कामिनी की कामुक गाथा

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SATISH
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Re: कामिनी की कामुक गाथा

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पार्क से बाहर ज्यों ही हम निकले, टैक्सी ड्राइवर बड़ी बेसब्री से इंतजार करता मिला। “बहुत देर कर दी आप लोगों ने?” उसने पूछा। “हां थोड़ी देर हो गई, अब चलो वापस घर” मैं बोली। अभी की घटना से सभी का मूड खराब हो चुका था मगर कई सारी चीजें स्पष्ट हो गयीं थीं। हमारा रिश्ता अब थोड़ा पहले से और अच्छा हो गया था जिसमें हमने एक दूसरे को और अच्छी तरह समझा।
मैं उस वक्त एक और योजना को कार्यरूप देने जा रही थी और वह थी आज की मेरी अधूरी प्यास बुझाने की, वह भी बूढ़े टैक्सी ड्राइवर को “शुक्रिया अदा करने” के रूप में।
घर पहुंचते पहुंचते संध्या 6:30 बज रहा था। मैं ने टैक्सी ड्राइवर को रुकने का इशारा किया और बूढ़े आशिकों को घर छोड़ कर मम्मी को बोली, “मां मैं रीना से मिल कर आती हूं” और धड़कते दिल से वापस टैक्सी में ठीक ड्राईवर के बगल वाली सीट पर बैठी। मैं ने कनखियों से देखा कि बह सिर्फ कुर्ते पजामे में था। उत्तेजना उस ड्राइवर के चेहरे पर साफ परिलक्षित हो रहा था। उत्तेजना के मारे उसका पजामा शनै: शनै: विशाल तंबू में परिणत हो रहा था।
“हां अब चलिए जी।” मैं बोली।
“कहां बिटिया?” ड्राईवर जानबूझ कर अनजान बन रहा था। “धत, अब ये भी मैं बताऊं” मैं ने बड़े मादक अंदाज में ठसके से कहा। “ओह, चलिए मेरे गरीबखाने में, पास ही है।” कहते हुए उसकी आंखें चमकने लगी। 5 मिनटों बाद टैक्सी एक छोटे से पक्के मकान के सामने खड़ी थी। घर की छत एस्बेस्टस की थी। दरवाजा पुराना और जर्जर हो चुका था। ड्राईवर छरहरे जिस्म का करीब 6 फुट 8 इंच लंबा, लंबी सफेद दाढ़ी, लंबोतरा चेहरा और तोते जैसी नाक। आगे बढ़ा और ताला खोलकर दरवाजा ठेला तो चर्र की आवाज से खुला। मुझे अंदर बुलाया और झट से दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। दो छोटे छोटे कमरे, एक किचन और पीछे एक टायलेट, यही था घर, गंदा, बदबूदार, अस्त व्यस्त, एक कमरे में वर्षों पुराना गंदा सा सोफा सेट और दूसरे कमरे में एक सिंगल बेड, जिस पर सलवटों भरी गंदी सी चादर। मुझे उसी बिस्तर पर बैठने को बोला और खुद बगल में बैठ गया और बोला “बिटिया तुमने मेरे गरीबखाने में पधार कर मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है। मैं और तुम जानते हैं कि अब हमारे बीच क्या होने वाला है। दस साल पहले मेरी घरवाली के जन्नतनशीं होने के बाद से आजतक मैं ने किसी जनानी को हाथ नहीं लगाया है। आज इतने सालों बाद तुम जैसी कमसिन नाजुक खूबसूरत अप्सरा इस तरह मेरे पास आएगी यह मेरे ख्वाब में भी नहीं था। अब हमारे बीच जो होने वाला है उसमें अगर तुम्हें कुछ बुरा लगे तो बता देना।”
“हाय राम मुझे बुरा क्यों लगेगा भला। मैं अपनी मर्जी से आई हूं ना, फिर जो होगा उसे तो भुगतना तो होगा ही ना। आप चिंता मत कीजिए, जो मेरे साथ करना है बिंदास कर सकते हैं जी।” मैं ने उसका हौसला बढ़ाया।
फिर क्या था वह बूढ़ा आव देखा ना ताव, पल भर में मुझे मादरजात नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। गजब का लंड था उसका। मुसलमान होने के कारण खतना किया हुआ लंड, सामने बड़ा सा गुलाबी टेनिस बॉल सरीखा बड़ा सा सुपाड़ा, भयानक, करीब करीब ८” लंबा और 2″ मोटा, नाग जैसा काला, फनफना रहा था। उसके लंबे छरहरे शरीर पर कोई बाल नही था, केवल लंड के ऊपर हल्के सफेद झांट।
उसने कोई भूमिका नहीं बांधी और सीधे मुद्दे पर आया। पहले मेरी चूचियों को वहशियाना ढंग से दबाता गया और जब मेरी चूत पनिया गई, मेरे पैरों को फैला कर बेड के किनारे तक खींचा और कमर से नीचे का हिस्सा बेड से बाहर करके हवा में उठा दिया और अपना सुपाड़ा मेरी चुदासी दपदपाती पनियायी चिकनी बुर के द्वार पर टिकाया। मेरे सारे शरीर में अपनी चूत पर इतने बड़े सुपाड़े के स्पर्श से दहशत भरी झुरझुरी दौड़ गई। फिर एक करारा ठाप लगा दिया जालिम दढ़ियल नें। इतना बड़ा सुपाड़ा मेरी बुर का मुंह चीरता हुआ अन्दर पैबस्त हो गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल पड़ी। “आ्आ्आह मर गई”।
“चुप कर बुर चोदी, मुझे बहुत तरसाई हो, अब खुद चुदने आई और चिल्ला रही है। टैक्सी की पिछली सीट पर बैठी खूब मज़ा ले रही थी ना बूढ़ों से, मुझे सब पता है, मुझ पर ज़रा सा भी रहम नहीं आया ना, अब चिल्ला मत कुतिया, थोड़ा सब्र कर फिर देख कितना मज़ा देता हूं।” कहता हुआ फिर एक जबरदस्त प्रहार से पूरा का पूरा लौड़ा जड़ तक अन्दर पेल दिया।”उह्ह्ह” “ओह मार डाला रे अम्मा ऊऊऊऊऊऊऊऊ” मैं तड़प उठी। लन्ड का सुपारा मेरे गर्भाशय तक का रास्ता फैलाता हुआ घुसा और गर्भाशय का द्वार पूरा खोल कर अंदर प्रवेश कर गया। उफ्फ वह अहसास, दर्द भी और अपनी संपूर्णता का भी। हंसूं या रोऊं। मैं ने अपने मन को कठोर किया और आगे जो होने वाला था उसे झेलने को तत्पर हो गई। कुछ देर उसी स्थिति में हम दोनों स्थिर रहे फिर आहिस्ते आहिस्ते रहीम चाचा नें लंड बाहर निकाला, ऐसा लग रहा था मानो सुपाड़े से फंसकर मेरा गर्भाशय भी बाहर आरहा हो। खैर जैसे ही लंड बाहर आया मेरी जान में जान आई। फिर तो मानों क़यामत बरपा दिया उस बुड्ढे नें। दुबारा बेरहमी से लंड घुसेड़ दिया। “आ्आ्आह ओह” करती रही और वह जालिम मेरी चूत का भुर्ता बनाने लगा।
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SATISH
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पार्क से बाहर ज्यों ही हम निकले, टैक्सी ड्राइवर बड़ी बेसब्री से इंतजार करता मिला। “बहुत देर कर दी आप लोगों ने?” उसने पूछा। “हां थोड़ी देर हो गई, अब चलो वापस घर” मैं बोली। अभी की घटना से सभी का मूड खराब हो चुका था मगर कई सारी चीजें स्पष्ट हो गयीं थीं। हमारा रिश्ता अब थोड़ा पहले से और अच्छा हो गया था जिसमें हमने एक दूसरे को और अच्छी तरह समझा।
मैं उस वक्त एक और योजना को कार्यरूप देने जा रही थी और वह थी आज की मेरी अधूरी प्यास बुझाने की, वह भी बूढ़े टैक्सी ड्राइवर को “शुक्रिया अदा करने” के रूप में।
घर पहुंचते पहुंचते संध्या 6:30 बज रहा था। मैं ने टैक्सी ड्राइवर को रुकने का इशारा किया और बूढ़े आशिकों को घर छोड़ कर मम्मी को बोली, “मां मैं रीना से मिल कर आती हूं” और धड़कते दिल से वापस टैक्सी में ठीक ड्राईवर के बगल वाली सीट पर बैठी। मैं ने कनखियों से देखा कि बह सिर्फ कुर्ते पजामे में था। उत्तेजना उस ड्राइवर के चेहरे पर साफ परिलक्षित हो रहा था। उत्तेजना के मारे उसका पजामा शनै: शनै: विशाल तंबू में परिणत हो रहा था।
“हां अब चलिए जी।” मैं बोली।
“कहां बिटिया?” ड्राईवर जानबूझ कर अनजान बन रहा था। “धत, अब ये भी मैं बताऊं” मैं ने बड़े मादक अंदाज में ठसके से कहा। “ओह, चलिए मेरे गरीबखाने में, पास ही है।” कहते हुए उसकी आंखें चमकने लगी। 5 मिनटों बाद टैक्सी एक छोटे से पक्के मकान के सामने खड़ी थी। घर की छत एस्बेस्टस की थी। दरवाजा पुराना और जर्जर हो चुका था। ड्राईवर छरहरे जिस्म का करीब 6 फुट 8 इंच लंबा, लंबी सफेद दाढ़ी, लंबोतरा चेहरा और तोते जैसी नाक। आगे बढ़ा और ताला खोलकर दरवाजा ठेला तो चर्र की आवाज से खुला। मुझे अंदर बुलाया और झट से दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। दो छोटे छोटे कमरे, एक किचन और पीछे एक टायलेट, यही था घर, गंदा, बदबूदार, अस्त व्यस्त, एक कमरे में वर्षों पुराना गंदा सा सोफा सेट और दूसरे कमरे में एक सिंगल बेड, जिस पर सलवटों भरी गंदी सी चादर। मुझे उसी बिस्तर पर बैठने को बोला और खुद बगल में बैठ गया और बोला “बिटिया तुमने मेरे गरीबखाने में पधार कर मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है। मैं और तुम जानते हैं कि अब हमारे बीच क्या होने वाला है। दस साल पहले मेरी घरवाली के जन्नतनशीं होने के बाद से आजतक मैं ने किसी जनानी को हाथ नहीं लगाया है। आज इतने सालों बाद तुम जैसी कमसिन नाजुक खूबसूरत अप्सरा इस तरह मेरे पास आएगी यह मेरे ख्वाब में भी नहीं था। अब हमारे बीच जो होने वाला है उसमें अगर तुम्हें कुछ बुरा लगे तो बता देना।”
“हाय राम मुझे बुरा क्यों लगेगा भला। मैं अपनी मर्जी से आई हूं ना, फिर जो होगा उसे तो भुगतना तो होगा ही ना। आप चिंता मत कीजिए, जो मेरे साथ करना है बिंदास कर सकते हैं जी।” मैं ने उसका हौसला बढ़ाया।
फिर क्या था वह बूढ़ा आव देखा ना ताव, पल भर में मुझे मादरजात नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। गजब का लंड था उसका। मुसलमान होने के कारण खतना किया हुआ लंड, सामने बड़ा सा गुलाबी टेनिस बॉल सरीखा बड़ा सा सुपाड़ा, भयानक, करीब करीब ८” लंबा और 2″ मोटा, नाग जैसा काला, फनफना रहा था। उसके लंबे छरहरे शरीर पर कोई बाल नही था, केवल लंड के ऊपर हल्के सफेद झांट।
उसने कोई भूमिका नहीं बांधी और सीधे मुद्दे पर आया। पहले मेरी चूचियों को वहशियाना ढंग से दबाता गया और जब मेरी चूत पनिया गई, मेरे पैरों को फैला कर बेड के किनारे तक खींचा और कमर से नीचे का हिस्सा बेड से बाहर करके हवा में उठा दिया और अपना सुपाड़ा मेरी चुदासी दपदपाती पनियायी चिकनी बुर के द्वार पर टिकाया। मेरे सारे शरीर में अपनी चूत पर इतने बड़े सुपाड़े के स्पर्श से दहशत भरी झुरझुरी दौड़ गई। फिर एक करारा ठाप लगा दिया जालिम दढ़ियल नें। इतना बड़ा सुपाड़ा मेरी बुर का मुंह चीरता हुआ अन्दर पैबस्त हो गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल पड़ी। “आ्आ्आह मर गई”।
“चुप कर बुर चोदी, मुझे बहुत तरसाई हो, अब खुद चुदने आई और चिल्ला रही है। टैक्सी की पिछली सीट पर बैठी खूब मज़ा ले रही थी ना बूढ़ों से, मुझे सब पता है, मुझ पर ज़रा सा भी रहम नहीं आया ना, अब चिल्ला मत कुतिया, थोड़ा सब्र कर फिर देख कितना मज़ा देता हूं।” कहता हुआ फिर एक जबरदस्त प्रहार से पूरा का पूरा लौड़ा जड़ तक अन्दर पेल दिया।”उह्ह्ह” “ओह मार डाला रे अम्मा ऊऊऊऊऊऊऊऊ” मैं तड़प उठी। लन्ड का सुपारा मेरे गर्भाशय तक का रास्ता फैलाता हुआ घुसा और गर्भाशय का द्वार पूरा खोल कर अंदर प्रवेश कर गया। उफ्फ वह अहसास, दर्द भी और अपनी संपूर्णता का भी। हंसूं या रोऊं। मैं ने अपने मन को कठोर किया और आगे जो होने वाला था उसे झेलने को तत्पर हो गई। कुछ देर उसी स्थिति में हम दोनों स्थिर रहे फिर आहिस्ते आहिस्ते रहीम चाचा नें लंड बाहर निकाला, ऐसा लग रहा था मानो सुपाड़े से फंसकर मेरा गर्भाशय भी बाहर आरहा हो। खैर जैसे ही लंड बाहर आया मेरी जान में जान आई। फिर तो मानों क़यामत बरपा दिया उस बुड्ढे नें। दुबारा बेरहमी से लंड घुसेड़ दिया। “आ्आ्आह ओह” करती रही और वह जालिम मेरी चूत का भुर्ता बनाने लगा।
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rajaarkey
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Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by rajaarkey »

मस्ती से भरपूर कहानी चल रही है दोस्त

😱 😱 😱
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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007
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Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by 007 »

(^^^-1$i7) update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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