दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete

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cool_moon
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Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by cool_moon »

बढ़िया अपडेट..
josef
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Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by josef »

कहानी लाइक करने के लिए बहुत सुक्रिया 😆
josef
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Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by josef »

जब वो झाड़ू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया. अब मुझे उसके ब्लाऊज़ से उसकी चूची साफ़ दिखाई दे रही थी. मेरा लण्ड फन-फना गया.

रात वाली! माँ जैसी चूची मेरे दिमाग के सामने घूमने लगी कि, तभी डॉली की नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे एकटक घूरता देख पकड़ लिया.

उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना ब्लाऊज़ ठीक कर, अपनी चूचियों को ब्लाऊज़ के अन्दर छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ़ पीठ कर के झाड़ू लगा रही थी.
उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे. मैं मन ही मन सोचने लगा कि, इसकी गाण्ड में लण्ड घुसा कर चूची को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा!

बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लण्ड पर पहुँच गया और, मैं लुंगी के ऊपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा.

तभी डॉली अपना काम पूरा कर के पलटी और, मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई.

थोड़ी देर बाद बुआ जी और डॉली हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि, चलो राज बेटे खाना खालो. अब हम तीनों खाना खाने बैठ गए.

बुआ जी मेरे सामने बैठी थीं और डॉली मेरे बाईं साईड की ओर बैठी थी. डॉली पालथी मारके बैठी थी और बुआ जी पैर पसारे बैठी थीं.

खाना खाते समय मैंने कहा, बुआ जी आज खाना तो जायकेदार बना है.

बुआ जी ने कहा, मैंने तुम्हारे लिए खास बनाया है. तुम यहाँ जितने राज रहोगे गाँव का खाना खा खा कर और मोटे हो जाओगे!

मैं हँस पड़ा और कहा, अगर ज्यादा मोटा हो जाऊँगा तो मुश्किल हो जाएगी. बुआ जी और डॉली हँस पड़ीं!

थोड़ी देर बाद बुआ जी ने कहा, डॉली तुम खाना खा कर खेत में खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सबने खाना खाया.


डॉली बरतन धोकर खेत में खाद डालने लगी. मैं और बुआ जी चटाई बिछा कर आराम करने लगे. मुझे नींद नहीं आ रही थी.

आज मैं बुआ जी या डॉली को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आ गई! पता ही नहीं चला.

जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैंने देखा कि, मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था.

इतने में बुआ जी कमरे में आईं. मैंने झट से आँखें बंद कर लिया.
josef
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Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

Post by josef »

थोड़ी देर बाद आँख खोल कर देखा कि, बुआ जी की नज़र मेरे खड़े हुए मोटे लण्ड पर टिकी थीं. हैरत भरी निगाहों से मेरे लम्बे और मोटे लण्ड को देख रही थीं.

कुछ देर बाद उन्होंने आवाज दे कर कहा, राज बेटा उठ जाओ, अब घर चलना है!

मैंने कहा, ठीक है! और उठकर बैठ गया मेरा लण्ड अब भी लुंगी से बाहर था.

बुआ जी मेरी ओर देखते हुए बोलीं, राज बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या?

मैंने मुश्किल से कहा, नहीं तो बुआ जी क्यों क्या हुआ?

वो बोलीं, नीचे तो देखो! क्या दिख रहा है? जब मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड लुंगी से निकला हुआ था.

मैं शर्म से लाल हो कर अपना लण्ड चड्डी में छूपा लिया. ऐसा करते समय बुआ जी हँस रही थीं.

हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैंने कहा कि, मैं बाज़ार होकर आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 विस्की की बोतल ले आया.

जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे. मुझे आया देख कर बुआ जी ने आवाज दी, बेटा आकर खाना खालो.

मैं बोला, बुआ जी अभी भूख नहीं है थोड़ी देर बाद खा लूँगा.

फिर मैंने पूछा, माँ और डॉली कहाँ हैं? (क्योंकि माँ और डॉली ना तो रसोई घर में थे नहीं आँगन में थे)

बुआ जी ने कहा कि, हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन है! इसलिए भाभी और सुमर रिस्तेदार के यहाँ गए है और सुबह 5-6 बजे लौटेंगे.

मैंने कहा, ठीक है! बुआ जी अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूँ.

बुआ बोलीं, ठीक है! तुम आँगन में बैठो मैं वही खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विस्की पीने लगा.


करीब आधे घण्टे बाद बुआ जी खाना लेकर आईं, तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था.

बुआ जी और मैं खाना खाने के बाद, हम दोनों बुआ जी कमरे में आ गए. मैंने पैंट और शर्ट निकाल कर लुंगी और बनियान पहन ली. बुआ जी भी साड़ी खोल कर केवल नाईटी पहनी हुई थीं.
जब बुआ जी खड़ी होकर पानी लाने गईं तो, मुझे उनके पारदर्शी नाईटी से उनका नक्शा दिखाई दिया.

उन्होंने नाईटी के अन्दर, ना तो ब्लाऊज़ पहना था ना ही पेटीकोट पहना था! इसलिए लाईट की रोशनी के कारण उनका जिस्म नाईटी से झलक रहा था.
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