मुकदमा एक साल तक चला।
आखिरकार करुण और समता में तलाक हो गया। तलाक के कारण बहुत मामूली थे। पर मामूली बातों को बड़ी घटना में रिश्तेदारों ने बदल डाला।झगड़ा पति और पत्नी में हुआ, हुआ यूं कि ऑफिस में करुण का झगड़ा किसी से हो गया, जिसकी गुस्सा उसने समता के छोटे से मज़ाक पे थप्पड़ मार के उतारी, और भला बुरा बोला, और पत्नी ने इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ़ उतार फेंका। सैंडिल का पति के सिर को छूता हुआ निकल गया।
मामला रफा-दफा हो जाता, लेकिन पति ने इसे अपनी बेइज्जती समझा। रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया, उलझा दिया रिश्ता बल्कि भयानक स्थिति कर दी!
सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि आदमी होकर तुम सहन कैसे कर गये, पति को सैंडिल मारने वाली औरत न घर में रहने लायक नहीं होती और न पतिव्रता होती है ! बुरी बातें गंदगी की तरह बढ़ती हैं। सो, दोनों तरफ खूब आरोप उछाले गए। ऐसा लगा जैसे दोनों पक्षों के लोग आरोपों का खेल खेलने में खुश हैं ! मुकदमा दर्ज कराया गया।
करुण ने पत्नी समता की चरित्रहीनता का तो समता ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया।
छह साल .......
वो छह साल, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि कैसे ये सब हुआ, शादीशुदा जीवन बिताने और एक बच्ची के होने के बाद आज दोनों में तलाक हो गया। पति-पत्नी के हाथ में तलाक के कागज़ थे, दोनों चुप, दोनों शांत। दोनों निर्विकार एक दूसरे को देखते रहे, गलती का जरा सा एहसास जो हो रहा था! झगड़े के बाद से ही करुण और समता दोनों अलग रह रहे थे, क्योंकि नाम भले पति का करुण था, लेकिन आदमी के अहम को ठेस पहुंची थी, तो सारी करुणा एक तरफ़, और समता नाम हो जाने से हमेशा समता का परिचय दें ये जरूरी तो नहीं, औरत के स्वाभिमान को ठेस पहुंची थी ! तो रिश्तेदारों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी, जैसे उनके अहम और मान पर हाथ, सैन्डल चली हो !
लेकिन कुछ महीने पहले जब पति-पत्नी कोर्ट में दाखिल होते तो एक-दूसरे को देख कर मुँह फेर लेते। जैसे जानबूझ कर एक-दूसरे की उपेक्षा कर रहे हों।दोनों एक दूसरे को देखते जैसे दो पत्थर आपस में रगड़ खा गए हों। दोनों गुस्से में होते। दोनों में बदले की भावना का आवेश होता। दोनों के साथ रिश्तेदार होते जिनकी हमदर्दियों में ज़रा-ज़रा विस्फोटक पदार्थ भी छुपा होता l इत्तफाक था कि रिश्तेदार एक ही टी-स्टॉल पर बैठे। कोल्ड ड्रिंक्स लिया और हंस रहे थे, तलाकशुदा पति-पत्नी एक ही मेज़ के आमने-सामने जा बैठे, रिश्तेदारों को हंसी अब चुभन लग रही थी, क्योंकि अब गलती का एहसास था कि सब्र कर लेते थोड़ा, सबकी बातों में ना आते तो शायद...
...
लकड़ी की बेंच और वो दोनों।
''कांग्रेच्यूलेशन!... आप जो चाहते थे वही हुआ।'' समता ने कहा।
''तुम्हें भी बधाई। तुमने भी जीत हासिल की।'' करुण बोला।
''तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है?'' समता ने पूछा।
''तुम बताओ?''
करुण के पूछने पर समता ने जवाब नहीं दिया। वो चुपचाप बैठी रही। फिर बोली, ''तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था। अच्छा हुआ। अब तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पिंड छूटा।''
''वो मेरी गलती थी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।'' करुण बोला। ''मैंने बहुत मानसिक तनाव झेला।'' समता की आवाज़ सपाट थी। न दुःख, न गुस्सा। ''जानता हूँ। पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू-लुहान कर देता है... तुम बहुत उज्ज्वल हो। मुझे बेहद अफ़सोस है, '' करून ने कहा।
कुछ पल चुप रहने के बाद करुण ने गहरी साँस ली। कहा, ''तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कहा था।''
''गलत कहा था।'' पति की ओऱ देखती हुई पत्नी बोली।
क्योंकि अब भी अलग होकर वो अलग नहीं हो पाये थे !
कुछ देर चुप रही समता फिर बोली, ''मैं कोई और आरोप क्या लगाती कुछ बुरा नहीं किया तुमने मेरा, अब आंखें नम थी दोनों की !
कप में चाय आ गई। समता ने चाय उठाई तो चाय ज़रा- सी छलक कर हाथ पर गिरी। स्सी... की आवाज़ निकली।
करुण के गले में उसी क्षण 'ओह' की आवाज़ निकली। करुण समता को देखे जा रहा था।
''तुम्हारा कमर दर्द कैसा है?''
''ऐसा ही है। कभी डिकलो तो कभी काम्बीफ्लेम,'' समता ने कहा और फीकी हँसी हँस दी।
''तुम्हारे अस्थमा की क्या कंडीशन है... फिर अटैक तो नहीं पड़े?'' अब कोई स्त्री ने नहीं पत्नी ने प्यार से पूछा था।
''अस्थमा। डॉक्टर ने स्ट्रेस कम करने को कहा है, '' करुण बोला !
''तभी आज तुम्हारी साँस उखड़ी-उखड़ी-सी है,'' समता ने हमदर्द लहजे में कहा। ''इनहेलर तो लेते रहते हो न?''
हाँ, पर आज वजह और कुछ...'' करुण कहते-कहते रुक गया।
''कुछ... कुछ तनाव के कारण,'' समता ने बात पूरी की।उसके स्वर में पुराने संबंधों की गर्द थी।
दोनों का ध्यान अभी अपनी बेटी पर नहीं था क्योंकि वो टूटे रिश्ते को जोड़ने की एक आखिरी कोशिश में लगे
करुण उसका चेहरा देखता रहा।
कितनी सहृदय और कितनी सुंदर लग रही थी सामने बैठी स्त्री जो कभी उसकी पत्नी हुआ करती थी।
समता भी आंखों में आंसू लिये करुण को देख रही थी और सोच रही थी, ''कितना सरल स्वभाव का है यह पुरुष, जो कभी उसका पति हुआ करता था। कितना प्यार करता था उससे...
क्या हम फ़िर एक बार... काश, हम एक दूसरे को समझ पाते।'' दोनों चुप थे। बेहद चुप। दुनिया भर की आवाज़ों से मुक्त हो कर, खामोश। दोनों भीगी आँखों से एक दूसरे को देखते रहे...
झिझकते हुए समता ने पूछ ही लिया, क्या ''हम फिर से साथ-साथ रहने लगें... एक साथ... पति- पत्नी बन कर... बहुत अच्छे दोस्त बन कर।''
''ये पेपर?'' करुण ने पूछा।
''फाड़ देते हैं।'' एक साथ दोनों ने कहा औऱ अपने हाथ से दोनों ने तलाक के काग़ज़ात फाड़ दिए। एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर मुस्कराए, माफ़ी मांगी। दोनों पक्षों के रिश्तेदार हैरान-परेशान थे उन्हें अब अपनी हार नजर आ रही थी।
दोनों पति-पत्नी हाथ में हाथ डाले घर की तरफ चल दिये, और उन सभी रिश्तेदारों से सारे नाते तोड़ दिये!
प्यार भरी कहानी - गलती का एहसास
- SATISH
- Super member
- Posts: 9811
- Joined: 17 Jun 2018 16:09
प्यार भरी कहानी - गलती का एहसास
Read my all running stories
आग्याकारी माँ(running)
मम्मी मेरी जान(running)
Main meri family aur mera gaon part -2(running)
मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें(running)
पिशाच की वापसी(running])
स्वाहा (complet)
लंगडा प्रेत(coming soon)
Read my Marathi stories
मराठी चावट कथा-सतीश(running)
आग्याकारी माँ(running)
मम्मी मेरी जान(running)
Main meri family aur mera gaon part -2(running)
मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें(running)
पिशाच की वापसी(running])
स्वाहा (complet)
लंगडा प्रेत(coming soon)
Read my Marathi stories
मराठी चावट कथा-सतीश(running)
- naik
- Gold Member
- Posts: 5023
- Joined: 05 Dec 2017 04:33
Re: प्यार भरी कहानी - गलती का एहसास
very nice story mir
aap ko bhi holi ki shubhkamnaye
aap ko bhi holi ki shubhkamnaye