Adultery प्यास बुझाई नौकर से
- naik
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update
- SATISH
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
excellent story mind blowing hot & sexy please continue
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
Thank you to all for your support
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
बन्धन
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
रूबी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और आँखें अखबार में गड़ाई हए बोली- “कुछ भी तो नहीं.."
प्रीति- आप कल जो हुआ उससे शर्मा रहे हो, और मुझसे बात नहीं कर रहे सुबह से।
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- भाभी कल जो कुछ भी हुआ, वो नार्मल था। हमने कोई गलत काम नहीं किया। बस मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं गई।
रूबी ने कुछ भी जवाव नहीं दिया।
प्रीति ने फिर से चुप्पी तोड़ी- “भाभी आपको अच्छा नहीं लगा क्या?"
रूबी- वो बात नहीं है।
प्रीति- तो क्या बात है, बताओ अच्छा नहीं लगा?
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- तो इसका मतलब की आपको मजा आया।
रूबी ने कुछ नहीं बोला बस मुश्कुरा दी।
प्रीति- भाभी बोलो ना? मुझे तो बहुत मजा आया था। आप बताओ ना प्लीज।
रूबी- हाँ आया था।
प्रीति- तो फिर इसमें शर्माने की क्या बात है? कम से कम मेरे से तो मत शर्माओ। हम ननद भाभी कम और दोस्त ज्यादा हैं।
रूबी- ओके नहीं शर्माती बाबा... और कुछ?
प्रीति- और कुछ नहीं, बस कुछ देर बाद मैं अपने ससुराल चली जाऊँगी।
तभी कमलजीत वापिस आ गई, और कहा- "मैंने बात की थी। तुम्हारे पापा बोलते हैं कि ठीक है। राम को काम समझा दो और उसकी सेलरी की बात वो खुद कर लेंगे..."
रूबी- ठीक है मम्मीजी।
कमलजीत रामू को आवाज लगती है और राम उनके पास आता है।
रामू- जी बीवीजी?
कमलजीत- रामू कल से कामवाली नहीं आ रही है, तो तू सफाई का काम कर लिया कर कल से। तुम्हें इसके पैसे अलग से भी मिल जाएंगे। ठीक है?
रामू- ठीक है बीवीजी, कर लूंगा।
कमलजीत- “सरदारजी बता देंगे पैसों के बारे में। अभी तू बहू के साथ अंदर जाकर समझ ले क्या काम करना है
प्रीति- आप कल जो हुआ उससे शर्मा रहे हो, और मुझसे बात नहीं कर रहे सुबह से।
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- भाभी कल जो कुछ भी हुआ, वो नार्मल था। हमने कोई गलत काम नहीं किया। बस मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं गई।
रूबी ने कुछ भी जवाव नहीं दिया।
प्रीति ने फिर से चुप्पी तोड़ी- “भाभी आपको अच्छा नहीं लगा क्या?"
रूबी- वो बात नहीं है।
प्रीति- तो क्या बात है, बताओ अच्छा नहीं लगा?
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- तो इसका मतलब की आपको मजा आया।
रूबी ने कुछ नहीं बोला बस मुश्कुरा दी।
प्रीति- भाभी बोलो ना? मुझे तो बहुत मजा आया था। आप बताओ ना प्लीज।
रूबी- हाँ आया था।
प्रीति- तो फिर इसमें शर्माने की क्या बात है? कम से कम मेरे से तो मत शर्माओ। हम ननद भाभी कम और दोस्त ज्यादा हैं।
रूबी- ओके नहीं शर्माती बाबा... और कुछ?
प्रीति- और कुछ नहीं, बस कुछ देर बाद मैं अपने ससुराल चली जाऊँगी।
तभी कमलजीत वापिस आ गई, और कहा- "मैंने बात की थी। तुम्हारे पापा बोलते हैं कि ठीक है। राम को काम समझा दो और उसकी सेलरी की बात वो खुद कर लेंगे..."
रूबी- ठीक है मम्मीजी।
कमलजीत रामू को आवाज लगती है और राम उनके पास आता है।
रामू- जी बीवीजी?
कमलजीत- रामू कल से कामवाली नहीं आ रही है, तो तू सफाई का काम कर लिया कर कल से। तुम्हें इसके पैसे अलग से भी मिल जाएंगे। ठीक है?
रामू- ठीक है बीवीजी, कर लूंगा।
कमलजीत- “सरदारजी बता देंगे पैसों के बारे में। अभी तू बहू के साथ अंदर जाकर समझ ले क्या काम करना है
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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Re: प्यास बुझाई नौकर से
रूबी उठती है और अंदर जाने लगती है। राम भी पीछे-पीछे चल पड़ता है। रूबी का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। घर के अंदर रूबी रामू को काम समझाने लगी। आज पहली बार था की घर की बहू को रामू इतनी पास से देख रहा था। क्या बला की खूबसूरत थी। गोरा रंग बदन का और सुडौल भरा-भरा जिश्म। रामू के अपने गाँव में तो इतनी खूबसूरत औरत तो थी ही नहीं। खूबसूरती के साथ-साथ मालेकिन के बोलने का अंदाज कितना प्यारा था। रूबी की बातें राम के एक कान से अंदर जाती और दूसरे से निकल जाती। वो तो बस रूबी को ही निहार रहा था।
इधर रूबी भी कोई बच्ची नहीं थी। उसे भी एहसास हुआ कि रामू की नजरें सिर्फ उसके चेहरे पे ही टिकी हैं, और उसे काम का कुछ भी समझ में नहीं आया होगा। खैर, कुछ देर समझाने के बाद रूबी और रामू घर के बाहर आए और रामू अपने कमरे की तरफ, और रूबी कमलजीत और प्रीति के पास आ गई।
इधर राम अपने कमरे में जाते-जाते रूबी के ख्याल में खोया था। उसकी आँखों के सामने तो बस हँस रूबी का मुश्कुराता चेहरा ही बार-बार दिखाई दे रहा था।
इधर रूबी भी सोच रही थी की पहले तो कभी उसे राम से बात करने की जरूरत नहीं पड़ी थी और ना ही मैंने रामू के बारे में सोचा था। अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने रामू को नहाते देखा और फिर चूत की आग ठंडी की थी, और अब कल से मैं रामू से काम करवाऊँगी। रामू के नहाते देखना, फिर चूत की आग को शांत करना, और प्रीति के साथ हमबिस्तर होना, यह सब चार-पाँच दिनों में ही घटित हो गया था। क्या किश्मत उसके साथ कोई खेल खेलना चाहती थी? रूबी कुछ भी समझ नहीं पा रही थी।
कुछ देर बाद प्रीति अपने ससुराल के लिए रवाना हो गई।
रूबी अपने डेली रूटीन में बिजी हो गई। रात को बेड पे लेटी-लेटी रूबी फिर से रामू के बारे में सोचने लगी। वो काफी कोशिश कर रही थी की रामू के बारे ना सोचे, पर फिर भी उसका ध्यान में रामू के उस दिन के नहाने के दृश्य को याद करने लगती थी। क्या रामू के बलिष्ठ जिश्म ने उस पे कोई जादू कर दिया था। उसे डर था कहीं वो बहक ना जाए। फिर उसने सोचा की वो अपनी भावनाओं पे काबू रखेगी और रामू को तो उसकी दिल की बात का पता ही नहीं है, तो फिर फिसलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस उलझन का जवाव ढूँढते-ढूँढ़ते कब उसकी आँख लगी उसे पता भी नहीं चला।
अगले दिन राम सुबह का खाना लेने आया। रूबी ने उसे खाना दिया। तभी राम बोला।
रामू- बीवीजी कब शुरू करना है काम?
रूबी- खाना खा लो। मैं भी खा लूंगी तब आ जाना।
राम- “ठीक है बीवीजी..." कहत राम वापिस जाने को पलट गया और सोचकर खुश हो रहा था की अपनी खूबसूरत मालेकिन के पास आने और बात करने का अच्छा मौका मिला है।
इधर रूबी अपने आपसे लड़ रही थी की वो राम के बारे में ना सोचे। उसे यह नहीं पता था की रामू खुद भी उसमें दिलचश्पी ले रहा है।
इधर रूबी भी कोई बच्ची नहीं थी। उसे भी एहसास हुआ कि रामू की नजरें सिर्फ उसके चेहरे पे ही टिकी हैं, और उसे काम का कुछ भी समझ में नहीं आया होगा। खैर, कुछ देर समझाने के बाद रूबी और रामू घर के बाहर आए और रामू अपने कमरे की तरफ, और रूबी कमलजीत और प्रीति के पास आ गई।
इधर राम अपने कमरे में जाते-जाते रूबी के ख्याल में खोया था। उसकी आँखों के सामने तो बस हँस रूबी का मुश्कुराता चेहरा ही बार-बार दिखाई दे रहा था।
इधर रूबी भी सोच रही थी की पहले तो कभी उसे राम से बात करने की जरूरत नहीं पड़ी थी और ना ही मैंने रामू के बारे में सोचा था। अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने रामू को नहाते देखा और फिर चूत की आग ठंडी की थी, और अब कल से मैं रामू से काम करवाऊँगी। रामू के नहाते देखना, फिर चूत की आग को शांत करना, और प्रीति के साथ हमबिस्तर होना, यह सब चार-पाँच दिनों में ही घटित हो गया था। क्या किश्मत उसके साथ कोई खेल खेलना चाहती थी? रूबी कुछ भी समझ नहीं पा रही थी।
कुछ देर बाद प्रीति अपने ससुराल के लिए रवाना हो गई।
रूबी अपने डेली रूटीन में बिजी हो गई। रात को बेड पे लेटी-लेटी रूबी फिर से रामू के बारे में सोचने लगी। वो काफी कोशिश कर रही थी की रामू के बारे ना सोचे, पर फिर भी उसका ध्यान में रामू के उस दिन के नहाने के दृश्य को याद करने लगती थी। क्या रामू के बलिष्ठ जिश्म ने उस पे कोई जादू कर दिया था। उसे डर था कहीं वो बहक ना जाए। फिर उसने सोचा की वो अपनी भावनाओं पे काबू रखेगी और रामू को तो उसकी दिल की बात का पता ही नहीं है, तो फिर फिसलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस उलझन का जवाव ढूँढते-ढूँढ़ते कब उसकी आँख लगी उसे पता भी नहीं चला।
अगले दिन राम सुबह का खाना लेने आया। रूबी ने उसे खाना दिया। तभी राम बोला।
रामू- बीवीजी कब शुरू करना है काम?
रूबी- खाना खा लो। मैं भी खा लूंगी तब आ जाना।
राम- “ठीक है बीवीजी..." कहत राम वापिस जाने को पलट गया और सोचकर खुश हो रहा था की अपनी खूबसूरत मालेकिन के पास आने और बात करने का अच्छा मौका मिला है।
इधर रूबी अपने आपसे लड़ रही थी की वो राम के बारे में ना सोचे। उसे यह नहीं पता था की रामू खुद भी उसमें दिलचश्पी ले रहा है।
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