Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
- SATISH
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )
बहुत ही मस्त स्टोरी है राजनभाई एकदम लाजवाब अगले अपडेट का इंतजार है
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )
कड़ी_56
गगन ने उसके दाने को मसलकर छोड़ दिया था। और सुखजीत उसके मसलने के बाद अपनी कार को घर की ओर मोड़ लेती है। गगन ने उसको इतना क्यों मसल दिया था। और वो तो लण्ड लेने के लिए पागल हो रही थी। उसके जिश्म में आग सी लगी हुई थी। उसकी चूत लण्ड को लेने के लिए बहुत तड़प रही थी। पर उसने पता नहीं खुद को कैसे कंट्रोल रखा था। सुखजीत ने अब सोच लिया था की वो रात को हरपाल के नीचे अच्छे से आएगी। इसलिये तब तक वो खुद को शांत करके बैठी हुई थी।
सुखजीत अब घर पहुँच जाती है। और जब घर आती है तो वो देखती है की ड्राइंग रूम में सोनू का दोस्त रिंकू बैठा होता है, और साथ में सोनू भी बैठा था।
रिंकू जैसे ही सुखजीत आंटी को देखता है तो वो पागल हो जाता है और बोलता है- “सत श्री अकाल आंटी.."
सुखजीत- “सत श्री अकाल..." और ये कहकर अंदर रूम की ओर चल पड़ती है।
अब वो थोड़ी देर बाद नीचे की ओर अपना फोन चलाती हुई आ रही होती है। रिंकू बैठा सुखजीत को ही देख रहा होता है, और सुखजीत की मोटी-मोटी खड़ी चूचियां और मस्त फिगर पर अपनी नजर रखते हुए अपनी मूछो को ताव दे रहा होता है।
सुखजीत भी उसकी आँखों को पढ़ लेती है और उसको इग्नोर करना शुरू कर देती है। क्योंकी उसे पता होता है की वो उसपर लाइन मार रहा है। अब वो जैसे ही रिंकू और सोनू के पास से निकल रही होती है की तभी रिंकू थोड़ा ऊंची आवाज में सोनू से बोलता है।
रिंकू- “भाई आजकल पता है तुझे क्या हो रहा है?"
सोनू- क्या हो रहा है बता?
रिंकू- पता है आजकल की लड़कियां स्कूल से बंक मारने लगी हैं, और वो भी पता है किसके लिए?
सोनू- किसके लिए।
रिंकू- अपने आशिक के लिए।
रीत ये सब सुन लेती है और वो समझ जाती है की रिंकू मेरे बारे ही कह रहा है।
सोनू- अच्छा पर तू किस लड़की के बारे बात कर रहा है पहले ये तो बता?
रिंकू- अरे तुझे पता है आजकल बंक मारकर लड़कियां बी.एम.डब्लू. कार में घूमती है।
ये सुनकर रीत के पैरों नीचे से जमीन खिसक जाती है और वो सोचती है की इसे कैसे पता चला?
रिंकू भी उसकी तरफ आँख मारते हुए और स्माइल देते हुए बोलता है- “हमें तो सब पता है."
रीत ये सब सुनकर वहां से उठकर अपने कमरे में आ जाती है, और कमरे में आते ही ये सोचती है की रिंकू को कैसे पता चला की मैं मलिक साथ थी। और चलो अब पता चला तो चला, पर ये कही सोनू को ना बता दे नहीं तो बहुत बड़ा कलेश हो जायगा। अब रीत नीचे की और आती है और वो देखती है की अब रिंकू जा चुका है।
और फिर वो बस ये ही सोचती है की उसने कहीं सोनू को ना बता दिया हो। नहीं तो बहुत बड़ा कलेश हो जाएगा।
अब रीत उसके पास जाती है और बोलती है- “सोनू मम्मी कहां हैं तुझे पता है?"
सोनू- नहीं मुझे नहीं पता, तू वैसे देख ले कमरे में ही होंगी...”
रीत की ये बात सुनकर जान में जान आती है की शुकर है रिंकू ने अभी कुछ नहीं बताया है। और फिर वो कमरे की ओर चल पड़ती है। बस फिर उसके बाद ऐसे ही रात हो जाती है और फिर सब खाना खाकर अपने-अपने रूम की ओर चल पड़ते हैं।
उधर रीत भी अब मलिक के साथ फोन पर बातें कर रही होती है, तो दूसरी तरफ अब सुखजीत अपनी चूत अपने सरदार से मरवाने के लिए तैयार होती है। वो आज बहुत टाइम बाद हरपाल से चुदने वाली होती है। और फिर वो हरपाल साथ आकर लेट जाती है।
सुखजीत- सुनो जी।
हरपाल- हाँ जी बोलो।
सुखजीत- थोड़ा टाइम इधर भी दे दो।
गगन ने उसके दाने को मसलकर छोड़ दिया था। और सुखजीत उसके मसलने के बाद अपनी कार को घर की ओर मोड़ लेती है। गगन ने उसको इतना क्यों मसल दिया था। और वो तो लण्ड लेने के लिए पागल हो रही थी। उसके जिश्म में आग सी लगी हुई थी। उसकी चूत लण्ड को लेने के लिए बहुत तड़प रही थी। पर उसने पता नहीं खुद को कैसे कंट्रोल रखा था। सुखजीत ने अब सोच लिया था की वो रात को हरपाल के नीचे अच्छे से आएगी। इसलिये तब तक वो खुद को शांत करके बैठी हुई थी।
सुखजीत अब घर पहुँच जाती है। और जब घर आती है तो वो देखती है की ड्राइंग रूम में सोनू का दोस्त रिंकू बैठा होता है, और साथ में सोनू भी बैठा था।
रिंकू जैसे ही सुखजीत आंटी को देखता है तो वो पागल हो जाता है और बोलता है- “सत श्री अकाल आंटी.."
सुखजीत- “सत श्री अकाल..." और ये कहकर अंदर रूम की ओर चल पड़ती है।
अब वो थोड़ी देर बाद नीचे की ओर अपना फोन चलाती हुई आ रही होती है। रिंकू बैठा सुखजीत को ही देख रहा होता है, और सुखजीत की मोटी-मोटी खड़ी चूचियां और मस्त फिगर पर अपनी नजर रखते हुए अपनी मूछो को ताव दे रहा होता है।
सुखजीत भी उसकी आँखों को पढ़ लेती है और उसको इग्नोर करना शुरू कर देती है। क्योंकी उसे पता होता है की वो उसपर लाइन मार रहा है। अब वो जैसे ही रिंकू और सोनू के पास से निकल रही होती है की तभी रिंकू थोड़ा ऊंची आवाज में सोनू से बोलता है।
रिंकू- “भाई आजकल पता है तुझे क्या हो रहा है?"
सोनू- क्या हो रहा है बता?
रिंकू- पता है आजकल की लड़कियां स्कूल से बंक मारने लगी हैं, और वो भी पता है किसके लिए?
सोनू- किसके लिए।
रिंकू- अपने आशिक के लिए।
रीत ये सब सुन लेती है और वो समझ जाती है की रिंकू मेरे बारे ही कह रहा है।
सोनू- अच्छा पर तू किस लड़की के बारे बात कर रहा है पहले ये तो बता?
रिंकू- अरे तुझे पता है आजकल बंक मारकर लड़कियां बी.एम.डब्लू. कार में घूमती है।
ये सुनकर रीत के पैरों नीचे से जमीन खिसक जाती है और वो सोचती है की इसे कैसे पता चला?
रिंकू भी उसकी तरफ आँख मारते हुए और स्माइल देते हुए बोलता है- “हमें तो सब पता है."
रीत ये सब सुनकर वहां से उठकर अपने कमरे में आ जाती है, और कमरे में आते ही ये सोचती है की रिंकू को कैसे पता चला की मैं मलिक साथ थी। और चलो अब पता चला तो चला, पर ये कही सोनू को ना बता दे नहीं तो बहुत बड़ा कलेश हो जायगा। अब रीत नीचे की और आती है और वो देखती है की अब रिंकू जा चुका है।
और फिर वो बस ये ही सोचती है की उसने कहीं सोनू को ना बता दिया हो। नहीं तो बहुत बड़ा कलेश हो जाएगा।
अब रीत उसके पास जाती है और बोलती है- “सोनू मम्मी कहां हैं तुझे पता है?"
सोनू- नहीं मुझे नहीं पता, तू वैसे देख ले कमरे में ही होंगी...”
रीत की ये बात सुनकर जान में जान आती है की शुकर है रिंकू ने अभी कुछ नहीं बताया है। और फिर वो कमरे की ओर चल पड़ती है। बस फिर उसके बाद ऐसे ही रात हो जाती है और फिर सब खाना खाकर अपने-अपने रूम की ओर चल पड़ते हैं।
उधर रीत भी अब मलिक के साथ फोन पर बातें कर रही होती है, तो दूसरी तरफ अब सुखजीत अपनी चूत अपने सरदार से मरवाने के लिए तैयार होती है। वो आज बहुत टाइम बाद हरपाल से चुदने वाली होती है। और फिर वो हरपाल साथ आकर लेट जाती है।
सुखजीत- सुनो जी।
हरपाल- हाँ जी बोलो।
सुखजीत- थोड़ा टाइम इधर भी दे दो।
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )
हरपाल थका हुआ होता है और कहता है- “सुखजीत यार सोने दे, तुझे पता तो है आफिस वालों ने तो हमारी गाण्ड की ऐसी तैसी कर रखी है..."
सुखजीत- अच्छा वो जो मर्जी करें पर आपके पास यहां के लिए टाइम नहीं है?
सुखजीत की ये बात हरपाल समझ जाता है, और फिर चद्दर के अंदर से ही सुखजीत की चूचियों को हाथों में लेकर मसलते हुए बोलता है- “अच्छा ध्यान तो बीवी को देना चाहिए, क्योंकी आदमी सारा दिन काम करके थक जो जाता है...”
सुखजीत भी उसके लण्ड को हाथों में लेकर ऊपर-नीचे करती है और कहती है- “अच्छा अब सारा काम करने के बाद इसमें भी बीवी ही ध्यान दे..."
सुखजीत ये कहकर हरपाल के लण्ड को बाहर निकल लेती है, और उसके ढीले से लण्ड को हिलाने लगती है। इतने बड़े और मोटे लंबे लण्ड के लेने के बाद अब सुखजीत को अपने पति हरपाल का लण्ड जरा सा भी अच्छा नहीं लगता।
सुखजीत के हाथों में आने के बाद अब हरपाल के लण्ड में थोड़ी सी जान आती है। फिर हरपाल सुखजीत के होंठों को चूसना शुरू कर देता है। चूसा चुसाई के बीच सुखजीत चादर के अंदर ही पूरी नंगी हो जाती है। उसकी चूत में जो आग लग रही थी, अब उससे और ज्यादा कंट्रोल नहीं होता। सुखजीत ने खुद ही हरपाल को अपने ऊपर चढ़ा लिया और अपनी दोनों टाँगें खोलने के बाद वो खुद ही हरपाल के लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर उसके लण्ड को अपनी चूत पर सेट करके खुद ही नीचे से अपनी गाण्ड हिलाकर अपनी चूत उसके लण्ड से चुदवाने लगती है।
सुखजीत जितनी भी मजे लेने के कोशिश कर रही थी, पर हरपाल के साथ अब सुखजीत को इतना मजा नहीं आ रहा था। पर सुखजीत को पता था, की जब तक वो अपनी आग को शांत नहीं करेगी। तब तक उसे नींद नहीं आएगी। हरपाल का छोटा सा लण्ड सुखजीत की चूत की गरमी के आगे ज्यादा देर नहीं टिक पाया। और करीब 10 मिनट के बाद हरपाल जोर-जोर से सांसें लेता हुआ अपने लण्ड का सारा पानी सुखजीत की चूत में ही निकाल देता है।
सुखजीत का अभी भी कुछ नहीं बना था, पर अब वो हरपाल को भी कुछ नहीं कह सकती थी। क्योंकी जैसे ही हरपाल के लण्ड का पानी निकला था।तभी वो बेड पर गिरकर सो गया था। सुखजीत ये सब देखकर काफी निराश हो जाती है, की अब उसके लण्ड में वो पहले वाली बात नहीं रही है। ये सब सोचते-सोचते सुखजीत भी सो जाती है।
अगला दिन चढ़ जाता है, और फिर हमेशा की तरह सोनू अपने कमरे में ही पड़ा होता है। उधर सुखजीत भी रोज की तरह उठकर अपने काम में लग जाती है। वो थोड़ी अपसेट होती है क्योंकी रात जो हरपाल साथ हुआ था उससे उसका मूड आफ होता है। उधर हरपाल भी डेली की तरह आफिस के लिए निकल जाता है। रीत भी सलवार कमीज पहनकर अच्छी सी बनकर अक्टिवा पर बैठकर स्कूल के लिए चल पड़ती है। आज वो फिर से ज्योति के घर जाती है पर डेली की तरह ज्योति आज बाहर नहीं खड़ी होती है।
अब रीत वहां पहुँचकर हार्न बजती है तो ज्योति टी-शर्ट और निक्कर में बाहर आती है औरर ये देखकर रीत बोलती है- “क्या बात है तूने आज स्कूल नहीं जाना क्या?"
ज्योति- हाँ यार आज तू चली जा।
रीत- पर तुझे हुआ क्या है?
ज्योति धीरे से बोलती है- “यार पीरियड्स आ रखे हैं..”
रीत- तो क्या हुआ यार चल ले।
ज्योति- यार पैड नहीं है और बुरा हाल हो रखा है।
रीत- “चल तू आराम कर मैं जा रही हूँ.” और फिर वो स्कूल के लिए चली जाती है और थोड़ी ही देर में वो स्कूल पहुँच जाती है।
अब रीत वहां पहुँचकर पार्किंग में अपनी अक्टोबा लगा रही होती है और तभी वहां पर वो देखती है की रिंकू अपनी बुलेट पर बैठा होता है। वो उसको देखकर घबरा जाती है की ये यहां पर क्या कर रहा है? और वहां से चलने का करती है। पर जब वो देखती है उसकी तरफ तो वो स्माइल कर देता है। फिर वो जा रही होती है।
तभी रिंकू पीछे से बोलता है- “हाय... फिर आज नहीं जाना बी.एम.डब्लू. में.."
रीत ये सुनकर रुक जाती है और डरती हुई उसके पास आती है और कहती है- “तुम ये क्या कह रहे हो? तुम्हें जरूर गलत फहमी हुई होगी, वो लड़की मैं नहीं कोई और होगी.."
रिंकू- “नहीं। मुझे और गलत फहमी हो ही नहीं सकती है। और मैं ये भी बता दूँ की तुम टेन्शन मत लो क्योंकी मैं ये सब कुछ किसी को नहीं बताने वाला हूँ..”
ये सुनकर रीत की जान में जान आती है और फिर वो वहां से जाने लगती है, तो पीछे से रिंकू उसकी बाजू को पकड़ लेता है।
रीत- ये क्या बदतमीजी है? तुम मेरा हाथ छोड़ो।
तभी रिंकू कहता है- "मेरे पास पिक्स भी हैं, जो की पूब करती है की तुम मलिक को झप्पियां दे रही थी। देख मैं ये सब सोनू को बताने में देर नहीं करूंगा। क्योंकी मुझे किसी का डर नहीं है, और तू फिर देखना क्या होगा तेरे साथ..."
रीत ये सुनकर उससे मिन्नतें करने लगती है और फिर वो उसको अपना फोन निकालकर उसको पिक दिखाता है तो वो जैसे ही पिक देखती है तो उसके होश उड़ जाते हैं।
रिंकू उसके बाद कहता है- “मैं ये सब एक शर्त पर नहीं बताऊँगा?"
रीत- हाँ बता क्या है वो शर्त?
रिंकू- मैं तेरे साथ एक दिन के लिए कहीं जाना चाहता हूँ।
रीत ये बात सुनकर हैरान हो जाती है और फिर उसके पास और कोई भी चारा नहीं होता तो वो उसको मजबूरी में हाँ कर देती है। रिंकू उससे उसका मोबाइल नम्बर ले लेता है और फिर वहां से चला जाता है। और फिर रीत भी स्कूल चली जाती है।
***** * * * * *
सुखजीत- अच्छा वो जो मर्जी करें पर आपके पास यहां के लिए टाइम नहीं है?
सुखजीत की ये बात हरपाल समझ जाता है, और फिर चद्दर के अंदर से ही सुखजीत की चूचियों को हाथों में लेकर मसलते हुए बोलता है- “अच्छा ध्यान तो बीवी को देना चाहिए, क्योंकी आदमी सारा दिन काम करके थक जो जाता है...”
सुखजीत भी उसके लण्ड को हाथों में लेकर ऊपर-नीचे करती है और कहती है- “अच्छा अब सारा काम करने के बाद इसमें भी बीवी ही ध्यान दे..."
सुखजीत ये कहकर हरपाल के लण्ड को बाहर निकल लेती है, और उसके ढीले से लण्ड को हिलाने लगती है। इतने बड़े और मोटे लंबे लण्ड के लेने के बाद अब सुखजीत को अपने पति हरपाल का लण्ड जरा सा भी अच्छा नहीं लगता।
सुखजीत के हाथों में आने के बाद अब हरपाल के लण्ड में थोड़ी सी जान आती है। फिर हरपाल सुखजीत के होंठों को चूसना शुरू कर देता है। चूसा चुसाई के बीच सुखजीत चादर के अंदर ही पूरी नंगी हो जाती है। उसकी चूत में जो आग लग रही थी, अब उससे और ज्यादा कंट्रोल नहीं होता। सुखजीत ने खुद ही हरपाल को अपने ऊपर चढ़ा लिया और अपनी दोनों टाँगें खोलने के बाद वो खुद ही हरपाल के लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर उसके लण्ड को अपनी चूत पर सेट करके खुद ही नीचे से अपनी गाण्ड हिलाकर अपनी चूत उसके लण्ड से चुदवाने लगती है।
सुखजीत जितनी भी मजे लेने के कोशिश कर रही थी, पर हरपाल के साथ अब सुखजीत को इतना मजा नहीं आ रहा था। पर सुखजीत को पता था, की जब तक वो अपनी आग को शांत नहीं करेगी। तब तक उसे नींद नहीं आएगी। हरपाल का छोटा सा लण्ड सुखजीत की चूत की गरमी के आगे ज्यादा देर नहीं टिक पाया। और करीब 10 मिनट के बाद हरपाल जोर-जोर से सांसें लेता हुआ अपने लण्ड का सारा पानी सुखजीत की चूत में ही निकाल देता है।
सुखजीत का अभी भी कुछ नहीं बना था, पर अब वो हरपाल को भी कुछ नहीं कह सकती थी। क्योंकी जैसे ही हरपाल के लण्ड का पानी निकला था।तभी वो बेड पर गिरकर सो गया था। सुखजीत ये सब देखकर काफी निराश हो जाती है, की अब उसके लण्ड में वो पहले वाली बात नहीं रही है। ये सब सोचते-सोचते सुखजीत भी सो जाती है।
अगला दिन चढ़ जाता है, और फिर हमेशा की तरह सोनू अपने कमरे में ही पड़ा होता है। उधर सुखजीत भी रोज की तरह उठकर अपने काम में लग जाती है। वो थोड़ी अपसेट होती है क्योंकी रात जो हरपाल साथ हुआ था उससे उसका मूड आफ होता है। उधर हरपाल भी डेली की तरह आफिस के लिए निकल जाता है। रीत भी सलवार कमीज पहनकर अच्छी सी बनकर अक्टिवा पर बैठकर स्कूल के लिए चल पड़ती है। आज वो फिर से ज्योति के घर जाती है पर डेली की तरह ज्योति आज बाहर नहीं खड़ी होती है।
अब रीत वहां पहुँचकर हार्न बजती है तो ज्योति टी-शर्ट और निक्कर में बाहर आती है औरर ये देखकर रीत बोलती है- “क्या बात है तूने आज स्कूल नहीं जाना क्या?"
ज्योति- हाँ यार आज तू चली जा।
रीत- पर तुझे हुआ क्या है?
ज्योति धीरे से बोलती है- “यार पीरियड्स आ रखे हैं..”
रीत- तो क्या हुआ यार चल ले।
ज्योति- यार पैड नहीं है और बुरा हाल हो रखा है।
रीत- “चल तू आराम कर मैं जा रही हूँ.” और फिर वो स्कूल के लिए चली जाती है और थोड़ी ही देर में वो स्कूल पहुँच जाती है।
अब रीत वहां पहुँचकर पार्किंग में अपनी अक्टोबा लगा रही होती है और तभी वहां पर वो देखती है की रिंकू अपनी बुलेट पर बैठा होता है। वो उसको देखकर घबरा जाती है की ये यहां पर क्या कर रहा है? और वहां से चलने का करती है। पर जब वो देखती है उसकी तरफ तो वो स्माइल कर देता है। फिर वो जा रही होती है।
तभी रिंकू पीछे से बोलता है- “हाय... फिर आज नहीं जाना बी.एम.डब्लू. में.."
रीत ये सुनकर रुक जाती है और डरती हुई उसके पास आती है और कहती है- “तुम ये क्या कह रहे हो? तुम्हें जरूर गलत फहमी हुई होगी, वो लड़की मैं नहीं कोई और होगी.."
रिंकू- “नहीं। मुझे और गलत फहमी हो ही नहीं सकती है। और मैं ये भी बता दूँ की तुम टेन्शन मत लो क्योंकी मैं ये सब कुछ किसी को नहीं बताने वाला हूँ..”
ये सुनकर रीत की जान में जान आती है और फिर वो वहां से जाने लगती है, तो पीछे से रिंकू उसकी बाजू को पकड़ लेता है।
रीत- ये क्या बदतमीजी है? तुम मेरा हाथ छोड़ो।
तभी रिंकू कहता है- "मेरे पास पिक्स भी हैं, जो की पूब करती है की तुम मलिक को झप्पियां दे रही थी। देख मैं ये सब सोनू को बताने में देर नहीं करूंगा। क्योंकी मुझे किसी का डर नहीं है, और तू फिर देखना क्या होगा तेरे साथ..."
रीत ये सुनकर उससे मिन्नतें करने लगती है और फिर वो उसको अपना फोन निकालकर उसको पिक दिखाता है तो वो जैसे ही पिक देखती है तो उसके होश उड़ जाते हैं।
रिंकू उसके बाद कहता है- “मैं ये सब एक शर्त पर नहीं बताऊँगा?"
रीत- हाँ बता क्या है वो शर्त?
रिंकू- मैं तेरे साथ एक दिन के लिए कहीं जाना चाहता हूँ।
रीत ये बात सुनकर हैरान हो जाती है और फिर उसके पास और कोई भी चारा नहीं होता तो वो उसको मजबूरी में हाँ कर देती है। रिंकू उससे उसका मोबाइल नम्बर ले लेता है और फिर वहां से चला जाता है। और फिर रीत भी स्कूल चली जाती है।
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मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...