Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )

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Baba Devil
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )

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# अपडेट - 98


अब जैसे जैसे मेरा लंड उसकी चुत के अन्दर जा रहा था, वैसे वैसे ही पंकज रानी के चेहरे के भाव बदल रहे थे. शायद मजे के साथ साथ उसे हल्की पीड़ा का भी अहसास हो रहा था. मगर फिर भी वो रुकी नहीं. आधा लंड अपनी चुत में उतारने के बाद पंकज ने मेरी तरफ देखा.

पंकज ने अपने बोबे को मेरे आगे कर दिया, जिसे मैंने मुँह मैं भर लिया. वो मेरे माथे को चूमने लगी.और मेरे बालों को मसाज देती हुई, आँख बंद करके पूरी गान्ड मेरी जांघों पर रख दी...

एक साथ हम दोनों के मुंह से आवाजें, आंहे निकल गई, उसके मुंह से दर्द और मजे की आवाज थी तो मेरे मुंह से केवल आनंद की... और अब वो लंबी-2 साँसें ले रहे थे..

पंकज अब शांति से मेरी जांघों पर अपनी गान्ड को लंड पर रख कर बैठी थी, फिर उसने मेरे चेहरे के उपर झुक कर मेरे होंठो को चूम लिया और शरारती स्माइल अपने होठों पर लाकर बोली - सच में बड़ा कमाल का हैं मेरे राजा का.. कितनी बार भी लो ऐसे लगता हैं कि चीर डालेगा...

फिर धीरे धीरे उसने अपनी‌ कमर को आगे पीछे हिलाना शुरू कर दिया, जिससे मेरा लंड अब चुत की दीवारों पर घिसने लगा.

मैं - तो फिर शुरू करें अब..

मेरी बात सुनकर उसने अपनी गान्ड को धीरे से उपर उठाया, और मेरे आठ इंच से भी लंबे लंड को सुपाडे़ तक अपनी चूत के मूह तक लाई, और धीरे से बैठ गयी.

हम दोनो के अंगों में इतनी जोरदार सुर सुराहट हुई कि एक साथ दोनो की सिसकी निकल गयी और उनकी आँखें मूंद गई.

मैंने पंकज की दोनों चूचियों को हल्के हल्के दबाना और मसलना शुरू कर दिया. इससे उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां फूटनी शुरू हो गईं और उसने अपनी कमर को‌ भी थोड़ी गति दे दी. अब धीरे-2 उसके उठने बैठने की गति बढ़ती जा रही थी...

उसने अपना मुँह ऊपर छत की तरफ किया हुआ था और मजे से - आआहह..इईईई श्श्शशश..आआह... अहह... इईईई..इश्श्शश...आआहह... की जोरों से सिसकारियां भरते हुए मेरे लंड की सवारी कर रही थी.

पंकज ने अपने दोनों हाथों से मेरी बांहों को पकड़ा हुआ था, और मेरे लंड पर बैठकर आगे पीछे हिल रही थी. इससे उसकी पूरी चुत मुझ पर घिस रही थी तो मेरा लंड भी उसकी चुत की दीवारों पर घिस रहा था. मैं भी अब मज़े से पंकज की दोनों चूचियों को दबा दबाकर मजे लेने लगा. तो वो भी अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी चूत से चूसने लगी.

पंकज का ये बड़ा ही मादक और मनमोहक‌ अन्दाज था. कसम से बता रहा हूँ कि ये मेरी और पंकज की बेस्ट चुदाई मे से थी.
अभी तक मैंने ऐसी चुदाई कभी नहीं कि थी.मैं बयान नहीं कर सकता कि इस खेल में कितना आनन्द भरा है. ये तो उस वक़्त बस मैं समझ रहा था...

धीरे धीरे पंकज की कमर की हरकत अब तेज‌ होने लगी थी, उसने मेरे हाथों को छोड़ कर अब मेरे सीने‌ पर अपने हाथों को रख लिया और थोड़ा तेजी से अपनी कमर को हिलाने लगी‌. साथ ही‌ उसकी सिसकारियां भी अब तेज होती जा रही थीं.

पंकज की इस चुदाई से मैं तो मजे मे उड़ने लगा... वो लगातार ऊपर नीचे होकर चुद रही थी या फिर ये कहुं की अपनी चुत से मेरे लंड को चोद रही थी...

मेरे आनन्द की कोई सीमा नहीं थी, इसलिए उत्तेजना वश मैं अब थोड़ा सा उठ गया और एक चूची को अपने मुँह में भर लिया, जिससे वो और भी जोरों से सिसक उठी. उसने दोनों हाथों से मुझे अपनी बांहों में भर लिया, मैं भी उसकी तरफ चला गया , जिससे मैं अब उठकर बिस्तर पर बैठा सा हो गया‌.

चूची को चूसते हुए मैंने भी अब अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसके चुतडो़ को पकड़ लिया और उसे अपनी ओर खींच लिया. जिससे पंकज रानी मेरे लंड को अपनी चुत में घुसाये घुसाये ही मेरी गोद में बैठ गयी और हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे के साथ बिल्कुल चिपक गए.

पंकज की कमर की हरकत अब भी रूकी‌ नहीं थी. उसने अब अपनी बांहें मेरे गले में डाल ली थीं और जोरों से सिसकारियां भरते हुए अब भी लगातार अपनी कमर को हिला रही थी.

पंकज थक गई थी फिर भी वो उछलते हुए चुद रही थी. तो बोबो का रस पान करते हुए मैंने भी अब अपनी तरफ से धक्के लगाने शुरू कर दिए, जिससे पंकज की सिसकारियां अब किलकारियों में बदल गईं और उसकी‌ कमर‌ की‌ हरकत और भी तेज हो गयी.

पंकज अपनी बांहों‌ को मेरे गले में डाले हुए - ईईई श्श्शश... आआह.. ऊहह उऊंह... की सिसकारियां मारते हुए जोरों से मेरी गोद में ही मे‌रे लंड पर फुदक‌ने लगी थी.

मेरे लंड पर उछलते हुए पंकज ने अब दोनों हाथों से मेरी गर्दन को ऊपर उठा लिया. और अपने होंठों को मेरे होंठों पर लगा दिया...
मैं भी होंठों को अपने मुँह में भरकर उन्हें जोरों से चूसने लगा.
हमारा ये किस बड़ा ही मजेदार और वाइल्ड टाइप था.

ᎠᎬᏙᏆᏞ 😈😈😈...
Baba Devil
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अपडेट - 99


मेरे हाथ अब भी पंकज रानी के चुतडो़ पर ही थे. इसलिए मैंने भी जोश मे चुतडो़ को अब जोरों से पकड़ लिया और नीचे से धक्के लगाते हुए उसके कूल्हों को‌ पकड़कर उसे जल्दी जल्दी आगे पीछे करने‌ लगा.

अब तो मानो‌ पंकज पर कहर बरस पड़ा और वो और भी जोरों से‌ कूदने‌ लगी.‌ क्योंकि मेरा लंड चुत में अन्दर बाहर होने के साथ चुत के पास की चमड़ी पर भी लंड की रगड़ लगने लगी थी.‌ जिससे पंकज के मुँह से अलग सी आवाजें निकलना शुरू हो गईं.

हम दोनों की ही सांसें अब फूल गयी थीं. शायद पंकज अब अपने चरमोत्कर्ष के करीब पहुंच गयी‌ थी. उसके बदन मे जोश आ गया और उसकी चुत में भी संकुचन सा हो रहा था.इसलिए मैंने अब फिर तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए‌.‌

हमारे होंठ आपस मे जुड़े हुए थे,मेरे होंठों को जोर से चुमने लगी, उन्हें जोरों से चूसते हुए काटने लगी.
हम एक दुसरे के होंठों को जोरों से चूसते हुए, अपनी कमर को अपनी पूरी तेजी से हिलाने लगे.

बस कुछ देर ही हमने ऐसे ही तेजी से धक्के लगाये थे कि अचानक से पंकज मुझसे किसी बेल‌ की तरह लिपट गयी और उसका बदन अकड़ सा गया. उसकी चुत की दीवारें मेरे लंड पर कस गईं.
और उसने मुँह से -उऊऊऊ...ओहहह.. आहहहहहहह... की आवाजें निकालते हुए रह रह कर अपनी चुत के अन्दर ही अन्दर मेरे लंड को प्रेमरस से नहलाना शुरू कर दिया.

मैं सच बता रहा हूँ, उस दिन पंकज की चुत ने जो प्रेमरस उगला था वो लावा जैसा गरम था. मेरा लंड उसकी चुत‌ में घुसा हुआ होने के बावजूद भी किनारों से उसकी चुत ने प्रेमरस की इतनी पिचकारियां मारी थीं कि उससे मेरे पेट के साथ साथ मेरी दोनों जांघें भी भीग गयी थीं.

पंकज के गरम लावे को महसूस करते ही मेरे लंड ने भी समर्पण कर दिया. मैंने पंकज को अपनी बांहों में जोरों से भींच लिया और चार पांच किस्तों में उसकी चुत को अपने वीर्य से पूरा भरकर निढाल होकर गिर गया.

वो भी मेरे से लिपटी हुई, मेरे सीने पर लेटी रही...

वो देर से सांसे ले रही थी, वो अपनी आँखों को बंद किये हुए अपनी सांसों को नियंत्रित कर रही थी. उसकी गरम सांसे मेरे सीने को गरम कर रही थी.

कुछ देर तक वो ऐसे ही आनंद के सागर मे लेटी रही...

फिर उसने अपनी आँखें खोली और अपनी उंगली को मेरे सीने पर फिराने लगी. उसने मेरे सीने को अपने होंठों से चुमते हुए कहा - कैसा लगा...

मैं - बहुत मजा आया..मुझे मेरा गिफ्ट मिल गया.

मैंने पंकज को हल्का सा ऊपर खिसका लिया और उसके अधरों को चुम लिया

मैं - मैं बहुत खुश हूँ...
पंकज - आप ने जो मुझे दिया है, उसके आगे तो ये कुछ नहीं हैं.
मुझे - मेरी रानी मैंने कुछ लेने के लिये तुम्हें ये ( मैं पंकज के पेट पर हाथ रखकर ) नहीं दिया है समझी...


ये तो सबसे बेस्ट चुदाई थी...

मुझे - रानी...
पंकज - हूँ...

मैं - अगर मैं किसी और के साथ ये सब करू तो..?
वो मेरी तरफ देखने लगी और बोली - ये सब..?

मैं - मैं किसी और के साथ सेक्स करूं, किसी और को चोदु तो...
पंकज कुछ नहीं बोली, पंकज का का चेहरा नीचे हो गया...

मैं - क्या हुआ रानी, बोलो तो...
पंकज - मेरा आप पर इतना हक नहीं है कि मैं आपको रोकु, मैं रोकना भी नहीं चाहती. मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आपको कुछ दिक्कत हो. किसी के साथ भी करो मुझे कोई दिक्कत नहीं है...

मैं - अच्छा...!
पंकज - आपने मुझे बहुत प्यार दिया हैं. ऐसा प्यार मुझे पहले कभी मिला ही नहीं था. आपने मुझे जो ये खुशी दी है, ये सबसे बड़ी खुशी है.
पर मैं आपसे एक वादा चाहती हूँ...

मैं - क्या वादा..?
पंकज - आप हमेशा मुझे प्यार करना, कभी अपने से दूर मत करना. मेरा हक मुझसे कभी नहीं छिनोगे...

मैं - रानी मैं तुम्हें हमेशा प्यार करूंगा. तुम्हारा हक मुझ पर हमेशा रहेगा...

मेरी बात सुनकर पंकज ने मुझे बांहों मे कस लिया...

फिर उसने मेरे गालों को चूमते हुए कहा - चलो अब उठो... चाचा,चाची भी आने वाली होंगे.
मैं - थोड़ी देर रूको ना... मुझे तुम्हारी बांहों मे रहने दो...

पंकज भी मेरे सीने से लिपट गई. कुछ देर(5-7 मिनट) तक हम एक - दूसरे की बांहो मे लेटे रहे...

फिर हम दोनों खड़े हुए, वो कपड़े पहन कर बाहर चली गई और मैं फ्रेश होने चला गया...
मैं नहा के रेडी होकर हॉल मे आ गया और न्यूज पेपर पढ़ने लगा. कुछ देर मे मम्मी पापा भी आ गये...


***
कहानी अच्छी लगे तो अपने विचार जरूर दीजिये... Thanks For Reading...

ᎠᎬᏙᏆᏞ 😈😈😈...
josef
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )

Post by josef »

बढ़िया उपडेट तुस्सी छा गए बॉस

अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा


(^^^-1$i7) 😘
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rajababu
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )

Post by rajababu »

बहुत ही उम्दा. बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त

अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
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