इधर रूबी की भी आँख खुल जाती है और वो रामू को बाथरूम में अपनी पैंटी सूंघते हुए देख लेती है। उसे समझ में नहीं आता की वो रामू को डाँटे या कुछ और करे? वो डिसाइड करती है की वो ऐसी ही लेटी रहेगी और हल्की-हल्की आँखें खोलकर देखेगी की राम क्या करता है?
इधर राम का लण्ड उसके काबू में नहीं था। वो पैंटी को सँघता हआ कमरे में आ जाता है और रूबी के बेड के किनारे बैठ जाता है।
रूबी की धड़कन तेज हो जाती है। न जाने रामू क्या करने वाला है? वो अंदर से डर भी रही थी की रामू कुछ ऐसा वैसा ना कर बैठे जिससे उसे दुनियां से मुँह छिपाना पड़े। अगर वो चिल्लाती है तो उसकी ही बदनामी होगी। धीरे-धीरे वो रूबी का कम्बल नीचे सरकाता है और रूबी के विशाल चूतर उसकी सलवार के साथ उसके सामने आ जाते हैं। रूबी का गला सूखने लगता है। वो राम की अगली हरकत का इंतेजर कर रही थी।
तभी रूबी को हल्की-हल्की आवाजें सुनाई देने लगी। उसने हल्की सी आँखें खोली और ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखा की राम हिल रहा था। वो समझ गई की उसकी गाण्ड को देखते-देखते राम अपना पानी निकालने के चक्कर में है। उसकी गाण्ड ने रामू को दीवाना बना दिया था। इस गाण्ड के तो लोग कायल थे। जब भी वो घर से बाहर निकलती तो लोग उसकी गाण्ड को ही निहारते थे। रूबी को शीशे में से राम का लण्ड थोड़ा सा दिखाई दे रहा था और उसकी बाजू का हिलना साफ दिखा रहा था।
इधर रामू ने अब रूबी की पैंटी को अपने लण्ड पे रखा और लण्ड पे रगड़ने लगा। कुछ देर रगड़ने के बाद उसके लण्ड ने पानी छोड़ दिया और उसने पैंटी को वहीं बाथरूम में रखा और काम करके चला गया। रूबी की जान में जान आई की शुकर है रामू ने उसके साथ कुछ नहीं किया था। वरना मुसीबत हो जाती उसके लिए तो।
इधर रामू ने बाहर आकर कमलजीत को बताया की रूबी के पर में मोच आ गई है और वो आराम कर रही है। कमलजीत कमरे में आती है और रूबी को आवाज लगाती है। रूबी जानबूझ कर जवाब नहीं देती। फिर हिलने पे उठने का नाटक करती है। कमलजीत उसका हालचाल पूछती है और आराम करने का बोलकर बाहर चली जाती है। उसके जाने के बाद रूबी बाथरूम में जाती है और पैंटी उठाकर देखती है तो पाती है की राम ने अपना वीर्य उसकी पैंटी में निकाला था।
रूबी समझ जाती है की राम ने पैंटी को अपने लण्ड पे रगड़ा होगा। क्या रामू उसको भोगना चाहता है? वो ऐसा कैसे सोच सकता है? मैं उसकी मालेकिन है। उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो अब राम का सामना कैसे करेगी? अब राम का अगला कदम क्या? कहीं वो ऐसी वैसी हरकत ना कर दे, जिससे उसकी और उसकी परिवार की बदनामी हो। रात को भी बेड पे लेटी-लेटी रूबी रामू के बारे में ही सोचती रही।
उधर रामू भी बेड पर लेटा-लेटा रूबी के बारे में सोच रहा था। उसके नरम जिश्म का एहसास उसके लण्ड को बेकाबू कर रहा था। आज फिर वो धीरे-धीरे रूबी के कमरे के पास गया और देखता है की रूबी ने अपनी खिड़की का पर्दा कल जैसादा ही छोड़ा था। उसे अभी भी नहीं पता था की बाहर से रूम के अंदर की हरकतें कोई देख सकता है।
रूबी अभी तक जाग रही। इधर रूबी राम से अंजान अपने ख्यालो में खोई हई थी। रूबी को दोपहर की घटनायें याद आ रही थीं की कैसे वो राम के ऊपर गिरी और उसकी चूचियां उसके चेहरे से बार-बार टकराई थीं। राम का उसकी गाण्ड पे हाथ फिराना, फिर कम्बल उठाकर उसकी गाण्ड के दर्शन करना, और सबसे बड़ी बात उसके कमरे में ही अपने लण्ड को शांत करके उसकी पैंटी में अपना वीर्य निकालना। ऊपर से काफी टाइम से रूबी की चूत में लण्ड नहीं गया था तो आज राम के लण्ड का दर्शन करके रूबी का मन उसके कंट्रोल में नहीं । उसने तकिये को अपनी जांघों के बीच में लिया और खुद ऊपर बैठकर अपनी चूत का पानी निकालने की कोशिश करने लगी।
Adultery प्यास बुझाई नौकर से
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
रूबी ने आज तो अपनी पैंटी भी उतार दी थी। हालांकी कमरे में डिम लाइट जल रही थी पर फिर भी राम को उसकी गाण्ड के अच्छे से दीदार नहीं हो रहे थे। रामू के लण्ड ने उसे पागल कर दिया था, भले ही उसे लण्ड की झलक भर ही मिली थी।
इधर राम ने भी अपना लण्ड हाथ में लिया और उसे रगड़ने लगा। रूबी के ठंडी पड़ने के बाद राम ने भी अपना पानी निकाल दिया और अपने कमरे में आ गया।
रामू अब किसी भी कीमत पर रूबी को पाना चाहता था। उसने अब रूबी से बोल्ड होने का इरादा कर लिया था। इतना तो उसे पक्का था की रूबी अपनी चूत की आग को ठंडी करने के लिए तड़प रही है, और वो इस मौके का फायदा उठना चाहता था। वैसे भी आज और कल की घटनाओं के बारे में रूबी ने मालिक और मालेकिन को नहीं बताया था। अगर बताया होता तो अभी तक तो उसका बोरिया बिस्तर गोल गया होता। तो क्या यह समझा जाए की रूबी राम का विरोध ना करते हए उसे आगे बढ़ने का न्योता दे रही थी? क्या वो इस कमसिन जवानी को भोग पाएगा? रूबी के नितंबों के बारे में सोचते हए रामू के मुँह में पानी आ रहा था। क्या वो रूबी के विशाल चूतरों में अपना लण्ड रगड़ पाएगा? इन सवालों के जवाव ढूँढते-ढूंढते रामू की आँख लग गई।
उस दिन से रूबी का राम को देखने का नजरिया बदल गया। अब उसकी आँखें रामू को ही ढूँढती रहती थी। रामू जो की लड़कियों के मामले में निपुण था। अपने गाँव में उसने काफी औरतों से समंध बनाए थे। उसने रूबी की नजरों को पढ़ लिया था। उसे इतना तो पता चल गया था की रूबी के लिए वो कोशिश कर सकता है। पर उसके पास टाइम नहीं होता था रूबी से बात करने का। एक सफाई वाला टाइम होता था, जब वो रूबी के साथ होता था। पर उस टाइम पे बड़ी मालेकिन भी घर पे होती थी। अगर उसने रूबी से अपने दिल की बात बोलने की कोशिश की तो पता नहीं वो कैसी प्रतिक्रिया देंगी। कहीं बात बिगड़ ना जाए?
कुछ दिन ऐसे ही निकल गये। रूबी भी आजकल ज्यादा टाइट चूड़ीदार सलवार पहनने लगी या फिर लेगिंग ओर ट्रैक सूट में रहती थी जिससे रामू को उसके सुडौल नितंबों की झलक मिलती रहे। आखीरकार, रामू इसका तो ही दीवाना था। रूबी और रामू में आजकल स्माइल भी पास होने लगी थी, और सफाई करते-करते रूबी को राम के हाथों का स्पर्श अपने नितंबों पर महसूस भी हुआ था।
रूबी यह सब इग्नोर कर देती थी। रूबी खुद आगे नहीं बढ़ना चाहती थी। आखीरकार, वो उसकी मालेकिन थी। वो चाहती तो सीधाधा राम से अपनी दिल की बात बोल सकती थी, पर वो औरत थी। राम उस जैसी हसीन औरत को कैसे मना कर सकता था। अगर वो ऐसा करती तो रामू उसको चीप औरत समझता। वैसे भी पहल तो मर्द को ही करनी होती है। अब यह तो राम पे था की वो कब हिम्मत करता है। वो रामू से उम्मीद कर रही थी की वो आगे बढ़े।
इधर राम ने भी अपना लण्ड हाथ में लिया और उसे रगड़ने लगा। रूबी के ठंडी पड़ने के बाद राम ने भी अपना पानी निकाल दिया और अपने कमरे में आ गया।
रामू अब किसी भी कीमत पर रूबी को पाना चाहता था। उसने अब रूबी से बोल्ड होने का इरादा कर लिया था। इतना तो उसे पक्का था की रूबी अपनी चूत की आग को ठंडी करने के लिए तड़प रही है, और वो इस मौके का फायदा उठना चाहता था। वैसे भी आज और कल की घटनाओं के बारे में रूबी ने मालिक और मालेकिन को नहीं बताया था। अगर बताया होता तो अभी तक तो उसका बोरिया बिस्तर गोल गया होता। तो क्या यह समझा जाए की रूबी राम का विरोध ना करते हए उसे आगे बढ़ने का न्योता दे रही थी? क्या वो इस कमसिन जवानी को भोग पाएगा? रूबी के नितंबों के बारे में सोचते हए रामू के मुँह में पानी आ रहा था। क्या वो रूबी के विशाल चूतरों में अपना लण्ड रगड़ पाएगा? इन सवालों के जवाव ढूँढते-ढूंढते रामू की आँख लग गई।
उस दिन से रूबी का राम को देखने का नजरिया बदल गया। अब उसकी आँखें रामू को ही ढूँढती रहती थी। रामू जो की लड़कियों के मामले में निपुण था। अपने गाँव में उसने काफी औरतों से समंध बनाए थे। उसने रूबी की नजरों को पढ़ लिया था। उसे इतना तो पता चल गया था की रूबी के लिए वो कोशिश कर सकता है। पर उसके पास टाइम नहीं होता था रूबी से बात करने का। एक सफाई वाला टाइम होता था, जब वो रूबी के साथ होता था। पर उस टाइम पे बड़ी मालेकिन भी घर पे होती थी। अगर उसने रूबी से अपने दिल की बात बोलने की कोशिश की तो पता नहीं वो कैसी प्रतिक्रिया देंगी। कहीं बात बिगड़ ना जाए?
कुछ दिन ऐसे ही निकल गये। रूबी भी आजकल ज्यादा टाइट चूड़ीदार सलवार पहनने लगी या फिर लेगिंग ओर ट्रैक सूट में रहती थी जिससे रामू को उसके सुडौल नितंबों की झलक मिलती रहे। आखीरकार, रामू इसका तो ही दीवाना था। रूबी और रामू में आजकल स्माइल भी पास होने लगी थी, और सफाई करते-करते रूबी को राम के हाथों का स्पर्श अपने नितंबों पर महसूस भी हुआ था।
रूबी यह सब इग्नोर कर देती थी। रूबी खुद आगे नहीं बढ़ना चाहती थी। आखीरकार, वो उसकी मालेकिन थी। वो चाहती तो सीधाधा राम से अपनी दिल की बात बोल सकती थी, पर वो औरत थी। राम उस जैसी हसीन औरत को कैसे मना कर सकता था। अगर वो ऐसा करती तो रामू उसको चीप औरत समझता। वैसे भी पहल तो मर्द को ही करनी होती है। अब यह तो राम पे था की वो कब हिम्मत करता है। वो रामू से उम्मीद कर रही थी की वो आगे बढ़े।
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
बहुत मस्त स्टोरी है भाई लाजवाब चालू रखीये मजा बाँटते रहीये
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
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