज़ा आता है, लेकिन उनके क्रेडिटर्स की हालत दूसरी थी। मेगाबॉउल कोई पचास मिलियन डॉलर के कर्ज़ डिफॉल्ट कर चुकी थी।
‘कोई एसेट्‌स नहीं बचे है। कंपनी के पास ढेर सारी बॉउलिंग पिन्स और बॉउलिंग बॉल्स के सिवा कुछ नहीं है।’ जोनाथन ने कहा।
पचास मिलियन डॉलर रिकवर करने के लिए तो बहुत सारे बॉउलिंग बॉक्स की दरकार होगी, मैंने मन-ही-मन सोचा। बैंकर्स एक-दूसरे की ओर खामोशी से देख रहे थे और मेगाबॉउल को इतनी बड़ी रकम कर्ज़ में देने की अपनी साझा कमअक्ली पर एक-दूसरे से हमदर्दी जता रहे थे।
‘बोलिए कि क्या किया जाए?’ एक बैंकर ने कहा। ‘हम उनके स्टुपिड सीईओ से डील नहीं कर सकते। हमें तो बस इस सबसे बाहर निकलने का रास्ता सुझा दीजिए।’
मेरे हाथ ने हैंडबैग मे जाकर फोन को पकड़ लिया।
‘सुषमा, ’ जोनाथन ने मेरा नाम पुकारते हुए कहा, ‘प्लीज़ अपना प्लान शेयर करो।’
डैम, मुझे केवल देबू को यह बताना था कि आज रात मै नहीं आ सकूँगी। लेकिन अब मुझे अपना फोन छोड़कर हैंडबैग से हाथ बाहर निकालना पड़ा।
‘श्योर, जोनाथन।’ मैंने कहा और इस मीटिंग के लिए तैयार की गई अपनी स्पेशल बुकलेट बाहर निकाली।
बुकलेट का पहला पन्ना खोलते हुए मैंने कहा, ‘हमारी बेसिक प्रिमाइस यह है कि मेगाबॉउल को कैसे चालू रखें। लिक्विडेशन में ज़्यादा वैल्यू नहीं है, एक डॉलर पर महज़ छह सेंट जितनी। लेकिन अगर हम सीईओ को कंटिन्यू करने देते हैं, तो यह पचास सेंट तक पहुँच जाएगी।
‘फायर हिम!’ डर्क ग्रिग्ली, बैंक ऑफ अमेरिका के एक मोटे और गंजे बैंकर ने कहा। ‘उसी के कारण यह पूरा बखेड़ा हुआ है।’
‘हाँ, यह सच है।’ मैंने कहा। ‘लेकिन हमें अभी इस बात के लिए उसकी ज़रूरत है कि ऑपरेशंस को उसे ही स्थिर करना होगा। हमें लोगों की छंटनी करनी होगी और सैलेरीज़ में कटौती करनी होगी। यह तमाम डर्टी वर्क करने के लिए उसका इस्तेमाल करना ठीक रहेगा।’
मैंने उन्हें पूरा प्लान समझाया। इस प्लान के मुताबिक चलने पर कंपनी अपने खर्चों पर लगाम लगा सकती थी।
जब वे लोग बुकलेट में खोए हुए थे तो मैंने सोचा कि देबू को एक मैसेज कर दूं ताकि उसे नाहक ही रेस्तरां ना जाना पड़े। लेकिन बैंकर्स को मेरे बॉयफ्रेंड की कोई परवाह नहीं थी।
‘क्या गारंटी है कि यह प्लान कामयाब होगा?’ एक कर्ज़दार ने कहा।
‘गारंटी तो कोई नहीं है, लेकिन अब जब हम आखिरकार बिज़नेस की कीमत समझने लगे हैं, तो पच्चीस मिलियन तक रिकवरी की जा सकती है। या फिर डॉलर पर पचास सेंट जितनी।’ मैंने कहा।
‘हम तीस सेंट ही दे सकते हैं, ’ जोनाथन ने कहा।
हम लोग इसी तरह से काम करते हैं। तीस सेंट की बात करेंगे और उम्मीद करेंगे कि पचास सेंट की रिकवरी हो।
‘तीस सेंट? ये तो कुछ भी नहीं है।’ डर्क ने कहा।
‘गोल्डमान इसको रिवाइव करने की पूरी रिस्क ले रहा है’ जोनाथन ने कहा।
क्रेडिटर्स इकट्‌ठा हो गए। ‘क्या हम आप लोगों को दस मिनट के लिए छोड़ सकते हैं?’ जोनाथन ने कहा और उठ खड़ा हुआ।
यस, ये मेरे लिए कॉल करने का मौका था। जोनाथन, क्लार्क और मैं रूम से बाहर चले गए।
मैं दौड़कर अपने क्यूबिकल पर गई और देबू को फोन लगाया।
‘हे बेबी! कहाँ हो तुम? मैं बस निकलने ही वाला था। तुमने मेरा मैसेज देखा?’ देबू ने कहा।
‘नहीं, मैं अभी अभी मीटिंग से बाहर आई हूँ।’
‘क्या?’
‘हम एक डील फायनल करने वाले हैं। मेरी पहली डील, एक्चुअली।’
‘लेकिन 7:30 बज चुके हैं और 8 बजे की बुकिंग है। कॉमेडी सेलर लेट इंट्री नहीं मिलती है।’
‘आई एम सो सॉरी, क्या तुम इसे कैंसिल करा सकते हो?’
‘लेकिन हम पहले ही पे कर चुके हैं। पंद्रह-पंद्रह डॉलर्स।’
‘पता है। लेकिन आई एम सॉरी।’
‘क्या? रियली?’ उसने कहा। उसकी आवाज़ धीमी हो चली थी।
‘एक काम करो ना। इसके बदले में आज रात मेरे घर जाओ।’
‘कब?’
‘डिनर करो और आ जाओ। मैं जल्द ही वहाँ पहुँच जाऊँगी।’
मैंने फोन रख दिया और अपनी डेस्क पर इंतज़ार करने लगी। मैंने ट्राइबेका में एक वन-बेडरूम यूनिट रेंट पर ली थी। ट्राइबेका वॉलस्ट्रीट की सबसे पुरानी रेसिडेंशियल बसाहटों में से थी। देबू के पास एक एक्स्ट्रा चाबी थी, क्योंकि वह अकसर मेरे घर आया करता था। मैं भी ब्रुकलिन वाले उसके रूम पर कुछ मर्तबा जा चुकी थी। एक टिपिकल बैचलर रूम, जिसे वह दो और लड़कों के साथ शेयर करता था।
मेरी डेस्क का फोन घनघनाया। जोनाथन ने मीटिंग रूम से कॉल किया था।
‘क्या आप और क्लार्क आ सकते हैं?’ उसने कहा।
हम दोनों तुरंत वहाँ पहुँच गए।
‘क्लार्क और सुषमा, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने डील कर ली है। लेंडर ग्रुप एग्री हो गया है।’
‘ये तो बहुत अच्छी ख़बर है।’ मैंने कहा।
‘सुषमा, हमें जल्दी से एक टर्म शीट चाहिए। डॉक्यूमेंटेशन हम बाद में कर लेंगे।’
मेरा दिल बैठ गया। टर्म शीट बनाने में कोई दो घंटे लग जाएँगे। जोनाथन और क्लार्क लेंडर्स को पास ही हैरी एंड कैफे एंड स्टीक पर ड्रिंक्स के लिए ले गए और मैं अपनी डेस्क पर बैठकर काम करने लगी। देर रात जोनाथन आया। उसने अपनी घड़ी देखी और कहा: ‘आधी रात होने वाली है। ओह नो, सॉरी अबाउट दिस। अब तुम्हें घर जाना चाहिए, सुषमा।’ उसने कहा।
‘मैंने तुम्हें फायनल टर्म शीट मेल कर दी है।’ मैंने अपना कंप्यूटर लॉग-आउट करते हुए कहा।
‘वेलडन, इस डील्स में तुम्हारा काम फैंटास्टिक था। तुम ग्रुप के लिए एक रियल एसेट हो, ’ जोनाथन ने कहा।
गोल्डमान बिल्डिंग से निकलते समय मेरे दिल में एक मीठी खुशी थी। जोनाथन के शब्द मेरे दिमाग में गूँज रहे थे। मैं उन्हें देबू को बताने के लिए बेचैन थी।

‘आई एम स्लीपिंग, बेबी।’ जैसे ही मैंने बेडरूम की सीलिंग लाइट चालू की, मुझे देबू की शिकायती आवाज़ सुनाई दी।
‘सॉरी।’ मैने लाइट कर करते हुए कहा। और उसके बाद बेडसाइड लैंप चला दिया।
‘कितना बजा है?’ उसने उनींदी आवाज़ में कहा।
‘12. 30।’
‘क्या? तुम अभी तक ऑफिस में थीं?’
‘हाँ। क्या करती। ये मेरी पहली बिग डील थी। पता है जोनाथन ने मुझसे क्या कहा?’
‘क्या?’
‘उसने कहा, सुषमा तुम ग्रुप के लिए एक बिग एसेट हो।’
‘हाँ, हाँ, क्यों नहीं। वे लोग तुम पर सारा काम जो लाद दे रहे हैं।’
‘ऐसा नहीं है। वे लोग भी देर तक रुके थे। डॉक्यूमेंटेशन में बहुत सारी छोटी-छोटी चीज़ो पर ध्यान देना होता है। उसी में देर हो गई।’
‘डिनर किया?’
‘नो बेबी।’
‘क्या?’ देबू बेड में उठ बैठा।
‘समय ही नहीं मिला।’
‘ये तो हद है! रुको।’
वह बिस्तर से उठा, लिविंग रूम में ओपन किचन तक गया और फ्रिज अंडों की एक ट्रे निकाल ली।
‘मैं तुम्हारे लिए कुछ भुर्जी बना देता हूँ। तुम ब्रेड के साथ खा लेना।’
‘तुम सो जाओ, मैं कुछ और ले लूंगी।’
‘तुम्हें कुछ हॉट खाना चाहिए।’
‘मेरा हॉट बॉयफ्रेंड कैसा रहेगा? यहाँ आओ।’
मैंने उसकी टी-शर्ट पकड़कर उसे खींचा और चूम लिया।
‘सॉरी, मुझे आने में देर हो गई। चलो उसकी भरपाई कर लेते हैं।’
उसने मुझे धक्का दिया। ‘पहले, अंडे।’
फिर वह भुर्जी बनाने लगा। उसने अंडे फेंटे, प्याज-टमाटर छीले और स्टोव पर सॉसपैन रख दिया। दस मिनट बाद उसने मेरे सामने मेरा डिनर पेश कर दिया।
‘ट्राय, ’ उसने कहा।
मैंने एक बाइट ली।
‘कैसा है?’
‘यमी। थैंक यू।’
‘वेलकम।’
‘देबू, सुनो।’
‘क्या?’
‘आई लव यू।’
‘आई लव यू टू। लेकिन तुम्हारे दर्शन ही नहीं हो पाते।’
‘सॉरी, बेबी।’
‘लेट्‌स मूव इन टुगेदर। साथ रहेंगे तो एक-दूसरे को दिखते भी रहेंगे।’
मैं चुप हो गई।
‘डोंट वरी। मै अपने हिस्से का रेंट चुकाऊंगा।’
‘अरे, वो बात नहीं है। लेकिन उसका मतलब होगा लिव-इन। यानी कि एक सीरियस रिलेशनशिप।’
‘क्या अभी ऐसा नहीं है?’
मैं मुस्करा दी।
‘मेरा घर साफ-सुथरा रखना होगा ओके?’ मैंने कहा।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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एक साल बाद
‘मॉम, मैं शादी के बारे में बाद में सोच लूंगी। मेरा जॉब अभी नया है। पहले मुझे उस पर फोकस करने दो। प्लीज़।’ मैंने कहा।
मैं वॉलस्ट्रीट स्टेशन प्लेटफॉर्म की सबवे स्टेप्स पर दौड़ रही थी। शुक्रवार शाम के रश-ऑवर के कारण कुछ भी सुनाई देना मुश्किल साबित हो रहा था।
‘जॉब इतना ज़रूरी नहीं है।’ उन्होंने कहा। मैंने किचन में चाय बनाने की आवाज़ सुनी। यहाँ शाम के 8.30 बजे थे, लेकिन इंडिया में सुबह के 6 बज रहे थे।
‘नहीं, यह बहुत जरूरी है। मैं एक बहुत चैलेंजिंग ग्रुप में हूँ। यहाँ सभी को लगता है कि मैं सबसे अच्छा काम करने वालों में से हूँ।’ मैंने कहा।
‘और यहाँ जो सब लोग बोल रहे हैं कि मेहता की दूसरी बेटी की शादी क्यों नहीं हो रही है, उसका क्या? लोग कह रहे हैं कि कहीं लड़की में कोई खराबी तो नहीं।’
‘रियली, मॉम? तुम्हें भी लगता है कि मुझमें कहीं कोई खराबी है?’
मैं नंबर 3 ट्रेन में सवार हो गई। दरवाजे बंद हो गए। ट्राइबेका, चैम्बर्स स्ट्रीट तक पहुँचने के लिए मुझे तीन स्टॉप के बाद उतरना था। कुल जमा पाँच मिनट का सफर था।
‘तुम एक साल से बाहर हो। तुम्हारी बहन की शादी हुए दो साल होने आए। कम-से-कम हम लड़का तो देखना शुरू कर दें। इसमें भी बहुत समय लगता है।’
‘अदिति दीदी खुद शादी करना चाहती थीं, मैं नहीं चाहती।’
‘तुम शादी करना नहीं चाहतीं?’
‘अभी नहीं। मेरी लाइफ को तो देखो। रात के 8.30 बज रहे हैं, अब जाकर मैं घर जा रही हूँ।’
‘इतनी देर। ये किस तरह का जॉब है आख़िर!’
‘क्या आप मेरी लाइफ के हर पहलू को क्रिटिसाइज़ करना बंद करेंगी?
मुझे अभी शादी-वादी नहीं करनी है।’
‘फिर तुम चाहती क्या हो?’
‘बहुत-सी दूसरी चीज़ें। मैं अच्छा काम करना चाहती हूँ। इस साल प्रमोट होना और एक अच्छा बोनस पाना चाहती हूँ। मैं ट्रैवल करना चाहती हूँ। न्यूयॉर्क के मज़े लूटना चाहती हूँ।’
‘क्या तुम्हारे साथ कोई लड़का है?’
मेरा दिल ज़ोरों से धड़क उठा। माँ की छठी इंद्री जाग गई थी।
‘नहीं, ऐसा तो नहीं।’
‘फिर कैसा है?’
‘मेरे यहाँ कुछ दोस्त हैं। जैसे देबाशीष। वह भी एसआरसीसी से है।’
‘देबाशीष कौन?’ उन्होंने उत्सुकता से पूछा।
‘देबाशीष सेन। वो कॉलेज में मुझसे सीनियर था, लेकिन तब मैं उसे नहीं जानती थी। वो यहाँ मैनहटन में एक एड एजेंसी में काम करता है।’
‘बंगाली?’ उन्होंने कुछ-कुछ अविश्वास से कहा।
‘हाँ, तो?’
‘कुछ नहीं। बंगाली लोगों के बदन से बदबू आती है ना? वे लोग बहुत मच्छी खाते हैं।’
‘व्हाट नॉनसेंस!’
‘ख़ैर, उम्मीद है वह केवल तुम्हारा दोस्त ही होगा।’
मैं उन्हें बताना चाहती थी कि हम लोग सब्जी-भाजी की तरह कंडोम खरीदते हैं!
‘हाँ। वैसे भी मुझे टाइम ही नहीं मिलता।’
मैं उन्हें कुछ क्यों नहीं बता रही थी? मुझे बताना चाहिए। लेकिन पहले मुझे देबू से तो कोई जवाब मिले।
‘वैसे तुम उस तरह की लड़की हो नहीं। अदिति वैसी थी।’
‘वैसी मतलब कैसी?’
‘कुछ नहीं। तुम लिखने-पढ़ने वाली लड़की हो। तुम कहाँ से ब्बॉयफ्रेंड वगैरा बनाओगी? हमें ही तुम्हारे लिए कोई ढूँढना होगा।’
‘रियली मॉम? आप मेरे लिए ऐसा करेंगी? मैं आपका कर्ज़ कैसे चुका पाऊँगी?’
‘इट्‌स ओके। पैरेंट्‌स को तो यह करना ही होता है।’
वो मेरे ताने को समझी नहीं। मैं तो और बोलना चाहती थी, लेकिन मौके की नज़ाकत भाँपकर गुस्सा पी गई।
‘मेरा स्टेशन आ गया है। डैड कैसे हैं?’
‘चाय का इंतजार कर रहे हैं। वे अब भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि रिटायर्ड लाइफ का क्या करें।
‘आपको पैसा मिल गया?’
‘हाँ, बहुत पैसा था बेटा।’
‘डैड से कहो कि अपनी कार बदल लें। कम-से-कम एक होंडा सिटी ही ले लें। मारुति तो अब म्यूज़ियम में रखने लायक चीज़ हो गई है।’
‘मैं कह दूँगी उन्हें। लेकिन हमें अपनी बेटी से पैसा लेना अच्छा नहीं लगता।’
‘क्यों? अगर मैं बेटा होती, तब भी आप यही बोलते?’
‘लेकिन तुम तो बेटा नहीं हो।’
‘तो क्या हुआ? मैं आपकी संतान हूँ। मैं आपकी लाइफस्टाइल बेहतर बनाने में मदद क्यों नहीं कर सकती?’
‘फिर भी बेटे की बात और होती है।’
‘मॉम, आप तो जानती ही हैं कि मुझे इस तरह की बातों से गुस्सा आता है। आज का दिन बहुत मुश्किल भरा था। तेरह घंटे लंबा। क्या आप मुझसे कोई अच्छी बातें नहीं कर सकतीं?’
‘वी मिस यू।’
‘आई मिस यू गाईज़ टू।’
‘हमें बुरा लगता है कि हमारी बेटी तेरह घंटे काम करके घर पैसा भिजवाती है। तुम्हारे पापा के रिटायरमेंट के बाद हमारे हाथ सिमट जरूर गए हैं, लेकिन अब भी हालात इतने बदतर नहीं हुए हैं।’
‘फिर वही, मॉम! आप चुप हो जाइए और मुझे अपनी फैमिली के लिए कुछ करने दीजिए।’
‘चिल्लाकर बात मत करो। अभी यहाँ सुबह ही हुई है।’
‘तो आप भी मुझे इरिटेट क्यों कर रही हैं?’
‘मैंने कहाँ किया? अगर अभी से शादी की बात नहीं चलाऊँगी तो तुम्हारा घर कैसे बसेगा?’
‘बाय, मॉम। मैं अब और बहस नहीं कर सकती। डैड के साथ चाय पीजिए।’
‘ठीक है। आजकल के बच्चे तो बहुत ही हाई-फाई हो गए हैं। कभी भी फोन लगा देंगे, कभी भी बात करना बंद कर देंगे, कभी भी चिल्लाने लगेंगे।’
मैंने तीन गहरी साँस ली और सॉरी कहा।
‘जाओ, अब घर जाकर आराम कर लो। इतना पैसा कमाना भी अच्छी बात नहीं।’

मैं अपार्टमेंट में दाखिल हुई। देबू लिविंग रूम में बैठा फुटबॉल देख रहा था। उसने एक लुज़ ग्रे टी-शर्ट और ब्लैक शॉर्ट्स पहनी हुई थी। हाथों में था बीयर का एक कैन।
‘हे, ’ उसने टीवी से नज़रें हटाए बिना कहा।
‘हाय, ’ मैंने बुझी हुई आवाज़ में कहा। क्या उसके लिए सोफे से उठकर मुझे एक हग देना भी मुश्किल है?
मैंने अपनी जैकेट निकाली और उसे डायनिंग टेबल पर रख दिया। मैंने देखा कि वहाँ मिस्टर चाऊ, ट्राइबेका के एक चाइनीज़ रेस्तरां के बॉउल्स रखे थे।
‘तुमने खाना ऑर्डर किया था?’
‘हाँ। मेरा कुछ बनाने का मन नहीं हो रहा था। फिर टीवी गेम भी चल रहा था।’
‘लेकिन यह कितना गंदा है। तुम कुछ हेल्दी फूड ऑर्डर कर सकते थे।’
‘मेरा चाऊ चीप है। हम इसको दो दिन तक खा सकते हैं।’
मैंने डायनिंग चेयर पर अपना हैंडबैग पटक दिया। कभी-कभी मुझे लगता था कि देबू कुछ ज़्यादा ही पैसे बचाने के फेर में रहता था।
‘मैंने माँ को फोन लगाया था। मैं उनसे बात करना चाहती थी, लेकिन आखिर में मैं उन पर चिल्ला पड़ी।’
‘ऊहूँ, ’ उसने टीवी से नज़रें हटाए बिना कहा। ‘ये तो अच्छी बात नहीं है।’
‘देबू! क्या तुम एक मिनट के लिए अपना टीवी बंद कर सकते हो?’ मैंने लगभा चिल्लाते हुए कहा।
देबू ने कुछ हैरत से मेरी ओर देखा। उसने टीवी तो बंद नहीं किया, लेकिन उसे म्यूट कर दिया।
‘क्या हुआ बेबी?’
‘मैं यहाँ एक थका देने वाले दिन के बाद घर आई हूँ, तुम कम-से-कम मुझे देखकर खुश होने का दिखावा तो कर ही सकते हो।’
‘ऑफ कोर्स, मैं खुश हूँ बेबी।’
‘गिव मी अ हग। जब मैं घर में आऊँ तो ऐसे दूर से केवल हे मत कहो।’
वह अपनी सीट से उठा, मेरे पास आया और मुझे हग कर लिया।
मैंने उसे दूर धकेला। ‘मेरे कहने पर नहीं। अपने मन से करो। आज मेरी माँ से बहुत बहस हुई।’
‘किस बारे में?’
‘गेस करो।’
‘बेटी की शादी को लेकर ही होगी, और क्या?’
‘हाँ देबू।’ मैंने कहा।
माँ और मेरे बीच हर हफ्ते कम-से-कम एक बार शादी को लेकर बहस होती ही थी। देबू इस बारे में जानता था। मैं उम्मीद करती थी कि वह इस मामले में कुछ करेगा। लेकिन उसके लिए तो एक स्टुपिड माइनर लीग अमेरिकन फुटबॉल गेम ज़्यादा ज़रूरी था।
‘उनकी बातों पर इतना ध्यान मत दो। वे ओल्ड-फैशन्ड हैं।’
उसने एक पेपर प्लेट निकाली, उस पर कुछ नूडल्स लिए और मुझे थमा दी। मेरे अनिश्चित भविष्य के मुआवज़े के तौर पर चीप चाऊमीन की एक प्लेट!
‘देबू, रियली क्या तुम्हें यही लगता है कि मुझे यह बात परेशान कर रही है?’
‘और क्या?’
ये लड़के लोग कभी किसी बात को समझते क्यों नहीं? हम लड़कियों के साथ कभी कोई एक चीज़ नहीं होती है। कई चीज़े हमें एक साथ परेशान करती रहती हैं, जैसे ऑफिस में काम का प्रेशर, बॉस की डर्टी लुक, ट्रेन में अपने से दुबली लड़कियों को देखना और इसी में जोड़ लीजिए, बॉयफ्रेड का फ्यूचर प्लान्स में कोई दिलचस्पी नहीं लेना।
‘जी नहीं, बात केवल इतनी ही नहीं है।’ मैं अपनी आवाज़ को जितना संभाल सकती थी, उतना संभालते हुए मैंने कहा।
‘ओह!’उसने अचरज जताते हुए कहा।
‘देबू! ये क्या है?’
‘क्या हुआ? मैने क्या किया?’
‘वही जो तुमने नहीं किया।’
‘हग? ओह, उसके लिए सॉरी।’
‘बात हग की नहीं, बात हमारी है। क्या सचमुच तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा, या तुम दिखावा कर रहे हो?’
‘बेबी, साफ-साफ बोलो।’
मैंने प्लेट को परे सरका दिया। मैं नहीं खाना चाहती थी। और ना ही मैं देबू की बेबी-बेबी की रट सुनना चाहती थी।
‘हुआ क्या है?’
‘देबू! हम कहाँ जा रहे हैं?’
‘मतलब?’
मैंने रिमोट उठाया और टीवी बंद कर दिया।
‘हम? यानी कि हम अपनी रिलेशनशिप में कहाँ जा रहे हैं? मेरी माँ मेरी शादी कर देना चाहती हैं। तुम सुन रहे हो या नहीं?’
‘लेकिन तुम तो शादी नहीं करना चाहतीं ना? कम-से-कम अभी तो नहीं, राइट?’ उसने कहा।
‘लेकिन हमारा फ्यूचर क्या है?’
‘आई लव यू, बेबी। आई मीन, सुषमा। और तुम भी मुझे चाहती हो। हम एक-दूसरे से इतना प्यार करते हैं। हमें और क्या चाहिए?’
‘ये सब तो ठीक है। हाँ, मैं तुम्हें प्यार करती हूँ, लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है कि शायद मैं तुममें कुछ ज़्यादा ही इनवॉल्व हो रही हूँ| मैं किसी और के बारे में सोच भी नहीं पाती हूँ।’
‘ये तो अच्छी बात ही है ना?’
‘लेकिन हमारा कोई फ्यूचर है या नहीं, या हम केवल रेंट और सेक्स ही शेयर करते रहेंगे?’
‘ऐसा मत बोलो।’
मैं सोफे पर आकर बैठ गई और टीवी चला दिया।
वह आया और उसने टीवी बंद कर दिया।
‘तुमने टीवी क्यों चालू किया?’ उसने कहा।
‘जब तुम्हें बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, तो और क्या करूँ। यही दिखावा करते हैं कि जैसे कोई प्रॉब्लम ही नहीं है।’
‘ठीक है, मैं बात करूँगा।’
‘श्योर। मैं सुन रही हूँ।’
‘मेरे जॉब की प्रॉब्लम है। मुझे प्रमोशन का इंतज़ार है।’
‘वह अगले महीने मिल सकता है।’
‘हाँ, लेकिन कौन जाने नहीं भी मिले। मेरे दो कलीग्स ने बॉस को बोल दिया है कि मैं प्रमोशन के लायक नहीं हूँ। एड की दुनिया में गलाकाट प्रतियोगिता होती है। मैं बहुत टेंशन में हूँ।’
‘वेल, यह तो बहुत बुरा है। लेकिन इसका हमसे क्या सरोकार है?’
‘मैं एक सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर बनना चाहता हूँ। मुझे प्रमोशन और पैसा चाहिए। शादी करने से पहले मैं खुद को और मजबूत बना लेना चाहता हूँ। मुझे अपने कैरियर पर फ़ोकस करना है।’
‘मैं तुमसे ये नहीं कह रही हूँ कि अगले हफ्ते मुझसे शादी कर लो।’
‘अच्छा सुनो, मुझे यह प्रमोशन मिल जाए, एक-दो नए अकाउंट्‌स मिल जाएँ, उसके बाद मैं अगला कदम उठाने को तैयार रहूँगा।’
‘मैं माँ को क्या बोलूँ?’
‘उन्हें मेरे बारे मे बता दो। कह दो कि मेरा एक बॉयफ्रेंड है।’
‘वे यह सुनकर पागल हो जाएँगी। मैं सही समय पर ही उन्हें बताऊंगी।’
‘जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। यहाँ आओ।’
मैं अपनी सीट से हिली नहीं। वह खुद चलकर मेरे पास आया।
‘आई लव यू।’ उसने कहा।
‘मी टू। सॉरी मैंने तुम्हें तंग किया।’

हम बिस्तर पर लेटे थे। वह अपनी अंगुलियाँ मेरी बाँह पर दौड़ा रहा था।
‘आज रात नहीं, देबू। मेरा मूड नहीं है।’
‘तुम्हें अच्छा लगेगा।’
‘नहीं।’
उसने मेरी ब्रेस्ट पर हाथ रख दिया। मैंने उसे दूर कर दिया।
‘अपने कैरियर पर फ़ोकस करो, देबू। यहाँ-वहाँ ध्यान मत भटकाओ। गुडनाइट।’
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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11
‘पहले कंपनी प्रॉपर्टीज़ पर फोरक्लोज़। उन्हें इतना डरा दो कि वे हमारे हिसाब से खेलने लगें।’ मैंने जोनाथन से कहा। हम ऑफिस पैन्ट्री में कॉफी मशीन के पास खड़े मेडट्रोन नाम की एक सेमी-कंडक्टर कंपनी के बारे में बात कर रहे थे।
‘स्मार्ट सजेशन।’ जोनाथन ने कहा।
मैंने दो एस्प्रेसो बनाई और एक कप उसकी ओर बढ़ा दिया।
मेरा फोन बजा। देबू का नाम देखकर मैंने उसे एक तरफ रख दिया।
‘गो अहेड, उठा लो।’
‘पर्सनल कॉल है। मैं बाद में लगा लूँगी।’
‘नहीं, नहीं, बात कर लो। मैं बाद में तुमसे तुम्हारी डेस्क पर आकर मिलता हूँ।’
जोनाथन के जाते ही मैंने फोन उठाया।
‘हाय, मिडिल-ऑफ-द-डे कॉल। नाइस!’
‘वेल, अभी तुम बीबीडीओ के एक सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर से बात कर रही हो।’
‘ओह माय गॉड, तो तुमने यह कर दिखाया! कांग्रेट्‌स, देबू। यह तो आज की सबसे बड़ी ख़बर है।’
‘थैंक यू। सबसे पहले तुम्हें ही बताया है।’
‘ज़ाहिर है। और अब हम इसे सेलिब्रेट करेंगे।’
‘इट्‌स ओके। उन्होंने दो और को प्रमोट किया।’
‘यह बहुत बड़ी बात है। खैर, मुझे जाना होगा। तुम घर कब तक पहुँच जाओगे?’
‘7.30 बजे तक। क्यों?’
‘कुछ नहीं। शायद मुझे आज ज़रा देर हो जाए। ओके, मिस्टर सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर, बाय!’
मैंने तुरंत एक प्लान बनाया और अविनाश, आशीष और निधि को मैसेज किया।
‘एक बड़ी खबर है। देबू प्रमोट हो गया है। आज 7 बजे हमारे घर पर सरप्राइज़ सेलिब्रेशन ड्रिंक्स होगी। ठीक समय पर पहुँच जाना। 55-बी, 50 फैंकलिन स्ट्रीट, ट्राइबेका।’
चंद ही मिनटों में सभी ने कंफ़र्म कर दिया। मैंने कुछ और को मैसेज किया। कुछ अपने दोस्तों को भी साथ लाना चाहते थे। आधे घंटे में मैंने एक मिनी-पार्टी अरेंज कर ली थी, जिसमें कोई एक दर्जन मेहमानों ने शिरकत करने की इजाज़त दे दी थी। सबसे आखिर में, मैंने देबू को एक मैसेज किया। ‘बिज़ी डे। देर हो सकती है। डिनर करके सो जाना।’

‘सरप्राइज़!’ सभी एक स्वर में चिल्लाए। देबू पल भर को समझ ही नहीं पाया। उसके शॉक्ड एक्सप्रेशंस देखकर सभी हँस पडे। मैंने रेज़ के यहाँ से पिज्ज़ा ऑर्डर किया था। होल फूड्स के यहाँ से सैलेड, नट्‌स और बार स्नैक्स आए थे। फ्रिजर में शैम्पेन थी। यह पहली बार था, जब मैं और देबू हमारे छोटे-से अपार्टमेंट में इतने सारे लोगों से मिल रहे थे। लिविंग रूम में हँसी-ठट्‌ठा गूँज रहा था। इसे देखकर मुझे लगा, जैसे मेरी दुनिया पूरी हो गई है। मैंने बत्तियाँ मद्धम कर दीं और म्यूजिक चला दिया।
‘क्या शानदार पार्टी है!’ निधि ने कहा।
‘लेकिन तुम मेरे साथ कभी ऐसा कोई सरप्राइज़ मत करना’, आशीष ने कहा, जो कि अब निधि का पति था।
‘हम मैरिड हैं और वे लवर्स हैं, दोनों में फ़र्क है।’
‘जो भी हो।’ उसने कहा। निधि हँस दी।
मैंने अपने कंधो पर किसी का हाथ महसूस किया। मुड़कर देखा तो देबू था। वह मेरी आँखों में गहरे झाँक रहा था। ‘आई लव यू।’ उसने कहा।
‘आई लव यू टू।’ मैंने कहा।
देबू ने मुझे होंठों पर चूम लिया। आशीष ने सीटी बजाई। सभी हमारी तरफ देख रहे थे। मैंने अपना चेहरा छुपा लिया। मैं अपनी ज़िंदगी में इससे खुश पहले कभी नहीं थी।
‘मैंने तो तुम्हें दोपहर को ही बताया था। तुमने यह सब कैसे कर लिया?’ देबू ने कहा।
‘मैंने आधे दिन की छुट्‌टी ले ली।’
‘मुझे इतना स्पेशल फील कराने के लिए शुक्रिया, सुपरवुमन।’
‘यू आर वेलकम। लेकिन पार्टी के बाद घर की सफाई करनी में तुम्हें भी मदद करनी होगी।’ मैंने कहा।

तीन महीने बाद
‘सुपर्ब जॉब ऑन मेगाबाउल। हम पच्चीस नहीं तीस मिलियन रिकवर कर सकेंगे। वेल डन, सुषमा।’ मैं अपने लैपटॉप पर जोनाथन का एक पुराना मेल पढ़ रही थी।
‘बेबी, अपना लैपटॉप बंद करो और यहाँ आओ।’ देबू ने उनींदी आवाज़ में कहा। मैं बेड पर उसके पास बैठी थी। कमरे की बत्तियाँ बंद थीं। लेकिन लैपटॉप की स्कीन उसे तंग कर रही थी।
‘स्कीन बहुत ब्राइट है। अभी क्या समय हो रहा है?’ देबू ने कहा।
‘11.30, ’ मैंने कहा। ‘बस कुछ और मिनट।’
‘तुम क्या काम कर रही हो?’ उसने मेरी कमर पर हाथ रखते हुए कहा।
‘मेरी परफॉर्मेंस रिव्यू। कल मुझे इसे सबमिट करना है।’
‘तुम कमाल हो, ’ उसने कहा।
‘अनफॉर्च्यूनेटली, यहाँ पर ऐसा कोई ऑप्शन नहीं है। मुझे उन सभी डील्स के डिटेल्स लिखना है, जिन पर मैंने पिछले साल काम किया है।’
‘वे लोग जानते हैं, तुम कितनी अच्छी हो। अब सो जाओ। मैं तुम्हें छूना चाहता हूँ।’ देबू ने मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा।
‘तुम सो जाओ। मैं जानती हूँ कि लैपटॉप से तुम्हें दिक्कत हो रही है। तो मैं लिविंग रूम में जाकर बैठ जाऊंगी।’
‘लेकिन वहाँ तो बहुत सर्दी है।’
‘मैं हॉल का हीटर चला लूंगी।’ मैंने कहा, देबू का सिर चूमा और लिविंग रूम में चली गई। वहाँ मैंने अपना लैपटॉप फिर से खोला और परफॉर्मेंस रिव्यू फॉर्म पढ़ा।
उन अवसरों का वर्णन करो, जब आपने किसी डीस मे अपनी तरफ से कोई अहम योगदान दिया हो।
मैंने पिछले एक साल में तीन डील्स पर काम किया था। इनमें से मेगाबॉउल पर मेरा योगदान सबसे ज़्यादा था। मैंने डिटेल्स दर्ज किए। पिछले साल जब मैंने फर्म ज्वॉइन की थी, तब हमारे पास एक फिक्स्ड बोनस था। मेरी परफॉर्मेंस रिव्यू ही यह तय करने वाली थी कि इस साल मुझे कितना बोनस मिलेगा।
मैं आखिरी सवाल पर पहुँची:
आप अपनी परफॉर्मेंस को पाँच में से कितने अंक देना चाहेंगी:
1. उम्मीद से कहीं नीचे।
2. उम्मीद से नीचे।
3. अपेक्षानुरूप।
4. अपेक्षा से बेहतर।
5. अपेक्षा से कहीं बेहतर।
मैं कुछ देर सोचती रही। पाँचवें विकल्प को चुनना तो बहुत ज़्यादा हो जाता, इसलिए मैंने तीसरे विकल्प को चुना और सबमिट कर दिया।
‘हो गया?’ बेडरूम से देबू की आवाज़ आई।
‘हाँ, अभी आई।’ मैंने कहा।

मैं पार्टनर जॉन क्रूज के कमरे में धीमे-धीमे टहल रही थी। उसकी सेक्रेटरी ने मुझे इंतज़ार करने को कहा था। गोल्डमान में बोनस डे के दिन पूरे ऑफिस की हवा ही बदल जाती थी। लोग बहुत उत्साहित होते थे, लेकिन बाहर से ऐसा दिखाते थे, मानो सबकुछ बहुत कूल हो। बैंकर्स बोनस के लिए ही काम करते है और आंकड़ों पर बहुत कुछ नि र्भर रहता है। ज़ीरो बोनस या बहुत कम नंबरों का यह भी मतलब हो सकता था कि अब आप फर्म को छोड़कर जा सकते हैं।
जॉन क्रूज न्यूयार्क डिस्ट्रेस्त्र टीम में सभी को बोनस की घोषणा करने वाले थे। मेरी बेस सैलेरी 120000 डॉलर सालाना थी।
‘हाऊ यू डुइंग?’ जॉन ने अपनी स्कीन से नज़रें हटाए बिना कहा। वह कोई भी आंकड़ा सार्वजनिक करने से पहले रिलैक्स रहने की हिदायत देता था। उसके पास मैजिक स्क्रीनशीट थे, जिसमें सभी बोनस डाटा का उल्लेख था।
‘मैं ठीक हूँ। आप कैसे हैं?’ मैंने कहा।
‘कुछ-कुछ सांता क्लॉज़ जैसा महसूस कर रहा हूँ।’
मैं मुस्करा दी, लेकिन थोड़ा-सा ही। पार्टनर के ऑफिस में हमें सलीके-से बरताव करना ही होता है।
‘ये तुम्हारा पहला रियल बोनस होगा, है ना?’
मैंने सिर हिला दिया।
‘तुमने यह कैसे किया?’ उसने पूछा।
‘मैं जल्द ही पता लगाने की कोशिश करूंगी।’
वह हँस दिया। ‘वेल, तमाम रिव्यू में से खुद को सबसे बुरी रेटिंग आप ही ने दी है। आपने खुद को केवल तीन नंबर दिए, जबकि लगभग सभी ने आपको पाँच दिए हैं।’
मैं कुछ ना कह सकी। मेरे भीतर खुशी मचलने लगी थी। पिछले बारह महीनों में मैने जो मेहनत की थी, उसकी अहमियत को लोग समझ रहे थे।
‘तो इस साल के लिए आपका बोनस है डेढ़ लाख डॉलर्स!’
‘क्या!’ मेरे मुँह से निकल ही गया।
‘क्या का, क्या मतलब है? तुम्हें अच्छा लगा ना?’ जॉन ने कहा।
‘सॉरी, लेकिन आपने कितना बताया?’
‘एक लाख पचास हज़ार डॉलर्स! तो आपका टोटल कंपेनसेशन होगा, एक लाख बीस हज़ार बेस प्लस एक लाख पचास हज़ार बोनस। यानी इस साल आपने दो लाख 70 हज़ार डॉलर्स कमा लिए हैं।’
मेरा सिर चकराने लगा। मैंने पैर ज़मीन पर टिका दिए, ताकि कहीं मैं चकराकर गिर ना पडूँ। दो लाख 70 हज़ार डॉलर्स! मैंने मन-ही-मन यह आँकड़ा दोहराया। यानी एक करोड़ पचास लाख रुपए!
‘आपको बेस इंक्रीमेंट भी मिली है। जिससे अब यह बढ़कर एक लाख 40 हज़ार डॉलर्स हो गई है। कीप इट अप।’
‘वेल, हाँ। थैंक्स, जॉन। मैं हमेशा अपना बेस्ट देने की कोशिश करूँगी। ये मेरे लिए बहुत बड़ी रकम है।’
‘लेकिन तुम इसे डिजर्व करती हो। बाय द वे, एसोसिएट लेवल पर यह सबसे बड़े बोनस में से है। और हाँ, ये तमाम नंबर्स कान्फिडेंशियल है। इन्हें कभी किसी से शेयर मत करना।’
‘मैं समझती हूँ।’
‘गुड। बैक टु वर्क नाऊ।’
अपनी सीट पर लौटते समय ऐसा लग रहा था, जैसे मैं हवा में तैर रही हूँ। मेरे पास वाले क्यूबिकल में बैठे क्रैग से मैं हाई-फाइव करना चाहती थी, लेकिन कर नहीं सकी। मैं केवल मुस्करा दी। मैंने अपने कंप्यूटर पर एक फाइनेंशियल मॉडल स्प्रेडशीट खोली। लेकिन मेरा दिमाग फ़ोकस नहीं कर पा रहा था। मुझे यह ख़बर किसी ना किसी से शेयर करनी ही थी। इंडिया में अभी सब लोग सो रहे थे। मैंने देबू को कॉल किया।
उसने फोन नहीं उठाया।
मैंने सोचा कि शायद वह किसी मीटिंग में होगा। आधे घंटे बाद मैंने फिर कोशिश की। उसने फिर फोन नहीं उठाया। मैं सोचने लगी कि अभी वह कहाँ होगा। आखिरकार एक घंटे बाद उसने कॉल बैक किया।
‘क्या बात है?’
‘लंच पर मिलना चाहोगे?’
‘कब, अभी?’
‘हाँ।’
‘मैं काम पर हूँ। बाहर कदम भी नहीं रख सकता। एक अकाउंट पर बहुत पोलिटिक्स हो रही है।’
‘मुझे बोनस मिला है।’ मैंने फुसफुसाते हुए कहा।
‘कूल। कितना मिला है?’
‘मैं आमने-सामने बैठकर बताना चाहूँगी।’
‘तो आज रात घर पर बता देना।’
‘आज कहीं बाहर चलते हैं।’
‘रियली?’
‘हाँ। मैं तुम्हारे ऑफिस के पास कोई जगह चुन लूंगी। काम से सीधे वहीं आना। 6.30 बजे?’
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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मैंने नेराई बुक किया, एक हाईली-रेटेड ग्रीक रेस्तरां, जो बीबीडीओ ऑफिस से केवल दस मिनट की पैदल दूरी पर था। बुकिंग के बाद मैंने देबू को मैसेज भेजा।
‘नेराई, 55 ईस्ट 54वीं स्ट्रीट (मैडिसन एंड पार्क के बीच), 6.30 बजे।’
5.30 बजे मैं ऑफिस से निकल गई। मुझे साउथ फेरी स्टेशन तक पैदल जाना था और रेस्तरां तक पहुँचने के लिए ‘1’ ट्रेन पकड़नी थी। लेकिन मैंने टैक्सी ली। आज मैं 20 डॉलर की कैब राइड अफोर्ड कर सकती थी। न्यूयॉर्क की येलो टैक्सी ने एफडीआर ड्राइव ली, जो मैनहटन के ईस्ट कोस्ट से सटा एक हाईवे है। वह बिना किसी ट्रैफिक सिगनल के मुझे 49वीं स्ट्रीट तक ले गई। वहाँ से टैक्सी वेस्ट की ओर मुड़ी और मुझे नेराई की ओर ले गई।
चूँकि मैं जल्दी पहुँच गई थी, इसलिए मैंने आराम से रेस्तरां का जायज़ा लिया। ईंट की सफेद दीवारों पर ग्रीक पेंटिंग्स टंगी थीं। मैंने वाइन लिस्ट देखी और ग्रीक रेड वाइन ऑर्डर कर दी।
देबू का मैसेज आया: ‘सॉरी, स्टक एट वर्क। दस मिनट लेट हो जाऊँगा।’
‘कोई बात नहीं।’ मैंने जवाब दिया।
‘तब तक तुम कुछ ऑर्डर कर दो। मुझे भूख लग रही है।’
मैंने वाटरमेलन-चीज़ सैलेड और डिप्स ऑर्डर कीं। खाना आ गया, लेकिन देबू नहीं। आखिरकार वह 7 बजे पहुँचा।
‘आई एम सो सो सॉरी।’
‘इट्‌स फाइन।’ मैंने कहा और उठकर उसे हग किया।
उसने अपना लंबा काला ओवरकोट निकाला और उसे कुर्सी पर टांग दिया।
‘बहुत काम है?’
‘पोलिटिक्स ज़्यादा है। यह कि कैम्पेन का क्रेडिट किसको मिलेगा। जब से मेरा प्रमोशन हुआ है, मैंने क्रिएटिव काम करने से ज़्यादा समय पोलिटिक्स को मैनेज करने में बिताया है।’
‘आखिर तुम सीनियर हो। मैनेजर्स को यही तो करना होता है।’
‘हाँ शायद। ओह, खाना आ गया है। कैसा है? मैं तो भूख से मरा जा रहा हूँ।’
‘अभी तक चखा नहीं। तुम्हारा वेट कर रही थी।’
देबू ने ब्रेड उठाई और डिप के साथ ली। मैंने सलाद लिया। कुछ बाइट्स के बाद जैसे उसकी जान-में-जान आई तो बोला: ‘एनीवे, तुम्हारा क्या रहा? बिग डे?’
मैं मुस्करा दी।
‘तो फोन पर बताने को तुम तैयार नहीं थीं। वीकडे पर बाहर डिनर पर बुला लिया। तुम्हें सस्पेंस में रखने में मज़ा आता है।’
‘ऐसा कुछ नहीं है। लेकिन मै आमने-सामने बैठकर ही बताना चाहती थी।’
‘तो कितना मिला है?’
‘जॉन ने मुझे आज अपने रूम में बुलाया और कहा कि मुझे दूसरे लोगों ने बहुत अच्छे रिव्यूज़ दिए हैं।’
‘देखा, मैंने तो पहले ही कह दिया था कि तुम स्टार हो।’
‘वेल, जब आपके पार्टनर आपकी तारीफ करते हैं, तो अच्छा लगता है।’
‘व्हाट्स द नंबर, बेबी?’
‘बता दूँगी।’
‘मैं और इंतजार नहीं कर सकता।’
‘लेकिन किसी को बताना मत।’
‘मैं भला किसको बताऊंगा?’
‘एक सौ पचास।’
‘एक सौ पचास क्या?’ उसने कंफ्यूज़ होते हुए कहा।
‘एक सौ पचास सौ डॉलर्स!’
‘एक लाख पचास हज़ार डॉलर्स!!’
‘जी हाँ।’
‘यू मीन टोटल कंपेनसेशन? तुम्हें ऑलरेडी 120 मिलते हैं, तो 30 बोनस?’
‘जी नहीं। 150 बोनस, टोटल 270।’
देबू का मुँह खुला-का-खुला रह गया: ‘यानी तुमने पिछले साल दो लाख सत्तर हज़ार डॉलर्स कमाए?’
‘जी हाँ।’
‘ओह, होली फ़क! ये बैंके भी!’
‘वेल, सभी को इतना नहीं मिला है। लेकिन मुझे फाइव रेटिंग मिली थी, इसलिए इतना ज़्यादा मिला।’
‘नाइस।’ उसने दबी हुई आवाज़ में कहा।
वेटर ऑर्डर लेने आया। उसने मेनू खोला और पाँच मिनट तक उसका मुआयना करने के बाद कहा: ‘वन लैंड केबाब एंड वन फालाफेल, प्लीज़।’ वेटर चला गया।
‘यू ओके विद ऑर्डर, बेबी? तुम कुछ और लोगी?’ देबू ने कहा।
‘नहीं। अलबत्ता ऐसा लग रहा है कि तुम्हें मेरी बातों से ज़्यादा दिलचस्पी मेनू में है।’
‘नहीं, नहीं। एनीवे, तुम कुछ कह रही थीं?’
मैं मुस्करा दी: ‘मैं कह रही थी कि एसोसिएट्‌स में से मुझे सबसे ज़्यादा बोनस मिला है।’
‘दैट्‌स नाइस, बेबी। आई मीन, मैं तो इतने सारे पैसों को इमेजिन भी नहीं कर सकता। यू नो, प्रमोशन के बावजूद मेरा टोटल कंपेनसेशन 80 हज़ार तक ही पहुँच पाया है।’
उसे अपनी सैलेरी बताने की ज़रूरत क्या है, मुझे पहले ही पता है: मैंने सोचा।
‘तुम भी बहुत अच्छा कर रहे हो।’ मैंने कह तो दिया, लेकिन अगले ही पल लगा कि गलत बात कह दी। ऐसा लगा जैसे में रेस में दूसरे नंबर पर आए किसी बच्चे को हिम्मत बंधा रही हूँ कि तुम भी अच्छा दौड़े। बहरहाल, शायद उसने इसे नोटिस नहीं किया।
‘लेकिन मेरी कंपनी के लोग स्टुपिड हैं। तुम यकीन नहीं करोगी इसी कैम्पेन में क्या हुआ।’
मुझे समझ नहीं आ रहा है कि यहाँ पर देबू के बारे में बात क्यों हो रही है, जबकि यह बिग मोमेंट तो मेरा है ना: मैंने मन-ही-मन सोचा।
वेटर रेड वाइन की एक बोतल लेकर आया। देबू ने उसकी ओर अचरज से देखा।
‘मैंने सेलिब्रेट करने के लिए ग्रीक वाइन ऑर्डर की थी। एक पूरी बोतल!’ मैंने वेटर को इशारा किया कि वह हमारे लिए दो गिलास तैयार कर दे।
‘कूल।’ उसने कहा। ‘नाइस।’
कूल और नाइस, यह इंसान क्या कभी इन दोनों शब्दों से आगे नहीं बढ़ेगा क्या?
खाना आया। उसका चेहरा चमक उठा।
‘इस लैंब की महक कितनी शानदार है। बेबी, तुम बहुत अच्छे रेस्तरां चुनती हो। अब जैसे यही रेस्तरां ले लो। ऑफिस के इतना करीब, लेकिन मुझे पता ही नहीं था। किसी दिन मैं अपनी टीम के साथ यहाँ आऊंगा।’
मिस्टर देबाशीष सेन, मैं रेस्तरां चुनने के अलावा और भी दूसरे काम करती हूं। जैसे कि बहुत सारे पैसे कमाना। रिव्यूज़ में टॉप रेटिंग हासिल करना। क्या तुम इसके लिए मेरी ज़रा भी तारीफ नहीं कर सकते?
‘दिस इज़ यमी? तुम भी ट्राय करो। यह तो बस कमाल है।’ देबू ने कहा। मेरे बोनस की ख़बर पर उसने जितना उत्साह दिखाया था, उससे दस गुना ज़्यादा वह खाने पर दिखा रहा था। मैंने अपना खाना खुद सर्व किया। यह देखकर मुझे अचरज हुआ कि अब मैं भी अपने बोनस को लेकर इतनी खुश नहीं अनुभव कर रही थी।
अरे यार, मैं तारीफे सुनने के लिए इतनी बेचैन क्यों रहती हूँ? गोल्डमान साक्स के सबसे सीनियर पार्टनरों में से एक जॉन ने मेरे काम की तारीफ की है, और क्या चाहिए? हम लड़कियों में यह खराबी किसलिए होती है कि जब तक हमारा आदमी हमारी तारीफ ना कर दे, हम उसको पूरी नहीं मानते।
‘कैसा लगा? लैंब तो बहुत ही सॉफ्ट है ना?’
‘हाँ, अच्छा है।’ मैंने कहा। मेरा मन कर रहा था कि कहूँ: जहन्नुम में जाओ!
आखिर वह मेरी तारीफ क्यों नहीं कर सकता? जब उसको प्रमोशन मिला था तो मैंने ज़मीन-आसमान एक कर उसके लिए एक सरप्राइज पार्टी रखी थी। लेकिन अभी उसको लैंब चट करने से ही फ़ुरसत नहीं थी।
देबू मुझे कोई डेढ़ साल से जानता था। वह समझ गया कि मैं अपसेट क्यों हूँ।
‘मुझे तुम पर नाज़ है, बेबी। सो प्राउड ऑफ यू। तुमने यह सब अचीव करने के लिए बहुत मेहनत की है, मैं जानता हूँ।’
‘ओह, थैंक्स।’ मैंने कहा और उसका हाथ थाम लिया।
‘आई एम सॉरी, लेकिन मैं अभी तक उस नंबर पर यकीन नहीं कर पा रहा हूँ। तुम्हारे पास तो अभी पूरे दो साल का एक्सपीरियंस भी नहीं है।’
‘डिस्ट्रेस्ड में पैसा अच्छा मिलता है। जो डील मैंने करवाई थी, उससे भी कंपनी को बहुत पैसा मिला। लेकिन हाँ, जब मैंने सुना तो मैं भी सकते में आ गई थी।’
‘तुम मुझसे तीन गुना ज़्यादा पैसा कमाती हो। माइंडब्लोइंग!’
उसने ऐसी बात क्यों कही? कंपेयर करने की ज़रूरत ही क्या है? मैं उसे यह भी बताना चाहती थी कि मुझे बेस इंक्रीमेंट भी मिला है, लेकिन मैंने उसे ना ही बताना ठीक समझा।
‘वेल, दो लोगों के बीच में कोई-ना-कोई तो ज़्यादा ही कमाएगा। कुछ इंडस्ट्रीज अच्छा पे भी करती हैं।’
‘हम्म्म।’
‘चलो कहीं छुटि्टयाँ बिताने चलते हैं। कहीं भी। यूरोप? हवाई?’
वह हँस दिया: ‘फीलिंग रिच?’
‘आई एम रिच। वी आर रिच। चलो इस वीकेंड शॉपिग करते हैं। आओगे?’
‘शायद। तुमने अपने पैरेंट्‌स को बताया?’
‘बता दूँगी। जब मॉम उठेंगी, तब उन्हें बताऊंगी।’
‘वे लोग यह सुनकर कितने खुश होंगे।’
‘आई होप सो। मैं चाहती थी कि वे एक होंडा सिटी कार खरीदें। लेकिन अब शायद मैं उनसे इससे भी बेहतर कार खरीदने को कहूँगी।’
‘उन्हें तुम पर कितना नाज़ होगा।’
‘थैंक्स, देबू। लेकिन क्या तुम्हें भी मुझ पर नाज़ है? सच मे?’
‘हाँ, बिलकुल है।’
हमने एक-दूसरे की आँखों में देखा। हमने इस शहर में अपने लिए एक मुकाम बनाया था। हमने ना केवल सर्वाइव किया, बल्कि हम यहाँ पर फले-फूले भी। हमें एक-दूसरे का साथ पसंद था। मैंने उसका हाथ थाम लिया। उसने कुछ कहने के लिए अपना गला साफ किया। क्या वह कोई रोमांटिक बात कहने जा रहा था?
‘सॉरी, लेकिन यह लैंब का आखिरी पीस तुम खाओगी या मैं खा जाऊँ?’ उसने कहा।

‘पूरे डेढ़ लाख डॉलर्स!’ मैंने फोन पर माँ को बताया।
‘रुपए में बताओ।’
‘अभी एक डॉलर पैंतालीस रुपए के बराबर है, तो मान लो 70 लाख रुपया।’
‘ये तुम्हारा बोनस है?’
‘मैं थोड़ा पैसा आपके अकाउंट में भिजवा रही हूँ। प्लीज़ शॉपिंग कर लेना।’
‘तुम्हें 70 लाख रुपए बोनस में मिले?’
‘हाँ।’
‘सैलेरी अलग?’
‘हूँ।’
‘वैसे तुम क्या काम करती हो?’
‘मतलब?’
‘मतलब इतना पैसा कभी किसी जॉब में मिलता है?’
‘मैंने आपको बताया था ना कि मैं डिस्ट्रेस्ड डेट में हूँ। हम उन कंपनियों के साथ काम करते हैं, जो मुश्किल दौर से गुज़र रही हैं।’
‘यदि कंपनियाँ मुश्किल में होती हैं, तो तुम इतना पैसा कैसे बना लेती हो?’
मैं हँस दी: ‘हो जाता है। डैड पास में हैं?’
‘हाँ।’ उन्होंने कहा, फिर ज़ोर से आवाज़ देकर उन्हें पुकारा: ‘अजी सुनते हो, तुम्हारी बेटी ने 70 लाख रुपए कमाए हैं।’
उनकी आवाज़ पूरी कॉलोनी में सुनी जा सकती थी। गोल्डमान के कॉन्फिडेंशियलिटी क्लॉजेज की ऐसी कम तैसी!
मैंने डैड को भी बोनस की पूरी रामायण सुनाई। एक मिनट की चुप्पी के बाद उन्होंने भावुक आवाज़ में कहा: ‘इतना तो एसबीआई चेयरमैन को भी नहीं मिलता। तुम अभी चौबीस साल की ही हो। मेरी गुड़िया इतनी बड़ी कब हो गई?’
मैं अपने आँसुओं को रोक नहीं पाई।
‘मैं अब भी आपकी गुड़िया ही हूँ, डैड। वही जो आपकी अंगुली पकड़कर स्कूल जाती थी।’
मैंने उनके सुबकने की आवाज़ सुनी। मेरे पापा घर की सभी औरतों से ज़्यादा रोते थे।
‘आई एम सो प्राउड ऑफ यू।’
‘आई लव यू। आई मिस यू।’
‘घर जल्दी आना।’
‘आऊँगी। क्रिसमस के आसपास मैं छुटि्टयाँ लूंगी। आपको क्या चाहिए? क्या मैं आपके लिए कुछ ला सकती हूँ?’
‘बस मेरी लिटिल गर्ल को मेरे पास जल्दी-से-जल्दी ले आना।’
मैंने फोन रख दिया। मैं एक लंबे समय के बाद इतना रोई थी। किसको मालूम था कि दो लाख सत्तर हज़ार डॉलर्स आपको इतना इमोशनल बना सकते हैं?
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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