बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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नेहा- एक रूपये भी है क्या जेब में?

राज- तू किसलिए है। तू मेरी गर्लफ्रेंड है ना... तू ही पैसे दे दे।

नेहा चुप रहती है। राज कार चलता हुआ रोड साइड फर एक चाटवाले के पास रोकता है।
नेहा कार इधर रुकी हुई देखकर- “यहां क्यों कार रोकी?"

राज- चल चाट खाते हैं मेरी जान।

नेहा- मुझे नहीं खानी समझे तुम।

राज- ऐसा क्यों बोल रही है? कुछ तो रहम कर अपने इस डे बायफ्रेंड पर मेरी जान।

नेहा- मुझे नहीं खानी।

राज- एक बार मेहरबानी कर दे, सिर्फ एक बार।

नेहा मन में- "इतना बोल रहा है कमीना। चलकर खा लेती हैं। एक बार खाने में कोई प्रोबलम नहीं हैं। अपने सो काला बायफ्रेंड के साथ..."

इसी के साथ नेहा के चेहरे पर एक शरारती स्माइल फैल जाती है। राज उत्तर चुका था। नेहा भी अब दरवाजा खोलकर उतर जाती है। नेहा की खूबसूरती वहीं खड़े कुछ लो-क्लास लोग देखकर हयान रह जाते हैं। गोरा बदन, खूबसूरत जुल्फे, सब कुछ बस लाजवाब। राज आगे जाता है।

राज- ये चाटवाला दो पानी-पूरी बना।

चाटवाला नेहा को देख रहा था। चाटवाला धीरे से- "साहब कौन है ये?"

राज- मेरी गर्लफ्रेंड है।

चाटवाला ये सुनकर चकित रह जाता है की इतनी खूबसूरत औरत इतने गंदे बूदें की गर्लफ्रेंड। चाटवाला हैरानी से नेहा को देखने लगता हैं। गर्लफ्रेंड वाली बात नेहा ने भी सुनी थी। नेहा को गुस्सा आ रहा था की राज सबसे बोलते फिर रहा था की वो उसकी गर्लफ्रेंड है।

चाटवाला दो पानी-पटी बनाकर देता है। राज और नेहा खाने लगते हैं। नेहा को भी खट्टा अच्छा लगता था। वो भी मजे से खाने लगती है पानी-पी। वो जल्दी से खतम कर देती हैं।

राज- अरे एक और बनाना।

नेहा कुछ नहीं बोलती। चाटवाला बनाकर दे देता है। नेहा फिर से खाने लगती है।

नेहा इस बार राज के नजदीक जाकर- "राज तुम ये क्या कर रहे हो?"

राज- क्या कर रहा हूँ?

नेहा- गर्लफ्रेंड वाली बात तुमने उसको क्यों बताई?

राज- अब तू गर्लफ्रेंड है तो बताई।

नेहा उसको घूरने लगती है। वो साथ में खा भी रही थी। वहीं खड़े लोग नेहा को राज के इतना करीब देखकर हैरान रह जाते हैं। उनकी तो लगा था की राज ड्राइवर ही होगा, और जरर नेहा उसकी मालोकन। लेकिन नेहा को राज के इतना करीब देखकर सब लोग बिलकुल हरान थे। खाने के बाद हा कार की तरफ जाने लगती है।

तभी राज- "जानेमन पैसे दे दे..."

नेहा रुक कर पीछे गुस्से से राज को देखती है। क्योंकी राज ने फिर से उसे लोगों के सामने जानेमन बोला था। नेहा अपने पर्स में से 500 रुपये निकालकर राज को दे देती है। राज उसको अपने गंदे दाँत दिखाते हुए स्माइल करता है। नेहा कार में जाकर बैठ जाती है। राज चाटवाले को अपनी जेब से 50 रुपये देता है, और नेहा को दिए हुए 500 रूपये खुद रख लेता है।

चाटवाला- साहब छुट्टा तो नहीं है। 10 रूपये रह गये।


राज- " रख ले रख ले। मेरी तरफ से टिप समझ... और उसकी तरफ आँख मारता है।

राज फिर कार में जाकर कार दौड़ा देता है। वहीं खड़े लोग सब चकित थे। वहाँ खड़े लोग बातें कर रहे थे।

"यार ये माल उस बटे के हाथ कैसे लगी होगी?"

" हाई यार, साली बड़े घर की लग रही है। लेकिन उस आदमी के साथ कैसे?" ऐसी ही बातें होती हैं।

इधर कार में नेहा- "तुम पागल हो क्या? उधर क्यों बोल रहे थे की मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ कहकर..

राज- जानेमन लोगों को भी पता चलना चाहिए ना की हम दोनों बायफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं।


नेहा उसे घूरते हुए- "देखो तुम हद से ज्यादा बढ़ रहे हो। मैं कोई तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं हूँ समझे?"

राज- मेरी जान तू मान या ना मान... तू है मेरी और सिर्फ मेरी।

नेहा को समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या बोले? क्योंकी ये बूढ़ा उसको अपनी बनाने पर तुला हुआ था। नेहा चुप करके बैठ जाती है।

राज- मेरी जान आगे आकर बैठना।

नेहा- क्या?

राज- बैठ जा... मजा आएगा।

नेहा- किसको?


राज हँसकर- "दोनों को..."

नेहा के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती हैं।

राज कार रोकता है, और कहता हैं- "चल आ जा आगे..."

नेहा- मैं नहीं आने वाली।

राज- अरे आ ना.. कुछ नहीं होता।

नेहा- मुझे पता है कुछ ना कुछ गलत हरकत करोगे तुम।

राज- अब करने के लिए बचा क्या है मेरी बलबल? सब कुछ तो कर लिया तेरे साथ।

नेहा शर्म से लाल हो जाती है, और कहती है- “रहो बदमाश कहीं के...."

राज- आ ना आगे।

नेहा- नहीं।


राज- ठीक है तो फिर कार भी नहीं चलाऊँगा।


नेहा- क्या? कमीले चुपचाप कार चलाओ। मुझे घर पहुँचना है।

राज- तू आगे बैठ फिर मैं चलता है।

नेहा- क्या पागलपन है ये? प्लीज... कार चलाओ।

राज. तू बैठ रही है या नहीं?

नेहा मज़बर थी- "ठीक है.." और नेहा दरवाजा खोलकर बाहर आती हैं फिर आगे आकर बैठ जाती है। बैठते हुए वो एक बार राज को गुस्से में देखती है।

राज- ये हुई ना बात।

नेहा- चुप रहो। देखो राज ये सब ज्यादा हो रहा है।

राज- क्या ज्यादा हो रहा है मेरी जान?

नेहा चुप रह जाती है।

राज अब कार चलाने लगता है। गियर चेंज करते हुए वो नेहा के हाथ से हाथ लगा रहा था। दोनों के हाथ बार बार टच हो रहे थे।

राज. जानेमन, तुझे देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा। एक बार हिला दे ना।

नेहा- क्या? बिल्कुल नहीं। तुम सच में पागल हो। तुमने मुझे समझ क्या रखा है? मत भूलो तुम ड्राइवर हो।

राज- ड्राइवर हूँ साथ में तेरा बायफ्रेंड भी तो हूँ। कर देना।

नेहा- मैंने कहा ना। नहीं।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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राज अपना काला लौड़ा पेंट से बाहर निकालता है।

नेहा जिसे देखकर दूसरी तरफ देखने लगती है।

राज- देख कैसे तड़प रहा है मेरा लण्ड तेरे लिए।

नेहा दूसरी साइड देखती रहती है, और कहती है- "शर्म नहीं आती ऐसी बातें करते हर।

राज- अपनी गर्लफ्रेंड से कैसी शर्म? हिला ना ।

नेहा जा में गर्दन हिलाती है। राज का काला लण्ड बिना एक्सन के भी बड़ा लगा रहा था। आस-पास सफेद झांटें भी। एकदम गंदा लग रहा था।

राज- "कर देना... बस एक बार ... बोलकर राज नेहा का गोरा हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रखता है।

नेहा झट से अपना हाथ हटा लेती है। राज फिर से उसका हाथ अपने काले लण्ड पर रखता है। इस बार वो पिना हाथ भी नहीं हटाता। नेहा के गोरे हाथ में राज का बेहद गंदा लण्ड था। नेहा को महसूस हो रहा था की राज के लण्ड की नसें फूल रही हैं। मुरझाए होने के बाद भी उसका लण्ड काफी बड़ा लग रहा था। राज एक हाथ से ड्राइव कर रहा था और दूसरे हाथ से नेहा का हाथ पकड़कर उसे ऊपर-नीचे हिला रहा था।

नेहा शर्म के मारे इधर नहीं देख रही थी। राज अब धीरे से अपना हाथ हटा लेता हैं नेहा के हाथ से। नेहा अंजाने में राज का लण्ड हिलाती रहती है। राज को भी बहत मजा आ रहा था। हो भी क्यों ना। वो ठहरा एक काला बदसूरत बूढा, उसका काला गंदा लौड़ा एक खूबसूरत बड़े घर की बहू हिला रही थी। नेहा के हाथ का जादू बहुत जल्दी चल रहा राज के लण्ड पर। बो झड़ने के करीब आ। तभी नेहा को पता नहीं क्या हो जाता है की वो अपना हाथ हटा लेती है। राज हैरान रह जाता है। उसकी मूठ निकलने ही वाली थी की उसने हाथ जो हटा लिया। नेहा हसने लगती है।

राज. ये क्या किया तुमने? ऐसा अधरा मत छोड़ मुझे।

नेहा- "ऐसा ही होना चाहिए तुमको.." और नेहा से जा रही थी।

राज का लण्ड झटके खा रहा था। झड़ने के इतना करीब आकर उसके लण्ड पर नेहा ने जैसे हौड़ा मार दिया था। राज अब अपने हाथ से ही अपना लण्ड हिलाने लगता है। उसकी जल्द ही मूठ निकल जाती है।

राज- "तू देखने, इसका बदला कैंसे लेता हूँ में तुझसे?"


नेहा उसे ठेंगा दिखाती है। जल्द ही घर आ जाता है। नेहा दरवाजा खोलकर राज की तरफ देखकर हँसती है और अपने बैंगस लेकर अंदर चली जाती है। राज भी कार पार्क करके नौकर क्वार्टर्स चला जाता है।

वहाँ पर जय लेटा हुआ था।

राज- अबे क्या कर रहा है?

जय- कुछ नहीं बस लेटा हूँ।

राज- उस छोटी वाली से काम हुआ या नहीं?

जय- कर रहा हूँ। साली को मसल चुका हूँ एक बार।

राज- "शाबाश दोनों एक नम्बर की रंडिया हैं। इन दोनों को अपनी रखेल बनाकर रखना है..." कहकर दोनों हँसते हैं।

सौरभ रिया को लंच पर ले गया था। एक रोमांटिक लंच डेट पर। वो जाकर वापस आ जाते हैं। रिया खुश थी कि उसका पति उससे इतना प्यार करता है।

शाम में डिनर के बाद सब लोग अपने-अपने रूम में चले जाते हैं। रिया और सौरभ अपने रूम में।

सौरभ- रिया कैसी रही लंच डेट?

रिया- अच्छी थी। बिलकुल फिल्मी टाइप।

सौरभ- कभी डिनर पर भी चलते हैं। ऐसा बोलकर वो रिया को अपनी बाहों में ले लेता है।

रिया- "अच्छा... लेकिन मुझे तो नहीं जाना... और वो हँसती है।

सौरभ- क्यों?

रिया- ऐसे ही।

फिर दोनों के बीच पति पत्नी वाला प्यार होता है। एक घंटे बाद दोनों थक कर लेट जाते हैं।

सौरभ- यार ये पानी नहीं है इधर।

रिया- सारी। लगता है यह गवार नीलू पानी रखना भूल गई। मैं अभी लेकर आती हैं।

रिया अपनी साड़ी ठीक करके दरवाजा खोलकर बाहर चली जाती है। वो सीढ़ियां उतरकर किचेन में चली जाती है।

वो फ्रिज के पास जाकर उसमें से ठंडा पानी निकालती हैं, जो एक बोतल में था। फिर एक जग लेकर उसमें वो पानी डालती हैं। फिर जैसे ही वो फ्रिज़ का दरवाजा बंद करने लगती है। किसी के दो हाथ उसको पीछे से पकड़ लेते हैं। उसकी कमर के पास कोई दो काले हाथ उसको घेरे हर थे। रिया चौक जाती है।

रिया- "कौन है? छोड़ो मुझे.."

रिया ज्यादा जोर से नहीं चिल्लाती। वो आदमी उसको पकड़े रहता है। उसकी गोरी कमर पर अपने काले हाथ लगाते रहता है। वो रिया से बिल्कुल चिपका हुआ था पीछे से। रिया उसकी पकड़ से छुटने की कोशिश कर रही थी। लेकिन थोड़ी देर पहले पति के साथ चुदाई की वजह से वो काफी थक चुकी थी। विरोध करने की भी उसमें ताकत नहीं थी।

वो आदमी अब रिया के गले को पीछे से चूमने लगता है। रिया को महसूस हो रहा था की उस आदमी का लण्ड उसकी गाण्ड को दरार में जा रहा है। रिया चाहे थकी हुई थी, लेकिन अब वो इस आदमी की हरकतों से गरम हो रही थी। वो आदमी लगातार अपने काले हाथ रिया की कमर पर चला रहा था। गोरी पतली कमर, गले को चमने की वजह से रिया की आँखें भी अब मदहोशी में बंद होने लगी भी। वो आदमी अब अपने हाथ धीरे से रिया की चूचियों पर ले जाता है। फिर मसलने लगता है।


रिया की मस्त चूचियां वो अच्छी तरह से मसलने लगता है। वो चूचियां बड़ी ही सेक्सी अंदाज में मसल रहा था। जैसे आंटा गंध रहा हो। चचियां दबाते हए वो रिया के गले पर चुम्मा दे रहा था। रिया सिसकारियां भी अब् लेने लगी भी। उसका विरोध भी काफी हद तक कम हो चुका था। रिया के लिए खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। जिसका फायदा पीछे खड़ा आदमी बखब्बी उठा रहा था। वो आदमी अब अपना हाथ रिया के ब्लाउज के अंदर डाल देता है, और ब्लाउज के अंदर से वो रिया की गोरी चूचियां दबाने लगता है। रिया के निपल टाइट हो चुके थे जिसे वो आदमी पिंच कर रहा था। इतनी खूबसूरत औरत की नंगे चूचियां उस आदमी के लिए बहुत कुछ था। उस आदमी का लण्ड बिल्कुल टाइट रिया की गाण्ड को पीछे से तंग कर रहा था।

रिया- "प्लीज़... छोड़ो मुझे कौन हो तुम्म अह्ह.." रिया अपनी मदहोश आवाज़ में बोलती हैं।
वो आदमी कुछ नहीं बोलता।

रिया का पति अपने कमरे में लेटा हआ रिया के पानी लाने का इंतजार कर रहा था। लेकिन उसे क्या पता के उसकी बीवी को कोई अंजान आदमी कैसे मसल रहा है?

इधर वो आदमी अब रिया की कमर से अपने हाथ साड़ी के अंदर से नीचे ले जाते हुए उसकी पेंटी पर ले जाता है। उस आदमी को महसूस होता है की रिया की पेटी गीली हो चुकी है। उसे पता था की रिया उसके टच से ही गरम हो गई हैं। वो आदमी अब रिया की नंगी गोरी पीठ पर हल्के-हल्के चुम्मे देने लगता है। रिया भी नेहा की तरह एक डॉटी वाला ब्लाउज़ पहनती औ। इस वक्त भी उसने ऐसा ही एक ब्लाउज पहना हुआ था। अब वो आदमी रिया की ब्लाउज़ की डोरी निकालने लगता है।

रिया- "प्लीज़... मत करो.." रिया उस आदमी को रोकने की कोशिश करते हुए कहती है।

लेकिन वो आदमी उसका हाथ हटा लेता है और डोरी खींच देता है। अब रिया की परी पीठ नंगी थी। वो आदमी बस टूट पड़ता है उस गोरी पीठ पर। चुम्मों की बारिश कर देता है उस चिकनी पीठ पर।

रिया की सिसकारियां निकल रही थी अबा रिया खुद को भी पता नहीं था की आखीरकार, वो आदमी है कौन। लेकिन इतना जरूर अहसास आ उसे की उस आदमी ने उसको बहुत गरम कर दिया है। वो आदमी अब अपना शर्ट निकलकर ऊपर से नंगा हो जाता है। उस आदमी को बालों से भारी हुई छाती, प्रशीने के बू भी आ रही थी। काले सफेद बालों से भरी हुई थी वो छाती। अब वो आदमी रिया की नंगी पीठ से पीछे से चिपक जाता है, और उसकी चूचियां पकड़ लेता है।

रिया- “आहह.."

उस आदमी को गरम छाती के अपनी नंगी पीठ के मिलन का अहसास ही रिया के जिस्म में करेंट सा दौड़ जाता है। रिया का जिक्ष्म अब उसका बिल्कुल भी साथ नहीं दे रहा था। वो अभी-अभी अपने पति के साथ सेक्स करके आई थी, लेकिन इस आदमी ने फिर से उसे गरम कर दिया था। शोड़ी देर चूचियां दबाने के बाद वो आदमी अब अपने हाथ नीचे लाता है पेटी तक ले जाता है, और पेंटी के अंदर एक हाथ डालता है। जैसे ही उस आदमी का हाथ नेहा की दहकती गरम चूत पर पड़ता है रिया की एक लंबी सिसकारी निकलती हैं।

रिया- "अहह... आहह..."

जैसे उसे किसी चीज की राहत मिली हो। जैसे गरम लोहे पर किसी ने पानी डाल दिया हो। रिया की आँखें अब नशीली हो गई थी। उस आदमी की उंगलियां अब रिया की चूत से खेलने लगती हैं। वो आदमी ऊपर से ही अपनी उंगलिया रिया को गुलाबी चूत पर फेर रहा था।

रिया के हाथ अब उत्तेजना में कुछ करने के लिए मचल रहे थे। उसे समझ मेंनहीं आ रहा था की वो क्या करे? उस आदमी ने उसे पागल कर दिया था। रिया अब भल चुकी थी कि वो इस घर की बहू है। इतने बड़े घर की बहू। रिया की क्लिट को भी वो आदमी छेड़ रहा था। उस आदमी को रिया के चत कर पता चल रहा था की रिया काफी गरम हो चुकी है।

अब वो आदमी अपनी उंगली रिया की चूत में डाल देता है। चूत में उंगली जाते हो रिया अपने हाथ आगे लेजाकर साड़ी के ऊपर से ही उस आदमी के हाथ पर रख देती है और दबाने लगती है। उस आदमी के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

रिया- "अहह... उफ्फ्फ
.. अहह.. उम्म्म्म
..."

वो आदमी रिया की चूत को अब टटोलने लगता है अपनी उंगली से। रिया को गुलाबी चूत को जो लगातार अपना रस छोड़ रही थी। वो आदमी अब अपना एक हाथ बाहर निकालकर रिया के चेहरे के पास ले जाता है। रिया अपनी आँखें धीरे से खोलकर उस हाथ को देखती है। वो हाथ काला एकदम गंदा लग रहा था। उसकी उंगलियों पर चिपचिपा सा कुछ दिख रहा था।

रिया को समझने में देर नहीं लगती के वो क्या है? वो जानती थी के बी उसी का चूत रस है। रिया की आँखें शर्म के मारे झुक जाती हैं। वो आदमी अपना हाथ रिया के खूबसूरत चेहरे के और करीब लाता है। रिया को नहीं पता था की वो आदमी क्या चाहता है? वो आदमी अब अपनी रस से भरी एक उंगली रिया के मुँह के करीब लाता है। रिया अब समझती है की वो क्या चाहता है? रिया अपना ही रस कभी नहीं चसना चाहती थी, लेकिन यही सिचुयेशन ही कुछ ऐसी बन गई थी। रिया झिझक रही थी। तभी वो आदमी अपने दूसरे हाथ की उंगली रिया की चूत में भी वो और अंदर घुसाता है।

रिया- "अहह..."

रिया का मुँह खुलते ही वो आदमी अपनी उंगली रिया के मुँह में डाल देता है। रिया को पहली बार अपनी ही चूत के रस का स्वाद मिलता है, जो थोड़ा नमकीन, थोड़ा पानी जैसा आ। रिया को बहुत शर्म आ रही थी खुद से की वो इस वक्त किचेन में खड़ी है, एक अंजान आदमी के साथ ये सब करते हुए। रिया की चूत अब झड़ने की बिल्कुल नजदीक थी। तभी वो आदमी जोर-जोर से अपनी उंगली उसकी चूत में अंदर-बाहर करने लगता है।

रिया- "अहह.. उम्म्म्म
... आहह.." करती हैं।

रिया की चूत से पूछ-पूछ-पूछ की आवाज आ रही थी। जो रिया की चूत के रस का था, जो उंगली करने से आ रही थी। वो आदमी पटी रफ़्तार से उसकी चूत में उंगली कर रहा था।

रिया- "अहह.. उम्म्म्म
.."

थोड़ी देर बाद रिया का हौप ओर्गेज्म होता है। वो बहुत ज्यादा झड़ी थी। जैसे उसके जिस्म में से बहुत कुछ निकल गया हो। रिया हॉफने लगती है। वो थोड़ा झुक गई थी अकने की वजह से। वो आदमी अपना हाथ उधर से निकालकर एक बार रिया की चूचियां पकड़ लेता है और दो-तीन बार जोर-जोर से दबाता है और अचानक ही अपनी शर्ट पहनकर उधर से चला जाता है।

रिया वहाँ पर खड़ी पूरी तरह से अविश्वास में थी, जो भी उसके साथ थोड़ी देर पहले हआ। वो जिंदगी में पहली बार इतना झड़ी भी। थोड़ी देर बाद रिया अपनी सांसों पर काबू पाती है और अपनी साड़ी ठीक करता है।

रिया- "कौन था वो आदमी? ये क्या हो रहा है मेरा साथ? दिल में वो बुड्ढ़ा ख़ूसट और अब ये कौन था? कहीं वहाँ तो नहीं, और मुझे भी ना जाने क्या हो जाता है। मुझे ये सब रोकना होगा। ये बहुत गलत हो रहा है मेरे साथ... और रिया अब पानी का जग लेकर वापस सौदियां से चली जाती हैं। रूम में जाकर देखा तो सौरभ सो गया

रिया- "ओह नहीं। सौरभ तो सो गये। पता नहीं कितनी देर लगी मुझे पता नहीं कौन था वो कमीना आदमी। ये मेरा जिम भी न जाने क्यों मेरा साथ नहीं देता उस वक्त? रिया सांच-सांचकर थक जाती है। वो वैसे भी फाजिकल्ली अक चुकी थी। इसलिए वो अब बेड पर लेट जाती है और नींद की आगोश में चली जाती है।


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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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सुबह जब रिया उठती है तो उसका पति आफिस जा चुका था। वो काफी लेट उठी थी। रिया को लेटे हुए कल रात का दृश्य याद आता है जब किसी आदमी ने किचेन में उसके साथ इतना सब कुछ कर दिया था। लेकिन उसे अभी तक पता नहीं चल पाया था की वो आदमी आखीरकार, था कौन।

लेकिन एक बात नोटिस करने वाली थी उसके लिए की उस अंजान आदमी की हरकतों ने उसको झड़ने पर मजबूर कर दिया । रिया नहीं समझ पा रही थी की उसकी जिंदगी में क्या हो रहा है। उसे नहीं पता था की इतने बड़े घर की बहू होने के बावजूद उसे आगे क्या-क्या सामना करना पड़ेगा। रिया इसके बारे में ज्यादा ला सोचते हुए फ्रेश होकर नीचे चली जाती है।

इधर नौकर क्वार्टर्स में आज जय काम पर गया हुमा । फैक्टरी में ट्रक चलाने। लेकिन हमेशा की तरह आलसी पड़ा हुआ था। ऊपर से नेहा की पति का उसपर मेहरबानी दिखना। राज के मजे थे बस। राज लेटा हुआ सिगरेट पी रहा था। तभी उधर उसे बाहर कुछ आहट महसूस हई। पहली बार तो वो अनदेखा कर देता है लेकिन दूसरी बार भी आहट होने पर राज अब दरवाजा से झौंक कर बाहर देखता है।

बाहर नेहा को टहलता देखकर वो खुश हो जाता है एकदम। नेहा ने हमेशा की तरह बैंकलेश साड़ी पहनी हुई थी। और आगे से उसकी गोरी कमर दिख रही थी थी। उसके खूबसूरत चेहरे पर लाल लिपस्टिक और बिखरे गजब की लग रही थी नेहा उस वक़्त। लोकल नेहा इतना तैयार किसके लिए हुई थी? राज नेहा को बस देखता रह जाता है। नेहा हालांकी बस टहल रही थी। लेकिन बार-बार वा नौकर क्वार्टर्स की तरफ देख रही थी। राज के लिए नेहा का उधर देखना ही काफी था।

तभी राज दरवाजा पर आते हुए. "मेरी बुलबुल क्या माल लग रही है तू आज? क्या इरादा है?

नेहा दरवाजर की तरफ देखते हुए एक बार के लिए स्माइल करती है, और कहती है- "क्या कहा? माल.."

राज- हाँ मेरी जान।

नेहा- चुप रहो तुम समझे।


राज- तू चीज़ ही मस्त है मेरी बुलबुल। चुप रहना नहीं होगा मुझसे।

नेहा के चेहरे पर फिर से स्माइल आ जाती है, और कहती है- "तुम बस चुप करी.."

तभी वहाँ एक आदमी आता है जो दिखने में वर्कर लग रहा था। उसके हाथ में कुछ कटिंग मशीन और कुछ सामान था। उधर मुख्य दरवाजे से सावित्री वर्मा आ रही थी उसके साथ। वो नेहा की तरफ ही आ रही थीं। राज उनको आता देखकर नौकर क्वार्टर में चला जाता है। लेकिन वो छुपकर सब देख रहा था।

सावित्री उधर आकर- " बहू ये आदमी घास काट देगा इधर को। तुम इसे अपने हिसाब से बता दो कहीं काटना है। ठीक है?"

नेहा- जी मम्मीजी, मैं बता दूँगी।

सावित्री ठीक है में थोड़ा बाहर जा रही हैं। आते-आते शायद देर हो जायेगी।

नेहा- "जी मम्मीजी."

फिर सावित्री चली जाती हैं।

नेहा- ये तुम इधर से शुरू कर दो।

वर्कर- जी मेडम।

फिर वो वर्कर काम शुरू कर देता है कटिंग का। दरवाजे से राज बाहर झाँक रहा था। नेहा जानती थी की राज जरूर उसे देख रहा होगा। नेहा दरवाजे की तरफ देखती है तो उसे राज का काला बदसूरत चेहरा दिखता है लेकिन आजकल नेहा को जैसे मस्ती चड़ी हई थी। नेहा राज के चेहरे पर गुस्से का भाव देख पा रही थी। जैसे राज को वर्कर को लेकर जलन हो।

नेहा मन में "ता कमीने को इस आदमी से जलन हो रही हैं। कमाने को अपनी गर्लफ्रेंड को किसी और के करीब देखकर गुस्सा आ रहा है। इसको और गुस्सा दिलाता है."

नेहा कुछ सोच कर उस वर्कर के करीब जाती है।

नेहा- "हाँ भैय्याजी उधर भी करना।

नेहा थोड़ा झक कर देख रही थी जिसमें उसकी हल्की क्लीवेज उस वर्कर को भी दिख रही थी। नेहा तिरछी नजर से राज को देख रही थी जो काफी गुस्से में लग रहा था। नेहा जो कल तक इन गंदे लो-क्लास लोगों से दूर हो रहती भी, आज एक गंदे बढ़े हाइवर को जलाने के लिए एक लो-क्लास वर्कर के करीब जाकर उसे अपना क्लीवेज दिखा रही थी। सच में ही नेहा की लाइफ काफी चेंज हो गई थी। नेहा एक बार के लिए हँस पड़ती है राज को
गुम्सा आता देखकर।

नेहा मन में. "बिहेव तो ऐसे कर रहा है जैसे मेरा पति हो। कमीना कहीं का...

वो वर्कर भी बौखला गया था इतनी खूबसूरत औरत का क्लीवेज देखकर। नेहा की नजर उसके काम पर कम राज पर ज्यादा थी। पता नहीं क्यों? लेकिन नेहा को मजा आ रहा था राज को तड़पाने में। थोड़ी देर बाद नेहा को पीछे से राज आवाज देता है।
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Masoom
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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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राज- मेरी जान।

वो वर्कर ये बात सुन लेता है। उसको ताज्जुब होता है कि ये बूढ़ा काला आदमी इस खूबसूरत औरत को जान बोल रहा है। वो वर्कर नेहा की तरफ हानी से देखने लगता है। नेहा खुद ये उम्मीद नहीं कर रही थी।

नेहा राज को घूर कर देखती है। फिर उस वर्कर की तरफ देखते हुए- "तुम काम करो जल्दी.."

नेहा फिर राज के और नजदीक जाकर- "तुम्हारा दिमाग खराब है क्या? उस आदमी के सामने क्यों ऐसा बोला तुमने

राज- "वो सब छोड़... त उसके इतना करीब क्यों जा रही है?"

नेहा को अब शोड़ी मस्ती सूझती है- "मैं कुछ भी करें तुमको उससे क्या?"

राज कन्फ्यू ज होते हुए- "क्या?"

नेहा- मेरी मर्जी। मैं जो चाहे करूँ ।

राज- ये मत भूल की तू मेरी गर्लफ्रेंड है।

नेहा- नहीं हूँ मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड।

राज- "क्या बोली?" और ऐसा बोलकर राज नेहा को अंदर खींच लेता है। जो वो वर्कर देख नहीं पता। अंदर खींचकर राज नेहा को दीवार से सटा देता है।

नेहा- क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे।

राज तू क्या बोल रही थी मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है ?

नेहा- छोड़ो मुझे।

राज- और तू उस आदमी के इतना करीब क्यों जा रही थी?

नेहा जानती भी राज उस आदमी से जलन महसूस कर रहा है, बोली- "तुमको उससे क्या, में कुछ भी करेंग?" लेकिन नेहा के चेहरे पर स्माइल आ रही थी। वो अपनी खुशी छुपाए नहीं पा रही थी।

लेकिन राज जेलसी में ये सब नहीं देख पा रहा था, कहा- "देख में बोल रहा हूँ की उसके करीब मत जा.'

नेहा- क्या मत जा हाँ? क्या कर लोगे तुम?

राज- "क्या कर लेंगा, अभी देख?" और राज नेहा की चूचियों पर अपना मुँह रख देता है साड़ी के ऊपर से ही, और मसलने लगता है।

नेहा- "हे राज.. छोड़ो मुझे क्या कर रहे हो?"

राज- "तुझे सीधी बात समझ में नहीं आती ना... अब देख..' कहकर राज बड़े पागलपन तरीके से नेहा की चूचियों को मसल रहा था।

नेहा की सिसकारी शुरू हो चुकी थी. "अहह... राज.." और नेहा उसको हल्का-हल्का अपने से दूर करने की कोशिश कर रही थी। नेहा जानती भी अगर राज को यहाँ नहीं रोका तो वो यहाँ पर उसकी चुदाई कर देगा।

नेहा- प्लीज़... राज मत करो। छोड़ो मुझे।


राज- तुझे बहुत नजदीक जाना है ना उसके। अब जा।

नेहा- सारी ... अब नहीं जाऊँगी। छोड़ो मुझे।

राज- तू फिर से जाएगी।

नेहा- मैं नहीं जाऊँगी।

राज- अगर गई तो?

नेहा- तो क्या?

राज- तू अगर उसके आस-पास भी गई ना.. तुझे जो मैं कहूँगा वो करना पड़ेगा।

नेहा- मैं नहीं जाऊँगी।

राज- चल ठीक है। अब अपने बायफ्रेंड को एक चुम्मा दे।

नेहा- मैं नहीं देने वाली।
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