कैसे कैसे परिवार

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Masoom
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Re: कैसे कैसे परिवार

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अगले दिन सुबह:

अगले दिन सभी एक एक करके अपने कमरों से निकलकर सुबह के नाश्ते के लिए डाइनिंग रूम में पहुँच गए. इस बार समर्थ शीला, शोनाली जॉय साथ बैठे थे. ये देखकर सबको सुखद आश्चर्य हुआ कि सागरिका ने निखिल के साथ बैठने का निश्चय किया. सुप्रिया नितिन और सुमति पार्थ के साथ बैठी थी. सिमरन ने बहुत अच्छा नाश्ता लगवाया था और सबने भरपूर खाया.

निखिल और सागरिका एक साथ बोले: “हमें कुछ कहना है.”
सबकी दृष्टि उनकी ओर केंद्रित हो गई.

निखिल ने पहल की: “हम दोनों की ये शादी से सहमति है. कल रात हमने काफी देर बात की और ये महसूस किया कि हमारी सोच लगभग हर विषय में मिलती है.”
सागरिका: “दूसरा ये कि हमने देखा कि हमारे परिवार कितनी सरलता से एक दूसरे के करीब आ गए. आज ऐसा लग ही नहीं रहा कि एक सप्ताह पहले हम लोग एक दूसरे को ठीक से जानते तक न थे, सिवाय इसके कि हम पडोसी थे.”
निखिल: “इसीलिए हमने ये सोचा है कि हम दोनों एक दूसरे और दोनों परिवारों के साथ बहुत खुश रहेंगे. और तो और हमारी जीवन पद्धति पर भी कोई आंच नहीं आएगी.”

ये सुनकर शीला ने उठकर सागरिका को गले लगा लिया और अपने गले का हार निकलकर उसे पहना दिया. उसका माथा चूमा और सागरिका ने उसके पांव छूकर आशीर्वाद लिया. फिर सागरिका ने समर्थ और सुप्रिया के पांव छुए. सुप्रिया ने भी उसे गले से लगाकर अपने हाथ का कंगन उसे पहनाया.

सुप्रिया: ”शोनाली और जॉय, आज से सागरिका हमारे घर की बेटी हुई. आप मंगनी और शादी की समय निश्चित करिये.”

ये सुनकर सुमति और शोनाली दोनों रोने लगीं. परन्तु उनके इन आँसुओं में ख़ुशी थी और किसी ने भी उन्हें चुप करने का प्रयास नहीं किया. पार्थ निखिल के पास जाकर उसके गले लग गया.
“अब हम केवल दोस्त नहीं है, जीजा जी.”
निखिल ने हंसकर अपने मित्र को उत्तर दिया, “अब संभल के रहना साले साहब.”

जॉय ने उठकर अपने कमरे से एक डिब्बा लाया और निखिल के हाथों में एक बेशकीमती आयातित घड़ी पहना दी. फिर उसे गले से लगाकर उसके माथे को चूम लिया.
“बेटा मुझे आज इतनी ख़ुशी मिली है, जिसका मैं वर्णन नहीं कर सकता.”

सिमरन ने भी सबको गले मिलकर बधाई दी और विश्वास दिलाया कि अगर उसकी कंपनी से केटरिंग कराई जाएगी तो वो अपनी पूरी श्रध्दा से उसे सफल करेगी.

सब लोग एक हंसी ख़ुशी के वातावरण में न जाने कितनी देर बातें ही करते रहे. फिर पार्थ ने समर्थ से पूछा कि क्या जो कल बात की थी वो अभी भी वैध है. समर्थ ने हामी भरकर कहा कि अब तो १०० गुना अधिक वैध है. पार्थ ने शोनाली की ओर देखकर उसे सिर हिलाकर स्वीकृति दी.

दोपहर के खाने के पहले दो चक्र शराब के चले, इस मौके का सबने जी भर के आनंद लिया.
भोजन के पश्चात् सभी लोग खेल कक्ष में चले गए. सभी बिना कुछ कहे बिना अपने वस्त्रों से अलग हुए और उन्हें अलमारी में टांग दिया.

तभी शोनाली और पार्थ ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.

पार्थ: “कल मैंने नानाजी से कुछ पूछा था जिसकी उन्होंने मुझे अनुमति दे दी थी. इसीलिए आज का विशेष आयोजन हमारे दोनों परिवारों की स्त्रियों के लिए है.”
शोनाली: “सुमति दीदी ने कल माँ जी से हुई बात मुझे बताई थी, जो मैंने पार्थ को बताई.”
शीला के होठों पर एक मुस्कराहट और आँखों में चमक आ गई.
“इसीलिए, आज मैंने अपने क्लब के ६ रोमियो को अपनी सेवा के लिए और भी बुलाया है. हमारे चारों पुरुष सहायक, जो हमारे रोमियो भी हैं उनके साथ होंगे. दोनों सहायिकाएं भी उपस्थित रहेंगी. अब चूँकि हम सब व्यस्त होंगे तो पूरे कार्यकर्म का निर्देशन सिमरन जी करेंगी.”

ये कहकर उसने दो बार ताली बजाई। एक ओर का दरवाजा खुला जिसमें से सिमरन नंग धडंग अंदर आयी. उसके दोनों ओर उनकी दोनों सहायिकाएं सोनल और आतिशी भी नंगी खड़ी हो गयीं.
उसके बाद दरवाजे से १० नंगे लड़कों ने प्रवेश किया. और वो सब सिमरन के पीछे एक व्यूह में खड़े हो गए.

पार्थ: “आज हम सब अपने परिवार की महिलाओं को एक साथ तीन पुरुषों से सम्भोग का सुख देंगे. पर इसमें कुछ नियम हैं जो हर स्त्री के स्वभाव के अनुरूप होंगे:

१. गाँड का रस मम्मी को ही अर्पित होगा.
२. नानी माँ को अंत में वीर्य से नहलाया जायेगा.
३. चूत मारने के बाद के रस का सेवन केवल सागरिका के लिए होगा.

शोनाली: “मेरे विचार में ये नियम सही हैं और अगर किसी को कोई आपत्ति है तो बता सकता है.”
समर्थ: “मुझे ये देखकर प्रसन्नता होती है कि तुम हर कार्य एक नियम के अनुसार करते हो. मुझे किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं है.”
अन्य सबने भी अपनी स्वीकृति दी.

"इसमें से पहले सागरिका और नितिन, सुमति दीदी और पापा जी साथ होंगे क्यूंकि उन्हें अभी तक एक दूसरे का साथ नहीं मिला है. बाकी सब एक म्यूजिकल चेयर से जीते जायेंगे.”

ये कहकर शोनाली ने पाँचों स्त्रियों को एक गोले में खड़ा कर दिया. अब पुरुष लोग एक गोले में आ गए. शोनाली के कहने पर सिमरन ने एक गाना बजा दिया और सब आदमी गोले में घूमने लगे. इसमें होना ये था कि गाना रुकने पर जो भी आदमी जिस स्त्री के सम्मुख होता वो उसका साथी बन जाता. इसमें सागरिका और सुमति को केवल दो लोगों को चुनना था. तीन बार में सबके साथी निश्चित हो गए.

शोनाली के हिस्से में निखिल +२ आये , सुप्रिया को पार्थ +जॉय +१ मिले और शीला को तीनों नए रोमियो. २ २ रोमियो सागरिका और सुमति को भी मिले. .
और एक सामूहिक चुदाई का नंगा खेल प्रारम्भ करने के लिए बीच में आ गए.

कुछ ही समय में कमरा नंगे शरीरों का एक अखाडा बन गया था. पांचों महिलाएं एक गोल चक्र में एक दूसरे को देखती हुई बैठ गयीं. जब एक बार महिलाओं ने अपने हिस्से के लंड को चूस चाट कर कड़ा कर लिया तो उन्हें जल्द से जल्द अपने काम पर लगने के लिए उत्साहित करने लगीं.

शीला इस समय तीन रोमियो के बीच में सैंडविच बनी हुई थी. एक लंड उसकी चूत में था, एक गाँड में और एक मुंह में. सबसे बड़ी बात की तीनो लंडों १०” से बड़े थे यानि उसके शरीर में ३०” लंड भरे हुए थे. और वो सब उसके द्वारा उत्साहित किये जाने के कारण एक गहराई और बेदर्दी से उसके छेदों को मथ रहे थे. एक लंड जब चूत में घुसता तो गाँड वाला बाहर निकलता और इसी लय ने उसके दोनों छेदों का मंथन कर रखा था. उसके मुंह का लंड पहले तो शीला की दया पर निर्भर था पर बाद में उसने भी शीला का सिर पकड़कर उसे अपनी गति से चोदना शुरू कर दिया था.

यही कुछ स्थिति बाकी औरतों की भी थी. इस समय प्रेम और प्यार नहीं बल्कि शरीर का सहवास हो रहा था, सिर्फ जिस्म की भूख मिटाई जा रही थी. सिमरन एक घडी से समय देख रही थी. उसने ३ मिनट पूरे होने पर “CHANGE” की आवाज़ दी. ये सुनकर सबने अपने लंड बाहर निकाल लिए. फिर गाँड मारने वाले आदमी ने अगली औरत के पास जाकर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया. जिसका लंड मुंह था वो नीचे लेट गया और चूत में लंड पेल दिया और जो चूत में था उसे गाँड में स्थान मिला.

(समझने के लिए: शीला की गाँड मारने वाले व्यक्ति ने अपने लंड को सुमति के मुंह में डाला. शीला की चूत मारने वाले ने गाँड में लंड डाला और सागरिका की गाँड मारने वाले ने अपना लंड शीला के मुंह में डाला.)

इसी प्रकार से हर 3 मिनट में सिमरन आवाज़ देती और हर आदमी अपने हिस्से का छेद बदल कर अगले निशान पर चला जाता. इस पूरे क्रम को पूरा करने में ४५ मिनट निकल गए और अब आदमियों से रुका नहीं जा रहा था. महिलाएं भी अब बदहवासी की ओर जा रही थीं. अंत में जो जहाँ से शुरू किया था वहीँ वापिस पहुँच चुका था. एक एक करके लंडो ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया और कुछ ही मिनटों में हर छेद पानी से लथपथ हो गया था. सागरिका अपने सामने आयी चूत से रस पिने लगी और सुमति गाँड. सब की साफ होने के बाद सब लोग निढाल पड़ गए.

सिमरन, सोनल और आतिशी ने गर्म पानी से गीले तौलिये लाये और सबके शरीर एक एक करके पोंछकर साफ किये. उसके बाद सबके लिए एक नया ड्रिंक बनाया और सबको दिया. अपना ड्रिंक पीते हुए सब यही सोच रहे थे कि क्या हम लोग विकृत तो नहीं हैं. दोपहर के लगभग तीन बज चुके थे और ५ बजे निकलना भी था तो यही तय किया कि अब अंतिम चरण का खेल शुरू किया जाये.

पर शीला ने अपनी मांग रख दी.

शीला: “देखो, ऐसा मौका बार बार नहीं आता, मैं अपनी एक इच्छा पूरी करना चाहती हूँ.”
समर्थ: “इतना खेलने के बाद अभी भी कुछ है जो बाकी है तुम्हारे मन में?”
शीला: “और क्या. मेरा मन एक साथ चार लंडों से चुदने का है. एक मुंह में, दो चूत और एक गाँड में.”
समर्थ: “इस उम्र में झेल पाओगी ये सब.”
शीला: “कोई नहीं, अगर झेल नहीं पायी तो कम से कम प्रयास करते हुए मरूंगी.”
समर्थ: “चुप कर. ऐसा क्यों बोलती है?”
शीला ने जॉय, पार्थ, निखिल और नितिन की ओर देखकर कहा, “करोगे इस बुढ़िया की इच्छा पूरी?”
जॉय: “अवश्य करेंगे, पर आप अपने आप को बूढ़ा समझना छोड़िये.”

ये कहकर चारों ने उसे घेर लिया.

घर के चारों पुरुषों ने उसे घेर कर लिटा दिया. सोनल और आतिशी आगे आयीं और सभी पुरुषों के लंड चूसकर अच्छे से खड़ा करने में लग गयीं. समर्थ बड़ी भूखी आँखों से दोनों को देख रहे थे.

शोनाली उनके पास गई, और धीरे से बोली, “आप का जब दिल करे बाबूजी, तब आप सोनम और आतिशी की मार लेना.”
समर्थ: “मुझे पता है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी.”

इस समय सामने जॉय ने अपना स्थान जमीन पर बनाया और सबने मिलकर सँभालते हुए शीला को उसके लंड पर बैठाया. निशाना गाँड पर था और कुछ ही मेहनत से जॉय का पूरा लंड शीला की गाँड में बैठ गया. अब बारी पार्थ और नितिन की थी दो लंड शीला की चूत में डालने की. कुछ अचरज भरी कलाबाजियों के साथ ये भी संभव हो गया और अब शीला की चूत में दो लंड थे और एक उसकी गांड में था. निखिल ने आगे आकर अपना लंड शीला के मुंह में घुसा दिया.

और अब शुरू हुआ भीषण चुदाई का वीभत्स नाच. वैसे भी सबके लौड़े एक से बढ़कर एक थे और जिस लयबद्ध तरीके से वो चोद रहे थे उससे ये प्रतीत होता था कि ये उन्होंने पहले भी किया हुआ है. शीला के मुंह में अगर निखिल का लंड न होता तो शायद उसकी चीखें क्लब को हिला देतीं. कुछ ही समय में शीला के झड़ने का सिलसिला थमा तो सबने एक दूसरा आसन में आक्रमण चालू रखा. इसी तरह से अलट पलट कर चारों मिलकर शीला को एक गुड़िया की तरह चोद रहे थे. तभी एक धक्के में गलती से नितिन का लंड चूत से बाहर तो आया पर चूत में जाने की स्थान पर नितिन ने उसे निखिल के लंड के साथ जो उसकी नानी की गाँड में पहले ही डला हुआ था उसके साथ मिला दिया. अब शीला की गाँड में दो लंड थे और चूत में एक.

(नीचे मैंने इस पराक्रम के कुछ चित्र भी लगाए हैं.)

इस प्रकार से शीला मंथन यही कोई बीस मिनट चला होगा. जिसके अंत तक शीला चुद चुद कर और झड़ झड़ कर निर्जीव सी हो गई थी. उधर सभी महिलाओं ने बाकी के लंड भी चूसकर झड़ने की कगार पर ला दिए थे. जब चुड़क्कड़ चार झड़ने के करीब पहुंचे तो वो हट जाते. जैसे ही आखिरी आदमी ने अपना लंड शीला के मुंह से निकाला, सब उसके इर्द गिर्द घेरा बनाकर खड़े हो गए और मुठ मारने लगे. एक एक करके हर पुरुष ने अपना गाढ़ा सफ़ेद वीर्य शीला के चेहरे और शरीर पर गिरा दिया. जब सब हटे तो शीला का चूत से ऊपर का पूरा शरीर कामरस से पुता हुआ था. पर शीला निढाल पड़ी थी.

सागरिका और सुप्रिया ने छाती और पेट, शोनाली ने चेहरा और सुमति ने चूत और गांड को चाटकर अच्छे से साफ कर दिया. सब खड़े होकर शीला के भोगे हुए शरीर को देख रहे थे.

कुछ देर में शीला ने आंख खोली और सबको अपनी ओर देखता पाया.
शीला: ” आऊवोह, मैं जीवित हूँ? मैं तो समझी थी कि मैं मर चुकी हूँ और फ़रिश्ते मुझे चोद रहे हैं.”
सुप्रिया: “अरे मम्मी तुम पूरी जिन्दा हो पर हाँ, फ़रिश्ते अवश्य तुम्हें चोद रहे थे.”

समर्थ ने हाथ बढाकर शीला को खड़ा किया.
समर्थ: “तो कैसा रहा तुम्हारा ये अनुभव?”
शीला: “अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय. मैं तो समझी थी कि मैं स्वर्ग में हूँ. पर इन लड़कों ने मुझ बुढ़िया की हड्डियां हिला डालीं ” फिर रूककर, “मुझे उसका नाम बताओ जिसने मेरी गाँड में दूसरा लंड डाला था.”

सब सहम गए, फिर नितिन ने हाथ खड़ा किया. शीला आगे बढ़ी और उसे चूम लिया.
“तूने मुझे वो सुख दिया जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी.”

पार्थ ने तभी कहा, “अब हमारे निकलने का समय हो रहा है, तो सब लोग नहाकर तैयार हो जाओ.”

सब एक एक करके तैयार हो गए. पार्थ ने सिमरन को बुलाकर कहा, “आपका इनाम पक्का है. अगले महीने के दूसरे शनिवार को सारे रोमियो आपकी सेवा में होंगे.”

तैयार होकर सब बाहर आये और एक दूसरे की गले मिलकर फिर रिश्ते की बधाई दी और अपनी गाड़ियों में सवार होकर अपने घर के लिए निकल गए.


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