“अरे इसकी क्या ज़रूरत थी रे, रानी (संपत की गर्लफ्रेंड, या रखैल भी बोल सकते है ) मुझे अपनी पुरानी साड़ी देने वाली थी “
भाभी ने मेरे हाथो मे वो साड़ी देखकर कहा
“आपकी सभी साड़ी पुरानी हो गयी है, खुद तो कभी लॉगी नही इसलिए मैं ले आया “
उन्होने मुस्कुरा कर उसे पकड़ लिया
साड़ी सस्ती थी लेकिन भाभी के नूर मे तो दाग भी झिल मिला उठता था,
उन्होने मुझे उसे पहन कर दिखाया और मैं बस आँखे भर भर कर उन्हे देखता रहा , सच मे कमाल की थी तो उनकी सुंदरता थी या मेरी नज़रो मे उनके लिए भरा प्रेम और सम्मान मुझे नही टा लेकिन उन्हे देख कर उनसे आँखे हटाने का दिल ही नही चाहता था..
थोड़ी देर के बाद मैं और भाभी दोनो बैठे बाते कर रहे थे
“बेटा तिवारी के पास जाने से बहुत ख़तरा है “
“ख़तरा तो है भाभी लेकिन ख़तरा लेना ही पड़ेगा, और मेरे पास तो अब एक और मकसद हो गया है तिवारी के घर जाने का “
उन्होने आँखे थोड़ी बड़ी कर ली
और मैने नेहा वाली बात उन्हे बताई की कैसे तिवारी और जीवा ने मिलकर उसके पिता की हत्या कर दी
मेरी बात सुनकर भाभी का चेहरा ही उतर गया
“क्या हुआ भाभी ??”
“बेटा वो तिवारी तो है ही कमीना लेकिन जीवा..?? नही बेटा जीवा ऐसा नही कर सकता “
उनकी बात सुनकर मैं चौक गया
“ऐसा आप कैसे कह सकती हो भाभी , जीवा भी तो एक गुंडा था “
“हा वो गुंडा था लेकिन तिवारी के जैसा नही, यहाँ रहकर मैने उसके बारे मे बहुत कुछ जाना है सोनू, सभी उसे भगवान मानते है उसने हम जैसे ना जाने कितनो की मदद की है “
“ह्म वो तो है लेकिन … वो था तो एक डॉन ही ना और ग़लत कम करने वाला सही कैसे हो सकता है “
“हा वो ग़लत काम करता था लेकिन इतना कमीना नही था की किसी को जान से मार दे, मैने तो ये सुना है की वो असल मे ईमानदार लोगो की बहुत इज़्ज़त करता था , और लोग भी उसकी इज़्ज़त करते थे …वो ग़लत काम भी सही तरीके से करता था, कोई ऐसा काम नही करता था जिससे लोगो को नुकसान हो और इसलिए उसकी और तिवारी की लड़ाई हुई “
भाभी की बात सुनकर मुझे लगने लगा की शायद यहाँ रहने के कारण भाभी का माइंड वॉश हो गया होगा , क्योकि यहाँ रहने वाले सभी जीवा के ही आश्रित थे तो उसकी कोई बुराई कैसे कर सकते थे …
“भाभी यहाँ के लोगो ने आपके दिमाग़ मे काबू कर लिया है जो आप जीवा के गुणगान गा रही हो “
मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ी
“चल जाने दे वो सब, लेकिन मुझे एक चीज़ तो समझ आ गयी की तू नेहा को पसंद करने लगा है “
उनकी बात सुनकर मैं थोड़ा शरमाया
“हा लेकिन वैसे नही ..”
“कैसे ???”
“अरे भाभी छोड़ो ना ऐसे भी मेरी तो एक ही गर्लफ्रेंड है, जो अभी साड़ी पहने मेरे सामने खड़ी है”
भाभी के होठों मे मेरी बात को सुनकर एक मुस्कान आ गयी, उन्होने मेरे बाजू मे बैठकर मेरे गाल मे के चपत लगा दिया ..
“सुधर जा जब देखो तब यही बात करता है, अब के मार पड़ेगी “
मैं उनके सुंदर चेहरे को देखता रहा, उनके होठों हिल रहे थे जो थोड़े गीले थे, मन कर रहा था की उनके गुलाबी और रस से भरे हुए होठों को अपने होठों मे ले लू, लेकिन मैने अपने दिल को समझाया की ये तेरे प्यार जताने का तरीका नही है …
“क्या देख रहे हो “
भाभी की कोमल आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी ,
“कुछ नही बस आपके इस सुंदर से चेहरे को देख रहा था, आप सच मे बहुत ही खूबसूरत हो “
अनायास ही मेरी निगाहे उनके चेहरे पर जम सी गयी थी , मैं बस उस सुंदर मुखड़े को देखे जा रहा था और उनकी चंचल निगाहे मानो मेरी नज़र को समझते हुए शर्म से झुक चुकी थी
ऐसा लगा जैसे मैं बस डूब रहा था किसी सागर मे उफनते हुए लहरो की तरह मेरे जसबातों भी उफंनने लगे थे ..मैं उनके करीब पहुच गया था ..
“सोनू ..”
उनकी कोमल लेकिन कमजोर सी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी वो मुझे सचेत करना चाहती थी की मैं जो सोच रहा हू वो सही नही है लेकिन फिर भी उनकी आवाज़ मे वो बात नही थी की मुझे रोक सके , उनकी आवाज़ लहरा रही थी वो धीमी हो चुकी थी, उनके आवाज़ से ज़्यादा शोर तो उनकी धड़कनो का था जो की किसी रेल की भाँति तेज चल रही थी, एक ही लय मे , ऊँची नीचीहोती उनकी छातिया मुझे अपनी ओर खिचने लगी थी , जैसे जैसे वो उपर उठ कर नीचे जाती भाभी की गर्म साँसे मेरे चेहरे से टकरा जाती…..
ये क्या हो रहा था क्या उस दिन जैसे आज भी वासना की आग ने हमे जकड़ लिया था, नही ऐसा नही था उस दिन मेरी नज़रे भाभी के जिस्म मे थी और उससे ही मेरे जिस्म मे वासना की आग भड़कनी शुरू हो गयी थी लेकिन आज नही आज तो मेरी नज़रे भाभी के सुंदर चेहरे पर थी तो फिर आज क्या हुआ था..
मेरा ध्यान मेरे लिंग की ओर गया जो की बिल्कुल भी तनाव की स्तिति मे नही था, मतलब साफ था की ये वासना नही थी कुछ और ही था ,लेकिन क्या था प्रेम??
प्रेम तो भाभी से हमेशा से ही था तो फिर क्या था कोई आकर्षण ??
उनका चेहरा मेरी नज़रो के लिए किसी चुंबक की तरह था, नज़रे तो जाकर बस चिपक ही गयी थी ..
“अब हो गया ना कितना घुरेगा मुझे “
भाभी वहाँ से हट गई और बिस्तेर मे जाकर लेट गई , ये संकेत था की मैं भी अब सो जाऊ , मैं अपने ही ख़यालो मे खोया हुआ उनसे चिपक कर सो गया , लेकिन उनकी भी हालत मुझसे जुदानही थी वो भी इसी सोच मे थी जिस सोच मे मैं था , उनके हाथ मेरे बालो मे ज़रूर चल रहे थे लेकिन आँखे खुली हुई छत को देखे जा रही थी ……..
Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
बहुत ही शानदार अपडेट किया
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
अपडेट 20
“भाई और कितना देर यहाँ बैठना पड़ेगा ,5 कप चाय पी चुका हू मैं यहाँ बैठकर “
शाम का समय था और अक्की ने मुझे अपने साथ जासूसी मे लगा रखा था , जी हा जासूसी..
मेडम की जासूसी स्नेहा मेडम की जासूसी ..
हम उनके घर के बाहर खड़े हुए थे कुछ 2 घंटे हो गये थे और पास के ही चाय ठेले मे मैं और अक्की बैठे हुए उनके घर को निहार रहे थे…
“चुप करके बैठे रह ना भाई , अज्जु के लिए तू तिवारी के घर जाने के लिए राज़ी हो गया अपनी जान जोखिम मे डालने के लिए भी तैयार है और साले मेरे लिए तू कुछ घंटे बैठा भी नही रह सकता ..” अब अक्की की ऐसी धमकी से मैं फिर से चुप हो गया था ..
“लेकिन भाई तुझे ये आइडिया किसने दिया की मेडम के घर के बाहर बैठे रहो “
“भाई ये आइडिया नेहा का था उसने कहा की पहले पता तो कर ले की वो मॅरीड है या नही या उसका कोई बाय्फ्रेंड तो नही है , इसलिए आज से काम शुरू कर दिया हू ..”
“आज से ….?? साले यानी तू रोज यहाँ आकर बैठेगा”
“ हा तेरे साथ .. और भाई इसी बहाने हम थोड़ा घूम भी लेंगे “
मैं उसकी बात से सिहर गया था ये तो सरासर टॉर्चर था, मैं रोज शाम को ऐसे घंटो बैठकर चाय नही पी सकता था ..
“मेरे भाई इसे घूमना नही कहते, ये मानसिक प्रताड़ना है , मैं तेरा दोस्त हू इसका मतलब ये नही है की तू मुझे ऐसे टॉर्चर करे “
मेरी बात सुनकर अक्की का चेहरा उदास हो गया ..
“ठीक है कल से तू मत आना मैं ही अकेले आ जाउन्गा चाहे इसके बाद मेरे साथ कुछ भी हो जाए तुझे क्या पड़ी है …”
अब ये साला मुझे एमोशनल ब्लॅकमेल करने मे उतारू हो गया था, जिसे सुनकर मेरे होठों मे मुस्कान खिल गई..
“साले इतना एमोशनल अगर मेडम के सामने हो जाएगा ना तो वो सब कुछ दे देगी तुझे “
“भाई सब कुछ नही बस वो मुझे देख कर मुस्कुरा दे यही मेरे लिए बहुत है ,क्या मुस्कान है उनकी .. अनार के दानो जैसे दांतो की पंक्तिया , जब मुस्कुराती है तो लगता है जैसे कमल खिल गया हो “
“भाई कमल कीचड़ मे खिलता है और उनका मूह कीचड़ तो नही है “
मेरी बात सुनकर वो थोड़ा गुस्से से मुझे देखने लगा
“हा साले कमल नही तो गुलाब समझ ले ना”
वो फिर से खो गया और उसके होठों मे मुस्कान आ गयी
“और उनकी बात.. वा क्या आवाज़ है कोमल कोमल , मखमल मखमल , जन्नत जन्नत , वो हूर है परी है मेरे दिल की धड़कन है “
“भाई और कितना देर यहाँ बैठना पड़ेगा ,5 कप चाय पी चुका हू मैं यहाँ बैठकर “
शाम का समय था और अक्की ने मुझे अपने साथ जासूसी मे लगा रखा था , जी हा जासूसी..
मेडम की जासूसी स्नेहा मेडम की जासूसी ..
हम उनके घर के बाहर खड़े हुए थे कुछ 2 घंटे हो गये थे और पास के ही चाय ठेले मे मैं और अक्की बैठे हुए उनके घर को निहार रहे थे…
“चुप करके बैठे रह ना भाई , अज्जु के लिए तू तिवारी के घर जाने के लिए राज़ी हो गया अपनी जान जोखिम मे डालने के लिए भी तैयार है और साले मेरे लिए तू कुछ घंटे बैठा भी नही रह सकता ..” अब अक्की की ऐसी धमकी से मैं फिर से चुप हो गया था ..
“लेकिन भाई तुझे ये आइडिया किसने दिया की मेडम के घर के बाहर बैठे रहो “
“भाई ये आइडिया नेहा का था उसने कहा की पहले पता तो कर ले की वो मॅरीड है या नही या उसका कोई बाय्फ्रेंड तो नही है , इसलिए आज से काम शुरू कर दिया हू ..”
“आज से ….?? साले यानी तू रोज यहाँ आकर बैठेगा”
“ हा तेरे साथ .. और भाई इसी बहाने हम थोड़ा घूम भी लेंगे “
मैं उसकी बात से सिहर गया था ये तो सरासर टॉर्चर था, मैं रोज शाम को ऐसे घंटो बैठकर चाय नही पी सकता था ..
“मेरे भाई इसे घूमना नही कहते, ये मानसिक प्रताड़ना है , मैं तेरा दोस्त हू इसका मतलब ये नही है की तू मुझे ऐसे टॉर्चर करे “
मेरी बात सुनकर अक्की का चेहरा उदास हो गया ..
“ठीक है कल से तू मत आना मैं ही अकेले आ जाउन्गा चाहे इसके बाद मेरे साथ कुछ भी हो जाए तुझे क्या पड़ी है …”
अब ये साला मुझे एमोशनल ब्लॅकमेल करने मे उतारू हो गया था, जिसे सुनकर मेरे होठों मे मुस्कान खिल गई..
“साले इतना एमोशनल अगर मेडम के सामने हो जाएगा ना तो वो सब कुछ दे देगी तुझे “
“भाई सब कुछ नही बस वो मुझे देख कर मुस्कुरा दे यही मेरे लिए बहुत है ,क्या मुस्कान है उनकी .. अनार के दानो जैसे दांतो की पंक्तिया , जब मुस्कुराती है तो लगता है जैसे कमल खिल गया हो “
“भाई कमल कीचड़ मे खिलता है और उनका मूह कीचड़ तो नही है “
मेरी बात सुनकर वो थोड़ा गुस्से से मुझे देखने लगा
“हा साले कमल नही तो गुलाब समझ ले ना”
वो फिर से खो गया और उसके होठों मे मुस्कान आ गयी
“और उनकी बात.. वा क्या आवाज़ है कोमल कोमल , मखमल मखमल , जन्नत जन्नत , वो हूर है परी है मेरे दिल की धड़कन है “
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)