क्रेजी ज़िंदगी

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Masoom
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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35
तीन हफ्ते बाद
मॉम ने नज़र का चश्मा लगा रखा था। वे मेरे फोन पर शादी.कॉम एप्प पर तस्वीरें देख रही थीं।
‘ये देखो। तुमने इसको एक्सेप्ट क्यों नहीं किया?’
‘आप ही पढ़कर बता दो मॉम। क्या करता है वो?’
‘फ़ेसबुक में काम करता है। लेकिन कोई फ़ेसबुक मे काम कैसे कर सकता है? क्या वह दिन भर फ़ेसबुकिंग करता है?’
‘नहीं मॉम, फ़ेसबुक एक कंपनी है। क्या उम्र है?’
‘अठाइस। हाइट 5 फीट 10 इंच। उसकी प्रोफाइल पढूँ?’
‘श्योर। उसी ने लिखी है?’
‘नहीं। उसके पैरेंट्‌स ने।’
‘तब तो शुरू होने से पहले ही दो प्वॉइंट्‌स कट गए।’
‘स्टॉप इट। मैंने भी तो तुम्हारी प्रोफाइल लिखी थी।’
‘जिसको मैं कभी भूल नहीं सकती। एनीवे। गो ऑन।’
मॉम पढ़ने लगी।
‘हमारा बेटा एक इंटेलीजेंट, हम्बल और सिम्पल लड़का है, जो अपने लिए एक स्यूटेबल लाइफ पार्टनर की खोज कर रहा है। वह एक कैरियर वुमन को प्रिफर करता है, जो अमेरिका में रहने को तैयार हो। वह फ़ेसबुक में सिस्टम इंजीनियर के रूप में काम करता है और यहाँ वह पिछले पाँच साल से है। वह मेनलो पार्क, सैन फ्रांसिस्को में रहता है। उसने अपनी इंजीनियरिंग एनआईटी, नागपुर से कंप्यूटर साइंस में की है, जहाँ उसने टॉप किया था। उसने मास्टर्स बोस्टन, अमेरिका से किया है। वह हमारा इकलौता बेटा है। हम मुंबई में रहने वाली सिंपल पंजाबी फैमिली हैं और ओरिजिनली वेस्ट दिल्ली से हैं। हमें और कुछ नहीं चाहिए, सिवाय एक अच्छी लड़की के, जो हमारे परिवार की सदस्य बनने वाली है।
‘नॉट बैड। अच्छा लिखा है। ओपन-माइंडेड और ऑनेस्ट। सैलेरी क्या है?’ मैंने कहा।
‘डेढ़ से पौने दो लाख अमेरिकी डॉलर, प्लस स्टॉक ऑप्शंस। चलेगा?’
‘गुड। मुझे फोन दो।’
मैंने उसकी प्रोफाइल तस्वीर देखी। लंबा, पतला, चश्मा लगाने वाला आदमी ओवरकोट पहने सैन फ्रांसिस्को के गोल्डन गेट ब्रिज के सामने खड़ा था। दिखने में वह गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई जैसा लग रहा था। शायद गीक्स के अपने रोल मॉडल्स होते हैं।
‘हैंडसम है।’ मॉम ने कहा।
‘किसी ऐसे स्टूडेंट की तरह दिख रहा है, जो क्लास में दूसरे स्टूडेंट्‌स को चुप रहने को बोलता है।’
‘कुछ भी बोल देती हो।’
‘ मैंने उसका नाम पढ़ा : राज शर्मा।
‘छी, कित्ता गंदा नाम है। ना, मुझे ऐसे नाम वाले किसी आदमी से शादी नहीं करनी।’
मॉम ने मुझे घूरकर देखा।
‘तुम्हें किस तरह के नाम चाहिए : अमिताभ बच्चन? अक्षय कुमार?’
‘नहीं, ऐसा नहीं है। लेकिन उसका नाम कितना टिपिकल है।’
‘मुझे तो इस लड़के में एकभी गलत बात नहीं नज़र आती।’
‘बिलकुल। उसमें कुछ भी गलत नहीं है। उसमें कोई वॉव या थ्रिल फैक्टर ही नहीं है।’
‘तुम एक हसबैंड चुन रही हो, एम्यूज़मेंट पार्क राइड नहीं।’
‘ओके फाइन।’ मैंने एक पल सोचकर कहा और ‘एक्सेप्ट’ ऑप्शन दबा दिया। दस मिनट बाद मेरा फोन बजा। मैंने उठाकर देखा।
‘आई कांट बिलीव दिस। उसने मुझे स्काइप डिटेल्स के साथ ‘हाय’ मैसेज भेज दिया। मॉम, यह तो बहुत उतावला लग रहा है।’
‘यह एक अच्छा संकेत है। इसका मतलब है कि भगवान भी हम दोनों परिवारों को मिलाना चाहता है। उसके साथ एक कॉल फिक्स करो।’
मैंने एक मैसेज टाइप करके भेज दिया। ‘कल के लिए एक स्काइप कॉल फिक्स कर दिया है।’ मैंने मॉम से कहा।

‘हाय।’ उसने भरसक चीयरफुल आवाज़ निकालते हुए कहा। दुनिया में इससे ऑकवर्ड मोमेंट कम ही होते हैं कि हम पहली बार किसी मैरिज कैंडिडेट से बात करें। मैं अपने लिविंग रूम में बैठी स्काइप पर राज से मुख़ातिब थी।
‘गुड मॉर्निग, ’ राज ने कहा। ‘ओह सॉरी, गुड आफ्टरनून।’
‘सो, आई एम सुषमा। आपने मेरी प्रोफाइल तो देख ही ली है।
‘हाँ और वो मुझे बेहद दिलचस्प लगी।’
‘रियली? कौन-सी बात दिलचस्प लगी?’
‘सबसे अच्छा तो मुझे यही लगा कि तुम्हारा एक अच्छा कैरियर है। हालाँकिं इंवेस्टमेंट बैंकिंग बहुत हेक्टिक होती है।’
‘हाँ, लेकिन अब मैं उसकी आदी हो चुकी हूँ।’
‘आई एम श्योर। और तुम्हारे इंट्रेस्ट्स क्या-क्या हैं?’
‘ट्रेवलिंग। म्यूज़िक। शहरों की खाक छानना। हाऊ अबाउट यू?’
‘मैं तो बस काम में ही लगा रहता हूँ। लेकिन मुझे क्रिकेट और बॉलीवुड फिल्में पसंद हैं।’
क्रिकेट और बॉलीवुड पसंद करने वाला एक इंडियन सॉफ्टवेयर गाय, इससे ज़्यादा स्टीरियोटाइप और क्या होगा?
शायद राज ने मेरे विचारों को भाँप लिया, इसलिए उसने कहा : ‘हाँ, बहुत टिपिकल। क्रिकेट और बॉलीवुड। मैं एक बोरिंग किस्म का इंसान हूँ।’
स्काइप पर पहली बार किसी लड़के ने मेरे सामने अपनी एक कमज़ोरी मानी थी। वह बोरिंग था, लेकिन उन सुपर-बोरिंग लोगों में से एक नहीं, जिन्हें यह भी नहीं था कि वे बोरिंग हैं या नहीं।
मैं मुस्करा दी।
‘यदि मैं इस कॉल पर बात करते-करते सो जाती हूँ? तो शायद तुम्हारी बात सही मानी जाएगी।’
वह हँस दिया।
‘तुम्हारा सेंस ऑफ ह्यूमर अच्छा है।’ उसने कहा।
‘थैंक्स।’
‘एक्चुअली, मैं कुछ इंग्लिश मूवीज भी देखता हूँ, लेकिन अभी टेस्ट डेवलप नहीं हुआ। तुम कुछ फिल्मों के नाम सजेस्ट करोगी?’
‘श्योर।’ मैंने कहा।
वह एक लड़की के ह्यूमर की सराहना कर सकता है और उससे सजेशन भी माँग सकता है। नॉट बैड।
वह बोलता रहा।
‘मैं फेक-सोफिस्टिकेटेड होने का दिखावा तो नहीं कर सकता। मैं वेस्ट दिल्ली के नारायणा विहार में पला-बढ़ा और फिर बोरिवली में। तो मुझे ज़्यादा एक्सपोजर नहीं मिला। लेकिन अब मैं दुनिया के बारे में ज़्यादा जानना चाहता हूँ।’
‘एक मिनट। तुम नारायणा विहार में पले-बढ़े हो?’
‘हाँ, क्यों?’
‘मैं भी नारायणा से हूँ। एच ब्लॉक।’
‘क्या? मैं जी-ब्लॉक में था। जी-478। मेरे पैरेंट्‌स का आज भी वहाँ एक घर है। लेकिन वे मुंबई में रहने लगे हैं।’
मेरे बेडरूम का दरवाज़ा खुला और मॉम भीतर आईं।
‘नारायणा?’ उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा। उनके चेहरे से रोमांच झलक रहा था। शायद वे दरवाज़े पर कान लगाकर पूरी बातचीत सुन रही थीं। मैंने उन्हें दूर जाने को कहा और फिर राज से बात करने लगी।
‘ये तो बहुत कमाल की बात है। क्या तुम मॉडर्न स्टोर्स से शॉपिंग करते थे?’
‘हाँ। और वो मोटू अंकल, जिनके पास कभी छुट्‌टे पैसे नहीं हुआ करते थे।’ उसने कहा। हम दोनों हँस पड़े।
‘एनीवेज, सो यस। मैं एक ऐसी लड़की चाहता था, जिसकी जड़ें इंडिया में हों, लेकिन जिसने दुनिया भी देख रखी हो। तुम न्यूयॉर्क, हांगकांग और अब लंदन में काम कर चुकी है। मुझे लगता है कि तुम मेरी ज़िंदगी के लिए एक एसेट साबित हो सकती हो।’
‘मैं कभी-कभी काम के सिलसिले में न्यूयॉर्क जाती हूँ। कभी मिलते हैं।’
‘लेट्‌स सी। अभी तो स्काइप ही बहुत है। जल्द ही फिर बात करते हैं।’
जैसे ही मैंने कॉल को डिसकनेक्ट किया, मॉम भीतर चली आईं।
‘मॉम, ये ठीक नहीं है। आप मेरी बातें सुन रही थीं।’
‘सॉरी, बेटा।’ उन्होंने मेरा माथा चूमते हुए कहा। ‘लेकिन ये बहुत ही नेक लड़का लगता है। और नारायणा? यह तो सीधे-सीधे साईं बाबा की कृपा है!’
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36
एक महीने बाद
सेंट रेजीस होटल्स कैफे, न्यूयॉर्क
‘सुषमा, राइट?’
भीतर घुसते ही मैंने उसकी आवाज़ सुनी। मैंने मुड़कर देखा। उसने एक ब्लैक टर्टलनेक पहन रखी थी, शायद स्टीव जॉब्स की याद में।
‘राज?’ मैंने कहा। हमने हाथ मिलाए।
‘यस, आपको आमने-सामने देखकर अच्छा लगा।’
इस पुराने ढंग के लग्जरी कैफे में ऊँची छतें और कलोनियल-एरा का फर्नीचर था। एक कोने में एक सैक्सोफोन प्लेयर और एक पियानिस्ट म्यूजिक बजा रहे थे।
हमने चाय बुलवाई। वेटर चाय के साथ ही जैम, केक्स, सैंडविचेस, चॉकलेट्‌स भी ले आया।
‘चाय पर मिलने का विचार बहुत ही अच्छा रहा। यहाँ सबकुछ कितना प्यारा है।’ राज ने कहा। उसने कुछ सैंडविचेस उठाए और अपनी प्लेट में रख लीं।
‘ग्लैड यू लाइक इट।’
मैंने ऑफिस सूट पहन रखा था, क्योंकि यहाँ पर आने से पहले मैं जोनाथन और क्रैग से मिलने ऑफिस गई थी। मैंने यह सूट जान-बूझकर इसलिए पहना था, क्योंकि मॉम ने मुझे ऐसा करने से मना किया था। मैं चाहती थी कि राज मुझे वैसे ही स्वीकार करे, जैसी मैं हूँ। और नहीं तो मुझे रिजेक्ट कर दे।
‘तुम्हारी फ्लाइट कब है?’
‘9.30 बजे। उसके लिए मुझे 7.30 बजे एयरपोर्ट के लिए निकल जाना होगा।’
हमारे पास कुल साढ़े चार घंटे का समय था, यह डिसाइड करने के लिए कि हम जीवनभर साथ रह सकते हैं या नहीं।
‘तो कौन बात शुरू करेगा?’ राज ने कहा।
‘आमतौर पर तो मैं ही करती हूँ।’
‘ओह, यह तो अच्छा ही होगा। मुझे अपने बारे में कुछ बताओ।’
मैंने उसे बचपन से लेकर अभी तक की अपनी कहानी सुनाई। देबू और नील को छोड़कर मैंने सबकुछ बता दिया।
‘तो मैं पिछले छह महीने से लंदन में हूँ। और अब पैरेंट्‌स चाहते हैं कि मैं सेटल डाउन हो जाऊँ।’ मैंने अपनी बात पूरी करते हुए कहा।
‘सेटल डाउन? ये क्या बात हुई?’
‘हाँ, इंडिया में ऐसे ही बोला जाता है। सेटल हो जाओ। हिलो-डुलो मत। कोई रिस्क नहीं, कोई एक्साइटमेंट नहीं।’
वह हँस दिया।
‘हमारे पैरेंट्‌स सबसे ज़्यादा सिक्योरिटी की चिंता करते हैं।’
‘सच।’
‘मैं भी तो एक जॉब में सेटल डाउन हो गया हूँ।’
‘रियली? लेकिन फ़ेसबुक में काम करना तो बहुत मज़ेदार होगा ना?’
‘यही तो बात है। सभी को यही लगता है।’
‘तुम्हें अपना काम पसंद है?’
‘काम चैलेंजिंग है। लेकिन पैसा अच्छा मिलता है।’
‘फिर?’
‘कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि टेक्नोलॉजी की दुनिया में इतना कुछ हो रहा है। मैं अपना कोई काम क्यों नहीं शुरू करता।’
‘बिलकुल कर सकते हो।’
वह अपनी ज़िंदगी के बारे में बताने लगा। वह आईआईटी जाना चाहता था, लेकिन दो बार कोशिश करने के बावजूद कामयाब नहीं हो पाया। फिर उसने एनआईटी ज्वॉइन किया, क्लास में टॉप किया और फिर हायर एजुकेशन के लिए एमआईटी चला गया।
‘और फिर एक टिपिकल आईटी जॉब। यही मेरी कुल-जमा कहानी है।’
मैं मुस्करा दी। हमने चाय पी। वेटर बिल ले आया। 5.30 बजे थे और मेरे पास दो घंटे का समय और था।
‘चलो सेंट्रल पार्क में टहलते हैं।’ मैंने कहा।
हमने 59वीं स्ट्रीट से सेंट्रल पार्क में प्रवेश किया। हरी घास और हरे दरख्तों को देखकर हम भूल ही गए कि हम दुनिया के सबसे व्यस्त शहरों में से एक में हैं। मुझे देबू का खयाल आया। उसका ऑफिस यहाँ से एक मील से भी कम दूरी पर था।
‘आप खोई-खोई सी लग रही हैं। काम का दबाव?’
‘नहीं, बस यूँ ही। न्यूयॉर्क पुरानी यादें ताज़ा कर देता है।’
हम सेंट्रल पार्क ज़ू की ओर चल दिए।
‘अच्छी यादें या बुरी।’
‘दोनों ही। अच्छी ज़्यादा।’
हमने ज़ू के टिकट लिए, जहाँ हमने ग्रिजली भालुओं के बच्चों को देखा, जो छह हफ्ते पहले ही जन्मे थे।
‘सो क्यूट।’ मैंने कहा।
‘तुम्हें बच्चे पसंद हैं?’ राज ने कहा। मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा। माँ बनने के सवाल पर ही मैं अपनी ज़िंदगी में आने वाले दो मर्दों को खो चुकी थी।
‘हूँ, बच्चे? हाँ मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं। कभी सोचा नहीं था कि मुझे ऐसा लगेगा, लेकिन अब अकसर सोचती हूँ कि काश मेरे भी बच्चे होते।’
‘मैं भी।’
हम ज़ू से बाहर आए और उत्तर दिशा में चलने लगे।
रास्ते में बेथेल्डा फाउंटेन आया, द लेक के किनारे बना हुआ। हम उसकी सीढ़ियों पर बैठ गए और बत्तखों को देखने लगे। शाम होने लगी थी।
‘राज, हमने इतनी सारी चीज़ों के बारे में बात की, लेकिन अपनी पास्ट रिलेशनशिप्स के बारे में नहीं।’
‘हूँ, हमें करना चाहिए या नहीं? हम अभी एक-दूसरे को इतनी अच्छी तरह से नहीं जानते।’
‘लेकिन ऐसी चीज़ें डिस्कस कर लेना ही बेहतर है।’
उसने मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा : ‘केवल एक।’
‘ओह, स्पेशल वन।’
‘पता नहीं। वह बहुत पहले की बात है। जब मैं आईआईटी की तैयारियाँ कर रहा था। उसी के कारण मेरा ध्यान भटका और मैं कामयाब नहीं हो पाया। वह मेरी कोचिंग क्लास में थी।’
‘ओके। गर्लफ्रेंड?’
‘मैं उसे दो साल पसंद करता रहा। वो भी मुझे पसंद करती थी। लेकिन हमने अपनी फ़ीलिंग्स ज़ाहिर करने में काफी समय ले लिया। हम केवल दो महीने ही डेट कर पाए।’
‘मतलब?’
‘उसके पापा का सऊदी अरब में जॉब लग गया तो वो फैमिली के साथ वहाँ चली गई।’
‘आई एम सॉरी, ’ मैने कहा।
‘इट्‌स ओके। लेकिन वह बहुत पहले की बात है। हाऊ अबाउट यू?’
‘इंडिया में कुछ नहीं। लेकिन न्यूयॉर्क में एक रिलेशनशिप। और पता नहीं उसको क्या बोलूँ, लेकिन हांगकांग में भी कुछ। तो वन एंड अ हाफ रिलेशनशिप्स।’
‘ओह।’
‘हाँ। तुम्हें बताने के बाद अब मुझे हल्का लग रहा है।’
वह मुस्करा दिया।
‘लेकिन अब कुछ नहीं है। दोनों रिलेशनशिप्स बहुत पहले ही ख़त्म हो गईं।’
‘रिश्ते टूटने पर तकलीफ हुई होगी।’
‘हाँ बहुत। लेकिन अब मैं ठीक हूँ।’
उसने फिर कुछ नहीं पूछा।
‘तुम कुछ और पूछना चाहोगे?’
‘नॉट रियली।’
‘सो, क्या लगता है तुम्हें, हमारे बारे में?’ उसने कहा।
क्या वह मुझसे मेरा फैसला चाह रहा था? रेस्तरां में एक चाय और पार्क में एक चहलकदमी के बाद? क्या इसी तरह से अरेंज्ड मैरिज होती हैं?
‘राज, मुझे तुमसे मिलकर अच्छा लगा। लेकिन ये फैसले इतने अहम होते हैं कि...’
‘ऑफ कोर्स। टेक योर टाइम। सोचकर बताना।’
‘आई विल। अब चलें?’

तुम्हें इससे अच्छा लड़का दूसरा नहीं मिलेगा। फिर वह अमेरिका में रहता है, जहाँ तुम्हें बहुत आसानी से ट्रांसफर मिल जाएगा। अच्छा कमाता है। नेक है। इससे बेहतर और क्या होगा।’
मॉम, जो अब इंडिया मे थीं, फोन पर मुझसे बात कर रही थीं।
‘लेकिन मॉम।’
‘शर्माज़ दो बार फोन लगा चुके हैं।’
‘मुझे सोचने के लिए समय चाहिए।’
‘घोड़े पर बैठकर कोई राजकुमार नहीं आने वाला है। कम-से-कम शादी.कॉम के मार्फत तो नहीं।’
‘मुझे कोई राजकुमार चाहिए भी नहीं।’
‘तो ज़मीन पर उतरकर बात करो।’
मैं चुप रही।
मुझे वह अच्छा लगा था। मैं हाँ बोल सकती थी। वह ‘ओह माय गॉड, वॉव’ टाइप तो नहीं था, लेकिन ‘इसे ना कहने का कोई कारण नहीं है’ टाइप ज़रूर था।
‘इट्‌स ओके, मॉम। व्हाटेवर। यदि आपको वह पसंद है, तो मेरी भी हाँ समझो।’
‘रियली?’
‘हाँ।’
‘अदिति के पापा, कहाँ हो? मुबारक हो! उसने हाँ बोल दिया।’ वे चिल्लाते हुए भीतर गईं।
और इधर मेरा दिल बैठने लगा। मैं, सुषमा मेहता, आख़िरकार शादी करने जा रही थी। मुबारक हो, सुषमा मेहता!
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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‘हे! यू आर देयर।’ नील की आवाज़ सुनकर मैं हकीकत की दुनिया में लौट आई। उसने मेरे कंधे पर हा थ रख दिया।
‘चलो, बैठकर बातें करते हैं।’
मैंने उसका हाथ हटा दिया।
‘नील, मुझे जाना है।’
‘मुझे बस पाँच मिनट का समय दो। मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।’ उसके हाथ में एक बड़ा-सा लिफाफा था। हम सोफे पर बैठ गए।
‘प्लीज़, मेरी तरफ देखो।’
मैंने उसकी तरफ देखा। वही चमकदार आँखें और खूबसूरत चेहरा।
‘मैं तुमसे तीन चीज़ें कहना चाहता हूँ।’
‘सुन रही हूँ।’
‘लेकिन उससे पहले मैं तुम्हें एक एक्सट्रा बात यह कहना चाहता हूँ कि तुम इस सफेद सलवार-कमीज़ में बहुत अच्छी लग रही हो।’
‘ओह ये? वेल, थैंक्स। यह संगीत प्रैक्टिस के लिए है।’
‘ मैंने तुम्हें पहले कभी इंडियन क्लॉथ्स में नहीं देखा था।’
‘रियली?’ मैंने कहा। ज़ाहिर है, उसने मुझे कभी ऐसे नहीं देखा था। उसने या तो मुझे वर्क क्लॉथ्स में देखा था या बिना किसी क्लॉथ्स के।
‘इंडियन क्लॉथ्स तुम पर सूट करते हैं।’
‘तुम यहाँ पर यह कहने के लिए आए हो?’
‘नहीं-नहीं, ये तो बस एक ऑब्ज़र्वेशन है।’
‘तो फिर वह बात कहो, जिसके लिए तुम यहाँ आए हो।’
‘पहली बात, सुषमा, आई एम रियली रियली सॉरी। जिस तरह से चीज़ें हमारे बीच खत्म हुईं। मैं बेवकूफ था। पूरी तरह से बेवकूफ।’
‘वेल, हम अलग हुए, मै लंदन चली गई। कहानी ख़त्म।’
‘हाँ, जबकि मैंने कभी सोचा भी नहीं कि यह कहानी दूसरी तरह से भी ख़त्म हो सकती है। दूसरे ऑप्शंस भी थे।’
‘अब उसके बारे मे बात करने से कोई फायदा नहीं, नील। वह बीते कल की बात हो गई है।’
‘वेल, फायदा हो या ना हो, लेकिन तुम्हारे जाने के बाद से मैंने तुम्हें हर दिन मिस किया है। मैं तुम्हारे क्यूबिकल के सामने से निकलने में भी कतराता रहा हूँ। हर चीज़, हर ट्रिप मुझे तुम्हारी याद दिलाती है। जब भी टैक्सी ओल्ड पीक रोड से होकर गुज़रती है, मेरे दिल में दर्द उठने लगता है।’
‘घर जाने के दूसरे रूट्स भी तो होंगे।’
उसने मेरी तरफ देखा। मैंने नज़रें फेरी नहीं।
‘आई एम सॉरी, सुषमा। आई लव्ड यू सो मच। तुम मेरी ज़िंदगी में आने वाली सबसे बड़ी खुशी थीं। और हमेशा रहोगी। तुम मेरे पास थीं, मुझे प्यार करती थीं और मैंने क्या किया? कुछ भी नहीं।’
मैं चुप रही।
‘ मैंने अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी है।’
मुझे लगा मैंने यही लाइन अभी-अभी कहीं सुनी है।
उसने वह भूरा लिफाफा टेबल पर रख दिया।
‘नील, आई मिस्ड यू टू। लेकिन अब किसी बारे में कुछ नहीं हो सकता। तो, तुमने अभी तक बताया नहीं, तुम यहाँ पर क्यों आए हो?’
उसने लिफाफा उठाया। उसमें से ए-4 साइज की शीट्‌स का एक सेट निकाला। उसके पहले पन्ने पर एक स्टाम्प पेपर था।
‘मैं कुसुम को छोड़ रहा हूँ। ये रहे उसके दस्तावेज़।’
मेरा सिर चकराने लगा। स्यूट की दीवारें जैसे घूमने लगीं। उसने मुझे पेपर्स थमा दिए। उसने और कुसुम ने हांगकांग की फैमिली कोर्ट में म्युचुअल कंसेंट डाइवोर्स के लिए अर्ज़ी दी थी। मेरे हाथ काँपने लगे।
‘क्यों?’ मैंने कहा।
‘तुम मुझसे पूछ रही हो क्यों? तुम?’
‘तुम्हारे पास एक परफेक्ट फैमिली थी।’
‘यदि ऐसा होता तो जो हमारे बीच हुआ, वह सब क्यों होता?’
मैं चुप रही। उसकी आँखें नम हो गईं।
‘और बच्चों का क्या होगा?’
‘हम को-ऑपरेट करेंगे। शेयर कस्टडी।’
‘कुसुम ने क्या कहा?’
‘वो खुश तो नहीं है, ऑफ कोर्स। लेकिन वह जानती है कि हमारी शादी में कुछ मिसिंग था। हमारे बीच की दूरियाँ बहुत बढ़ गई थीं।’
‘अब वो क्या करेगी?’ मैंने कहा। मुझे नहीं पता मैं उसकी एक्स-वाइफ के लिए इतनी चिंता क्यों जता रही थी।
‘वह कुछ-ना-कुछ कर लेगी। उसकी फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी है। मैंने उसे अपनी तमाम संपत्ति का आधा हिस्सा दे दिया है। बदले में वह को-पैरेंटिंग और म्युचुअल कंसेंट के लिए तैयार हो गई।’
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपनी शादी के वैन्यू पर एक डाइवोर्स को डिस्कस कर रही थी। नील ने अपनी बात जारी रखी, ‘मैं ज़्यादा डिटेल्स नहीं बताऊँगा, लेकिन प्वॉइंट यही है कि मेरी शादी टूट चुकी है। एक ना एक दिन तो यह होना ही था। काश यह थोड़ा पहले हो जाता।’
मैंने अपना फोन चेक किया। मेरी दो कज़िन्स के मिस्ड कॉल थे।
‘आई होप कि तुम ठीक हो। लेकिन मुझे अभी जाना होगा। तुम्हें कुछ और कहना था?’
‘हाँ। एयरपोर्ट पर एक छोटा-सा प्लेन इंतज़ार कर रहा है।’
‘तुम्हारी चार्टर्ड फ्लाइट?’
‘हाँ सुषमा, ’ उसने कहा और आगे बढ़कर मेरा हाथ थाम लिया। ‘हमारी फ्लाइट।’
‘क्या?’
‘मैं जानता हूँ कि इससे सबकुछ गड़बड़झाला हो जाएगा। तुम्हारी पूरी फैमिली यहाँ पर है। बहुत खर्चा हुआ है। फिर भी मेरी बात सुनो।’
‘क्या?’
‘मैं एक चेक साइन कर दूँगा। जितना खर्चा हुआ है, उसकी भरपाई कर दूँगा। लेकिन तुम मेरे साथ आओ। हम दोनों साथ-साथ उड़ जाएँगे, जहाँ तुम बोलो वहाँ के लिए।
‘नील, ये अच्छा मज़ाक है।’
‘नहीं, यह सच है। मैंने कितना वक्त ज़ाया कर दिया। मैंने हमारे प्यार को किसी फाइनेंशियल डील की तरह ट्रीट किया। लेकिन यह इस तरह से नहीं होता है। हमें ये चीज़ें दिल से करनी होती हैं।’
‘तुम चाहते हो कि मैं अपनी शादी छोड़कर तुम्हारे साथ भाग जाऊँ?’
‘तुम अपनी फैमिली से बात भी कर सकती हो। मैं भी उनसे मिल सकता हूँ। हांगकांग पहुँचकर हम शादी कर लेंगे।’
‘लेकिन हांगकांग जाना कौन चाहता है?’
कुछ देर की चुप्पी के बाद नील ने कहा : ‘अगर हम वहाँ कुछ दिन रहें तो बेहतर होगा। मेरे बच्चे वहाँ हैं। लेकिन अगर तुम चाहो तो हम कहीं और भी रहने जा सकते हैं।’
मैंने नील की आँखों में झाँककर देखा। मैं उसे इतने करीब से तो जानती ही थी कि यह बता सकूँ कि वह झूठ नहीं बोल रहा था। मैं चुपचाप उसकी तरफ देखती रही।
‘कुछ तो कहो।’ उसने कहा।
‘क्या कहूँ?’ अभी मुझे ‘ चिट्टियाँ कलाइयाँ’ पर डांस करने जाना है।’
‘ये क्या है?’
‘एक बॉलीवुड सांग। मेरी संगीत सेरेमनी के लिए।’
‘ये पंजाबी है ना? और इसका मतलब क्या है?’
‘गोरी कलाइयाँ वगैरा।’
‘ऑफ कोर्स, इट्‌स इंडिया। यहाँ गोरा होना बहुत ज़रूरी है। तो तुम इस पर डांस करोगी? वही सब ठुमका-वुमका?’
हम दोनों हँस दिए, पुराने दिनों की तरह।
‘देखो, मैं तुम्हें तुम्हारी शादी के जश्न से महरूम नहीं करूँगा। हम अभी हांगकांग में कोर्ट मैरिज करेंगे। फिर कुछ समय इंडियन स्टाइल में धूमधाम से शादी करेंगे। एक इंडिया में, दूसरी लंदन में।’
उसने अभी तक मेरा हाथ थामे रखा था। वह घुटनों के बल झुका और मेरा हाथ चूम लिया।
‘माय ब्यूटीफुल इंडियन प्रिंसेस, विल यू मैरी मी?’
मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। गोल्डमान की बहुतेरी लड़कियों का क्रश, जिस आदमी को मैंने प्यार किया, आज वह मेरे सामने घुटनों के बल बैठा था।
‘प्लीज़, प्रिंसेस। से यस।’
मेरा फोन बजा। मैंने कॉलर आईडी देखे बिना ही फोन उठा लिया।
‘बेबी, तुम कहाँ हो?’ देबू की आवाज़ सुनकर तो मैं जैसे उछल ही पड़ी।
‘हे, मैं तुम्हें बाद में लगाती हूँ।’
‘ओके सुनो, मैंने घर पर फोन लगाया था और...’
‘बाद में बात करते हैं।’ मैंने कहा और फोन रख दिया।
‘सब ठीक है ना?’ नील ने कहा। वह अब भी अपने घुटनों पर ही था। मैंने सिर हिला दिया।
‘सुषमा मेहता, मैं तुमसे प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा। तुम मुझसे शादी करोगी?’
मैंने अपना हाथ छुड़ाकर अपने सिर पर मार लिया।
‘फक नील। रियली फ़क!’
‘क्या हुआ?’
‘तुम्हें यह सब करने की फुरसत अब मिल रही है? तुम तब कहाँ थे, जब मैं बिस्तर में तुम्हारे बगल में लेटी चुपचाप रोती रहती थी?’
‘तुम रोती थीं? मैंने तो कभी तुम्हारा रोना नहीं सुना।’
‘ मैंने कहा मैं चुपचाप रोती थी। और तुमने कहा था कि मैं मैरिज टाइप नहीं हूँ। और क्या कहा था तुमने कि मैं माँ बनने के लिए नहीं बनी हूँ?’
‘मैं डर गया था। मैं नहीं चाहता था कि हमारा रिश्ता कभी खत्म हो। मैं समझ नहीं पा रहा था कि तुम्हें अपने से दूर जाने से कैसे रोकूँ?’
‘मैं उठ खड़ी हुई।
‘तो क्या अब तुम समझ गए हो? ये ऑप्शंस तुम्हें पहले क्यों नहीं सूझे? तब तो मैं तुम्हारे ऑफिस की एक यंग गर्ल थी, जिसके साथ तुम जब चाहे सो सकते थे।’
‘मैं समझ सकता हूँ कि तुम अपसेट हो। मैंने तुम्हारे साथ ठीक नहीं किया।’
‘मुझे इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन तुम्हें इससे भी फर्क नहीं पड़ा। ज़्यादा से ज़्यादा तुमने इतना ही किया कि मेरा ट्रांसफर अरेंज करवा दिया।
‘तुमने ये सब बातें मुझे तब क्यों नहीं बोलीं?’
‘तुम्हारी फैमिली थी, मैं तुम्हें क्या बोलती? यह कि तुम अपने बीवी और बच्चों को छोड़ दो और मेरे पास आ जाओ?’
‘काश कि तुमने यह कहा होता।’
मैं स्यूट में टहलने लगी। नील अब भी घुटनों के बल बैठा था।
‘सोफे पर बैठ जाओ, नील। इतना ड्रमैटिक होने की ज़रूरत नहीं है।’
‘फाइन, ड्रमैटिक ना सही, प्रैग्मेटिक तो हुआ जा सकता है ना।’
‘दिस इज़ सो स्टुपिड, नील। मैं तुमसे इससे बेहतर की उम्मीद करती हूँ।’
‘मुझसे चीज़ों को समझने में देरी हो गई, तुम्हें इसी बात का गुस्सा है ना? ठीक है, चिल्लाओ मुझ पर।’
‘ये बात नहीं है।’
‘मैं तुम्हें रोज़ मिस करता था, लेकिन कभी तुम्हें कॉन्टैक्ट नहीं किया। लेकिन जब तुम्हारी शादी के बारे में सुना तो मुझे लगा कि अ भी नहीं तो कभी नहीं। तो मैं यहाँ चला आया। तुम्हें अपने साथ ले जाने के लिए।’
‘नील, जस्ट स्टॉप।’ मैंने कहा।
‘तुम्हारे जो मन में आए, मेरे साथ वही कर लो, लेकिन प्लीज़ मेरे साथ चलो।’
उसने मेरे कंधो को थाम लिया था। मुझे अपने चेहरे पर उसकी साँसें महसूस होने लगीं।
‘मुझे जाने दो, नील।’ मैंने कहा, लेकिन अपने को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की।
उसने मुझे और कसकर पकड़ लिया।
‘ मैंने कहा मुझे जाने दो।’ मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज़ टूट गई। मैं रोने लगी।
‘रोओ नहीं, ’ उसने कहा। ‘इट्‌स ओके। मैं यहाँ हूँ। सब ठीक होगा।’
उसने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया, लेकिन मुझे किस करने की कोशिश नहीं की। उसने केवल मेरे कानों में फुसफुसाते हुए इतना ही कहा : ‘मैं इसी रूम में हूँ। पायलट इंतज़ार कर रहा है। तुम शांत हो जाओ। वापस जाओ और सोचो। मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करूँगा।’
मैंने सिर हिला दिया।
‘मुझे जाना होगा, रियली।’

मैं दौड़कर होटल कॉरिडोर में पहुँची। मेरा दिमाग बहुत तेज़ काम कर रहा था। फंक्शन रूम के गेट पर मुझे देबू मिला।
‘देबू, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?’ मैंने आसपास देखते हुए कहा।
‘बेबी, मैंने तुम्हें कितने फोन लगाए, लेकिन तुमने उठाए ही नहीं।’
मैं उससे यहाँ पर बात नहीं कर सकती थी। कोई भी, कभी भी आ सकता था। मुझे पास में एक स्टाफ रूम दिखाई दिया। मैंने उसे खोला और देबू के साथ होटल के किचन एरिया में चली गई।
‘तुम यहाँ पर ऐसे नहीं आ सकते।’
‘मेरे पास और कोई च्वॉइस नहीं थी।’
‘तो तुम सीधे अंदर चले आए।’
‘मैं ऐसा दिखावा कर रहा था, जैसे मैं गेस्ट में से एक हूँ।’
‘फिर कभी ऐसा मत करना।’
‘सॉरी, हमारे पास केवल एक दिन का वक्त है, सुषमा। मैंने अपने पैरेंट्‌स से बात कर ली है।’
‘किस बारे में?’
‘हमारे बारे में। हमारे रिश्ते के बारे में। और जिस सिचुएशन में हम अभी हैं, उसके बारे में।’
‘देबू, मेरे दिमाग की अभी खिचड़ी बनी हुई है और यह कभी भी फूट सकता है।’
मेरा फोन बजा। मॉम का कॉल था। फोन उठाते हुए वे मुझ पर ज़ोर से चिल्लाईं।
‘तुम पागल हो गई हो क्या? कहाँ गायब हो जाती हो तुम? तुम्हारी कज़िन्स तुम्हें पूरे होटल में ढूँढ रही हैं।’
‘मैं होटल में ही हूँ।’
‘कहाँ पर?’
‘टॉयलेट में।’
‘तुम्हें इतनी देर क्यों लग रही है? पेट तो नहीं खराब हो गया? अपना खयाल रखो। शादी के टाइम पर लूज़ मोशन नहीं होना चाहिए। तुम्हें दवाई तो नहीं चाहिए?’
‘मॉम, मैं ठीक हूँ। बस दो मिनट में आ रही हूँ।’
मैंने फोन रखा और देबू की तरफ देखा।
‘सुना तुमने?’
‘आई एम सॉरी। मेरे पैरेंट्‌स ने भी बहुत विरोध किया, लेकिन मैंने उन्हें राज़ी कर लिया। वे लोग यहाँ आना चाहते हैं।’
‘प्लीज़, देबू।’
‘मुझे बस तुम्हारी हाँ चाहिए। मैं तुम्हारा पहला प्यार हूँ, सुषमा। पहला और इकलौता। तुम तो इस आदमी को जानती तक नहीं, जिससे शादी करने जा रही हो।’
अब मेरे पास बहुत ऑप्शंस हैं, मैं उससे कहना चाहती थी।
‘तुम मुझसे क्या कहलवाना चाहते हो?’ इसके बजाय मैंने कहा।
‘यह शादी रोक दो। अपने पैरेंट्‌स से कह दो। अभी नहीं तो कभी नहीं।’
‘क्या सच? क्या वाकई ऐसा हो सकता है?’
‘हाँ। मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी के आखिरी दिन तक प्यार करूँगा।’
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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38
‘सुषमा मैडम, फ़ोकस करो। आपके पाँव बीट पर नहीं चल रहे हैं।’ कोरियोग्राफर विजय ने कहा।
‘ना तो मेरे पास असल ज़िंदगी में चिट्टियाँ कलाइयाँ हैं और ना ही मैं उस पर डांस कर सकती हूँ।’
मेरी छह कज़िन्स अभी तक हर मूव को अच्छी तरह सीख चुकी थीं। लेकिन मैं पाँच स्टेप्स से आगे नहीं बढ़ पा रही थी। मुझे गाने के बोल, विजय के इंस्ट्रक्शंस कुछ नहीं सुनाई दे रहे थे। मेरे दिमाग में केवल तीन शब्द गूँज रहे थे : देबू। नील। राज! देबू। नील। राज! देबू और नील की आवाज़ में मुझे आई ‘लव यू’ सुनाई दे रहा था। राज की आवाज़ में मुझे फ्यूचर की तैयारियाँ सुनाई दे रही थीं। नील अपने चार्टर्ड प्लेन की बात कर रहा था। मंकी कैप पहने देबू के पैरेंट्‌स रोसोगुल्ला खाते हुए अपने बैग्स पैक कर रहे थे।
विजय ने सोलहवीं बार गाना रिप्ले किया। ‘वन-टू-थ्री, सुषमा मैडम, स्टार्ट।’
मैंने नाचने की कोशिश की, लेकिन मैं केवल इतना ही याद कर पा रही थी कि मैं और नील फिलीपींस के उस आइलैंड पर सेक्स कर रहे हैं। इसके बाद मुझे अपने अमेरिका वाले ट्राइबेका अपार्टमेंट का खयाल आया, जहाँ मैं देबू के साथ थी।
‘मैडम, आप फिर बीट भूल रही हैं। हो क्या रहा है? कट, कट, रीस्टार्ट।’
तीन बार और कोशिशें की गईं। आखिरकार, विजय ने म्यूजिक बंद करवा दिया।
‘ओनली सुषमा मैम नाऊ। कज़िन्स, आप स्टेज से हट जाओ।’ विजय ने कहा। वह हार नहीं मानने वाला था। उसने फिर से गाना बजवाया। मैं स्टेज के बीच में आ गई। पहले अंतरे में मुझे अपनी कलाइयाँ उठाकर अपने चेहरे के सामने लाना था और अपने आँखें मटकानी थीं। लेकिन मैं चुपचाप खड़ी रही। मुझे लग रहा था कि मेरे पैरों में जान नहीं है। मैं नीचे गिर पड़ी और रोने लगी। मैं इतनी ज़ोर से रो रही थी कि कोरियोग्राफर दौड़कर मेरे पास आया। उसे चिंता सता रही थी कि कहीं उसे अपनी नौकरी ना खोनी पड़े।
‘सॉरी मैडम, आई एम सॉरी। हम यह गाना नहीं करेंगे। गाना बदल दूँ? रोमांटिक सॉन्ग? आशिकी 2? ‘तुम ही हो’? इसमें कुछ नहीं करना होता है, बस उदास नज़र आते हुए इधर उधर चलते रहो। ईज़ी। ट्राय करें?’
मैंने सिर हिलाकर मना कर दिया। मेरी कज़िन्स दौड़ते हुए स्टेज पर आईं और मुझे घेर लिया।
‘क्या हुआ दीदी?’ स्वीटी ने कहा।
‘कुछ नहीं। मैं कितनी बेकार हूँ, ये स्टुपिड स्टेप्स भी नहीं सीख पा रही हूँ।’
‘दीदी, मैं सेंट्रल गर्ल बन जाऊं?’ स्वीटी ने कहा।
‘तू कैसे सेंट्रल गर्ल बनेगी? तू दुल्हन है क्या?’ पिंकी ने कहा।
इतने में मॉम वहाँ आ गईं।
‘क्या हो रहा है?’ उन्होंने मुझसे कहा।
मैं उठ खड़ी हुई और उन्हें ज़ोर से गले लगा लिया। मैं फिर रोने लगी। उन्होंने मेरी पीठ पर थपकी दी।’
‘शांत हो जाओ, मेरी बिटिया। हर लड़की को एक-ना- एक दिन पैरेंट्‌स का घर छोड़ना ही होता है।’
मैं घर छोड़ने की बात पर रो रही थी? नेवर माइंड, मैं पिछले कई सालों से घर से बाहर ही रह रही थी।
‘अभी रहने दो। ये कुछ समय बाद फिर ट्राय कर लेगी, ’ मॉम ने कहा।
‘लेकिन, मैडम संगीत तो आज शाम को ही है, ’ विजय ने चिंतित स्वर में कहा।
‘बाद में।’ मॉम ने कहा और मैं उनके साथ अपने कमरे में आ गई।’ आराम कर लो। मैं यहीं पर हूँ।’
मैं बिस्तर पर लेट गई। मॉम मेरे पास बैठ गईं।
‘मॉम, मैं आपसे एक ज़रूरी बात करना चाहती हूँ।’
‘क्या? ओह, अदिति ने ब्यूटी पार्लर को फोन किया या नहीं? उनका स्टाफ आता ही होगा।’
मैंने उनके चेहरे की ओर देखा और सोचने लगी कि कहाँ से शुरू करूँ।
‘नथिंग, मॉम। ये थोड़ा पर्सनल है और पता नहीं कि मुझे... ’
‘ज़्यादा दर्द नहीं होता है।’ मॉम ने कहा।
‘क्या?’ मैंने हैरत से पूछा।
‘सेक्स। मैं जानती हूँ कि तुम उसको लेकर तनाव में होगी। लेकिन उसमें ज़्यादा दर्द नहीं होता।’
‘रियली, मॉम?’ मैंने कहा।
‘यस। देखो, मैं उन बैकवर्ड माँओं जैसी नहीं हूँ, जो इन मामलों पर अपनी बेटी से बात नहीं कर सकतीं। मैं तो फ्रैंकली बात करती हूँ। तुम यही कहना चाहती थीं, ना?’
‘हाँ यही।’
‘गुड। आराम करो। और चिट्टियाँ कलाइयाँ पर ही नाचना। मेरी बेटी की शादी में सैड सॉन्ग नहीं बजेंगे।’

सूरज और उसके डेकोरेटर्स की टीम ने कमाल का काम किया था। संगीत की शाम उन्होंने हॉल को हर दशक की बॉलीवुड फिल्मों के पोस्टर से सजाया था। सफेद लिली और लाल गुलाबों से बनाए गए स्ट्रीमर्स पूरे रूम में भरे हुए थे। रूम किसी बॉलीवुड आइटम नंबर के सेट जैसा लग रहा था। सब कुछ बहुत ओवर द टॉप था, जैसा कि पंजाबी शादियों में होता है। मेहमान इस सजावट की तारीफ कर रहे थे। मैंने एक प्याज़ी रंग का लहंगा और उस पर एक डायमंड सेट पहना था। मैंने अपने आपको आईने में देखा।
‘दीदी, आप स्टनिंग लग रही हो।’ स्वीटी ने कहा। एक घंटे के मेकअप सेशन के बाद अब मैं भी खुद को पहचान नहीं पा रही थी। एक पल को मेरी इच्छा हुई कि काश देबू और नील मुझे इस रूप में देखें। हाँ, मेरी शादी से एक दिन पहले मैं यही चाहती थी कि मुझे मेरे एक्स बॉयफ्रेंड देखें, जो इस समय ब्लूटूथ रेंज में मेरे पास ही थे।
अपने कमरे में एक घंटा झपकी लेने के बाद मैं डांस की प्रैक्टिस करने चली गई थी और खूब जमकर प्रैक्टिस की थी, उतनी ही मेहनत से, जितनी मैं किसी फायनेंशियल मॉडल पर करती।
राज मेरे पास आया और बोला : ‘यू लुक... वेरी नाइस।’
‘थैंक्स।’ मैंने कहा।
‘एक्चुअली, केवल नाइस नहीं, बल्कि ब्यूटीफुल, स्टनिंग, बेसिकली ग्रेट।’
‘तुम भी बहुत शार्प लग रहे हो।’ उसने एक क्रीम शेरवानी पहन रखी थी। साथ ही उसने अपने सुंदर पिचाई नुमा चश्मों को निकालकर कॉन्टैक्ट लेंस लगा लिए थे।
‘गुड ईवनिंग, लेडीज़ एंड जेंटलमैन, ’ पंकज मामा ने स्टेज संभाल लिया। उनके एक हाथ में माइक और दूसरे में व्हिस्की का ग्लास था।
‘वेलकम टु द मोस्ट ब्यूटीफुल वेडिंग संगीत ऑफ दर मोस्ट ब्यूटीफुल डॉटर ऑफ माय मोस्ट ब्यूटीफुल सिस्टर।’ उन्होंने कहा। ज़ाहिर है कि उन्हें चढ़ चुकी थी।
सबसे पहले विजय के ट्रूप ने दो प्रोफेशनल परफॉर्मेंस दी। इसके बाद शाम का आकर्षण : हमारी आंटियों का डांस हुआ।
‘अब दोनों ही तरफ मामियाँ और बुआएँ हैं, जो ‘लंडन ठुमकदा’ पर अपनी प्रस्तुति देंगी।’ पंकज मामा ने अनाउंस किया। सबने ज़ोरदार तालियाँ बजाईं। आठ आंटियाँ स्टेज पर सवार हो गईं। एलईडी स्क्रीन बैकग्राउंड में लंदन की तस्वीर दिखा रही थी, जिसमें बिग बेन नज़र आ रही थी। हर आंटी ने इतना सोना पहन रखा था कि उसको बेचकर लदंन मे एक अपार्टमेंट का डाउन पेमेंट दिया जा सकता था।
गाना बजना शुरू हुआ। स्टेज पर रिक्टर स्केल नाइन का झटका लगा। पहले पद्रह सेकेंड तक आंटियों ने ओरिजिनल स्टेप्स करने की कोशिश की, उसके बाद वे सब फ्री-स्टाइल करने लगीं। दो आंटियाँ एक-दूसरे से टकरा गईं। किसी की चूड़ियाँ किसी के बालों में जा फँसी। लेकिन डांस चलता रहा। अगर अंग्रेज़ लोग उनके लंदन शहर को दिया गया यह ट्रिब्यूट देख लेते तो वे हमें कभी गुलाम नहीं बनाते।
कोरियोग्राफर विजय का मुँह खुला-का-खुला रह गया। वह सोचने लगा कि कहीं उसने कोई गलत प्रोफेशन तो नहीं चुन लिया है। इससे पहले कभी उसके स्टूडेंट्‌स ने उसकी किसी लेसन की ऐसी बारह नहीं बजाई होगी।
राज मेरे पास खड़ा हँस रहा था। मैं भी मुस्करा दी।
मैंने अपना फोन चेक किया। देबू और नील दोनों के एक-एक मैसेज थे। मैंने उन्हें खोलकर नहीं देखा। उल्टे अपना फोन अदिति दीदी के हैंडबैग में रख दिया।
‘जल्द ही तुम्हारा टर्न आने वाला है।’ दीदी ने कहा।
‘दीदी, मेरा मन नहीं हो रहा है।’
‘क्या? तुम्हारी कजिन्स पहले ही बैकस्टेज पर पहुँच गई हैं। वे जबसे गोवा आई हैं, तभी से इस पल का इंतज़ार कर रही हैं।’
‘ऑल ट् बेस्ट।’ राज ने कहा। अब मेरे बैकस्टेज में जाने का समय आ गया था।
‘क्या तुम मेरे लिए एक ड्रिंक ला सकते हो, राज?’ मैंने कहा।
‘हाँ, हाँ, क्यों नहीं। तुम्हें क्या चाहिए?’
‘कुछ भी।’
‘व्हिस्की’
‘श्योर।’
वह गया और बार से ब्लैक लेबल का एक बड़ा पैग बनाकर लौटा। मैं उसे एक साँस में पी गई।
‘टेक इट ईज़ी। डोंट बी टेंस। वह बस केवल एक डांस है।’ उसने कहा।
‘बात केवल डांस की नहीं है। हमें कुछ बात भी करनी है।’
पिंकी मुझे बुलाने आई तो मुझे जाना पड़ा।
‘हम बाद में बात करेंगे।’ मैंने कहा।
‘क्या? श्योर। हे, रॉक इट!’ राज ने कहा।
रास्ते में मुझे मॉम ने रोका।
‘तुम क्या कर रही थीं?’
‘क्या?’
‘मैं सब देख रही थी। तुमने राज को ड्रिकं लाने को बोला और फिर किसी चीप लड़की की तरह उसके सामने पी भी गईं।’
‘तो?’ मैंने कहा। व्हिस्की पीने के बाद मेरा कॉन्फिडेंस बहुत हाई हो गया था। ‘मैं डांस करने से पहले थोड़ा रिलैक्स होना चाहती थी।
‘तुम्हारे पास दिमाग है या नहीं? तुम्हारे इन-लॉज़ तुम्हें देख रहे हैं। क्या सोचेंगे वो? यही कि उनकी बहू किसी जंगली बेवड़ी की तरह पीती है?’
‘मॉम, जब मेरे होने वाले पतिदेव को ही कोई प्रॉब्लम नहीं हुई तो आप क्यूं चिंता कर रही हैं?’
मॉम ने मुझे एक डर्टी लुक दी। पिंकी ने मेरा हाथ थाम लिया।
‘मैं तो कहूँगी मॉम कि आप भी टल्ली हो जाओ। आपको इसकी ज़रूरत है।’ मैंने जाते-जाते कहा।

मैंने बेहतरीन डांस किया और अपने कोरियोग्राफर की नाक नहीं कटने दी। मुझे अपनी सभी स्टेप्स याद थीं। चिट्टियाँ कलाइयाँ को तो मैंने बेहतरीन अंदाज़ में किया। लोगों ने चीयर किया। गाना खत्म हुआ। मैंने और मेरी कज़िन्स ने अपनी परफॉर्मेंस एक ग्रुप हग के साथ खत्म की। तालियाँ गूँज उठीं। राज सबसे जोर से तालियाँ बजा रहा था। शायद उसको उम्मीद नहीं थी कि उसकी इंवेस्टमेंट बैंकर दुल्हन स्टेजतोडू डांस भी कर सकती थी।
‘क्या कमाल का डांस किया तुमने।’ उसने कहा।
‘ओह नो, ऐसा नहीं है। उस चार मिनट के गाने के पीछे चार घंटों की प्रैक्टिस थी।’
‘मैं तो चार महीने की ट्रेनिंग में भी ऐसा नहीं कर पाता।’
ड्रिंक्स लेकर जा रहा एक वेटर हमारे पास से गुज़रा। मैंने व्हिस्की का एक ग्लास उठाया और राज को दे दिया।
‘पी जाओ।’ मैंने कहा।
‘आर यू श्योर? हमें बहुत सारे लोगों से मिलना है।’
‘मुझे तुमसे कुछ कहना है। उसके लिए तुम्हें इसकी ज़रूरत होगी।’
‘क्या?’
इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, फंक्शन रूम मे लाइट्‌स डिम हो गईं। डीजे बजने लगा। स्टेज को अब फ्री फॉर ऑल कर दिया था और बच्चे उस पर चढ़ाई कर चुके थे। इसके बाद उनसे बड़े लेकिन टीनएजर कज़िन्स आए, जिन्होंने उन्हें वहाँ से भगा दिया। सबसे आखिर में अंकल्स अपने साथ आंटियों को भी लेकर स्टेज पर आ गए।
मैंने और राज ने भी कुछ गानों पर डांस किया। राज को वाकई डांस करना नहीं आता था। तीन गानों के बाद मैंने राज के कान में कहा : ‘राज, अब रुक जाओ। मुझे कुछ बात करनी है।’
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