Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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Masoom
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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“हा जब से तुम लोग गाँव छोड़कर गये तब से वो भी तुम्हे ढूंढते हुए शहर चली गयी , क्योकि उसे ये अंदाज़ा लग गया था की तुम्हारे चेहरे के कारण तुम फँस सकती हो .. कुछ दिनों तक वो मेरे पास ही थी ..”

“व्हाट…”

हम सभी के मूह से फिर से निकला

“अब इसमे इतना चौकाने वाली क्या बात है , क्या तुम लोगो को नही पता की उसे तिवारी और जीवा से छुपाकर इस गाँव मे बसाने वाला मैं ही था “

हम सब एक दूसरे का चेहरा देखने लगे थे

“वो जब शहर आई तो पहले मेरे पास ही रुकी थी , हम तुम्हे ढूँढ ही रहे थे की पांडे का मर्डर हो गया , इसी बीच मुझे भी इधर आना हो गया .. हमे ये तो पता चल गया की तुम लोग संपत के हवेली मे हो .. शक्ति सामने नही आना चाहती थी इसलिए वो तुमसे नही मिली .. और मुझे इसी दौरान एक काम के सिलसिले मे यहाँ आना पड़ गया तब से मैं यही हू ..”

“तो मा कहा है ??”

भाभी लगभग चिल्ला पड़ी

“शहर मे मेरे घर मे ही रह रही थी लेकिन मेरे आने के बाद से उसका कोई पता नही है , उसने तुम्हारे पिता को वापस भेज दिया वो अभी इसी आश्रम है , थोड़ी देर मे आता होगा … लेकिन तुम्हारी मा वही रुक गयी “

“क्या.. पिता जी ऐसा कैसे कर सकते है , उन्होने मा को अकेले कैसे छोड़ दिया “

भाभी मानो आग बाबूला हो गयी थी , उन्हे इतने गुस्से मे मैने कभी नही देखा था ..

उनकी बात सुनकर डॉक्टर मुस्कुरा उठे

“बाबू वो शक्ति है, उसकी चिंता तुम छोड़ ही दो .. और उसके सामने तो बड़े बड़े गॅंग्स्टर्स की नही चली तुम्हारे पिता तो बेचारे भोले भाले से इंसान है … उसने कह दिया तो बेचारे को वापस आना ही पड़ा ..”

डॉक्टर की बात सुनकर भाभी भी शांत हो गयी थी , इतने दिनों मे उन्हे ये तो पता चल ही गया था की उनकी मा आख़िर चीज़ क्या है ..

“तो क्या वो दो खून ..”

मेरे मन मे अचानक से एक शंका जागी

“कुछ भी कह नही सकते .. “

डॉक्टर ने भी सफाई दे दी

“लेकिन काजल ने इस बारे मे हमे क्यो नही बताया ..”

मुझे काजल पर गुस्सा आ रहा था ..

“अब उसे खुद पता हो तब वो बताएगी , और मुझे क्या पता था की वो इस केस मे फँस जाएगी , और मैं भी तो इतने दिनों से यहा ही हू , सब से दूर … काजल और मेरी इस बारे मे बात ही नही हुई … चलो तुम लोग तक गये होगे तुम लोग आराम करो और जब तक कोमल का पता नही चल जाता यही रहो क्योकि बाहर तिवारी और जीवा के लोग भी तुम्हे ढूंड रहे होंगे .. और सबसे पहले वो इस गाँव मे भी चक्कर काट लेंगे .. मैं कोमल को ढूँढने के लिए अपने लोगो को लगा देता हू , तुम्हारा नाम सुनते ही वो यहाँ चली आएगी उसे पता है की मैं कहा हू “

“लेकिन आख़िर मा शहर गयी ही क्यो सब मेरी ग़लती है “

भाभी अपना सर पकड़कर रो रही थी

“आरती तुम्हारी मा बहुत ही चालाक महिला है , उसकी शक्ति और बुद्धि की लोग मिशाले दिया करते थे .. जब तुम दोनो गाँव से भागे तो उसने तुरंत ही पता कर लिया की आख़िर तुम गये कहा हो और किसके हाथ लग गये , वो ये भी जानती थी की जीवा पहले तुमसे तुम्हारे गाँव का पता निकलवाएगा फिर अपने आदमियो की कोमल को पकड़ने के लिए भेजेगा , इसलिए वो भी तुरंत ही गाँव छोड़कर चली गयी .. और ऐसा हुआ भी जीवा से तुम लोगो के मिलने के दूसरे दिन ही कोमल की पता करने वाले आने लगे थे , कॉलेज के बाहर ही एक नयी दुकान भी खुल गयी , जो हर हरकत पर नज़र बनाए हुए है , अब तुम समझ सकते हो की तुम लोगो का यहाँ आना भी उन्हे पता चल गया होगा , और शायद यहाँ रुकना भी तो तुम्हे झूठ मूठ ही सही लेकिन फिर से गाँव मे जाकर एक गेम खेलना होगा ताकि तुमपर नज़र बनाए रखने वाले गुमराह हो सके …लेकिन वो सब कल ही करना .. ऐसे भी यहाँ शहर से जो लोग आते है एक दिन रुककर ही जाते है “
डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा ..
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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कोमल शहर मे थी , जिसके लिए हम यहाँ आए थे वो ही गायब थी , क्या वही शिवा बनकर कतल कर रही थी ???????

मैने अभी तक जितनी भी चीज़े देखी थी मुझे लगने लगा था की कुच्छ भी हो सकता है , मुझे तो अब सब पर ही शक होता रहता था ,,

डॉक्टर चूतिया के आश्रम मे बैठे बैठे मैं बोर हो रहा था , हम लोगो के पास कोई भी काम भी तो नही था , तभी मेरे दिमाग़ मे एक विचार कौंध गया ..

मैने अपना चेहरा ढक लिया और कही निकल गया, शाम का वक़्त था ..

मैं सबकी नज़रो से बचता हुआ अपने गाँव पहुच चुका था..

अपने घर के बाहर , ये वही घर था जिसमे मैने अपना बचपन बिताया था , जिसमे मा बाप का प्यार मिला और फिर भाई से दुड़कार भी ,

यही वो घर था जहाँ से मुझे और मेरी भाभी को बेइज्जत करके निकाल दिया गया था ..

मैं कुच्छ देर तक वही खड़ा रहा , सारे दृश्य जैसे मेरे आँखो मे आ गये थे , जैसे कोई फिल्म चल रही हो ,मेरे आँखो मे आँसू आ गये थे..

मैने वहाँ से पलटा और फिर किसी गंतव्य स्थान की ओर चल दिया ..
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
“कौन है ..??”

“मैं मुंबई से आया हू , अनुराग साहब को आपका काम इतना पसंद आया की आपको तुरंत ही मुंबई बुलाए है ..”

“क्या??”

हरिया जैसे खुद पड़ा था , मेरा चेहरा बँधा था मैं मेरे बचपन के दोस्त हरिया के घर के बाहर खड़ा था , इन दिनों मे मेरा शरीर भी बहुत कुच्छ बदल गया था और आवाज़ मैने खुद थोड़ी सी बदल ली थी ..

मुझे पता था की हरिया अनुराग कश्यप की फ़िल्मो का बहुत बड़ा वाला पंखा था , और जैसे एक कीड़ा सबके दिलो मे पलता है वैसा ही उसके दिल मे भी पल रहा था फेमस होने का , वो भी हीरो बनकर ..

वो मुझे हमेशा कहता था की हम जैसे देहाती लोगो को अगर कोई चान्स दे सकता है तो वो है अनुराग कश्यप ..

मुझे लगा ही था की ये साला ज़रूर ट्राइ कर रहा होगा ..

“अनुराग भैया हमको बुलाए है ??”

हरिया जैसे बौरा ही गया था ..

“अरे बिल्कुल अपने ही गाँव घर के आदमी हो तुमका देखे तो बोले की अगली फिल्मवा मे हमरा हीरो यही होगा , हरिया ..”

हरिया का शरीर जैसे कपाने लगा था ..

“अरे भैया आप तनिक अंदर आओ हो .. थोड़ा बैठो “

मैं अभी अंदर नही आना चाहता था ..

मुझे हरिया को ऐसे देखकर बहुत ही मज़ा आ रहा था .. असल मे मैं तो उसे जोरो से गले से लगाना चाह रहा था लेकिन क्या करे जब कोई खेल शुरू हो गया हो तो फिर उसे अंजाम तक भी तो पहुचना पड़ता है ..

“अरे हरिया भैया आपके वो दोस्त कहा है सोहन ..”

हरिया अचानक से मेरी ओर देखने लगा

“क्यो भैया ??”

“अरे साइड आक्टर की भी ज़रूरत पड़ती है ना , और आपके फ़ेसबुक मे अपने उसके साथ फोटो डाली थी ..”

जैसे हरिया को सब समझ आ गया हो

“अरे हा हा , चलो तो उससे भी मिल आते है “

हम दोनो सोहन के घर की ओर निकल गये , ये साले कैसे लोग थे दिमाग़ के नाम पर कुच्छ चलते ही नही , किसी की भी बात पर यकीन कर लेते है , भोले थे लेकिन दिल के बिल्कुल ही सॉफ कोई कड़वाहट नही कोई दाग नही ..

बस प्रेम से भरे हुए लोग थे ..
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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(^%$^-1rs((7)
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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हम दोनो सोहन के घर की ओर निकल गये , ये साले कैसे लोग थे दिमाग़ के नाम पर कुच्छ चलते ही नही , किसी की भी बात पर यकीन कर लेते है , भोले थे लेकिन दिल के बिल्कुल ही सॉफ कोई कड़वाहट नही कोई दाग नही ..

बस प्रेम से भरे हुए लोग थे ..

मेरे सामने सोहन खड़ा हुआ था , सोहन , हरिया की तरह बावला नही था उसे थोड़ी समझ थी ..

“ये कौन है “

“अबे मुंबई से आए है”

हरिया ने पूरी कहानी बताई , रात हो चुकी थी और कहानी सुन कर सोहन के भाव चढ़ गये , उसने मुझे बहुत ही संदेह की निगाहो से देखा ..

“आप अपना चेहरा क्यो छुपाए हुए है “

मेरे सामने मेरे दोस्त खड़े थे , और मैं उन्हे सीने से लगाना चाहता था उन्हे एक साथ देखकर मेरे आँखो मे आँसू आ गये जो सोहन से नही छुप पाया था ..

उसने बस मेरे आँखो मे देखा ..

“साले सोनू..”

उसने थोड़ा उच्छा बोला लेकिन मेरा इशारा मिलते ही वो चुप हो गया और सीधे मेरे सीने से आ लगा ,

हरिया थोड़ा हड़बड़ाया हुआ हमे देख रहा था लेकिन जैसे ही उसे समझ आया की ये क्या हो रहा है वो भी खुशी मे कूद पड़ा था ..

हम तीनो खेत मे बैठकर दारू पी रहे थे , जी हा मेरे दोस्त मेरे आने की खुशी मे कही से देसी दारू और देसी मुर्गे का इंतज़ाम कर लाए थे, ये सोहन की सब्जी की बड़ी थी..

“भाई जब से तू गया है ना वो मज़ा नही आता बे “

हरिया अभी भी एमोशनल हो रहा था ..

“और बता शहर कैसा है , साले तू तो चमक ही गया बे , बिल्कुल ही पहचान नही आ रहा , बिल्कुल ही साहब लग रहा है ,मादरचोद ये घड़ी तो देख ..”

“बस भाई वहाँ कुच्छ अच्छे दोस्त मिल गये , सालो तुम्हारी बहुत याद आती थी बे , और गाँव की भी … यार भैया और उस रांड़ के क्या हाल चाल मन करता है साले को घर से निकाल कर मारु , लेकिन अभी किसी के सामने आने मे ख़तरा है ..”

“कैसा ख़तरा बे , ऐसे भी तेरा भाई कब ऐसा नही रह गया की तेरा कुच्छ उखाड़ भी पाए , वो तो खुद ही भिखारी हो गया है ..”

“क्या ..??”

“हा वो साली सच मे बहुत बड़ी रांड़ है भाई , पहले तेरे भाई को फँसा कर भाभी और तुझे निकलवा दी , फिर खुद सारा जायदाद अपने नाम करवा लिया और अब तेरे भाई को भी घर से धक्का मार कर निकलवा दिया ..”

“क्या..?”

ये मेरे लिए एक नया बॉम्ब था

“अरे हा तेरा भाई साला भिखारी जैसे चौराहे पर पड़ा रहता है , शायद उसके पाप की यही सज़ा दी है भगवान ने उसे , और जिसके लिए उसने हमारी भाभी को घर से निकाला था अब वो अपने यारो के साथ मिलकर घर मे बस ऐयाशी करती है, सालो ने पूरे गाँव का ही महॉल खराब कर रखा है “

भैया के बारे मे जानकर पता नही क्यो मुझे थोड़ा दुख हुआ , आख़िर मेरा भाई था ..

लेकिन फिर जब मेरे सामने वो रात की बात आई जब उसने भाभी और मुझे घर से निकाल दिया था , हमारे रिश्ते को बदनाम किया था .. ये सोचकर ही फिर से उसके लिए दिल मे बस गुस्सा और घृणा ही पैदा हुई ..

“अबे उस चूतिए को लेकर अपना मूड मत खराब कर , उसे जो सज़ा मिलनी चाहिए थी वो तो कुदरत ने ही उसे दे दी , तू सुना साले क्या कर रहा है शहर मे जो ऐसा चमक रहा है , और इन दिनों मे साले किसी की ली या अभी भी वही कुवरा छोरा है ..बॉडी वोडी तो सॉलिड बना लिया बे “

उनकी बात सुनकर मेरे होंठो मे मुस्कान आ गयी ..

मैने उन्हे बताया की कैसे मैं शहर पहुचा और कैसे कलवा से मुलाकर हुई , कैसे पांडे को मारा और संपत से जा मिला , कैसे कॉलेज गया और दोस्त बने फिर कैसे फिर से मर्डर हुए और मेरा नाम यूज किया गया , फिर सुस जो मेरी फ्रेंड वित बेनेफिट बनी , रानी की मैने ली और उनकी भाभी नेहा के बारे मे बताया … और फिर पार्टी और भाभी और कोमल के बारे मे ..

वो कभी हँसे तो कभी आश्चर्य से उनका मूह ही खुला गया, कभी उन्हे यकीन ही नही आया की मैं सच बोल रहा हू लेकिन खबर तो उन्होने भी पढ़ी या सुनी थी …

“बाप रे भाई , यहाँ से तो तू अच्छा भला निकला था बे , इतने कांड कर डाले .. “

सोहन को यकीन ही नही हो रहा था की उसका वो भोला भला दोस्त जो उसके सलाह के बिना कुच्छ भी नही करता था ऐसा सयाना कैसे बन गया ..:)

“अरे वो सब छोड़ साले भाभी से कब मिला रहा है “

हरिया उच्छल उठा

“भाई अभी वो अपनी मा के कारण थोड़ा परेशान है “

“अबे हम हमारी भाभी की बात कर रहे है “

मैने उसे अजीब निगाहो से देखा

“मैं तो तेरी ही भाभी की बात कर रहा हू “

“अबे नही मैं शहर वाली भाभी की बात कर रहा हू “

“अबे गान्डु मैं भी शहर वाली भाभी की ही बात कर रहा हू “

“अबे चूतिए मैं भाभी की बात कर रहा हू भाभी की नही “

हरिया की बात सुनकर सोहन जोरो से हंस पड़ा

“अबे चूतिए साफ साफ बोल ना की तू आरती भाभी की बात कर रहा है या नेहा भाभी की ??”

“मैं नेहा भाभी की बात कर रहा था “ हरिया ने च्चिदते हुए कहा

“साले गान्डु मैं भी उसी के बारे मे ही बता रहा था ..”

मैने अपना सर पकड़ लिया और सभी जोरो से हंस पड़े ..

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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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हम एक गाड़ी मे 3 लोग आश्रम की ओर जा रहे थे , जैसा हम अक्सर घुमा करते थे , दारू अच्छी ख़ासी चढ़ि हुई थी ,इतने दिनों बाद दोस्तो से मिलने की वजह से हमने बहुत मस्ती की

ना जाने कितनी बाते उनसे करनी थी , रात के 3 बज चुके थे , मैने उन्हे बहुत मना किया लेकिन वो मुझे आश्रम तक छोड़ने पर तुले हुए थे , हम चौराहे से गुजर रहे थे तभी मेरी नज़र एक भिखारी पर पड़ी ..

सोहन नशे मे था और गाड़ी ले जाकर उसके सामने रोक दिया , भिखारी जैसे हड़बड़ाते हुए उठ बैठा ,

ऐसा लग रहा था जैसे कई दिनों से नहाया नही है ना ही ढंग से खाना ही मिला है , कपड़े के नाम पर शरीर मे बस चिथड़े थे , शरीर डर से कांप रहा था …

उसने तुरंत ही हमारे सामने हाथ जोड़ लिया ..

“नही मुझे मत मारना मुझे माफ़ कर दो , तुम उसके साथ कुच्छ भी करो मैं कुच्छ नही बोलूँगा .. “

“ये क्या बोल रहा है “

“उस रांड़ चंचल को इसने एक दिन अपने आशिक़ो के साथ नंगे पकड़ लिया था , इसने गुस्से मे आकर उसपर हाथ छोड़ दिया सोचा होगा की ये भी भोली भाली आरती भाभी की तरह मार खा जाएगी और इस बार तो उसकी ग़लती साफ साफ सामने थी .. सभी ने इसे कमरे मे बंद करके इतना मारा था की थोड़ा हिल गया .. 10 दिन तक एक कमरे मे बंद रखा था , रोज कुत्तों की तरह इसे मारते थे खाने को खुच्छ देते नही थे , सुना है की वो इसके मूह मे मुतती थी ..

फिर इसे घर से बाहर फेक दिया , गाँव वाले दया करके खाने के लिए दे देते है , लेकिन तब से ये थोड़ा पागल जैसा हो गया है .. कोई भी हल्के से भी धमका दे तो डर जाता है , रात रात भर रोता रहता है .. शायद अपने गुनाहो की माफी माँगता है ..”

ये मेरा भाई था , मैने उसकी आँखो मे देखा , वो ना तो मेरे दोस्तो को पहचान रहा था ना ही मुझे, वो ऐसे डरा हुआ था जैसे कोई उसकी जान लेने वाला है ..

वो डर से काँप रहा था , ये सज़ा थी , ये सज़ा थी जो कुदरत ने उसे दी थी ..

ये उसके पापो की सज़ा थी , इस नशे की हालत मे भी मेरे आँखो मे पानी सा आ गया था , ये खुशी था या की गम …

खुदा की मेहर ही थी की उसने इसे इसके पापो की सज़ा दे दी , लेकिन इसके इस अवस्था को देखकर भी तो दिल मे एक दर्द सा हो रहा था ..

मैने जेब से कुच्छ पैसे निकाले और उसके ऊपर फेक दिए ..

“इन्ही कागज के कुच्छ टुकड़ो के कारण तूने मेरी भाभी की पवित्रता पर शक़ किया था , हमारे संबंधो की प्रेम को बदनाम किया , तेरे कारण देख आज हम क्या से क्या हो गये है , कितने दर्द झेले , एक सामान्य सी जिंदगी थी हमारी लेकिन तूने.. तूने सब बर्बाद कर दिया.. किसके कारण .. किस चीज़ की वासना थी तुझे.. जिस्म की ?? दौलत की ?? देख .. देख की आज तेरे पास क्या है .. जिस्म का सुख.. नही , तू बीमार है , तका हुआ है विक्षिप्त होकर घूम रहा है , खाने के लिए भी तुझे भीख माँगनी पड़ रही है … और दौलत .. (मैं जोरो से हंस पड़ा था , लेकिन फिर भी मेरे आँखो मे पानी था ) दौलत … तूने मुझे इसीलिए फसाया था ना ताकि दौलत को हड़प सके … जो कुआ तूने हमारे लिए खोदा था उसमे तू खुद ही गिर गया रे .. ये ले पकड़ खा इसे … “

मैने अपने हाथो मे पकड़ा हुआ चिकन का टुकड़ा उसके सामने फेक दिया .. वो बड़ी ही लालच के साथ उसे देख रहा था ..

“सोनू जाने दे उसे कुच्छ समझ नही आएगा “ सोहन ने मुझे खींच लिया ..

मैं जैसे ही पीछे हटा उसने वो चिकन का टुकड़ा उठा लिया वो उसे ऐसे खा रहा था जैसे कोई कुत्ता रोटी को ख़ाता है ..

अपने भाई की ये हालत देख कर मान मे एक दुख तो हुआ लेकिन फिर उसकी करनी को याद करके मैं वहाँ से हट गया लेकिन जाते जाते मैने अपने मोबाइल से उसका वीडियो बना लिया ……
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