नौकर से चुदाई compleet

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rajsharma
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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

उसने मेरा दांया कुल्हा पकड़ के दबाया..मेरा नरम मांसल कुल्हा..उस
का खुरदुरा कड़ा हाथ..काम्बीनेशन अच्छा था. पहले तो सिर्फ़
सहला रहा था,जब उस ने देखा कि मैं कोई विरोध नही कर रही हू तो
दबाने भी लगा. मेरे कुल्हों के माँस को दबा कर लाल कर दिया
कम्बख़्त ने.पर मुझे लग बहुत अच्छा रहा था. मैं अपनी बाँह उसके
गले मे डाल कर लिपट गयी. और अपने मम्मों को उस के सीने मे दब
जाने दिया..कही कुछ हो गया तो बड़ी बदनामी हो जाएगी रे...-कुछ
नही होगा बीबीजी.कहा तो था..आपरेशन करवा लिया हू.सुनते है
आपरेशन फेल भी तो हो जाता है...मेने अपने मन की शंका
बताई.तो...उसने मेरे जवान कूल्हे का मज़ा लिया.तो क्या..अरे बाबा
आपरेशन फेल हो गया तो मुझ विधवा का क्या होगा भला ?.उसने ज़ोर से
मुझे जाकड़ के मेरे कूल्हे का हलवा बना
डाला..बीबीजीईईईई...मेरे होते हुए आप काहे की विधवा.कहो तो
सुबह मंदिर मे शादी कर लेते है.. अब चौकने की बारी मेरी थी.
ये तो मेरे लिए सीरीयस है. इतना सीरीयस..शादी करना चाहता
है मुझ से.ऐसा अनोखा प्रापोज़ल मुझे अपनी सारी जिंदगी मे नही
मिला था. मेरे तो सुनकर ही रोए खड़े हो गये.पूरे बदन मे
अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था..तुम.तुम..तो शादी शुदा हो
ना.-तो क्या हुआ बीबीजी.एक मरद की दो औरते नही होती है क्या ?.ओ
मा..ये तो बड़े बुलुंद ख्याल का दिखाई पड़ता है. मैं मन मे
सोची.शायद देवी माता मेरी सहायता कर रही थी. मैं उस की बाहों
मे इठला कर बोल पड़ी..मुझ से शादी करोगे ? इतनी पसंद हू मैं
?बहुत...बहुत..आप बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो बीबीजी. पता है यहा
पूरे मोहल्ले मे आप से ज़्यादा सुंदर कोई नही है..और उसने मेरे कूल्हे
को मसल डाला..हमारे गाँव मे तो आपके जैसी गोरी एक भी औरत
नही है.और वो तुम्हारी औरत ?..देवकी...? मुझे उस की गाँव वाली
औरत का नाम पता था.अरे..वो क्या खा कर आपका मुकाबला करेगी.वो
तो आपके पाँव की धूल भी नही है बीबीजी..अपनी तारीफ़ सुन कर
मुझे बहुत अच्छा लगा. उसी चक्कर मे मैं फिर से गरम हो गयी. और
उस से लिपटने लगी ज़ोर ज़ोर से साँस छोड़ने लगी. मेरी उत्तेजना की
ये हालत देख हरिया फॉरन मेरे उपर चढ़ आया. उस का लंड तो पता
नही कब का खड़ा हो चुका था. बस मेरे उपर सवार हो मेरी टांगे
उठा दी. अबकी बार तो मेने खुद भी सहयोग करते हुए अपनी टाँगों
को मोड़ा. तब उसने अंधेरे मे ही अपना खड़ा लंड मेरी बालों भरी
चूत से लगाते हुए कहा...बोलो फिर.क्या कहती हो.करनी है कल
शादी ?.एक तो चूत पर खड़े लंड की रगदन और उपर से शादी का
प्रापोज़ल..मेरे तो छक्के छूट गये. बस कह कुछ नही पाई.उसके दोनो
हाथों को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर दबा लिया. वह कुछ ना बोला.
शायद मेरी हालत समझ रहा था. बस...धक्का लगा कर लंड मेरे
अंदर घुसा दिया.
भाई लोगो कहानी अभी बाकी है आगे की कहानी अगले भाग मे आपका
दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

नौकर से चुदाई पार्ट---4

गतान्क से आगे.......

अंदर पहले का पानी भरा था. और मैं दुबारा गीली भी हो रही

थी.लंडराज ऐसे घुसे जैसे मक्खन मे छुरी. लेकिन छुरी तो छुरी

होती है. रोकते रोकते भी मेरे मुँह से सीत्कार निकल पड़ी. अंधेरा

बंद कमरा मेरी ज़ोर की सीत्कार से गूँज उठा..सीईईई.बदन कड़ा

पड़ गया. बिस्तर की चादर हाथों से पकड़ नोच ली. उसने तो एक ही

धक्के मे पूरा लंड जड़ तक अंदर घुसा दिया. जब घुस गया तो मेने

यह सोच कर कि यह कही अभी का अभी शुरू ना हो जाए-उसे अपने उपर

गिरा लिया.और उस के गले मे बाहे डाल दी. और और अचानक मुझे ना

जाने क्या हुआ कि मैं रो पड़ी. सूबक सूबक कर रो पड़ी. रात के

अंधेरे मे...हरिया की खटिया पर..एकदम मादरजात नंगी.हरिया का

मोटा लंड अपनी चूत मे फुल घुसवाए हुए.मैं ज़ोर ज़ोर से रो रही

थी बेचारा हरिया तो हक्का बक्का रह गया..उसने अपना लंड तो नही

निकाला-पर लंड को चूत मे स्थिर कर बार बार पूछने लगा.क्या हुआ

बीबीजी. मैं बहुत देर तक रोती रही.वह चुपचाप लंड घुसेडे मेरे

बालों मे उंगलीया फिराता रहा. जब मैं थोड़ा नारमल हुई तो

सुबकि भर उस से बोली..मुझे छोड़ के मत जाना हरिया...-मेरा

तुम्हारे सिवा कोई नही है...आप बिल्कुल मत डरो बीबीजी..मैं आपको

क्यों छोड़ूँगा.मुझे आपके जैसी सुंदर औरत कहा मिलेगी.मुझ पर

भरोसा करो बीबीजी..और जानते है क्या हुआ..?.हरिया ने खचाक से

अपना लंड मेरी चूत से खीच लिया. उठा. खाट से उतरा. मुझे हाथ

पकड़ कर उठाया. खीच के मुझे दीवार की तरफ ले गया.

और.खत..आवाज़ के साथ कमरे की ट्यूब लाईट जल उठी. अजीब

द्रश्य था. मैं और वो दोनो मादरजात नंगे थे. उस का मोटा सा

काला लंड अभी भी तन कर खड़ा था.मेरे आगे लकड़ी के डंडे जैसा

झूल रहा था..एक दम काला मोटा लंबा.उसमे तीनों ही खूबीया थी.इत्ता

बड़ा लंड मेने तो जिंदगी मे पहली बार देखा था. मेरी तो साँस ही

थम गयी. लज्जा के मारे मेरा बुरा हाल था. वह मुझे खीच कर

भगवान के आलिए के पास ले गया. और मैं कुछ समझ पाती इस के

पहले ही उस ने वाहा से सिंदूर ले कर मेरी माँग भर दी. ओह्ह्ह्ह्ह माँ यह

क्या किया रे मुझ विधवा की माँग मे सिंदूर !!!!!!!!! मैं तो

गणगना कर वही ज़मीन पर बैठ गयी. हरिया ने पकड़ कर मुझे

उठाया और खटिया पर ले गया. वा मेरी बगल मे लेटने लगा तो मैं

कुनमूनाई..ला..ई..ट. वह मूँछों मे मुस्कराया..अब लाईट तो रहने

दो बीबीजी..कम से कम मैं तुम्हे देख तो सकूँ. और वह भी मेरे पास

आ लेटा.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

मैं रोशनी मे शरमाती हुई बोली..-यह क्या किया ? मेरी माँग

भर दिए ? और उसके सीने मे मुँह छुपा लिया..उसने मुझे अपनी बाहों

मे भर लिया..आप नाराज़ तो नही हो ना ? उसका हाथ मेरी पीठ पर

था. मुझसे शरम के मारे कुछ बोलते नही बना.बताओ ना

बीबीजी..अपने मन की बात खुल कर कहो. मैं तब भी कुछ ना बोली.बस

अपनी बाहे उसके गले मे पिरो कर अपने मम्मे उसके सीने से दबा

दिए..मेरे मम्मों का मधुर दबाव महसूस कर वह अपना जवाब पा गया.

और बस अगले ही क्षण वह मेरे उपर था. मैं अपनी टाँगों को खुद ही

मोड़ कर उस के लिए जगह बनाते हुए सोच रही थी कि ये आख़िर चीज़

क्या है.कितनी देर हो गयी अभी तक अपना लंड खड़ा ही किए हुए

है.पहले मेरी मे घुसा चुका था-फिर निकाल के, उठा कर ले

गयामांग मे सिंदूर भरा-फिर खटिया पर आ कर घुसाने को तैयार

है.कब से खड़ा है इसका दूसरे का होता तो अभी तक कभी का ढीला

हो जाता. और मेने टांगे मोडी ही थी कि मेरे प्यारे नौकर ने अपना

लंड पकड़ कर मेरी चूत से लगा दिया. वह धक्का दे उसे अंदर करता

उस के पहले ही मैं उसका हाथ पकड़ कह उठी..हा..री..याआअ

धी..रे...-वह मुस्करा दिया..

अब कमरे मे ट्यूब लाईट का उजाला था,इस वजह से मुझे अपने नौकर
के आगे बहुत शरम आ रही थी.मेने उसे मुस्कराता पा शरमा कर
अपना हाथ कुहनी से मोड़ कर आँखों पर,चेहरे पर रख लिया. उसने
धक्का दिया तो लंड प्रवेश की पीड़ा से मैं एक बारगी तड़प उठी. पर
मुँह को कस के बंद किए रही..बीबीजी..दर्द हो रहा है क्या ? मैने
कहा तो कुछ नही,पर दर्द महसूस ज़रूर कर रही थी.बहुत मोटा और
कड़ा लंड था साले का.ज़्यादा दर्द हो रहा हो तो निकाल लू ? उसने मुझे
छेड़ा..मैं काट के रह गयी. 35 साल की मेरी उमर एक बच्चे की माँ
यह ठीक है कि मेने सात साल बाद लिया था पर यह तो संसार का
आठवा आसचर्या होता कि दर्द की वजह से उसे लंड निकालना पड़
जाता. मैने कनखियों से उसे देखा. मालकिन की चूत मे लंड घुसा
बड़ा खुश नज़र आ रहा था..बीबी जी.(उसने थोड़ा सा लंड बाहर की
तरफ खीचा.)उम...(मैं गणगना कर कमर हिलाई)बोला करो...(उसने
झट से पूरा अंदर कर दिया) मुझे शरम आती है ना.(मैं धक्के से
हिल उठी)अरे इसमे कैसी शरम.यह तो सब कोई करते है.(उसने मेरे
घुटने पकड़ चौड़े कर दिए)बताओकरते है कि नही.(और एक मझोला
धक्का मारा) का..का..करते..है..(मैं आनंद से विहल हो
उठी.)औरत मरद का तो जोड़ा होता है बीबीजी..इसमे कैसी शरम.(उसने
लंड अंदर किया).( मैं मोटे लंड की मार से व्याकुल हो तकिये पर
उपर खिसक पड़ी) बीबीजी.देखो..शरम करोगी तो मज़ा नही
आएगा...(उसने अपने लंड राम को इतना बाहर निकाला लिया कि अंदर
बस सुपारा ही बचा)..(मैं चुप्पी मारे चेहरे पर कुहनी मोडेपडी
रही.)बीबीजी. (उसने मेरी टाँगो को भरपूर उँचा उठा कर लंड
घुसाया.)..(मैं सात साल बाद मर्द का मज़ा ले रही थी.जवाब नही
दिया.बस चुप पड़ी रही )बीबीजी...बोलो ना..अपने मन की भावना को
प्रगट करो..ऐसे चुप ना रहो...मुझे चूत खोल कर पड़ी रहने वाली
औरते पसंद नही है..(और गचाक से लंड घुसेड़ा).

हम बोल तो रहे
हैं.(मैने कुनमूना के उसके धक्के का मज़ा लिया.)बोलोज्यादा दर्द तो नही
है अंदर.(उसने मेरे घुटने को सहलाया)ज़्यादा नही है...(मैं
शरमा के कही)निकाल लू ?धात..-फिर.(वह हंसा)मैं क्या
जानूँ.(मेरे गाल लाल हो गये)चोदु...(वह गपाक से अंदर
किया)हामाआ.(मस्ती के मारे मेरे मुँह से हा निकल पड़ी)मज़ा पा रही
हो ना.(वह बाहर खीचा)हामाआ..(मुझे लगा कि मई जन्नत मे
हू.)ज़ोर से चोदु ?... (वह मेरी जाँघ पर हाथ फेरा)नही...(मैं
उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी.)फिर..(वह पूरा का पूरा लंड
अंदर कर दिया.) धीरे..हाय..धीरे सीई रीई..(मैं दर्द से कराह
उठी).वह धीरे से निकाला.धीरे से घुसाया..ऐसे ? ( मेरी तरफ
देख मुस्कराया)हाँ...आईसीई ईईईईई..(मैं धक्कों के ज़ोर से
उचक पड़ी)मज़ा आया ?(उसे मालकिन की चूत पर कब्जा करने की अपार
खुशी थी)सीईईई..(मैं ज़ोर से सीत्कार उठी.पर उस का जवाब नही
दिया)बोलो..(वह अपना कड़क लंड मेरी चूत मे जड़ तक पेल दिया.)क्या..
(मैं धक्के के ज़ोर से तकिये पर उपर की तरफ खिसक गयी.)कैसा लग
रहा है...
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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

(वह जल्दी वाला धक्का मारा )सीईईईईई...हरिय्ाआआ..मर
जाउम्गीईईईइ..(मैने चेहरे से हाथ हटा उसका हाथ पकड़ लिया.).वह
तो तेश मे आ गया और तीन चार धक्के दिए. मैं झरने के कगार पर
पहुँच गयी. उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँच मेरी सारी शरम
पता नही कहा घुस गयी. मेने अपने नौकर का हाथ पकड़ उसे अपने
उपर गिरा लिया और दोनो हाथोंदोनो पाओंसे उसे बुरी तरह जकड़ते
हुआ ज़ोर से सिसकारी सी भरी..ओ हर्र्रियाअ रहह..मेरा शरीर
रोमांच से भर उठा. मैं हरिया के नीचे एकदम पत्ते की तरह कंपकपाने
लगी. जैसे कोई जुड़ी ताप बुखार चढ़ा हो. मेरे मुँह से बस
ईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल रही थी. चतुर
हरिया समझ गया कि मेरा डिस्चार्ज हुआ है. उसने उसीमे कस के तीन
चार धक्के मार दिए. और लो उसका भी हो गया..लंड मेरे अंदर तुनक
तुनक के अपना माल गिराने लगा. मैं अपने नौकर की क्रीड़ा पर
निहाल हो गयी..दोनो एक दूसरे को ऐसे जाकड़ लिए कि अब कभी जुदा ही
नही होना है...----.औरत की जिंदगी मे मर्द के पहले
चुबन की बहुत ज़्यादा अहमियत रहती है. शायद मर्द को भी
रहती हो. आप को यह जानकर ताज्जुब होगा कि मैं पिछले दिनों अपने
नौकर हरिया द्वारा चोदि तो गयी थी..पर ना तो उसने मेरा मम्मा
दबाया था और ना ही मुझे चूमा था. पता नही उसके यहा इन बातों
का रिवाज भी था या नही. पर उसके मेरी माँग भर कर चोदने के
तरीके से मैं बहुत थ्रील्ड थी. हालाकी मैने कई बार मर्द के साथ
कल्पना मे चुदाई की थी. पर हरिया का ख़याल उसके नौकर होने की
वजह से कभी नही आया था. एक ऐसे व्यक्ति से चुदाई करवाने का
मज़ा कुछ और ही होता है जिसके बारे मे आपने पहले कभी सोचा ही
नही हो. मेने तो कभी कल्पना ही नही की थी कि किसी दिन अपने नौकर
हरिया से चुदवाउंगी. हालाकी वह मेरे साथ पिछले दो साल से
है..तो मैं बात कर रही थी पहले चुंबन की. मुझे हरिया से
पहला चुंबन आज शाम को मिला. जब मैं स्कूल से आई तो दरवाजा
खोलनेवाला हरिया था. मैं अंदर आई तो उसने फॉरन दरवाजा बंद
कर मुझे बाहों मे भर लिया. एक दम दिन दहाड़े उसकी इस हरकत से
मैं घबरा सी गयी. उसकी बाहों से निकलने की कोशिश की.
छटपताई..छोड़ो ना..-क्या करते हो..-कोई देख लेगा ना.. मैं
छटपटा कर उसकी बाहों से आज़ाद होने की कोशिश करती रही. पर
मेरा यह प्रयास व्यर्थ था. मर्द के आलिंगन से छूटना हम औरतों
के लिए इतना आसान नही होता है. और फिर अगर मर्द हरिया के जैसा
कड़ियल हो तो बिलकुल भी नही. उल्टे इस चक्कर मे मेरे ब्लाओज मे कसे
उरोज उसके चौड़े सीने से रगड़ रगड़ उठे. और तब उसने मुझे चूमा.
एक चुंबन..मेरा पहला चुंबन.मेरे दाएँ वाले गाल पर..हरिया
सावला रंग हमेशा धोती और बंदी पहनता है. 30-35 की उमर
पहाड़ी मर्द कसरती देह फॉलादी बाँहे तेज बीड़ी की महक मेरे
नथुनो मे घुसती चली गयी. बड़ी बड़ी झाओ मुच्छे मेरे गोरे गोरे
गाल पर गढ़ उठी.

शरम के मारे मेरे तो गाल ही गुलाबी हो उठे. मैं चुंबन खा ज़ोर
लगा कर उस से छूट गयी और वाहा से भाग के अपने कमरे मे घुस
गयी. जब मैं अपनी साड़ी से अपना गाल पोन्छा तो उस पल का अहसास
करते ही मेरे गोरे गाल फिर से गुलाबी हो उठे..थोड़ी देर बाद जब
वह खाना बना रहा था तो मैं किसी काम से किचन मे गयी. उसने मोका
नही छोड़ा. मुझे फॉरन से कमर मे हाथ डाल लिपटा लिया..क्या करते
हो.-छोड़ो..-कोई देख लेगा...उसने ज़ोर से आलिंगन मे बाँध लिया. एक बार
फिर मेरे सुपुष्ट उभार उसके सीने से रगड़ उठे..यहा कोई नही है
बीबीजी.-मुन्ना.मैं किसी तरह शरमाई सी बोली.साथ ही कुछ
जानबूझकर कर ही अपने मम्मे उसके सीने से रगड़ी.वो तो बाहर
खेल रहा है..मैं चुप रही तो उसने मुझे भिच लिया..बीबीजी...उसके
हाथ मेरी पीठ पर सख़्त हो गये.हुमुऊ..मैने चिपक कर जवाब
दिया.
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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

नाराज़ तो नही हो ना..उसने पूछा..दर असल वह डर रहा था. वह
नौकर मैं मालकिन दोनो के स्तर मे बड़ा फ़र्क था. उसने मुझे स्कूल से
आते ही चूम लिया था.इस कारण अब डर रहा था कि कही मालकिन
नाराज़ हो जाए और उसकी नौकरी चली जाए. पर क्या आप भी
समझते है कि उसकी नौकरी जाने वाली थी ? नही भाई नही अरे
उसका तो प्रमोशन होने वाला था. वह तो नौकर से मेरा हसबेंड
बनने वाला था. मेरा प्राईवेट हसबेंड. प्राईवेट हसबेंड
यानी समाज की नज़रो मे मेरा नौकर परंतु घर मे मेरा वो..हा हा हा
हा हा हा दोस्तो कहानी अभी बाकी है आगे क्या हुआ जानने के लिए
पढ़ते रहे नौकर से चुदाई . आपका दोस्त राज शर्मा
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