इंतकाम की ज्वाला
- SATISH
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Re: इंतकाम की ज्वाला
मस्त स्टोरी है भाई हॉट & सेक्सी अगले अपडेट का इंतजार है
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Re: इंतकाम की ज्वाला
बहुत ही बढ़िया अपडेट..
- SID4YOU
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Re: इंतकाम की ज्वाला
thanks dosto
- SID4YOU
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Re: इंतकाम की ज्वाला
मैं घर चार बजे पहुँच गया, भाभी को जब मैंने यह सब बताया तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया और मेरी तीन चार पप्पी ले लीं।
उसके बाद हम लोगों ने आपस में योजना बनाई कि भाभी की बेइज्ज़ती का बदला कैसे लेना है।
मैंने भाभी से पूछा- मुन्नी रुपयों के लिए चुदने को क्यों तैयार है? अपने पति को चोरी की बात क्यों नहीं बता देती?
भाभी हँसते हुए बोली- ये सुसरी मुन्नी बड़ी बदमाश है। पहले कई बार अपने पति से छुपकर घर पैसे भेज देती थी।
एक बार इसके पति ने सबके सामने इसकी खूब पिटाई करी और साथ ही बोल दिया कि तुझे कोठे पर बेच दूँगा, तबसे डरी हुई है। इसका पति तो यह मानेगा ही नहीं कि पैसे चोरी हो गए हैं।
मुन्नी शाम को सात बजे भाभी के कमरे में आ गई थी भाभी के चेहरे पर मुस्कान थी, हँसते हुए बोली- आओ मुन्नी आओ ! राकेश ने मुझे सब बता दिया है। तुमने तो मुझे बदनाम करने की कोई कसर ही नहीं छोड़ी थी और मेरी चूत चुदाई का खूब मज़ा लिया था। लेकिन मैं तुझे बदनाम नहीं होने दूँगी। मज़बूरी तो औरतों को रंडी भी बना देती है। अंजना का तो तुझे पता ही है इस उधारी के चक्कर में उसने अपना मंगलसूत्र और सास का जेवर बेच दिया था उसके पति ने परेशान होकर उसे चंपा बाई के कोठे पर बेच दिया था… कल राखी बता रही थी कि मुन्नू दूधवाला उसे कोठे पर चोद कर आया था। बेचारी रो रही थी कह रही थी रोज़ दस बारह लण्ड डलवाती है चंपा बाई। तू भी उस दिन मुझे रंडी बना कर छोड़ती वो ! तो मुकुंद सेठ मान गए थे किसी को पता नहीं चला।
मुन्नी बोली- दीदी, मुझे मेरी करनी के लिए माफ़ कर दो। आप ही मुझे आज मेरी मुसीबत से बचा सकती हो। राकेश भैया से उधार दिला दो न ! मैं आपके लिए हुए दो हजार और उधार के पैसे हर महीने कुछ कुछ देकर चुका दूँगी।
‘देख मुन्नी, विश्वास तो मेरा अब तुझ पर रहा नहीं ! पैसे मैं तुझे देवर राकेश से दिलवा दूंगी लेकिन इसके लिए तुझे अपनी नंगी फोटो खिंचवानी पड़ेंगी और राकेश भैया से मुकुंद सेठ के सामने चुदना पड़ेगा। पैसे देती जाना और अपनी फोटो लेती जाना ! ब्लैकमेल मैं करती नहीं, लेकिन बदमाश को बदमाशी से ही पकड़ा जाता है। राकेश जी ब्याज में तेरी जवानी का रस पी लेंगे पर तूने हर महीने मूल के एक हजार नहीं दिए तो राकेश के दोस्तों को भी अपनी जवानी का रस पिलाना पड़ेगा। बदले में मूल ये अपने दोस्तों से ले लेंगे और यह पूरी चाल में पता है कि मैं वायदे की पक्की हूँ।’
मुन्नी को सांप सूंघ गया और वो वहाँ से उठकर चली गई।
मैं और भाभी अकेले थे। मैंने भाभी के ब्लाउज के अंदर हाथ डाला और चूचियाँ मलते हुए बोला- कुतिया कल सुबह दुबारा आएगी और देखना तुम्हारे सामने नंगी होकर मेरे लोड़े पर पर बैठेगी।
अगले दिन मोहन के जाते ही मुन्नी अंदर आ गई और बोली- दीदी, मेरी इज्ज़त तुम्हरे हाथ में है। राकेश भैया से तो मैं चुद लूँगी लेकिन मुकुंद सेठ को मत बीच में लाओ, नहीं तो तुम्हारी तरह ही मुझे भी वो चाल से निकलने को कहेगा और मेरी फोटो मत खींचना, किसी के हाथ पड़ गईं तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी। मैं आपके पैर पकड़ती हूँ।
मुन्नी आगे बढ़कर भाभी के पैर छूने लगी। भाभी के चेहरे पर जीतने की मुस्कराहट थी, मेरी तरफ देखती हुई बोली- औरत औरत का सम्मान नहीं करेगी तो कौन करेगा।
उन्होंने मुन्नी को हटाते हुए कहा- चल तेरी बात मानी ! अब न तो मैं मुकुंद सेठ को बुलाऊँगी, न ही तेरी फोटो खिंचवाऊँगी लेकिन बदले में मुन्नी के साथ साथ तुझे अपनी चुन्नी भी चुदवानी पड़ेगी।
उसके बाद हम लोगों ने आपस में योजना बनाई कि भाभी की बेइज्ज़ती का बदला कैसे लेना है।
मैंने भाभी से पूछा- मुन्नी रुपयों के लिए चुदने को क्यों तैयार है? अपने पति को चोरी की बात क्यों नहीं बता देती?
भाभी हँसते हुए बोली- ये सुसरी मुन्नी बड़ी बदमाश है। पहले कई बार अपने पति से छुपकर घर पैसे भेज देती थी।
एक बार इसके पति ने सबके सामने इसकी खूब पिटाई करी और साथ ही बोल दिया कि तुझे कोठे पर बेच दूँगा, तबसे डरी हुई है। इसका पति तो यह मानेगा ही नहीं कि पैसे चोरी हो गए हैं।
मुन्नी शाम को सात बजे भाभी के कमरे में आ गई थी भाभी के चेहरे पर मुस्कान थी, हँसते हुए बोली- आओ मुन्नी आओ ! राकेश ने मुझे सब बता दिया है। तुमने तो मुझे बदनाम करने की कोई कसर ही नहीं छोड़ी थी और मेरी चूत चुदाई का खूब मज़ा लिया था। लेकिन मैं तुझे बदनाम नहीं होने दूँगी। मज़बूरी तो औरतों को रंडी भी बना देती है। अंजना का तो तुझे पता ही है इस उधारी के चक्कर में उसने अपना मंगलसूत्र और सास का जेवर बेच दिया था उसके पति ने परेशान होकर उसे चंपा बाई के कोठे पर बेच दिया था… कल राखी बता रही थी कि मुन्नू दूधवाला उसे कोठे पर चोद कर आया था। बेचारी रो रही थी कह रही थी रोज़ दस बारह लण्ड डलवाती है चंपा बाई। तू भी उस दिन मुझे रंडी बना कर छोड़ती वो ! तो मुकुंद सेठ मान गए थे किसी को पता नहीं चला।
मुन्नी बोली- दीदी, मुझे मेरी करनी के लिए माफ़ कर दो। आप ही मुझे आज मेरी मुसीबत से बचा सकती हो। राकेश भैया से उधार दिला दो न ! मैं आपके लिए हुए दो हजार और उधार के पैसे हर महीने कुछ कुछ देकर चुका दूँगी।
‘देख मुन्नी, विश्वास तो मेरा अब तुझ पर रहा नहीं ! पैसे मैं तुझे देवर राकेश से दिलवा दूंगी लेकिन इसके लिए तुझे अपनी नंगी फोटो खिंचवानी पड़ेंगी और राकेश भैया से मुकुंद सेठ के सामने चुदना पड़ेगा। पैसे देती जाना और अपनी फोटो लेती जाना ! ब्लैकमेल मैं करती नहीं, लेकिन बदमाश को बदमाशी से ही पकड़ा जाता है। राकेश जी ब्याज में तेरी जवानी का रस पी लेंगे पर तूने हर महीने मूल के एक हजार नहीं दिए तो राकेश के दोस्तों को भी अपनी जवानी का रस पिलाना पड़ेगा। बदले में मूल ये अपने दोस्तों से ले लेंगे और यह पूरी चाल में पता है कि मैं वायदे की पक्की हूँ।’
मुन्नी को सांप सूंघ गया और वो वहाँ से उठकर चली गई।
मैं और भाभी अकेले थे। मैंने भाभी के ब्लाउज के अंदर हाथ डाला और चूचियाँ मलते हुए बोला- कुतिया कल सुबह दुबारा आएगी और देखना तुम्हारे सामने नंगी होकर मेरे लोड़े पर पर बैठेगी।
अगले दिन मोहन के जाते ही मुन्नी अंदर आ गई और बोली- दीदी, मेरी इज्ज़त तुम्हरे हाथ में है। राकेश भैया से तो मैं चुद लूँगी लेकिन मुकुंद सेठ को मत बीच में लाओ, नहीं तो तुम्हारी तरह ही मुझे भी वो चाल से निकलने को कहेगा और मेरी फोटो मत खींचना, किसी के हाथ पड़ गईं तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी। मैं आपके पैर पकड़ती हूँ।
मुन्नी आगे बढ़कर भाभी के पैर छूने लगी। भाभी के चेहरे पर जीतने की मुस्कराहट थी, मेरी तरफ देखती हुई बोली- औरत औरत का सम्मान नहीं करेगी तो कौन करेगा।
उन्होंने मुन्नी को हटाते हुए कहा- चल तेरी बात मानी ! अब न तो मैं मुकुंद सेठ को बुलाऊँगी, न ही तेरी फोटो खिंचवाऊँगी लेकिन बदले में मुन्नी के साथ साथ तुझे अपनी चुन्नी भी चुदवानी पड़ेगी।
- SID4YOU
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Re: इंतकाम की ज्वाला
मुन्नी बोली- चुन्नी का मतलब?
भाभी बोली- तू घोड़ी बन, फिर बताती हूँ।
मुन्नी घोड़ी बन गई, भाभी ने उसकी साड़ी और पेटीकोट पीछे से पूरी कमर तक उठा दी, उसकी जवान नंगी गांड और झलक दिखलाती चूत मेरे लण्ड को गर्म करने लगी।
गीता ने उसकी चूत में पूरी अंदर तक अपनी बड़ी उंगली घुसाई और बोली- मेरी प्यारी कुतिया रानी, यह है तेरी मुन्नी, उसके बाद उंगली निकाल कर उसकी कसी गांड में उंगली अंदर तक डाली और बोली- यह है तेरी प्यारी चुन्नी। बड़ा मज़ा आएगा जब तेरी मुन्नी और चुन्नी में राकेश का लण्ड घुसेगा।
मुन्नी रोती सी बोली- दीदी, इसमें राकेश जी का मोटा लण्ड घुस गया तो मैं तो मर ही जाऊँगी।
भाभी हँसते हुए बोली- तेरे खसम ने कभी इसमें डाला नहीं, इसका मतलब यह तो नहीं है कि चुन्नी चुदती नहीं हैं। मेरी तो मोहन ने सुहागरात के दिन ही चुन्नी और मुन्नी दोनों चोद दीं थी, पूरे चार दिन तक दुखती रही थी। पहले की तू भूल गई जब कुसुम ने मेरी गांड मोमबत्ती से चुदवाई थी? तब तुम दोनों ताली बजा बजा कर मज़े जो ले रही थीं। राकेश जी पढ़े लिखे हैं प्यार से मारेंगे, चुदने में तो औरतों को भी मज़ा ही आता है। एक बार खुल गई तो बार बार चुन्नी चुदवाएगी। अब जल्दी से हाँ कर या न हम कोई गंदे लोग थोड़े ही हैं जो जबरदस्ती तेरी चोदेंगे।
मुन्नी मरी सी आवाज़ में बोली- ठीक है, मैं तैयार हूँ लेकिन मुझे बदनाम मत करना !
भाभी बोली- परेशान क्यों होती है, चाय पीते हैं, फिर बात करते हैं।
चाय बनाने के बाद भाभी मुन्नी से बोलीं- तेरा मर्द परसों आ रहा है ना? कल तेरी चुन्नी और मुन्नी की चुदाई करवा देते हैं।
भाभी ने अपनी जेब से निकाल कर पाँच हजार रुपए दे दिए और बोली- बाकी के चुदने के बाद दूंगी, इन्हें संभाल कर घर में रखना और कल दो बजे आ जाना। शाम को 3 से 5 बजे तेरी जवानी का मुजरा जो देखना है।
भाभी की आँखों में विजेता वाली चमक थी, कल तीन बजे मुन्नी नंगी होकर मेरे लोड़े पर उनके सामने जो बैठने वाली थी।
दो बजे मुन्नी अंदर कमरे में आ गई, साड़ी और ब्लाउज पहने थी। भाभी थोड़ी दूर पर एक फ्लैट में काम करती थीं, उसके मालिक आजकल नहीं थे, वो हम सबको फ्लैट में ले गईं।
भाभी ने उधर जमीन पर बिस्तर लगा रखे थे। थोड़ी देर के बाद गीता भाभी ने मुन्नी की साड़ी उतरवा दी।
गीता हँसते हुए बोली- राकेश जी, अब देर क्यों कर रहे हैं?
मैंने आगे बढ़कर मुन्नी के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाते हुए कहा- आज तो तुम्हारी माल गाड़ी दौड़ाने में मज़ा आ जाएगा। मुन्नी का ब्लाउज उतार कर मैंने दोनों चूचियाँ अपने कब्ज़े में ले लीं।
क्या सुन्दर सामने को तने हुए स्तन थे एक दूसरे से मिला कर रगड़ते हुए मुन्नी की दोनों चूचियाँ दबा दीं और उसके स्तन मुँह में चूसने लगा।
लोड़ा पूरा टनटना रहा था और चूत की खुदाई के लिए तैयार था।
भाभी कुटिल हंसी के साथ बोली- कुतिया, अब जल्दी से अपनी चड्डी उतार और अपनी चूत को राकेश जी के लण्ड पर लगा ! मेरा तो कब से मन कर रहा है गैर मर्द से तेरी चुदाई देखने का।
मुन्नी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, उसका हसीन जवान नंगा बदन देखकर मेरे मुँह और लण्ड से लार टपकने लगी।
उसकी नंगी जवानी देखकर भाभी से भी रहा नहीं गया, उन्होंने आगे बढ़कर उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया और बोली- वाह, क्या फूली हुई माल पाव रोटी है तेरी। भैयाजी, अब देर न करो, इस कुतिया को रगड़ दो।
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और नीचे दीवार के सहारे लेटता हुआ बैठ गया, मेरा आठ इंची मोटा लण्ड मुन्नी एकटक देख रही थी।
भाभी कुटिल मुस्कान से बोलीं- मुन्नी रंडी, देख क्या रही है, अपनी चूत जरा इस लोड़े के ऊपर टिका !
मैंने मुन्नी को अपनी तरफ खींच लिया और उसकी चूत को पीछे से अपने टनकते हुए लण्ड के ऊपर छुला दिया और हॉर्न दबाते हुए बोला- अब थोड़ी देर को शर्म छोड़ दो।
मैंने मुन्नी की चूत में लण्ड अंदर तक घुसाते हुए उसे अपनी जाँघों पर बैठा लिया। उसका मुँह सामने भाभी की तरफ था।
भाभी बोली- तू घोड़ी बन, फिर बताती हूँ।
मुन्नी घोड़ी बन गई, भाभी ने उसकी साड़ी और पेटीकोट पीछे से पूरी कमर तक उठा दी, उसकी जवान नंगी गांड और झलक दिखलाती चूत मेरे लण्ड को गर्म करने लगी।
गीता ने उसकी चूत में पूरी अंदर तक अपनी बड़ी उंगली घुसाई और बोली- मेरी प्यारी कुतिया रानी, यह है तेरी मुन्नी, उसके बाद उंगली निकाल कर उसकी कसी गांड में उंगली अंदर तक डाली और बोली- यह है तेरी प्यारी चुन्नी। बड़ा मज़ा आएगा जब तेरी मुन्नी और चुन्नी में राकेश का लण्ड घुसेगा।
मुन्नी रोती सी बोली- दीदी, इसमें राकेश जी का मोटा लण्ड घुस गया तो मैं तो मर ही जाऊँगी।
भाभी हँसते हुए बोली- तेरे खसम ने कभी इसमें डाला नहीं, इसका मतलब यह तो नहीं है कि चुन्नी चुदती नहीं हैं। मेरी तो मोहन ने सुहागरात के दिन ही चुन्नी और मुन्नी दोनों चोद दीं थी, पूरे चार दिन तक दुखती रही थी। पहले की तू भूल गई जब कुसुम ने मेरी गांड मोमबत्ती से चुदवाई थी? तब तुम दोनों ताली बजा बजा कर मज़े जो ले रही थीं। राकेश जी पढ़े लिखे हैं प्यार से मारेंगे, चुदने में तो औरतों को भी मज़ा ही आता है। एक बार खुल गई तो बार बार चुन्नी चुदवाएगी। अब जल्दी से हाँ कर या न हम कोई गंदे लोग थोड़े ही हैं जो जबरदस्ती तेरी चोदेंगे।
मुन्नी मरी सी आवाज़ में बोली- ठीक है, मैं तैयार हूँ लेकिन मुझे बदनाम मत करना !
भाभी बोली- परेशान क्यों होती है, चाय पीते हैं, फिर बात करते हैं।
चाय बनाने के बाद भाभी मुन्नी से बोलीं- तेरा मर्द परसों आ रहा है ना? कल तेरी चुन्नी और मुन्नी की चुदाई करवा देते हैं।
भाभी ने अपनी जेब से निकाल कर पाँच हजार रुपए दे दिए और बोली- बाकी के चुदने के बाद दूंगी, इन्हें संभाल कर घर में रखना और कल दो बजे आ जाना। शाम को 3 से 5 बजे तेरी जवानी का मुजरा जो देखना है।
भाभी की आँखों में विजेता वाली चमक थी, कल तीन बजे मुन्नी नंगी होकर मेरे लोड़े पर उनके सामने जो बैठने वाली थी।
दो बजे मुन्नी अंदर कमरे में आ गई, साड़ी और ब्लाउज पहने थी। भाभी थोड़ी दूर पर एक फ्लैट में काम करती थीं, उसके मालिक आजकल नहीं थे, वो हम सबको फ्लैट में ले गईं।
भाभी ने उधर जमीन पर बिस्तर लगा रखे थे। थोड़ी देर के बाद गीता भाभी ने मुन्नी की साड़ी उतरवा दी।
गीता हँसते हुए बोली- राकेश जी, अब देर क्यों कर रहे हैं?
मैंने आगे बढ़कर मुन्नी के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाते हुए कहा- आज तो तुम्हारी माल गाड़ी दौड़ाने में मज़ा आ जाएगा। मुन्नी का ब्लाउज उतार कर मैंने दोनों चूचियाँ अपने कब्ज़े में ले लीं।
क्या सुन्दर सामने को तने हुए स्तन थे एक दूसरे से मिला कर रगड़ते हुए मुन्नी की दोनों चूचियाँ दबा दीं और उसके स्तन मुँह में चूसने लगा।
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भाभी कुटिल हंसी के साथ बोली- कुतिया, अब जल्दी से अपनी चड्डी उतार और अपनी चूत को राकेश जी के लण्ड पर लगा ! मेरा तो कब से मन कर रहा है गैर मर्द से तेरी चुदाई देखने का।
मुन्नी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, उसका हसीन जवान नंगा बदन देखकर मेरे मुँह और लण्ड से लार टपकने लगी।
उसकी नंगी जवानी देखकर भाभी से भी रहा नहीं गया, उन्होंने आगे बढ़कर उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया और बोली- वाह, क्या फूली हुई माल पाव रोटी है तेरी। भैयाजी, अब देर न करो, इस कुतिया को रगड़ दो।
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और नीचे दीवार के सहारे लेटता हुआ बैठ गया, मेरा आठ इंची मोटा लण्ड मुन्नी एकटक देख रही थी।
भाभी कुटिल मुस्कान से बोलीं- मुन्नी रंडी, देख क्या रही है, अपनी चूत जरा इस लोड़े के ऊपर टिका !
मैंने मुन्नी को अपनी तरफ खींच लिया और उसकी चूत को पीछे से अपने टनकते हुए लण्ड के ऊपर छुला दिया और हॉर्न दबाते हुए बोला- अब थोड़ी देर को शर्म छोड़ दो।
मैंने मुन्नी की चूत में लण्ड अंदर तक घुसाते हुए उसे अपनी जाँघों पर बैठा लिया। उसका मुँह सामने भाभी की तरफ था।