अध्याय १०
उस रात माँठाकुराइन ने मेरे साथ कुल चार- पांच बार सहवास किया, पूरे जोश और ओज के साथ... दूसरी और तीसरी बार से मुझे इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी किपहली बार हुई थी... बल्कि मुझे तो मजा आने लगा था| उसके बाद पता नहीं कब मैं सो गई थी| जब उठी तो मैंने देखा कि दिन चढ़ आया है|
मैं उठ कर बैठी और मैंने देखा की चटाई पर जगह-जगह मेरे खून के धब्बे बने हुए थे, माँठाकुराइन ने जब अपना भागंकुर मेरे भग में घुसाया था, तब मेरी कौमर्य झिल्ली फटगई थी… और यह खून के धब्बे उसी का नतीजा था… मैं थोड़ा मुस्कुराई और मैंने सोचा अब मैं खिलती हुई कली से अब एक फूल बन चुकी हूं... मैं अपनी ज़िंदगी की एकसीढ़ी और चढ़ चुकी हूँ…
लेकिन कल रात जो मेरे साथ हुआ, उसकी वजह से मेरे बदन में हल्का हल्का दर्द सा महसूस हो रहा था| खासकर दो टांगों के बीच में... मेरे गुप्तांग में... कि इतने में पता नहींकब माँठाकुराइन की भी नींद खुल गई थी|
मैं आगे की तरफ झुकी हुई थी| मेरे खुले बालों से मेरे चेहरे का एक तरफ ढक सा गया था| मैं मन ही मन मुस्कुराती हुई अपने कोमल अंग को सहला रही थी...
उन्होंने मेरे चेहरे से मेरे बाल हटाए और मेरे गालों को चूमा| मैं जैसे ही उनकी तरफ देखी, उन्होंने प्यार से मेरा चेहरा अपनी दोनों हथेलियों में लेकर मेरे होठों को चूमा औरफिर अपनी जीभ से चाटा...
बीती रात की गर्मी मेरे अंदर शायद अभी भी बची हुई थी| इसलिए मैंने अपना मुंह खोल कर उनकी जीभ को अपने मुंह के अंदर के ले कर और चूसने लगी…
कुछ देर बाद उन्होंने मेरे से कहा, “तेरी जवानी का स्वाद तो मैंने चख लिया लड़की… बहुत अच्छा लगा मुझे... फिलहाल मैं जो तुझे बताने जा रही हूं; उसे ध्यान से सुन! आज के बाद तुझे अपनी छाया मौसी के साथ ही पूरी जिंदगी बितानी है... जैसे एक पत्नी अपने पति के घर रहती है वैसे ही तू, अपनी मौसी के साथ ही रहेगी… उसकी रखैल बन कर…. और हां तुझे वह सब कुछ करना है अपनी छाया मौसी के साथ जो तूने मेरे साथ कल रात को किया…”
“पत्नी? रखैल?... अगर ऐसी बात है तो आप मुझे अपनी रखैल बना कर अपने साथ क्यों नहीं ले जातीं?” मैं बीच में ही बोल पड़ी, “मैं आपके लिए वह सब करने को तैयार हूँ जो आप मुझे छाया मौसी के लिए करने को बोल रही हैं... और फिर आप कह रही हैं कि मैं उनकी रखैल बन कर रहूं? वह सब करू जो कल रात मैंने आप के साथ किया? लेकिन जो यौन सुख आप मुझे दे सकती हैं, वह छाया मौसी कहाँ मुझे दे पाएंगी?”
मेरा इस तरह से बीच में बोल पड़ना और थोड़ा ऊंची आवाज में बात करना शायद मठाकुराइन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था, यह मैं उनकी आंखों में अचानक आए गुस्से को देख कर ही भांप गई थी| लेकिन पल भर में ही उन्होंने अपना गुस्सा शांत कर लिया क्योंकि शायद उन्हें पता था अभी मैं नादान हूं... इस मामले में मैं बिलकुल कच्ची हूं| फिर वह बोलीं, “तू बस इतना याद रख कर छोरी अभी तुम नई-नई रखैल बनने जा रही है, अभी तुझे बहुत कुछ जानना, सीखना और समझना बाकी है... तू बस इतना याद रख, अब से तेरी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद है, सिर्फ और सिर्फ अपनी छाया मौसी को खुश रखना और उनकी देखभाल करना… साथ में जैसा जैसा मैं कहूंबिल्कुल वैसा वैसा ही करना... और हां इस बात का इत्मीनान रख... मैं तुझे भी खुश देखना चाहती हूं| मैंने अपनी तांत्रिक शक्तियों से ऐसा इंतजाम कर दिया है कि एक महीने के अंदर अंदर तेरी छाया मालकिन का भागांगकुर भी एक पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जायेगा- जैसा कि मेरा हो चूका है- वह भी मेरी तरह तेरे भग में अपना रूपांतरित भागांगकुर डालकर मैथुन कर पाएगी… इसलिए याद रखना, लड़की तू तेरी मालकिन की रखैल है... इसलिए अपनी मालकिन को यौनरूप से संतुष्ट करना भी तेरा कर्त्तव्य है, तेरे बदन में जो जवानी की भूख है वह ऐसे ही नहीं मरेगी... मैंने कहा ना मुझ पर भरोसा रख; मैं तेरी जिंदगी बदल दूंगी...”
न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था की माँठाकुराइन मेरे से यह कहना चाह रही हैं कि आज के बाद मुझे और विनम्र हीन और आज्ञाकारी बनकर रहना होगा| मुझे अपनी सारीशर्मोहया को त्यागना होगा और इस लिहाज़ से मुझे अब ज़्यादातर समय नंगी ही रहना होगा...
फिर भी मैंने हिम्मत करके इसी तरह से अपनी नजरें माठकुराइन से मिलाई और बोली, “लेकिन इन सबके लिए क्या छाया मौसी राजी हो जाएँगी? क्या वह भी आपकी तरह मेरे साथ सहवास करेंगी?”
“हां हां बिल्कुल तो इत्मीनान रख, मेरी छाया से इस बारे में बात हो चुकी है... वह तुझे अपनी रखैल बनाने को तैयार है, पर अच्छा एक बात और आज से छाया को मौसी नहीं मालकिन कहकर बुलाना... आज से मौसीवाला रिश्ता ख़तम... मैं एक छोटी सी रसम निभाऊंगी और तुम दोनों का समकामी जोड़ा बना दूंगीठीक वैसे ही जैसे शादी के बाद पति और पत्नी बनते हैं ठीक वैसे ही तुम मालकिन और रखेल बन जाओगी”
हाँ, माँठाकुराइन ने जैसे मेरे उपर एक जादू सा कर दिया था... मैं पूरी की पूरी उनके वश में थी...
क्रमश:
माया- एक अनोखी कहानी complete
- rajababu
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Re: माया- एक अनोखी कहानी
मित्रो मेरे द्वारा पोस्ट की गई कुछ और भी कहानियाँ हैं
( गर्म सिसकारी Running)
माशूका बनी दोस्त की बीवी Running)
गुज़ारिश पार्ट 2 Running)
तारक मेहता का नंगा चश्मा Running)
नेहा और उसका शैतान दिमाग.....
भाई-बहन वाली कहानियाँ Running)
( बरसन लगी बदरिया_Barasn Lagi Badriya complete )
( मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें Complete)
( बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ Running)
( आंटी और माँ के साथ मस्ती complete)
( शर्मीली सादिया और उसका बेटा complete)
( हीरोइन बनने की कीमत complete)
( चाहत हवस की complete)
( मेरा रंगीला जेठ और भाई complete)
( जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया complete)
( घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) complete)
( पहली नज़र की प्यास complete)
(हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने complete
( चुदाई का घमासान complete)
दीदी मुझे प्यार करो न complete
( गर्म सिसकारी Running)
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- rajababu
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Re: माया- एक अनोखी कहानी
११
माँठाकुराइन हमारे घर कुल तीन दिन तक रुकी| इन तीन दिनों में हर रात को उन्होंने मुझसे छाया मौसी की मालिश करवाई फिर उन्होंने खुद अपनी मालिश करवाई औरउसके बाद उस दिन रात की तरह मुझे अपने साथ लेकर सोई और मेरे साथ लगातार उन्होंने सहवास भी किया...
अब तो मुझे इसकी लत लग गई थी और माँठाकुराइन को यह समझ में आ गया था| उन्होंने कहा कि वह कुछ हफ़्तों बाद फिर हमारे घर आएँगी… लेकिन इस बार वह छायामौसी के जोड़ों का दर्द का इलाज करने नहीं… बल्कि उन्होंने मुझसे जो वादा किया था वो निभाने आएगी… ताकि छाया मौसी भी इस काबिल हो सके वह मेरे बदन की भूखको मिटा सके...
***
एक महीने के अंदर ही मैंने छाया मौसी के अंदर एक बदलाव सा देखा... छाया मौसी अब इस काबिल हो चुकी थी कि वह मुझे यौनरूप से खुश रख सके… माँठाकुराइन नेअपना वादा पूरा कर दिया था... छाया मौसी का भागंकुर भी अब ज़रूरत पड़ने पर पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जाया करता था| वह भी अब उसे मेरे भग एक लिंगकी तरह घुसा कर मैथुन कर सकती थी… पर कभी कबार मैं सोचती हूँ….
माँठाकुराइन तो एक समकामी औरत थी और पेशे से जादू टोने वाली एक तांत्रिक| तांत्रिक लोगों के तौर-तरीके कुछ और ही होते हैं| वह समाज से लगभग अकेले अपनी हीदुनिया में अलग रहते हैं और माँठाकुराइन जैसी तांत्रिक महिला भी अकेली ही रहा करती थी|
शायद इसीलिए उस रात को उन्हें मेरे सहारे की... मेरी जवानी की जरूरत पड़ी थी?... जो उन्हें मिल गई... लेकिन छाया मौसी उनकी बातों में आख़िर क्यों आ गई?
एक आम लड़की की तरह शायद कुछ दिनों बाद मेरी भी शादी हो जाती| तब मुझे भी अपने ससुराल चले जाना पड़ता| क्या छाया मौसी चाहती थी कि मैं अभी कुछ और सालोंतक उनके साथ ही रहूं, उनकी देखभाल करूँ और उनका अकेलापन दूर करती रहूं?
जाते जाते माँठाकुराइन ने कहा था कि उनको मुझसे एक और चीज की भी जरूरत है... कहीं उन्होंने ऐसा ही कुछ छाया मौसी से भी तो नहीं कह रखा था? न जाने वह मुझगरीब से अब माँठाकुराइन क्या मांगने वाली थी?
मैंने छाया मौसी की तरफ एक बार देखा, उनकी सेहत में काफी सुधार आया था, वह रसोई घर में बैठकर सब्जियां काट रही थी और बीच-बीच में अपने गले में पहने हुएचाँदी के लॉकेट को सहला रही थीं| जहाँ तक मुझे पता है, यह लाकेट उन्होने बचपन से पह्न रखा था पर उनका का नाम लिखा हुआ था- छाया... पता नहीं शायद कभी नाकभी मुझे इन सवालों का जवाब जरुर मिलेगा…
तभी तेज हवा सी चली और मेरा ध्यान जासे पहले की तरह भटकने लगा…. मुझे अचानक से ध्यान आया… अभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... उसके बाद मुझेछाया मौसी का हाथ भी बटाना है और फिर रात को उनकी सेवा भी करनी है... उनकी सेवा का ख्याल मन में आते ही मुझे महसूस होने लगा कि पेट के निचले हिस्से में थोड़ीगुदगुदी सी महसूस होने लगी… मेरी यौनांग के आस-पास का हिस्सा गीला व थोड़ा चिपचिपा सा लग रहा है…
फिर से तेज़ हवा का एक झोंका आया… और मुझे यह एहसास हुआ खड़े खड़े ना जाने मैं क्या सोच रही थी... अभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... मुझ रखैल को तोअभी अपनी छाया मौसी की सेवा करनी है... उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं देना है... उनको और माँठाकुराइन को हमेशा खुश रखना है|
मुझे सब कुछ त्यागना होगा... अपना सारा गर्व... अपना सारा सनमान... माँठाकुराइन के अनुसार जब तक मैं घर के अंदर हूं, मुझे उन लोगों के सामने बिल्कुल नंगी होकररहना पड़ेगा और हां मुझे तो अपने बालों को भी बांधने की इजाजत नहीं है...
फिलहाल मैं एक जवान सुंदर लड़की हूं... मेरा भविष्य मेरे दो टांगों के बीच में ही है... मेरा तन मन धन सब कुछ छाया मौसी और माँठाकुराइन के अधीन है|
इतने में रसोई घर से आवाज आई, “माया अरि ओ माया”
“आई, मालकिन”, यह कह कर मैं छाया मौसी का हाथ बटाने में रसोई में चली गई|
-x-x-x- समाप्त -x-x-x-
माँठाकुराइन हमारे घर कुल तीन दिन तक रुकी| इन तीन दिनों में हर रात को उन्होंने मुझसे छाया मौसी की मालिश करवाई फिर उन्होंने खुद अपनी मालिश करवाई औरउसके बाद उस दिन रात की तरह मुझे अपने साथ लेकर सोई और मेरे साथ लगातार उन्होंने सहवास भी किया...
अब तो मुझे इसकी लत लग गई थी और माँठाकुराइन को यह समझ में आ गया था| उन्होंने कहा कि वह कुछ हफ़्तों बाद फिर हमारे घर आएँगी… लेकिन इस बार वह छायामौसी के जोड़ों का दर्द का इलाज करने नहीं… बल्कि उन्होंने मुझसे जो वादा किया था वो निभाने आएगी… ताकि छाया मौसी भी इस काबिल हो सके वह मेरे बदन की भूखको मिटा सके...
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एक महीने के अंदर ही मैंने छाया मौसी के अंदर एक बदलाव सा देखा... छाया मौसी अब इस काबिल हो चुकी थी कि वह मुझे यौनरूप से खुश रख सके… माँठाकुराइन नेअपना वादा पूरा कर दिया था... छाया मौसी का भागंकुर भी अब ज़रूरत पड़ने पर पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जाया करता था| वह भी अब उसे मेरे भग एक लिंगकी तरह घुसा कर मैथुन कर सकती थी… पर कभी कबार मैं सोचती हूँ….
माँठाकुराइन तो एक समकामी औरत थी और पेशे से जादू टोने वाली एक तांत्रिक| तांत्रिक लोगों के तौर-तरीके कुछ और ही होते हैं| वह समाज से लगभग अकेले अपनी हीदुनिया में अलग रहते हैं और माँठाकुराइन जैसी तांत्रिक महिला भी अकेली ही रहा करती थी|
शायद इसीलिए उस रात को उन्हें मेरे सहारे की... मेरी जवानी की जरूरत पड़ी थी?... जो उन्हें मिल गई... लेकिन छाया मौसी उनकी बातों में आख़िर क्यों आ गई?
एक आम लड़की की तरह शायद कुछ दिनों बाद मेरी भी शादी हो जाती| तब मुझे भी अपने ससुराल चले जाना पड़ता| क्या छाया मौसी चाहती थी कि मैं अभी कुछ और सालोंतक उनके साथ ही रहूं, उनकी देखभाल करूँ और उनका अकेलापन दूर करती रहूं?
जाते जाते माँठाकुराइन ने कहा था कि उनको मुझसे एक और चीज की भी जरूरत है... कहीं उन्होंने ऐसा ही कुछ छाया मौसी से भी तो नहीं कह रखा था? न जाने वह मुझगरीब से अब माँठाकुराइन क्या मांगने वाली थी?
मैंने छाया मौसी की तरफ एक बार देखा, उनकी सेहत में काफी सुधार आया था, वह रसोई घर में बैठकर सब्जियां काट रही थी और बीच-बीच में अपने गले में पहने हुएचाँदी के लॉकेट को सहला रही थीं| जहाँ तक मुझे पता है, यह लाकेट उन्होने बचपन से पह्न रखा था पर उनका का नाम लिखा हुआ था- छाया... पता नहीं शायद कभी नाकभी मुझे इन सवालों का जवाब जरुर मिलेगा…
तभी तेज हवा सी चली और मेरा ध्यान जासे पहले की तरह भटकने लगा…. मुझे अचानक से ध्यान आया… अभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... उसके बाद मुझेछाया मौसी का हाथ भी बटाना है और फिर रात को उनकी सेवा भी करनी है... उनकी सेवा का ख्याल मन में आते ही मुझे महसूस होने लगा कि पेट के निचले हिस्से में थोड़ीगुदगुदी सी महसूस होने लगी… मेरी यौनांग के आस-पास का हिस्सा गीला व थोड़ा चिपचिपा सा लग रहा है…
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Re: माया- एक अनोखी कहानी complete
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Re: माया- एक अनोखी कहानी complete
Dhansu update bhai Bahut hi Shandar aur lajawab ekdum jhakaas mind-blowing.
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Re: माया- एक अनोखी कहानी complete
Excellent
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