जिसने भी यह स्टोरी पहले पढ़ी होगी तो वह जानते होंगे कि पेज no 14 पर कुंदन की सायकल पंक्चर होती है तब कुंदन खारी बावड़ी पर जाता है तब वह वहा किसी को जलते हुये देखता है पर वह पूरा पोस्ट ही मिसिंग था तो वह मिसिंग पोस्ट मै यहां दे रहा हु....सतीश
नजर का खोट complete
- SATISH
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Re: नजर का खोट complete
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Re: नजर का खोट complete
रात के उस घने अंधेरे में मैं अपनी सायकल को घसीटते हुये खारी बावड़ी की तरफ़ बढ़ रहा था, दूर कही कुछ जानवरो की आवाजे आ रही थी.
जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था एकाएक हवा कुछ तेज सी चलने लगी, हलकी सी सर्द हो गई हवा, मैंने आस पास देखा पर दूर दूर तक बस घुप अँधेरा ही था.
कुछ देर बाद मैं बावड़ी के पास पहुँच गया और पता नही क्यों मेरे पैर अपने आप रुक गये जबकि मुझे पूजा के घर की तरफ़ जाना चाहिये था,
तभी मुझे ऐसा लगा की मैंने वहा पर किसी को देखा कुछ साया सा लगा, तो मैंने अपनी सायकल स्टैंड पे लगायी और अंधेरे में आंखे फाड़ते हुये उधर देखने लगा पर वहाँ अब कोई नही था.
मैंने सोचा की मुझे भ्रम हुआ हो अब बावड़ी के पीछे बहुत पेड़ पौधे थे तो शायद हवा से हिलने पर किसी साये सा लगा हो, पर एक बात मैंने गौर की यहाँ पे जो सन्नाटा पसरा हुआ था वो अलग सा था जैसे कोई कहानी दबी हो इस सन्नाटे के पीछे
जैसे ये सुनापन कछ कहना चाहता हो, इस जगह पर कोई आता जाता नही था लोग तरह तरह की बाते करते थे, दो बार खुद मैंने अजीबसा डर महसूस किया था पर आज जब रात को, क्या समय हआ था मैं नही जानता पर आज मुझे जरा भी डर नही लगरहा था,
मैं धीरे धीरे बावड़ी की तरफ़ चल दिया मैंने देखा वहाँ सीडिया थी जो नीचे की तरफ़ जाती थी जहाँ मैं खड़ा था वहीं पर
एक पुराना कमरा था मेरे जूतों की आवाज उस शांत जगह में कुछ जोर से गूंज रही थी
और तभी मैंने कुछ सुना ऐसा लगा जैसे किसीने हलके से मुझे पुकारा हो, हा ऐसे ही सुना मैंने, मैंने नजर घुमा कर आसपास देखा पर कुछ नही था तो क्या कानो ने धोखा दिया ..!!
नही ऐसा नही हो सकता पहले उस साये को देखना और फिर मेरा नाम पुकारना ये संयोग नही हो सकता कोई तो जरूर है आसपास पर कौन ??
कौन हो सकता है..!! मझे थोड़ा डर लगने लगा और जो बात सबसे पहले मेरे दिल में आयी वो ये थी की क्या मैं सुरक्षित हुँ, तभी कुछ दुर झाड़ियो में हरकत हुयी और जैसे ही मैंने उस ओर देखा मैं भागा उस ओर पर कुछ दुर जाते ही ठोकर लगी और मैं नीचे गीर गया,
ये शायद दुसरा किनारा था मैं एक के बाद एक सीढ़ियों से लुढ़कता हुआ नीचे आ गया मैंने अपने आप को सम्भाला और उठा तो पाया की सर में चोट लग गयी है और खुन रिसने लगा था कोहनी भी छिल गयी थी,
चूंकि पहले ही जख्म नही भरे थे अब और लग गये तो शरीर थोड़ा सा दहल सा गया था,
मैं लंगड़ाते हुये ऊपर आया तो मैंने देखा की एक दिया जला हुआ है अब मेरा माथा ठनका इस बियाबान में कौन दिया जलायेगा ..!!
पर एक बात और साबित हो गयी थी वहां मैं अकेला नही था कोई था जो मेरे साथ खेल खेलना चाहता था,
"कौन है" मैं चीखा.
पर कुछ जवाब नही मेरा दिमाग जोर देकर कह रहा था की यहाँ से निकल लो पर एक उत्सुकता सी हावी होने लगी थी,
मैं सोच ही रहा था की मुझे झांझर की आवाज सुनाई दी तो मेरे कान खड़े हो गये मैंने आवाज की दिशा में चलना शरू किया,
और जहाँ मेरी सायकल पड़ी थी वहा मैंने एक साये को देखा उसने बदन पर कुछ ओढा हुआ था ऊपर से अंधेरा था, तो पहचान पाना मुश्किल था, मैं तेजी से उसकी तरफ दौड़ा, वो करीब साठ सत्तर मीटर दूर होगी, पर जब मैं पास पहुंचा तो वहाँ कोई नही था, और मेरी साइकिल भी गायब थी,
कितनी हैरानी की बात थी उस कच्ची सड़क पर छुपने की जगह नही थी और पंक्चर सायफकल को कोई क्यों ले जायेगा, क्या वो कोई चोर थी..??
हां ऐसा हो सकेता है पर नही चोर को ऐसे दिया जलाने की क्या जरुरत थी मैं समझ गया ये सब जानबूझ कर ही किया गया है, और जो भी है उसे मेरे बारे में सब पता है,
खारी बावड़ी जहाँ रात में तो क्या दिन में भी जाने से डरता हो वहाँ मैं रात के अंधेरे में आता हु, और फिर साये का देखना, उसका पीछा करना, मेरा गिरना और ये जलता दिया..!!
मैंने सोचना शुरू किया की ये किस तरह का इशारा है क्या कोई मुझे कुछ कहना चाहता है??
बहुत सोचने के बाद मैंने सोचा की इस दिये का उपयोग मैं रौशनी के लिये करते हुए आसपास देखता हु, अब जो होगा देखा जायेगा और वो जो कोई भी है पकड में आयी तो क्या करूँगा वो बाद में सेोचेंगे,
मैंने दिया हाथ में लिया और उस कमरे को देखने लगा कमरे पे मजबुत ताला था जो वक़्त की मार से अब अपने को बचाने की कोशिश कर रहा था,
मैंने थोड़ा जोर लगाया तो कुंडी का कब्जा निकल गया और मैं अंदर गया तो देखा की कमरा इस तरफ़ से साफ सुथरा था,
जैसे कोई रहता हो पर कौन? जबकी सालो से यहाँ कोई आता जाता नही, अचानक से इतने सवाल पैदा हो गये थे की क्या जवाब दे,
फिर सोचा की दिन में आकर तसल्ली से खोज की जायेगी तब कुछ हो,
मैंने नजर भर कमरे को देखा और फिर बाहर आ गया हवा में सर्दी कछ तेज सी होने लगी थी मैं चुपचाप उस जगह से दुर हो जाना चाहता था पर तभी मैंने फिर से पायल की आवाज सुनी और मैंने देखा की बावड़ी के दूसरे किनारे पर कोई खड़ा है,
" कौन है वहां" मैंने फिर से चिल्ला के पुछा पर वो शांत खड़ी रही कछ देर खामोश सी पसरी रही, और फिर मैंने वो नजारा देखा, जो किसी का भी दिल दहला दे, मेरी बिसात ही क्या थी, मैंने देखा बस एक दो मिनट में ही उस साये का पूरा शरीर सुलग गया तेज लपटो में घेर गया जलते मांस की बदबू चारो तरफ़ फैलने लगी उसकी चीखे उस बियाबान में गूंजने लगी मैं तेजी से उसकी तरफ़ भागा बहुत तेजी से उसका बदन जल रहा था मैंने मिट्टी उस पर फेकनी शुरू की पर मेरा प्रयास नाकाम था,
वो जो भी थी मेरे सामने जल रह थी मैं कुछ नही कर पा रहा था तभी वो जलते हुये मेरे पासे आई और उसकी आँखें मेरी आंखोसे से मिली
"नही, नही" मैं चीखा और कब बेहोशी ने अपनी बाहों में थाम लिया कुछ खबर नही हुयी..
जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था एकाएक हवा कुछ तेज सी चलने लगी, हलकी सी सर्द हो गई हवा, मैंने आस पास देखा पर दूर दूर तक बस घुप अँधेरा ही था.
कुछ देर बाद मैं बावड़ी के पास पहुँच गया और पता नही क्यों मेरे पैर अपने आप रुक गये जबकि मुझे पूजा के घर की तरफ़ जाना चाहिये था,
तभी मुझे ऐसा लगा की मैंने वहा पर किसी को देखा कुछ साया सा लगा, तो मैंने अपनी सायकल स्टैंड पे लगायी और अंधेरे में आंखे फाड़ते हुये उधर देखने लगा पर वहाँ अब कोई नही था.
मैंने सोचा की मुझे भ्रम हुआ हो अब बावड़ी के पीछे बहुत पेड़ पौधे थे तो शायद हवा से हिलने पर किसी साये सा लगा हो, पर एक बात मैंने गौर की यहाँ पे जो सन्नाटा पसरा हुआ था वो अलग सा था जैसे कोई कहानी दबी हो इस सन्नाटे के पीछे
जैसे ये सुनापन कछ कहना चाहता हो, इस जगह पर कोई आता जाता नही था लोग तरह तरह की बाते करते थे, दो बार खुद मैंने अजीबसा डर महसूस किया था पर आज जब रात को, क्या समय हआ था मैं नही जानता पर आज मुझे जरा भी डर नही लगरहा था,
मैं धीरे धीरे बावड़ी की तरफ़ चल दिया मैंने देखा वहाँ सीडिया थी जो नीचे की तरफ़ जाती थी जहाँ मैं खड़ा था वहीं पर
एक पुराना कमरा था मेरे जूतों की आवाज उस शांत जगह में कुछ जोर से गूंज रही थी
और तभी मैंने कुछ सुना ऐसा लगा जैसे किसीने हलके से मुझे पुकारा हो, हा ऐसे ही सुना मैंने, मैंने नजर घुमा कर आसपास देखा पर कुछ नही था तो क्या कानो ने धोखा दिया ..!!
नही ऐसा नही हो सकता पहले उस साये को देखना और फिर मेरा नाम पुकारना ये संयोग नही हो सकता कोई तो जरूर है आसपास पर कौन ??
कौन हो सकता है..!! मझे थोड़ा डर लगने लगा और जो बात सबसे पहले मेरे दिल में आयी वो ये थी की क्या मैं सुरक्षित हुँ, तभी कुछ दुर झाड़ियो में हरकत हुयी और जैसे ही मैंने उस ओर देखा मैं भागा उस ओर पर कुछ दुर जाते ही ठोकर लगी और मैं नीचे गीर गया,
ये शायद दुसरा किनारा था मैं एक के बाद एक सीढ़ियों से लुढ़कता हुआ नीचे आ गया मैंने अपने आप को सम्भाला और उठा तो पाया की सर में चोट लग गयी है और खुन रिसने लगा था कोहनी भी छिल गयी थी,
चूंकि पहले ही जख्म नही भरे थे अब और लग गये तो शरीर थोड़ा सा दहल सा गया था,
मैं लंगड़ाते हुये ऊपर आया तो मैंने देखा की एक दिया जला हुआ है अब मेरा माथा ठनका इस बियाबान में कौन दिया जलायेगा ..!!
पर एक बात और साबित हो गयी थी वहां मैं अकेला नही था कोई था जो मेरे साथ खेल खेलना चाहता था,
"कौन है" मैं चीखा.
पर कुछ जवाब नही मेरा दिमाग जोर देकर कह रहा था की यहाँ से निकल लो पर एक उत्सुकता सी हावी होने लगी थी,
मैं सोच ही रहा था की मुझे झांझर की आवाज सुनाई दी तो मेरे कान खड़े हो गये मैंने आवाज की दिशा में चलना शरू किया,
और जहाँ मेरी सायकल पड़ी थी वहा मैंने एक साये को देखा उसने बदन पर कुछ ओढा हुआ था ऊपर से अंधेरा था, तो पहचान पाना मुश्किल था, मैं तेजी से उसकी तरफ दौड़ा, वो करीब साठ सत्तर मीटर दूर होगी, पर जब मैं पास पहुंचा तो वहाँ कोई नही था, और मेरी साइकिल भी गायब थी,
कितनी हैरानी की बात थी उस कच्ची सड़क पर छुपने की जगह नही थी और पंक्चर सायफकल को कोई क्यों ले जायेगा, क्या वो कोई चोर थी..??
हां ऐसा हो सकेता है पर नही चोर को ऐसे दिया जलाने की क्या जरुरत थी मैं समझ गया ये सब जानबूझ कर ही किया गया है, और जो भी है उसे मेरे बारे में सब पता है,
खारी बावड़ी जहाँ रात में तो क्या दिन में भी जाने से डरता हो वहाँ मैं रात के अंधेरे में आता हु, और फिर साये का देखना, उसका पीछा करना, मेरा गिरना और ये जलता दिया..!!
मैंने सोचना शुरू किया की ये किस तरह का इशारा है क्या कोई मुझे कुछ कहना चाहता है??
बहुत सोचने के बाद मैंने सोचा की इस दिये का उपयोग मैं रौशनी के लिये करते हुए आसपास देखता हु, अब जो होगा देखा जायेगा और वो जो कोई भी है पकड में आयी तो क्या करूँगा वो बाद में सेोचेंगे,
मैंने दिया हाथ में लिया और उस कमरे को देखने लगा कमरे पे मजबुत ताला था जो वक़्त की मार से अब अपने को बचाने की कोशिश कर रहा था,
मैंने थोड़ा जोर लगाया तो कुंडी का कब्जा निकल गया और मैं अंदर गया तो देखा की कमरा इस तरफ़ से साफ सुथरा था,
जैसे कोई रहता हो पर कौन? जबकी सालो से यहाँ कोई आता जाता नही, अचानक से इतने सवाल पैदा हो गये थे की क्या जवाब दे,
फिर सोचा की दिन में आकर तसल्ली से खोज की जायेगी तब कुछ हो,
मैंने नजर भर कमरे को देखा और फिर बाहर आ गया हवा में सर्दी कछ तेज सी होने लगी थी मैं चुपचाप उस जगह से दुर हो जाना चाहता था पर तभी मैंने फिर से पायल की आवाज सुनी और मैंने देखा की बावड़ी के दूसरे किनारे पर कोई खड़ा है,
" कौन है वहां" मैंने फिर से चिल्ला के पुछा पर वो शांत खड़ी रही कछ देर खामोश सी पसरी रही, और फिर मैंने वो नजारा देखा, जो किसी का भी दिल दहला दे, मेरी बिसात ही क्या थी, मैंने देखा बस एक दो मिनट में ही उस साये का पूरा शरीर सुलग गया तेज लपटो में घेर गया जलते मांस की बदबू चारो तरफ़ फैलने लगी उसकी चीखे उस बियाबान में गूंजने लगी मैं तेजी से उसकी तरफ़ भागा बहुत तेजी से उसका बदन जल रहा था मैंने मिट्टी उस पर फेकनी शुरू की पर मेरा प्रयास नाकाम था,
वो जो भी थी मेरे सामने जल रह थी मैं कुछ नही कर पा रहा था तभी वो जलते हुये मेरे पासे आई और उसकी आँखें मेरी आंखोसे से मिली
"नही, नही" मैं चीखा और कब बेहोशी ने अपनी बाहों में थाम लिया कुछ खबर नही हुयी..
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- arjun
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Re: नजर का खोट complete
बहुत ही शानदार लेखन सतीश जी
- naik
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Re: नजर का खोट complete
Fantastic update brother keep posting
Waiting your next update thank you
Waiting your next update thank you
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- Joined: 21 Jul 2018 16:12
Re: नजर का खोट complete
बहुत खुब. बहुत हि खुब.
सतिश भाई, क्या पी.डी.एफ़. पोस्ट कर सकते हैं....
सतिश भाई, क्या पी.डी.एफ़. पोस्ट कर सकते हैं....