Erotica नज़मा का कामुक सफर

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Masoom
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Re: नज़मा का कामुक सफर

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इरफ़ान जब गरम तेल की कटोरी लेकर नज़मा के रूम में पहुंचा तो नज़मा शीशे के सामने खड़ी अपने बालों में कंघी कर रही थी| नज़मा ने एक पेटीकोट पहना हुआ था जैसे वो नहाते हुए पहनती थी| नज़मा को पेटीकोट पहने देख इरफ़ान का मूड थोड़ा ऑफ हो गया|

इरफ़ान: दीदी, ये क्या यार? आपने पेटीकोट क्यों पहन लिया? अब मैं अच्छे से मालिश कैसे करूँगा?

नज़मा: भाई, मैं तेरी तरह बेशरम नहीं हूँ| करनी है तो कर वरना रहने दे|

इरफ़ान ये मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था|

इरफ़ान: दीदी, जैसी आपकी मर्ज़ी| अब चलो, बेड पर लेट जाओ, मैं मालिश कर देता हूँ| गरम तेल है, आपको आराम मिलेगा| जल्दी आओ, नहीं तो तेल ठंडा हो जायेगा|

नज़मा (मन में): बड़ी जल्दी है ठन्डे होने की भाई को ...

नज़मा ये सोचते हुए अपने बेड पे उलटी लेट गयी और इरफ़ान अपनी बहन की कमर के पास बेड पर बैठ गया| नज़मा ने सिर्फ पेटीकोट पहना हुआ था|

नज़मा: भाई, मेरे पैरों में भी दर्द हो रहा है

इरफ़ान अपनी बहन के पैरो के पास बैठ गया और अपने हाथों में तेल लेकर हलके हाथो से नज़मा के पैरो को दबाने लगा| इरफ़ान नज़मा के पैरों के पंजों को दबा रहा था| इरफ़ान को डर था की कहीं नज़मा बिदक ना जाए इसलिए वो धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था|

नज़मा: भाई मालिश कर ही रहा है तो अच्छे से कर ना| तू तो लड़कियों से भी नाज़ुक है| मुझे दर्द वहां नहीं है ऊपर है|

इरफ़ान ने थोड़ा ऊपर बढ़ते हुए नज़मा की पिंडलियों की मालिश शुरू कर दी| इरफ़ान का हाथ अपनी नंगी पिंडलियों पर महसूस करते ही नज़मा की सिसकी निकल गयी|

नज़मा: आह भाई, ये हुई न कुछ बात| ऐसे ही करता रह, बहुत अच्छी मालिश कर रहा है|

इरफ़ान: दीदी, मैं बहुत अच्छी मालिश करता हूँ, चाचा जी भी यही कहते हैं|

नज़मा (मन में): चूतिया है एक नंबर का, चाचा जी गांड में घुस जा

नज़मा: चल हट यहाँ से, जाकर चाचा जी की ही मालिश कर

इरफ़ान: अरे दीदी, नाराज़ क्यों हो रही हो, चाचा जी को छोड़ो| मैं आपकी मालिश इतनी मस्त करूँगा की आप हमेशा मुझसे मालिश करवाने के लिए मेरे पीछे भागती फिरोगी|

नज़मा: अच्छा-२, ठीक है, थोड़ा और ऊपर ..

इरफ़ान (मन में): बहुत चालू है दीदी| मैं तो दीदी को कितनी शरीफ समझता था| कितनी जल्दी है चुदने ही| खुदा ने चाहा तो आज मेरी पहली चुदाई हो ही जाएगी| पहली चुदाई? क्या दीदी वर्जिन है या फिर .... नहीं-२ इतनी भी हरामन नहीं लगती ... पूछूं क्या? बूरा मान गयी तो?

इरफ़ान ने अब अपने हाथ नज़मा के घुटनो पर रख दिए और घुटनो से लेकर जाँघों के निचले हिस्से तक हाथ चलाने लगा| नज़मा अपनी आँख बंद करके मुस्कुरा रही थी| नज़मा के पैर एकदम गोरे थे जैसे दूध में हल्का सा केसर मिला हो| इरफ़ान का लंड बुरी तरह से खड़ा हो चूका था| लंड के जोर से इरफ़ान की हिम्मत भी ज़ोर मारने लगी| अब अपने हाथ ऊपर ले जाते हुए इरफ़ान अपनी बहन की जाँघो के अंदर के हिस्से को भी दबाने लगा था| हर बार ऊपर जाते हुए इरफ़ान आगे बढ़ता जा रहा था| धीरे-२ इरफ़ान के हाथ अपनी बहन के पेटीकोट के नीचे तक पहुँच गए|

इरफ़ान: दीदी, ये पेटीकोट .....

नज़मा: हुंह ....

इरफ़ान: दीदी, पेटीकोट हटा दूँ, तेल से ख़राब हो जायेगा ...

नज़मा: हुंह ....

इरफ़ान ने अपनी बहन की सिसकी को अपनी बहन की रज़ामंदी माना और नज़मा का पेटीकोट उसके चूतड़ों से हटा दिया|

अपनी बहन के गोरे-२ गोल मटोल चूतड़ देखते ही इरफ़ान की आँखों में चमक आ गयी| उसने तुरंत अपने हाथों पर तेल लगाया और अपने दोनों हाथ अपनी बहन के चूतड़ों पर रख दिए| इरफ़ान पहले तो धीरे धीरे अपनी बहन के चूतड़ों को सहला रहा था लेकिन जब नज़मा ने कुछ भी रिएक्शन नहीं दिया तो इरफ़ान ने चूतड़ों को तेज़ी से दबाना शुरू कर दिया| इरफ़ान अब अपनी बहन के चूतड़ों को दबा नहीं बल्कि गूँथ रहा था जैसे आटे को गुंथते हैं|

दोनों बहन भाई पूरा आनंद उठा रहे थे| कोई कुछ बोल नहीं रहा था| बीच बीच में नज़मा की सिसकारी सुनाई पड़ती थी| इरफ़ान भी बुरी तरह से गरम हो चूका था| नज़मा की आँखें बंद थी| जब इरफ़ान से बर्दास्त नहीं हुआ तो इरफ़ान एक हाथ से अपनी बहन के चूतड़ों को रडता रहा और दूसरे हाथ से अपने लंड को मसलने लगा|

पजामे में इरफ़ान का लंड बुरी तरह मचल रहा था और बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था| कुछ देर बाद इरफ़ान ने चुपके से अपना पजामा अंडरवियर के साथ नीचे सरका दिया और अपने नंगे लंड को मसलने लगा| इरफ़ान को बहुत मज़ा आ रहा था| अपनी बहन की तरफ से कोई विरोध ना देख के उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी| इरफ़ान ने तेल की कटोरी उठायी और सीधे नज़मा के चूतड़ों की दरार में धार बना के तेल डालने लगा| तेल की धार सीधे नज़मा की गांड के छेद में पहुँच रही थी|

नज़मा: aaaaaaaaaahhhh, भाई .... बस ..... चद्दर ख़राब हो जाएगी .... और तेल ... हुंह

इरफ़ान अपनी बहन की बात समझ गया और उसने तेल की कटोरी साइड में रख दी|

इरफ़ान: ऐसे कैसे चद्दर ख़राब हो जाएगी| हम हाँ ना

ये कहते हुए इरफ़ान ने अपनी पूरी हथेली नज़मा की चूत पर रख दी| इरफ़ान ने तेल हथेली से रोक लिया ताकि तेल चद्दर पे ना गिरे| नज़मा की चूत बुरी तरफ से भबक रही थी और उसमे से कामरस चू रहा था| इरफ़ान ने धीरे से नज़मा की तपती चूत को दबाया और फिर अपने हाथ को ऊपर की और लाने लगा| इरफ़ान का हाथ नज़मा की गांड के छेद पर आ कर ही रुका| इरफ़ान अपनी बहन के चूतड़ों की दरार की मालिश कर रहा था| उसका हाथ अपनी बहन के चूतड़ों की दरार के शुरू होने से उसकी चूत तक चल रहे थे| बीच-२ में उसके हाथ अपनी बहन की गुदा पर रुक जाते थे|

इरफ़ान धीरे-२ अपनी उँगलियों से अपनी बहन के गांड के छेद को कुरदने लगा| नज़मा की हालत पतली होती जा रही थी| उसकी सिसकियाँ अब तेज हो गयी थी| इरफ़ान ने अपनी ऊँगली का दबाव थोड़ा सा बढ़ाया तो उसकी ऊँगली का एक पोर नज़मा की गांड में घुस गया| नज़मा एक दम से तेज़ सिसकी|
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: नज़मा का कामुक सफर

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नज़मा के उलटे लेट हुए के कारण नज़मा के चूतड़ों के दोनों हिस्से आपस में दबे हुए थे| इरफ़ान ने थोड़ा और दबाव बनाया लेकिन उसकी ऊँगली ज़्यादा अंदर घुस नहीं पा रही थी|

इरफ़ान (धीरे से): दीदी, थोड़ा उठाओ ना ...

नज़मा: हुंह ... क्या ....

इरफ़ान: दीदी, अपनी गांड थोड़ी उठाओ ना ...

नज़मा: ......

इरफ़ान: दीदी, प्लीज ....

नज़मा: क्या है, कितना मज़ा आ रहा था| क्या करूँ, बोल?

इरफ़ान: दीदी आप अपने नीचे तकिया लगा लो ना, थोड़ा अंदर तक मालिश कर दूंगा ...

नज़मा की ऑंखें अभी तक बंद थी और वो उलटी लेती हुई मालिश का लुत्फ़ ले रही थी| नज़मा थोड़ा सा मुस्कुरायी और बोली|

नज़मा: अंदर तक ... हाँ ... ऐसे ही अंदर तक मालिश करता होगा चाचा जी की

इरफ़ान: हाहा, नहीं दीदी, ये स्पेशल मालिश तो सिर्फ आपके लिए है ...

नज़मा: स्पेशल मालिश, सही है, सुन तकिया रहने देते हैं, गन्दा हो जायेगा| मैं अपना हाथ अपने पेट के नीचे दबा लेती हूँ ....ठीक है

इरफ़ान: हाँ ये भी सही है दीदी

इरफ़ान (मन में): तकिया डाल या हाथ, तड़पा मत, अपनी गांड के छेद के दर्शन करा दे

नज़मा ने अपना एक हाथ अपने नीचे दबा लिया| ऐसे करने से नज़मा की गांड थोड़ा ऊपर उठ गयी| नज़मा के चूतड़ों की दरार खुल गयी और इरफ़ान को नज़मा की गांड का गुलाबी छेद दिखाई देने लगा| इरफ़ान का मन किया की उस छेद को चाट ले, चुम ले, खा जाये| लेकिन इरफ़ान ने अपने आप पर कण्ट्रोल करते हुए अपने हाथ आगे बढ़ाये और अपनी एक ऊँगली नज़मा की गांड में घुसा दी|

नज़मा: आह भाई .....

इरफ़ान: कितना सुन्दर है ये दीदी, दिल करता है इसे देखता रहूं ...

नज़मा (धीरे से): देखते रहना, करना कुछ मत ...

इरफ़ान ने अपनी ऊँगली नज़मा की गांड में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी और अपने हाथ को थोड़ा घुमाया ताकि अपना अंगूठा नज़मा की चूत में डाल सके| जैसे ही इरफ़ान ने अपना अंगूठा नज़मा की चूत में डालने की कोशिश की तो उसे झटका लगा| नज़मा की तीन उँगलियाँ पहले से ही नज़मा की चूत की सेवा में लगी हुई थी|

इरफ़ान (मन में): बहुत चुदकड़ है, तकिया नहीं हाथ चाहिए, सही बात है, तकिये की उँगलियाँ थोड़ी होती हैं| जब इसे शर्म नहीं तो मैं क्यों चूतिया बन रहा हूँ|

इरफ़ान: दीदी, मैं थक गया ऐसे मालिश करते-२

इरफ़ान की ये बात सुनते ही नज़मा को गुस्सा आ गया| वो तुरंत पलटी और बोली|

नज़मा: चूतिया है क्या? अब यहाँ लाकर बोल रहा है की थक गया


इरफ़ान: कहाँ लाकर? क्या हुआ आपको, इतना गुस्सा क्यों कर रही हो मुझ पर?

नज़मा ने तभी अपने भाई के लंड की तरह देखा| हवा में लहराता सात इंच का मोटा लंड, लेस से चमकता हुआ, सूपड़ा ऐसा जैसे आलूबुखारा, अपने भाई के लंड को देख कर नज़मा का गला सुख गया|

नज़मा (मन में): ये तो अपना लंड निकाले बैठा है| मन तो इसका भी कर रहा है आगे बढ़ने का, फिर ये भाव क्यों खा रहा है? क्या प्लान है इसका?

नज़मा ने अपनी नज़रें बड़ी मुश्किल से इरफ़ान के लंड से हटा की इरफ़ान के चेहरे की तरफ देखा और थूक गटकते हुए बोली|

नज़मा: भाई-२, तू सुन तो, बुरा क्यों मान रहा है| मैं कह रही हूँ की मेरा दर्द ठीक होने वाला है, बस थोड़ी देर और मालिश कर दे ना| प्लीज-२

इरफ़ान: हाँ ... करता हुआ, लेकिन ऐसे नहीं, मैं अपने दोनों पैर आपके दोनों तरफ रख के आपके ऊपर आ जाता हूँ, ठीक है

नज़मा: प्यारा भाई मेरा, जैसे तू कहे लेकिन कुछ देर और, है ना .... आजा ... आजा ...

इरफ़ान (मन में): लंड देख लिया लेकिन ऐसे पेश आ रही है, जैसे कोई फरक नहीं पड़ता हो| पहले से चुदने को तैयार बैठी है| चढ़वा ले, चढ़वा ले अपने भाई को अपने ऊपर

नज़मा अपना पेटीकोट थोड़ा और ऊपर किया| नज़मा का पेटीकोट अब एक माला बन के नज़मा के गले में लिपटा हुआ था| नज़मा के गले में पेटीकोट की माला ऐसे लग रही थी जैसे किसी ने नज़मा को अपने भाई के सामने नंगे रहने के लिए सम्मान दिया हो| नज़मा फिर से उलटी लेट गयी| इरफ़ान अपनी बहन की जाँघों पे बैठ गया और दोनों हाथों से अपनी बहन से चूतड़ों को मसलने लगा| सब फिर से सेटल| नज़मा ने भी अपनी उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा दी और अपनी चूत घिसने लगी|

इरफ़ान ने एक दो मिनट इंतज़ार किया फिर वो थोड़ा ऊपर खिसक गया| अब इरफ़ान का लंड नज़मा की गांड के छेद को छू रहा था| इरफ़ान थोड़ा सा झुका और अपनी बहन के नीचे हाथ डाल के उसके दोनों बोबे पकड़ लिए| इरफ़ान अपनी उँगलियों और अंगूठे के बीच नज़मा के निप्पल उमेठ रहा था| साथ-२ इरफ़ान धीरे-२ ऊपर नीचे भी हो रहा था| हर धक्के के साथ इरफ़ान का लंड नज़मा की गांड को थोड़ा सा खोल देता था| बोल दोनों ही नहीं रहे थे लेकिन नज़मा की सिसकियों की आवाज़ कमरे में तेज होती जा रही थी|

इरफ़ान के लंड का लिसलिसा पानी नज़मा की गांड के छेद पर लग रहा था| अपने भाई के प्रीकम से और तेल से, नज़मा की गांड का छेद बिलकुल चिकना हो चूका था| इस बार जैसे ही इरफ़ान ने धक्का लगाया, उसका सूपाड़ा बहन की गांड में घुस गया|

नज़मा: ओह .... आह ..... भाई ...

नज़मा ने अब अपनी उँगलियों की तेजी बढ़ा दी| वो अपने ओर्गास्म पर पहुँचने वाली थी| अब हर धक्के से साथ इरफ़ान का सूपाड़ा नज़मा के गांड के छेद में घुस जाता था| इरफ़ान की हालत भी ख़राब होती जा रही थी| अचानक से नज़मा के शरीर से एक झटका खाया और नज़मा ने अपनी गांड हवा में कुछ ज़्यादा ही ऊपर उठा दी| इस बार इरफ़ान ने जैसे ही धक्का लगाया उसका आधा लंड नज़मा की गांड में घुस गया| नज़मा की गांड इतनी टाइट और गरम थी की ना चाहते हुए भी इरफ़ान अपने बदन को पीछे की बजाय आगे ही दबाता चला गया और अपनी बहन पर और झुकता चला गया|

इरफ़ान अपने लंड को पूरी ताकत से अपनी बहन की गांड पर दबा रहा था| उसका पूरा शरीर पसीने से लथपथ हो गया था| वो बहुत थक गया था लेकिन फिर भी उसने ज़ोर लगाना नहीं छोड़ा| धीरे-२ उसका पूरा लंड नज़मा की गांड में चला गया| इरफ़ान तब तक नहीं रुका जब तक उसका पूरा लंड नज़मा की गांड की गहराईयों में उतर नहीं गया|

अपने भाई के लंड को नज़मा अपनी गांड में घुसता हुआ महसूस कर रही थी| नज़मा को ऐसे लग रहा था की जैसे उसकी गांड फट जाएगी| उसकी गांड में बहुत तेज जलन हो रही थी, लेकिन जैसे-२ उसके भाई का लंड उसकी गांड में उतर रहा था, नज़मा को लग रहा था की जैसे आज वो पूरी हो गयी है| उसके ज़िन्दगी की खाली जगह को कोई भर रहा था|

इरफ़ान ने अपना लंड नज़मा की चूत में पूरा उतार दिया था और नज़मा पर लेट गया| उसका पूरा भार नज़मा पर था| इरफ़ान का सीना, नज़मा की पीठ से चिपक गया था| इसी के साथ नज़मा का शरीर कांपने लगा और उसकी चूत ने रस की बारिश चालू कर दी|

नज़मा: ooooooooooohhhhhhhhhhhhhhhhhhh ................... भाई ...................... aaaaaaaaaaaahhhhhhhhhh

नज़मा की चूत और गांड पानी छोड़ते हुए बुरी तरह से फूल रही थी और सिकुड़ रही थी| गांड का इस तरफ से सिकुड़ना और फूलना जैसे इरफ़ान के लंड को चूस रहा था, जैसे कोई ब्रैस्ट पंप बोबों से दूध चूसता है| ये सब इरफ़ान के बर्दास्त से बाहर था, इरफ़ान के लंड ने भी वीर्य फेकना शुरू कर दिया|

दोनों बहन भाई झड़ते हुए उलटे लेते हुए थे| इरफ़ान ने अपनी बहन को बुरी तरफ से जकड़ा हुआ था और नज़मा ने पलंग को| वो दोनों एक जिस्म, एक जान हो गए थे| दोनों बहुत थक चुके थे, लेकिन बहुत संतुष्ट भी थे| जाने कितनी देर तक वो ऐसे ही पड़े रहे| फिर इरफ़ान उठा और अपना पजामा और अंडरवियर उठा के वहां से अपने कमरे में चला गया| नज़मा उसी पोजीशन में नंगी ही नींद के आगोश में चली गयी|

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Re: नज़मा का कामुक सफर

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एक तरफ जहां नजमा की जिंदगी मस्ती के सागर में हिलोरे खा रही थी वहीं दूसरी तरफ परवीन आर्थिक तंगी और अपने पति के व्यवहार के कारण दिन-ब-दिन चिड़चिड़ी होती जा रही थी | परवीन और उसके पति, शहज़ाद, को चुदाई किये हुए एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका था| कई बार तो परवीन को ऐसा लगता था कि शायद उसी में कोई कमी है जिसकी वजह से शहज़ाद उसकी ओर देखता भी नहीं है|

आज भी देखने में परवीन बहुत ही सेक्सी लगती थी| उम्र के साथ-साथ उसके शरीर पर सही जगह पर सही मात्रा में मोटापा आ गया था| उसके बोबे और गांड पहले से बहुत ज़्यादा फूल गए थे| उसे बोबे 36 C साइज के थे और उसकी गांड बहुत ही जानमारू तरीके से बाहर निकली हुई थी| ऐसे मादक शरीर की औरत को तो दिन रात चुदाई की जरूरत होती है लेकिन प्रवीण जिंदगी में तो जुदाई थी ही नहीं| इस उम्र में उसे उंगली करना भी बड़ा अटपटा लगता था| इस वजह से परवीन बहुत परेशान और चिड़चिड़ी रहने लगी थी|

उस दिन नजमा बहुत देर तक सोती रही जब शाम को उठकर वह ड्राइंग रूम में आई तो उसने देखा कि उसकी मां सोफे पर बैठी कुछ पैकिंग कर रही थी| नजमा को देखकर परवीन बोली|

परवीन: उठ गई महारानी| कोई दिन में भी इतनी देर तक सोता है क्या?

नज़मा: क्या है मां? आपको तो बस बहाना चाहिए मुझे डांटने का|

नज़मा (मन में): जब देखो डांटना डांटना डांटना| खुद की जिंदगी तो झंड है ही, मेरी जिंदगी भी झंड करने में लगी रहती है|

परवीन: तुझे डांटू नहीं तो क्या करूं? पूजा करूं तेरी? काम की ना काज की, दुश्मन अनाज की|

नजमा: मां, आप तो मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो| अब यह पैकिंग क्यों कर रही हो?

परवीन: अरे मेरी जिंदगी में वैसे ही दुख कम है क्या? अब देख, तेरे मामा को हार्ट अटैक आया है| उनकी दुकान संभालने के लिए वहां कोई नहीं है| इसलिए मैं इमरान को कुछ दिनों के लिए गांव, मामा की दुकान संभालने के लिए भेज रही हूं|

यह सुनते ही नजमा के सारे सपने जैसे चूर चूर हो गए| नज़मा का मुंह उतर गया|

नजमा: यह तो बहुत बुरा हुआ| मां, क्या इमरान का गाना जरूरी है?

परवीन: हां जाना तो जरुरी है| जरूरत के समय में अगर तेरे मामा के हम नहीं काम आएंगे तो कौन काम आएगा? वैसे भी तेरे मामा का लड़का, सैफ, अभी बहुत छोटा है| वह अभी दुकान नहीं संभाल पाएगा|

नजमा: लेकिन माँ, इरफान की पढ़ाई का क्या होगा? भैया की पढ़ाई भी तो जरूरी है|

परवीन: पता है मुझे| ज्यादा ज्ञान मत दे मुझे| कौन सा पूरी जिंदगी के लिए भेज रही हूं| आ जाएगा दो-चार दिनों में|

नजमा: मां, मैं आपकी कोई मदद करूं?

परवीन: हां ऐसा कर अपने भाई के लिए दो तीन पराठे बना दे| रास्ते में अगर भूख लगी तो खा लेगा|

शाम को इरफान गांव के लिए निकल गया| रात को नजमा अपने बिस्तर पर लेती हुई थी| उसका मन बहुत भारी हो रहा था| कहां तो नजमा ने सोचा था कि वह इरफान के साथ अब खुलकर मस्ती करेगी और कहां दूसरी तरफ उसे फिर से अपनी उंगली से काम चलाना पड़ रहा था| इरफान के बारे में सोचते सोचते नजमा को नींद आ गयी| अगले दिन नजमा देर से उठी| उसका पिछवाड़े में जाने का मन नहीं हो रहा था, जाती भी किसलिए, नहाती भी किस लिए, आज तो कोई देखने वाला भी तो नहीं था| फिर भी नजमा भारी कदमों से उठी और पिछवाड़े में जाकर नंगी ही नहाने लगी| नजमा नहा रही थी की अचानक से उसे लगा कि कोई उसके पीछे खड़ा है| उसने मुड़कर देखा तो उसके पापा उसे नहाते हुए घूर रहे थे| नजमा पहले तो अपने पापा को खड़ा देखकर घबरा गई लेकिन अगले ही पल उसे अपने पापा की नज़रें समझ आ गयी| अब वो वासना से भरी इन निगाहों को अच्छे से पहचानती थी|

नजमा: पापा, आप कब आए?

शहजाद: बेटी, मैं तो अभी आया हूँ लेकिन पहले से बता की तू पूरी तरह से नंगी होकर क्यों नहा रही है?

नज़मा: पापा .... वो .... वो मम्मी ने कहा है, ऐसे नहाने के लिए ... और कहा है की अगर मैं उनकी बात नहीं मानूगी तो वो मुझे बहुत मारेंगी

शहजाद: पागल हो गई है यह औरत| अजीब बातें करती है| मैं बात करूँगा उससे|

नज़मा: रहने दो पापा| अगर आप मां से बात करोगे तो मां बाद में मुझे भी डाँटेंगी| वैसे भी इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है? यहां आप ही तो हैं| आप तो पापा है मेरे| आप से क्या शर्माना?

नजमा की यह बात सुनकर शहजाद हैरान रह गया|

शहजाद(मन में): तो क्या नजमा को मेरे सामने ऐसे नंगे रहने में कोई दिक्कत नहीं है? चल क्या रहा है ये माँ बेटी के बीच? कहीं नज़मा की जवानी तो फूट फूट के बाहर आने को मचल तो नहीं रही? क्या बात है, अल्लाह सुन ले तूने मेरी| क्या बुराई है अगर मैं अपनी बेटी की थोड़ी मदद कर दूँ| वैसे भी कहते ही हैं की जो पेड़ लगता है, पहला हक़ भी उसी का| लेकिन हो सकता है की मेरा अंदाज़ा गलत हो| लेकिन ये मौका छोड़ भी तो नहीं सकते| बड़े ध्यान से कदम बढ़ाना पड़ेगा|

शहजाद: ठीक है, बेटी जैसे तुम कहो, नहीं करूँगा तुम्हारी माँ से बात| वैसे भी तुम ठीक कह रही हो, यहाँ कोनसा कोई बाहर वाला है| अब तुम नहाओ, मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है|
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Re: नज़मा का कामुक सफर

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