बढ़िया अपडेट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
Romance काला इश्क़
- rajababu
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Re: काला इश्क़
मित्रो मेरे द्वारा पोस्ट की गई कुछ और भी कहानियाँ हैं
( नेहा और उसका शैतान दिमाग..... तारक मेहता का नंगा चश्मा Running) भाई-बहन वाली कहानियाँ Running) ( बरसन लगी बदरिया_Barasn Lagi Badriya complete ) ( मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें Complete) ( बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ Running) ( आंटी और माँ के साथ मस्ती complete) ( शर्मीली सादिया और उसका बेटा complete) ( हीरोइन बनने की कीमत complete) ( चाहत हवस की complete) ( मेरा रंगीला जेठ और भाई complete) ( जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया complete) ( घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) complete) ( पहली नज़र की प्यास complete) (हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने complete ( चुदाई का घमासान complete) दीदी मुझे प्यार करो न complete
( नेहा और उसका शैतान दिमाग..... तारक मेहता का नंगा चश्मा Running) भाई-बहन वाली कहानियाँ Running) ( बरसन लगी बदरिया_Barasn Lagi Badriya complete ) ( मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें Complete) ( बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ Running) ( आंटी और माँ के साथ मस्ती complete) ( शर्मीली सादिया और उसका बेटा complete) ( हीरोइन बनने की कीमत complete) ( चाहत हवस की complete) ( मेरा रंगीला जेठ और भाई complete) ( जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया complete) ( घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) complete) ( पहली नज़र की प्यास complete) (हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने complete ( चुदाई का घमासान complete) दीदी मुझे प्यार करो न complete
- mastram
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Re: काला इश्क़
एक दम मस्त और शानदार अपडेट है भाई
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
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मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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Re: काला इश्क़
Fantastic update bro keep posting
Waiting for the next update
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मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
- naik
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Re: काला इश्क़
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update
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Re: काला इश्क़
update 4
घर पहुँचते ही देखा तो पंडित जी अपनी आसानी पर बैठे थे और कुछ पोथी-पत्रा लेके उँगलियों पर कुछ गिन रहे थे| उन्हें देखते ही रितिका के आँसूं छलक आये और जो अभी तक खुश थी वो फिर से मायूस हो के अपने कमरे में घुस गई| मुझे भी पंडित जी को देख के घरवालों पर बहुत गुस्सा आया की कम से कम कुछ देर तो रुक जाते| ऋतू कुछ दिन तो खुश हो लेती! इधर रितिका के हेडमास्टर साहब भी आ धमके और सब को बधाइयाँ देने लगे पर घर में कोई जानता ही नहीं था की वो बधाई क्यों दे रहे हैं?
"रितिका के 97% आये हैं!!!" मैंने सर झुकाये कहा|
"सिर्फ यही नहीं भाई साहब बल्कि, रितिका ने पूरे प्रदेश में टॉप किया है! उसके जितने किसी के भी नंबर नहीं हैं!" हेडमास्टर ने गर्व से कहा|
"अरे भाई फिर तो मुँह मीठा होना चाहिए!" लालची पंडित ने होठों पर जीभ फेरते हुए कहा| |
मैंने भाभी को रस मलाई से भरा थैला दीया और सब के लिए परोस के लाने को कहा| इतने में हेड मास्टर साहब बोले; "भाई साहब मानना बढ़ेगा, पहले आपके लड़के ने दसवीं में जिले में टॉप किया था और आपकी पोती तो चार कदम आगे निकल गई! वैसे है कहाँ रितिका?" मैंने रितिका को आवाज दे कर बुलाया और वो अपने आँसुंओं से ख़राब हो चुके चेहरे को पोंछ के नीचे आई और हेडमास्टर साहब के पाँव छुए और उन्होंने उसके सर पर हाथ रख के आशीर्वाद दिया| फिर उसने मुझे छोड़के सभी के पाँव छुए और सब ने सिर्फ उसके सर पर हाथ रख दिया पर कुछ बोले नहीं| आज से पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ था! इससे पहले की रस मलाई परोस के आती पंडित बोल पड़ा; "जजमान! एक विकट समस्या है लड़की की कुंडली में!" ये सुनते ही सारे चौंक गए पर रितिका को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा| वो बस हाथ बंधे और सर झुकाये मेरे साथ खड़ी थी| पंडित ने आगे अपनी बात पूरी की; "लड़की की कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की कुछ असामान्य स्थिति है जिसके कारन इसका विवाह आने वाले पाँच साल तक नामुमकिन है!"
ये सुन के सब के सब सुन्न हो गए और इधर रितिका के मुख पर अभी भी कोई भाव नहीं आया था| "परन्तु कोई तो उपाय होगा? कोई व्रत, कोई पूजा पाठ, कोई हवन? कुछ तो उपाय करो पंडित जी?" ताऊ जी बोले|
"नहीं जजमान! कोई उपाय नहीं! जब तक इसके प्रमुख ग्रहों की दशा नहीं बदलती तब तक कुछ नहीं हो सकता? जबरदस्ती की गई तो अनहोनी हो सकती है?" पंडित ने सबको चेतावनी दी! ये सुन के सब के सब स्तब्ध रह गए| करीब दस मिनट तक सभी चुप रहे! कोई कुछ बोल नहीं रहा था की तभी मैंने चुप्पी तोड़ते हुए कहा; "तो रितिका को आगे पढ़ने देते हैं? अब पाँच साल घर पर रह कर करेगी भी क्या? कम से कम कुछ पढ़ लिख जाएगी तो परिवार का नाम रोशन होगा!" ये सुनते ही ताई जी बोल पड़ी; "कोई जर्रूरत नहीं है आगे पढ़ने की? जितना पढ़ना था इसने पढ़ लिया अब चूल्हा-चौका संभाले! पाँच साल बाद ही सही पर जायेगी तो ससुराल ही? वहाँ जा के क्या नाम करेगी?" इतने में ही हेडमास्टर साहब बोल पड़े; "अरे भाभी जी क्या बात कर रहे हो आप? वो ज़माना गया जब लड़कियों के पढ़े लिखे होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था! आजकल तो लड़कियां लड़कों से कई ज्यादा आगे निकल चुकी हैं! शादी के बाद भी कई सास-ससुर अपनी बहु को नौकरी करने देते हैं जिससे न केवल घर में आमदनी का जरिया बढ़ता है बल्कि पति-पत्नी घर की जिम्मेदारियाँ मिल के उठाते हैं| हर जगह कम से कम ग्रेजुएट लड़की की ज्यादा कदर की जाती है! वो घर के हिसाब-किताब को भी संभालती है| अगर कल को रितिका के होने वाले पति का कारोबार हुआ तो ये भी उसकी मदद कर सकती है और ऐसे में सारा श्रेय आप लोगों को ही मिलेगा| आपके समधी-समधन आप ही को धन्यवाद करेंगे की आपने बच्ची को इतने प्यार से पढ़ाया लिखाया है!"
''और अगर इतनी पढ़ाई लिखाई के बावजूद इस के पर निकल आये और ये ज्यादा उड़ने लगी तो? या मानलो कल को इसके जितना पढ़ा लिखा लड़का न मिला तो?" ताऊ जी ने अपना सवाल दागा! "आपको लगता है की आपकी इतनी सुशील बेटी कभी ऐसा कुछ कर सकती है? मैंने इसे आज तक किसी से बात करते हुए नहीं देखा| सर झुका के स्कूल आती है और सर स्झुका के वापस! ऐसी गुणवान लड़की के लिए वर न मिले ऐसा तो हो ही नहीं सकता" आप देख लेना इसे सबसे अच्छा लड़का मिलेगा!" हेडमास्टर साहब ने छाती ठोंक के कहा|
"पर..." पिताजी कुछ बोलने लगे तो हेडमास्टर साहब बीच में बोल पड़े| "भाई साहब मैं आपसे हाथ जोड़ के विनती करता हूँ की आप बच्ची को आगे पढ़ने से न रोकिये! ये बहुत तरक्की करेगी, मुझे पूरा विश्वास है इस पर!"
"ठीक है... हेडमास्टर साहब!" ताऊ जी बोले और भाभी को मीठा लाने को बोले| ताऊ जी का फैसला अंतिम फैसला था और उसके आगे कोई कुछ नहीं बोला, इतने में भाभी रस मलाई ले आई पर उनके चेहरे पर बारह बजे हुए थे| सभी ने मिठाई खाई और फिर पंडित जी अपने घर निकल गए और हेड मास्टर साहब अपने घर| साफ़ दिखाई दे रहा था की रितिका के आगे पढ़ने से कोई खुश नहीं था और इधर रितिका फूली नहीं समां रही थी| घर के सारे मर्द चारपाई पर बैठ के कुछ बात कर रहे थे और इधर मैं और रितिका दूसरी चारपाई पर बैठे आगे क्या कोर्स सेलेक्ट करना है उस पर बात कर रहे थे| रितिका साइंस लेना चाहती थी पर मैंने उसे विस्तार से समझाया की साइंस लेना उसके लिए वाजिब नहीं क्योंकि ग्यारहवीं की साइंस के लिए उसे कोचिंग लेना जर्रूरी है| अब चूँकि कोचिंग सेंटर घर से घंटा भर दूर है तो कोई भी तुझे लेने या छोड़ने नहीं जायेगा| ऊपर से साइंस लेने के बाद या तो उसे इंजीनियरिंग करनी होगी या डॉक्टरी और दोनों ही सूरतों में घर वाले उसे घर से दूर कोचिंग, प्रेपरेशन और टेस्ट के लिए नहीं जाने देंगे! अब चूँकि एकाउंट्स और इकोनॉमिक्स उसके लिए बिलकुल नए थे तो मैंने उसे विश्वास दिलाया की इन्हें समझने में मैं उसकी पूरी मदद करूँगा| अब रितिका निश्चिन्त थी और उसके मुख पर हँसी लौट आई थी, वो उठ के अपने कमरे में गई| अगले महीने मेरे पेपर थे तो मैं उन दिनों घर नहीं जा सका और जब पहुँचा तो रितिका के स्कूल खुलने वाले थे और मैं पहले ही उसके लिए कुछ हेल्पबूक्स ले आया था| उन हेल्पबूक्स की मदद से मैंने उसे एकाउंट्स और इकोनॉमिक्स के टिप्स दे दिए| अब मेरे कॉलेज के रिजल्ट का इंतजार था और मैं घर पर ही रहने लगा था| पार्ट टाइम वाली टूशन भी छूट चुकी थी तो मैंने घर पर रह के रितिका को पढ़ना शुरू कर दिया और अब वो एकाउंट्स में बहुत अच्छी हो चुकी थी| जब मेरे रिजल्ट आया तो घरवाले बहुत खुश हुए क्योंकि मैंने कॉलेज में टॉप किया था| मैं घर लौटा तो घर वालों ने उस दिन गाँव में सबको पार्टी दे डाली, क्योंकि खानदान का मैं पहले लड़का था जो ग्रेजुएट हुआ था| पार्टी ख़तम हुई और अगले दिन से ही ताऊ जी ने शादी के लिए जोर डालना शुरू कर दिया पर मैं अभी शादी नहीं करना चाहता था| उन्हें शक हुआ की कहीं मेरा कोई चक्कर तो नहीं चल रहा, इस पर मैंने उन्हें आश्वस्त किया की ऐसा कुछ भी नहीं है| मैं बस नौकरी करना चाहता हूँ, अपने पाँव पर खड़ा होना चाहता हूँ| पर वो मेरी बात सुन के भड़क गए की मुझे भला नौकरी की क्या जर्रूरत है? भरा-पूरा परिवार है और इसमें नौकरी करने की कोई जर्रूरत नहीं, वो चाहें तो उम्र भर मुझे बैठ के खिला सकते हैं| पर मेरे लिए उन्हें समझाना बहुत मुश्किल था फिर मैंने उन्हें वादा कर दिया की 40 साल की उम्र तक मुझे नौकरी करने दें उसके बाद में घर की खेती-बाड़ी संभाल लूंगा और साथ ही ये भी वचन दे डाला की तीन साल बाद में शादी भी कर लूँगा| खेर बड़ी मुश्किल से हाथ-पाँव जोड़ के मैंने सब को मेरे नौकरी करने के लिए मना लिया पर रितिका बहुत उदास थी| मैंने मौका देख के उससे बात की;
मैं: ऋतू तू खुश नहीं है?
रितिका: चाचू... आप नौकरी करोगे तो घर नहीं आओगे? फिर मैं दुबारा अकेली रह जाऊँगी! पहले तो आप २-३ दिन के लिए घर आया करते थे पर अब तो वो भी नहीं! सिर्फ त्यौहार पर ही मिलोगे?
मैं: बाबू... ऐसा नहीं बोलते! मैं घर आता रहूँगा फिर अब अगले साल से तो तू भी बिजी हो जाएगी! बोर्ड्स हैं ना अगले साल!
रितिका: पर ..... (वो जैसे कुछ कहना चाहती हो पर बोल न रही हो|)
मैं: तू चिंता मत कर मैं हर सेकंड सैटरडे घर पर ही रहूँगा| ठीक है? और हाँ अगर तुझे कुछ भी चाहिए किताब, कपडे या कुछ भी तू सीधा मुझे फोन कर देना| मैं तुझे अपने ऑफिस का नंबर दे दूँगा|
रितिका: तो आप कहाँ नौकरी करने जा रहे हो? कहीं से कोई ऑफर आया है?
मैं: नहीं अभी तो नहीं .... कल जा के एक दो जगह कोशिश करता हूँ|
मैंने कोशिश की और आखिर एक दफ्तर में नौकरी मिल ही गई| रहने के लिए कमरा ढूँढना तो उससे भी ज्यादा मुश्किल निकला! ऑफिस से करीब घंटाभर दूर मुझे एक किराये का कमरा मिल गया| शुरू का एक महीना मेरे लिए काँटों भरा था! घर से दफ्तर और दफ्तर से घर आते जाते हालत ख़राब हो जाती! जैसे ही पहली तनख्वा हाथ आई मैंने सबसे पहले अपने लिए बुलेट खरीदी...... EMI पर! घेवालों के लिए कुछ कपडे खरीदे और रितिका के लिए कुछ किताबें और एक सूंदर सी ड्रेस ली! जब सबसे अंत में मैंने उसे ये तौफा दिया तो वो ख़ुशी से झूम उठी और मुझे थैंक्स बोलते हुए उसकी जुबान नहीं थक रही थी|
घर पहुँचते ही देखा तो पंडित जी अपनी आसानी पर बैठे थे और कुछ पोथी-पत्रा लेके उँगलियों पर कुछ गिन रहे थे| उन्हें देखते ही रितिका के आँसूं छलक आये और जो अभी तक खुश थी वो फिर से मायूस हो के अपने कमरे में घुस गई| मुझे भी पंडित जी को देख के घरवालों पर बहुत गुस्सा आया की कम से कम कुछ देर तो रुक जाते| ऋतू कुछ दिन तो खुश हो लेती! इधर रितिका के हेडमास्टर साहब भी आ धमके और सब को बधाइयाँ देने लगे पर घर में कोई जानता ही नहीं था की वो बधाई क्यों दे रहे हैं?
"रितिका के 97% आये हैं!!!" मैंने सर झुकाये कहा|
"सिर्फ यही नहीं भाई साहब बल्कि, रितिका ने पूरे प्रदेश में टॉप किया है! उसके जितने किसी के भी नंबर नहीं हैं!" हेडमास्टर ने गर्व से कहा|
"अरे भाई फिर तो मुँह मीठा होना चाहिए!" लालची पंडित ने होठों पर जीभ फेरते हुए कहा| |
मैंने भाभी को रस मलाई से भरा थैला दीया और सब के लिए परोस के लाने को कहा| इतने में हेड मास्टर साहब बोले; "भाई साहब मानना बढ़ेगा, पहले आपके लड़के ने दसवीं में जिले में टॉप किया था और आपकी पोती तो चार कदम आगे निकल गई! वैसे है कहाँ रितिका?" मैंने रितिका को आवाज दे कर बुलाया और वो अपने आँसुंओं से ख़राब हो चुके चेहरे को पोंछ के नीचे आई और हेडमास्टर साहब के पाँव छुए और उन्होंने उसके सर पर हाथ रख के आशीर्वाद दिया| फिर उसने मुझे छोड़के सभी के पाँव छुए और सब ने सिर्फ उसके सर पर हाथ रख दिया पर कुछ बोले नहीं| आज से पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ था! इससे पहले की रस मलाई परोस के आती पंडित बोल पड़ा; "जजमान! एक विकट समस्या है लड़की की कुंडली में!" ये सुनते ही सारे चौंक गए पर रितिका को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा| वो बस हाथ बंधे और सर झुकाये मेरे साथ खड़ी थी| पंडित ने आगे अपनी बात पूरी की; "लड़की की कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की कुछ असामान्य स्थिति है जिसके कारन इसका विवाह आने वाले पाँच साल तक नामुमकिन है!"
ये सुन के सब के सब सुन्न हो गए और इधर रितिका के मुख पर अभी भी कोई भाव नहीं आया था| "परन्तु कोई तो उपाय होगा? कोई व्रत, कोई पूजा पाठ, कोई हवन? कुछ तो उपाय करो पंडित जी?" ताऊ जी बोले|
"नहीं जजमान! कोई उपाय नहीं! जब तक इसके प्रमुख ग्रहों की दशा नहीं बदलती तब तक कुछ नहीं हो सकता? जबरदस्ती की गई तो अनहोनी हो सकती है?" पंडित ने सबको चेतावनी दी! ये सुन के सब के सब स्तब्ध रह गए| करीब दस मिनट तक सभी चुप रहे! कोई कुछ बोल नहीं रहा था की तभी मैंने चुप्पी तोड़ते हुए कहा; "तो रितिका को आगे पढ़ने देते हैं? अब पाँच साल घर पर रह कर करेगी भी क्या? कम से कम कुछ पढ़ लिख जाएगी तो परिवार का नाम रोशन होगा!" ये सुनते ही ताई जी बोल पड़ी; "कोई जर्रूरत नहीं है आगे पढ़ने की? जितना पढ़ना था इसने पढ़ लिया अब चूल्हा-चौका संभाले! पाँच साल बाद ही सही पर जायेगी तो ससुराल ही? वहाँ जा के क्या नाम करेगी?" इतने में ही हेडमास्टर साहब बोल पड़े; "अरे भाभी जी क्या बात कर रहे हो आप? वो ज़माना गया जब लड़कियों के पढ़े लिखे होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था! आजकल तो लड़कियां लड़कों से कई ज्यादा आगे निकल चुकी हैं! शादी के बाद भी कई सास-ससुर अपनी बहु को नौकरी करने देते हैं जिससे न केवल घर में आमदनी का जरिया बढ़ता है बल्कि पति-पत्नी घर की जिम्मेदारियाँ मिल के उठाते हैं| हर जगह कम से कम ग्रेजुएट लड़की की ज्यादा कदर की जाती है! वो घर के हिसाब-किताब को भी संभालती है| अगर कल को रितिका के होने वाले पति का कारोबार हुआ तो ये भी उसकी मदद कर सकती है और ऐसे में सारा श्रेय आप लोगों को ही मिलेगा| आपके समधी-समधन आप ही को धन्यवाद करेंगे की आपने बच्ची को इतने प्यार से पढ़ाया लिखाया है!"
''और अगर इतनी पढ़ाई लिखाई के बावजूद इस के पर निकल आये और ये ज्यादा उड़ने लगी तो? या मानलो कल को इसके जितना पढ़ा लिखा लड़का न मिला तो?" ताऊ जी ने अपना सवाल दागा! "आपको लगता है की आपकी इतनी सुशील बेटी कभी ऐसा कुछ कर सकती है? मैंने इसे आज तक किसी से बात करते हुए नहीं देखा| सर झुका के स्कूल आती है और सर स्झुका के वापस! ऐसी गुणवान लड़की के लिए वर न मिले ऐसा तो हो ही नहीं सकता" आप देख लेना इसे सबसे अच्छा लड़का मिलेगा!" हेडमास्टर साहब ने छाती ठोंक के कहा|
"पर..." पिताजी कुछ बोलने लगे तो हेडमास्टर साहब बीच में बोल पड़े| "भाई साहब मैं आपसे हाथ जोड़ के विनती करता हूँ की आप बच्ची को आगे पढ़ने से न रोकिये! ये बहुत तरक्की करेगी, मुझे पूरा विश्वास है इस पर!"
"ठीक है... हेडमास्टर साहब!" ताऊ जी बोले और भाभी को मीठा लाने को बोले| ताऊ जी का फैसला अंतिम फैसला था और उसके आगे कोई कुछ नहीं बोला, इतने में भाभी रस मलाई ले आई पर उनके चेहरे पर बारह बजे हुए थे| सभी ने मिठाई खाई और फिर पंडित जी अपने घर निकल गए और हेड मास्टर साहब अपने घर| साफ़ दिखाई दे रहा था की रितिका के आगे पढ़ने से कोई खुश नहीं था और इधर रितिका फूली नहीं समां रही थी| घर के सारे मर्द चारपाई पर बैठ के कुछ बात कर रहे थे और इधर मैं और रितिका दूसरी चारपाई पर बैठे आगे क्या कोर्स सेलेक्ट करना है उस पर बात कर रहे थे| रितिका साइंस लेना चाहती थी पर मैंने उसे विस्तार से समझाया की साइंस लेना उसके लिए वाजिब नहीं क्योंकि ग्यारहवीं की साइंस के लिए उसे कोचिंग लेना जर्रूरी है| अब चूँकि कोचिंग सेंटर घर से घंटा भर दूर है तो कोई भी तुझे लेने या छोड़ने नहीं जायेगा| ऊपर से साइंस लेने के बाद या तो उसे इंजीनियरिंग करनी होगी या डॉक्टरी और दोनों ही सूरतों में घर वाले उसे घर से दूर कोचिंग, प्रेपरेशन और टेस्ट के लिए नहीं जाने देंगे! अब चूँकि एकाउंट्स और इकोनॉमिक्स उसके लिए बिलकुल नए थे तो मैंने उसे विश्वास दिलाया की इन्हें समझने में मैं उसकी पूरी मदद करूँगा| अब रितिका निश्चिन्त थी और उसके मुख पर हँसी लौट आई थी, वो उठ के अपने कमरे में गई| अगले महीने मेरे पेपर थे तो मैं उन दिनों घर नहीं जा सका और जब पहुँचा तो रितिका के स्कूल खुलने वाले थे और मैं पहले ही उसके लिए कुछ हेल्पबूक्स ले आया था| उन हेल्पबूक्स की मदद से मैंने उसे एकाउंट्स और इकोनॉमिक्स के टिप्स दे दिए| अब मेरे कॉलेज के रिजल्ट का इंतजार था और मैं घर पर ही रहने लगा था| पार्ट टाइम वाली टूशन भी छूट चुकी थी तो मैंने घर पर रह के रितिका को पढ़ना शुरू कर दिया और अब वो एकाउंट्स में बहुत अच्छी हो चुकी थी| जब मेरे रिजल्ट आया तो घरवाले बहुत खुश हुए क्योंकि मैंने कॉलेज में टॉप किया था| मैं घर लौटा तो घर वालों ने उस दिन गाँव में सबको पार्टी दे डाली, क्योंकि खानदान का मैं पहले लड़का था जो ग्रेजुएट हुआ था| पार्टी ख़तम हुई और अगले दिन से ही ताऊ जी ने शादी के लिए जोर डालना शुरू कर दिया पर मैं अभी शादी नहीं करना चाहता था| उन्हें शक हुआ की कहीं मेरा कोई चक्कर तो नहीं चल रहा, इस पर मैंने उन्हें आश्वस्त किया की ऐसा कुछ भी नहीं है| मैं बस नौकरी करना चाहता हूँ, अपने पाँव पर खड़ा होना चाहता हूँ| पर वो मेरी बात सुन के भड़क गए की मुझे भला नौकरी की क्या जर्रूरत है? भरा-पूरा परिवार है और इसमें नौकरी करने की कोई जर्रूरत नहीं, वो चाहें तो उम्र भर मुझे बैठ के खिला सकते हैं| पर मेरे लिए उन्हें समझाना बहुत मुश्किल था फिर मैंने उन्हें वादा कर दिया की 40 साल की उम्र तक मुझे नौकरी करने दें उसके बाद में घर की खेती-बाड़ी संभाल लूंगा और साथ ही ये भी वचन दे डाला की तीन साल बाद में शादी भी कर लूँगा| खेर बड़ी मुश्किल से हाथ-पाँव जोड़ के मैंने सब को मेरे नौकरी करने के लिए मना लिया पर रितिका बहुत उदास थी| मैंने मौका देख के उससे बात की;
मैं: ऋतू तू खुश नहीं है?
रितिका: चाचू... आप नौकरी करोगे तो घर नहीं आओगे? फिर मैं दुबारा अकेली रह जाऊँगी! पहले तो आप २-३ दिन के लिए घर आया करते थे पर अब तो वो भी नहीं! सिर्फ त्यौहार पर ही मिलोगे?
मैं: बाबू... ऐसा नहीं बोलते! मैं घर आता रहूँगा फिर अब अगले साल से तो तू भी बिजी हो जाएगी! बोर्ड्स हैं ना अगले साल!
रितिका: पर ..... (वो जैसे कुछ कहना चाहती हो पर बोल न रही हो|)
मैं: तू चिंता मत कर मैं हर सेकंड सैटरडे घर पर ही रहूँगा| ठीक है? और हाँ अगर तुझे कुछ भी चाहिए किताब, कपडे या कुछ भी तू सीधा मुझे फोन कर देना| मैं तुझे अपने ऑफिस का नंबर दे दूँगा|
रितिका: तो आप कहाँ नौकरी करने जा रहे हो? कहीं से कोई ऑफर आया है?
मैं: नहीं अभी तो नहीं .... कल जा के एक दो जगह कोशिश करता हूँ|
मैंने कोशिश की और आखिर एक दफ्तर में नौकरी मिल ही गई| रहने के लिए कमरा ढूँढना तो उससे भी ज्यादा मुश्किल निकला! ऑफिस से करीब घंटाभर दूर मुझे एक किराये का कमरा मिल गया| शुरू का एक महीना मेरे लिए काँटों भरा था! घर से दफ्तर और दफ्तर से घर आते जाते हालत ख़राब हो जाती! जैसे ही पहली तनख्वा हाथ आई मैंने सबसे पहले अपने लिए बुलेट खरीदी...... EMI पर! घेवालों के लिए कुछ कपडे खरीदे और रितिका के लिए कुछ किताबें और एक सूंदर सी ड्रेस ली! जब सबसे अंत में मैंने उसे ये तौफा दिया तो वो ख़ुशी से झूम उठी और मुझे थैंक्स बोलते हुए उसकी जुबान नहीं थक रही थी|
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