मैं जैसे किसी सम्मोहन मे फँस गया था , रानी का जिस्म साफ साफ मेरे नज़रो के सामने था , वो नंगी थी… हा एक झीना सा कपड़ा उसके शरीर मे डाला गया था लेकिन ये उसके भरे हुए मादक जिस्म को ढकने के लिए नाकाफ़ी था …….
मेरी एक उंगली अंदर ही गयी थी की वो जैस पिघल सी गयी , उसने मुझे खुद से सटा लिया …
मैं थोड़ा डर भी गया था ..
“क्यो रे तूने आज तक किसी लड़की की चुदाई की है “
मैने ना मे सर हिलाया
“तब तो आज और भी मज़ा आएगा “
मैं समझ नही पा रहा था की इसका क्या उत्तर दूं या फिर इसका क्या उत्तर हो सकता था ..
उसने मुझे अपने उपर खिच लिया और और बिस्तर मे लेट गयी ..
“बचुआ आज हमरी चुड ही फाड़ डियो “
मैं एक अजीब सी अवस्था मे फँसा हुआ था, दरवाजा अभी भी खुला हुआ था और ये इतनी बेताबी से मुझे अपने उपर लिपटा ली थी ..
उसने मेरी असमंजस को देखा तो खड़े होकर तुरंत ही दरवाजा बंद कर दिया ..
“अरे क्यो डर रहा है तेरी भाभी और संपत अभी नही आएँगे “
इस बार उसने सही सही हिन्दी बोली थी ..
“लेकिन मामी “
“मामी की मा की चुड … साले तेरे मामा ने मुझसे शादी नही की है जो मैं तेरी मामी हो गयी , वो मेरा बाय्फ्रेंड है उससे ज़्यादा कुछ नही समझे चल अब जल्दी बता चोदेगा की नही मुझे .”
कहते है ना की एक फ़ैसला बडाल दे आपकी जिंदगी ………..
वैसा ही एक फ़ैसला मुझे अभी करना था , मैं बुरी से असमंजस मे फँसा हुआ था की आख़िर करू तो क्या करू ..लिंग तो बोल रहा था की बाबू ऐसी माल मिल रही है और तेरी वर्जिनिटी भी टूट जाएगी कर ले मज़े फिर ऐसा मौका नही मिलेगा ..
वही दिल कह रहा था की ये भाभी से धोखा होगा …
थोड़ी दोनो की बात ही सुन लेते है ..
लिंग: भाभी से धोखा ???? चूतिए भाभी तुझे देने वाली थोड़ी है जो उससे धोखा हो जाएगा
दिल : अरे हवस इंसान को बर्बाद कर देता है , कल साले तेरे चक्कर मे भाभी मुझसे नाराज़ हो गयी है
लिंग: अच्छा और तू जब उसे देखकर धड़कता है तब क्या , तू अपना काम कर और मुझे अपना काम करने दे , ऐसा माल है साली देख तो सही और कितनी गीली है … मैं तो सोच सोच कर ही बेताब हो जाता हू की जब मैं इसके अंदर जाउन्गा तो कितना मज़ा आयगा … आ हा :हाइपर: :व्हाप्पी:
दिल : अबे कमीने मामी है ये तेरी शर्म कर और उम्र देख इसकी और तेरी … तू इसके सामने बच्चा लग रहा है
लिंग: भोसड़ी वाले चुड सबकी एक सी ही होती है समझ गया
दिल : अच्छा तुझे बड़ा पता है … कितनो के अंदर गया है तू आज तक :
(जैसे लिंग का तो दिमाग़ ही खराब हो गया हो )
लिंग: मादरचोद तेरे कारण नही जा पाता कही , वरना आज तक ना जाने कितनी गुफाओ मे उल्टी करके आ गया होता
दिल : अबे मैं प्यार करता हू और प्रेम मे जो मज़ा है वो कही नही है … ना जाने कितने कवि है जिन्होने मेरे बारे मे शायरी की है , कहानिया लिखी है सब मेरी ही बाते करते है ..:)
लिंग:: : साले वो सब इसलिए क्योकि मैं खड़ा हो जाता हू , सभी दिल दिल बोलकर आख़िर मे चने पर ही आ जाते है ..:
Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
सुना नही है क्या की प्यार मुहब्बत धोखा है और पटक के चोदने मौका है :
और अगर कवि शायरो को तुझसे इतना ही प्रेम है तो साले सेक्स क्यो करते है … और मुझे हिलाते क्यो है
(लिंग की बात से दिल बुरी तरह से झल्ला गया )
दिल :अरे तू क्या जाने की प्रेम क्या है .. तेरे रगड़ने से तो बस कुछ देर का मज़ा ही मिलता है , लेकिन दिल लगाने से…
लिंग: जीवन भर की सज़ा
दिल : साले मेरे नही तेरे कारण लोग परेशान रहते है , तू उन्हे ग़लत कम करवा देता है जिससे जीवन भर दुख मे रखना पड़ता है , तेरे कारण कई लोगो को अपनी नौकरानी और रंडियो से शादी करनी पड़ गई :
“अबे चूतिए कहाँ गुम हो गया तू “
रानी की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी और लिंग और दिल की बातों से मैं बाहर निकल आया ..
“वो वो …”
अपने ही दिमाग़ के दो हिस्सो की बात सुनकर मेरे चेहरे मे एक मुस्कान आ गयी थी ..
“क्या मुस्कुरा रहा है , इतनी हॉट माल तेरे सामने है और तू खड़ा खड़ा हंस रहा है “
रानी ने आश्चर्य से मुझे देखा ..
“आज नही मामी फिर कभी “
मैं मुस्कुराते हुए उठा और बाहर निकल गया, वही रानी मुझे आँखे फाडे हुए देखते रह गयी ………
और अगर कवि शायरो को तुझसे इतना ही प्रेम है तो साले सेक्स क्यो करते है … और मुझे हिलाते क्यो है
(लिंग की बात से दिल बुरी तरह से झल्ला गया )
दिल :अरे तू क्या जाने की प्रेम क्या है .. तेरे रगड़ने से तो बस कुछ देर का मज़ा ही मिलता है , लेकिन दिल लगाने से…
लिंग: जीवन भर की सज़ा
दिल : साले मेरे नही तेरे कारण लोग परेशान रहते है , तू उन्हे ग़लत कम करवा देता है जिससे जीवन भर दुख मे रखना पड़ता है , तेरे कारण कई लोगो को अपनी नौकरानी और रंडियो से शादी करनी पड़ गई :
“अबे चूतिए कहाँ गुम हो गया तू “
रानी की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी और लिंग और दिल की बातों से मैं बाहर निकल आया ..
“वो वो …”
अपने ही दिमाग़ के दो हिस्सो की बात सुनकर मेरे चेहरे मे एक मुस्कान आ गयी थी ..
“क्या मुस्कुरा रहा है , इतनी हॉट माल तेरे सामने है और तू खड़ा खड़ा हंस रहा है “
रानी ने आश्चर्य से मुझे देखा ..
“आज नही मामी फिर कभी “
मैं मुस्कुराते हुए उठा और बाहर निकल गया, वही रानी मुझे आँखे फाडे हुए देखते रह गयी ………
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ
अपडेट 27
“तुम चाहते क्या हो सोनू “
भाभी कमरे मे आते ही बोल उठी
“मतलब …मैं .. मैं आपसे कल के लिए माफी माँगना चाहता हू भाभी “
“माफी …. तुमने क्या ग़लत किया जिसके लिए मुझसे माफी माँग रहे हो , ग़लती तुम्हारी नही बल्कि उस नशे की थी जिसमे तुम थे …और तुमने रानी को क्यो मना किया ??”
जैसा मुझे लगा ही था ये सब भाभी का ही कारनामा था , भाभी ने ही रानी को ये सब करने को कहा हुआ था ..
मैं कुछ भी नही बोला
“एक तरफ़ तुम्हे जिस्म की आश् है और दूसरी तरह तुम मिलते हुए जिस्म को भी ठुकुरा देते हो”
उनकी आवाज़ मे कुछ अजीब सी बात थी
“जिस्म नही भाभी मुझे बस प्यार चाहिए “
“प्यार ???” भाभी के होठों मे एक व्यंगात्मक सी मुस्कान खिल गयी
“कल जो तुमने किया वो प्यार था ??”उन्होने उसी मुस्कान के साथ कहा
“आप ने ही तो कहा की कल जो मैने किया वो सब नशे के कारण था “
“हा लेकिन नशे मे इंसान के भीतर का सच बाहर आ जाता है … और मैं ये नही बोल रही हू की ये ग़लत है … तुम्हारी उम्र ऐसी है की तुम्हे किसी महिला के जिस्म की ज़रूरत है …और इस उम्र मे किसी के प्रति आकर्षण का हो जाना एक स्वाभाभिक सी बात है…”
भाभी इतना बोल कर चुप हो गयी थी , समझ नही आ रहा था की आख़िर वो बोलना क्या चाह रही थी, एक तरफ़ तो वो मुझे खुद से दूर रखना चाहती थी फिर ये भी कहती थी की ये सब ग़लत नही है तो वो बोलना क्या चाहती है … ये सब सही है लेकिन उनके साथ नही …और एक मैं हू जो सब बस उनके साथ ही करना चाहता हू ..
मैने सुस के प्रपोज़ल को ठुकरा दिया था और अब रानी के खुल्लमखुल्ला दिए गये निमंत्रण को भी ठुकुरा दिया ..
“भाभी मैं तो बस एक से ही आकर्षित हू “
ये बोलते हुए पता नही क्यो मेरी आँखो मे आँसू आने लगे थे , गला भारी होने लगा और मेरी नजरे भी झुक गयी … मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई बेहद ही ग़लत बात बोल दी हो..
भाभी की नज़र मेरे चेहरे पर ही जम सी गयी थी ..
मैं चुप हो चुका था और भाभी भी कुछ नही बोल रही थी , आख़िर मैने नजरे उठाई , भाभी मुझे प्यार से देख रही थी
“तू जो चाहता है वो नही हो सकता ये जानते हुए भी क्यो तू खुद को धोखा दे रहा है …मैं तुझे नही मिल सकती “
“भाभी मुझे आपको पाना भी नही है मुझे बस आपके सिवा दूसरा कोई पसंद ही नही आता… आप ही बताओ की मैं क्या करू ..”
भाभी अपना सर पकड़कर बैठ गयी थी
वो बहुत देर तक कुछ सोचती रही ..
फिर अचानक से उठ खड़ी हो गयी
“और अगर मैं तुझे मिल जाऊ तो …”
मैं कुछ ना समझने वाली स्तिति मे था मुझे नही पता की भाभी आख़िर बोल क्या रही थी ..
“मतलब???”
“मतलब अगर हम दोनो वो कर ले जो की पति पत्नी या प्रेमी एक दूसरे के साथ करते है तो ..??”
अब मैं क्या बोलता उनकी बात को मैं समझ तो गया था लेकिन मैं रियेक्शन क्या दूं मुझे समझ भी नही आ रहा था , मेरे दिल मे लड्डू फुट रहे थे लेकिन मेरी आँखे भी तो गीली हो रही थी … मुझे लग रहा था की भाभी ये सब मजबूरी मे कर रही थी वही दूसरी ओर दिल मे एक नयी तरंग भी फुट रही थी , शायद मेरे मन की गहराई मे ये इच्छा बलवती होते जा रही थी की मैं भाभी को अपना बना लू..
जी हा अपना बना लू जिस्म के लेवाले मे भी अपना बना लू …
हमारे जिस्म का मिलन हो जाए … हमारी आत्मा का मिलन हो जाए ..
लेकिन आख़िरकार ये सभी कुछ सिर्फ़ बोलने की बाते ही थी आख़िर मुझे महसूस हुआ की मैं जिस्म मे होने वाली एक संवेदना जो की शायद मेरे लिंग मे होगी और मुझे थोड़ी देर के लिए सुख देगी उसके लिए अपने भाभी के सम्मान से खेल रहा हू , जिस्म का मिलना और आत्मा का मिलना बस एक बहाना ही था … आख़िर करना तो सेक्स ही था ..
सेक्स और वो भी अपनी भाभी के साथ .. अपनी भाभी मा के साथ … नही नही क्या ये पाप है ..???
मेरे मन मे चल रहे विचार मेरे चेहरे मे स्पष्ट दिखाई देने लगे थे ..
भाभी ने अपना सर ना मे हिलाया जैसे कह रही हो की ये नही सुधरेगा ..
“तुझे खुद भी पता है की तू क्या चाहता है ??”
भाभी की आवाज़ मे अब थोड़ा गुस्सा भी आ गया था ..
“भाभी मैं आपके सम्मान से नही खेलना चाहता “
उन्होने एक गहरी सांस ली ..
“तुझे मेरे सम्मान की भी फ़िक्र है लेकिन फिर भी तू नशे मे मेरी इज़्ज़त के चिथड़े उतारने से भी पीछे नही रहता .. तुझे मैं भी चाहिए लेकिन तुझे जिस्म के मिलन से भी परहेज है ..
जब मैं सामने से तुझे ऑफर दे रही हू तो भी तुझे दिक्कत है ..
क्या तुझे अपनी भाभी का बलात्कार करके ही मज़ा आएगा “
कहते कहते भाभी का गला ही भर गया था , अजीब सी दुविधा थी , कमरे की हवा मे एक अजीब सी खामोशी घुलने लगी थी ..
“तुम चाहते क्या हो सोनू “
भाभी कमरे मे आते ही बोल उठी
“मतलब …मैं .. मैं आपसे कल के लिए माफी माँगना चाहता हू भाभी “
“माफी …. तुमने क्या ग़लत किया जिसके लिए मुझसे माफी माँग रहे हो , ग़लती तुम्हारी नही बल्कि उस नशे की थी जिसमे तुम थे …और तुमने रानी को क्यो मना किया ??”
जैसा मुझे लगा ही था ये सब भाभी का ही कारनामा था , भाभी ने ही रानी को ये सब करने को कहा हुआ था ..
मैं कुछ भी नही बोला
“एक तरफ़ तुम्हे जिस्म की आश् है और दूसरी तरह तुम मिलते हुए जिस्म को भी ठुकुरा देते हो”
उनकी आवाज़ मे कुछ अजीब सी बात थी
“जिस्म नही भाभी मुझे बस प्यार चाहिए “
“प्यार ???” भाभी के होठों मे एक व्यंगात्मक सी मुस्कान खिल गयी
“कल जो तुमने किया वो प्यार था ??”उन्होने उसी मुस्कान के साथ कहा
“आप ने ही तो कहा की कल जो मैने किया वो सब नशे के कारण था “
“हा लेकिन नशे मे इंसान के भीतर का सच बाहर आ जाता है … और मैं ये नही बोल रही हू की ये ग़लत है … तुम्हारी उम्र ऐसी है की तुम्हे किसी महिला के जिस्म की ज़रूरत है …और इस उम्र मे किसी के प्रति आकर्षण का हो जाना एक स्वाभाभिक सी बात है…”
भाभी इतना बोल कर चुप हो गयी थी , समझ नही आ रहा था की आख़िर वो बोलना क्या चाह रही थी, एक तरफ़ तो वो मुझे खुद से दूर रखना चाहती थी फिर ये भी कहती थी की ये सब ग़लत नही है तो वो बोलना क्या चाहती है … ये सब सही है लेकिन उनके साथ नही …और एक मैं हू जो सब बस उनके साथ ही करना चाहता हू ..
मैने सुस के प्रपोज़ल को ठुकरा दिया था और अब रानी के खुल्लमखुल्ला दिए गये निमंत्रण को भी ठुकुरा दिया ..
“भाभी मैं तो बस एक से ही आकर्षित हू “
ये बोलते हुए पता नही क्यो मेरी आँखो मे आँसू आने लगे थे , गला भारी होने लगा और मेरी नजरे भी झुक गयी … मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई बेहद ही ग़लत बात बोल दी हो..
भाभी की नज़र मेरे चेहरे पर ही जम सी गयी थी ..
मैं चुप हो चुका था और भाभी भी कुछ नही बोल रही थी , आख़िर मैने नजरे उठाई , भाभी मुझे प्यार से देख रही थी
“तू जो चाहता है वो नही हो सकता ये जानते हुए भी क्यो तू खुद को धोखा दे रहा है …मैं तुझे नही मिल सकती “
“भाभी मुझे आपको पाना भी नही है मुझे बस आपके सिवा दूसरा कोई पसंद ही नही आता… आप ही बताओ की मैं क्या करू ..”
भाभी अपना सर पकड़कर बैठ गयी थी
वो बहुत देर तक कुछ सोचती रही ..
फिर अचानक से उठ खड़ी हो गयी
“और अगर मैं तुझे मिल जाऊ तो …”
मैं कुछ ना समझने वाली स्तिति मे था मुझे नही पता की भाभी आख़िर बोल क्या रही थी ..
“मतलब???”
“मतलब अगर हम दोनो वो कर ले जो की पति पत्नी या प्रेमी एक दूसरे के साथ करते है तो ..??”
अब मैं क्या बोलता उनकी बात को मैं समझ तो गया था लेकिन मैं रियेक्शन क्या दूं मुझे समझ भी नही आ रहा था , मेरे दिल मे लड्डू फुट रहे थे लेकिन मेरी आँखे भी तो गीली हो रही थी … मुझे लग रहा था की भाभी ये सब मजबूरी मे कर रही थी वही दूसरी ओर दिल मे एक नयी तरंग भी फुट रही थी , शायद मेरे मन की गहराई मे ये इच्छा बलवती होते जा रही थी की मैं भाभी को अपना बना लू..
जी हा अपना बना लू जिस्म के लेवाले मे भी अपना बना लू …
हमारे जिस्म का मिलन हो जाए … हमारी आत्मा का मिलन हो जाए ..
लेकिन आख़िरकार ये सभी कुछ सिर्फ़ बोलने की बाते ही थी आख़िर मुझे महसूस हुआ की मैं जिस्म मे होने वाली एक संवेदना जो की शायद मेरे लिंग मे होगी और मुझे थोड़ी देर के लिए सुख देगी उसके लिए अपने भाभी के सम्मान से खेल रहा हू , जिस्म का मिलना और आत्मा का मिलना बस एक बहाना ही था … आख़िर करना तो सेक्स ही था ..
सेक्स और वो भी अपनी भाभी के साथ .. अपनी भाभी मा के साथ … नही नही क्या ये पाप है ..???
मेरे मन मे चल रहे विचार मेरे चेहरे मे स्पष्ट दिखाई देने लगे थे ..
भाभी ने अपना सर ना मे हिलाया जैसे कह रही हो की ये नही सुधरेगा ..
“तुझे खुद भी पता है की तू क्या चाहता है ??”
भाभी की आवाज़ मे अब थोड़ा गुस्सा भी आ गया था ..
“भाभी मैं आपके सम्मान से नही खेलना चाहता “
उन्होने एक गहरी सांस ली ..
“तुझे मेरे सम्मान की भी फ़िक्र है लेकिन फिर भी तू नशे मे मेरी इज़्ज़त के चिथड़े उतारने से भी पीछे नही रहता .. तुझे मैं भी चाहिए लेकिन तुझे जिस्म के मिलन से भी परहेज है ..
जब मैं सामने से तुझे ऑफर दे रही हू तो भी तुझे दिक्कत है ..
क्या तुझे अपनी भाभी का बलात्कार करके ही मज़ा आएगा “
कहते कहते भाभी का गला ही भर गया था , अजीब सी दुविधा थी , कमरे की हवा मे एक अजीब सी खामोशी घुलने लगी थी ..
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