Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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rajsharma
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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शाज़िया उसे बताती हैं- "भाभी, वो राज सर के साथ उनका कोई दोस्त आया है कुवैत से। उनके लिए चाय बना दो...' शाज़िया की बात सुनकर नजमा की चूत सुन्न पड़ जाती हैं।

नजमा को यकीन नहीं होता की जय इतनी जल्दी आ जाएगा। नजमा को सोचता देखकर शाज़िया समझ जाती है की भाभी आज जय मिया से चुदेगी।

शाज़िया नजमा को हिलाते हुए कहती है- "भाभी जाओ चाय बना दो.."

नजमा किचेन की ओर जाने लगती है। जैसे ही जय की नजर और नजमा की नजर टकराती है, नजमा की चूत पानी छोड़ देती हैं। नजमा के मन में बहुत सारे खयाल आ रहे थे।

राज नजमा को रोकते हुए कहता है- "नजमा जी ये जय राज हैं, और जय ये नजमा है इस घर की मालकिन....

नजमा जय की तरफ देखती है तो जय उसे किसी राक्षस जैसा लग रहा था, और नजमा उसके सामने कमसिन कली। नजमा को देखते ही जय की आँखें लाल हो जाती हैं और उसका लण्ड अपने आकार में बदल ने लगता है। नजमा जैसी औरत को देखकर जय को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।

तभी राज नजमा से उसके पति के बारे में पूछता है।

नजमा बताती है- "वो अभी सो रहे हैं... और वो किचेन की तरफ जाने लगती है।

जय पीछे से नजमा की गाण्ड देखकर पागल हो जाता है।

राज के दिमाग में एक आइडिया आता है और वो हँस देता है।

शाज़िया नजमा के आते ही अपने रूम में चली जाती है।

राज जय को इशारा करके किचन में जाने के लिए कहता है और बताता है की वो ऊपर जा रहा है। जय राज की बात से खुश हो जाता है और वो किचेन की तरफ चला जाता है। जय के जाते ही राज शाज़िया के कमरे में घुस जाता है।

किचेन में पहुँचते ही जय नजमा को पीछे से पकड़ लेता है और अपने दोनों हाथों में नजमा की दोनों चूचियों को दबाने लगता है। नजमा को इस बात का अंदाजा नहीं था की जय किचन में आकर उसके साथ ऐसा करेगा। नजमा के मन में डर था की कहीं जुनैद ना जाग जाए। लेकिन जय को इन सब बातों में कोई मतलब नहीं था। उसे तो बस नजमा ही दिखाई दे रही थी। अब जय को अपने आप में कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। वो दोनों हाथों से नजमा की चूचियां मसल रहा था। नजमा की चूचियां इतनी बड़ी थी की राज के हाथों में पूरी नहीं आ रही थी लेकिन यहां जय के हाथ नजमा की चूचियों को अच्छी तरह से अपने कैद में लिए
थी अब नजमा भी गरम होने लगी थी।


अब जय अपना एक हाथ नीचे ले जाता है और नजमा की लेगिंग के अंदर हाथ डाल देता है, जिसमें नजमा की बिना झांटों वाली चूत जय को टच हो जाती है। जय भी अब पूरी तरह गरम हो चुका था। उसका बड़ा लण्ड नजमा की गाण्ड में टच हो रहा था।

नजमा अपनी गाण्ड में जय का लण्ड महसूस कर रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ा खूटा उसकी गाण्ड में घुसने की कोशिश कर रहा हो।

जय अपने हाथ की बड़ी उंगली को नजमा की चूत में रखकर हल्के से दबाता है और फिर एक झटके में पूरी उंगली नजमा की चूत में पेल देता है। नजमा जय की इस हरकत से तड़प जाती है और उसकी सिसकी निकल जाती है। नजमा को अपनी चूत में जय की उंगली अपने पति के लण्ड से बड़ी और मोटी लग रही थी। अब जय अपनी उंगली का नजमा की चूत में तेजी से पेलने लगता है, और एक हाथ से नजमा की चुची को भी दबाता है, और अपने होंठ उसके गले में रखकर वहां पर हल्के से काटने लगता है।

नजमा को कुछ भी समझ में नहीं आता। उसे ऐसा मजा पहली बार मिला था। नजमा की सांसें बहुत तेज चलने लगती है। जय लगातार उसकी चूत में उंगली पेल रहा था, जिससे नजमा बहुत तेज सिसकारी लेते हुए जय की उंगली के ऊपर ही अपना पानी छोड़ देती है। जय ने 5 मिनट में ही उसकी चूत का पानी निकाल दिया था। नजमा लंबी-लंबी सांसें ले रही थी।

तभी जय उसे अपनी तरफ घुमा लेता है और उसके पिंक होंठों को अपने काले होंठों से दबा लेता है, और नजमा को बुरी तरह से चूसने लगता है। नजमा भी उसके होठों को चूसने लगती है। अब जय नीचे बैठ जाता हैं और नजमा की लेगिंग को नीचे कर देता है। अब नजमा की हसीन चूत जय के सामने थी। जिस चूत ने जय की हालत खराब कर रखी थी आज वो जय के सामने थी।

नजमा की क्लीन सेब चूत देखते ही जय पागल हो जाता है और वो नजमा की लेगिंग पूरी उतार देता है, और नजमा को उठाकर किचेन की सिक पर बिठा देता है और नजमा की दोनों टाँगें चौड़ी कर देता है।

जिसमें नजमा की चूत का छेद और उसकी पूरी चूत फैल जाती है। अब जय अपने घुटनों पर बैठ जाता है और अपनी जीभ नजमा की चूत के छेद में रखकर धीरे-धीरे चाटने लगता है। नजमा की मजे से आँखें बंद हो जाती हैं। उसे आज बहुत मजा आ रहा था। जय नजमा की चूत को ऊपर से नीचे किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था। नजमा जय की चूत चाटने के तरीके से पागल हो जाती है। उसे समझ में आ जाता है की जय के साथ उसकी चुदाई हर हद को पार कर जाएगी।

जय अब अपनी बीच वाली उंगली नजमा की चूत में डाल देता है और अपनी जीभ से चूत के दाने को छेड़ने लगता है। नजमा के लिए ये दोहरी मार थी और नजमा भी अपनी कमर हिलाने लगती है। अब जय भी समझ जाता है की नजमा ती गरम है। अब जय अपनी दूसरी उंगली भी डाल देता है। नजमा की चूत में जब, जय की उंगली जाती है तो नजमा की चूत और ज्यादा फैल जाती है। जय की मोटी उंगलियां और जय की जीभ ने नजमा को एक बार फिर झड़ने पर मजबूर कर दिया था, 10 मिनट में वो दूसरी बार अपना पानी छोड़ देती है।
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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जय अब अपनी दोनों उंगलियों को जो की चूत के पानी से गीली थी, नजमा के सामने ही चाटने लगता है और अपनी जीभ से नजमा की चूत पूरा चाटकर उसका पानी साफ कर देता है। जय की हर हरकत पर नजमा अपना पानी छोड़ रही थी। अब जय भी उठकर खड़ा हो जाता है और अपनी लोवर को एक झटके में लेकर सहित नीचे कर देता है।

-
नजमा के सामने अब जय का तगड़ा लण्ड था, जिसे देखते ही नजमा की सांसें फूल जाती हैं और उसकी बाडी सन्न हो जाती है। नजमा के मन में एक बार अपनी चूत फटने का खयाल आता है। नजमा को जय का लण्ड राज के लण्ड से भी बड़ा और मोटा लग रहा था। जय का लण्ड 12 इंच लंबा और 4" इंच मोटा था जो की गधे के लण्ड जितना था।

अब जय आगे आता है और अपना लण्ड नजमा की चूत में सेट करता है। जैसे ही नजमा की चूत में जय का लण्ड टच होता है नजमा की चूत जय के लण्ड के गरम-गरम एहसास से ही पानी छोड़ देती है, जिससे नजमा की चूत और गीली हो जाती है। नजमा किचेन में सिकके ऊपर बैठकर नहीं चुदना चाहती थी। उसे पता था यहां पर जय का लण्ड उसकी और चूत दोनों की चीख निकाल देगा, लेकिन वो कुछ कर नहीं पा रही थी।

अब जय धीरे से अपने लण्ड के टॉप को दबाता है जिससे नजमा अपनी फी चूत को फैलाने में जान लगा देती है। जय के लण्ड का थोड़ा हिस्सा ही नजमा की चूत में जाता है तो नजमा की सिसकी निकल जाती है।

नजमा जय से कहती है- "जय जी प्लीज... अभी मत चोदो मुझे... कोई आ जाएगा। मैं आपका इतना मोटा और बड़ा लण्ड नहीं ले पाऊँगी..."

जय- क्यों साली रांड़ राज का लण्ड ले सकती है मेरा नहीं ले पाएगी?

नजमा- मैं ये नहीं कह रही की नहीं ले पाऊँगी। मैं लैंगी अपनी चूत में आपका लण्ड लेकिन अभी नहीं। अभी कोई भी आ जाएगा। आपका लण्ड मेरी चूत फाड़ देगा।

जय- अभी नहीं चुदवाएगी तो कब चुदवाएगी? रात में तेरा खसम तुझे चोदेगा और मैं अपना लण्ड हिलाऊँगा

नजमा- आज रात में आप मेरे खसम बन जाना। आप चोद लेना मझे।
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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जय नजमा की चूत में और थोड़ा दबाव डालता है, जिससे नजमा की चूत पूरी फैलने लगती हैं। और नजमा की हालत खराब होने लगती है।

नजमा- जय जी मैं पक्का रात में आपके कमरे में आ जाऊँगी, बस अभी छोड़ दीजिए।

लंड नजमा की चूत में घुस गया था। जय नजमा की चूत की कसावट से समझ जाता है की इसे यहां में सही से चोद भी नहीं पाऊँगा और रात में इसे कहां चोदूंगा सोचने लगता है। तभी फोन की घंटी सुनाई देती है। जय तरंत अपना लंड नजमा की चूत से हटा लेता है और अपनी लोक ऊपर कर लेता है और बाहर चला जाता है। नजमा भी जल्दी से अपनी लेगिंग पहन लेती हैं।

उधर राज, जय के किचेन में जाते ही शाज़िया के रूम में घुस जाता है। जहां शाज़िया अपने बेड पर बैठकर टीवी देख रही थी।

शाज़िया राज को देखते ही खड़ी हो जाती है और कहती हैं- "राज सर, आप मेरे रूम में किसलिए आए?"

राज शाज़िया की बात सुनकर हँस देता है और कहता है- "शाज़िया डालिंग में तेरी चूत मारने आया हूँ । और मेरा दोस्त जय तेरी भाभी की चूत मारने आया है। हम दोनों एक हफ्ते यही रुकेंगे और बारी-बारी से तुम ननद और भाभी की चूत और गाण्ड मारेंगे। और तेरा भाई सिर्फ तुम्हें चुदता हुआ देखेगा। समझी?"

शाज़िया को कुछ समझ में नहीं आता। तब तक राज शाज़िया के पास पहुंच जाता है और उसे धक्का देकर बेड पर गिरा देता है और एक झटके में उसकी लेगिंग को पैंटी सहित नीचे सरका देता है। शाज़िया भी समझ जाती है की राज का लंड प्यार से लेने में ही भलाई है, नहीं तो आज एक बार और मेरी चूत फट जाएगी। शाज़िया रात की चुदाई को याद करते ही गरम होने लगती है, और राज के तेज झटके उसे अपनी चूत में महसूस होने लगते हैं।

शाज़िया की नंगी गाण्ड देखकर एक बार राज सोचता है- "क्यों ना साली की आज गाण्ड मार लूँ?" फिर सोचता है की इतना टाइम नहीं है। और वो शाज़िया को पीठ के बल लिटा देता है और उसकी लेगिंग को पैटी सहित उतार कर नीचे फेंक देता है। शाज़िया उसके सामने नीचे से बिल्कुल नंगी थी। राज के पास उसके पूरे कपड़े उतारने का टाइम नहीं था। वो वैसे ही शाज़िया की टाँगें चौड़ी करके अपनी जीभ शाज़िया की चूत में डाल देता है और बहुत तेजी से उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से छेड़ने लगता हैं। फिर अपनी दो उंगलियां एक साथ शाज़िया की चुत में डाल देता है।

जिससे शाज़िया चीख पड़ती है। तभी शाज़िया रिमोट से टीवी की आवाज और बढ़ा देती है। राज 10 मिनट तक शाज़िया की चूत को चाटकर शाज़िया को झड़ा देता है। फिर अपनी पैंट उतारकर वो भी नीचे से नंगा हो जाता है और अपने लंड का टोपा शाज़िया की चुत में लगाकर एक जोर का झटका मार कर आधा लंड शाज़िया की चूत में पेल देता है। शाज़िया की चूत काफी पानी बहा चुकी थी उसकी चूत बिल्कुल गीली थी। लेकिन राज का लंड उसकी चूत के साइज में बड़ा था, इसलिए शाज़िया एक बार फिर जोर से चीखती है उसे एक बार फिर अपनी चूत में बहुत तेज दर्द हो रहा था।

राज उसकी चीख सुनकर रूक जाता है और एक हाथ उसके मुंह में रखकर एक और तेज झटका मारकर अपना पूरा लंड शाज़िया की चूत में पेल देता है। शाज़िया की आँख से आँसू आ जाते हैं। राज से एक बार चुदने के बावजूद उसकी चूतू आज फिर से फटी हुई लग रही थी। शाज़िया की चीख को इस बार राज ने अपने हाथ से दबा लिया था। कुछ देर शांत रहने के बाद राज धीरे-धीरे वेता को चोदना शुरू करता है।

अब शाज़िया का दर्द भी कम हो गया था। वो भी अपनी कमर हिलाकर राज का साथ दे रही थी। अब दोनों लय में आ गये थे। राज भी समझ रहा था की अब इसे तेज-तेज चोदना चाहिए, और वो अपनी कमर को तेजी से हिला रहा था। शाज़िया एक बार फिर आनंद की चरम सीमा पर पहुँच गई थी, वो सातवें आसमान में थी। उसे इतना मजा आ रहा था की वो अब जोर-जोर से बड़बड़ा रही थी और राज की कमर को अपने पैरों से लाक कर लेती है।

राज का पूरा लंड शाज़िया की चूत का भोसड़ा बना रहा था। हर झटके में शाज़िया अया अया कर रही थी उसकी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी। परे कमरे में ठप ठप और फछ.फछ की आवाज आ रही थी।

शाज़िया ने अपने दोनों हाथों से राज की शर्ट को पकड़ रखा था। शाज़िया पूरे जोश में थी। तभी राज जार से झटका मारता है और रुक जाता है। शाज़िया राज को रुका देखकर राज से कहती है- "राज सर प्लीज... चोदो ना मुझे... में झड़ने वाली है प्लीज... चोदो ना.."

राज शाज़िया से कहता है- " शाज़िया मेरी रांड, कोई ऐसा प्लान बना की मेरा दोस्त तेरी भाभी को चोद सके। और में तेरी गाण्ड मार सकू पूरी रात अपने भाई को एक रात के लिए या एक हफ्ते के लिए कहीं भेज दें या फिर तुम दोनों हमारे साथ मेरे घर चलो, जहां हम दोनों तुम दोनों की चूत और गाण्ड मार सके.."
शाज़िया को भी इस समय सिर्फ चुदाई चाहिए थी। उसे भी राज के लंड से प्यार हो गया था। वो भी राज की बात में ही कहती और उसे चोदने के लिए कहती हैं। राज भी खुश हो जाता है एक बार फिर शाज़िया की चूत का भोसड़ा बना देता है।

करीब 15 मिनट की तगड़ी चदाई के बाद राज शाज़िया से कहता है- "मेरी राह में झड़ने वाला हूँ और मैं अपना वीर्य तेरी गाण्ड के छेद में डालूँगा..."

शाज़िया भी तीसरी बार झड़ने के करीब थी। वो भी हाँ कर देती है। तभी राज और चार-पाँच झटके मारता है जिससे शाज़िया झड़ने लगती है, और शाज़िया की चूत राज के लंड को दबाने लगती है। जिससे राज का भी वीर्य निकलने लगता है। राज अपना पूरा लंड बाहर खींचकर शाज़िया की गाण्ड के छेद में लगाकर दबा देता है। जिससे शाज़िया चीख पड़ती है और राज अपने वीर्य को शाज़िया की चूत और गाण्ड में भर देता है, और शाज़िया के ऊपर ही लेट जाता है।

तभी राज को कुछ आवाज सुनाई पड़ती है तो राज तुरंत अपनी पैंट पहनकर बाहर चला जाता है, जहां उसे जय किचन में आते हुए दिखता है। राज जाकर सोफे पर बैठ जाता है। जय भी उसके पास आकर बैठ जाता है। राज के चेहरे पर हँसी थी तो वहीं जय के चेहरे पर गुस्सा ।
………………….
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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शाज़िया आज की जोरदार चुदाई से निढाल हो गई थी। वो अभी भी राज का वीर्य अपनी गाण्ड में और चूत में भरे हुए पड़ी थी। उसे बम राज की बातें याद आ रही थी और आगे के प्लान के बारे में सोच रही थी की वह भाभी को जय से और अपने आपको राज से रात भर कैसे चुदवाए?

जय और राज जैसे ही सोफे पर बैठते हैं, वैसे ही जुनैद अपने रूम से फोन पर बात करते हुए बाहर आता है। उसकी आँखों में अभी भी नींद थी। वो वैसे ही उठकर किचेन में चला जाता है, जहां नजमा चाप बना रही थी।

जय जुनैद को देखते ही खुश हो जाता है लेकिन फोन में बिजी होने के कारण जय जुनैद को नहीं रोकता। और जुनैद के आने का इंतजार करता है। किचेन में नजमा अपनी लेगिंग पहनकर चाय बना रही थी।

जुनैद किचेन में जाकर खड़ा हो जाता है और वो फोन पर किसी से रिक्वेस्ट कर रहा था- "लीज्ज... सर थोड़ा कम कर लेते तो सही था.. फिर कल मिलने के लिए बोलकर फोन काट देता है और नजमा की तरफ देखता है।

नजमा भी जुनैद की तरफ देखती और कहती है- "क्या बात हो गई? क्या काम करने के लिए बोल रहे है।?"

जुनैद नजमा को बताता है की एक असाइनमेंट मिल रहा है जिससे हमारी किश्मत बदल जाएगी। लेकिन एक प्राब्लम है वो कलही मुझे एक लाख रुपये देने पड़ेंगे उस असाइनमेंट के लिए, और 6 महीने की ट्रेनिंग के लिए भी जाना पड़ेगा। वो असाइनमेंट हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। हमें तुरंत पैसों का बंदोबस्त करना पड़ेगा.."


नजमा कहती है- "एक लाख इतनी जल्दी कैसे मनेज करेंगे? अपने अकाउंट में भी तीश चालिश हजार होंगे और घर पर भी दस हजार, बाकी के कहां से लाएंगे? अभी भी हमारे पास पचास हजार कम पड़ेंगे..."

दोनों सोच में पड़ जाते है। एक बार नजमा शाज़िया से माँगने के लिए कहती है। लेकिन जुनैद उसे मना कर देता है। तब तक नजमा की चाय बन जाती है तो जुनैद नजमा से पूछता है- "आज इतनी जल्दी चाय कैसे बना रही हो?"

नजमा कहती है- " आपने बाहर नहीं देखा क्या? राज साहब और उनके दोस्त आए हुए हैं.." और नजमा चाय लेकर बाहर आने लगती है। उसे अभी भी जय का लंड अपनी चूत में घुसता हुआ लग रहा था।

जुनैद भी नजमा के पीछे आने लगता है। जैसे ही जुनैद की नजर जय पर पड़ती है वो खुश हो जाता है और जोर से चिल्लाता है- "अरे जय सर, यहां कैसे?"

जय और राज दोनों ही जुनैद के बाप की उम्र के थे। इसलिए जुनैद उन्हें अंकल की जगह सर कहना ज्यादा पसंद करता था। जय अपनी जगह से खड़ा हो जाता है और आगे बढ़कर जुनैद को गले लगा लेता है। ये सब देखकर नजमा चकित हो जाती है और राज भी चकित हो जाता है। उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था की ये एक दूसरे को कैसे जानते है?

तभी जय जुनैद से पूछता है- "क्या बात थी जुनैद तू आया और फोन पर बात करते हुए अंदर चला गया मेरी तरफ देखा भी नहीं?"

जुनैद कहता है- "कोई बात नहीं थी, बस ऐसे ही सोकर जगा था इसलिए ध्यान नहीं दे पाया..."

जय जुनैद के ऊपर और प्रेशर डालता है- "सच-सच बता कोई बात नहीं थी। अगर तू मुझे अपना अंकल समझता है तो मुझे बता दे की क्या बात है?"


जुनैद भी सोचता है की यार अगर जय जी ही मेरी मदद कर देंगे तो क्या बुरा है? वैसे भी वो बोल ही रहे है तब जुनैद सारी बात जय को बता देता है।

जय तुरंत अपनी जेब से ए.टी.एम कार्ड निकालकर देता है और उससे कहता है- "जितने पैसों की जरूरत हो निकाल लेना। और ए.टी.एम कार्ड मझे बाद में दे देना। जब तम्हारी प्राब्लम खत्म हो जाए...
-
राज जुनैद को बोलता है- "ले लो यार जुनैद। वैसे भी ये पैसे हमारे किसी काम के नहीं है। हमारी तो कोई औलाद भी नहीं है। तुम्ही लोग अब हमारे अपने हो। नजमा हमारी बहू की तरह है तो तुम हमारे बेटे की तरह.."


जुनैद खुश हो जाता है, तब नजमा की तरफ देखता है और जय को बताता है- "ये मेरी पत्नी नजमा है..."

जय नजमा को बेटी कहता है और पूछता है- "नजमा बेटी कैसी हो?"

नजमा को समझ में नहीं आ रहा था। उसके मन में यही चल रहा था की- "ये दोनों मुझे चोदने के लिए ये सब कह रहे हैं, और राज ने तो मुझे चोद भी दिया है और अब जय भी जल्द ही मेरे अंदर अपना डाल देंगे। हाय रे मेरी किश्मत... मेरे पति के होते हुए भी आज मुझे चुदना पड़ेगा किसी गैर से...

नजमा का सोचता देखकर जुनैद उसे हिलाता है और सभी को चाय देने के लिए कहता है। तभी शाज़िया भी अपने रूम से बाहर आ जाती हैं। जय शाज़िया को भी एक गहरी नजर से देखकर उसकी पूरी बाडी को स्कैन कर लेता है
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