अपडेट 41
वो दोपहर का वक़्त था , नदी के कलरव के बीच अजनया के दिल मे एक अजीब सी हलचल मची हुई थी , वो बस बह रही नदी की धार को निहारे जा रहा था ,
सुप्रिया सुबह से उसका इंतजार कर रही थी लेकिन जब वो नही आया तो आख़िर कार हम दोनो ही उसके पास पहुच गये ..
“भाई ऐसा क्यो बैठा है , लगता है कि किसी बड़ी परेशानी मे है “
उसने एक बार हमे देखा तो जैसे उसका ध्यान भंग हुआ
“अरे तुम लोग यहाँ .. मैं तो आने ही वाला था वैद्य जी की कुटिया मे “
“हाँ वो तो दिख ही रहा है , भोर को आने वाले थे अभी तो सुर्य देवता सर पर चढ़ चुके है और आप यहाँ पता नही किस सोच मे डूबे हुए बैठे हो “
(नोट- यहाँ लिखते हुए मैं अरबी, फ़ारसी ,तुर्की, पुर्तगाली,इंग्लीश और उर्दू के शब्दो से बचने की कोशिस कर रहा हूँ ताकि उस समय का कुच्छ रियल फील मिल सके लेकिन ये लास्ट लाइन लिखने के बाद मुझे समझ आया कि अब हमारी भाषा मे ये सब शब्द इतने मिल चुके है कि बहुत ही मुस्किल काम होगा इन्हे निकाल पाना.. तो कही अगर संस्कृत और हिन्दी शब्दो के अलावा भी कोई शब्द मिल जाए तो माफ़
कीजिएगा … उस समय ये शब्द नही हुआ करते थे लेकिन अब कौन शब्द कहाँ का है ये समझना मेरे लिए थोड़ा कठिन हो रहा है ………
जैसे डूबना किस भाषा का है मुझे पता नही : तो उतना चला लेना
क्योकि उस समय की रियल भाषा क्या रही होगी ये समझ पाना भी कठिन है क्योकि हिन्दी का जन्म उस समय तक नही हुआ था , पाली प्राकृत उत्तर भारत की भाषा थी लेकिन वो भी ख़त्म होने के कगार पर थी …संस्कृत था लेकिन वो भी उपयोग मे कम ही आता था उस समय
तक .. तो मैं सामान्य हिन्दी का ही प्रयोग कर रहा हूँ उस समय के लोगो के बातचीत के लिए जिसमे कई भाषाएँ मिक्स मिल सकती है,लेकिन फिर भी ध्यान रखूँगा कि थोड़ा रियल ही लगे :अप्रूव:)
अजनया को जैसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ
“ऊहह माफ़ करना वो मैं ..”
वो इतना ही बोलकर चुप हो गया
“आख़िर बात क्या है भैया ??”
सुप्रिया उसे देखकर थोड़ी व्याकुल हो गयी ,वही अजनया मुझे देखने लगा
“ये प्रेम कैसा होता है अजय ..”
उसने बहुत ही हल्की आवाज़ मे मुझसे कहा ,पहले तो मुझे समझ ही नही आया कि वो क्या बोलना चाहता है लेकिन फिर मुझे कुच्छ समझ आया
“प्रेम की परिभाषा करना मुझ जैसे सामान्य मनुष्य के लिए कठिन है अजनया , और प्रेम किसी परिभाषाओ के परे है इसे कोई परिभाषा बाँध नही सकती इसे बस महसूस किया जा सकता है ..”
“तो ये महसूस कैसा होता है “
अजनया अब भी जैसे किसी और ही दुनिया मे खोया हुआ था ,इससे पहले मैं कुच्छ बोलता सुप्रिया के चहरे मे चिंता की लकीरे गहरा गयी
“भाई क्या हुआ है तुम्हे ये बवालो जैसी बाते क्यो कर रहे हो, क्या प्रेम कैसा प्रेम … हम शिकारी-चुड़ैल है हम प्रेम मे नही पड़ते “
सुप्रिया की बात सुनकर मैं हंस पड़ा वो मुझे घुरने लगी जैसे पुच्छ रही हो की आख़िर मैं हंस क्यो रहा हूँ
“सुप्रिया तुम अपने भाई के लिए जो चिंता दिखा रही हो यही तो प्रेम है “
मेरी बात सुनकर दोनो ही थोड़े चौक गये , सुप्रिया ने तो हाथ ही जोड़ लिया
Adultery -Shikari Ki Bimari
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कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Adultery -Shikari Ki Bimari
“शक्तिशाली शिकारी हमारा उद्धार करने वाले कितने आसानी से आप मन बदल देते है “ सुरपरिया के ऐसा करने पर मैं थोड़ा असहज हो गया वही अजनया थोड़े आश्चर्य के भाव से उसे देखने लगा
“तुम क्या कह रहे थे अजय ??” वो सुप्रिया की बातों पर ध्यान ना देते हुए बोला
“यही कि प्रेम की कोई परिभाषा नही होती , और प्रेम बस महसूस किया जाता है , वो सर्वत्र फैला ही हुआ है , बहन भाई के प्रेम मे , माँ बेटे
के प्रेम मे , पिता पुत्र के प्रेम मे कही भी तुम्हे वो मिल सकता है ….”
“हाँ अजय लेकिन क्या एक औरत और एक मर्द भी प्रेम कर सकते है , हमारे समूह मे तो प्रेम कोई जानता भी नही …
मैं शिकारियो को देखता आ रहा था और खुद भी इंसान से शिकारी होने का मुझे अहसास था , मैं प्रेम को पहचान पाया था क्यो कि पहले मैं
इंसान था मुझे रिश्तो की मारियादाओं का भान था और पहले भी मुझे प्रेम की झलकिया मिल चुकी थी लेकिन अब इन्हे मैं कैसे समझाता ..
जिन्होने कभी गुड नही चखा हो उन्हे मैं उसकी मिठास कैसे समझाऊ , और यही सबसे बड़ी दिक्कत मेरे सामने आ रही थी , और यही
दिक्कत डॉक्टर. चूतिया के सामने भी रही होगी जब उन्हे महापुरुष समझ कर शिकारी और चुदैलो को प्रेम सिखाने भेज दिया गया …..
डॉक्टर. चूतिया ने क्या किया होगा?????
अब डॉक्टर. चूतिया तो यहाँ थे नही जिनसे मैं ये पुच्छ सकूँ कि आपने क्या किया और उसका क्या रिज़ल्ट आया लेकिन एक दूसरे रूप मे
डॉक्टर. साहब यहाँ मौजूद थे वैद्य जी के रूप मे , लेकिन क्या वो मेरी मदद कर सकते है ???
“वो सब छोड़ो अजनया ये बताओ कि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि तुम ये प्रश्न पुच्छ रहे हो “
“कुच्छ नही आज एक चुदैल को देखा , हमेशा से ही उसे देखता हूँ बचपन से ही , कई बार हमने यही इसी नदी के किनारे संभोग भी किया है लेकिन वैसे ही जैसे कि हर चुदैल के साथ मैं करता हूँ , जब हवस की आग बढ़ती है तो कोई ना कोई तो चाहिए ही होता है उस आग को मिटाने के लिए फिर जो सामने मिल जाए हम शिकारी उससे ही संभोग कर लेते है .. ये हमारे समझ मे आम सी बात है ..
लेकिन उस एक के लिए पता नही क्यो कुच्छ अलग ही संवेदना मन मे उठने लगी है “
अजनया की बात सुनकर मुझे रिधिमा की याद आ गयी , हो ना हो इस जन्म मे भी रिधिमा और मेरा कोई रिश्ता रहा होगा ..
“कौन है वो लड़की यानी चुदैल ..” मैने झट से पुछा
“रितुपरणा ..”
अजनया के मुख से निकला नाम सुनकर सुप्रिया का चेहरा तमतमा गया ..
“कितनी बार तुम्हे कहा है भाई कि तुम उससे और उसकी दोनो बहनों से तो दूर ही रहा करो , लेकिन तुम मानते ही नही वो और उसके पिता बंबता … उसका पूरा परिवार मिलकर हमारे पिता के पद को छिनना चाहता है ताकि बाहरी दुनिया के लोगो पर आक्रमण कर उनकी
संपत्ति को और औरतो को लाया जा सके, ज़्यादा से ज्यदा इंसानो को शिकारी और चुदैल बनाया जा सके .. और वो स्वरना ..”
सुप्रिया बस इतना ही बोली थी कि अजनया ने हाथ दिखा कर उसे रोक दिया साथ ही साथ उसे गुस्से से देखने लगा जैसे सुप्रिया ने कुच्छ ऐसा कह दिया हो जो उसे नही कहना चाहिए था ..
“क्या रितुपरणा की दो बहनें भी है ..और ये स्वरना की बात पर तुमने इसे क्यो रोक दिया ??”
ये सवाल मैने पुछा था
“हाँ उसकी दो बहनें भी है ररूका और अनुष्का … और यहाँ तक स्वरना की बात है वो हमारे समुदाय का मामला है तुम इस मे ना पडो …”
अजनया ने गंभीर स्वर मे कहा
“लेकिन भैया ये तो शक्तिशाली शिकारी है और यहीं वो है जो हमारा उद्धार करने यहाँ आया है ..”
सुप्रिया ने चहकते हुए कहा था वही अजनया मुझे थोड़े आश्चर्य से लेकिन भेदने वाली निगाहो से देखने लगा ………
“तुम क्या कह रहे थे अजय ??” वो सुप्रिया की बातों पर ध्यान ना देते हुए बोला
“यही कि प्रेम की कोई परिभाषा नही होती , और प्रेम बस महसूस किया जाता है , वो सर्वत्र फैला ही हुआ है , बहन भाई के प्रेम मे , माँ बेटे
के प्रेम मे , पिता पुत्र के प्रेम मे कही भी तुम्हे वो मिल सकता है ….”
“हाँ अजय लेकिन क्या एक औरत और एक मर्द भी प्रेम कर सकते है , हमारे समूह मे तो प्रेम कोई जानता भी नही …
मैं शिकारियो को देखता आ रहा था और खुद भी इंसान से शिकारी होने का मुझे अहसास था , मैं प्रेम को पहचान पाया था क्यो कि पहले मैं
इंसान था मुझे रिश्तो की मारियादाओं का भान था और पहले भी मुझे प्रेम की झलकिया मिल चुकी थी लेकिन अब इन्हे मैं कैसे समझाता ..
जिन्होने कभी गुड नही चखा हो उन्हे मैं उसकी मिठास कैसे समझाऊ , और यही सबसे बड़ी दिक्कत मेरे सामने आ रही थी , और यही
दिक्कत डॉक्टर. चूतिया के सामने भी रही होगी जब उन्हे महापुरुष समझ कर शिकारी और चुदैलो को प्रेम सिखाने भेज दिया गया …..
डॉक्टर. चूतिया ने क्या किया होगा?????
अब डॉक्टर. चूतिया तो यहाँ थे नही जिनसे मैं ये पुच्छ सकूँ कि आपने क्या किया और उसका क्या रिज़ल्ट आया लेकिन एक दूसरे रूप मे
डॉक्टर. साहब यहाँ मौजूद थे वैद्य जी के रूप मे , लेकिन क्या वो मेरी मदद कर सकते है ???
“वो सब छोड़ो अजनया ये बताओ कि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि तुम ये प्रश्न पुच्छ रहे हो “
“कुच्छ नही आज एक चुदैल को देखा , हमेशा से ही उसे देखता हूँ बचपन से ही , कई बार हमने यही इसी नदी के किनारे संभोग भी किया है लेकिन वैसे ही जैसे कि हर चुदैल के साथ मैं करता हूँ , जब हवस की आग बढ़ती है तो कोई ना कोई तो चाहिए ही होता है उस आग को मिटाने के लिए फिर जो सामने मिल जाए हम शिकारी उससे ही संभोग कर लेते है .. ये हमारे समझ मे आम सी बात है ..
लेकिन उस एक के लिए पता नही क्यो कुच्छ अलग ही संवेदना मन मे उठने लगी है “
अजनया की बात सुनकर मुझे रिधिमा की याद आ गयी , हो ना हो इस जन्म मे भी रिधिमा और मेरा कोई रिश्ता रहा होगा ..
“कौन है वो लड़की यानी चुदैल ..” मैने झट से पुछा
“रितुपरणा ..”
अजनया के मुख से निकला नाम सुनकर सुप्रिया का चेहरा तमतमा गया ..
“कितनी बार तुम्हे कहा है भाई कि तुम उससे और उसकी दोनो बहनों से तो दूर ही रहा करो , लेकिन तुम मानते ही नही वो और उसके पिता बंबता … उसका पूरा परिवार मिलकर हमारे पिता के पद को छिनना चाहता है ताकि बाहरी दुनिया के लोगो पर आक्रमण कर उनकी
संपत्ति को और औरतो को लाया जा सके, ज़्यादा से ज्यदा इंसानो को शिकारी और चुदैल बनाया जा सके .. और वो स्वरना ..”
सुप्रिया बस इतना ही बोली थी कि अजनया ने हाथ दिखा कर उसे रोक दिया साथ ही साथ उसे गुस्से से देखने लगा जैसे सुप्रिया ने कुच्छ ऐसा कह दिया हो जो उसे नही कहना चाहिए था ..
“क्या रितुपरणा की दो बहनें भी है ..और ये स्वरना की बात पर तुमने इसे क्यो रोक दिया ??”
ये सवाल मैने पुछा था
“हाँ उसकी दो बहनें भी है ररूका और अनुष्का … और यहाँ तक स्वरना की बात है वो हमारे समुदाय का मामला है तुम इस मे ना पडो …”
अजनया ने गंभीर स्वर मे कहा
“लेकिन भैया ये तो शक्तिशाली शिकारी है और यहीं वो है जो हमारा उद्धार करने यहाँ आया है ..”
सुप्रिया ने चहकते हुए कहा था वही अजनया मुझे थोड़े आश्चर्य से लेकिन भेदने वाली निगाहो से देखने लगा ………
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Re: Adultery -Shikari Ki Bimari
अपडेट 42
सभी फिर से वैद्य जी के पास थे , मैं चीज़े हवा मे उठा देने का करतब दिखा रहा था ….सभी खुश भी दिख रहे थे सिवाय अजनया के , पता नही वो किस सोच मे डूबा हुआ था ..
वही पर ये भी फ़ैसला किया गया कि मुझे अभी सभी के नज़रों से दूर ही रखा जाएगा …
मैं और अजनया अकेले थे उसी नदी के किनारे बैठे हुए थे
“तुम इतना डर क्यो रहे हो ,अगर प्रेम हो गया है तो इसे स्वीकार करो “
मेरी बात सुनकर अजनया के चेहरे मे एक फीकी सी मुस्कान उभर गयी
“हमारे समझ मे संभोग करना नही प्रेम करना पाप है अजय , तुम किसी दूसरे काल से हो तुम ये सब बाते नही समझ पाओगे ..”
“लेकिन क्यो ??”
“क्योकि हम दूसरी दुनिया से अलग है ..प्रेम हमे बाँध देता है , किसी एक स्त्री या पुरुष मे … लेकिन हमारे समाज मे एक स्त्री या पुरुष पर सभी समूह का अधिकार होता है , जो जिसके साथ संभोग करना चाहे वो कर सकता है “
मैं थोड़ा चौका ज़रूर लेकिन उतना नही क्योकि मैने ये पहले भी देखा था
“लेकिन शादी तो होती है ना फिर क्या करते है “
उसने मुझे अजीब दृष्टि से देखा
“शादी ?? ये क्या होता है ??”
“शादी …गठंधन , जैसा तुम्हारे माता पिता ने किया होगा …आख़िर तुम्हे कैसे पता कि तुम अपने पिता के पुत्र हो और सुप्रिया तुम्हारी बहन है ??”
“ऐसा कोई गठबंधन हमारे समाज मे नही होता , बच्चे पैदा करने के लिए दो लोग एक विशेष अवसर मे मिलते है , और उन जोड़ो से होने वाले संतान उन जोड़ो के पिता और माता कहलाते है , माता और पिता होना भी सभी के भाग्य मे नही होता , इसका निर्णय करने के लिए एक युढ्ढ होता है , जैसे मेरी मा को 2 बार हमारे पिता ने जीता था जिससे मैं और मेरी बहन का जन्म हुआ , एक विशेष पर्व मे चुदैलो को माँ बनाने के
लिए युद्ध किया जाता है , जिसमे जो चुदैल मा बनना चाहे वो ही हिस्सा लेती है , उसके बाद हर चुदैल के लिए कोई शिकारी बाकी शिकारियो को ललकारता है , अगर कोई दूसरे शिकारी उस चुदैल को मा बनाने की इच्छा रखता है तो वो उस ललकार को स्वीकार कर लेता है और
दोनो के बीच युद्ध होता है …
इस तरह से जो भी युद्ध मे जीतता है वो शिकारी उस चुदैल से संभोग कर उसे माँ बनाता है और वो दोनो होने वाले बच्चो के माँ और पिता होते है”
मैं उसकी बात को ध्यान से सुन रहा था बहुत ही इंट्रेस्टिंग तरीका था ये भी..
“लेकिन ऐसा भी होता होगा कि एक चुदैल कई शिकारियो से गर्भवती हो जाए , मतलब कई शिकारियो के बच्चो को जन्म दे “
एक उत्सुकता सी मेरे मन मे जागी थी
“हाँ यहाँ कई शिकारी और चुदैल ऐसे है जिनके कई साथियो से बच्चे है … हमारी माँ को अगर दूसरे बार किसी दूसरे शिकारी ने जीता होता तो कोई दूसरे शिकारी उन्हे गर्भवती करता … मेरी माँ पुराने सरदार की बेटी थी और हमारे समूह की सबसे सुंदर, ताकतवर और योवन से
भरपूर चुदैल भी , इसलिए उनको पाने के लिए कई शिकारियो ने युद्ध की ललकार की थी लेकिन जब मेरे पिता सामने आए तो सभी पिछे हट
गये , मेरे पिता एक महान योद्धा है , उनके सामने केवल बंबता ने ही मेरी माता के लिए ललकार को स्वीकार किया था “
“बंबता ..??”
“हाँ बंबता वही था जिसने दोनो ही बार माता के लिए पिता जी की ललकार को स्वीकार किया था और दोनो ही बार युद्ध मे हार गया “
“ऊ तो कोई चुदैल या शिकारी कितने बार बच्चो के लिए युद्ध कर सकते है “
“जितनी बार उनका मन चाहे “
“ऊहह तो क्या रितुपरणा की दोनो बहनें एक ही पिता और माता से है ..”
“नही रितुपरणा हमारे पिता जी के मित्रा से पैदा हुई लेकिन उसकी बाकी की दोनो बहनें अलग अलग शिकारियो से है , वो तीन बार संतान उत्पत्ति के लिए आई और तीनो ही बार अलग अलग शिकारियो ने उन्हे जीता “
उसकी बात सुनकर मेरे चेहरे मे एक मुस्कान स्वाभाविक रूप से खिल गयी थी , बड़ा अजीब समाज था या शायद बहुत ही सॉफ समाज था जहाँ किसी प्रकार का कोई भी भेद य्या दुर्व्यवहार एक दूसरे के प्रति नही था ..
“तो तुम रितुपरणा से मिले ..”
मेरी बात सुनकर अजनया ने मुझे देखा उसके चहरे मे अब भी वही फीकी सी मुस्कान थी
“हाँ मिला था लेकिन … उसके पास जाने से ही मेरे हृदय मे कुच्छ अजीब सा होने लगता है , इसलिए बस उसे दूर से देखा करता हूँ ..अब
पास जाने से भी डर लगता है ..”
उसकी बात सुनकर मैं हंस पड़ा
“मैं उसे देखना चाहता हूँ “
मेरी बात सुनकर वो होडा चौका
“आख़िर क्यो ??”
“क्योकि तुम और मैं एक ही है , मुझे शक़ है कि हो ना हो वो वही है जिससे मे उस काल मे मैं प्रेम मे पड़ा , मेरी रिधिमा “
वो मुस्कुरा उठा
सभी फिर से वैद्य जी के पास थे , मैं चीज़े हवा मे उठा देने का करतब दिखा रहा था ….सभी खुश भी दिख रहे थे सिवाय अजनया के , पता नही वो किस सोच मे डूबा हुआ था ..
वही पर ये भी फ़ैसला किया गया कि मुझे अभी सभी के नज़रों से दूर ही रखा जाएगा …
मैं और अजनया अकेले थे उसी नदी के किनारे बैठे हुए थे
“तुम इतना डर क्यो रहे हो ,अगर प्रेम हो गया है तो इसे स्वीकार करो “
मेरी बात सुनकर अजनया के चेहरे मे एक फीकी सी मुस्कान उभर गयी
“हमारे समझ मे संभोग करना नही प्रेम करना पाप है अजय , तुम किसी दूसरे काल से हो तुम ये सब बाते नही समझ पाओगे ..”
“लेकिन क्यो ??”
“क्योकि हम दूसरी दुनिया से अलग है ..प्रेम हमे बाँध देता है , किसी एक स्त्री या पुरुष मे … लेकिन हमारे समाज मे एक स्त्री या पुरुष पर सभी समूह का अधिकार होता है , जो जिसके साथ संभोग करना चाहे वो कर सकता है “
मैं थोड़ा चौका ज़रूर लेकिन उतना नही क्योकि मैने ये पहले भी देखा था
“लेकिन शादी तो होती है ना फिर क्या करते है “
उसने मुझे अजीब दृष्टि से देखा
“शादी ?? ये क्या होता है ??”
“शादी …गठंधन , जैसा तुम्हारे माता पिता ने किया होगा …आख़िर तुम्हे कैसे पता कि तुम अपने पिता के पुत्र हो और सुप्रिया तुम्हारी बहन है ??”
“ऐसा कोई गठबंधन हमारे समाज मे नही होता , बच्चे पैदा करने के लिए दो लोग एक विशेष अवसर मे मिलते है , और उन जोड़ो से होने वाले संतान उन जोड़ो के पिता और माता कहलाते है , माता और पिता होना भी सभी के भाग्य मे नही होता , इसका निर्णय करने के लिए एक युढ्ढ होता है , जैसे मेरी मा को 2 बार हमारे पिता ने जीता था जिससे मैं और मेरी बहन का जन्म हुआ , एक विशेष पर्व मे चुदैलो को माँ बनाने के
लिए युद्ध किया जाता है , जिसमे जो चुदैल मा बनना चाहे वो ही हिस्सा लेती है , उसके बाद हर चुदैल के लिए कोई शिकारी बाकी शिकारियो को ललकारता है , अगर कोई दूसरे शिकारी उस चुदैल को मा बनाने की इच्छा रखता है तो वो उस ललकार को स्वीकार कर लेता है और
दोनो के बीच युद्ध होता है …
इस तरह से जो भी युद्ध मे जीतता है वो शिकारी उस चुदैल से संभोग कर उसे माँ बनाता है और वो दोनो होने वाले बच्चो के माँ और पिता होते है”
मैं उसकी बात को ध्यान से सुन रहा था बहुत ही इंट्रेस्टिंग तरीका था ये भी..
“लेकिन ऐसा भी होता होगा कि एक चुदैल कई शिकारियो से गर्भवती हो जाए , मतलब कई शिकारियो के बच्चो को जन्म दे “
एक उत्सुकता सी मेरे मन मे जागी थी
“हाँ यहाँ कई शिकारी और चुदैल ऐसे है जिनके कई साथियो से बच्चे है … हमारी माँ को अगर दूसरे बार किसी दूसरे शिकारी ने जीता होता तो कोई दूसरे शिकारी उन्हे गर्भवती करता … मेरी माँ पुराने सरदार की बेटी थी और हमारे समूह की सबसे सुंदर, ताकतवर और योवन से
भरपूर चुदैल भी , इसलिए उनको पाने के लिए कई शिकारियो ने युद्ध की ललकार की थी लेकिन जब मेरे पिता सामने आए तो सभी पिछे हट
गये , मेरे पिता एक महान योद्धा है , उनके सामने केवल बंबता ने ही मेरी माता के लिए ललकार को स्वीकार किया था “
“बंबता ..??”
“हाँ बंबता वही था जिसने दोनो ही बार माता के लिए पिता जी की ललकार को स्वीकार किया था और दोनो ही बार युद्ध मे हार गया “
“ऊ तो कोई चुदैल या शिकारी कितने बार बच्चो के लिए युद्ध कर सकते है “
“जितनी बार उनका मन चाहे “
“ऊहह तो क्या रितुपरणा की दोनो बहनें एक ही पिता और माता से है ..”
“नही रितुपरणा हमारे पिता जी के मित्रा से पैदा हुई लेकिन उसकी बाकी की दोनो बहनें अलग अलग शिकारियो से है , वो तीन बार संतान उत्पत्ति के लिए आई और तीनो ही बार अलग अलग शिकारियो ने उन्हे जीता “
उसकी बात सुनकर मेरे चेहरे मे एक मुस्कान स्वाभाविक रूप से खिल गयी थी , बड़ा अजीब समाज था या शायद बहुत ही सॉफ समाज था जहाँ किसी प्रकार का कोई भी भेद य्या दुर्व्यवहार एक दूसरे के प्रति नही था ..
“तो तुम रितुपरणा से मिले ..”
मेरी बात सुनकर अजनया ने मुझे देखा उसके चहरे मे अब भी वही फीकी सी मुस्कान थी
“हाँ मिला था लेकिन … उसके पास जाने से ही मेरे हृदय मे कुच्छ अजीब सा होने लगता है , इसलिए बस उसे दूर से देखा करता हूँ ..अब
पास जाने से भी डर लगता है ..”
उसकी बात सुनकर मैं हंस पड़ा
“मैं उसे देखना चाहता हूँ “
मेरी बात सुनकर वो होडा चौका
“आख़िर क्यो ??”
“क्योकि तुम और मैं एक ही है , मुझे शक़ है कि हो ना हो वो वही है जिससे मे उस काल मे मैं प्रेम मे पड़ा , मेरी रिधिमा “
वो मुस्कुरा उठा
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Adultery -Shikari Ki Bimari
“और अगर इस काल मे भी तुम उसके प्रेम मे पड़ गये तो “
मैं हंस पड़ा था
“मैं तो हर काल मे उसके ही प्रेम मे पड़ना चाहूँगा इसे ही तो प्रेम कहते है , कब मिलवा रहे हो उससे “
“मिलवा तो दूँगा लेकिन तुम्हे छिप्कर ही रहना होगा , अभी हम तुम्हे सामने नही ला सकते हमे नही पता कि हमारे पिता से किसकी दुश्मनी है लेकिन वो जो भी है वो हमारे पूरे समूह का दुश्मन होगा “
मैने हामी भर दी
“तो चलो ..”वो उठ खड़ा हुआ था
“अभी ??”
“हाँ अभी , वो आम के बगीचे के तलब मे अपनी बहनों के साथ नहा रही होगी , वही जहाँ मैने उससे पहली बार संभोग किया था “
हम दोनो ही चल पड़े थे , यहाँ संभोग पहले होता था लेकिन प्रेम से डरते थे और मैं और रिधिमा प्रेम मे पड़कर भी संभोग नही कर पाए थे, जब किया तो साला मैं ही ट्रांसपोर्ट हो गया, मुझे अचानक रिधिमा की याद आ गयी थी , मुझे अहसास हुआ कि चुदैलो से संभोग करने से एक नयी उर्जा प्राप्त होती है , यहाँ के शिकारी मुझे अपनी तरह हवस मे पागल नही दिखते थे, क्योकि ये आम स्त्रियो से नही बल्कि चुदैलो से
संभोग किया करते थे … हवस तो शिकारियो वाला ही था लेकिन चुदैलो मे मज़ा भी बहुत था और उससे एक शांति सी भी महसूस होती थी ,
जैसे आज सुप्रिया से संबंध बना कर मुझे होने लगा …
वो गजब की जगह थी , दूर दूर तक आम ही आम के पेड़ थे , ये बगीचा नही बल्कि जंगल की तरह था , बहुत दूर तक अंदर जाने पर हमे एक तालाब दिखाई दिया , कुच्छ लड़कियो के हसने की आवाज़े हमे सुनाई दे रही थी अजनया ने खुद को और मुझे भी एक झाड़ी मे छिपा लिया और उस ओर देखने लगा …
तलब का दृश्य देखकर मैं मोहित ही हो गया लेकिन साथ साथ ही साथ आश्चर्य से भी भर गया……
वो रिधिमा ही थी , मेरी रिधिमा .. वो नग्न अपनी बहनों के साथ पानी मे अटखेलिया कर रही थी , अजनया भी बड़े ही मोहित दृष्टि से उसे देख रहा था , पूरे बदन मे बस एक फूलो की माला थी उसका नग्न देह जैसे संगमरमर का बना हो, बिल्कुल कसा हुआ, जैसे मेरी रिधिमा का था , हर अंग अपने ही स्वरूप मे खिला हुआ था बिल्कुल तेज से चमकता हुआ ..
लेकिन मेरे आश्चर्य का कारण था उसकी दोनो बहनें असल मे ये दोनो मेरी बहनें ऋतु और अनन्या दीदी थे …इस काल मे वो दोनो रिधिमा की
बहनें थी लेकिन अलग अलग पिता से …
ये एक सुखद आश्चर्य भी था अपने प्रिया जनों को देखना , वो दोनो भी नग्न होकर स्नान कर रही थी और बहुत ही मज़े से एक दूसरे के साथ पानी से खेल रही थी ..
इस दृश्य को देखकर मेरा लिंग अकड़ने लगा था लेकिन फिर मेरी नज़र रिधिमा पर चली जाती मैं प्रेम से भर जाता लेकिन लिंग की अकड़न कम नही होती थी ..
मैं बेकाबू होने लगा था ,
शायद वही हाल अजनया का भी हो रहा था ..
हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए
“हमे सुप्रिया को साथ लाना था , ये उत्तेजना हमे मार ही डालेगी , मैं तो तालाब मे जाकर तीनो के साथ संभोग कर लूँगा लेकिन तुम क्या करोगे “
अजनया के चहरे मे एक हँसी आ गयी ..
मैं कुच्छ कह पता उससे पहले ही हमे एक और आवाज़ सुनाई दी कोई उत्तेजना मे सिसकी ले रहा था , हम दोनो का ध्यान उस ओर गया …
हमसे थोड़े ही दूर एक झुर्मुट मे एक तगड़ा मर्द एक कमसिन सी लड़की को अपनी गोद मे बिठाया हुआ उसे रौंद रहा था , दोनो ही अपनी
मस्ती मे लीन थे , वही वो मर्द अपनी गोद मे बैठी हुई लड़की की जगह रिधिमा या कहे रितुपरणा को देखे जा रहा था ..
उस मर्द का चेहरा देखते ही जहाँ अजनया चौका वही मैं भी चौक गया ..
“बंबता ..??”
“बुलंद सिंग “ अजनया और मैं एक दूसरे को देखने लगे
“तो क्या यही बंबता है “
“हाँ यही बंबता है ये हमेशा से रितुपरणा के साथ संभोग का इक्च्छुक रहा है लेकिन उसने कभी भी इस अधेड़ उम्र के शिकारी से संभोग को स्वीकृति नही दी , और देखो ये रितुपरणा को देखते हुए अपनी ही बेटी सवारी से संभोग कर रहा है “
मैं ध्यान से उस लड़की की ओर देखा और मेरे चहरे मे मुस्कान गहरा गयी
“ये उसकी बेटी है और उस काल मे भी ये उसकी बेटी थी नाम था सोनी … और मज़े की बात ये है कि जब इतना सब कुच्छ उस काल और इस काल मे मिल रहा है तो मैं दावे के साथ कह सकता हू कि तुम्हारे पिता का दुश्मन और कोई नही बल्कि ये ही है बंबता और उस काल का बुलंद सिंग …”
अजनया ने मुझे ध्यान से देखा फिर रिधिमा की ओर देखा
“वो सब बाद मे करेंगे अभी मुझे रितुपरणा से संभोग करना है मैं तो चला “
वो जाने को हुआ तभी मैने उसका हाथ पकड़ लिया
“तुम तो चले जाओगे लेकिन मेरा क्या होगा “
वो हसने लगा था
“मेरे पास एक योजना है ……”
वो मुझे देख कर मुस्कुराया ………
मैं हंस पड़ा था
“मैं तो हर काल मे उसके ही प्रेम मे पड़ना चाहूँगा इसे ही तो प्रेम कहते है , कब मिलवा रहे हो उससे “
“मिलवा तो दूँगा लेकिन तुम्हे छिप्कर ही रहना होगा , अभी हम तुम्हे सामने नही ला सकते हमे नही पता कि हमारे पिता से किसकी दुश्मनी है लेकिन वो जो भी है वो हमारे पूरे समूह का दुश्मन होगा “
मैने हामी भर दी
“तो चलो ..”वो उठ खड़ा हुआ था
“अभी ??”
“हाँ अभी , वो आम के बगीचे के तलब मे अपनी बहनों के साथ नहा रही होगी , वही जहाँ मैने उससे पहली बार संभोग किया था “
हम दोनो ही चल पड़े थे , यहाँ संभोग पहले होता था लेकिन प्रेम से डरते थे और मैं और रिधिमा प्रेम मे पड़कर भी संभोग नही कर पाए थे, जब किया तो साला मैं ही ट्रांसपोर्ट हो गया, मुझे अचानक रिधिमा की याद आ गयी थी , मुझे अहसास हुआ कि चुदैलो से संभोग करने से एक नयी उर्जा प्राप्त होती है , यहाँ के शिकारी मुझे अपनी तरह हवस मे पागल नही दिखते थे, क्योकि ये आम स्त्रियो से नही बल्कि चुदैलो से
संभोग किया करते थे … हवस तो शिकारियो वाला ही था लेकिन चुदैलो मे मज़ा भी बहुत था और उससे एक शांति सी भी महसूस होती थी ,
जैसे आज सुप्रिया से संबंध बना कर मुझे होने लगा …
वो गजब की जगह थी , दूर दूर तक आम ही आम के पेड़ थे , ये बगीचा नही बल्कि जंगल की तरह था , बहुत दूर तक अंदर जाने पर हमे एक तालाब दिखाई दिया , कुच्छ लड़कियो के हसने की आवाज़े हमे सुनाई दे रही थी अजनया ने खुद को और मुझे भी एक झाड़ी मे छिपा लिया और उस ओर देखने लगा …
तलब का दृश्य देखकर मैं मोहित ही हो गया लेकिन साथ साथ ही साथ आश्चर्य से भी भर गया……
वो रिधिमा ही थी , मेरी रिधिमा .. वो नग्न अपनी बहनों के साथ पानी मे अटखेलिया कर रही थी , अजनया भी बड़े ही मोहित दृष्टि से उसे देख रहा था , पूरे बदन मे बस एक फूलो की माला थी उसका नग्न देह जैसे संगमरमर का बना हो, बिल्कुल कसा हुआ, जैसे मेरी रिधिमा का था , हर अंग अपने ही स्वरूप मे खिला हुआ था बिल्कुल तेज से चमकता हुआ ..
लेकिन मेरे आश्चर्य का कारण था उसकी दोनो बहनें असल मे ये दोनो मेरी बहनें ऋतु और अनन्या दीदी थे …इस काल मे वो दोनो रिधिमा की
बहनें थी लेकिन अलग अलग पिता से …
ये एक सुखद आश्चर्य भी था अपने प्रिया जनों को देखना , वो दोनो भी नग्न होकर स्नान कर रही थी और बहुत ही मज़े से एक दूसरे के साथ पानी से खेल रही थी ..
इस दृश्य को देखकर मेरा लिंग अकड़ने लगा था लेकिन फिर मेरी नज़र रिधिमा पर चली जाती मैं प्रेम से भर जाता लेकिन लिंग की अकड़न कम नही होती थी ..
मैं बेकाबू होने लगा था ,
शायद वही हाल अजनया का भी हो रहा था ..
हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए
“हमे सुप्रिया को साथ लाना था , ये उत्तेजना हमे मार ही डालेगी , मैं तो तालाब मे जाकर तीनो के साथ संभोग कर लूँगा लेकिन तुम क्या करोगे “
अजनया के चहरे मे एक हँसी आ गयी ..
मैं कुच्छ कह पता उससे पहले ही हमे एक और आवाज़ सुनाई दी कोई उत्तेजना मे सिसकी ले रहा था , हम दोनो का ध्यान उस ओर गया …
हमसे थोड़े ही दूर एक झुर्मुट मे एक तगड़ा मर्द एक कमसिन सी लड़की को अपनी गोद मे बिठाया हुआ उसे रौंद रहा था , दोनो ही अपनी
मस्ती मे लीन थे , वही वो मर्द अपनी गोद मे बैठी हुई लड़की की जगह रिधिमा या कहे रितुपरणा को देखे जा रहा था ..
उस मर्द का चेहरा देखते ही जहाँ अजनया चौका वही मैं भी चौक गया ..
“बंबता ..??”
“बुलंद सिंग “ अजनया और मैं एक दूसरे को देखने लगे
“तो क्या यही बंबता है “
“हाँ यही बंबता है ये हमेशा से रितुपरणा के साथ संभोग का इक्च्छुक रहा है लेकिन उसने कभी भी इस अधेड़ उम्र के शिकारी से संभोग को स्वीकृति नही दी , और देखो ये रितुपरणा को देखते हुए अपनी ही बेटी सवारी से संभोग कर रहा है “
मैं ध्यान से उस लड़की की ओर देखा और मेरे चहरे मे मुस्कान गहरा गयी
“ये उसकी बेटी है और उस काल मे भी ये उसकी बेटी थी नाम था सोनी … और मज़े की बात ये है कि जब इतना सब कुच्छ उस काल और इस काल मे मिल रहा है तो मैं दावे के साथ कह सकता हू कि तुम्हारे पिता का दुश्मन और कोई नही बल्कि ये ही है बंबता और उस काल का बुलंद सिंग …”
अजनया ने मुझे ध्यान से देखा फिर रिधिमा की ओर देखा
“वो सब बाद मे करेंगे अभी मुझे रितुपरणा से संभोग करना है मैं तो चला “
वो जाने को हुआ तभी मैने उसका हाथ पकड़ लिया
“तुम तो चले जाओगे लेकिन मेरा क्या होगा “
वो हसने लगा था
“मेरे पास एक योजना है ……”
वो मुझे देख कर मुस्कुराया ………
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