कामवाली की मस्त बहु

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SID4YOU
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Re: कामवाली की मस्त बहु

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उसके बाद माला अगले पाँच मिनट तक मेरे ऊपर लेटी रही और अपने ठोस एवम् सख्त उरोज और चूचुक मेरे सीने में चुभाती रही तथा मैं उसकी पीठ एवम् नितम्बों को सहलाता एवम् मसलता रहा.
पाँच मिनट के बाद उसने मेरे ऊपर उठ कर बैठ कर अपने कूल्हों को हिलाया और जब मेरा लिंग उसकी योनि के अन्दर ठीक से सेट ही गया तब वह उचक उचक कर उसे योनि के अन्दर बाहर करने लगी.
पाँच मिनट तक वह आहिस्ता आहिस्ता ऐसा करती रही और फिर उसके बाद वह बहुत तेज़ी से उछल उछल कर संसर्ग करने लगी.

माला को ऊपर बैठ कर संसर्ग करते हुए अभी दस मिनट ही हुए थे कि उसका शरीर अकड़ गया तथा उसकी योनि में बहुत तेज़ संकुचन हुआ और वह सीत्कार मारते हुए मेरे ऊपर लेट गई.
पसीने से भीग रही माला हाँफते हुए बोली- बस, मैं थक गई हूँ और नहीं कर सकती. अब आप ही ऊपर आ जाइये.

उसकी बात सुन कर मैंने करवट ली और उसे अपने नीचे लिटा लिया और खुद ऊपर चढ़ कर संसर्ग करने लगा. क्योंकि माला की योनि ने अभी तक मेरे लिंग को जकड़ रखा था इसलिए मुझे उसे अन्दर बाहर करने में बहुत अधिक रगड़ लग रही थी.
मैंने माला से कहा- तुम्हारी योनि बहुत कसी हुई है जिससे मुझे संसर्ग करने में काफी दिक्कत हो रही है. थोड़ा ढीली करो ताकि मैं अन्दर बाहर कर सकूं.
मेरी बात सुन कर उसने कहा- मेरी कसी हुई नहीं है बल्कि आपका बहुत फूला हुआ है.

मैंने माला की बात सुन कर जब अपने लिंग को उसकी योनि में से थोड़ा निकाल कर देखा तो वह सचमुच में बहुत फूला हुआ दिखाई दिया.
मैंने उसी हालत में संसर्ग शुरू किया और इस डर से की मेरा शीघ्रपतन न हो जाए मैं आठ-दस धक्के मारने के बाद रुक जाता.
मेरे द्वारा पाँच-छह बार ऐसा करने पर माला ने जो की काफी देर से सिसकारियाँ ले रही थी एक जोर की सीत्कार मारी और उसकी योनि में से गर्म गर्म रस का रिसाव हो गया.
उस रस स्त्राव से माला की योनि में बहुत चिकनापन हो गया जिससे मेरे लिंग पर कम रगड़ लगने लगी और मैं बहुत सहजता से तेज संसर्ग करने लगा.

अगले पन्द्रह मिनट तक मैंने बहुत तेज़ी से धक्के लगाते हुए संसर्ग किया और इस दौरान माला ने तीन बार बहुत जोर से सीत्कार ली तथा उसकी योनि में से रस का स्त्राव हुआ.
इसके बाद मैंने अत्यंत तीव्रता से धक्के लगाये जिस कारण योनि लिंग के संसर्ग से निकली फच.. फच.. की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी.
माला उस आवाज़ को सुन कर अत्यंत उत्तेजित हो गई और अपने कूल्हे उठा उठा कर मेरे हर धक्के का उत्तर देते हुए मेरा साथ देने लगी.

पाँच मिनट की इस अत्यंत तीव्र क्रिया के बाद उसने मुझे बहुत ही जोर से अपनी बाजुओं में जकड़ लिया और अपने हाथों के नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए. मैंने उसके नाखूनों की चुभन को सहते हुए उसी तीव्रता से संसर्ग करता रहा और कुछ ही क्षणों में माला ने बहुत ही ऊँची आवाज़ में एक लम्बी चीत्कार मारते हुए मेरी कूल्हे एवम् कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया.
उसी अत्यंत उत्तेजित स्थिति में माला की योनि में बहुत ज़बरदस्त सिकुड़न हुई और उसमें से निकलने वाले रस के लावा मेरे लिंग को गर्मी पहुँचाने लगा.

उस गर्मी के मिलते ही मेरे लिंग ने उस योनि रस के लावा को ठंडा करने के लिए वीर्य रस की बौछार कर दी. कुछ ही क्षणों में मेरे लिंग से वीर्य रस का इतना विसर्जन हुआ कि उससे माला की योनि पूरी भर गई तथा वह उमसे से रस बाहर निकल कर बहने लगा.
पैंतीस-चालीस मिनट के इस घमासान संसर्ग में हम दोनों पसीने से भीग गए थे और हमारी सांसें फूल गई थी इसलिए अगले दस मिनट तक हम उसी तरह एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे.

इन दस मिनट में माला ने मुझे गालों एवम् होंठों पर लगभग कई बार चूमा और कहा- साहिब, आप में बहुत सहन-शक्ति है. मैंने अब तक के जीवन में पहली बार इतनी देर यौन संसर्ग किया और कई बार स्खलित भी हुई हूँ. मेरे पति तो तीन से पाँच मिनट में निपट जाते है. वह खुद तो स्खलित हो जाते थे लेकिन उन्होंने मुझे एक बार क्या, कभी भी स्खलित नहीं किया था.
उसकी बात सुन कर मैं उसके ऊपर से उठते हुए बोला- तुम्हें तो बिल्कुल नया और बहुत अच्छा अनुभव मिला होगा. क्या तुम्हें आनन्द एवम् संतुष्टि मिली या नहीं?

माला भी उठते हुए बोली- हाँ, यह पहली बार है जो मुझे बहुत अच्छा एवम् एकदम नया अनुभव मिला है और साथ में आनन्द और संतुष्टि किसे कहते है यह भी पता चल गया है. लेकिन एक शिकायत यह है कि आपका लिंग बहुत लम्बा है और जब वह मेरी गर्भाशय की दीवार से टकराता है तो मेरे जिस्म में एक झुरझुरी सी उठती है जिससे पूरे शरीर हलचल मच जाती थी. क्योंकि ऐसा मुझे पहली बार महसूस हुआ है इसलिए मैं नहीं जानती कि उस झुरझुरी एवम् हलचल को क्या कहूँ आनन्द या संतुष्टि या फिर दोनों?
मैंने चुटकी लेते हुए मुस्करा कर माला से कहा- ऐसा करो, इसके बारे में अम्मा जी से पूछ लो.
माला मेरी बात सुन कर हंसते हुए बोली- धत, क्या कोई लड़की अपनी सास सेऐसी बातें पूछती है?

इसके बाद हम दोनों बाथरूम में घुस गए और अपने गुप्तांगों को साफ़ कर के फिर बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर सो गए.

कामवाली की चुदाई कहानी जारी रहेगी.
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SID4YOU
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Re: कामवाली की मस्त बहु

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😥 😆
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SID4YOU
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Re: कामवाली की मस्त बहु

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रात में कामवाली की युवा बहू के साथ सेक्स के बाद हम दोनों सो गए थे.
अब आगे:
उस दिन सुबह आठ बजे मेरी नींद खुली तो देखा नग्न माला मेरी ओर करवट किये मेरी बाएं बाजू पर सिर रखे सो रही थी और उसके दोनों उरोज मेरे सीने से चिपके हुए थे. उसका बायाँ बाजू मेरे कंधे के ऊपर से मेरी पीठ पर था तथा उसने उससे मुझे जकड़ा हुआ था और उसका दायाँ बाजू हम दोनों के बीच में था तथा उसका वह हाथ मेरे लिंग पर रखा हुआ था. उसकी दाईं टाँग बिल्कुल सीधी मेरी बाईं टाँग से चिपकी हुई थी तथा उसकी बाईं टाँग मुड़ी हुई थी और उसका घुटना मेरी दोनों टांगों के बीच में था.

उसका चेहरा सुबह की रोशनी में चमक रहा था तथा उस पर एक अबोध बच्चे के जैसी मासूमियत थी जिसे मैं बिना हिले डुले चुपचाप निहारते हुए बीती रात के प्रसंग के बारे सोचने लगा.
रात के प्रसंग के बारे में सोचते ही मेरे लिंग में चेतना आने लगी और पूरे शरीर में एक रोमांच की लहरें उठने लगी.

कहते हैं कि उत्तर पश्चिम यूरोप के एक देश में हुए शोध से पता चला है कि पुरुष के लिंग को पूर्ण चेतना में लाने के लिए किसी भी स्त्री को अधिक से अधिक दस सेकंड ही लगते हैं.
लेकिन मेरा लिंग तो बिना किसी स्त्री की सहायता लिए, सिर्फ उसके साथ किये संसर्ग के बारे में सोचने से ही सात सेकंड में उस स्थिति में पहुँच गया.

इससे पहले मैं कोई अगला कदम उठता मुझे मेरे लिंग पर माला के हाथ का दबाव महसूस हुआ और मैंने गर्दन नीची करके उसे देखा तो वह जाग गई थी और मंद मंद मुस्करा रही थी. मेरी गर्दन नीचे झुकने से जैसे ही मेरा चेहरा उसके पास आया उसने अपना सिर ऊँचा करते हुए मेरे होंठों को चूम मुझे कस कर जकड़ लिया.
प्रत्युत्तर में मैंने भी उसे अपनी बांहों में इतनी जोर से भींचा कि उसकी सीत्कार निकल गई और उसके उरोज मेरे सीने में गड़ने से उसे पीड़ा का अनुभव हुआ.

माला की सीत्कार सुन कर मैंने जैसे ही अपनी पकड़ ढीली की, उसने मुझे हल्का धक्का दे कर सीधा किया और मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई. मैं तुरंत उसके दोनों उरोजों को हाथों से सहलाने लगा और उनकी चूचुक को उंगलियों एवम् अंगूठे के बीच में लेकर मसलने लगा.
मेरा ऐसे करते ही जब उसके शरीर में उत्तेजना की लहरें दौड़ने लगी तब वह थोड़ा पीछे हो कर मेरी जाँघों पर बैठते हुए मेरे लिंग को पकड़ कर सहलाने तथा हिलाने लगी.

जब मैंने अपने एक हाथ को उसके उरोज से हटा कर उसकी जाँघों के बीच में डाल कर उसके भगांकुर को सहलाने लगा तब वह उचक पड़ी. उसने तुरंत पलटी होकर मेरे लिंग को अपने मुंह में भर लिया और अपनी योनि को मेरे मुंह के आगे कर दिया.
मैंने उसका न्योता स्वीकार किया और अपने दोनों हाथों से उसके नितम्बों को पकड़ कर उसे नीचे खींच कर उसकी योनि पर अपना मुंह गाड़ दिया.

जैसे ही मेरी जीभ उसके भगांकुर को छूती, माला का शरीर में कंपकंपी की लहर दौड़ जाती और वह अपनी योनि को मेरे मुंह पर दबा देती. उसके ऐसा करते ही मैं अपनी जीभ को उसकी योनि के डाल देता और उसके अन्दर घुमा कर उसकी उत्तेजना की आग में घी डालने का काम करता.

जब माला के मुंह से सिसकारियाँ निकलती, तब मेरी उत्तेजना बढ़ जाती और उसके मुंह में मेरा लिंग-मुंड फूल जाता जिस से उसकी आवाज़ निकलना बंद हो जाती.

दस मिनट तक इस युगल पूर्व क्रिया करते हुए जब हम बहुत उत्तेजित हो गए तब मैंने माला को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और एक ही झटके में अपने लोहे जैसे सख्त लिंग को उसकी सिकुड़ी हुई योनि में घुसेड़ दिया.
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