Erotica मुझे लगी लगन लंड की

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kunal
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Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

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बस इतना ही कह पाये थे और उनके लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया, इतना कहने के साथ ही एक हारे हुए जुआरी की तरह वो धम्म से बिस्तर पर लुढ़क गये और उनके लंड से तेज धार से निकलता हुए वीर्य मेरे मुंह के अन्दर से होता हुआ, मेरी ठुड्डी से बाहर निकल कर मेरे चूचियों से होता हुआ नीचे पेट की तरफ बढ़ रहा था। मैंने जल्दी से पापा जी के पानी चूस कर साफ किया और खड़ी होकर पापा जी के वीर्य को एक उंगली से रोककर अपनी जीभ से उसका स्वाद चख रही थी कि पापा जी पलटे और मुझे उनका वीर्य इस तरह चाटते देखकर बड़ी आँख करते हुए बोले- आकांक्षा, तुमने तो मेरा पूरा वीर्य चाट लिया।

मैं वीर्य की अन्तिम बूंद को भी चाटते हुए बोली- तो क्या हुआ पापा जी, आपके सभी लड़कों का भी वीर्य मेरे इस मुंह ने चखा है और उन सभी ने मेरी चूत के माल का स्वाद लिया है। लेकिन अब समस्या यह है कि मेरी चूत में जो खुजली हो रही वो अब कैसे मिटेगी?

पापा जी ने मुझे अपनी गोदी में फिर से बैठाया और बोले- देखो, मैंने तो पहले ही कहा था कि मुझे अपनी चूत में मेरा लंड डालने दो, लेकिन तुम मानी नहीं और अब इसे खड़ा होने में कम से कम आधा घंटा लगेगा। तुम मेरी बात उसी समय मान लेती तो तुम्हारी चूत की खुजली भी मिट चुकी होती।

मैंने पापा जी के लंड से उनका सारा वीर्य चाट लिया और उनके होंठ चूमते हुए बोली- मेरे पास इसका भी एक जुगाड़ है।

मैं सब कुछ पापा जी से करवा लेना चाहती थी।

मैं उनकी गोद से उठी और अपने बैग से डिल्डो निकाल कर उनको देते हुए बोली- पापा, आप इससे मेरी चूत चोदिये और मेरी खुजली मिटा दीजिए।

पापा जी डिल्डो को हाथ में लेते हुए बोले- यह क्या है?

मैं पलंग पर पसरते हुए बोली- मेरी चूत की खुजली मिटाने के लिये दूसरा हथियार!

कह कर मैंने अपनी टांगें फैलाई और पापा जी का हाथ पकड़ कर डिल्डो को अपनी चूत से सटाते हुए उनसे इसको अन्दर बाहर करने के लिये कहा।

पापा जी ने मेरे कहे अनुसार डिल्डो को चूत में डाला, अन्दर बाहर करने लगे और डिल्डो से मेरी चूत चोदते हुए बोले- तुमको तो बहुत से लंड मिल सकते हैं तो फिर ये किसलिये?

उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए बोली- उम्म्ह... अहह... हय... याह... जब मुझे पता चला कि आप मेरे साथ टूर पर आ रहे हो तो मुझे लगा कि मेरी चूत की आग कैसे शांत होगी और ऑफिस में सबसे यह थोड़े ना कहूँगी कि मैं बहुत चुदासी हूँ और मेरी चूत चोदो। इसलिये मैं इसे अपने साथ ले आई थी कि पता नहीं कब इसकी जरूरत मुझे पड़ जाये।

पापाजी- 'अच्छा, तू बहुत समझदार है। मेरे घर की सबसे ज्यादा चुदासी बहू!' हम दोनों ही बहुत तेजी से हँसने लगे।

पापा जी मेरी चूत में बड़ी स्पीड से डिल्डो पेल रहे थे और मैं भी अपनी आँखें बन्द किये हुए और कमर उठा उठा कर अपनी चूत के अन्दर और लेने की कोशिश कर रही थी ताकि मैं जल्दी से झर जाऊँ! पर पता नहीं कि अचानक पापा जी को क्या हो गया, उन्होंने डिल्डो चूत से निकाल लिया, डिल्डो निकलने से मेरी आँख खुल गई, देखा तो पापा जी उस डिडलो को सूंघते जा रहे थे और चाटते जा रहे थे और फिर उसको एक किनारे फेंक दिया। इससे पहले मैं कुछ बोल पाती कि पापा जी ने अपने बलशाली हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया और अपनी तरफ घसीटते हुए ऊपर की तरफ उठाने लगे।

मैं आधी हवा में झूल गई। पापा जी मेरी कमर को बहुत कस कर पकड़े हुए थे और मेरी चूत को अपने दाँतों से काट रहे थे। वो दाँतों से मेरी चूत को कस कस कर रगड़ रहे थे और उनके इस तरह से मेरी चूत के साथ खेलने के कारण मैं झड़ना शुरू हो चुकी थी। निसंकोच भाव से पापाजी मेरे बहते हुए पानी को पी रहे थे... मेरा पूरा रस पीने के बाद ही उन्होंने मुझे छोड़ा।

जैसे ही उन्होंने मुझे छोड़ा मेरे मुंह से निकल पड़ा- लागी लंड की लगन... मैं चुदी सभी के संग!

मेरी बात सुनकर पापा जी बहुत तेज हँसे। फिर मेरे ऊपर लेट गये और मेरे मुंह को खोल दिया और मेरे रस को अपने थूक के साथ मिला कर मेरे मुंह के अन्दर डाल दिया और जब तक मैं उस थूक को गटक न गई तब तक उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग नहीं किया। इसके बाद मेरे ससुर मेरी बगल में लेट गए और

थोड़ा इमोशनल होते हुए बोले- वास्तव में तुम्हारी तरह लाईफ को जीने का एक अलग आनन्द है और उस पर जब रितेश जैसा तुम्हारा लाईफ पार्टनर जो तुम्हें गजब का सपोर्ट करता हो। मेरी बीवी ने भी कभी सेक्स करते समय मुझे न नहीं कहा, लेकिन उस समय बस इतना ही था कि चूत में डाल लो और थोड़ा बहुत उसके उभारों को मसल लो या फिर निप्पल को अपने मुंह में लेकर पी लो बस! कभी कोशिश भी की कि वो मेरे लंड को अपने मुंह में ले या फिर मैं उसकी चूत को चूसूँ! पर कहाँ, जैसे ही मैं उसकी चूत में मुंह ले जाता तो वो तुरन्त ही अपनी दोनों हथेली अपनी चूत के ऊपर रख लेती और कहती 'ये मुझे अच्छा नहीं लगता, ये मत करिये...' और चाहे जितना समझा लो, लेकिन वो अपनी बात से टस से मस न होती। और बस फिर लंड को चूत में डाल दो और पेलना शुरू कर दो। हाँ बस इतना ही करती थी कि कभी वो मेरे ऊपर और कभी मैं उसके ऊपर हो कर चुदाई करते थे।

मैं पूछ बैठी- क्या सासू मां अपने पूरे कपड़े उतारती थी या??

पापाजी- 'नहीं, इस मामले में वो सही थी, हम लोग चुदाई पूरे नंगे होकर करते थे और जब तक मुझे नींद न आ जाये तब तक वो मेरे साथ नंगी ही पड़ी रहती थी क्योंकि रात में फिर एक बार हम लोग चुदाई कर लेते थे। पर पता नहीं कब वो कपड़े पहन लेती थी।'

मैं- 'दिन में आप लोग?'

पापाजी- 'बहुत कम मौका मिलता था। हम लोगों का टूर उसके मायके या फिर किसी शादी विवाह के लिये बनता था। तो ऐसा मौका जो तुम्हारे साथ मिला है, वो नहीं मिला।'

पापाजी अपनी बात बताते जा रहे थे और मेरी चूत में अपने हाथ चलाते जा रहे थे। मेरा हाथ उनके लंड को पकड़े हुए था। अपनी बात खत्म करने के बाद,

पापाजी बोले- आओ, थोड़ा नीचे चलें! शाम होने को आई और तुम अभी तक कमरे से नहीं निकली।

पापा जी के कहने पर मैंने टॉप और स्कर्ट पहनी और दोनों होटल लॉन्ज में पहुँच गये। हम दोनों बाते करते करते हुए होटल की खूबसूरती को निहार रहे थे कि कुछ ही देर में हम होटल के स्वींमिग पूल पर थे। उस होटल की खास बात यह थी कि कौन किसके साथ किस अवस्था में है किसी से कुछ लेना देना नहीं था। तभी एक वेटर आया उसके हाथ में दो बियर के गिलास थे, उसने हम दोनों को लेने का आग्रह किया। दोनों ने गिलास उठाये और उसे रूम नं॰ नोट करा दिया। हम वही पास पड़े हुए टेबल चेयर पर बैठकर अपने ड्रिंक्स सिप कर रहे थे।

पापाजी- 'तुम्हें स्विमिंग आती है?' पापा जी बोल उठे।

मैं- 'हाँ...' मैंने उत्तर दिया।

पापाजी- 'तो ठीक है, तब आओ स्विमिंग करते हुए ड्रिंक करते हैं।'

इतना कहने के साथ ही पापा जी ने अपने कपड़े उतारे और पूल में छलांग लगा दी। मैं भी अपने टॉप और स्कर्ट को उतार कर पूल के किनारे, साथ में बीयर के दोनों ग्लास रख कर पूल में उतर गई। मेरे पूल पर उतरने के साथ ही पापा जी किनारे आ गये और,

बियर सिप करते हुए बोले- वास्तव में तुम इस पीली पैन्टी और ब्रा में बहुत ही सेक्सी लग रही हो, देखो तो सब तुम्हीं को घूर घूर कर देख रहे हैं।
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मैंने एक नजर सब को देखा तो यही पाया कि सभी मुझे घूर कर देख रहे हैं। इस समय मुझे वास्तव में अपने ऊपर बड़ा घमण्ड हो रहा था। मेरे बड़े-बड़े उरोज और सुडौल और उभरी हुई गांड जितने भी थे उस समय पूल के आस पास सभी मुझे पाने की नीयत से घूरे जा रहे थे। मैं ख्यालों में खोने ही लगी थी कि,

पापा जी ने मुझे झकझोरते हुए कहा- मेरी एक बात और मानो!

इशारे से पूछा 'क्या?'

तो बोले- तुमको कल से मैं पूरा नंगा देख रहा हूँ। देख क्या रहा हूँ, तुम्हारे उन अंगों का मजा ले रहा हूँ। पर पूरी तरह से तुम्हारी सेक्सी फिगर नहीं देख पाया। तुम अपने हाथ में बियर का गिलास लेकर पूरे पूल का एक चक्कर लगा आओ। मैं तुम्हारे पूरे सेक्सी जिस्म को निहारना चाहता हूँ और तुम्हारी चाल देखना चाहता हूँ। खास कर जब तुम चलो तो ये तुम्हारी सुडौल और उभरी हुई गांड किस तरह ऊपर नीचे होती है।

मेरी पैन्टी भी इतनी टाईट थी कि चूत की फांकें भी सबको अच्छे से दिख सकती थी। मैंने पापा जी को यह बात बताई तो उन्होने मुझे दो तीन लड़कियों को दिखाया जिनकी चूत और गांड भी बड़ी आसानी से देखी जा सकती थी। पानी और बियर दोनों का ही सरूर मेरे सिर पर चढ़ने लगा, तो मैंने तुरन्त ही गिलास पापाजी को दिया और पूल से बाहर आ गई। पापाजी ने मुझे वापस बियर का गिलास पकड़ा दिया।

मैं थोड़ा सकुचा रही थी, फिर पापा जी ने मेरा हौंसला बढ़ाया और,

पापाजी बोले- तुम चलो, मैं भी पूल में तैरते हुए तुम्हारी मटकती हुई गांड देखूँगा।

मैं- 'ठीक है!' मैं बोली, लेकिन आपको भी मेरे जिस्म की मालिश करनी होगी, क्योंकि जब तक मैं अपने जिस्म की मालिश न करा लूं, तब तक मुझे नींद नहीं आती है।

पापाजी- 'यार, अब तेरे मेरे बीच में कौन सा पर्दा है! जो तू कहेगी, मैं वो कर दूंगा।'

मैं अब बड़ी अदा के साथ बियर का गिलास लेकर हल्का सा और मटकते हुए चल दी। बस फिर क्या था, सबकी नजर मेरे ही ऊपर थी और मैं सबको इग्नोर करते हुए मस्ती से चली जा रही थी।

पापा जी ने सही कहा था कि लोग तुम्हारे फिगर को देखकर इतने मस्त हो जायेंगे कि अपने आप को भूल जायेंगे। मैं पूल के तीन कार्नरों का चक्कर लगा चुकी थी और चौथे की तरफ आ ही रही थी कि एक ने कमेन्ट मारा- क्या फिगर है... आज रात इसी को सपने में देखकर मूठ मारूंगा।

मैं उसकी बात सुनकर रूक गई और उसे देखने लगी।

वो उठा और मेरी और हाथ बढ़ा कर बोला- हाय, आई एम जीवन!

देखने में वो भी बहुत हृष्ट पुष्ट था, मैंने उसके साथ हाथ मिलाया और आगे बढ़ गई और वापस अपनी बेंच पर आकर बैठ गई। उस जीवन की बात मेरे कानों में गूंज रही थी कि पापा जी मेरे बगल में बैठ गये और मुझे झकझोरते हुए बोले- फिर तुम कहीं खो गई?

फिर मुझसे पूछने लगे- तुम एक पल के लिये उस आदमी के पास क्यों रूक गई थी।

मैं इतना ही बोली- आज रात वो मुझे अपने सपने में चोदेगा।

पापाजी- 'मतलब!?!' एक बार फिर पापाजी ने पूछा।

'कह रहा था कि आज रात मुझे वो अपने सपने में देखेगा और मुठ मारेगा।'

मेरी बात सुनकर पापाजी मुस्कुराते हुए बोले- यही नहीं, आज सभी मर्द या तो मुठ मारेंगे या फिर अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड में तुम्हें देख कर उसकी खूब चुदाई करेंगे। उस आदमी का क्या नाम है?

'जीवन...'

फिर वही वेटर एक बार फिर आया और पापा जी को एक किनारे ले जाकर उनसे कुछ कहने लगा, उसके हाव भाव से लग रहा था कि वो मेरी ही बात कर रहा था क्योंकि वो लगातार मेरे तरफ देख रहा था और पापाजी को कुछ समझा रहा था। पर पापाजी के हाव-भाव से लग रहा था कि वो उस वेटर को उस बात के लिये मना कर रहे थे। थोड़ी देर तक दोनों बातें करते रहे, उसके बाद वेटर ने एक कार्ड निकाल कर पापा जी को दे दिया और चला गया।

फिर पापाजी मेरे पास आये, मेरे पूछने पर सिर्फ इतना ही बोले- चलो कमरे में... वहीं बताता हूँ।

हम दोनों कमरे में आ गये।

भूख लगी थी तो मेरे कहने पर पापाजी ने इन्टरकॉम से खाने का ऑर्डर दे दिया। तभी फोन की घंटी बजी, देखा कि रितेश की कॉल थी, वो हाल चाल पूछने लगा। बात करते करते कहने लगा कि अगर तबीयत ठीक ना हो तो वापस आ जाओ। पर मैंने रितेश को कल ऑफिस ज्वाईन करने की बात कह दी। फिर थोड़ी देर और बात हुई उसके बाद मैंने बाय कहकर मोबाईल डिस्कनेक्ट कर दिया। अभी मोबाईल डिस्कनेक्ट ही किया था कि मेरे बॉस का फोन आ गया उनसे बात करने के बाद एक अननोन नम्बर से काल आना शुरू हुई। मैंने पापाजी की तरफ देखा तो उन्होंने मुझे पिक करने के लिये कहा। कॉल जैसे ही पिक की, उधर से मेरा हाल चाल पूछा गया और कहने लगा कि उसने मेरे बॉस से मेरा नम्बर लिया है और मेरे ऑफिस आने का प्लान पूछने लगा।

मैंने दूसरे दिन ऑफिस ज्वाईन करने की बात कहकर कॉल बन्द कर दी।

तभी कमरे की बेल बजी, पापा जी और मैंने दोनों ने अपने अपने गाउन पहने, पापा जी ने आने वाले का परिचय पूछा तो पता लगा कि जो ऑर्डर दिया गया है वो सर्व होने के लिये आया है। पापा जी ने दरवाजा खोला, देखा तो आने वाला वही वेटर है जो पूल पर पापाजी से बातें कर रहा था। वो खाना रखते हुए मुझे बार बार घूर रहा है। मुझे इस समय थोड़ी शरारत सूझी तो मैंने हल्के से पापा जी को देखा जिनकी नजर भी वेटर की हरकत पर ही थी पर वो मेरी तरफ नहीं देख रहे थे तो मैं मौके का फायदा उठाते हुए वेटर को दिखाते हुए अपनी चूत को खुजलाने लगी। अब हक्का बक्का होने की बारी वेटर की थी, उसने बड़ी जल्दी ही ऑर्डर को मेज पर लगाया और चला गया।

तभी मुझे पूल वाली बात याद आ गई, मैंने पापा से पूछा कि वो वेटर उनसे क्या कह रहा था।

पापाजी बोले- वो तुम्हारे बदन की बहुत तारीफ कर रहा था, कह रहा था कि मैडम बहुत ही प्यारी है। और राय दे रहा था कि उसके पास बहुत अच्छी-अच्छी ब्लू फिल्म है, अगर मैं चाहूँ तो तुमको प्यार करते समय उस फिल्म को भी लगा सकता हूँ, प्यार करने का और मजा आयेगा।

मैं- 'तो आपने क्या कहा?'

पापाजी- 'फिलहाल मैंने उसे मना कर दिया।'

मैं- 'मना मत कीजिए, उससे कहिये जो सबसे गन्दी वाली हो वही दे। मैं भी आपके साथ बैठ कर वो मूवी देखना चाहती हूँ।'

हमने खाना खत्म किया और पापा जी ने वेटर को फोन करके सबसे गंदी वाली मूवी लाने को कहा और हम वेटर का इंतजार करने लगे। वेटर आया उसने पेन ड्राइव को टीवी से अटैच किया और किस तरह मूवी चालू करनी है, समझा कर चला गया। जाते समय उसने मेज पर रखी हुई चीजो को समेटा और पापा जी ने जो टिप्स दी उसे लेकर जाने लगा, लेकिन जाते समय यह कहना नहीं भूला कि अगर कोई भी जरूरत हो तो जरूर याद करना।

उसके जाते ही पापा जी ने लाईट ऑफ करके अपने पूरे कपड़े उतारे और मूवी चालू कर दी।

मैंने भी अपने शरीर से कपड़े अलग किए। मूवी चालू करने के बाद पापा जी मेरे पास आकर चिपक कर बैठ गये, मेरे कंधे में हाथ रख मेरे गोले को सहलाने लगे दूसरे हाथ से मेरी जांघों को सहलाने लगे। मेरे भी हाथ उनकी जांघों को सहलाने लगे थे। मूवी देखते हुए पापाजी मेरे मम्मे को और दाने को जोर से तो मसल ही रहे थे, साथ ही मेरी जांघ को सहलाते हुए मेरी चूत की फांकों में भी उंगलियाँ चला रहे थे।

चलिये मैं आपको मूवी भी बताती हूँ, उस मूवी में कोई इन्डियन लड़की लड़के थे, दोनों एक कमरे में आते है और लड़का कमरे में रखे हुए कैमरे को सेट करता है और फिर लड़की को लेकर कैमरे के सामने ही एक कुर्सी पर बैठ कर उसके मम्मे को जोर-जोर से दबाता है। फिर एक-एक करके लड़का लड़की के कपड़े उतारता है और उसके जिस्म के एक-एक अंग को कैमरे के सामने सेट करता है। फिर लड़का लड़की को कैमरे के सामने ही इस प्रकार झुकाता है कि उसकी गांड और चूत का छेद साफ-साफ दिखाई पड़ने लगता है। लड़का भी अपने कपड़े उतारकर उसकी चूत और गांड के छेद को चाटने लगता है, फिर लड़की के मुंह के पास अपने लंड को ले जाता है, लड़की लंड को पकड़ कर चूसने लगती है। लड़का पास पड़ी हुई कटोरी को उठाता है, उसमें अपने लंड को डुबोता है और लड़की के मुंह में ले जाता है। शायद उसमें शहद होगा। कुछ देर ऐसा ही चलता है।

वो सीन देखकर मैंने पापाजी को देखा तो उन्होंने मेरे मम्मे को कस कर दबा दिये और फिर पास पड़े हुए इन्टरकॉम से उसी वेटर को बुलाया।

इधर लड़के ने लड़की को बिस्तर पर लेटा दिया और कटोरी के शहद को उसके मम्मे के ऊपर गिरा कर चाटने लगा, फिर नाभि के ऊपर डालकर उसको चाटने लगा और फिर उसी तरह से चूत के ऊपर डालकर उस्की चूत को चाटने लगा। इतना करने के बाद लड़के ने लड़की को चोदना शुरू किया,
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मेरा हाथ ससुर जी के लंड को जोर जोर से मसल रहा था और पापाजी मेरी चूत को मल रहे थे। कई स्टाईल में चुदाई का सीन चल रहा था। चुदाई सीन देख कर मैं और पापा जी दोनों मस्त हो रहे थे और दोनों के चलते हुए हाथ बताने के लिए काफी थे कि हम कितना मस्त हो चुके थे।

तभी डोर बेल बजी, बाहर उसी वेटर की आवाज आई तो पापा जी ने उसे चार रसगुल्ले, कुछ अंगूर और मेरे कहने पर बिस्तर की चादर बदलने के लिये लाने के लिये बोला।

वेटर ने भी वहीं से हामी भरी और चला गया।

हम एक बार फिर एक दूसरे के जिस्म से खेलते हुए चुदाई की सीन देखने में मस्त हो गये। लड़की चुद चुकी थी और लड़का ने लड़की के सर को बिस्तर से नीचे की ओर लटका दिया और अपना लंड उसके मुंह के पास ले जाकर हिलाने लगा। आठ से दस बार लंड को हिलाने के बाद लड़के ने अपने वीर्य को लड़की के मुंह के अन्दर रोक रोक कर छोड़ने लगा और लड़की ने उसे बड़े ही प्यार के साथ गटक लिया और एक-दो बूंद जो लंड से निकल रहा था उसे चाट कर साफ कर दिया। यह मूवी करीब 15 मिनट की थी, लेकिन काफी मस्त थी।

पापा को बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उन्होंने मुझे उठाकर अपने लंड पर बैठा लिया। मैं भी पनिया गई थी तो उनका लंड गप्प से मेरे अन्दर समा गया।

उनके ऊपर उछलते उछलते मैं पापाजी से बोली- अगर आपको बुरा न लगे तो थोड़ा सा उस वेटर को टिप दे दूँ? वो आपकी बहुत सेवा कर रहा है।

पापाजी बोले- क्या उससे भी चुदवाना है तेरे को?

मैं- 'नही नहीं, चुदवाना नहीं है, बस उसका मुंह मीठा कराना है।'

पापाजी- 'मतलब??'

मैं- 'मतलब यह कि मैं चाहती हूँ जो रसगुल्ला आप मंगा रहे हो वो मेरी चूत के अन्दर से अपने मुंह से निकाले और खा ले। यही उसका ईनाम होगा। उसके बाद वो हम लोगों की और मन लगाकर सेवा करेगा। इतना ही नहीं मैं जब कल ऑफिस में हूँगी और आपके लंड में खुजली मचेगी तो वो ही आपके लिये लड़की का इंतजाम भी कर देगा।'

पापाजी- 'नहीं मुझे कोई लड़की तो नहीं चाहिये लेकिन मुझे भी मजा आयेगा... पर देख ले कहीं तू शर्मा न जाये?'

मैं- 'काहे की शर्म?' मैंने कहा, उसे पता है कि मैं आपसे चुद रही हूँ। इसलिये तो उसने मूवी भी तो देखने के लिये दी है ताकि हम दोनों चुदाई वाली मूवी देखने के साथ-साथ चुदाई का खेल भी खेलें।

तभी हम लोगों की नजर एक बार फिर मूवी पर गई, अब मूवी इंग्लिश थी, जहां एक लड़की अपनी चूची को सहलाते हुए उत्तेजित होने की कोशिश कर रही थी कि तभी दो गंजे मर्द अपने लंड को सहलाते हुए उसके पास आये। इनमें से एक ने लड़की के सर को पकड़ा और अपने लंड से उसके होंठ को रगड़ने लगा और जैसे ही लड़की ने लंड को चूसने के लिये मुंह खोला, उस गंजे से आदमी ने लड़की के मुंह के अन्दर पेशाब करना शुरू कर दिया, इसी तरह दूसरे गंजे ने भी लड़की के मुंह में पेशाब करने लगा। लड़की के मुंह में जितना पेशाब जाता, वो उसे बाहर निकाल देती। जब दोनों लड़की के मुंह में पेशाब कर चुके तब दोनों गंजे जमीन पर लेट गये और फिर लड़की बारी-बारी से दोनों गंजे के मुंह के ऊपर बैठ कर मूतने लगी। दोनों गंजे लड़की मूत को पी गये यहां तक कि दोनों उसकी चूत को चाटने लगे। 5 मिनट की मूवी में मूतने के सीन ने मुझे अपनी सुहागरात वाली कहानी याद दिला दी।

तभी पापाजी बोले- क्या बकवास है, ऐसा नहीं होता है।

मैंने पापाजी को अपने सुहागरात की कहानी सुनाई, मेरी सुहागरात की कहानी सुनने के बाद

पापाजी बोले- क्या सच में तुम दोनों ने ऐसा किया था?

मैं- 'हां और बहुत मजा आया था।'

मैं अभी भी उनके लंड पर उछल रही थी,

तभी पापाजी बोले- अब मेरा छूटने वाला है।

उनकी बात सुनकर मैं लंड से हट गई और उनके लंड को अपने मुंह में ले लिया कि तभी बेल फिर बजी तो,

पापाजी ने वेटर का नाम लिया और बोले- अन्दर आ जाओ।

मैं जमीन पर बैठी हुई पापा जी की मलाई अपने मुंह में भर रही थी कि वेटर अन्दर आ गया।

उसकी आँखें हम दोनों को उस पोजिशन में देखकर फटी की फटी रह गई, वो लाईव चुदाई देख रहा था,

हकलाते हुए बोला- सर रसगुल्ले और चादर ले आया हूँ।

अब हम दोनों ही एक दूसरे से अलग हो चुके थे। पापाजी ने वेटर को चादर बदलने के लिये बोले और साथ में चादर को रोज बदलने के लिये बोले। वेटर का और हौसला बढ़ाते हुए

पापाजी बोले- तुमने जो फिल्म दी थी, वो बहुत ही मस्त थी और मेम साब तुम्हें उसका ईनाम देना चाहती हैं।

इस समय वेटर की आँख में थोड़ी सी चमक थी, वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा और अपने खड़े लंड को जो उसके लोअर से साफ दिखाई पड़ रहा था, को अपने हाथ से दबाते हुए बोला- मेम साब थैंक यू। क्या मैं भी कपड़े उतार सकता हूँ?

मैं तुरन्त ही बोल पड़ी- नहीं नहीं, कपड़े उतारने की जरूरत नहीं है।

कहकर मैं पलंग पर लेट गई और अपने दोनों ऐड़ियों को अपने कूल्हों से सटाकर दोनों टांगों को चौड़ा करके पापा जी से बोली- आप इस रसगुल्ले को मेरे अन्दर डालो!

और फिर वेटर से बोली- तुम यहां आओ और इस रसगुल्ले का स्वाद लो।

पापाजी ने वैसा ही किया और रसगुल्ले को मेरी चूत के अन्दर फंसा दिया। वेटर मेरे पैरों के पास आया और नीचे बैठकर अपने हाथों से मेरी जांघ को पकड़कर थोड़ा और फैला दिया।
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