Adultery * * * * *पाप (30 कहानियां) * * * * *
- SATISH
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excellent story mind blowing hot & sexy please continue
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- rajaarkey
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साथ बने रहने के लिए शुक्रिया दोस्तो
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- rajaarkey
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* * * * * सफेद लिबास * * * * *
26 सफेद लिबास
रास्ता भूल गये हैं क्या साहब?” आवाज सुनकर मैं पलटा।
वो एक छोटे से कद की लड़की थी, मुश्किल से 5 फुट, रंग सावला और आम सी शकल सूरत। देखने में उसमें कोई भी खास बात नहीं थी जो एक लड़के को पसंद आए। उसने एक सफेद रंग की सलवार कमीज पहन रखी थीं।
मुझे अपनी तरफ ऐसे देखते पाया तो हँस पड़ी।
“मैं यहीं रहती हैं, वो वहाँ पर मेरा घर है...” हाथ से उसने पहाड़ के ढलान पर बने एक घर की तरफ इशारा किया *अक्सर शहर से लोग आते हैं और यहाँ रास्ता भूल जाया करते हैं। गेस्ट हाउस जाना है ना आपने?”
हाँ... पर यहाँ सब रास्ते एक जैसे ही लग रहे हैं। समझ में ही नहीं आता की कौन से पहाड़ पर चढ़े और किससे नीचे उतर जाऊ?” मैंने भी हँसी में उसका साथ देते हुए कहा।
मैं देल्ही से सरकारी काम से आया था। पेशे से मैं एक फोटोग्राफर हूँ और कई दिन से अफवाह सुनने में आ रही थी की यहाँ जंगल में एक 10 फुट का कोबरा देखा गया है। इतना बड़ा कोबरा हो सकता है इस बात पर यकीन करना ही जरा मुश्किल था पर जब बार बार कई लोगों ने ऐसा कहा तो मगजीन वालों ने मुझे यहाँ भेज दिया। था की मैं आकर पता करूं और अगर ऐसा साँप है तो उसकी तस्वीरें निकालँ।।
उत्तरकाशी तक मेरी ट्रिप काफी आसान रही। देल्ही से मैं अपनी गाड़ी में आया था जो मैंने उत्तरकाशी छोड़ दी थी क्योंकी वहां से उस गाव तक जहाँ साँप देखा गया था, का रास्ता पैदल था। कोई सड़क नहीं थी, बस एक ट्रैक थी जिसपर पैदल ही चलना था। मुझे बताया गया था की वहाँ पर एक सरकारी गेस्ट हाउस भी है क्योंकी कुछ सरकारी आफिसर्स वहाँ अक्सर छुट्टियां मानने आया करते थे।
मैं गाव पहुँचा तो गाव के नाम पर बस 10-15 घर ही दिखाई दिए और वो भी इतनी दूर दूर की एक घर से दूसरे घर तक जाने का मतलब एक पहाड़ से उतरकर दूसरे पहाड़ पर चढ़ना। ऐसे में मैं गेस्ट हाउस ढूँढता फिर ही रहा था की मुझे वो लड़की मिल गई। यूँ तो उसमें कोई भी खास बात नहीं थी पर फिर भी कुछ ऐसा था जो फौरन उसकी तरफ आकर्षित करता था।
उसके सफेद रंग के कपड़े गंदे थे, बाल उलझे हए, और देखकर लगता था की वो शायद कई दिन से नहाई भी नहीं थी।
आइए मैं आपको गेस्ट हाउस तक छोड़ दें..."
और तब मैंने पहली बार उसकी आँखों में देखा। नीले रंग की बेहद खूबसूरत आँखें। ऐसी की इंसान एक पल आँखों में आँखें डालकर देख ले तो बस वहीं खोकर रह जाए। वो मेरे आगे आगे चल पड़ी। शाम ढल रही थी और दूर हिमालय के पहाड़ों पर सूरज की लाली फैल रही थी।
चारों तरफ पहाड़, नीचे वादियों में उतरे बदल, आसमान में हल्की लाली, लगता था की अगर जन्नत कहीं है तो बस यहीं हैं।
ये है गेस्ट हाउस...” कुछ दूर तक उसके पीछे चलने के बाद वो मुझे एक पुराने बड़े से बंगलो तक ले आई।
बैंक यू..” कहकर मैंने अपना पर्स निकाला और उसे कुछ पैसे देने चाहे। वो देखने में ही काफी गरीब सी लग रही थी और मुझे लगा की वो शायद कुछ पैसों के लिए मुझे रास्ता दिखा रही थी। मेरे हाथ में पैसे देखकर उसको शायद बुरा लगा।
मैंने ये पैसे के लिए नहीं किया था..." और वो खूबसूरत नीली सी आँखें उदास हो गई। ऐसा लगा जैसे मेरे चारों तरफ की पूरी कायनत उदास हो गई थी।
आई आम सारी...” मैंने फौरन पैसे वापिस अपनी जेब में रखे- “मुझे लगा था के...”
कोई बात नहीं... उसने मुश्कुरा कर मेरी बात काट दी।
मैं गेस्ट हाउस में दाखिल हुआ। मैंने अंदर खड़ा देख ही रहा था की वहाँ का बुद्धा केयरटेकर एक कमरे से बाहर निकला।
रास्ता भूल गये हैं क्या साहब?” आवाज सुनकर मैं पलटा।
वो एक छोटे से कद की लड़की थी, मुश्किल से 5 फुट, रंग सावला और आम सी शकल सूरत। देखने में उसमें कोई भी खास बात नहीं थी जो एक लड़के को पसंद आए। उसने एक सफेद रंग की सलवार कमीज पहन रखी थीं।
मुझे अपनी तरफ ऐसे देखते पाया तो हँस पड़ी।
“मैं यहीं रहती हैं, वो वहाँ पर मेरा घर है...” हाथ से उसने पहाड़ के ढलान पर बने एक घर की तरफ इशारा किया *अक्सर शहर से लोग आते हैं और यहाँ रास्ता भूल जाया करते हैं। गेस्ट हाउस जाना है ना आपने?”
हाँ... पर यहाँ सब रास्ते एक जैसे ही लग रहे हैं। समझ में ही नहीं आता की कौन से पहाड़ पर चढ़े और किससे नीचे उतर जाऊ?” मैंने भी हँसी में उसका साथ देते हुए कहा।
मैं देल्ही से सरकारी काम से आया था। पेशे से मैं एक फोटोग्राफर हूँ और कई दिन से अफवाह सुनने में आ रही थी की यहाँ जंगल में एक 10 फुट का कोबरा देखा गया है। इतना बड़ा कोबरा हो सकता है इस बात पर यकीन करना ही जरा मुश्किल था पर जब बार बार कई लोगों ने ऐसा कहा तो मगजीन वालों ने मुझे यहाँ भेज दिया। था की मैं आकर पता करूं और अगर ऐसा साँप है तो उसकी तस्वीरें निकालँ।।
उत्तरकाशी तक मेरी ट्रिप काफी आसान रही। देल्ही से मैं अपनी गाड़ी में आया था जो मैंने उत्तरकाशी छोड़ दी थी क्योंकी वहां से उस गाव तक जहाँ साँप देखा गया था, का रास्ता पैदल था। कोई सड़क नहीं थी, बस एक ट्रैक थी जिसपर पैदल ही चलना था। मुझे बताया गया था की वहाँ पर एक सरकारी गेस्ट हाउस भी है क्योंकी कुछ सरकारी आफिसर्स वहाँ अक्सर छुट्टियां मानने आया करते थे।
मैं गाव पहुँचा तो गाव के नाम पर बस 10-15 घर ही दिखाई दिए और वो भी इतनी दूर दूर की एक घर से दूसरे घर तक जाने का मतलब एक पहाड़ से उतरकर दूसरे पहाड़ पर चढ़ना। ऐसे में मैं गेस्ट हाउस ढूँढता फिर ही रहा था की मुझे वो लड़की मिल गई। यूँ तो उसमें कोई भी खास बात नहीं थी पर फिर भी कुछ ऐसा था जो फौरन उसकी तरफ आकर्षित करता था।
उसके सफेद रंग के कपड़े गंदे थे, बाल उलझे हए, और देखकर लगता था की वो शायद कई दिन से नहाई भी नहीं थी।
आइए मैं आपको गेस्ट हाउस तक छोड़ दें..."
और तब मैंने पहली बार उसकी आँखों में देखा। नीले रंग की बेहद खूबसूरत आँखें। ऐसी की इंसान एक पल आँखों में आँखें डालकर देख ले तो बस वहीं खोकर रह जाए। वो मेरे आगे आगे चल पड़ी। शाम ढल रही थी और दूर हिमालय के पहाड़ों पर सूरज की लाली फैल रही थी।
चारों तरफ पहाड़, नीचे वादियों में उतरे बदल, आसमान में हल्की लाली, लगता था की अगर जन्नत कहीं है तो बस यहीं हैं।
ये है गेस्ट हाउस...” कुछ दूर तक उसके पीछे चलने के बाद वो मुझे एक पुराने बड़े से बंगलो तक ले आई।
बैंक यू..” कहकर मैंने अपना पर्स निकाला और उसे कुछ पैसे देने चाहे। वो देखने में ही काफी गरीब सी लग रही थी और मुझे लगा की वो शायद कुछ पैसों के लिए मुझे रास्ता दिखा रही थी। मेरे हाथ में पैसे देखकर उसको शायद बुरा लगा।
मैंने ये पैसे के लिए नहीं किया था..." और वो खूबसूरत नीली सी आँखें उदास हो गई। ऐसा लगा जैसे मेरे चारों तरफ की पूरी कायनत उदास हो गई थी।
आई आम सारी...” मैंने फौरन पैसे वापिस अपनी जेब में रखे- “मुझे लगा था के...”
कोई बात नहीं... उसने मुश्कुरा कर मेरी बात काट दी।
मैं गेस्ट हाउस में दाखिल हुआ। मैंने अंदर खड़ा देख ही रहा था की वहाँ का बुद्धा केयरटेकर एक कमरे से बाहर निकला।
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- rajaarkey
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Re: * * * * * सफेद लिबास * * * * *
मेहरा साहब..” उसने मुझे देखकर सवालिया अंदाज में मेरा नाम पुकारा।
जी हाँ..” मैंने आगे बढ़कर उससे हाथ मिलाया- “आपसे फोन पर बात हुई थी."
[
जी बिल्कुल...” उसने मेरा हाथ गरम जोशी से मिलाया- “मैंने आपका कमरा तैयार कर रखा है...”
उसने मेरे हाथ से मेरा बैग लिया और एक गेस्ट हाउस से बाहर आकर एक गार्डेन की तरफ चल पड़ा। वो लड़की भी हम दोनों के साथ साथ हमारे पीछे चल पड़ी।
तुमने घर नहीं जाना...” मैंने उसको आते देखा तो पूछा।
उसने इनकार में गर्दन हिला दी।
“मुझसे कुछ कहा साहब...” केयरटेकर ने आगे चलते चलते मुझसे पूछा।
नहीं इनसे बात कर रहा था...” मैंने लड़की की तरफ इशारा किया।
हम तीनों चलते हुए गार्डन के बीच बने एक काटेज तक पहुँचे। मुझे लगा था की एक पुराना सा गेस्टहाउस और एक पुराना सा रूम होगा। और जो सामने आया वो उम्मीद से कहीं ज्यादा था। गेस्ट हाउस से अलग बना एक छोटा सा काटेज जो पहाड़ के एकदम किनारे पर था। दूसरी तरफ एक गहरी वादी और सामने डूबता हुआ सूरज।
कोबरा मिले या ना मिले...” मैं दिल ही दिल में सोचा- “पर मैं यहाँ बार बार आता रहूँगा..."
आप आराम करिए साहब...” केयरटेकर ने मेरे काटेज का दरवाजा खोला और समान अंदर रखते हुए कहा- “वैसे तो यहाँ हर चीज का इंतेजाम है, बाकी और कुछ चाहिए हो तो मुझे बताईएगा...” कहकर उसने हाथ जोड़े और वापिस गेस्ट हाउस की तरफ चला गया।
पर वो लड़की वहीं खड़ी रही।
मैं काटेज के अंदर आया तो वो भी मेरे साथ साथ ही अंदर आ गई।
क्या हुआ?” मैंने उसको यूँ अंदर आते देखा तो पूछा।
जवाब में उसने सिर्फ काटेज का दरवाजा बंद कर दिया और पलटकर मेरी तरफ देखा। इससे पहले की मैं कुछ और समझ पता, उसने अपने गले से दुपट्टा निकलकर एक तरफ फेंक दिया।
-
“ओहो हो हो..” मैं उसकी इस हरकत पर एकदम घबरा कर पीछे को हट गया- “क्या कर रही हो?”
तभी मुझे केयरटेकर की दो मिनट पहले कही बात याद आई की यूँ तो यहाँ सब इंतेजाम है, पर कुछ और चाहिए हो तो मैं उसको बता दें।
देखो अपना दुपट्टा प्लीज उठा लो। मेरी इस तरह की कोई जरूरत नहीं है। अगर तुम पैसो के लिए ये सब कर रही हो तो वो मैं तुम्हें ऐसे ही दे दूंगा..."
वो मेरे सामने एक सफेद रंग की कमीज में बिना दुपट्टे के खड़ी थी। कमीज के पीछे से सफेद ब्रा की स्ट्रेप्स नजर आ रही थी। जैसे ही मैंने फिर पैसे की बात की, उसकी वो नीली आँखें फिर से उदास हो चली।
“आपको लगता है ये मैं पैसे के लिए कर रही हूँ... किस तरह की लड़की समझ रहे हैं आप मुझे...” कहते हुए उसकी आँखों में पानी भर आया।
मेरा दिल अचानक ऐसे उदास हुआ जैसे मेरा जाने क्या खो गया हो, दिल किया के छाती पीटकर, दहाड़े मारकर रो पड़ें, अपने कपड़े फाड़ दें, इस पहाड़ से कूद कर अपनी जान दे दें।\
नहीं मेरा वो मतलब नहीं था..” मैंने फौरन बात संभालते हुए कहा- “मुझे समझ नहीं आया के तुम ऐसा क्यों कर रही हो। मेरा मतलब...”
मैं कह ही रहा था की वो धीरे-धीरे चलती मेरे नजदीक आ गई। “ओहह..” कहते हुए उसने अपनी उंगली मेरे होंठों पर रख दी- “यूं कहिए की ये मैं सिर्फ इसलिए कर रही हैं क्योंकी आप पसंद हैं मुझे.."
बाहर हल्का हल्का अंधेरा हो चला था। कमरे के अंदर भी कोई लाइट नहीं थी। उस हल्के अंधेरे में मैंने एक नजर उसपर डाली तो मुझे एहसास हुआ के वो गंदी सी दिखने वाली लड़की असल में कितनी सुंदर थी। वो दुनिया की।
सबसे सुंदर लड़की थी।
जी हाँ..” मैंने आगे बढ़कर उससे हाथ मिलाया- “आपसे फोन पर बात हुई थी."
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जी बिल्कुल...” उसने मेरा हाथ गरम जोशी से मिलाया- “मैंने आपका कमरा तैयार कर रखा है...”
उसने मेरे हाथ से मेरा बैग लिया और एक गेस्ट हाउस से बाहर आकर एक गार्डेन की तरफ चल पड़ा। वो लड़की भी हम दोनों के साथ साथ हमारे पीछे चल पड़ी।
तुमने घर नहीं जाना...” मैंने उसको आते देखा तो पूछा।
उसने इनकार में गर्दन हिला दी।
“मुझसे कुछ कहा साहब...” केयरटेकर ने आगे चलते चलते मुझसे पूछा।
नहीं इनसे बात कर रहा था...” मैंने लड़की की तरफ इशारा किया।
हम तीनों चलते हुए गार्डन के बीच बने एक काटेज तक पहुँचे। मुझे लगा था की एक पुराना सा गेस्टहाउस और एक पुराना सा रूम होगा। और जो सामने आया वो उम्मीद से कहीं ज्यादा था। गेस्ट हाउस से अलग बना एक छोटा सा काटेज जो पहाड़ के एकदम किनारे पर था। दूसरी तरफ एक गहरी वादी और सामने डूबता हुआ सूरज।
कोबरा मिले या ना मिले...” मैं दिल ही दिल में सोचा- “पर मैं यहाँ बार बार आता रहूँगा..."
आप आराम करिए साहब...” केयरटेकर ने मेरे काटेज का दरवाजा खोला और समान अंदर रखते हुए कहा- “वैसे तो यहाँ हर चीज का इंतेजाम है, बाकी और कुछ चाहिए हो तो मुझे बताईएगा...” कहकर उसने हाथ जोड़े और वापिस गेस्ट हाउस की तरफ चला गया।
पर वो लड़की वहीं खड़ी रही।
मैं काटेज के अंदर आया तो वो भी मेरे साथ साथ ही अंदर आ गई।
क्या हुआ?” मैंने उसको यूँ अंदर आते देखा तो पूछा।
जवाब में उसने सिर्फ काटेज का दरवाजा बंद कर दिया और पलटकर मेरी तरफ देखा। इससे पहले की मैं कुछ और समझ पता, उसने अपने गले से दुपट्टा निकलकर एक तरफ फेंक दिया।
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“ओहो हो हो..” मैं उसकी इस हरकत पर एकदम घबरा कर पीछे को हट गया- “क्या कर रही हो?”
तभी मुझे केयरटेकर की दो मिनट पहले कही बात याद आई की यूँ तो यहाँ सब इंतेजाम है, पर कुछ और चाहिए हो तो मैं उसको बता दें।
देखो अपना दुपट्टा प्लीज उठा लो। मेरी इस तरह की कोई जरूरत नहीं है। अगर तुम पैसो के लिए ये सब कर रही हो तो वो मैं तुम्हें ऐसे ही दे दूंगा..."
वो मेरे सामने एक सफेद रंग की कमीज में बिना दुपट्टे के खड़ी थी। कमीज के पीछे से सफेद ब्रा की स्ट्रेप्स नजर आ रही थी। जैसे ही मैंने फिर पैसे की बात की, उसकी वो नीली आँखें फिर से उदास हो चली।
“आपको लगता है ये मैं पैसे के लिए कर रही हूँ... किस तरह की लड़की समझ रहे हैं आप मुझे...” कहते हुए उसकी आँखों में पानी भर आया।
मेरा दिल अचानक ऐसे उदास हुआ जैसे मेरा जाने क्या खो गया हो, दिल किया के छाती पीटकर, दहाड़े मारकर रो पड़ें, अपने कपड़े फाड़ दें, इस पहाड़ से कूद कर अपनी जान दे दें।\
नहीं मेरा वो मतलब नहीं था..” मैंने फौरन बात संभालते हुए कहा- “मुझे समझ नहीं आया के तुम ऐसा क्यों कर रही हो। मेरा मतलब...”
मैं कह ही रहा था की वो धीरे-धीरे चलती मेरे नजदीक आ गई। “ओहह..” कहते हुए उसने अपनी उंगली मेरे होंठों पर रख दी- “यूं कहिए की ये मैं सिर्फ इसलिए कर रही हैं क्योंकी आप पसंद हैं मुझे.."
बाहर हल्का हल्का अंधेरा हो चला था। कमरे के अंदर भी कोई लाइट नहीं थी। उस हल्के अंधेरे में मैंने एक नजर उसपर डाली तो मुझे एहसास हुआ के वो गंदी सी दिखने वाली लड़की असल में कितनी सुंदर थी। वो दुनिया की।
सबसे सुंदर लड़की थी।
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- naik
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Re: * * * * * सफेद लिबास * * * * *
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update