जुनून (प्यार या हवस) complete

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josef
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Re: जुनून (प्यार या हवस)

Post by josef »

दूसरे दिन सभी लोग शहर की ओर निकल पड़े निधि अजय और विजय के साथ एक गाड़ी में कुछ लठैत भी थे, अजय सोनल और रानी को सरप्राइस देना चाहता था इसलिए सीधे घर न जाकर वह एक होटल में रुक गए, निधि ने शहर में pab के बारे में बहुत सुन रखा था, उसने अजय और विजय से एक डिस्को में चलने की इजाजत मांगी अजय को उसको इनकार करते भी ना बना, दिन भर के थके होने के कारण wo सो गए और शाम को तैयार होकर पास के ही एक डिस्को में चले गए, निधि एक जींस टॉप पहनी थी जिसमें उसका शरीर बहुत ही आकर्षक लग रहा था,
इधर सोनाला रानी अपने कुछ दोस्तों के साथ एक डिस्को में बैठी हुई इंजॉय कर रही थी, उसकी एक दोस्त किसी लड़के को बड़े देर से घूरे जा रही थी, सोनल ने उसे देखते ही उसकी नजर का पीछा किया कोई 6 फुट 2 इंच का लंबा चौड़ा गबरु जवान लड़का जो पीछे से बहुत ही हैंडसम लग रहा था सोनल समझ गई की खुशबू उसी लड़के को देख रही है, उसने खुशबू को कोहनी मारते हुए कहा,
“ क्या बात है मेरी जान तू तो कभी किसी लड़के को भाव भी नहीं देती और आज घूरे जा रही है,”
“ क्या करूं यार लगता है उस लड़के से मुझे प्यार हो गया इतना हैंडसम असली मर्द लग रहा है,” सोनल ने उसका चेहरा देखना चाहा पर नाकामयाब हुई, कुछ ही देर में एक हट्टा-कट्टा भारी भरकम शरीर का लड़का बार के काउंटर पर जोर से गिरा वहां मौजूद सभी लोगों का ध्यान उसकी तरफ ही चला गया, सोनल और रानी मुंह खोल कर उन्हें देख रहे थे, वही खुशबू एक सम्मोहित निगाह से उस लड़के को देख रही थी जिसने उस भारी भरकम लड़के को बार के काउंटर पर पटक दीया था, wo wahi लड़का था जिसे खुशबू इतनी देर से घूरे जा रही थी, अनायास ही सोनल और रानी के मुंह से निकला भैया….
डिस्को में आते ही निधि अपनी मस्ती में झूमने लगी वही अजय और विजय पास ही बार में बैठे चुस्कियां लेने लगे, तभी किसी लड़के ने आकर निधि को छेड़ना शुरू कर दिया जिसे देख अजय का खून खौल गया, अजय ने सीधा जाकर उस लड़के को उठाकर बार के काउंटर में पटक दिया, पास खड़े कुछ और लड़के जो कि उनके ग्रुप के थे वहां आ गए लेकिन अजय और विजय के सामने कौन टिक सकता था, उनकी ताकत के आगे सभी छोटे लग रहे थे, जब तक लड़ाई खत्म हुई निधि ने सोनल और रानी को देख लिया था वह दौड़ कर उनके पास गई और उनसे लिपट गई, जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो कि उनके भाई लड़ रहे हैं, वह जानती थी कि अजय और विजय को हराना किसी के बस की बात नहीं..
दोनों ने मिलकर सबकी हड्डियां तोड़ दी वहां खड़े सोनल के दोस्त जिनमें कुछ लड़कियां और कुछ लड़के थे आंखें फाड़े उन्हें देख रहे थे, अजय और विजय भी अब उनके पास आ गए थे.. सोनल और रानी दौड़ कर उनसे लिपट गए, सोनल को अजय का कपड़ा देख कर समझ आ गया यह वही लड़का है जिसे खुशबू ghur रही थी,
“ भैया आप लोग यहां” सोनल ने अजय से लिपटते हुए पूछा,
“ हां बहन रेणुका की शादी है और हम तुझे सरप्राइज देना चाहते थे इसलिए पहले घर नहीं आए लेकिन तुम तो यही मिल गई”
“ भैया मुझे आपको किसी से मिलाना है,” सोनल अजय और विजय को अपने दोस्तों के पास ले गई और सब से मिलवाया खुशबू अभी भी अजय को घूर रही थी, सोनम ने हल्के से उसे कोहनी मारी थोड़ी देर बाद सब जाने को हुए, तो खुशबू ने सोनल को थोड़ी देर के लिए अपने पास रोक लिए,
“ यार तेरे भैया तो बहुत हैंडसम है, मैं तो लगता है उनकी दीवानी हो जाऊंगी क्या नाम है तेरे भाई लोगों ka,”
“ जिनकी तो दीवानी हो रही है वह अजय है अजय ठाकुर और छोटे भैया विजय विजय ठाकुर, चल अब जा रही हूं देर हो रही है भैया राह देख रहे होंगे,तू भी चल ना हमारे साथ ”खुशबु कुछ सोचते हुए ना में सर हिलाया , सोनल तो वहां से चले गई पर दोनों का नाम सुनते ही खुशबू की आंखों में पानी आ गया उसकी आंखें लाल हो गई जैसे खून उतर आया हो, खुशबू बस उनको जाते हुए देखने लगी और सोचने लगी, जिंदगी में पहली बार किसी से प्यार हुआ कोई लड़का पसंद आया किसी को दिल दिया मोहब्बत की उसे अपना बनाना चाहा पर किसे, अपनी बुआ के लड़के को उस लड़के को जिसके खून के प्यासे मेरे घरवाले है, उस लड़के को जिस के परिवार ने मेरे मां-बाप को रुलाया, जिसके पिता ने मेरे चाचा को मारा खुशबू रोती हुई और अपने आंखों में पानी की धार लेते hui वहीं बैठ गई……

सभी शहर वाले घर आ जाते है ,सोनल और रानी बहुत खुस थे की रेणुका की शादी लग गयी है और वो घर में ही रहेगी ,तीनो बहन मिलकर समान की लिस्ट बनाते है,अजय का शहर वाला घर भी काफी अच्छा था,अजय किशन या विजय को वहा भेजना चाहता था ,ताकि शहर का कारोबार भी देखा जा सके पर दोनों को गाव से ही प्यार था ,और उनकी मस्तिय भी गाव में ही चल सकती थी ,अजय अपने भाइयो पर बेवजह का बोझ भी नहीं डालना चाहता था,आखिर सब खाना खाने बैठे,सोनल और रानी ने अपने हाथो से खाना बनाया था,
"भाई कैसा है खाना ,"सोनल बड़े ही प्यार से अजय से पूछ रही थी,
"हम्म बढ़िया है,"अजय थोडा गंभीर लग रहा था जैसा वो हमेशा ही लगता था,
"हमें भी पूछ लिया करो मैं भी तो तेरा भाई हु,"विजय ने हलके से कहा सोनल उसे आँखे दिखने लगी
"तुझे तो जो भी दे दो बस रेणुका के हाथ का ही अच्छा लगता है "सोनल धीरे से उसे कह गयी ,विजय जैसे उछल गया और चुप रहने का इशारा किया रानी और सोनल दोनों हस पड़े वही निधि एक अजनबी निगाहों से उन्हें देखने लगी,अजय ने सुना तो सब और समझा भी सब पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं दि ,
"सोनल तुम पड़ी लिखी हो और समझदार भी हो गयी हो ,पर मैंने सोचा नहीं था की तुम यु डिस्को में बैठी शराब पीती हुई मिलोगी,और वो लड़के लडकिया तुम्हारे दोस्त है ,कैसे कपडे पहने थे उन सबने ,देखो मैं तुम्हे डाट नहीं रहा हु बस तुम लोग अब बड़ी हो गयी हो और अपना अच्छा बुरा समझती हो मुझे कहने का यु तो कोई हक़ नहीं है पर ,..."अजय का इतना बोलना था की सोनल फफक कर रो पड़ी वही रानी की भी सुबकिया अजय को सुनाई दि ,उसे इस बात का इल्म ही नहीं था की वो कुछ गलत बोल गया है ,उसने सर उठा कर अपनी बहनों को देखा सोनल तो रो रही थी और निधि उठकर उसके पास जा चुकी थी और उसे दिलशा दे रही थी,सोनल सुबकते हुए बोल पायी
"भईया आप ऐसे क्यों बोल रहे हो की हम पर आपका कोई हक़ नहीं है,क्या हम शहर में रहकर पढाई करते है तो हम आप के लिए पराये हो गए ,भईया आप हमारे लिए भगवन हो ,आपने हमें पाला पोसा है ,आप ही हमारे बाप हो और माँ भी आप ने हमें कोई भी दुःख नहीं होने दिया ,अपनी हर खुशियों को हमारे बाद ही समझा है ,आपको क्या लगता है की हम पढ़ लिख कर ये सब भूल जायेंगे ,हम जाहिल नहीं है भईया जो आपने किया उसे भूल जाय ,और आप ऐसे क्यों बोल रहे हो ,आपको बुरा लगा तो हमें डाटो मरो पर पराया मत करो भईया ,"सोनल बड़ी मुस्किल से ये बोल पायी की अजय को भी ये अहसास हो चूका था की वो कुछ गलत बोल गया है,वो उठा और सोनल और रानी को एक साथ अपनी बांहों में भर लिया दोनों मोम की गुडिया जैसे उसके तरफ खिसकती चली गयी और उसके सीने में समां गयी ये देखकर निधि भी अपने को नहीं रोक पायी और दौड़कर उनसे लिपट गयी ,ऐसे तो विजय का भी बड़ा मन कर रहा था पर अजय के कारन वो वही खड़ा रहा पर सोनल ने अपने हाथो से उसे इशारा किया और वो भी दौड़कर सोनल के पीछे से ही उन्हें अपने बांहों में भर लिया ,थोड़ी देर में जब सब सामान्य हुआ तो सभी अलग हुए लेकिन सोनल अभी भी अजय को जकड़े हुई थी ,अजय सोनल से पहले कभी ऐसे प्यार नहीं जताया था ,असल में रानी और सोनल,किशन और विजय के बहुत ही करीब थे और चारो अजय से थोडा डरते भी थे वही निधि को बस अजय ही समझ आता था बाकियों से वो उतनी घुली मिली नहीं थी ,निधि कभी भी अजय से नहीं डरी,सारे भाई बहान उसे भईया की चमची कहते थे,लेकिन आज अजय की बांहों में सोनल को बहुत सुकून मिल रहा था,वो इसे छोड़ना नहीं चाहती थी,अजय भी अपना हाथ सोनल के सर पर ले गया ,
"सॉरी बहन गलती हो गयी ,मुझे लगा की मेरी बहने शहर आकर बदल गयी होंगी और जैसा वह का माहोल था और जैसे तुम लोग लडको के साथ बैठे थे मुझे सच में तुम लोगो का वह होना अच्छा नहीं लगा ,पर क्या करू बहन मैं एक भाई हु ना वो भी एक जाहिल गाव का लड़का,"सोनल अजय के मुह पर अपना हाथ रख दिया ,
"मेरे भाइयो से जादा अच्छा वहा कोई भी नहीं था,वहा जो लोग थे वो अपने बाप की दौलत उड़ने वाले थे ,पर मेरे भाई तो कई लोगो को आश्रय देने वाले है,भईया हमें माफ़ कर दीजिये हम वहा कभी नहीं जायेंगे ,और भईया हम शराब नहीं पि रहे थे वो एक दोस्त का बर्थ डे था इसलिए चले गए ,और वो सभी लड़के लडकिय मेरे कॉलेज के दोस्त है ,सॉरी भईया ,और आप मेरे भाई सबसे बेस्ट है ,:सोनल अजय के गाल पर एक किस देकर उससे अलग हुई ,रानी भी दौड़कर आई और अजय को किस कर दि ,अजय हलके से मुस्कुरा दिया वही विजय ने सोनल को अपने गाल पर उंगली रखते हुए इशारा किया ,सोनल ने जीभ दिखा के इशारे में हलके से रेणुका कहा और हसने लगी ,ये देखकर निधि ने जाकर विजय को एक किस दे दिया ,विजय बहुत खुश हुआ और सोनल को चिढाने लगा ,तभी निधि बोली
"हमारे भईया सबसे बेस्ट है तभी तो आपकी सब फ्रेंड्स इन्हें लाइन मार रही थी ,और खासकर वो खुसबू कैसे अजय भईया को घुर रही थी ,"निधि ने मुह बनाते हुए कहा ,लेकिन सब थोड़े असहज हो गए जिसे अजय ने महसूस कर लिया था ,
"कौन खुसबू ,"
"वही पिंक कपड़ो वाली "निधि ने फिर चिड़ते हुए कहा ,
"भईया वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त है ,वो अपने परिवार के साथ यही रहती है ,"सोनल ने बात सम्हाला
"कौन कौन है उसके परिवार में "अजय ने यु ही पूछ लिया
"उसके माता पिता तो यहाँ नहीं रहते ,उसने बताया की वो विदेश में रहते है यहाँ उसके दो भाई और उसकी एक बहन है,एक भाई अभी छोटा है स्कूल में है वो अपने दादा जी के पास गांव में रहता है ,"अजय सब धयान से सुन रहा था ,
"अच्छा कोण से गांव के है वो "
"वो तो मुझे नहीं पता भईया "
"ह्म्म्म ठीक है ,दोस्तों का चयन हमेशा सम्हाल के करना जानती हो ना हमारे कितने दुसमन है ,चलो अब सो जाओ कल मुझे किसी से काम है ,पापा के पुराने दोस्त है उनसे मिलाना है ,मैं सोने जा रहा हु और तुम लोग भी जादा बाते मत करना ठीक है ना ,"सब ने सर तो हिला दिया पर वो कहा सोने वाले थे ये तो उन्हें भी पता था ,और अजय को भी ,अजय के जाने के बाद उनकी मस्ती चालू हो गयी लेकिन पहले निधि के जाने का वेट कर रहे थे ,थोड़ी देर में निधि भी बोर होकर अजय के कमरे में चली गयी ,और उसके जाते ही ,
"कैसे रे कमीने अपनी महबूबा की शादी करा रहा है ,"सोनल ने विजय का कॉलर पकड़कर कहा,विजय और सोनल जुड़वाँ थे वही किशन और रानी भी इनके हमउम्र इसलिए इनके बीच कुछ भी छिपा हुआ नहीं था ,खासकर सोनल और विजय के बीच ,
"क्या करू यार मौसी और भईया की बात कोई टाल सकता है क्या ,लेकिन एक चीज तो अच्छी है कि वो अपने पास ही रहेगी "
josef
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Re: जुनून (प्यार या हवस)

Post by josef »

"यानि तेरी तो ऐश है ,कमीना साला बहुत ही लक्की है तू "सोनल ने हस्ते हुए कहा यु तो रानी को सब कुछ पता था पर वो थोडा असहज महसूस कर रही थी अगर किशन होता तो अलग बात थी ,उसे किशन की बहुत याद आ रही थी,
"दीदी मैं चली सोने आपलोग को शर्म तो है नहीं की छोटी बहन बैठी है,और ऐसे बात कर रहे हो "रानी ने बुरा सा मुह बनाया ,सोनल हस पड़ी वही विजय ने उसे ऊपर से निचे तक घुर के देखा
"ऐसे हमारी छोटी बहन अब बहुत बड़ी हो गयी है ,है ना सोनल "और सोनल को आँख मार दिया ,रानी उसका मतलब समझ कर शर्मा गयी विजय को एक मुक्का मार कर झूठा गुस्सा दिखाते हुए वहा से चली गयी वही सोनल की हसी छुट गयी ,रानी के जाते ही सोनल विजय की बांहों में आ गयी ,विजय सोफे में बैठा था और सोनल उसपर झुक बैठ गयी थी विजय ने उसे अपने बांहों में भर लिया ,और उसके सर को किस किया ,
"निधि कितनी लकी है ना विजय की घर में ही रहती है ,और एक हम है जो अपने भाइयो से मिलने के लिए भी तडफते रहते है ,कितने दिन हो गए तेरी बांहों में नहीं सोयी हु,मुझे तो निधि से जलन होती है कभी-कभी, हमेशा भईया से चिपकी रहती है और हम है भाई के गले लगने के लिए भी सोचते है ,और उनसे डरते है ,
विजय उसके सर को सहलाता है
"भईया से गले लगने को तो मैं भी तडफता हु मेरी जान ,वो देवता है उनकी पूजा करो पर प्यार ना दिखाओ ,और निधि तो बच्ची है ,प्यारी सी गुडिया "सोनल उसे कस लेती है
"हा वो तो अब भी तुम्हारी प्यारी सी गुडिया है ,तुम्हारी प्यारी गुडिया के हर चीज बड़े हो रहे है कभी देखा भी है "विजय उसे एक चपात उसके सर में मार देता है की सोनल आऊ कर जाती है ,
"मैं अपनी गुडिया के देखूंगा ,कामिनी कही की "सोनल फिर हस देती है
"हा हा मेरा राजा भाई तो बहुत शरीफ है ना ,जैसे उसे कुछ पता ही नहीं गाव की ना जाने कितनी लडकियों को तुमने ,....और अभी सरीफ बन रहा है ,हां अब तो तू रेणुका का ही देखता होगा मैं तो भूल गयी थी ,"विजय उसे जोर से जकड लेता है की सोनल के मुह से आह निकल जाती है और वो छूटने के लिए छटपटाने लगती है ,
"आजकल बहुत बोल रही है ,और वो आयटम कौन थी मस्त थी क्या नाम था हा खुसबू ,"सोनल अपना सर उठा के देखती है
"कमीने वो भाभी है तेरी समझे ,"
"अच्छा जैसे भईया उसे घास भी डालेंगे "
"क्यों नहीं डालेंगे ,मैं उसकी मदत करुँगी ना भईया को पटाने में,कब तक मेरे भईया हमारी जिम्मेदारियों के बोझ में दबे रहेंगे हमें भी तो उनके लिए कुछ करना चाहिए ना,और खुसबू से अच्छी कोई हो सकती है क्या ,और मैंने खुसबू की निगाहों में देखा है वो तो बस पगला गयी है भाई को देखकर ,"
"अरे हमारे भईया किसी हीरो से कम है क्या ,चल ठीक है हम भी मदद करेंगे और उसके चरण धो के पियूँगा अगर भईया ने उसे हमारी भाभी मान लिया तो ,चल जान अब सोना है कल भाई जल्दी उठा देंगे पापा के किसी दोस्त से मिलने जाना है ,"
"ओके पर मेरे और रानी के साथ ही सोयेगा तू ,कितने दिन हो गए तुझसे लिपट के सोये हुए ,और जबसे ये रेणुका जवान हुई है मेरे भाई को ही छीन ली "सोनल हलके गुस्से से बोली
"अरे मेरी जान रेणुका क्या कोई भी लड़की मेरे बहनों की जगह नहीं ले सकती समझी चल अब चलते है ,"सोनल मुस्कुरा कर अपने भाई के बांहों से निकलती है और उसके गालो में प्यारी सी पप्पी दे देती है ,विजय भी मुस्कुरा देता है ,
"और ये कोण दोस्त है पापा के जिससे मिलने जाना है ,"
"अरे है कोई बड़ा अजीब नाम है ,बाली काका ने कहा है की मिलके आ जाना ,क्या नाम है ....
हा डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले "सोनल आँखे फाडे देखती है
"डॉ चुतिया "
"डॉ चुतिया ये कैसा नाम है "
"अरे बहुत नाम है उनका इस शहर में उन्हें सब चुतिया डॉ कहते है ,कल मिल लेना तुम्हे भी पता चल जायेगा ..."सोनल मुस्कुराती हुई विजय का हाथ पकडे अपने रूम में जाती है ....

अजय और विजय डॉ चुतिया के क्लिनिक पहुचाते है ,जाने से पहले उन्होंने सभी को तैयार रहने के लिए कहा था ताकि जल्द ही सारी शोपिंग करके पूरा काम निपटा लिया जाय,वो क्लिनिक पहुचते है,एक छोटा सा क्लिनिक था उनका अंदर जाने पर वह कोई भी मरीज नहीं दीखता ,डॉ अपने केबिन में बैठे हुए थे ,अजय केबिन के बहार से ही दरवाजा खोलता है और अंदर झाकता है,डॉ उसे अपने लेपटोप में कुछ काम करते हुए दिखाई देते है,
"क्या मैं अंदर आ सकता हु,"डॉ बिना डॉ उठाये ही कहते है
"हा हा आ जाओ अजय ,"अजय और विजय दोनों आश्चर्य से अंदर जाते है ,एक सावले रंग का पतला दुबला सा शख्स चेयर पर बैठा होता है ,चहरे की आभा उसके ज्ञान को बतला रही थी ,उम्र कोई 40-45 की वही एक 29-30 साल की महिला जो दिखने में सेकेटरी जैसे पोसख पहने थी ,जिसके उन्नत वक्ष उसके तने हुए कपड़ो से बहार आने को बेताब थे और कुलहो के उभार ऐसे थे जिसे देख कर विजय के मुह में पानी आ गया वही अजय थोडा असहज सा हो गया ,
"हा बैठो बैठो "डॉ ने सर उठाते हुए कहा ,
"वाह तो तुम अजय हो और तुम विजय ,बिलकुल अपने बाप पर गए हो ,वीर ठाकुर साले की क्या पर्सनाल्टी थी ,बिलकुल तुम्हारी तरह और बाली तुम तो उसके जीरोक्स लगते हो विजय ,"दोनों डॉ को आश्चर्य से देख रहे थे ,की पापा और चाचा को इतने अच्छे से जानने वाले शख्स को ये जानते ही नहीं ,
"वो डॉ साहब काका ने आपसे मिलने को कहा था ,कोई काम था क्या ,"
"ह्म्म्म काम तो नहीं था बस मैं तुमसे मिलना चाहता था,वीर के जाने के बाद मैं वह कभी नहीं आ पाया ,सोचा उसके बच्चो से ही मिल लू,और तुम्हारी बहने कैसी है ,यही कॉलेज में पड़ती है ना,बाली ने मुझे बताया था,"
"जी यही है ,"अजय ने एक छोटा सा उत्तर दिया वही विजय नजर बचा के उस महिला को देख रहा था जिसे डॉ ने भाप लिया .
"ये मेरी सेकेटरी है ,मेरी मारलो "विजय को खासी आ गयी ,
"कोई बात नहीं इसका नाम सुनकर सभी को ऐसा ही होता है ,ऐसे तुम इसे मेरी बुला सकते हो,मेरी विजय को थोडा बहार ले जाओ और पानी पिला देना ,देखो पानी ही पिलाना "डॉ और मेरी के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी वही अजय को चिंता होने लगी क्योकि वो विजय को अच्छे से जानता था और ये उनका गाव नहीं था,उनके जाते ही डॉ अजय के तरफ मुखातिब हुआ,
"अजय बात कुछ ऐसी है की मैं तुम्हे विजय के सामने नहीं बता सकता,बात असल में ये है और ऐसी है की मैंने आज तक बाली से भी ये बार छुपा के रखी थी,अब तुम बड़े हो चुके हो और मेरा मानना है की तुम अब समझदार हो तो तुम्हे ये बात बता सकता हु,पर मेरी बात को बड़े ही धयन से सुनना और इसका जिक्र किसी से नहीं करना ,"अजय के चहरे पर चिंता के भाव गहरा गया था,जिस वक्ती को उसने कभी देखा नहीं था वो उसे क्या बताने वाला है जो उसने इतने दिनों तक छिपा रखा था,
"अजय देखो जिस दिन तुम्हारे पापा मम्मी का एक्सीडेंट हुआ था वो मेरे पास ही आ रहे थे "अजय चौक गया ,
"हा अजय बात ऐसी है की ये कोई हादसा नहीं था ,बल्कि सोची समझी चाल थी ,और ये एक मडर था,वो दोनों अकेले ही शहर के लिए निकले है ये बात किसी ने उन्हें बताई थी ,और उन्हें प्लानिंग से एक्सीडेंट कराया गया था,"अजय की आँखे लाल हो चुकी थी वो जानता था की किसने ये बताया होगा और किसने उनका एक्सीडेंट कराया होगा ...
"मैं जानता हु डॉ ये किसने किया होगा ,ये मेरी ही चाची और तिवारियो की मिली भगत होगी "डॉ उसे लाल होते देख थोडा घबराया पर उसने उसे शांत रहने को कहा ,
"अजय पहले तो मुझे भी ऐसा ही लगा था,इसलिए मैं तुम्हे शांत रहने को कह रहा हु,जल्दबाजी में लिया गया फैसला कई जिन्दगिया बर्बाद कर सकता है,और अब तुम अकेले तो नहीं हो तुम्हारे ऊपर कई जिम्मेदारिय भी तो है,"डॉ की बात से अजय चौक गया और डॉ को घूरने लगा
"डॉ हमारे परिवार का एक ही दुसमन है और वो है तिवारी,उनके सिवाय ये काम कौन कर सकता है ,और आपने ये फैसला कैसे किया की वो गुनाहगार नहीं है,आप जानते ही क्या है हमारे परिवार के बारे में ,"अजय के चहरे से मनो खून उतर आया हो लेकिन डॉ शांत थे और उनकी शांति ही अजय को शांत रहने को मजबूर कर रही थी,वो चाह कर भी अपने को बेकाबू नहीं कर पा रहा था,ये कैसे हो रहा था ये तो उसे भी नहीं पता था बस उसे लग रहा था की जैसे कोई ताकत उसे शांत कर रही थी ,ये डॉ का ही ओरा था ,उनका ही प्रभाव था की अजय कुछ नहीं कर पा रहा था,
"हा अजय मैं तुम्हारे परिवार की स्तिथि को नहीं जानता ,इसलिए मैं इतने सालो से तुम्हारे माँ पिता के कातिलो को ढूँढ रहा हु,तुमने सही कहा की मेरा तुम्हारे परिवार से कोई रिश्ता नहीं है है ना,इसलिए तुम्हारे परिवार को बचाने के लिए मैं बाली से सच छिपा के रखा था,मैंने सोचा था की तुम समझदार होगे ,अगर तुम्हे मेरे बात पर भरोषा नहीं है तो ठीक है ,जाओ मार दो अपनी चाची को और बहा दो खून की नदिया तिवारियो के लेकिन असली गुनाहगार का क्या ,जो आज भी तुम्हारे परिवार को बर्बाद करने की सपथ लिए बैठा है,तुम्हे क्या लगता है, तुम्हारी बहनों पर यहाँ कोई भी खतरा नहीं है,तुम और तुम्हारा परिवार आज भी खतरे में है ये समझ लेना तुम ,मैं सालो से तुम्हारे परिवार पर नजर रखे हु,जब वीर जिन्दा था तब भी मैंने उसे आगाह किया था की तुमपर खतरा है,मेरे बच्चे जो गलती तुम्हारे पिता ने की वो तुम मत करो "डॉ की बाते सीधे अजय के दिल में लगी उसे डॉ के अहसानों का मतलब समझ आया वो उठा और डॉ के चरणों में बैठ गया ,अब उसकी आँखों मर आंसू था ,
"अंकल मुझे नहीं पता की मैं क्या करू पर आपने जो कहा अगर वो सच है तो मैं उसे तबाह कर के रहूँगा जिसने मेरे परिवार को उजड़ने की कोसिस की है ,कोण है वो "
डॉ ने उसे उठाया और फिर से उसे खुर्सी में बैठाया
"यही तो पता नहीं चल पा रहा है ,मैंने जीतनी जाच अभी तक की है उसमे इतना ही पता चल पाया है की वो ना तो तिवारी है ना तुम्हारी चाची,इनफोर्मेसन देने वाला कोण है ये पता नहीं चल रहा पर हा एक्सीडेंट जिस ट्रक से हुआ था उसका ड्राइवर से मैं मिला उसकी अब मौत हो चुकी है ,उसे बस किसी ने अच्छे खासे पैसे दिए थे वो कोण था ये उसे नहीं पता,"
"पर आपको कैसे पता चला की तिवारियो का इसमें कोई हाथ नहीं है,"
"जब तुम्हारे पापा जिन्दा थे तभी से हमने तिवारियो के यहाँ अपने आदमी बिठा के रखे थे ,उन्होंने ही मुझे ये बताया था की उस दिन कोई भी कही नहीं गया और ना ही उसके कुछ दिन पहले ही कोई ऐसी हरकत हुई की कोई शक उनपर जाए ,माना वो लोग तुम लोगो के सबसे बड़े दुसमन है ,पर तुम्हारी माँ उस घर्र की ही तो बेटी है ,और रामचंद्र कभी अपनी इकलौती बेटी को नहीं मार सकता ,वो तो आज भी उसे बहुत प्यार करता है ,और तुम लोगो को भी वरना उसके बेटे यु चुप रहने वालो में से तो नहीं है ,"अजय को डॉ की बात पर भरोषा होने लगा
"पर अंकल अब हम क्या करेंगे "डॉ के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी
"कुछ भी नहीं ,बस इन्तजार ....ताकि वो कुछ करे और हमारे हत्थे चढ़े ..."डॉ एक शून्य आकाश में देखते हुए बोला ...
तभी एक चीख आई वो चीख मेरी की थी,अजय और डॉ अपने खयालो से निकले अजय जैसे ही उठने को हुआ डॉ ने अपनी जगह से उठकर उसे रोक लिया और उसका हाथ पकड़ कर मुस्कुरा दिया ...
"डॉ साहब सॉरी वो विजय "
"कोई बात नहीं आज मेरी को भी कोई असली मर्द मिल ही गया जो उसकी चीख निकल सके "अजय ने अपना सर निचे कर लिया और डॉ के पैर पढ उनसे आशीर्वाद लिया
"अंकल हमें जाना होगा वो बहाने भी वेट कर रही होंगी "डॉ कुछ नहीं बोले और अपने सिट पर बैठ गए ,अजय अपना सर निचे किये ही कमरे से बाहर आया
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007
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Re: जुनून (प्यार या हवस)

Post by 007 »

Nice update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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