हम लोग पहाड़ी के दामन में थे. गाडी पार्क की, वहा सिर्फ दो गाड़िया खड़ी थी. मतलब वहा पिछली जगह की तरह भीड़ नहीं होने वाली थी इसकी हमें ख़ुशी थी. वहा पहाड़ थे और वहा एक छोटी नदी भी थी जो पहाड़ो के साथ चल रही थी.
पत्थरो और कंकरो की मदद से एक कच्चा रास्ता बना था चलने के लिए हम उसी के ऊपर चल रहे थे.
थोड़ा आगे जाकर हमने निर्णय लिया कि हम लोग इस रास्ते को छोड़ कर पेड़ो और घाटियों से होते हुए जाते हैं तो ज्यादा रोमांच होगा.
पायल पिछली बार की तरह रुक रुक कर मेरे पति से अपना फोटो खिचवा रही थी और चिपक चिपक कर सेल्फी भी ले रही थी.
अशोक और पायल आगे आगे चल रहे थे और मैं और राज उनके पीछे.
थोड़ा नीचे हमें पानी दिखाई दिया तो हमने नीचे उतरने का फैसला किया.
अशोक ने पायल को सहारा देते हुए नीचे उतरने में मदद की. उन दोनों ने उतरने के बाद आगे चलना शुरू कर दिया था.
डीपू अब नीचे उतरा और उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया मुझे सहारा देने को. मैंने इंकार कीया और नीचे उतरना जारी रखा.
नीचे उतर कर देखा पायल और अशोक थोड़ा आगे निकल गए थे. हम दोनों भी अब धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे.
चारो तरफ बहुत शांति थी और कुदरत का बहुत खूबसूरत नजारा था.
डीपू ने मेरे साथ फोटो खिचवाने की गुजारिश की.
मैंने बोल दिया अभी नहीं.
वो बोला “अब नाराजगी छोड़ भी दो, क्यों छुट्टिया और अपना मूड ख़राब कर रही हो.”
मैं अनसुना कर आगे बढ़ गयी. वो वही खड़ा रह गया और मुझे जाते देखता रहा.
थोड़ा आगे जाने पर भी मुझे अशोक और पायल दिखाई नहीं दिये. मैं अपनी नजरे इधर उधर घुमा उन्हें ढूंढ रही थी.
तभी मुझे पायल थोड़ी सी दिखाई दी. मुझे कुछ शंका हुई. मैंने अपने आप को पेड़ के पीछे छुपा देखने का प्रयास किया.
पायल और अशोक एक दूसरे से लिपट होठों को चुम रहा थे. अपने दोनों हाथो से उन्होंने एक दूसरे की पीठ को कसकर अपने सीने से चिपका रखा था.
मतलब मेरा जो शक था सच था. रात को जरूर इन दोनों के बीच कुछ हुआ होगा. रेस्टोरेंट में भी वो ही मस्ती कर रहे थे.
मुझे तभी डिपू का ख्याल आया, वो इधर आता ही होगा और अगर उसने अपनी बीवी और मेरे पति को चूमते हुए देख लिया तो यही जंगल में झगड़ा हो जायेगा.
मैंने मुड़ कर देखा डीपू उसी तरफ आ रहा था. खतरे को देखते हुए मैंने उसकी तरफ चलना शुरू कर दिया. मुझे अपनी ओर आते देख डीपू वही रुक गया.
मैंने उसके समीप जाकर कहा “यही रुको, यहाँ तुम मेरे साथ सेल्फी ले सकते हो”.
वो बहुत खुश हो गया. मुझे किसी तरह कुछ मिनट बिताने थे ताकि तब तक पायल और अशोक चूमना बंद कर दे.
डीपू अब मेरे साथ अलग अलग एंगल से सेल्फी लेने लगा, फोटो लेते वक़्त वो जानबूझकर कभी कंधे पर तो कभी मेरी पतली नंगी कमर को पकड़ लेता.
थोड़े फोटो हो जाने के बाद हम फिर आगे बढे. मैं आशा कर रही थी कि अब तक वो लोग अपना काम ख़त्म कर चुके होंगे.
हम उसी जगह पहुंचे पर अब वहा कोई नहीं था. मुझे थोड़ी राहत मिली.
डीपू ने बोला “लगता हैं वो लोग थोड़ा आगे निकल गए हैं”.
मैंने उसकी हां में हां मिलाया. उसने आगे कहना जारी रखा.
डीपू: “यहाँ आस पास कोई नहीं हैं, क्या मैं तुम्हे एक बार गले लगा सकता हूँ”.
मैं: “तुम्हे जो भी करना था वो तो तुम कल रात को ही कर चुके हो. अब उससे ज्यादा क्या हो सकता हैं”.
Erotica मेरी कामुकता का सफ़र
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
डीपू: “लगता हैं तुमने मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया, वो मेरी एक मासूम सी गलती थी. चलो अब भूल भी जाओ. मैं तुम्हारी सहायता करूँगा अगर कुछ भी गड़बड़ होती हैं तो”.
मैं: “हमारे बीच कुछ ओर नहीं हो सकता हैं. जो भी हुआ भावनाओ में बह के मैं थोड़ा भटक गयी थी”.
डीपू: “क्या मैं इतना बुरा हूँ कि तुम मुझे दूसरा मौका नहीं दे सकती”.
मैं:”बात मौका देने की नहीं हैं. मैं तुम्हे सौ मौके दे सकती हूँ. पर इस मामले में नहीं. हम दोनों अच्छे दोस्त बन सकते हैं. पर मुझसे कल रात वाली उम्मीद मत रखना”.
डीपू: “प्लीज, मुझे अब ओर मत तड़पाओ. मैं पूरी रात ढंग से सो नहीं पाया तुम्हारे बारे में सोच कर. ऊपर से तुम सुबह से मेरे साथ बात भी नहीं कर रही थी”.
मैं: “पर अब तो मैं बात कर रह रही हूँ ना, फिर गले लगने की बात कहा से आ गयी”.
डीपू: “मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूंगा. मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ. इनफैक्ट जब तुम्हे पहली बार देखा था तब से ही चाहता हूँ. पर कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई. कल रात हमारे बीच की शर्म की दीवार ढह गयी, इसलिए मैं ये सब कहने की हिम्मत कर रहा हूँ”.
ये कह कर उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचकर अपने सीने से चिपका दिया.
मेरे मम्मे दब गए और उसने अपने होठ मेरे होठों पर लगाने की कोशिश की.
मैंने अपना हाथ बीच में लाकर उसको रोका और उसकी पकड़ से अपने आप को छुड़ाया.
मैंने कहा :”अगर तुम मुझसे इस तरह की हरकत करोगे तो मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी हैं. मैं जा रही हूँ”.
मेरी बातों से उसको झटका लगा और वो वही रुक गया. मैं उसको वही छोड़ आगे बढ़ गयी.
आगे चलते चलते मैं एक छोटी चढ़ाई पर पहुंची जिसके आगे एक छोटा गढ्ढा सा था. वहा से कुछ फुसफुसाने की आवाजे आ रही थी. मैंने सोचा कही ये पायल और अशोक तो नहीं.
मैं नीचे बैठ गयी और उस घाटी के किनारे तक खिसक कर आयी. मैं अब उस खड्डे में देखने लगी तो मेरे होश उड़ गए.
पायल का टॉप उसके ब्रा सहित उसके मम्मो से ऊपर उठा हुआ था और मेरे पति बार बार उसकी चूँचियों को अपने मुँह में दबा अपनी तरफ खिंच कर छोड़ रहे थे. पायल रह रह कर सिसकिया निकाल रही थी.
पहली बार मैं पायल के छोटे खरबूज की साइज के गोल गोल मम्मे देख रही थी.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा डीपू कही नजर नहीं आया. मैंने फिर खड्डे में नजरे डाली. पायल अशोक की तरफ पीठ कर खड़ी थी और अशोक अपना शार्ट अंडरवियर सहित नीचे खिसका कर नंगा खड़ा था.
अशोक ने अब पायल की स्कर्ट ऊपर उठा दी और उसकी पैंटी नीचे उतार दी.
पायल कमर से थोड़ा झुककर खड़ी हो गयी.
अशोक अब उसके उसके पीछे से प्रवेश करने को तैयार था. उन्होंने अब आगे पीछे हो झटके मारने शुरू कर दिए और पायल की सिसकियों की आवाज आने लगी.
अपनी भाभी के अलावा पहली बार अशोक को किसी दूसरी स्त्री के साथ चुदवाते देख मेरा दिमाग ख़राब हो गया. मैं ये दृश्य ओर नहीं देख पायी.
अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि कल रात को भी इन दोनों बीच कुछ हुआ ही होगा. मैं वहा से निकली और दौड़ते हुए पीछे की तरफ जाने लगी. कुछ दूर जाकर डीपू खड़ा हुआ दिखाई दिया.
मैं: “हमारे बीच कुछ ओर नहीं हो सकता हैं. जो भी हुआ भावनाओ में बह के मैं थोड़ा भटक गयी थी”.
डीपू: “क्या मैं इतना बुरा हूँ कि तुम मुझे दूसरा मौका नहीं दे सकती”.
मैं:”बात मौका देने की नहीं हैं. मैं तुम्हे सौ मौके दे सकती हूँ. पर इस मामले में नहीं. हम दोनों अच्छे दोस्त बन सकते हैं. पर मुझसे कल रात वाली उम्मीद मत रखना”.
डीपू: “प्लीज, मुझे अब ओर मत तड़पाओ. मैं पूरी रात ढंग से सो नहीं पाया तुम्हारे बारे में सोच कर. ऊपर से तुम सुबह से मेरे साथ बात भी नहीं कर रही थी”.
मैं: “पर अब तो मैं बात कर रह रही हूँ ना, फिर गले लगने की बात कहा से आ गयी”.
डीपू: “मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूंगा. मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ. इनफैक्ट जब तुम्हे पहली बार देखा था तब से ही चाहता हूँ. पर कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई. कल रात हमारे बीच की शर्म की दीवार ढह गयी, इसलिए मैं ये सब कहने की हिम्मत कर रहा हूँ”.
ये कह कर उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचकर अपने सीने से चिपका दिया.
मेरे मम्मे दब गए और उसने अपने होठ मेरे होठों पर लगाने की कोशिश की.
मैंने अपना हाथ बीच में लाकर उसको रोका और उसकी पकड़ से अपने आप को छुड़ाया.
मैंने कहा :”अगर तुम मुझसे इस तरह की हरकत करोगे तो मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी हैं. मैं जा रही हूँ”.
मेरी बातों से उसको झटका लगा और वो वही रुक गया. मैं उसको वही छोड़ आगे बढ़ गयी.
आगे चलते चलते मैं एक छोटी चढ़ाई पर पहुंची जिसके आगे एक छोटा गढ्ढा सा था. वहा से कुछ फुसफुसाने की आवाजे आ रही थी. मैंने सोचा कही ये पायल और अशोक तो नहीं.
मैं नीचे बैठ गयी और उस घाटी के किनारे तक खिसक कर आयी. मैं अब उस खड्डे में देखने लगी तो मेरे होश उड़ गए.
पायल का टॉप उसके ब्रा सहित उसके मम्मो से ऊपर उठा हुआ था और मेरे पति बार बार उसकी चूँचियों को अपने मुँह में दबा अपनी तरफ खिंच कर छोड़ रहे थे. पायल रह रह कर सिसकिया निकाल रही थी.
पहली बार मैं पायल के छोटे खरबूज की साइज के गोल गोल मम्मे देख रही थी.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा डीपू कही नजर नहीं आया. मैंने फिर खड्डे में नजरे डाली. पायल अशोक की तरफ पीठ कर खड़ी थी और अशोक अपना शार्ट अंडरवियर सहित नीचे खिसका कर नंगा खड़ा था.
अशोक ने अब पायल की स्कर्ट ऊपर उठा दी और उसकी पैंटी नीचे उतार दी.
पायल कमर से थोड़ा झुककर खड़ी हो गयी.
अशोक अब उसके उसके पीछे से प्रवेश करने को तैयार था. उन्होंने अब आगे पीछे हो झटके मारने शुरू कर दिए और पायल की सिसकियों की आवाज आने लगी.
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अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि कल रात को भी इन दोनों बीच कुछ हुआ ही होगा. मैं वहा से निकली और दौड़ते हुए पीछे की तरफ जाने लगी. कुछ दूर जाकर डीपू खड़ा हुआ दिखाई दिया.
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
बहुत ही बढ़िया अपडेट..
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
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