Incest आग्याकारी माँ
- SATISH
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Re: आग्याकारी माँ
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मराठी चावट कथा-सतीश(running)
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Re: आग्याकारी माँ
अभी तक आपने पढ़ा कि अपनी बड़ीबहन श्वेता के साथ वाइल्ड सेक्स का मजा करने के बाद श्वेता ने सतीश को चोदने को कहा. श्वेता की चुदाई के लिए सतीश बेडरूम की बालकनी में ले आया. जिधर सतीश चुदाई की तैयारी करने लगा.
अब आगे:
श्वेता- “आआ आआह उम्म यस्सस्स..”
सतीश ने उसके निपल्स को चाटते हुए दांतों से दबा लिया. श्वेता दर्द से चिहुंक गई- आ आहह आहह.
सतीश ने उसके निप्पल को छोड़ा और उसके बॉब्स को चूसना जारी रखा. श्वेता आंखें बंद किये मजे ले रही थी. सतीश नीचे की तरफ बढ़ा, सतीश ने उसके नंगे सपाट पेट पे किस किया.
श्वेता सिसकारियां भरके मजे ले रही थी. सतीश चूमते हुए नीचे आया. उसके सपाट पेट पे सबसे कामुक जगह श्वेता की नाभि थी. सतीश ने श्वेता की नाभि में जीभ घुमा दी. श्वेता वासना से सिहर उठी. उसके मुँह से
श्वेता - “ईस्स ऊम्म … हम्मम..’
की आवाज निकली. उसके हाथ उसके बालों में थे. श्वेता वासना के वशीभूत होके अपने बालों को नोंच रही थी.
सतीश किस करते हुए नीचे पहुंचा. सतीश ने देखा कि नाभि के नीचे अपनी कमर पे उसने एक ज्वेलरी पहन रखी थी जो कि पतली सी चैन थी. उस पर एक छोटा सा ताला बना था. वह गोल्डन चैन थी. इसी लिए सतीश की नजर पड़ी. छोटे ताले पे कुछ लिखा था … जोकि इतनी कम रोशनी में सतीश पढ़ नहीं सकता था.
सतीश किस करते हुए श्वेता के प्यूबिक एरिया में पहुंचा. श्वेता की चुत बिल्कुल साफ क्लीन थीं, जैसे कभी बाल उगे ही न हों.
वैसे श्वेता हमेशा क्लीन रखती थी. सतीश ने उस भाग पे किस किया. श्वेता पीछे हटी, सतीश ने हाथ पीछे ले जाके उसके गांड को पकड़ के खींचा और जीभ से चाटने लगा. सतीश हाथ से उसकी गांड को दबाता हुआ श्वेता की चुत के ठीक ऊपर के हिस्से को चाट रहा था.
श्वेता पागल हुई जा रही थी. अपने हाथों से श्वेता बालों से खेल रही थी. आंख बंद किये हुए सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने जीभ श्वेता की चुत पे फिराई और इसके चुत में डाल दी. श्वेता तो जैसे बिन पानी के मछली जैसे छटपटा रही थी. सिसकारी ले रही थी.
श्वेता- “उम्म्म हम्म आहह उम्म्म …”
सतीश ने जीभ जितना अन्दर जा सकी, ठूंस दि. सतीश अपनी जीभ श्वेता की चुत के अंदरूनी दीवारों पे फेर रहा था.
श्वेता- “‘उम्म ओह्हः सीईईई यसस्स हम्मम्म”
कर रही थी. सतीश ने कुछ देर चुत चाटने के बाद उसे छोड़ा क्योंकि सतीश उसे झड़ने नहीं देना चाहता था. लेकिन श्वेता चाहती थी कि सतीश उस की चुत को खा जाये क्योंकि श्वेता काफी गर्म थी. उसको ऐसे सेक्स के लिए तड़पाना सतीश को अच्छा लगता था.
श्वेता की हालात तो जैसे किसी रंडी जैसी हो गयी थी. श्वेता ने भाई को पूरी तरह से खुद को समर्पित कर दिया था. सतीश को जो मन करे, उसके साथ कर रहा था. श्वेता सतीश की गुलाम थी. सतीश उसे 2 घण्टे से अलग अलग तरीकों से गर्म कर रहा था.
अब श्वेता भाई से जबरदस्त चुदाई की उम्मीद कर रही थी. लेकिन उसे श्वेता को तड़पाने में मजा आता था. ये बात श्वेता को और उत्तेजित करती थी.
लेकिन आज सतीश जैसे श्वेता के बदन से खेल रहा था. ऐसा एहसास उसे पहले कभी नहीं हुआ. खुले में चुदाई की श्वेता की फैन्टसी सच हो रही थी. श्वेता को एहसास हो रहा था कि सतीश उसकी इच्छाओं का कितना ख्याल रखता था.
यही कारण था शायद श्वेता को सतीश की गुलाम बनाने में खुशी मिलती थी. सतीश की हर यातनाएं उसे अच्छी लगती थीं.
सतीश उसे टांगों पे किस करने लगा. वह दोनों टांगों पे किस करते हुए ऊपर उठा उसके सामने आ गया. श्वेता ने हांफते हुए आंख खोली और परेशानी से सतीश को देखा. फिर हांफते हुए बोली-
श्वेता- “कर ना, रुक क्यों गया!
सतीश ने उसके बाल पकड़ के खींचे और उसे घुमा दिया. सतीश ने उसका सर दीवार में दबा दिया. श्वेता आगे की तरफ दीवार से सटी हुयी थी. उसने अपने हाथ ऊपर कर के दीवार का सहारा लिया हुआ था. श्वेता हांफ रही थी.
सतीश ने उसके सर को दीवार में दबाये हुए पूछा
सतीश- “तुम्हें तो जंगली सेक्स पसंद है ना”?
उसने हांफते हुए कहा-
श्वेता- “हां … जंगली तरीके से करना मुझे पसंद है”
अब आगे:
श्वेता- “आआ आआह उम्म यस्सस्स..”
सतीश ने उसके निपल्स को चाटते हुए दांतों से दबा लिया. श्वेता दर्द से चिहुंक गई- आ आहह आहह.
सतीश ने उसके निप्पल को छोड़ा और उसके बॉब्स को चूसना जारी रखा. श्वेता आंखें बंद किये मजे ले रही थी. सतीश नीचे की तरफ बढ़ा, सतीश ने उसके नंगे सपाट पेट पे किस किया.
श्वेता सिसकारियां भरके मजे ले रही थी. सतीश चूमते हुए नीचे आया. उसके सपाट पेट पे सबसे कामुक जगह श्वेता की नाभि थी. सतीश ने श्वेता की नाभि में जीभ घुमा दी. श्वेता वासना से सिहर उठी. उसके मुँह से
श्वेता - “ईस्स ऊम्म … हम्मम..’
की आवाज निकली. उसके हाथ उसके बालों में थे. श्वेता वासना के वशीभूत होके अपने बालों को नोंच रही थी.
सतीश किस करते हुए नीचे पहुंचा. सतीश ने देखा कि नाभि के नीचे अपनी कमर पे उसने एक ज्वेलरी पहन रखी थी जो कि पतली सी चैन थी. उस पर एक छोटा सा ताला बना था. वह गोल्डन चैन थी. इसी लिए सतीश की नजर पड़ी. छोटे ताले पे कुछ लिखा था … जोकि इतनी कम रोशनी में सतीश पढ़ नहीं सकता था.
सतीश किस करते हुए श्वेता के प्यूबिक एरिया में पहुंचा. श्वेता की चुत बिल्कुल साफ क्लीन थीं, जैसे कभी बाल उगे ही न हों.
वैसे श्वेता हमेशा क्लीन रखती थी. सतीश ने उस भाग पे किस किया. श्वेता पीछे हटी, सतीश ने हाथ पीछे ले जाके उसके गांड को पकड़ के खींचा और जीभ से चाटने लगा. सतीश हाथ से उसकी गांड को दबाता हुआ श्वेता की चुत के ठीक ऊपर के हिस्से को चाट रहा था.
श्वेता पागल हुई जा रही थी. अपने हाथों से श्वेता बालों से खेल रही थी. आंख बंद किये हुए सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने जीभ श्वेता की चुत पे फिराई और इसके चुत में डाल दी. श्वेता तो जैसे बिन पानी के मछली जैसे छटपटा रही थी. सिसकारी ले रही थी.
श्वेता- “उम्म्म हम्म आहह उम्म्म …”
सतीश ने जीभ जितना अन्दर जा सकी, ठूंस दि. सतीश अपनी जीभ श्वेता की चुत के अंदरूनी दीवारों पे फेर रहा था.
श्वेता- “‘उम्म ओह्हः सीईईई यसस्स हम्मम्म”
कर रही थी. सतीश ने कुछ देर चुत चाटने के बाद उसे छोड़ा क्योंकि सतीश उसे झड़ने नहीं देना चाहता था. लेकिन श्वेता चाहती थी कि सतीश उस की चुत को खा जाये क्योंकि श्वेता काफी गर्म थी. उसको ऐसे सेक्स के लिए तड़पाना सतीश को अच्छा लगता था.
श्वेता की हालात तो जैसे किसी रंडी जैसी हो गयी थी. श्वेता ने भाई को पूरी तरह से खुद को समर्पित कर दिया था. सतीश को जो मन करे, उसके साथ कर रहा था. श्वेता सतीश की गुलाम थी. सतीश उसे 2 घण्टे से अलग अलग तरीकों से गर्म कर रहा था.
अब श्वेता भाई से जबरदस्त चुदाई की उम्मीद कर रही थी. लेकिन उसे श्वेता को तड़पाने में मजा आता था. ये बात श्वेता को और उत्तेजित करती थी.
लेकिन आज सतीश जैसे श्वेता के बदन से खेल रहा था. ऐसा एहसास उसे पहले कभी नहीं हुआ. खुले में चुदाई की श्वेता की फैन्टसी सच हो रही थी. श्वेता को एहसास हो रहा था कि सतीश उसकी इच्छाओं का कितना ख्याल रखता था.
यही कारण था शायद श्वेता को सतीश की गुलाम बनाने में खुशी मिलती थी. सतीश की हर यातनाएं उसे अच्छी लगती थीं.
सतीश उसे टांगों पे किस करने लगा. वह दोनों टांगों पे किस करते हुए ऊपर उठा उसके सामने आ गया. श्वेता ने हांफते हुए आंख खोली और परेशानी से सतीश को देखा. फिर हांफते हुए बोली-
श्वेता- “कर ना, रुक क्यों गया!
सतीश ने उसके बाल पकड़ के खींचे और उसे घुमा दिया. सतीश ने उसका सर दीवार में दबा दिया. श्वेता आगे की तरफ दीवार से सटी हुयी थी. उसने अपने हाथ ऊपर कर के दीवार का सहारा लिया हुआ था. श्वेता हांफ रही थी.
सतीश ने उसके सर को दीवार में दबाये हुए पूछा
सतीश- “तुम्हें तो जंगली सेक्स पसंद है ना”?
उसने हांफते हुए कहा-
श्वेता- “हां … जंगली तरीके से करना मुझे पसंद है”
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Re: आग्याकारी माँ
सतीश ने उसके बालों को हटा के श्वेता की गर्दन पे किस किया. फिर सतीश ने उसके कंधे पे किस किया. उसके पीठ पे किस करता हुआ नीचे आने लगा.
श्वेता- “आहह उम्म्म हम्म ..”
श्वेता सिसकारियां भरती रही. सतीश उसके गांड पे पहुंचा. सतीश उसके गांड को किस करके चाटने लगा.
श्वेता - “आहह उम्म्म इसस हम्मम आहह..”
श्वेता मादक आवाजें निकाल रही थी.
वह खुल्लम खुल्ला ये सब कर रहे थे. उन्हें डर भी नहीं लग रहा था. अगर कोई सुन ले तो क्या कहेगा … इस बात से उन दोनों को कोई असर नहीं था. वह वासना की आग में सब कुछ भूल चुके थे कि वह कहां हैं और क्या कर रहे हैं.
खैर डरने की कोई बात थी भी नहीं. उन्हें देखने वाला कोई नहीं था.
सतीश का लंड कड़क हो चुका था. अब चुदाई के लिए श्वेता भी तैयार थी. सतीश ने उसे वैसे बाल पकड़े लाया और झूले वाले सोफे पे पटक दिया.
उनकी इस बालकोनी में एक छोटा सा झूला था. पास में कुछ कुर्सियां थीं. वह अक्सर यहां बैठ के बातें किया करते थे.
यह जगह सतीश के लिए काफी लकी रही है. क्योंकि यहीं उसे अपनी बड़ी बहन श्वेता मिली है.
उसने गिरते गिरते सोफे के किनारे को पकड़ कर अपने हाथों से खुद को सम्भाला. श्वेता ने पीछे सतीश को देखा,
श्वेता- “आराम से … पूरी रात के लिए तुम्हारी ही हूँ”
सतीश ने उसके बाल पकड़ के उसके सर को आगे सोफे पे दबाया और गांड पे चपत लगाई,
सतीश- “एक शब्द नहीं बोलोगी तुम”
श्वेता दर्द भरी वासना से कराहते हुए नशीली आवाज में बोली-
श्वेता- “आहह उम्म्म ओके मास्टर”!
सतीश ने उसी हालात में एक झटके में लंड श्वेता की चुत में डाल दिया. श्वेता दर्द से चिल्लाई
श्वेता- “आ ओओओओ सीईई….!!
श्वेता धक्के से आगे सोफे के किनारे पे गिर गयी, जिसे पकड़ के श्वेता सम्भली थी.
श्वेता ने अपने घुटना मोड़ कर एक पैर सोफे पे रखा था. उसका एक पैर नीचे था. श्वेता हाथ मोड़ के कोहनी के सहारे सोफे के किनारे से अपने को संभाले हुई थी. उसके बॉब्स लटक रहे थे. सतीश का लंड श्वेता की चुत में था. सतीश ने उसके बालो को पकड़ के सर को सोफे पे दबाया हुआ था. सतीश ने इसी स्थिति में दूसरा धक्का दिया. सतीश का पूरा लंड श्वेता की चुत में घुस गया.
श्वेता- “आहह आहह … ओह ईस्स..!!
सतीश रुका, सतीश ने जमीन पे गिरी श्वेता की पैंटी उठाके उसके मुँह में ठूंस दिया. सतीश ने धक्के लगाने चालू किये. श्वेता हर धक्के के साथ गूं गूं की आवाजें निकल रही थी. उसके मुँह में पैंटी थी. श्वेता खुल के सिसकारियां नहीं ले पा रही थी. फिर भी
“उम्म … हुम्म … की आवाज आ रही थी.
सतीश के धक्कों से पूरा झूला हिल रहा था. जिससे खचर खचर की तेज आवाज हो रही थी. सतीश खचाखच धक्के लगाये जा रहा था. झूला कोई ठोस स्थिर वस्तु नहीं होती है, इसीलिए यहां बैलेंस बनाना काफी मुश्किल था.
सतीश ने 10-15 धक्कों के बाद उसे उठाया. श्वेता घुटनों के बल आ गयी. सतीश ने पैंटी निकाली और लंड उसके मुँह में पेल दिया. कुछ देर उसके मुँह की चुदाई करने के बाद सतीश ने उसे झूले के स्टैंड बार के सहारे झुकाया. फिर वह श्वेता की चुत को चाटने लगा. श्वेता मस्त हो उठी.
जब सतीश श्वेता की चुत चाट रहा था,
श्वेता ‘उम्म्म हम्मम्म यस यस्स हम्म.’
की आवाजें निकाल रही थी. चूत चाटने के बाद सतीश उठा और पैंटी को फिर से उसके मुँह में ठूंस दिया. अब लंड श्वेता की चुत में पेल कर धक्के लगाना शुरू कर दिया.
श्वेता ‘गूं गूँ गूँ …’ की आवाजें निकाल रही थी. सतीश के हर धक्के के साथ श्वेता की तेज स्वर में
‘गूं गूं हम्म गूं उम्म्म …’ की आवाज निकल रही थी.
सतीश ने धक्के देना थोड़े और तेज किये. उसके माथे पे हल्की सी शिकन आई. सतीश ने धक्के लगाना जारी रखा.
करीब 10 मिनट उसे इसी स्थिति में चोदने के बाद जब सतीश ने लंड बाहर निकाला, तो श्वेता घूम गई. उसने झटके से पैंटी को अपने मुँह से निकाल कर सतीश का लंड मुँह में ले लिया और पूरे जोश में चूसने लगी.
कुछ पल लंड चुसाई का मजा लने के बाद सतीश ने उसे उठाया और झूले के स्टैंड बार के सहारे खड़ा कर दिया.
श्वेता- “आहह उम्म्म हम्म ..”
श्वेता सिसकारियां भरती रही. सतीश उसके गांड पे पहुंचा. सतीश उसके गांड को किस करके चाटने लगा.
श्वेता - “आहह उम्म्म इसस हम्मम आहह..”
श्वेता मादक आवाजें निकाल रही थी.
वह खुल्लम खुल्ला ये सब कर रहे थे. उन्हें डर भी नहीं लग रहा था. अगर कोई सुन ले तो क्या कहेगा … इस बात से उन दोनों को कोई असर नहीं था. वह वासना की आग में सब कुछ भूल चुके थे कि वह कहां हैं और क्या कर रहे हैं.
खैर डरने की कोई बात थी भी नहीं. उन्हें देखने वाला कोई नहीं था.
सतीश का लंड कड़क हो चुका था. अब चुदाई के लिए श्वेता भी तैयार थी. सतीश ने उसे वैसे बाल पकड़े लाया और झूले वाले सोफे पे पटक दिया.
उनकी इस बालकोनी में एक छोटा सा झूला था. पास में कुछ कुर्सियां थीं. वह अक्सर यहां बैठ के बातें किया करते थे.
यह जगह सतीश के लिए काफी लकी रही है. क्योंकि यहीं उसे अपनी बड़ी बहन श्वेता मिली है.
उसने गिरते गिरते सोफे के किनारे को पकड़ कर अपने हाथों से खुद को सम्भाला. श्वेता ने पीछे सतीश को देखा,
श्वेता- “आराम से … पूरी रात के लिए तुम्हारी ही हूँ”
सतीश ने उसके बाल पकड़ के उसके सर को आगे सोफे पे दबाया और गांड पे चपत लगाई,
सतीश- “एक शब्द नहीं बोलोगी तुम”
श्वेता दर्द भरी वासना से कराहते हुए नशीली आवाज में बोली-
श्वेता- “आहह उम्म्म ओके मास्टर”!
सतीश ने उसी हालात में एक झटके में लंड श्वेता की चुत में डाल दिया. श्वेता दर्द से चिल्लाई
श्वेता- “आ ओओओओ सीईई….!!
श्वेता धक्के से आगे सोफे के किनारे पे गिर गयी, जिसे पकड़ के श्वेता सम्भली थी.
श्वेता ने अपने घुटना मोड़ कर एक पैर सोफे पे रखा था. उसका एक पैर नीचे था. श्वेता हाथ मोड़ के कोहनी के सहारे सोफे के किनारे से अपने को संभाले हुई थी. उसके बॉब्स लटक रहे थे. सतीश का लंड श्वेता की चुत में था. सतीश ने उसके बालो को पकड़ के सर को सोफे पे दबाया हुआ था. सतीश ने इसी स्थिति में दूसरा धक्का दिया. सतीश का पूरा लंड श्वेता की चुत में घुस गया.
श्वेता- “आहह आहह … ओह ईस्स..!!
सतीश रुका, सतीश ने जमीन पे गिरी श्वेता की पैंटी उठाके उसके मुँह में ठूंस दिया. सतीश ने धक्के लगाने चालू किये. श्वेता हर धक्के के साथ गूं गूं की आवाजें निकल रही थी. उसके मुँह में पैंटी थी. श्वेता खुल के सिसकारियां नहीं ले पा रही थी. फिर भी
“उम्म … हुम्म … की आवाज आ रही थी.
सतीश के धक्कों से पूरा झूला हिल रहा था. जिससे खचर खचर की तेज आवाज हो रही थी. सतीश खचाखच धक्के लगाये जा रहा था. झूला कोई ठोस स्थिर वस्तु नहीं होती है, इसीलिए यहां बैलेंस बनाना काफी मुश्किल था.
सतीश ने 10-15 धक्कों के बाद उसे उठाया. श्वेता घुटनों के बल आ गयी. सतीश ने पैंटी निकाली और लंड उसके मुँह में पेल दिया. कुछ देर उसके मुँह की चुदाई करने के बाद सतीश ने उसे झूले के स्टैंड बार के सहारे झुकाया. फिर वह श्वेता की चुत को चाटने लगा. श्वेता मस्त हो उठी.
जब सतीश श्वेता की चुत चाट रहा था,
श्वेता ‘उम्म्म हम्मम्म यस यस्स हम्म.’
की आवाजें निकाल रही थी. चूत चाटने के बाद सतीश उठा और पैंटी को फिर से उसके मुँह में ठूंस दिया. अब लंड श्वेता की चुत में पेल कर धक्के लगाना शुरू कर दिया.
श्वेता ‘गूं गूँ गूँ …’ की आवाजें निकाल रही थी. सतीश के हर धक्के के साथ श्वेता की तेज स्वर में
‘गूं गूं हम्म गूं उम्म्म …’ की आवाज निकल रही थी.
सतीश ने धक्के देना थोड़े और तेज किये. उसके माथे पे हल्की सी शिकन आई. सतीश ने धक्के लगाना जारी रखा.
करीब 10 मिनट उसे इसी स्थिति में चोदने के बाद जब सतीश ने लंड बाहर निकाला, तो श्वेता घूम गई. उसने झटके से पैंटी को अपने मुँह से निकाल कर सतीश का लंड मुँह में ले लिया और पूरे जोश में चूसने लगी.
कुछ पल लंड चुसाई का मजा लने के बाद सतीश ने उसे उठाया और झूले के स्टैंड बार के सहारे खड़ा कर दिया.
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Re: आग्याकारी माँ
उसने एक हाथ ऊपर करके स्टैंडबार से लपेट के पकड़ रखा था. श्वेता स्टैंड बार पर पीठ का सहारा दे कर खड़ी थी. इस स्थिति में उसने अपना बायां पैर झूले पे टिका रखा था … जिससे श्वेता की चुत साफ खुल के नजर आ रही थी. सतीश ने उसी स्थिति में लंड श्वेता की चुत में फिट किया और धक्के लगाना शुरू कर दिया.
सतीश उसके चेहरे को देख पा रहा था, उसके चेहरे पे कामुक भाव थे … माथे पे हल्की सी शिकन थी. श्वेता लंड की हर थाप के साथ
‘उम्म्मम्म हूम्म हम्म उम्ममम…’ की आवाजें निकालते हुए चुदाई का मजा ले रही थी. उसके बॉब्स हर धक्के के साथ उछल कूद कर रहे थे.
सतीश ने उसे कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उसके बाएं पैर को उठा लिया और चोदने लगा. बीच बीच में सतीश उसके होंठों पर जीभ फेर देता. श्वेता ने अपने दोनों हाथो को सर के पीछे करके स्टैंड को पकड़ रखा था. जिससे श्वेता की नंगी बगलें सतीश की तरफ खुल गई थीं.
सतीश उसे चोदते हुए श्वेता की बगलों पे जीभ फेर देता, तो श्वेता और गर्म हो जाती.
कुछ देर ऐसे ही चुदने के बाद श्वेता सतीश की कमर में अपने पैर को लपेटने लगी. श्वेता की सांसें तेज हो गईं … उसका बदन अकड़ने लगा. तभी श्वेता की पकड़ ढीली हुई और श्वेता सतीश के ऊपर आ गिरी. श्वेता सतीश के बदन से चिपक गयी और सतीश को अपने बाहों में लेकर झड़ने लगी.
श्वेता ‘आह हम्मम्मय सीसीईई हम्ममम हम्म…’ की आवाजें निकलते हुए जर्क लेते हुए झड़ रही थी … इस वक्त श्वेता कांपते हुए झड़ रही थी. श्वेता सतीश की गर्दन में हाथ डाले हुए थी और अपने पैर सतीश की कमर से लपेटे सतीश के बदन से चिपकी हुयी थी. सतीश उसे उठाकर अपने सीने से चिपकाये बेडरूम में लाया और बेड पे पटक दिया. इस दौरान सतीश का लंड श्वेता की चुत में ही था.
श्वेता कमर से ऊपर तक पीठ के बल बेड पे लेटी थी. सतीश का लंड श्वेता की चुत में था. श्वेता आंखें बंद किये अपनी तेज चलती सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी. सतीश झुका और उसके होंठों पे होंठ रख दिए. अब सतीश अपनी रंडी बहन के होंठों को चूसने लगा. श्वेता भी सतीश का पूरा साथ दे रही थी. श्वेता की उंगलियां सतीश के बालों में थीं. श्वेता सतीश के सर को पकड़ के उस के होंठों को जोर से चूस रही थी. श्वेता इतनी जोर से चूस रही थी, लग रहा था मानो खा जाएगी.
कुछ ही पलों में श्वेता फिर से गर्म हो रही थी. श्वेता अब फिर से गांड हिलाने लगी. सतीश उससे अलग हुआ और उसके दोनों हाथों को उसी अवस्था में सर के तरफ ले जाके क्रमशः अपने दोनों हाथों से पकड़ के बेड में दबा दिया. इससे उसे एक पोजीशन मिली. उसने कमर पे पैरों की पकड़ थोड़ी ढीली कर दी. सतीश ने श्वेता की कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया. श्वेता की चुत अब लंड खाने की पोजीशन में आ गयी थी. सतीश ने धक्के लगाना चालू किए.
श्वेता बस ‘आह हम्म आह एससस्स हम्मम यसस्स हम्म…’ की आवाज निकाल रही थी.
सतीश के धक्कों की गति बढ़ी … तो श्वेता की भाषा बदल गई. अब श्वेता तेज स्वर में बोलने लगी- उम्म्ह… अहह… हय…चोदो चोदो चोदो और तेज चोदो…!!
सतीश और तेज धक्के देने लगा.
श्वेता और तेज चिल्लाने लगी.
श्वेता- “चोद दे … आह और जोर से चोद दे यस … भुर्ता बना दे मेरी चुत का, सॉरी मास्टर उम्म्म अपनी इस छोटी सी रंडी को और जोर से चोदो”
सतीश ने उसके बॉब्स मसलते हुए चुदाई तेज कर दी.
श्वेता- “ओह्ह आह हम्म आई एम योर स्लट सिस्टर मास्टर. … फ़क मी! आपकी रंडी बहन हूँ मास्टर, चोद डाले मुझे”
सतीश श्वेता की इन सब बातों से उत्तेजित हो रहा था. उत्तेजना में सतीश जल्दी झड़ना नही चाहता है. इसलिये सतीशने अपना एक हाथ उसके बांहों से हटा के श्वेता के मुँह पे लाया और उसके मुँह को दबा दिया. अब श्वेता कुछ बोल नहीं पा रही थी. सतीश ने फुल स्पीड बढ़ा दी, सतीश की ताकत जबाव देने लगी थी. सतीश उससे बोला- आह मैं गया.
सतीश उसके चेहरे को देख पा रहा था, उसके चेहरे पे कामुक भाव थे … माथे पे हल्की सी शिकन थी. श्वेता लंड की हर थाप के साथ
‘उम्म्मम्म हूम्म हम्म उम्ममम…’ की आवाजें निकालते हुए चुदाई का मजा ले रही थी. उसके बॉब्स हर धक्के के साथ उछल कूद कर रहे थे.
सतीश ने उसे कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उसके बाएं पैर को उठा लिया और चोदने लगा. बीच बीच में सतीश उसके होंठों पर जीभ फेर देता. श्वेता ने अपने दोनों हाथो को सर के पीछे करके स्टैंड को पकड़ रखा था. जिससे श्वेता की नंगी बगलें सतीश की तरफ खुल गई थीं.
सतीश उसे चोदते हुए श्वेता की बगलों पे जीभ फेर देता, तो श्वेता और गर्म हो जाती.
कुछ देर ऐसे ही चुदने के बाद श्वेता सतीश की कमर में अपने पैर को लपेटने लगी. श्वेता की सांसें तेज हो गईं … उसका बदन अकड़ने लगा. तभी श्वेता की पकड़ ढीली हुई और श्वेता सतीश के ऊपर आ गिरी. श्वेता सतीश के बदन से चिपक गयी और सतीश को अपने बाहों में लेकर झड़ने लगी.
श्वेता ‘आह हम्मम्मय सीसीईई हम्ममम हम्म…’ की आवाजें निकलते हुए जर्क लेते हुए झड़ रही थी … इस वक्त श्वेता कांपते हुए झड़ रही थी. श्वेता सतीश की गर्दन में हाथ डाले हुए थी और अपने पैर सतीश की कमर से लपेटे सतीश के बदन से चिपकी हुयी थी. सतीश उसे उठाकर अपने सीने से चिपकाये बेडरूम में लाया और बेड पे पटक दिया. इस दौरान सतीश का लंड श्वेता की चुत में ही था.
श्वेता कमर से ऊपर तक पीठ के बल बेड पे लेटी थी. सतीश का लंड श्वेता की चुत में था. श्वेता आंखें बंद किये अपनी तेज चलती सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी. सतीश झुका और उसके होंठों पे होंठ रख दिए. अब सतीश अपनी रंडी बहन के होंठों को चूसने लगा. श्वेता भी सतीश का पूरा साथ दे रही थी. श्वेता की उंगलियां सतीश के बालों में थीं. श्वेता सतीश के सर को पकड़ के उस के होंठों को जोर से चूस रही थी. श्वेता इतनी जोर से चूस रही थी, लग रहा था मानो खा जाएगी.
कुछ ही पलों में श्वेता फिर से गर्म हो रही थी. श्वेता अब फिर से गांड हिलाने लगी. सतीश उससे अलग हुआ और उसके दोनों हाथों को उसी अवस्था में सर के तरफ ले जाके क्रमशः अपने दोनों हाथों से पकड़ के बेड में दबा दिया. इससे उसे एक पोजीशन मिली. उसने कमर पे पैरों की पकड़ थोड़ी ढीली कर दी. सतीश ने श्वेता की कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया. श्वेता की चुत अब लंड खाने की पोजीशन में आ गयी थी. सतीश ने धक्के लगाना चालू किए.
श्वेता बस ‘आह हम्म आह एससस्स हम्मम यसस्स हम्म…’ की आवाज निकाल रही थी.
सतीश के धक्कों की गति बढ़ी … तो श्वेता की भाषा बदल गई. अब श्वेता तेज स्वर में बोलने लगी- उम्म्ह… अहह… हय…चोदो चोदो चोदो और तेज चोदो…!!
सतीश और तेज धक्के देने लगा.
श्वेता और तेज चिल्लाने लगी.
श्वेता- “चोद दे … आह और जोर से चोद दे यस … भुर्ता बना दे मेरी चुत का, सॉरी मास्टर उम्म्म अपनी इस छोटी सी रंडी को और जोर से चोदो”
सतीश ने उसके बॉब्स मसलते हुए चुदाई तेज कर दी.
श्वेता- “ओह्ह आह हम्म आई एम योर स्लट सिस्टर मास्टर. … फ़क मी! आपकी रंडी बहन हूँ मास्टर, चोद डाले मुझे”
सतीश श्वेता की इन सब बातों से उत्तेजित हो रहा था. उत्तेजना में सतीश जल्दी झड़ना नही चाहता है. इसलिये सतीशने अपना एक हाथ उसके बांहों से हटा के श्वेता के मुँह पे लाया और उसके मुँह को दबा दिया. अब श्वेता कुछ बोल नहीं पा रही थी. सतीश ने फुल स्पीड बढ़ा दी, सतीश की ताकत जबाव देने लगी थी. सतीश उससे बोला- आह मैं गया.
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