अब राज ने उसे नंगा किया और एक बार फिर दोनों आलिंगन बद्ध हो गए। इस बार राज का लिंग डॉली की नाभि को टटोल रहा था। डॉली ने अपने पंजों पर खड़े हो कर किसी तरह लिंग को अपनी योनि की तरफ किया और अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर लीं। राज का लिंग अब डॉली की चूत के दरवाज़े पर था और डॉली उसकी तरफ आशा भरी नज़रों से देख रही थी। राज ने एक ऊपर की तरफ धक्का लगाया और उसका लंड चूत में थोड़ा सा चला गया।
अब उसने डॉली को चूतड़ से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और डॉली ने अपने हाथ राज की गर्दन के इर्द-गिर्द कर लिए तथा उसकी टांगें उसकी कमर से लिपट गईं। अब वह अधर थी और राज खड़ा हो कर उसे अपने लंड पर उतारने की कोशिश कर रहा था। थोड़ी देर में लंड पूरा डॉली की चूत में घुस गया या यों कहिये कि चूत उसके लंड पर पूरी उतर गई।
डॉली ने ऊपर नीचे हो कर अपने आप को चुदवाना शुरू किया। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि ऐसा आसन उसने पहली बार ग्रहण किया था। कुछ देर के बाद राज ने बिना लंड बाहर निकाले डॉली को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसको जोर जोर से चोदने लगा। हालाँकि राज आज डॉली की गांड मारने के इरादे से आया था पर काम और क्रोध पर किसका जोर चलता है !! राज २-३ मिनटों में ही बेहाल हो गया और उसकी पिचकारी डॉली की योनि में छूट गई। राज की यही एक कमजोरी थी कि पहली बार उसका काम बहुत जल्दी तमाम हो जाता था। पर दूसरी और तीसरी बार जब वह सम्भोग करता था तो काफी देर तक डटा रह सकता था।
उसने लंड बाहर निकाला और डॉली को माथे पर पुच्ची करके बाथरूम चला गया। अपना लंड धो कर वह वापस आ गया। डॉली जब कुछ देर के लिए बाथरूम गई तो राज ने एक गोली खा ली। शाम के ६ बज रहे थे। अभी भी उसके पास करीब २ घंटे थे। जब डॉली वापस आई तो राज ने उससे पूछा कि वह कितनी देर और रुक सकती है।
डॉली ने भी अपने पति से देर से आने की बात कह दी थी सो उसे भी कोई जल्दी नहीं थी। तो राज ने सोचा की शायद आज ही उसकी बरसों की मनोकामना पूरी हो जायेगी। उसने डॉली से पूछा वह उस से कितना प्यार करती है।
डॉली ने कहा- इम्तिहान ले कर देख लो !!
राज ने कहा- कितना दर्द सह सकती हो?
डॉली ने कहा- जब औरत बच्चे को जन्म दे सकती है तो बाकी दर्द की क्या बात !!
यह सुन कर राज खुश हो गया और डॉली को बिस्तर पर उल्टा लेटने के लिए बोला। डॉली एक अच्छी लड़की की तरह झट से उलटा लेट गई। राज ने उसके पेट के नीचे एक मोटा तकिया लगा दिया जिस से उसकी गांड ऊपर की ओर और उठ गई।
राज ने अपने बैग से तेल की शीशी, जेली का ट्यूब, छोटा तौलिया और "लिंगराज" को निकाला और पास की मेज़ पर रख दिया। डॉली का मुँह तकिये में छुपा था और शायद उसकी आँखें बंद थीं। वह जानती थी कि क्या होने वाला है और वह राज की खातिर कोई भी दर्द सहने के लिए तैयार थी।
राज ने नारियल के तेल से डॉली के चूतड़ों की मालिश शुरू की। डॉली की मांस पेशियाँ जो कसी हुईं थीं उन्हें धीरे धीरे ढीला किया और उसके बदन से टेंशन दूर करने लगा। उसके हाथ कई बार उसकी चूत के इर्द गिर्द और उसके अन्दर भी आने जाने लगे थे। डॉली को आराम भी मिल रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
सातवें आसमान पर complete
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Re: सातवें आसमान पर
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Re: सातवें आसमान पर
इस तरह मालिश करते करते राज ने डॉली की गांड के छेद के आस पास भी ऊँगली घुमाना शुरू किया और अच्छी तरह तेल से गांड को गीला कर दिया। अब उसने अपनी तर्जनी ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश की। ऊँगली गांड में थोड़ी सी घुस गई तो डॉली थोड़ी सी हिल गई।
राज ने पूछा- कैसा लग रहा है?
तो डॉली ने कहा- अच्छा !
उसने कहा की अब वह ऊँगली पूरी अन्दर करने की कोशिश करेगा और डॉली को इस तरह जोर लगाना चाहिए जैसे वह शौच के वक़्त लगाती है। इससे गांड का छेद अपने आप ढीला और बड़ा हो जायेगा। डॉली ने वैसा ही किया और राज की एक ऊँगली उसकी गांड में पूरी चली गई।
राज ने कोई और हरकत नहीं की और ऊँगली को कुछ देर अन्दर ही रहने दिया। फिर उसने डॉली से पूछा- कैसा लग रहा है?
डॉली ने कहा- ठीक है।
तो राज ने धीरे से अपनी ऊँगली बाहर निकाल ली।
अब उसने अपनी ऊँगली पर जेली अच्छी तरह से लगा ली और डॉली की गांड के बाहर और करीब आधा इंच अन्दर तक अच्छी तरह से जेली मल दी। अब उसने डॉली से कहा कि जब वह ऊँगली अन्दर की तरफ डालने की कोशिश करे उसी वक़्त डॉली को शौच वाला जोर लगाना चाहिए। जब दोनों ने ऐसा किया तो ऊँगली बिना ज्यादा मुश्किल के अन्दर चली गई।
राज ने ऊँगली अन्दर ही अन्दर घुमाई और बाहर निकल ली। अब उसने अपनी दो उँगलियों पर जेली लगाई और वही क्रिया दोहराई। दो उँगलियों के अन्दर जाने में डॉली को थोड़ी तकलीफ हुई पर ज्यादा दर्द नहीं हुआ।
राज हर कदम पर डॉली से उसके दर्द के बारे में पूछता रहता था। उसने इसीलिए अपनी उँगलियों के नाखून काट कर फाइल कर लिए थे वरना डॉली को अन्दर से कट लग सकता था...
एक दो बार जब दो उँगलियों से गांड में प्रवेश की क्रिया ठीक से होने लगी तो उसने दो उँगलियों को गांड के अन्दर घुमाना शुरू किया जिस से गांड का छेद और ढीला हो सके।
इसके बाद उसने "लिंगराज" को निकाला और उसके अगले ४-५ इंच को अच्छी तरह जेली से लेप दिया। डॉली की गांड के छेद के इर्द गिर्द और अन्दर भी अच्छे से जेली लगा दी। अब राज ने डॉली की टांगें थोड़ी और चौड़ी कर दी और लिंगराज को उसकी गांड के छेद पर रख दिया। दूसरे हाथ से वह उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। लिंगराज का स्पर्श डॉली को ठंडा लगा और उसकी गांड यकायक टाइट हो गई।
उसने पलट कर देखा तो लिंगराज को देख कर आश्चर्यचकित रह गई। उसने ऐसा यन्त्र पहले नहीं देखा था। राज ने बताया कि इसे उसने खुद ही बनाया है और इसको इस्तेमाल करके वह डॉली के दर्द को कम करेगा। उसने यह भी बताया कि इस यन्त्र का नाम "लिंगराज" है। नाम सुन कर डॉली को हंसी आ गई।
राज ने आश्वासन के तौर पर उसकी पीठ थपथपाई और फिर से उलटे लेट जाने को कहा। उसने डॉली को याद दिलाया की किस तरह (शौच की तरह) उसे अपनी गांड ढीली करनी है जिस से लिंगराज गांड में जा सके। डॉली ने सिर हिला कर सहयोग करने का इशारा किया।
अब राज ने कहा कि तीन की गिनती पर वह लिंगराज को अन्दर करेगा। डॉली तैयार हो गई पर अनजाने में फिर उसकी गांड टाइट हो गई। राज ने उसे घबराने से मना किया और उसकी योनि, पीठ तथा चूतड़ों पर प्यार से हाथ सहलाने लगा।
उसने कहा- जल्दबाजी की कोई ज़रुरत नहीं है। अगर तुम तैयार नहीं हो तो किसी और दिन करेंगे।
डॉली ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है और मैं तैयार हूँ !
राज ने कहा "ओ के, अब मैं तीन गिनूंगा तुम तीन पर अपनी गांड ढीली करना"।
राज ने पूछा- कैसा लग रहा है?
तो डॉली ने कहा- अच्छा !
उसने कहा की अब वह ऊँगली पूरी अन्दर करने की कोशिश करेगा और डॉली को इस तरह जोर लगाना चाहिए जैसे वह शौच के वक़्त लगाती है। इससे गांड का छेद अपने आप ढीला और बड़ा हो जायेगा। डॉली ने वैसा ही किया और राज की एक ऊँगली उसकी गांड में पूरी चली गई।
राज ने कोई और हरकत नहीं की और ऊँगली को कुछ देर अन्दर ही रहने दिया। फिर उसने डॉली से पूछा- कैसा लग रहा है?
डॉली ने कहा- ठीक है।
तो राज ने धीरे से अपनी ऊँगली बाहर निकाल ली।
अब उसने अपनी ऊँगली पर जेली अच्छी तरह से लगा ली और डॉली की गांड के बाहर और करीब आधा इंच अन्दर तक अच्छी तरह से जेली मल दी। अब उसने डॉली से कहा कि जब वह ऊँगली अन्दर की तरफ डालने की कोशिश करे उसी वक़्त डॉली को शौच वाला जोर लगाना चाहिए। जब दोनों ने ऐसा किया तो ऊँगली बिना ज्यादा मुश्किल के अन्दर चली गई।
राज ने ऊँगली अन्दर ही अन्दर घुमाई और बाहर निकल ली। अब उसने अपनी दो उँगलियों पर जेली लगाई और वही क्रिया दोहराई। दो उँगलियों के अन्दर जाने में डॉली को थोड़ी तकलीफ हुई पर ज्यादा दर्द नहीं हुआ।
राज हर कदम पर डॉली से उसके दर्द के बारे में पूछता रहता था। उसने इसीलिए अपनी उँगलियों के नाखून काट कर फाइल कर लिए थे वरना डॉली को अन्दर से कट लग सकता था...
एक दो बार जब दो उँगलियों से गांड में प्रवेश की क्रिया ठीक से होने लगी तो उसने दो उँगलियों को गांड के अन्दर घुमाना शुरू किया जिस से गांड का छेद और ढीला हो सके।
इसके बाद उसने "लिंगराज" को निकाला और उसके अगले ४-५ इंच को अच्छी तरह जेली से लेप दिया। डॉली की गांड के छेद के इर्द गिर्द और अन्दर भी अच्छे से जेली लगा दी। अब राज ने डॉली की टांगें थोड़ी और चौड़ी कर दी और लिंगराज को उसकी गांड के छेद पर रख दिया। दूसरे हाथ से वह उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। लिंगराज का स्पर्श डॉली को ठंडा लगा और उसकी गांड यकायक टाइट हो गई।
उसने पलट कर देखा तो लिंगराज को देख कर आश्चर्यचकित रह गई। उसने ऐसा यन्त्र पहले नहीं देखा था। राज ने बताया कि इसे उसने खुद ही बनाया है और इसको इस्तेमाल करके वह डॉली के दर्द को कम करेगा। उसने यह भी बताया कि इस यन्त्र का नाम "लिंगराज" है। नाम सुन कर डॉली को हंसी आ गई।
राज ने आश्वासन के तौर पर उसकी पीठ थपथपाई और फिर से उलटे लेट जाने को कहा। उसने डॉली को याद दिलाया की किस तरह (शौच की तरह) उसे अपनी गांड ढीली करनी है जिस से लिंगराज गांड में जा सके। डॉली ने सिर हिला कर सहयोग करने का इशारा किया।
अब राज ने कहा कि तीन की गिनती पर वह लिंगराज को अन्दर करेगा। डॉली तैयार हो गई पर अनजाने में फिर उसकी गांड टाइट हो गई। राज ने उसे घबराने से मना किया और उसकी योनि, पीठ तथा चूतड़ों पर प्यार से हाथ सहलाने लगा।
उसने कहा- जल्दबाजी की कोई ज़रुरत नहीं है। अगर तुम तैयार नहीं हो तो किसी और दिन करेंगे।
डॉली ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है और मैं तैयार हूँ !
राज ने कहा "ओ के, अब मैं तीन गिनूंगा तुम तीन पर अपनी गांड ढीली करना"।
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Re: सातवें आसमान पर
डॉली ने चूतड़ हिला कर हाँ का इशारा किया। राज ने एक, दो, तीन कहते हुए तीन पर लिंगराज को गांड के छेद में डालने के लिए जोर लगाया। पर डॉली की कुंवारी गांड लिंगराज की चौड़ाई के लिए तैयार नहीं थी सो लिंगराज अपने निशाने से फिसल गया और जेली के कारण बाहर आ गया। राज की हंसी छूट गई और डॉली भी मुस्करा कर पलट गई।
राज ने कहा- कोई बात नहीं, एक बार फिर कोशिश करते हैं।
उसने लिंगराज के सुपारे पर थोड़ी और जेली लगाई और एक-दो-तीन कह कर फिर से कोशिश की। इस बार लिंगराज करीब आधा इंच अन्दर चला गया। डॉली के मुँह से एक हलकी सी आवाज़ निकली।
राज ने एकदम लिंगराज को बाहर निकाल कर डॉली से पूछा कि कैसा लगा? दर्द बहुत हुआ क्या?
डॉली ने पलट कर उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी की और कहा- तुम मेरा इतना ध्यान रख रहे हो तो मुझे दर्द कैसे हो सकता है !! अब मेरे बारे में सोचना बंद करो और लिंगराजजी को अन्दर डालो।
यह सुनकर राज का डर थोड़ा कम हुआ और उसने कहा- ठीक है, चलो इस बार देखते हैं तुम में कितना दम है !!
एक बार फिर जेली गांड और लिंगराज पर लगा कर उसने एक-दो-तीन कह कर थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाया। इस बार लिंगराज अचानक करीब डेढ़ इंच अन्दर चला गया और डॉली ने कोई आवाज़ नहीं निकाली। बस एक लम्बी सांस लेकर छोड़ दी। राज ने लिंगराज को अन्दर ही रहने दिया और डॉली की पीठ सहलाने लगा। उसने डॉली को शाबाशी दी और कहा वह बहुत बहादुर है।
थोड़ी देर बाद राज ने डॉली को बताया कि अब वह लिंगराज को बाहर निकालेगा। और फिर धीरे धीरे लिंगराज को बाहर खींच लिया। उसने डॉली से पूछा उसे अब तक कैसा लगा तो डॉली ने कहा कि उसे दर्द नहीं हुआ और थोड़ा मज़ा भी आया।
राज ने डॉली को आगाह किया कि इस बार वह लिंगराज को और अन्दर करेगा और अगर डॉली को तकलीफ नहीं हुई तो लिंगराज से उसकी गांड को चोदने की कोशिश करेगा। डॉली ने कहा वह तैयार है।
पर राज ने एक बार फिर सब जगह जेली का लेप किया और तीन की गिनती पर लिंगराज को घुमाते हुए उसकी गांड के अन्दर बढ़ा दिया। डॉली थोड़ा कसमसाई क्योंकि लिंगराजजी इस बार करीब चार इंच अन्दर चले गए थे। राज ने डॉली को और शाबाशी दी और कहा कि अब वह तीन की गिनती नहीं करेगा बल्कि डॉली को खुद अपनी गांड उस समय ढीली करनी होगी जब उसे लगता है कि लिंगराज अन्दर जा रहा है।
यह कह कर उसने लिंगराज को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। हर बार जब लिंगराज को वह अन्दर करता तो थोड़ा और ज़ोर लगाता जिससे लिंगराज धीरे धीरे अब करीब ६ इंच तक अन्दर पहुँच गया था। डॉली को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। यह उसके हाव भाव से पता चल रहा था। राज ने डॉली की परीक्षा लेने के लिए अचानक लिंगराज को पूरा बाहर निकाल लिया और फिर से अन्दर डालने की कोशिश की। डॉली चौकन्नी थी और उसने ठीक समय पर अपनी गांड को ढील दे कर लिंगराज को अपने अन्दर ले लिया। राज डॉली की इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने डॉली की जाँघों को प्यार से पुच्ची कर दी।
अब वह लिंगराज से उसकी गांड चोद रहा था और अपनी उँगलियों से उसकी चूत के मटर को सहला रहा था जिससे डॉली उत्तेजित हो रही थी और अपने बदन को ऊपर नीचे कर रही थी। कुछ देर बाद राज ने लिंगराज को धीरे से बाहर निकाला और डॉली को पलटने को कहा। उसने डॉली के पेट और मम्मों को पुच्चियाँ करते हुआ कहा कि उसके हिसाब से वह गांड मरवाने के लिए तैयार है।
डॉली ने कहा- हाँ, मैं तैयार हूँ पर राज के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह जनाब तो तैयार नहीं हैं, लाओ इन्हें मैं तैयार करूँ।
शाम के सात बज रहे थे। अभी एक घंटा और बचा था। डॉली की उत्सुकता देख कर उसका मन भी गांड मारने के लिए डोल उठा। उसके लंड पर डॉली की जीभ घूम रही थी और उसके हाथ राज के अण्डों को टटोल रहे थे। साथ ही साथ गोली का असर भी हो रहा था।
थोड़ी ही देर में राज का लंड ज़ंग के लिए तैयार हो गया। पहली बार गांड में घुसने की उम्मीद में वह कुछ ज़्यादा ही बड़ा हो गया था। डॉली ने उसके सुपारे को चुम्बन दिया और राज के इशारे पर पहले की तरह उलटी लेट गई। राज ने उसके कूल्हे थोड़े और ऊपर की ओर उठाये और टांगें और खोल दी। डॉली का सिर उसने तकिये पर रखने को कहा और छाती को बिस्तर पर सटा दिया। अब उसने डॉली की गांड की अन्दर बाहर जेली लगा दी और अपने लंड पर भी उसका लेप कर दिया। राज ने पीछे से आ कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और डॉली को पूछा कि क्या वह तैयार है ।
राज ने कहा- कोई बात नहीं, एक बार फिर कोशिश करते हैं।
उसने लिंगराज के सुपारे पर थोड़ी और जेली लगाई और एक-दो-तीन कह कर फिर से कोशिश की। इस बार लिंगराज करीब आधा इंच अन्दर चला गया। डॉली के मुँह से एक हलकी सी आवाज़ निकली।
राज ने एकदम लिंगराज को बाहर निकाल कर डॉली से पूछा कि कैसा लगा? दर्द बहुत हुआ क्या?
डॉली ने पलट कर उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी की और कहा- तुम मेरा इतना ध्यान रख रहे हो तो मुझे दर्द कैसे हो सकता है !! अब मेरे बारे में सोचना बंद करो और लिंगराजजी को अन्दर डालो।
यह सुनकर राज का डर थोड़ा कम हुआ और उसने कहा- ठीक है, चलो इस बार देखते हैं तुम में कितना दम है !!
एक बार फिर जेली गांड और लिंगराज पर लगा कर उसने एक-दो-तीन कह कर थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाया। इस बार लिंगराज अचानक करीब डेढ़ इंच अन्दर चला गया और डॉली ने कोई आवाज़ नहीं निकाली। बस एक लम्बी सांस लेकर छोड़ दी। राज ने लिंगराज को अन्दर ही रहने दिया और डॉली की पीठ सहलाने लगा। उसने डॉली को शाबाशी दी और कहा वह बहुत बहादुर है।
थोड़ी देर बाद राज ने डॉली को बताया कि अब वह लिंगराज को बाहर निकालेगा। और फिर धीरे धीरे लिंगराज को बाहर खींच लिया। उसने डॉली से पूछा उसे अब तक कैसा लगा तो डॉली ने कहा कि उसे दर्द नहीं हुआ और थोड़ा मज़ा भी आया।
राज ने डॉली को आगाह किया कि इस बार वह लिंगराज को और अन्दर करेगा और अगर डॉली को तकलीफ नहीं हुई तो लिंगराज से उसकी गांड को चोदने की कोशिश करेगा। डॉली ने कहा वह तैयार है।
पर राज ने एक बार फिर सब जगह जेली का लेप किया और तीन की गिनती पर लिंगराज को घुमाते हुए उसकी गांड के अन्दर बढ़ा दिया। डॉली थोड़ा कसमसाई क्योंकि लिंगराजजी इस बार करीब चार इंच अन्दर चले गए थे। राज ने डॉली को और शाबाशी दी और कहा कि अब वह तीन की गिनती नहीं करेगा बल्कि डॉली को खुद अपनी गांड उस समय ढीली करनी होगी जब उसे लगता है कि लिंगराज अन्दर जा रहा है।
यह कह कर उसने लिंगराज को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। हर बार जब लिंगराज को वह अन्दर करता तो थोड़ा और ज़ोर लगाता जिससे लिंगराज धीरे धीरे अब करीब ६ इंच तक अन्दर पहुँच गया था। डॉली को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। यह उसके हाव भाव से पता चल रहा था। राज ने डॉली की परीक्षा लेने के लिए अचानक लिंगराज को पूरा बाहर निकाल लिया और फिर से अन्दर डालने की कोशिश की। डॉली चौकन्नी थी और उसने ठीक समय पर अपनी गांड को ढील दे कर लिंगराज को अपने अन्दर ले लिया। राज डॉली की इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने डॉली की जाँघों को प्यार से पुच्ची कर दी।
अब वह लिंगराज से उसकी गांड चोद रहा था और अपनी उँगलियों से उसकी चूत के मटर को सहला रहा था जिससे डॉली उत्तेजित हो रही थी और अपने बदन को ऊपर नीचे कर रही थी। कुछ देर बाद राज ने लिंगराज को धीरे से बाहर निकाला और डॉली को पलटने को कहा। उसने डॉली के पेट और मम्मों को पुच्चियाँ करते हुआ कहा कि उसके हिसाब से वह गांड मरवाने के लिए तैयार है।
डॉली ने कहा- हाँ, मैं तैयार हूँ पर राज के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह जनाब तो तैयार नहीं हैं, लाओ इन्हें मैं तैयार करूँ।
शाम के सात बज रहे थे। अभी एक घंटा और बचा था। डॉली की उत्सुकता देख कर उसका मन भी गांड मारने के लिए डोल उठा। उसके लंड पर डॉली की जीभ घूम रही थी और उसके हाथ राज के अण्डों को टटोल रहे थे। साथ ही साथ गोली का असर भी हो रहा था।
थोड़ी ही देर में राज का लंड ज़ंग के लिए तैयार हो गया। पहली बार गांड में घुसने की उम्मीद में वह कुछ ज़्यादा ही बड़ा हो गया था। डॉली ने उसके सुपारे को चुम्बन दिया और राज के इशारे पर पहले की तरह उलटी लेट गई। राज ने उसके कूल्हे थोड़े और ऊपर की ओर उठाये और टांगें और खोल दी। डॉली का सिर उसने तकिये पर रखने को कहा और छाती को बिस्तर पर सटा दिया। अब उसने डॉली की गांड की अन्दर बाहर जेली लगा दी और अपने लंड पर भी उसका लेप कर दिया। राज ने पीछे से आ कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और डॉली को पूछा कि क्या वह तैयार है ।
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Re: सातवें आसमान पर
डॉली तो तैयार ही थी। राज ने धीरे धीरे लंड को अन्दर डालने के लिए ज़ोर लगाया पर कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर सुपारे को छेद की सीध में रखते हुए ज़ोर लगाया तो लंड झक से फिसल गया और चूत की तरफ चला गया। राज ने एक बार कोशिश की पर जब लंड फिर भी नहीं घुसा तो उसने फिर से लिंगराज का सहारा लिया। लिंगराज को जेली लगा कर फिर से कोशिश की तो लिंगराज आराम से अन्दर चला गया। लिंगराज से उसकी गांड को ढीला करने के बाद एक और बार राज ने अपने लंड से कोशिश की।
पर उसका लंड लिंगराज से थोड़ा बड़ा था और वह डॉली को दर्द नहीं पहुँचाना चाहता था शायद इसीलिए वह ठीक से ज़ोर नहीं लगा रहा था। डॉली ने मुड़ कर राज की तरफ देखा और कहा- मेरी चिंता मत करो। मुझे अभी तक दर्द नहीं हुआ है। तुम थोड़ा और ज़ोर लगाओ और मैं भी मदद करूंगी।
राज को और हिम्मत मिली और इस बार उसने थोड़ा और ज़ोर लगाया। उधर डॉली ने भी अपनी गांड को ढीला करते हुए पीछे की तरफ ज़ोर लगाया। अचानक राज का लंड करीब एक इंच अन्दर चला गया। पर इस बार डॉली की चीख निकल गई। इतनी तैयारी करने के बाद भी राज के लंड के प्रवेश ने डॉली को हिला दिया।
राज को चिंता हुई तो डॉली ने कहा- अब मत रुकना।
राज ने लंड का जो हिस्सा बाहर था उस पर और जेली लगाई और लंड को थोड़ा सा बाहर खींच कर एक और ज़ोर लगाया।
डॉली ने भी पीछे के तरफ ज़ोर लगाया और राज का लंड लगभग पूरी तरह अन्दर चला गया। डॉली थोड़ा सा हिली पर फिर संभल गई। राज से ज़्यादा डॉली के कारण उन्हें यह सफलता मिली थी।
अब राज को अचानक अपनी सफलता का अहसास हुआ। उसका लंड इतनी टाइट सुरंग में होगा उसको अंदाजा नहीं था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। ख़ुशी के कारण उसका लंड शायद और भी फूल रहा था जिस से उसकी टाइट गांड और भी टाइट लग रही थी।
थोड़ी देर इस तरह रुकने के बाद उसने अपने लंड को हरकत देनी शुरू की। उसका लंड तो चूत का आदि था जिसमें अन्दर बाहर करना आसान होता है। गांड की और बात है। इस टाइट गुफा में जब उसने लंड बाहर करने की कोशिश की तो ऐसा लगा मानो डॉली की गांड लंड को अपने से बाहर जाने ही नहीं देना चाहती। फिर भी राज ने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जितना बाहर निकला उस हिस्से पर जेली और लगा ली। अब धीरे धीरे उसने अन्दर बाहर करना शुरू किया। बाहर करते वक़्त थोड़ा तेज़ और अन्दर करते वक़्त धीरे-धीरे की रफ्तार रखने लगा।
उसने डॉली से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो डॉली ने बहुत ख़ुशी ज़ाहिर की। उसे वाकई बहुत मज़ा आ रहा था। उसने राज को और ज़ोर से चोदने के लिए कहा। राज ने अपनी गति बढ़ा दी और उसका लंड लगभग पूरा अन्दर बाहर होने लगा।
राज की तेज़ गति के कारण एक बार उसका लंड पूरा ही बाहर आ गया। अब वह इतनी आसानी से अन्दर नहीं जा रहा था जितना चूत में चला जाता है। उसने फिर से गांड में और लंड पर जेली लगाई और फिर पूरी सावधानी से लंड को अन्दर डाला। एक बार फिर डॉली की आह निकली पर लंड अन्दर जा चुका था। राज ने फिर से चोदना शुरू किया। उसके लंड को गांड की कसावट बहुत अच्छी लग रही थी और उसे डॉली के पिछले शरीर का नज़ारा भी बहुत अच्छा लग रहा था।
अब उसने डॉली को आगे की ओर धक्का देते हुए बिस्तर पर सपाट लिटा दिया। वह भी उसके ऊपर सपाट लेट गया। डॉली पूरी बिस्तर पर फैली हुई थी। उसकी टांगें और बाजू खुले हुए थे और उसके चूतड़ नीचे रखे तकिये के कारण ऊपर को उठे हुए थे। राज का पूरा शरीर उसके पूरे शरीर को छू रहा था। सिर्फ चोदने के लिए वह अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करता था और उस वक़्त उनके इन हिस्सों का संपर्क टूटता था। राज ने अपने हाथ सरका कर डॉली के बदन के नीचे करते हुए दोनों तरफ से उसके मम्मे पकड़ लिए। राज का पूरा बदन कामाग्नि में लिप्त था और उसने इतना ज्यादा सुख कभी नहीं भोगा था। उधर डॉली ने भी इतना आनंद कभी नहीं उठाया था। उसके नितम्ब रह-रह कर राज के निचले प्रहार को मिलने के लिए ऊपर उठ जाते थे जिससे लंड का समावेश पूरी तरह उसकी गांड में हो रहा था। दोनों सातवें आसमान पर पहुँच गए थे।
पर उसका लंड लिंगराज से थोड़ा बड़ा था और वह डॉली को दर्द नहीं पहुँचाना चाहता था शायद इसीलिए वह ठीक से ज़ोर नहीं लगा रहा था। डॉली ने मुड़ कर राज की तरफ देखा और कहा- मेरी चिंता मत करो। मुझे अभी तक दर्द नहीं हुआ है। तुम थोड़ा और ज़ोर लगाओ और मैं भी मदद करूंगी।
राज को और हिम्मत मिली और इस बार उसने थोड़ा और ज़ोर लगाया। उधर डॉली ने भी अपनी गांड को ढीला करते हुए पीछे की तरफ ज़ोर लगाया। अचानक राज का लंड करीब एक इंच अन्दर चला गया। पर इस बार डॉली की चीख निकल गई। इतनी तैयारी करने के बाद भी राज के लंड के प्रवेश ने डॉली को हिला दिया।
राज को चिंता हुई तो डॉली ने कहा- अब मत रुकना।
राज ने लंड का जो हिस्सा बाहर था उस पर और जेली लगाई और लंड को थोड़ा सा बाहर खींच कर एक और ज़ोर लगाया।
डॉली ने भी पीछे के तरफ ज़ोर लगाया और राज का लंड लगभग पूरी तरह अन्दर चला गया। डॉली थोड़ा सा हिली पर फिर संभल गई। राज से ज़्यादा डॉली के कारण उन्हें यह सफलता मिली थी।
अब राज को अचानक अपनी सफलता का अहसास हुआ। उसका लंड इतनी टाइट सुरंग में होगा उसको अंदाजा नहीं था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। ख़ुशी के कारण उसका लंड शायद और भी फूल रहा था जिस से उसकी टाइट गांड और भी टाइट लग रही थी।
थोड़ी देर इस तरह रुकने के बाद उसने अपने लंड को हरकत देनी शुरू की। उसका लंड तो चूत का आदि था जिसमें अन्दर बाहर करना आसान होता है। गांड की और बात है। इस टाइट गुफा में जब उसने लंड बाहर करने की कोशिश की तो ऐसा लगा मानो डॉली की गांड लंड को अपने से बाहर जाने ही नहीं देना चाहती। फिर भी राज ने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जितना बाहर निकला उस हिस्से पर जेली और लगा ली। अब धीरे धीरे उसने अन्दर बाहर करना शुरू किया। बाहर करते वक़्त थोड़ा तेज़ और अन्दर करते वक़्त धीरे-धीरे की रफ्तार रखने लगा।
उसने डॉली से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो डॉली ने बहुत ख़ुशी ज़ाहिर की। उसे वाकई बहुत मज़ा आ रहा था। उसने राज को और ज़ोर से चोदने के लिए कहा। राज ने अपनी गति बढ़ा दी और उसका लंड लगभग पूरा अन्दर बाहर होने लगा।
राज की तेज़ गति के कारण एक बार उसका लंड पूरा ही बाहर आ गया। अब वह इतनी आसानी से अन्दर नहीं जा रहा था जितना चूत में चला जाता है। उसने फिर से गांड में और लंड पर जेली लगाई और फिर पूरी सावधानी से लंड को अन्दर डाला। एक बार फिर डॉली की आह निकली पर लंड अन्दर जा चुका था। राज ने फिर से चोदना शुरू किया। उसके लंड को गांड की कसावट बहुत अच्छी लग रही थी और उसे डॉली के पिछले शरीर का नज़ारा भी बहुत अच्छा लग रहा था।
अब उसने डॉली को आगे की ओर धक्का देते हुए बिस्तर पर सपाट लिटा दिया। वह भी उसके ऊपर सपाट लेट गया। डॉली पूरी बिस्तर पर फैली हुई थी। उसकी टांगें और बाजू खुले हुए थे और उसके चूतड़ नीचे रखे तकिये के कारण ऊपर को उठे हुए थे। राज का पूरा शरीर उसके पूरे शरीर को छू रहा था। सिर्फ चोदने के लिए वह अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करता था और उस वक़्त उनके इन हिस्सों का संपर्क टूटता था। राज ने अपने हाथ सरका कर डॉली के बदन के नीचे करते हुए दोनों तरफ से उसके मम्मे पकड़ लिए। राज का पूरा बदन कामाग्नि में लिप्त था और उसने इतना ज्यादा सुख कभी नहीं भोगा था। उधर डॉली ने भी इतना आनंद कभी नहीं उठाया था। उसके नितम्ब रह-रह कर राज के निचले प्रहार को मिलने के लिए ऊपर उठ जाते थे जिससे लंड का समावेश पूरी तरह उसकी गांड में हो रहा था। दोनों सातवें आसमान पर पहुँच गए थे।
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
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Re: सातवें आसमान पर
अब राज चरमोत्कर्ष पर पहुँचने वाला था। उसके मुंह से मादक आवाजें निकलने लगी थी। डॉली भी अजीब आवाजें निकल रही थी। राज ने गति तेज़ करते हुए एक बार लंड लगभग पूरा बाहर निकाल कर एक ही वार में पूरा अन्दर घुसेड़ दिया, डॉली की ख़ुशी की चीख के साथ राज की दहाड़ निकली और राज का वीर्य फूट फूट कर उसकी गांड में निकल पड़ा। डॉली ने अपनी गांड ऊपर की तरफ दबा कर उसके लंड को जितनी देर अन्दर रख सकती थी रखा। थोड़ी देर में राज का लंड स्वतः बाहर निकल गया और डॉली की पीठ पर निढाल पड़ गया।
दोनों की साँसें तेज़ चल रही थी और दोनों पूर्ण तृप्त थे। राज ने डॉली को उठा कर अपने सीने से लगा लिया। उसके पूरे चेहरे पर चुम्बन की वर्षा कर दी और कृतज्ञ आँखों से उसे निहारने लगा।
डॉली ने भी घुटनों के बल बैठ कर राज के लिंग को पुचकारा और और धन्यवाद के रूप में उसको अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। उसकी आँखों में भी कृतज्ञता के आँसू थे। दोनों एक बार फिर आलिंगनबद्ध होते हुए बाथरूम की तरफ चले गए।
समाप्त ..................
दोनों की साँसें तेज़ चल रही थी और दोनों पूर्ण तृप्त थे। राज ने डॉली को उठा कर अपने सीने से लगा लिया। उसके पूरे चेहरे पर चुम्बन की वर्षा कर दी और कृतज्ञ आँखों से उसे निहारने लगा।
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