Adultery * * * * *पाप (30 कहानियां) * * * * *

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naik
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Re: पाप

Post by naik »

super story superb end
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rajaarkey
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Re: पाप

Post by rajaarkey »

साथ बने रहने के लिए शुक्रिया दोस्तो 😆
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rajaarkey
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आठ दिन-1

Post by rajaarkey »

02 आठ



दिन बेबस निगाहों में है तबाही का मंजर, और टपकते अश्क़ की हर बूंद, वफा का इजहार करती है,
डूबा है दिल में बेवफाई का खंजर, लम्हा-ए-बेकसी में तसाउर की दुनिया, मौत का दीदार करती है,
आए हवा उनको करदे खबर मेरी मौत की, और कहना, के कफन की ख्वाहिश में मेरी लाश, उनके आँचल का इंतेजार करती है।

मेरा अंदाजा आठ दिन का है। पूरे आठ दिन।

मैं कोई साइंटिस्ट या पेटालाजिस्ट नहीं हूँ और ना ही कोई ज्योतिषी। मैं तो यूनिवर्सिटी में एकनामिक्स पढ़ता हूँ। पर थोड़ी बहुत रिसर्च, थोड़ी किताबों की खाक छानकर मुझे पूरा यकीन है की देल्ही की गर्मी में मेरा आठ दिन का अंदाजा बिल्कुल ठीक बैठेगा।

क्योंकी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और हमेशा करता भी रहूँगा। और तुम ये बात भी बहुत अच्छी तरह जानती हो की बदलाव मुझे पसंद नहीं। किसी भी तरह का कोई भी बदलाव। फेरे लेते हुए जब तुमने मेरी पत्नी होने का वचन लिया था, उसी वक़्त मैंने भी तुम्हारा पति होने और रहने की कसम उठाई थी।

इस कसम को थोड़ा नहीं जा सकता, ना बदला जा सकता, ये तुम जानती हो। तुम घर वापिस आओगी। तुम । एक बार फिर हमारे बेडरूम में कदम रखोगी। जिस वक्त का मैंने अंदाजा लगाया है, उस वक़्त तुम अंदर कदम रखोगी। जिस हिसाब से मैंने अंदाजा लगाया है, उसी हिसाब से तुम मेरे नजदीक आओगी। और फिर तुम हिसाब लगावोगी की मेरा अंदाजा ठीक था या नहीं।
आठ दिन मेरी जान, आठ दिन।

शायद ये भी हकीकत ही है की मोहब्बत एक जिंदा चीज की तरह है और जिस तरह हर जिंदा चीज को एक दिन मरना होता है, उसी तरह से मोहब्बत भी एक दिन दम तोड़ देती है। कभी कभी अचानक और कभी धीरे
धीरे, तड़प तड़प कर।

आज से आठवे दिन हमारी आठवीं अनिवर्सरी है और इस अनिवर्सरी पर मैंने तुम्हारे लिए एक खास तोहफा तैयार किया है।

तुम घर पर अकेली ही आओगी, जैसा की तुमने मुझसे वादा किया है। वैसे तो तुम्हारे मुताबिक अब तुम्हारे दिल में मेरे लिए पहले वाली जगह नहीं रही पर फिर भी इतनी उम्मीद तो मैं तुमसे कर ही सकता हूँ की तुम मुझसे किया अपना वादा तो निभाओगी ही। तुम पर मैंने हमेशा यकीन किया था, तुम्हारी हर बात पे आँख बंद करके भरोसा। कोई सवाल नहीं किया था मैंने उस दिन जब तुमने मुझसे कहा था की तुम्हारी जिंदगी में और कोई दूसरा आदमी नहीं। ठीक उसी तरह मुझे आज भी यकीन है की तुम घर पर अकेली ही आओगी।


मुंबई से तुम्हारी फ्लाइट देल्ही एयरपोर्ट पर दोपहर 3:22 पर लैण्ड होगी। तुमने मुझे एयरपोर्ट से तुम्हें पिक करने के लिए मना किया है और मैं तुम्हारी बात को पूरी इज्ज़त दूंगा। तुम एयरपोर्ट से जनकपुरी के लिए एक टैक्सी करोगी। तुम चाहती हो की तुम घर आओ, अपना सब समान लो और उसी टैक्सी में बैठकर वो रात किसी होटल में गुजारो क्योंकी मुंबई की अगली फ्लाइट अगले दिन ही है।

तुम टैक्सी को हमारे घर के बाहर पेड़ के नीचे रुकवाओगी। टैक्सी में बैठी कुछ देर तक तुम नजर जमाए घर की तरफ खामोशी से देखती रहगी। तुम काफी थकी हुई होगी। उस वक़्त तुम्हें समझ में नहीं आ रहा होगा की क्या करो। झिझक, अफसोस, दुख, गिल्ट की एक अजीब मिली जुली सी फीलिंग्स से तुम कुछ देर तक वहीं बैठी गुजारती रहोगी।


या शायद तुम वहाँ बैठी सिर्फ ये सोचो की अगले एक घंटे में सब खतम हो जाएगा। और आखिर तुम्हें तुम्हारी आजादी मिल ही जाएगी।

अगर तुम्हारी फ्लाइट डिले नहीं हुई तो तुम तकरीबन 4:00 बजे तक घर पहुँचोगी। गर्मी उस वक्त भी बहुत ज्यादा होगी और टैक्सी के एसी से तुम्हारा बाहर निकलने का दिल नहीं कर रहा होगा। तुम्हें गये हुए 5 हफ्ते हो चुके होंगे और बाहर सड़क पर टैक्सी में बैठी तुम घर को देखोगी और ये सोचोगी की कुछ भी तो नहीं बदला। तुम इस बात को बिल्कुल नजरअंदाज कर दोगी की हमारे लिविंग रूम के पर्दे जिंदगी में पहली बार तुम्हें बंद मिलेंगे। तुम इस बात को भी नजरअंदाज कर दोगी की हमारे घर के बाहर बने लान में घास बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है और पानी ना मिलने की वजह से गर्मी में झुलस कर जल चुकी है।

कितने बदल गये हैं वो हालत की तरह, अब मिलते हैं पहली मुलाकात की तरह, हम क्या किसी के हुस्न का सदका उतारते, कुछ दिन का साथ मिला तो खैरात की तरह। घर के बाहर न्यूसपेपर्स बिखरे पड़े होंगे। मेलबाक्स में पिछले कई दिन के लेटर पड़े होंगे। ये सब देखकर शायद तुम्हें कुछ अजीब लगे और शायद तुम्हें थोड़ी बेचैनी हो, या थोड़ा गिल्टी भी फील हो। क्योंकी तुम जानती हो की घर इन सब चीजों को लेकर तुम्हारा पति कितना पर्टिक्युलर था।
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