Adultery ऋतू दीदी

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Mrg
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Re: Adultery ऋतू दीदी

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well at last it ended...
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007
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Re: Adultery ऋतू दीदी

Post by 007 »

nice nnnnnnnnnn
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
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kunal
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Re: Adultery ऋतू दीदी

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शक का अंजाम

PART 3

UPDATE 01

देरी के लिए माफी चाहता हूं, अपडेट थोडा थोडे समय बाद मिलेगा. लेकिन कहानी जरूरी पूरी होगी। मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्हो अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है नया भाग 3.

Part-3.

" नया अपडेट"


प्रशांत ने नीरू को एक बार फिर खो दिया था। नीरू से उसका तलाक तो पहले ही हो चुका था लेकिन नीरू को वापस पाने की एक उम्मीद थी अब वो भी नहीं बहुत कम बची थीं। प्रशांत ने नीरू को बहुत बार फोन किया उसके आफिस के नीचे खड़ा हुआ लेकिन इसका कोई फायदा नहीं निकल रहा था।

नीरू उसे देखती और तुरंत ही मुंह घुमा लेती। प्रशांत का फोन तो वो उठाती ही नहीं थी। नीरू ने सिर्फ प्रशांत से ही बात करना बंद नहीं किया था बल्कि वो अपने जीजाजी से भी बात नहीं कर रही थी। नीरज ने भी नीरू को मनाने की कोशिश की थी। नीरज चाहता था कि नीरू के साथ जो रिश्ता एक बार कायम हो गया है वो आगे भी बना रहे। लेकिन नीरू अब अपने जीजाजी की नियत को समझ चुकी थी। इसलिए उसने नीरज से दूरी ही बनाना सही समझा। प्रशांत को नीरू के आफिस के बाहर इंतजार करते करते दो महीने हो गए थे। अब नीरू का पेट भी फूलने लगा था। लेकिन नीरू का गुस्सा प्रशांत के उपर से कम नहीं हो रहा था। इस बीच नीरज का फोन जरूर प्रशांत के पास आ जाता था।

नीरज : अरे प्रशांत क्यो नीरू को परेशान कर रहे हैं।

प्रशांत : में कहा परेशान कर रहा हूं जीजाजी?

नीरज : देखों अब हमारा रिश्ता बदल गया है तुम नीरू के पति नहीं हो इसलिए जीजाजी छोडो नीरज ही बोलो।

प्रशांत : जी नीरज जी

नीरज : देख अब नीरू तेरे पास कभी नहीं आएगी उसका पीछा छोड़ दो।

प्रशांत : देखिए मैं नीरू से बहुत प्यार करता हूं और उसे हासिल करके ही रहूंगा।

नीरज : ये जानते हुए भी कि नीरू को मैं चोद चुका हूं।

प्रशांत : वो गलती थी, और शायद सजा भी जो भूलवश मेरे से हो गया नीरू ने भी गुस्से में कदम उठा लिया था।

नीरज : गुस्से में तो उस दिन उठा लिया था लेकिन उसके बाद तो उसका गुस्सा ठंडा हो गया होगा।

प्रशांत : मतलब आप क्या कहना चाहते हैं।

नीरज : ये ही कि नीरू के साथ उसके बाद चार पांच बार मैं चुदाई और कर चुका हूं।

प्रशांत : मैं ये नहीं मान सकता। नीरू तो आपके घर भी जाना पसंद नहीं करती।

नीरज : अच्छा तो एक काम कर कल तू खुद ही देख लेना। और घर आने की बात कर रहे हो तो कल ही नीरू को मैं अपने घर लेकर आउंगा। अब तू ये बता मैं नीरू को उसके आॅफिस से खुद घर लेकर आउं या फिर उसे बुला लूं।

प्रशांत: नीरू आपके घर नहीं आएगी

नीरज : ठीक है तो कल देख लेते हैं।

प्रशांत को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन वो शांत ही रहा। दूसरे दिन अचानक ही प्रशांत को आफिस जाते समय नीरज मिल जाता है

नीरज : अरे प्रशांत कहां इतनी जल्दी में जा रहे हे

प्रशांत : गुस्से में देखते हुए जी इस समय आफिस जा रहा हूं

नीरज : अच्छा अरे तुमसे मैंने कहा कहा था नीरू को बुलाने के लिए कल में भूल गया। अभी तुम दिख तो ध्यान आ गया उसे फोन कर लेता हूँ और नीरज प्रशांत के सामने फोन निकलता है और नीरू का नाम सर्च कर फोन घुमा देता है. फोन की घंटी बजती है और जैसे ही उधर से फोन उठता है.

नीरज : अरे कहां हो साली साहिबा,..... अरे नहीं आपके चाहने वाले मिल गए थे रास्ते में... अरे मैंने थोडे ही उन्हें रोका.... चलो एक बात सुना आज शाम को तुम मेरे घर पर आ रही हो..... अरे शाम को ऋतु घर पर नहीं होगी.... ऋतु रात 9 बजे तक आएगी..... वैसे जल्दी ही ऋतु को भी मैं अपने रिश्ते के बारे में बता दूंगा... अरे वो तैयार है.... उसी ने हमें दुबारा इतना करीब लाया है.... ठीक है शाम ठीक 6 बजे तुम मेरे घर पहुंच जाना....

और फोन काटने के बाद अच्छा प्रशांत भाई आप आफिस निकलिए मैं भी चलता हूं। वैसे भी अब नीरू के साथ चुदाई तो कर नहीं पाता क्योंकि बच्चे की दिक्कत हो गई है। लेकिन बाकी सब काम तो हो ही जाता है। नीरज तो चला जाता है लेकिन प्रशांत के मन में कई सवाल छोड़ जाता है।

प्रशांत मन ही मन सोचता है क्या ऋतु दीदी भी इस खेल में शामिल हैं. नहीं नहीं उस दिन तो ऋतु दीदी ने नीरू को बचाने की कोशिश की थी उसे समझाने की भी कोशिश की थी। लेकिन नीरज को ऋतु दीदी ने ये क्यों बताया कि हम लोग चुदाई कर चुके हैं. क्या नीरज सही कह रहा है कि ऋतु दीदी ने मुझे फंसाया था. नही नहीं ऋतु दीदी को बीमारी थी. लेकिन यदि उन्हें बीमारी थी तो वो सेक्स तो किसी और से भी कर सकती थी. उन्होंने मुझे ही क्यो चुना और फिर नीरज को भी बता दिया। इसका मतलब ऋतु दीदी ने मुझे फंसाने के लिए ये सब चाल चली थी. लेकिन ऋतु दीदी का फायदा क्या हो सकता है इन सबके पीछे। प्रशांत के मन में सवाल तो बहुत उठ रहे थे लेकिन उसे जवाब नहीं मिल रहा था।

शाम को प्रशांत फिर नीरू के आफिस पहुंचता है आज उसे नीरज की बात का टेस्ट भी लेना था। इसलिए वो नीरू के सामने नहीं आता। नीरू आफिस से निकलती है और चारों ओर देखती है उसे आज प्रशांत दिखाई नहीं देता। नीरू एक बार फिर नजर डालती है लेकिन प्रशांत फिर भी नहीं दिखता। फिर नीरू अचानक एक आटो को रोकने का इशारा करती है और उससे कुछ बात कर ऑटो में बैठ जाती है। प्रशांत थोडा डिस्टेंस बनाकर ऑटो का पीछा करता है प्रशांत आज अपने दोस्त की बाइक लेकर आया ताकि नीरू उसे पहचान न सके।

आटो जैसे ही नीरज के घर की ओर मुढता है प्रशांत के दिल की धड़ने बढ़ जाती है। उसे लगता है कि नीरू प्रशांत के घर ही जा रही है। और प्रशांत के बुलाने पर ही जा रही है। आटो प्रशांत के घर के सामने रूकता है प्रशांत अपने घर की बालकनी से देख रहा था नीरू को उतरते हुए वो देखता है तभी उसकी नजर प्रशांत पर पड़ती है प्रशांत को नीरज उसके कपड़ों से पहचान लेता है और मुस्कुरा देता है।

नीरू ऑटो वाले को पैसे देकर घर के अंदर चली जाती है और प्रशांत भी थोडी देर बाद वहां से चला जाता है।प्रशांत मन ही मन सोचता है: इसका मतलब नीरज सही कह रहा है ऋतु दीदी को सब मालूम है और अब नीरज और नीरू को पास लाने में उन्हीं का हाथ है. लेकिन क्यो ऋतु दीदी का क्या फायदा है?

फिर अचानक प्रशांत के मन में उठ रहे सवालों का जवाब उसे खुद ही मिल जाता है. कही नीरू का बच्चा तो नहीं। नहीं नहीं ऋतु दीदी को एक बच्चा तो दे चुकी है। लेकिन फिर भी। हां ये ही हो सकता है इसलिए ऋतु दीदी ने नीरू को मुझसे अलग करने की योजना बनाई नीरज के साथ मिलकर। और अब मुझसे फोन पर बात कर पता कर रही है कि मैं नीरू को वापस लेने की क्या कोशिश कर रहा हूं। नहीं अब मैं ऋतु दीदी से कभी बात नहीं करूंगा और इसके बाद प्रशांत अपना फोन उठता है और ऋतु का नम्बर ब्लॉक कर देता है।

जारी रहेगी


नीरज अच्छे से शक के बीज को प्रशांत के मन में डालने में कामयाब हो गया था तथा उस शक को साबित करने के लिए उसने अपनी बात को भी साबित कर दिया था जिसका मुख्य कारण था प्रशांत का शक्की स्वभाव का होना ... उसे इसके कारण ठोकर भी लगी थी पर कोई भी आदत चाहे अच्छी हो या बुरी इतनी जल्दी नहीं जाती है।

नीरज ने ऐसी परिस्थिति तैयार कर दी थी की अब शक के बीज प्रशांत के मन में फिर अंकुरित हो गए थे और आँखो से देखते हुए वह दुबारा शक करने पर मजबूर हो गया था। वैसे अब उसका कोई फायदा नहीं था क्योंकि नीरू उससे अलग हो गयी थी और वह पछता भी रहा था और नीरू से मिलने का लगातार प्रयास भी कर रहा था पर नीरू ने कभी भी उसे अब मौका नहीं दिया ।

वो एक काम ज़रूर कर सकता था वह निरु को ख़त भेज सकता था ... पर अब ख़त लिखने का रिवाज़ तो रहा नहीं तो ये आईडिया उसके दिमाग़ में आया ही नहीं.

नीरज के घर में नीरू पहुँच जाती है। नीरू को देखते हुए ऋतु उसके गले मिलती है।

नीरू: हैप्पी बर्थ डे दीदी !

ऋतु: थैक्यू

आज ऋतु का बर्थडे था और उस घटना के करीब दो महीने बाद नीरू पहली बार ऋतु के घर में आई थी। हालाँकि निरु ने उस घटना के बाद से जीजाजी और ऋतु दीदी से भी बात करना बंद कर दिया था। पर आज जन्मदिन पर आने के लिए ऋतु ने उसे बहुत मनाया था।

ऋतु: और कैसा चल रहा है प्रशांत से बात होती है।

नीरू: दीदी उसका तो नाम भी मत लो, पहले तो मैं सिर्फ़ ये मानती थी कि वह मुझ पर शक करता है लेकिन जब ये पता चला कि जो व्यक्ति मेरे उपर शक कर रहा है वह आपके साथ। छी: मुझे तो सोचकर ही र्श्म आती है।

नीरज: चलों उन बातों को भूल जाओ नीरू।

नीरज नीरू को गले लगने के आगे बढता है। लेकिन नीरू नीरज को बीच में ही रोक देती है। ये पहली बार था जब नीरू ने अपने जीजाजी को गले लगने से रोका था, नहीं तो इससे पहले नीरज के एक इशारे पर ही नीरू दौडकर जीजाजी के गले लिपट जाती थी। नीरज भी समझ जाता है कि नीरू अभी भी उससे नाराज है। लेकिन मन ही मन सोचता है कि उसे जल्दी नहीं है जब नीरू को चोदने में उसने वर्षों इंतज़ार किया तो दुबारा चोदने में कुछ समय इंतज़ार और कर लेगा वैसे भी नीरू के पेट में बच्चा पल रहा है तो चुदाई तो वैसे भी नहीं हो पाएगी। लेकिन पहले प्रशांत और ऋतु का कुछ करना होगा। नीरज ऋतु से कहता है कि उसे थोडा बाहर जाना है अभी आ रहा है और नीरज बाहर ऐसी जगह देखता है जहाँ दूर-दूर तक कोई न हो और फिर नीरज फ़ोन लगता है।

नीरज: हाँ प्रशांत कैसे हो

प्रशांत: ठीक हूँ जीजा जी

नीरज: अरे इस समय नीरू मेरे ही घर पर है ऋतु को मैंने पहले ही बाहर भेज दिया था। काश तुम भी यहाँ होते तो देख लेते तेरी बीबी मेरा लंड कैसे चूसती है। लेकिन तुझे मायूस होने की ज़रूरत नहीं है तू बस फ़ोन पर बने रहना कुछ मैं तुझे कुछ सुनाता है। फ़ोन में सोफे पर साइड में रख रहा है ठीक है तू अपनी ओर से कुछ मत बोलना और फिर फ़ोन पर सिर्फ़ नीरज की ओर से आवाजे आती है।

नीरज: नीरू, नीरू यार कितना देर लगाओगी जल्दी आओ ना...आई दो मिनिट रूकिए... वाह क्या जबरदस्त दिखाई दे रही हो ... आप भी ना जीजाजी... अरे यार। अरे ये आप क्या कर रहे है... प्लीज पूरे कपडे मत उतारिए... नहीं नीरू कपडों में मज़ा नहीं आता... अरे सिर्फ़ लंड चूसने की बात हुई थी और आपने इसे साफ़ भी नहीं किया है। पहले साफ़ करके आइए... अरे रूको-रूको और फिर सिसकियों की आवाजें आने लगती है। हाँ नीरू ऐसे ही ऐसे ही। चूसती रहो बस दो मिनिट और । मेरा होने वाला हैं और फिर थोडा गूं-गूं की आवाजेें आती है। जीजाजी आप बहुत बदमाश है मुंह में ही निकाल दिया।

पूरे पांच मिनिट हो गए थे। नीरज फ़ोन की तरफ़ देखता है जो अभी भी कटा नहीं था।

नीरज: प्रशांत सुन लिया तूने। वैसे तुझे भरोसा होगा भी नहीं। लेकिन ये सच है अब ऋतु यहाँ होती तो उसी से पूछवा देता। घर में नीरू छोड और कोई दूसरा हैं नहीं।

प्रशांत: मुझे भरोसा नहीं हो रहा कि नीरू ये कर सकती है और प्रशांत फ़ोन काट देता है।

प्रशांत तुरंत ही ऋतु को फ़ोन लगता है। वैसे प्रशांत ने ऋतु का नम्बर ब्लॉक कर रखा था। लेकिन वह अपनी ओर से तो फ़ोन लगा ही सकता है। थोडी देर बाद ऋतु का फ़ोन रिंग होने लगता है। ऋतु जैसे ही फ़ोन उठाती है तो स्क्रीन पर प्रशांत का नाम लिखा था। ये नीरू और नीरज दोनों ही देख लेते हैं।

ऋतु: अरे प्रशांत इस समय मुझे क्यो फ़ोन कर रहा है। कोई लफडा तो नहीं हुआ।

नीरज: यार मुझे क्या मालूम एक काम करों तुम फ़ोन स्पीकर पर कर लो देखों क्या कह रहा है।

ऋतु: हैलो प्रशांत, अरे तुम हो कहाँ तुम्हें में कुछ दिनों से ट्राई कर रही हूँ लेकिन तुम्हारा फ़ोन ही नहीं लगता।

अब प्रशांत कैसे बताता कि फ़ोन तो उसके ब्लैक लिस्ट में डाल रखा है।

प्रशांत: वह दीदी फ़ोन खराब हो गया था। इस कारण वैसे इस समय आप कहाँ हैं मुझे आपसे मिलना था।

ऋतु: सोच में पड जाती है।

नीरज: यार इस समय नीरू यहाँ हैं यदि प्रशांत यहाँ आएगा तो लफड़ा हो सकता है। तू उसे टरका दे।

ऋतु: अरे इस समय मिलने की क्या हड़बड़ी है। सुबह मिल लेना।

प्रशांत: जी वैसे इस समय आप कहाँ हैं।

ऋतु: वह मैं नीरज के साथ एक रिश्तेदार के घर पर आई हूँ।

प्रशांत: अच्छा नीरज से बात करा देंगी।

ऋतु: अरे क्या हो गया है तुम्हें, तुम तो नीरज से बात करने के नाम पर भागते थे। चलो बता कराती है लेकिन ऋतु देखती है तो नीरज वहाँ नहीं था। वह नीरज को आवाज़ देती है लेकिन नीरज जवाब नहीं देता। अरे नीरज अभी यहीं था लेकिन लगता है कहीं चला गया है। आएगा वैसे ही तुमसे बता करा दूंगी। ठीक है और ऋतु फ़ोन काट देती है।

फोन कटने के बाद प्रशांत को ये भरोसा हो जाता है कि ऋतु उससे झूठ बोल रही है। वह घर पर नहीं है ये तो साफ़ है लेकिन ऋतु को ये कहने की क्या ज़रूरत है कि नीरज भी उसके साथ है। क्या सच में नीरू नीरज का लंड चूस रही थी। ये सोचकर प्रशांत की आंखों में आंसू आ जाते हैं। तभी प्रशांत के कंधे पर एक हाथ आता है वह पलटकर देखता है।

प्रशांत: अरे नीरज जी आप

नीरज: हाँ मैं देख रहा था कि तू बहुत देर से खडा है। कब तक यहाँ खडा रहेगा नीरू आज पूरी रात यहाँ रूकने वाली है। देख अब तू उसे भूल जा इसी में तेरी और नीरू की भलाई है।

प्रशांत: सॉरी जीजा जी, प्लीज जीजाजी एक बार मेरी नीरू से बात करवा दो। बस एक बार!

नीरज: देख वैसे तो मुश्किल है लेकिन फिर भी में कोशिश करूंगा लेकिन तू मेरे और नीरू के बीच में नहीं आएगा।

प्रशांत: देखिए नीरू की जो मर्जी होगी वह उसे करने के लिए आजाद है। वैसे भी अब मेरा उस पर कोई अधिकार नहीं है। आप मेरी बात करा देंगे तो आपका एहसान होगा।

नीरज: ठीक है कोशिश करता हूँ। दो चार दिन में तेरी बात कराने की लेकिन अभी तू यहाँ से जा। क्योंकि यदि नीरू ने देख लिया तो तेरे लिए ही मुश्किल हो जाएगी और हाँ अभी दो चार दिन तू नीरू के सामने मत आना।

इसके बाद प्रशांत चला जाता है। दो तीन दिन प्रशांत नीरू के आफिस नहीं जाता। नीरू समझती है कि प्रशांत यहीं कहीं छिपा होगा। एक ओर प्रशांत का दिल ये मानने को तैयार नहीं था कि नीरू नीरज का लंड चूस रही होगी। दूसरी ओर दिमाग़ कहता था कि जीजाजी ने नीरू के अकेले होने का इस बार ज़रूर फायदा उठाया होगा। उसके पेट में बच्चा है और इस समय नीरू को भावनात्मक रूप से भी किसी के सहारे की ज़रूरत है और इसी का फायदा ऋतु दीदी और जीजाजी ने उठाया होगा।

प्रशांत ये सोच ही रहा था कि उसके फ़ोन की घंटी बजती है। फ़ोन पर नम्बर डिस्प्ले हो रहा है। प्रशांत फ़ोन पर कुछ देर तक बात करता है और उसकी चेहरे पर हल्की-सी ख़ुशी दिखाई देती है। लेकिन साथ ही उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें भी गहरी हो जाती है। प्रशांत मन ही मन सोचता है कि उसका अब नीरू से मिलना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि अब भी वह नीरू से बात नहीं कर पाया तो फिर शायद नीरू उसे ज़िन्दगी भर न मिल जाए ये सोचकर प्रशांत अपना मन पक्का कर लेता है।

सात आठ दिन लगातार प्रशांत नीरू के आफिस के बाहर खडा होता है लेकिन नीरू उसे दिखाई नहीं देता। प्रशांत की मायूसी बढती जा रही थी। प्रशांत को ये पता नहीं था कि नीरू की तबीयत खराब होने के कारण वह आफिस नहीं आ रही थी। लेकिन प्रशांत रोज़ शाम के समय ज़रूर नीरू के ऑफिस के बाहर खडा होता था।

प्रशांत मन ही मन यदि आज भी नीरू नहीं आई तो फिर उससे मुलाकात नहीं हो पाएगी। लेकिन वह आफिस क्यों नहीं आ रही है। कहीं उसने अपना ट्रांसफर तो नहीं करा लिया। नहीं-नहीं नीरू इस शहर को छोडने को तैयार नहीं थी तो ट्रांसफर तो नहीं कराया होगा। ज़रूर कोई और बात ही होगी। प्रशांत ये सब सोच रहा था तभी नीरू उसे आफिस से बाहर निकलती दिखाई देती है-प्रशांत तुरंत ही नीरू के पास पहुँच जाता है।

प्रशांत: नीरू मुझे तुमने ज़रूरी बात करनी है।

नीरू: देखों मुझे तुमसे किसी तरह की बात करने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है।

प्रशांत: मैं मानता हूँ ऋतु दीदी के साथ मैंने जो किया वह सही नहीं था। लेकिन उसमें मेरी गलती नहीं थी। मैंने कभी उन्हें उस नज़र से नहीं देखा।

नीरू: मुझे इस मैटर पर अब कोई बात नहीं करनी है।

प्रशांत: प्लीज मेरी बात सुन लो मुझे बस दस मिनिट का समय दे दो।

नीरू: हमारे रास्ते अलग हो चुके हैँ, इसलिए बेहतर है कि तुम अपना समय खराब मत करो।

प्रशांंत नीरू का हाथ पकडते हुए प्लीज नीरू मानता हूँ मुझसे बडी गलती हुई है लेकिन तुमने जो किया

नीरू प्रशांत की ओर गुस्से से देखती है और अपना हाथ झटके से छुडा लेती है। देखो यहाँ यदि तुम तमाशा करना चाहते हो तो कर सकते हैं। लेकिन मैं तुम्हारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हूँ। तुम मुझ पर अपने सभी अधिकार खो चुके हैं। हाँ मेरे पेट में जो बच्चा है उसे ज़रूर मैं तुम्हारा नाम दूँगी। इसके अलावा हमारे रिश्ते में अब कुछ भी नहीं बचा है।

प्रशांत और नीरू के बीच ये सभी बातें सडक पर हो रही थी दोनों के बीच चल रही तकरार को देखते हुए कुछ लोग भी वहाँ एकत्रित होना शुरू हो जाते हैं। ये सब देख एक बुज़ुर्ग आदमी कहता है अरे भाईसाहब क्यो लडकी को छेड रहे हो।

प्रशांत: जी ये मेरी दोस्त है

नीरू: जी नहीं में आपकी दोस्त नहीं हूँ और आपसे कोई बात भी नहीं करना चाहती।

तभी एक और आदमी आता है और प्रशांत को धक्का देते हुए कहता है कि देख शक्ल से तो तू शरीफ लग रहा है लेकिन तेरी नीयत सही नहीं लगा रही तभी एक और आदमी प्रशांत के गाल पर जोरदार तमाचा मार देता है। प्रशांत के गाल पर पडे तमांचे से प्रशांत तो हिलता है साथ ही नीरू भी हैरान हो जाती है। उसे ये उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है। प्रशांत के गाल लाल हो जाते हैं ये देख नीरू के चेहरे पर परेशानी झलकने लगती है। नीरू कुछ कहती तभी एक गाडी उसके पास में आकर रूकती है। और उसमें से ऋतु और नीरज उतरते हैं।

नीरज : अरे क्या हो रहा है और तुम प्रशांत कितनी बार कहन है कि यहां मत आया करो।

बुजुर्ग : आप जानते हैं इसे

नीरज : हां जानता हूं हमारे परिचित का है और ये लडकी मेरी रिश्तेदार हैं। मेरी साली है।

बुजुर्ग : ठीक है फिर आप ही इसे समझाईए ये लडका इस लडकी को परेशान करन् रहा था।

दूसरी ओर ऋतु नीरू को लेकर गाडी के अंदर बैठ जाती है। नीरज प्रशांत को लेकर थोडी दूर जाता है।

नीरज : देख यदि मैं चाहता तो यहां इन लोगों से तेरी वो हाल करवा सकता था कि तू सोच भी नहीं सकता था। लेकिन नीरू के सामने मैं कोई तमाशा नहीं चाहता। तू ये सोच ले कि तू अपने पैरों पर खडा हुआ है तो इसीलिए कि नीरू यहां हैं। और तुझे अंतिम बार बता रहा हूं। मेरे और नीरू के बीच में अब तू आने की सोच भी मत। नीरू इस बच्चे को जन्म दे दे उसके बाद मैं उसे अपने बच्चे की मां बनाउंगा।

प्रशांत : देखिए जीजाजी

नीरज : जीजाजी नहीं सिर्फ नीरज !

प्रशांत : नीरज जी प्लीज आम समझने की कोशिश कीजिए मैं नीरू के बिना नहीं रह सकता। और मुझे उससे आज मिलना बहुत जरूरी है।

नीरज : अच्छा ऐसा भी क्या है जो तुझे उससे आज मिलना इतना ज्यादा जरूरी है।

प्रशांत : नीरज जी मेरी नौकरी दूसरी कंपनी में लग गई है। कंपनी मुझे डेढ साल के लिए कनाडा भेज रही है। मुझे कल ही निकलना है। मैंने आठ नौ दिन से नीरू से मिलने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन वो आज आफिस आई है। मेरे पास सिर्फ आज का ही समय है।

नीरज : मन में इसे ये पता नहीं है कि नीरू छुटटी पर थी। चलो मेरे लिए तो अच्छा ही है। और अब डेढ साल के लिए ये कांटा निकल रहा है। देखों प्रशांत नीरू मैं और ऋतु सप्ताह भर के लिए घूमने के लिए गए थे। इसलिए वो आफिस नहीं आई थी वैसे हम लोगों ने बहुत मस्ती की थी। नीरू मेरे साथ बहुत खुश है। वो मां बनने वाली है इसलिए में उसे ज्यादा से ज्यादा खुशी देनी की कोशिश कर रहा हूं लेकिन तुम उसे रुला रहे हों। अब मुझे फिर से उसका मूढ सही करना पडेगा।

प्रशांत : जीजाजी सॉरी नीरज जी प्लीज आप मेरी बात तो समझने की कोशिश कीजिए।

नीरज : यार क्या समझू। अब तुम्हारी भलाई इसी में कि तुम यहां से चले जाओ वैसे उस दिन तुमने सुना तो होगा नीरू किस तरह से मेरा लंड चूस रही थी। आज रात को भी इसे अपना लंड चुसवाउंगा। अभी इसे चोद तो नहीं पाउंगा। लेकिन बच्चा हो जाए फिर तुम देखना तुम्हें भी लाइव दिखा दूंगा। वैसे भी नीरू को मुझसे चुदते हुए देखने की तुम्हारी भी इच्छा होती है। और तुम देख भी चुके हो। लेकिन नीरू की चुदाई मैं तुम्हें एक ही शर्त पर दिखांउगा तुम शांति से हमें चुदाई करते हुए देखना यदि बीच में आओगे तो तुम्हें ये मौका में नहीं दे सकता।

प्राांत : प्लीज नीरज जी आप नीरू को छोड दीजिए।

नीरज : नहीं प्रशांत अब नीरू की मुझे आदत हो गई है।

प्रशांत : आपके पास आपकी बीबी है फिर भी आप

नीरज : ठीक है नीरू एक बार मेरा बच्चा अपने पेट में ले ले तो उसके बाद सोचूंगा। और नीरज प्रशांत से विदा होकर अपनी गाडी में बैठता है और नीरू और ऋतु को लेकर निकल जाता है। प्रशांत सड़क पर खडा रह जाता है।

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kunal
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Re: Adultery ऋतू दीदी

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लीजिये पेश है भाग 3 Update ( New-3)

प्रशांत को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे कनाडा जाने का मौका छोड दे। या फिर नीरू को भूल जाए। आख़िर उसकी ज़िन्दगी का सवाल था। उसे मालूम था जो मौका आज उसे मिला है वह फिर कभी नहीं मिलेगा। नीरू से उसकी मुलाकात भी नहीं हो पा रही है रोज़ 30-40 बार उसे फ़ोन करता हूँ लेकिन वह फ़ोन नहीं उठाती। बहुत सोचने के बाद प्रशांत तय कर लेता है कि वह कनाडा जाएगा।

कोशिश करेगा कि जाने से पहले कम से कम फ़ोन पर नीरू से बात हो जाए। वैसे भी डेढ साल की बात है। डेढ साल तो यूं ही निकल जाएंगे। लेकिन नीरज का क्या किया जाए। नीरू को इसी ने मुझसे दूर किया और ख़ुद नीरू को चोदने में सफल भी हो गया। अब एक बार ये नीरू के फिर करीब हो गया है। नीरू की डिलेवरी होगी उसके बाद क्या फिर से नीरज नीरू को छोड़ेगा और हो सकता है प्रेगनेंट भी कर देगा। नहीं-नहीं नीरू इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी। वह मुझसे तलाक ले चुकी है ऐसे में दूसरी शादी के बिना वह प्रेगनेंट किसी क़ीमत पर नहीं होगी। लेकिन नीरज उसकी चुदाई तो कर ही सकता है। हाँ ये हो सकता है और जिस तरह से आज नीरू नीरज का लंड चूसने को तैयार हो गई है। उससे ये तो साफ़ है कि वह नीरज को तब भी नहीं रोकेगी जब नीरज उसकी चुदाई करेगा।

ऋतु दीदी ने भी हमेशा उन लोगों का साथ दिया। ख़ुद जबरदस्ती मेरे साथ सेक्स किया और फिर नीरज को इसके बारे में बता दिया। मुझसे डबल गेम खेल दिया। अपना घर बचा लिया और नीरज को जो चाहिए था वह दिला दिया। मेरे सामने ऐसा नाटक कर रहीं थी जैसे वह मेरी साइड हों लेकिन जब पूरा गेम सोचो तो साफ़ साफ लग रहा है ऋतु दीदी ने ही मुझे फंसाने का पूरा प्लान बनाया है और जब नीरू, ऋतु और नीरज तीनों ही मेरे खिलाफ है तो मैं यहाँ रहकर भी क्या कर लूंगा।

नीरू तो मुझ से बात ही नहीं करती है और पता नहीं अगर बात भी हो जायेगी तो भी मेरी बात पर यक़ीन करेगी या नहीं। इसकी ही सम्भावना अधिक है की वह अपनी दीदी और जीजाजी की ही बात मानेगी। इससे अच्छा है मैं कनाडा ही चला जाउं क्योंकि जो मौका आज मिला है वह ज़िन्दगी में एक बार ही आता है।

प्रशांत एक बार फिर नीरू को फ़ोन लगता है लेकिन आज भी नीरू प्रशांत का फ़ोन नहीं उठाती। प्रशांत फिर कनाडा चला जाता है। कनाडा पहुँचकर भी प्रशांत लगातार नीरू को फ़ोन करता है। लेकिन नीरू का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था।

इस बीच नीरू का आफिस जाना बना हुआ था। नीरू आफिस से निकलते समय एक बार ज़रूर आसपास देखती थी। उसे ये महसूस होता था कि प्रशांत कहीं आसपास छिप कर उसे देख रहा है। नीरू का ये सिर्फ़ भ्रम था क्योंकि प्रशांत तो इंडिया में ही नहीं था। नीरू मन ही मन कहती है प्रशांत मेरे दिमाग़ से खेलने की कोशिश कर रहा है। सोच रहा है कि वह मुझे दिखाई नहीं देगा तो मैं परेशान हो जाउंगी और उसकी बातों में आ जाउंगी। लेकिन ये सब प्रशांत की भूल है। यदि वह मेरे साथ गेम खेल रहा है तो खेलता रहे। उसकी इन्हीं हरकतों के कारण मुझे उससे तलाक लेना पडा है। ऐसे आदमी के साथ तो मैं बात करना भी पसंद नहीं करूंगी।

इस बीच नीरू के डिलेवरी का समय करीब आता जाता है तो ऋतु उसे जबरदस्ती अपने घर पर शिफ्ट होने के लिए मनाने की जुट जाती है। लेकिन नीरज के साथ हुई पुरानी घटना को याद करते हुए नीरू किसी भी क़ीमत पर ऋतु के घर जाने को तैयार नहीं हुई थी। नीरज ने भी नीरू को मनाने की कोशिश तो बहुत की थी। लेकिन नीरू किसी भी क़ीमत पर नीरज के घर जाने को तैयार नहीं थी। कभी कभार ज़्यादा ज़ोर देने पर वह उनके घर चली तो जाती थी लेकिन एक दो घंटे बाद वापस अपने घर आ जाती थी।

नीरू को अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था कि नीरज के मन में उसे चोदने की ललक वर्षों से थी। इस बीच नीरज बीच-बीच में प्रशांत से फ़ोन पर बात करता रहता था। कभी-कभी वह नार्मल बात करता तो कभी अपने और नीरू के बीच होने वाले ऑरल सेक्स के बारे बताता। प्रशांत में नीरज की बातों में आकर इस तरह के सीन इमेजिन करने लगा था जिसमें नीरू नीरज का लंड चूस रही हो। इस बीच एक दिन ऋतु नीरू के घर पहुँचती है।

ऋतु: देख नीरू अब तेरे गर्भ को छह महीने हो चुके हैं। तुझे देखभाव की ज़रूरत है यहाँ तू अकेले रहती है। कभी भी डॉक्टर की ज़रूरत पडे तो किससे मदद मांगेगी।

नीरू: नहीं दीदी में सब संभाल लूंगी।

ऋतु: देख अब पुरानी बातें भूल जा, मैं भी भूल चुकी है पुरानी बातों को याद कर अपना ही नुक़सान होता है।

नीरू: कैसे भूल जाउं दीदी, जिस पर भरोसा किया उसी ने धोखा दिया। जीजाजी पर मैं कितना भरोसा करती है अंधा विश्वास करती थी और उन्होंने ही मुझे चोद दिया।

ऋतु: लेकिन ये बता उन्हें कमरे में बुलाया किसने था, उनके सामने कपडे उतारने की शुरूआत किसने की थी? गलती अकेले नीरज की नहीं है तेरी भी है।

नीरू: दीदी मैं तो सिर्फ़ प्रशांत के शक को दूर करने के लिए ये सब कर रही थी। प्रशांत के शक की आदत से मैं परेशान थी। मैंने कभी भी प्रशांत के करेक्टर पर शक नहीं किया। लेकिन वह मेरे करेक्टर पर शक करता था। क्या प्रशांत सही था। जो अपने बीबी पर भरोसा नहीं करता था।

ऋतु: देख मैं ये नहीं कह रही कि नीरज सही है या फिर प्रशांत सही है। कहीं न कहीं दोनों ग़लत थे। लेकिन तू भी सही नहीं थी तुझे नीरज को रोकना चाहिए था।

नीरू: दीदी मैं उस समय समझ ही नहीं पाई थी कि मेरे साथ हो क्या रहा है। जीजाजी वह सब मेरे साथ कर सकते हैं जो उन्हों ने किया। आज भी मुझे भरोसा नहीं हो रहा और फिर जब जीजाजी ने आपकी और प्रशांत की चुदाई की बात बताई तो मैं अपने आपे में नहीं रही।

ऋतु: मैंने तुझसे पहले ही कहा था कि तू जो कर रही है उससे तुझे बाद में पछताना पडेगा। खैर अब जो बीत गया उसे भूल जा और नए सिरे से ज़िन्दगी बिताने की कोशिश करे। वैसे एक बात बता तेरे ऑफिस के सामने झगडा होने की घटना के बाद क्या प्रशांत ने फिर कभी तुझसे मिलने की कोशिश की।

नीरू: दीदी प्रशांत वहाँ आता ज़रूर होगा वह बात अलग है पर अब वह मेरे सामने नहीं आता। उसका फ़ोन तो मेरे पास आता रहता है। लेकिन मैं ही उससे बात नहीं करती। वह आपको भी फ़ोन करता होगा।

ऋतु: नहीं प्रशांत का फ़ोन मेरे पास भी नहीं आता। मैंने कई बार ट्राई किया था। लेकिन प्रशांत ने शायद मेरा फ़ोन ब्लेैक लिस्ट में डाल दिया है।

नीरू: क्या आपका फ़ोन ब्लैक लिस्ट में, उसका दिमाग़ तो खराब तो नहीं हो गया या फिर आप को कोई गलतफहमी हुई है।

ऋतु: नहीं कोई ग़लत फहमी नहीं है एक बार मैंने अपने पडोसी के फ़ोन से प्रशांत को फ़ोन लगाया था। उसने फ़ोन उठाया लेकिन जैसे ही मैंने कहा कि मैं ऋतु बोल रहीं हूँ। उसने ये कहते हुए फ़ोन काट दिया कि उसे मुझसे कोई बात नहीं करनी।

नीरू: लेकिन वह आपसे बात क्यो नहीं करना चाहता। उसका दिमाग़ खराब हो गया है।

ऋतु: नहीं मुझे लगता है कि उसे इस बात का शक है कि मैंने उसकी अपने साथ चुदाई की बात जानबूझकर बताई थी।

नीरू: ये आदमी कभी नहीं भी नहीं सुधर सकता। हमेशा शक करता रहेगा।

ऋतु: चलो जो हुआ उसे भूल जाओ, उसे तो में बाद में समझा दूंगी। लेकिन तू उसे माफ़ कर दे। वैसे गलती तूने भी की है।

नीरू: मैने गलती गुस्से में की थी और जीजाजी ने भी मेरा भरोसा तोडा था। मैं एक बार प्रशांत को माफ़ भी कर सकती हूँ। लेकिन जीजाजी को कभी भी माफ़ नहीं करूंगी।

ऋतु: चलो अब ज़्यादा गुस्सा मत हो और यदि प्रशांत का अब फ़ोन आए तो एक बार उससे बात कर लेना और यदि हो सके तो तू ही अपनी ओर से फ़ोन लगा लेना।

नीरू: क्यो मैं क्यो फ़ोन लगाउं।

ऋतु: देख प्रशांत कितना झुक गया है अपनी गलती पर वह पछता भी रहा है जो उसने तुझ पर शक किया। यदि तुझे उससे बिल्कुल भी प्यार नहीं है तो तू अपनी ओर से फ़ोन मत लगाना। नहीं तो एक बार बात कर ले।

नीरू: ठीक है दीदी यदि आज प्रशांत को फ़ोन नहीं आया तो मैं कल उससे बता करूंगी।

ऋतु और नीरू के बीच बात हो रही थी जिससे एक आदमी परेशानी में दिख रहा था और वह था नीरज जो थोडी देर पहले ही आया था उसने बस इतना सुना था कि यदि आज प्रशांत नीरू को फ़ोन नहीं करता है तो नीरू कल प्रशांत को फ़ोन करेगी। लेकिन फिर अचानक नीरज को एक आइडिया आता है और वह मुस्कराने लगता है नीरज जैसे आया था वैसे ही वापल लौट जाता है। हक़ीक़त में ऋतु ने ही नीरज से कहा था कि वह नीरू के घर जाए और उसे मनाये और नीरज नीरू के घर इसलिए आया था ताकि नीरू को मनाया जा सके।

लेकिन नीरज अपने हरामीपण से बाज नहीं आया है और अब नीरज एक नई चाल चलने के लिए तैयार था और नीरज अपनी गाडी में बैठकर प्रशांत को फ़ोन करता है। पांच छह घंटी जाने के बाद प्रशांत फ़ोन उठता है।

प्रशांत: हाँ नीरज जी कैसे हैं।

नीरज: यार मैं ही तुझे फ़ोन करता हूँ तू कभी भी मुझे फ़ोन नहीं करता।

प्रशांत: जी वह बिजी रहता है और मन ही मन कहता है कि आप भी मुझे फ़ोन मत किया करें।

नीरज: यार देख मुझे अब तुझसे तरस आने लगा है, मैं तेरी मदद करने के लिए तैयार हूँ।

प्रशांत: खुश होते हुए कैसी मदद नीरज जी

नीरज: देख तू नीरू को हासिल करना चाहता है मैं इसमें तेरी मदद करूंगा।

प्रशांत: थैक्यू नीरज जी

नीरज: लेकिन यार एक परेशानी है।

प्रशांत: क्या

नीरज: मैं तीन चार दिन से नीरू पर प्रेशर बना रहा हूँ कि वह तुझे माफ़ कर दे। लेकिन वह तैयार नहीं हो रही।

प्रशांत: हाँ मुझे मालूम है वह बहुत जिद्दी है।

नीरज: लेकिन तू मुझे भी जानता है एक बार जो ठान लेता हूँ वह हासिल कर लेता हूँ। नीरू को ही देख लो एक बार तेरे सामने चोद चुका हूँ और अब अपना लंड कितनी बार चुसा चुका हूँ इसकी तो अब गिनती भी मुझे याद नहीं है।

प्रशांत: ठंंडी आह भरते हुए जी

नीरज: देख नीरज एक शर्त पर तुझे माफ़ करने को तैयार है।

प्रशांत: कैसी शर्त

नीरज: नीरू ने कहा है कि यदि तू मेरे और नीरू के सम्बंधों को स्वीकार कर लेता है तो वह तेरे पास आने को तैयार है। जानता तेरे से बात करने के लिए मुझे अपने घर के बाहर आना पडा है।

प्रशांत: हाँ मुझे गाडियों की आवाजें सुनाई दे रही हैं।

नीरज: अब तू इस बात का जबाव नीरू को ही दे देना कि तुझे मेरे और नीरू के सम्बंधों से कोई आपत्ति नहीं हैं। वैसे नीरू तुझे कल फ़ोन करके ये बताएगी। तू अपना फ़ैसला बता देना और हाँ जो भी फ़ैसला हो एक बार नीरू को बता ज़रूर देना और नीरज फ़ोन काट देता है और खुलकर हंसने लगता है।

दूसरी ओर प्रशांत की आंखों में आंसू निकलने लगते हैं। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि नीरज के प्रस्ताव पर वह क्या जबाव दे। नीरज खुलकर प्रशांत से नीरू की चुदाई की अनुमति मांग रहा है। इसके बाद नीरज पहली बार ज़िन्दगी में शराब मंगाता है और पहली ही बार में पूरी बोतल पी जाता है। शराब के नशे में ही वह कब नींद के आगोश में चला जाता है उसे पता ही नहीं चलता।

नीरू को प्रशांत के फ़ोन का इंतज़ार था। लेकिन प्रशांत तो शराब पीकर दूसरी ही दुनिया में था। सुबह प्रशांत उठता है और रोज़ की तरह जिम जाता है और फिर तैयार होकर आफिस चला जाता है। कनाडा में प्रशांत का ये डेली का रूटीन बन गया था वह जिम ज़रूर जाता था। जिस कारण उसका शरीर गठीला बनता जा रहा था। कनाडा में सुबह हो रही थी और इंडिया में उस समय रात का समय था। नीरू को नींद नहीं आ रही थी। वह प्रशांत के फ़ोन का देर रात तक इंतज़ार करती रही और कब उसकी आँख लगी उसे पता भी नहीं चला।

सुबह नीरू आफिस चली गई। उसे पता था आफिस टाइम पर प्रशांत कभी फ़ोन नहीं करता था। इस तरह से वह दिन भी बीत जाता है। रात को 9 बजे के करीब नीरू प्रशांत को फ़ोन करने का फ़ैसला करती है। दूसरी ओर प्रशांत के मन में खलबली मची हुई थी। थोडी देर पहले ही नीरज का फ़ोन आया था और उसने कहा था कि नीरूको उसने फ़ोन करने के लिए तैयार कर लिया है। वह थोडी देर में उससे बात करेगी। लेकिन नीरू ने साफ़ साफ कह दिया है कि तुझे हमारे सम्बंधों को रजामंदी देनी होगी तभी वह आगे बढेगी।



प्रशांत को लग रहा था कि नीरज झूठ बोल रहा है। उसके मजे ले रहा है। कहाँ नीरू चार महीने से उसका फ़ोन नहीं उठा रही है और कहाँ नीरज कह रहा है कि नीरू मुझे फ़ोन करने वाली है। लगता है वह मुझे अभी भी चुतिया ही समझता है। प्रशांत इसी सोच में था कि तभी उसके फ़ोन की घंटी बजती है और जैसे ही उसकी नज़र फ़ोन की स्क्रीन पर पडती है उसकी आंखें चौडी हो जाती है कि क्योंकि ये फ़ोन नीरू का था।

प्रशांत: इसका मतलब नीरज सच कह रहा था। नीरू नीरज के साथ ही रहना चाहती है और नीरज के कहने पर ही वह मुझे फ़ोन कर रही है। ये सोचकर प्रशांत की आंखों में आंसू आ जाते हैं। प्रशांत कांपते हाथों से फ़ोन उठता है और हैलो बोलता है। दूसरी ओर

नीरू: हैलो कैसे हो प्रशांत

प्रशांत: ठीक हूँ।

नीरू: मुझे तुमसे एक बात करनी थी बात बहुत ज़रूरी है। अब समझ नहीं आ रहा कैसे करूंगा। वह उस दिन जीजाजी के साथ नीरू इतना ही कह पाई कि प्रशांत का गुस्सा फुट पड़ा।

प्रशाांत: ये ही तुम अब अपनी जीजाजी के साथ अपने सम्बंध बनाए रखना चाहती है और मुझसे इसकी इजाज़त मांग रही हो।

नीरू: प्रशांत ये तुम क्या बक रहे हो।

प्रशांत: अच्छा मैं बक रहा इस समय भी तुम नीरज के घर पर ही हो और उसका लंड चूस रही हो। उसी के कहने पर मुझसे बात कर रही हो। मैं सच कह रहा हूँ ना।

नीरू: गुस्से में तुम कभी भी नहीं सुधरोगे प्रशांत। मैंने सोचा था कि शक का कीड़ा तुम्हारे दिमाग़ से निकल गया होगा। लेकिन तुम पागल हो चुके हैं। मैं अपने घर पर ही हूँ और जीजाजी अपने घर पर।

प्रशांत: मुझसे क्यो झूठ बोल रही हो। मैंने कई बार तुम्हें जीजाजी के घर जाते देखा है और वह भी उस समय जब ऋतु दीदी घर पर नहीं होती है।

नीरू: गुस्से से पागल हो जाती है और कहती है हाँ जाती हूँ और तुम बोल रहे थे ना उनका लंड चूसती हूँ तो मैं कहती हूँ कि मैं रोज़ उनका लंड चूसती हूँ और इस समय जीजाजी के बेडरूम में ही हूँ।

प्रशांत: हंसते हुए आख़िर सच कबूल कर ही लिया ना। तुम सोच रही हो मुझे कुछ नहीं मालूम मुझे सबकुछ पता है।


इधर नीरू गुस्से में अपना फ़ोन पटक देती है और रोने लगती है। दो दिन नीरू आफिस भी नहीं जाती। इस बीच ऋतु लगातार नीरू को फ़ोन करती है लेकिन नीरू का फ़ोन गिरने के कारण खराब हो गया था। इसलिए फ़ोन लगता नहीं है। वहीं प्रशांत भी सोचता है कि उसने कहीं नीरू से ज़्यादा तो नहीं बोल दिया। वैसे यदि बोल भी दिया हो तो क्या अब मुझे नीरू के साथ वैसे भी रहना नहीं है।

जारी रहेगी
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