Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

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badlraj
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Re: Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

Post by badlraj »

Nice update
Masoom
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Re: Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

Post by Masoom »

अपडेट १०:

रात के १०:३० बज रहे है. सोनू, रमेश और उमा अपने अपने कमरों में सोने जा चुके है. उर्मिला रसोई का काम खत्म करके पायल के कमरे के पास आती है. दरवाज़ा थोड़ा खुला पा कर वो अन्दर चली जाती है. सामने पायल अर्थशाश्त्र की किताब लिए पढ़ रही है. उर्मिला को देख कर वो झट से किताब बंद कर लेती है.

पायल : रसोई का काम हो गया भाभी?

उर्मिला : हाँ हो गया. सोने जाने से पहले सोचा एक बार तेरा हाल चाल भी पंच लूँ. (उर्मिला पायल के हाथ की किताब देख कर) तो अर्थशाश्त्र की पढाई हो रही है.

पायल : जी भाभी...

उर्मिला : अच्छा? और अर्थशाश्त्र की किताब के अन्दर कामशाश्त्र का कौन सा पाठ पढ़ा जा रहा है?

पायल : (शर्माते हुए) "पापा के लंड की सवारी"

उर्मिला : (हँसते हुए पायल के गाल खींच देती है) ओ हो..!! पायल रानी...जरा अपना मुखड़ा तो दिखा...

उर्मिला हाथ से पायल की ठोड़ी को पकड़ के उसका चेहरा उठाती है. पायल पहले तो नज़रे झुका के शर्माती है फीर कहती है.

पायल : (झूठ मुठ का नखरा दिखाते हुए) ओफों भाभी...!! आप हमेशा मुझे छेड़ती रहती है...

उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा बाबा नहीं छेड़ती. पढ़ ले अराम से कहानी.

पायल कहानी पढ़ने लगती है. कुछ समय बाद उर्मिला कहती है.

उर्मिला : अच्छे एक बात बता पायल. तेरे पास वो एक गुलाबी रंग की टॉप थी ना? वही जो तुझे बहुत टाइट हुआ करती थी...

पायल : हाँ भाभी..थी तो. लेकिन बहुत वक़्त से उसे मैंने पहना भी नहीं है. अब पता नहीं कहाँ होगी. लेकिन आप क्यूँ पूछ रहीं हैं?

उर्मिला : जब से तू कॉलेज जाने लगी है सिर्फ छोटे गले वाली टॉप पहनती है. अब कम से कम घर में तो बड़े गले वाली टॉप पहना कर. अब तू सुबह भी जल्दी उठने लगी है, घर का काम भी करने लगी है. रोज सुबह छत पर कपडे सुखाने जाती है. (फिर पायल को देख कर मुस्कुराते हुए) और बाबूजी भी तो सुबह छत पर कसरत करने आते हैं....

उर्मिला की बात समझने में पायल को कुछ क्षण लगते हैं. जैसे ही बात समझ में आती है, पायल का चेहरा लाल हो जाता है और उसके ओठ दाँतों तले अपने आप दब जाते है.

उर्मिला : अब कुछ याद आ रहा है की वो टॉप कहाँ है?

पायल झट से बिस्तर से कूद कर दौड़ती हुई अलमारी के पास पहुँच जाती है. पलड़े खोल कर वो अन्दर कपड़ो को उथल पुथल करने लगती है. कुछ समय बाद वो निचे का दराज खोलती है और देखने लगती है. गुलाबी टॉप पर नज़र पड़ते ही वो झट से उसे निकाल के उर्मिला को दिखाती है.

पायल : (ख़ुशी से) मिल गई भाभी....

उर्मिला : अरे वाह..!! ये हुई ना बात. अब जल्दी से इसे पहन के दिखा.

पायल : (चेहरे पर संकोच के भाव लाते हुए) भाभी...आपके सामने......

उर्मिला : तो ठीक है जा... बाबूजी के सामने जा कर बदला ले. जब वो तेरी बड़ी बड़ी चुचियों को दबोच के पियेंगे तब तुझे पता चलेगा....

पायल : (शर्माते हुए) धत्त भाभी...आप भी ना...रुकिए, अभी पहन के दिखाती हूँ.

पायल टॉप का निचला हिस्सा पकड़ धीरे धीरे ऊपर करने लगती है. टॉप में फंसी पायल की बड़ी बड़ी चूचियां टॉप के साथ ऊपर उठती है फिर उसकी गिरफ्त से छुटकर उच्चलती हुई बाहर आ जाती है. उर्मिला उसकी बड़ी बड़ी कसी हुई गोरी चूचियां आँखे फाड़ के देखने लगती है.

उर्मिला : पायल तेरी चूचियां तो सच में बड़ी और पूरी कसी हुई हैं. सोच....अगर तेरे पापा अभी आ गए और तुझे इस हाल में देख लिया तो?

पायल : (टॉप उतार के कुर्सी पर डाल देती है और नखरा दिखाते हुए कहती है) तो देख ले.... मुझे क्या?

उर्मिला : फिर वो तेरी चुचियों को दबोच के मसल देंगे....

पायल : (नखरे के साथ मुहँ बनाते हुए) दबोच के मसल दें या फिर मुहँ में भर के चूस ले...मुझे कोई फरक नहीं पड़ता...

पायल की ऐसी बेशर्मी देख के उर्मिला मुस्कुरा देती है. पायल गुलाबी टॉप में बाहें डालती है और फिर सर. टॉप को पकड़ के निचे करने लगती है तो वो उसकी बड़ी चुचियों में फंस सी जाती है. थोड़ी मशक्कत के बाद पायल टॉप पहन लेती है.

पायल : कैसी लग रही है भाभी....

उर्मिला टॉप को ऊपर से निचे तक देखती है. बड़ी बड़ी चुचियों पर चिपकी हुई टॉप गजब ढा रही है. बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई बिना झुके ही अच्छे से दिख रही है.

उर्मिला : पायल जरा सामने झुकना...

पायल : (आगे झुक कर) ऐसे भाभी?

उर्मिला : हुम्म...!! एक काम कर...अपनी चुचियों को दोनों तरफ से एक बार जोर से दबा दे.

पायल : (भाभी के निर्देशानुसार चुचियों को हाथों से दोनों तरफ से दबा देती है. दबाव से दोनों चूचियां आपस में चिपक जाती है और बीच की गहराई लम्बी हो जाती है) अब ठीक है भाभी?

उर्मिला : हाँ...!! बिलकुल ठीक है... परफेक्ट....!! अच्छा अब देख... ११ बजने वाले है. सुबह तुझे जल्दी भी उठाना है. देर रात तक कहानियां पढ़ के पापा को याद मत करने लग जाना.

पायल : (हँसते हुए) नहीं भाभी...मैं जल्द ही सो जाउंगी...

उर्मिला : ठीक है अब मैं चलती हूँ....गुड नाईट...

पायल : गुड नाईट भाभी...

उर्मिला कमरें से बाहर निकल के जाने लगती है, तभी उसे एक बात याद आती है. वो मुड़ के पायल के कमरे के पास जाती है और जैसे ही दरवाज़ा को थोड़ा खोलती है, उसके हाथ रुक जाते है. उसकी नज़र पायल पर टिक जाती है. अन्दर पायल आईने के सामने अपने दोनों हाथों को उठाये खड़ी है. उर्मिला की समझ में नहीं आता है की पायल ये कर क्या रही है. वो बड़े ध्यान से पायल को देखने लगती है. पायल अपने हाथों को ऊपर उठा के खड़ी है. फिर अपने आप को आईने में देख के वो एक हाथ से अपने कूल्हों की तरफ से टॉप को बारी बारी से निचे खींचती है. फिर दोंनो हाथों को उठा के आईने में देखती है. कुछ देख कर उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ जाते है. उर्मिला समझने की कोशिश करती है. तभी उसका ध्यान आईने पर जाता है और कुछ देख के उसके भी चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है. "अच्छा पायल रानी...तो अब तू ये करेगी....संभल जाइये बाबूजी...कल आपका लंड लंगोट फाड़ के बाहर आने वाला है", मन में सोचते हुए उर्मिला धीरे से दरवाज़ा लगाती है और मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ चल देती है.

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कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

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अपडेट ११:

सुबह के ६:३५ बज रहें है. उर्मिला गैस पर चाय चढ़ा के रोज की तरह रसोई का दूसरा काम कर रही है. तभी पायल वहां आती है. वही गुलाबी टॉप पहने, कन्धों पर दुपट्टा और निचे टाइट फिटिंग वाला पजामा.

पायल : गुड मोर्निंग भाभी...

उर्मिला : गुड मोर्निंग पायल... (ऊपर से निचे देखती है) कमाल की लग रही है पायल... लेकिन ये दुपट्टा क्यूँ डाल रखा है... निकाल इसे...

पायल दुपट्टा निकाल देती है और पास के टेबल पर रख देती है. उसकी नज़रे यहाँ वहां घूम रही है जैसे किसी को तलाश रहीं हो.

उर्मिला : पापा को ढूंड रही है?

पायल : (मुस्कुराते हुए बेहद धीमी आवाज़ में) हाँ...!! कहाँ है पापा...?

उर्मिला : आ जायेंगे...इतनी उतावली क्यूँ हो रही है...

तभी पायल और उर्मिला को कदमो की आहट सुनाई देती है. दोनों सतर्क हो जाती है. रमेश अपने सर को गर्दन से गोल गोल घुमाते, गर्दन की अकडन ठीक करते हुए रसोई में आते है.

रमेश : बहू.... (इतना कहते ही बाबूजी जी नज़र पायल पर पड़ती है और उनका घूमता सर वैसे ही थम जाता है. आज पायल ने दुपट्टा नहीं लिया है. पायल की बेहद टाइट टॉप उसके बड़े बड़े खरबूजों पर कसी हुई है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहरी गली साफ़ दिखाई दे रही है. बाबूजी की नज़रे पायल के सीने के बीच की गहरी खाई पर आ कर रुक जाती है)

उर्मिला : क्या हुआ बाबूजी...??

रमेश : (उर्मिला की आवाज़ सुन के अपने आप को संभालता है) अ...कुछ नहीं बहु...ये..ये...पायल आज फिर से इतनी जल्दी उठ गई...? पायल बेटी...आज तू फिर से इतनी सुबह ?

पायल : हाँ पापा...कल मैंने कहा था ना की अब से मैं रोज जल्दी उठ जाया करुँगी और भाभी का काम में हाथ बटाया करुँगी...तो बस...उठ गई जल्दी...(पायल अपने चेहरे पर भोलापन लाते हुए कहती है)

रमेश : (पायल के सर पर हाथ रखते हुए) शाबाश बिटिया....!! बहुत अच्छा कर रही हो तुम... (एक नज़र टाइट टॉप में उठी हुई पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर डालने के बाद रमेश उर्मिला से कहता है) अच्छा बहु....वो ..चाय बन गई क्या?

उर्मिला : बस बाबूजी बनने ही वाली है. आप छत पर जाइये, मैं आपकी चाय ले कर ऊपर ही आ जाउंगी.

रमेश : (थोडा हिचकिचाते हुए) अरे नहीं नहीं बहु ..दिन में दस बार ऊपर निचे करती है, थक जाती होगी. अभी पायल तो ऊपर आएगी ही ना...(पायल की तरफ घूम कर) क्यूँ पायल ? तू तो कपडे डालने आएगी ना छत पर?

पायल : हाँ पापा...अभी वाशिंग मशीन से कपड़े निकाल के बाल्टी में डालूंगी उसके बाद आउंगी....

रमेश : हाँ तो बहु...पायल मेरी चाय लेते आ जाएगी...अब ये उठी ही है तेरी मदद करने तो फिर करने दे इसे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी...सही कहा आपने....येही आपकी चाय ले कर छत पर आ जाएगी. और जब ये काम ही करने के लिए जल्दी उठी है तो छत वाले सारे काम मैं पायल को ही दे देती हूँ....

रमेश : (अपनी ख़ुशी को किसी तरह से छुपाते हुए) हाँ हाँ बहु....!! छत के सारे काम करवाओ इस से....और मैं तो कहता हूँ की अभी सुबह सुबह ही सारे काम करवालो पायल से...एक बार इसकी माँ उठ गई तो पता नहीं इसे किस काम पर लगा दे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी आपने बिलकुल सही कहा...छत के सारे काम मैं इस से अभी ही करवा लेती हूँ...

रमेश : हाँ बहू...छत के सारे काम करवा लो पायल से अभी...अच्छा अब मैं चलता हूँ...कसरत की तैयारी कर लूँ छत पर....

बाबूजी छत की सीढ़ियों की तरफ जाने लगते है. रसोई में पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख के मुस्कुरा रहीं है.

उर्मिला : पायल..! तेरा काम तो बन गया....

पायल : हाँ भाभी...! (फिर चेहरे पर डर का भाव लाते हुए) लेकिन भाभी...अगर कोई छत पर अचानक से आ गया तो?

उर्मिला आँखे गोल गोल घुमाते हुए कुछ क्षण सोचती है फिर अचानक बाबूजी को आवाज़ देती है.

उर्मिला : बाबूजी...!!!!

रमेश चलते चलते उर्मिला की आवाज़ सुन कर रुक जाता हैं और पीछे मुड़ के उर्मिला को देखते है.

रमेश :क्या बात है बहु?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) देखिये ना बाबूजी.....पायल क्या कह रही है....

उर्मिला ना जाने क्या कहने वाली है ये सोच कर पायल की सिट्टी-पिट्टी गम हो जाती है. वो भाभी का हाथकस के पकड़ लेती है.

रमेश : (दूर से ही पायल की तरफ देखते हुए) क्या कह रही है मेरी बिटिया रानी?

उर्मिला : बाबूजी ये कह रही है की अगर इसका दिल काम में ना लगा तो ये निचे आ जाएगी. कॉलेज बंद हुए १ दिन हुआ है और देखिये कैसे अभी से रंग दिखाना शुरू कर दिया है इसने...(उर्मिला पायल की नाक पकड़ के धीरे से दबाते हुए) एक दम नटखट हो रही है आपकी बिटिया रानी...

उर्मिला की इस बात से पायल की जान में जान आती है.

रमेश : (हँसते हुए) क्यूँ पायल? बहु सही कह रही है?

उर्मिला पीछे से पायल की चुतड पर चुटकी काट लेती है तो पायल, जो अब तक खामोश थी, झट से बोल पड़ती है.

पायल : (बचपना दिखाते हुए) हाँ पापा...!! मेरा दिल नहीं लगेगा काम में तो मैं भाग कर निचे आ जाउंगी....

उर्मिला : देखा बाबूजी आपने...? कितनी नटखट होती जा रही है आपकी लाड़ली...आप एक काम करियेगा बाबूजी. जब पायल छत पर आएगी तो ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लीजियेगा ताकि ये भाग कर निचे ना आ सके. और बाबूजी अब ये आपकी जिम्मेदारी है की पायल ठीक तरह से छत के सारे काम करे. फिर बाद में मुझे ही करना पड़े तो क्या फायदा.

उर्मिला की बात सुन के रमेश किसी तरह से अपनी मुस्कान को चेहरे पर आने से रोकता है.

रमेश : अ..अ..हाँ बहु.. मैं ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लूँगा. और तुम चिंता मत करो. मैं खुद खड़े हो कर इस से सारे काम करवाऊंगा....(फिर कुछ सोच कर) लेकिन बहु...अगर घर में किसी को छत पर कोई काम हुआ तो? मेरा मतलब है की मैं अपनी कसरत कर रहा हूँ और पायल अपने काम में वैस्थ है तो पता नहीं चल पायेगा ना की दरवाज़ा खोलना है.

उर्मिला : कोई नहीं आएगा बाबूजी...सोनू तो ९ बजे से पहले उठेगा नहीं. मम्मी जी ७ बजे उठेगी और चाय पीते हुए टीवी के सामने जम जायेंगी. प्रवचन १ - १:३० घंटे तो चलता ही है. और रही मैं, तो रसोई का काम करने में मुझे भी १ - १:३० घंटे लग ही जायेंगे. आप छत का दरवाज़ा लगा लीजियेगा, कोई नहीं आएगा..

रमेश : (अपनी ख़ुशी को छुपाते हुए) अच्छा..अच्छा ठीक है बहु...मैं ऊपर का दरवाज़ा लगा लूँगा...अब मैं चलता हूँ...

बाबूजी के जाते ही पायल ख़ुशी से भाभी से चिपक जाती है.

पायल : वाह भाभी...!! आपने तो कमाल कर दिया...

उर्मिला : तो तू क्या मुझे ऐसा-वैसा समझती है? अब ध्यान से सुन मेरी बात...बाबूजी के सामने झुक झुक के काम करना. जरुरत पड़े तो अपना सीना थोड़ा उठा भी देना. अगर बाबूजी कोई काम करने कहें तो चुप चाप कर देना. समझ गई ना?

पायल : (ख़ुशी के साथ) जी भाभी...समझ गई...

उर्मिला : अब ये चाय का प्याला ले और वो रही सामने बाल्टी, उठा और सीधा छत पर चली जा...

पायल : जी भाभी...

पायल घूम कर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.

उर्मिला : आरी ओ पायल रानी...!!

पायल : (घूम कर) हाँ भाभी...

उर्मिला : वो तो मेरे पास छोड़ कर जा....

पायल : (भ्रमित हो कर) वो आपके पास छोड़ कर जाऊं? वो क्या भाभी?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अपनी 'लाज-शर्म' और क्या...

पायल को हँसी आ जाती है. फिर एक नज़र इधर-उधर डाल के उर्मिला की ओर देखती है . एक हाथ से चाय का प्याला पकड़े, दुसरे हाथ से टॉप उठा के अपनी नंगी चूची को मसलते हुए कहती है.

पायल : (चूची मसलते हुए) "उफ्फ पापा..!!"

और दोनों जोर से हँस देती हैं.

पायल : अच्छा भाभी अब मैं चलती हूँ....

पायल कपड़ों की बाल्टी उठाये दुसरे हाथ में चाय का प्याला लिए, सीढ़ियों पर धीरे धीरे चड़ने लगती है. पीछे से उर्मिला उसकी हिलती हुई चौड़ी चूतड़ों को देखती है. "लगता है आज पायल रानी बाबूजी की बड़ी पिचकारी से होली खेल के ही दम लेगी". और उर्मिला भी रसोई में अपने काम पर लग जाती है.


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Masoom
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Re: Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

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(^%$^-1rs((7)
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Re: Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

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sahi.................
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