Incest Main meri family aur mera gaon part -2

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SATISH
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Re: Incest Main meri family aur mera gaon part -2

Post by SATISH »

mere ankhon se aasu nikalne lage,

rani bhi mera dard samajhti thi,

rani ne mere kandhe pe hath rakha aur muze himmat di aur muze gale laga liya,

jab fir se banglow ki taraf dekha to fir se muze khander dikhayi diya,

meri ankhen maa papa ko dekhna chahti thi,

maa papa ko na dekh kar dil ghabara raha tha,

bar bar main ankhen band karke fir khol deta taki maa papa ko dekh pau,

par ab bas khander hi dikhayi dene laga,

main car se niche utar gaya,

aur mere ghar ke gate ke pass gaya,

vahi ghutno ke bal baith kar rone laga,

apni kismat ko kosne laga,

mere sath hi aisa kyu hua?

kyu BHAGVAN ne mere maa papa ko muzse chhin liya hai,

is ghar me kitni khushiya thi,

hasta khelta tha ye ghar,

aur ab dekho khander ban ke rah gaya hai,

rani mere pass khadi hokar ghar ko dekhne lagi,

main under jana chahta tha ki under se ek budda aadmi bahar aa gaya aur muze jane ko bolne laga,

budda- "ye ladke bhag yaha se varna lakdi se marunga"

main vahi khada raha,

budda- "main laathi marunga bhag yaha se"

rani- "Avi chalo yaha se"

budda- "kaun Avi"?

Avi- "ye mera ghar hai"

budda- "bhag ja yaha se, varna"?

aur wo budda aadmi under chala gaya,

rani - "Avi chalo yaha se"

Avi- "rani ye mera ghar hai"

rani- "Avi hamara yaha rukhna thik nahi hoga"

rani muze vapas chalne ko bol rahi thi par main vahi ruka raha,

rani- "Avi chalo yaha se"

main bolne vala tha ki ham undar chalte hai ki mera mobile bajane laga,

rani- "Avi tumhara phone"

maine mobile jeb se nikala to scren ko dekha to zatka laga call chachi ka tha,

rani- "Avi call utha lo varna chachi ko bura lagega"

main ne badi mushkil se call uthaya,

Avi- "hello chachi"

chhoti chachi- "kaha hai tu"?

Avi- "main,main main to rani ke sath hu"

chhoti chachi- "maine puchha ki kaha hai tu ye nahi puchha ki kiske sath hai tu"?

chachi ki aawaz me gussa dikhai de raha tha,

Avi- "wo main bahar aaya tha"

chhoti chachi- "tu muzse zut bolne laga hai, tu shahar3 me hai"

mere hath se mobile niche gir gaya,

chachi ko kaise pata chala ki main shahar3 me hu,

chachi ko kaise pata chala?

chachi ki aawaz me itna gussa main ne pahali bar dekha hai,

chachi ko mera shahar3 me hona pasand nahi tha jis se wo guass ho gayi,

unko kaisa pata laga hoga jo main yaha aaya hu?

chachi muze kabhi is shahar3 me aane nahi dengi, unko nafrat hai is shahar3 se,

ab mere yaha hone ki bat chachi ko pata chal gayi, ab main chachi ko kya kahunga?

chachi ki bat sunte hi main 2 kadam dur ho gaya ghar se,

aur apni car me jaker baith gaya,

rani muze dekhti rah gayi,

rani ne mera phone utaya jo switch off ho gaya tha aur car me aakar baith gayi,

rani ke car me baith te hi main ne car sidhe shahar ki taraf ghuma di,

shahar3 se main jald se jald bahar jana chahata tha,

ek taraf lag raha tha ki main apne ghar me jau,

par dusari taraf chachi thi,

ager badi chachi ko ye bat pata chali to?

ek maa ko to main kho chuka hu ab chachi ko dukh nahi dena chahta,

muze ab chachi ke guasse se dar lag raha tha.
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SATISH
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Re: Incest Main meri family aur mera gaon part -2

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अपडेट १२६८

ये वहीं मंदिर है जहा रानी के मम्मी और पापा की शादी हुई थी,

इस बात से रानी खुश थी की वो इस जगह आकर अपने पापा और मम्मी के लिए पूजा कि,

इस मंदिर की ऐसी सोच थी की ये पेड़ ७ जनम तक उनका रिश्ता बनाये रखता है,

रानी के लिए ये दिन इतना अच्छा होगा ये उसने सोचा नहीं था,

रानी तो यहाँ शाम तक रहने वाली थी पर अचानक बारिश शुरू हो गयी,

बारिश के वजहसे हम जिस रस्ते से आये थे वो रास्ता बंद हो गया जिस से हमें शहर३ जाकर फिर हाईवे से वापस आना होगा,

शहर३ जाने से मैं डर रहा था पर अब कोई रास्ता नहीं था, हमें शहर३ होकर ही जाना होगा,

शायद मेरी किस्मत मुझे वापस शहर३ लेकर जाना चाहती हो, उस शहर३ में जिसने मुझसे मेरे माँ पापा को छीन लिया है,

लेकिन एक अच्छी बात थी की मैं भगवान के दर्शन करके, रानी के साथ शहर३ जा रहा हु,

मैं बस दुवा कर रहा था की ये बात चाची और बुआ को पता न चले,

रानी से बात करते हुए हम शहर३ में आ गये,

सभी कार एक साथ चल रही थी पर जैसे शहर३ आया बाकि कार अपने रास्ते चली गयी और हम फस गए शहर३ मे,

शहर३ आते ही मैं सोच में पड गया,

रानी- "अवी क्या हुआ"?

अवी- "कुछ नही"

रानी- "ज्यादा मत सोचो, कल के बारेमे सोचने से अच्छा है आज के बारेमे सोचो"

अवी- "तुम सही कह रही हो पर हम जाये कहा, इस बड़े शहर३ से बाहर कहा से निकले"

रानी- "पूछते है किसी से तुम चलते रहो"

ओर हम सीधे रास्ते से चलने लगे,

शहर३ में बारिश बहोत कम हुई थी,

जीस से लोग रोड पे नजर आ रहे थे,

सामने से कुछ लोग आ रहे थे तो मैंने कार रोक कर उनको पूछ लिया,

अवी- "भाईसाब ये शहर के लिए कहा से जाना होगा"?

आदमी- "आप गलत रस्ते पे हो, आपको ३कि.मी वापस जाना होगा फिर वहा से लेफ्ट लेके जो रास्ता मिलेगा वो सिधा शहर की तरफ जाता है"

अवी- "थैंक्स"

ओर रास्ता मिलते ही वापस शहर३ के अंदर ३ की.मि जाने लगे,

आदमी- "अब घूमते रहो शहर३ मे"

हमे उस आदमी ने गलत रास्ता बताया,

बडे शहर३ में अक्सर ये देखने को मिलता है,

हम शहर३ के अंदर की तरफ जा रहे थे,

लेकिन कुछ कुछ डाउट हो रहा था,

इस लिए मैंने कार फिर से एक जगह पे रोक दि,

कार रुकते ही फिर से बारिश शुरू हो गयी,

अवी- "ये बारिश भी ना, कार में था तो बंद थी कार से निकलते ही फिर शुरू हो गयी"

रानी- "किसी से तो पूछना पडेगा,मैं उस औरत को पूछती हु"

राणी- "आंटी शहर जाना हो तो किस तरफ से जाना होगा"?

औरत- "शहर जाना है तो तुम दूसरी तरफ से क्यों जा रहे हो? तुम जिस तरफ से आ रहे थे उसी तरफ है शहर"

रानी- "पर हमें तो इस तरफ का रास्ता बताया गया"

औरत- "किसने मज़ाक़ किया होगा"

रानी- "तो अब किस तरफ जाए"?

औरत- "अब तो सिधा जाओ, फिर वहा से बिग मॉल के सामने से लेफ्ट टर्न लेकर थोड़ी दूर जाते ही संगीता सिनेमा से फिर लेफ्ट लेकर आपको बाईपास मिल जायेगा, वो बाईपास आपको शहर३ से बाहर लेके जायेगा फिर तुम को नेशनल हाईवे मिल जयेगा"

रानी- "थैंक यू, वैसे ये रास्ता भी हाईवे जैसा दीख रहा था"

औरत- "पहले ये नेशनल हाईवे था, यहाँ से ट्रैफिक ज्यादा होने से एक बाईपास बनाया गया, जिस से ट्रैफिक को डाइवर्ट किया गया, अब फालतु की वेहिकल शहर३ में नहीं आती वो सिधा शहर की तरफ जाती है"

रानी- "थैंक यू"

अवी- "क्या पता चला"?

रानी- "हम गलत रस्ते पे थे, अब मुझे बाईपास के बारेमे पता चला, चलो सीधे २ किमी जाना है"

रास्ता पता चलते ही मैंने कार स्टार्ट की और हम बाईपास की तरफ जाने लगे,

शहर३ होने से मैं कार कम स्पीड से चला रहा था,

सामने एक ब्रेकर आने से जैसे मैंने कार का ब्रेक मारा था बिजली चमकी,

ओर हमारी नजर बाजु वाली बिल्डिंग पे गयी,

ऐसे लगा की बिजली उस बील्डिंग के ऊपर गीरी हो,

उस बिल्डिंग को देखते ही कुछ सीन मेरे आँखों के सामने आये,

जीसे की मैंने अपने पापा को इस बिल्डिंग से भागते हुए बाहर आते हुए देखा हो,

मैंने रानी की तरफ देखा तो वह मुझे मेरी माँ ( शालिनी) नजर आयी,

मैंने पिछली सीट पे देखा तो वहा मैंने खुद को देखा, मैं सो रहा था,

जीसे पापा कार के पास आये तो मेरी ऑंखें खुली,

शालिनी- "क्य हुआ, इतना हाफ़ क्यों रहे हो"?

जयसिंग- "तुम सही थी"

शालिनी- "क्य हुआ"?

जयसिंग- "कुमार ही था वह"
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SATISH
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Re: Incest Main meri family aur mera gaon part -2

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शालिनी- "मैं समझी नही"?

जयसिंग- "उस रात कुमार नेहा के घर गया था"
शालिनी- "आपको कैसे पता"?

जयसिंग- "कुमार के सर पे चोट देखि, और उस ने उसदिन नकली बाल पहने थे"

शालिनी- "आपने क्या किया उनके साथ"?

जयसिंग- "उनको उनकी सजा दि"

शालिनी- "क्या किया"?

जयसिंग- "घबराव मत, सिर्फ मारा है जान से नहीं मारा"

शालिनी- "चलिये यहाँ से, मुझे डर लग रहा है"

जयसिंग- "हा चलो,अब सिधा नेहा के पास रुकेंगे, नेहा से माफ़ी मांगूंगा"

शालिनी- "हा, चलिये। अवी भी सो गया"

मैं पीछे की सीट पे सो रहा था,

पापा ने मेरे सर पे किस किया,ओर माँ ने भी,मुज़े किस किया और प्यार से मेरे सर के ऊपर से हाथ घुमाया,

ओर कार को गांव की तरफ ले जाने लगा,

सारा सिन देखते ही मैं मेरे माँ पापा की यादो में खो गया,

मेरे आँखों में फिर से आसु आये,

ये आखरी बार था जब मेरी माँ पापा ने मुझे प्यार किया था,

कुछ देर के लिए ऐसा लगा की समय का पय्या पीछे चला गया हो,

रानी- "क्या हुआ"?

अवी- "ईस बंगलो में मैं गया हु"

रानी- "कुछ भी मत सोचो चलो यहाँ से"

अवी- "सच, मैंने देखा की मेरे पापा यहाँ जाते थे, अभी तुम जहा बैठी हो वह मेरी माँ बैठी थी'

रानी- "तुम डरा क्यों रहे हो चलो यहाँ से"

मैंने कार स्टार्ट की पर मेरा ध्यान उसी बंगलो की तरफ था,

जैसे मैंने गियर डाला तो फिर से बिजली चमकि और बंगलो की बालकनी में मुझे एक लड़की नजर आयी,

पर बारिश और रात के वजहसे ठीक से कुछ दिखाई नहीं दिया,

फिर भी ऐसा लगा की मैंने उसको कही देखा है,

मैंने फिर से ब्रेक मारा तब तक वो लड़की बंगलो के अंदर चली गयी,

ओर रानी ने मुझे गुस्से में चलने को कहा और मैंने गियर ड़ालते ही वहा से आगे आ गया,

आजीब इंसिडेंट हो रहे थे मेरे साथ,

पहले वो एक्सीडेंट फिर वो मंदिर, मंदिर में लगा हुआ पेड़, और अब ये बंगलो, माँ पापा को देखना, बंगलो में खड़ी लड्कि,

मूझे ऐसे सोच में डूबा हुआ देख कर रानी गुस्सा हो गयी,

रानी ने कार में सॉंग शुरू कर दिये ताकि मेरा ध्यान डाइवर्ट हो जाए,

अवी- "हमे इस शहर३ में आना नहीं चाइये था"

रानी- "हम जानबुज के नहीं आये तुम ये सब बाते दिमाग से निकाल दो, तुम्हारी इस हालत की वजहसे चाची ने तुम्हे यहाँ आने से रोका होगा"

अवी- "चलो यहाँ से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी निकलते है"

रानी- "ये बिग मॉल भी नहीं आ रहा है"

अवी- "वो सामने है"

रानी- "लेफ्त टर्न लो, अब सीधे चलो जब तक संगीता सीनेमा नहीं आता, थोड़ा दूर है"

ओर हम शहर३ से जल्द से जल्द निकलना चाहते थे,

पर अभी और झटके मिलने बाकि थे,

संगीता सिनेमा नाम भी मुझे कुछ जाना पहचाना लग रहा था,

पर कुछ याद नहीं आ रहा था,

रानी- "अवी वो रहा संगीता सिनेमा, वहा से लेफ्ट टर्न लो"

अवी- "संगीता सिनेमा से राइट, फिर १०th इलेक्ट्रिक पोल से राइट, फिर आगे जाकर जो पार्क मिलेंगा उसके सामणे"

रानी- "अवी ये क्या बोल रहे हो"?

मैंने कोई जवाब नहीं दिया, और कार राइट टर्न की और इलेक्ट्रिक पोल काउंट करने लगा,

१० इलेक्ट्रिक पोल क्रॉस होते मैं फिर से राइट टर्न ले लिया,

रानी- "अवी हम ये कहा जा रहे है"?

मैंने फिर भी कोई जवाब नहीं दिया,

थोड़ि दूर जाने के बाद सामने एक सोसायटी वाला पार्क दिखाई दिया जहा बचे बारिश में फुटबॉल खेल रहे थे,

उस पार्क के सामने एक पुराने बांगलो के सामने मैंने कार रोक लि,

कार रुकते ही मैंने उस बंगलो की तरफ देखा,

अभी कार चला रहा था तो ये बंगलो खंडहर दीख रहा था,

लेकिन जैसे कार रोकि तो मुझे ये बंगलो नए जैसा दिखाई दिया,

जैसे यहाँ कोई रहता हो,

बंगलो में कोई नहीं रहता था पर मैं देख पा रहा था के औरत बच्चे के साथ खेल रही है, बच्चे के पापा घोड़े बने हुए थे और छोटा बच्चा अपने पापा की सवारी कर रहा था,

जैसे उस बच्चे ने मेरी तरफ देखा तो मैं शॉकेड हो गया,
ये मैं था,

ओ मेरी माँ थी और वो जो घोड़े बने थे वो मेरे पापा,

ओ बच्चा मुझे आवाज़ दे रहा था की अंदर आ जाव,

अपणे माँ पापा के साथ खेलने आ जाव,

रानी- "अवी ये कहा लेकर आये हो"?

अवी- "ये मेरा घर है"

मैंने अपने घर की तरफ देखा,

मूझे अपने बचपन की कुछ बाते याद आ गयी,

मैं इसी पार्क में खेला करता था,

माँ बालकनी से मुझे देखा करती थी,

इस घर को मेरे पापा ने बड़े प्यार से बनाया था,

आज देखो कैसा बन गया,
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मेरे आँखों से आसु निकलने लगे,

रानी भी मेरा दर्द समझती थी,

रानी ने मेरे काँधे पे हाथ रखा और मुझे हिम्मत दी और मुझे गले लगा लिया,

जब फिर से बंगलो की तरफ देखा तो फिर से मुझे खंडहर दिखाई दिया,

मेरी ऑंखें माँ पापा को देखना चाहती थी,

माँ पापा को ना देख कर दिल घबरा रहा था,

बार बार मैं ऑंखें बंद करके फिर खोल देता ताकि माँ पापा को देख पाऊ,

पर अब बस खंडहर ही दिखाई देने लगा,

मैं कार से नीचे उतर गया,

ओर मेरे घर के गेट के पास गया,

वही घुटनो के बल बैठ कर रोने लगा,

अपनी किस्मत को कोसने लगा,

मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ?

क्यों भगवान ने मेरे माँ पापा को मुझसे छीन लिया है,

इस घर में कितनी खुशिया थी,

हस्ता खेलता था ये घर,

ओर अब देखो खंडहर बन के रह गया है,

रानी मेरे पास खड़ी होकर घर को देखने लगी,

मैं अंदर जाना चाहता था की अंदर से एक बुढ़ा आदमी बाहर आ गया और मुझे जाने को बोलने लगा,

बुढा- "ये लड़के भाग यहाँ से वर्ना लकड़ी से मारुंगा"

मैं वहीं खड़ा रहा,

बुढा- "मैं लाठी मारूंगा भाग यहाँ से"

रानी- "अवी चलो यहाँ से"

बुढा- "कौन अवी"?

अवी- "ये मेरा घर है"

बुढा- "भाग जा यहाँ से, वरना"?

ओर वो बुढा आदमी अंदर चला गया,

रानी - "अवी चलो यहाँ से"

अवी- "रानी ये मेरा घर है"

रानी- "अवी हमारा यहाँ रुखना ठीक नहीं होगा"

रानी मुझे वापस चलने को बोल रही थी पर मैं वहीं रुका रहा,

रानी- "अवी चलो यहाँ से"

मैं बोलने वाला था की हम अंदर चलते है की मेरा मोबाइल बजने लगा,

रानी- "अवी तुम्हारा फोन"

मैंने मोबाइल जेब से निकाला तो स्क्रेन को देखा तो झटका लगा कॉल चाची का था,

रानी- "अवी कॉल उठा लो वर्ना चाची को बुरा लगेगा"

मैंने बड़ी मुश्किल से कॉल उठाया,

अवी- "हल्लो चाची"

छोटी चाची- "कहा है तु"?

अवी- "मैं,मैं मैं तो रानी के साथ हु"

छोटी चाची- "मैंने पूछा की कहा है तू ये नहीं पूछा की किसके साथ है तु"?

चाची की आवाज़ में गुस्सा दिखाई दे रहा था,

अवी- "वो मैं बाहर आया था"

छोटी चाची- "तु मुझसे झूठ बोलने लगा है, तू शहर३ में है"

मेरे हाथ से मोबाइल नीचे गिर गया,

चाची को कैसे पता चला की मैं शहर३ में हु,

चाची को कैसे पता चला?

चाची की आवाज़ में इतना गुस्सा मैंने पहली बार देखा है,

चाची को मेरा शहर३ में होना पसंद नहीं था जिस से वो गुस्सा हो गयी,

उनको कैसा पता लगा होगा जो मैं यहाँ आया हु?

चाची मुझे कभी इस शहर३ में आने नहीं देगी, उनको नफरत है इस शहर३ से,

अब मेरे यहाँ होने की बात चाची को पता चल गयी, अब मैं चाची को क्या कहूँगा?

चाची की बात सुनते ही मैं २ कदम दूर हो गया घर से,

ओर अपनी कार में जाकर बैठ गया,

रानी मुझे देखति रह गयी,

रानी ने मेरा फ़ोन उठाया जो स्विच ऑफ हो गया था और कार में आकर बैठ गयी,

रानी के कार में बैठते ही मैं ने कार सीधे शहर की तरफ घुमा दी,

शहर३ से मैं जल्द से जल्द बाहर जाना चाहता था,

एक तरफ लग रहा था की मैं अपने घर में जाऊ,

पर दूसरी तरफ चाची थी,

अगर बड़ी चाची को ये बात पता चली तो?

एक माँ को तो मैं खो चूका हु अब चाची को दुःख नहीं देना चाहता,

मूझे अब चाची के गस्से से डर लग रहा था.
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Rohit Kapoor
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Re: Incest Main meri family aur mera gaon part -2

Post by Rohit Kapoor »

Excellent update , waiting for next update



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