Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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rajsharma
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

Post by rajsharma »

नजमा के आते ही जुनैद नजमा को जय की कही हुई बात बताता है। जिसे सुनकर नजमा सोच में पड़ जाती हैं उसे यकीन नहीं होता की जो वो बाथरूम में सोच रही थी वो अब हकीकत में होने वाला था।

जय ने जुनैद को जो आइडिया बताया था उसमें नजमा का जय के साथ राज के घर जाना था साफ सफाई के लिए। क्योंकी पाँच दिन बाद दिवाली आने वाली थी और बो नजमा को लेजाकर दिवाली की तैयारी करना चाहता था और जुनैद को भी अपने साथ चलने के लिए बोला था।

जुनैद ने खुद तो जाने से मना कर दिया था। लेकिन नजमा से पूछकर बताने के लिए कहा था। नजमा सारी बातें सुनकर राज की तरफ देखती है। राज भी जय की इस बात को सुनकर चकित हो जाता है।

फिर राज अपना दिमाग लगाकर उसे कल की जगह परसों ले जाने के लिए बोलता है और कहता है- "कल नजमा का स्कूल जाना ज़रूरी है, क्योंकी वो दो दिन से स्कूल नहीं गई है.. राज उसे स्कूल लेजाकर तसल्ली से नजमा की गाण्ड मारना चाहता था। क्योंकी उसे पता था की अगर नजमा एक बार जय के साथ गई तो वो नजमा की चूत और गाण्ड दोनों का छंद चौड़ा कर देगा।

नजमा भी राज की बात सुनकर थोड़ा रिलैक्स महसूस करती है। क्योंकी वो जय को इतने दिन नहीं झेल पाती। आज की चुदाई से ही उसे पता चल गया था की जय उसकी चूत का कितना बड़ा आशिक है।


समाप्त
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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