Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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rajsharma
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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नजमा को समझ में नहीं आ रहा था। उसके मन में यही चल रहा था की- "ये दोनों मुझे चोदने के लिए ये सब कह रहे हैं, और राज ने तो मुझे चोद भी दिया है और अब जय भी जल्द ही मेरे अंदर अपना डाल देंगे। हाय रे मेरी किश्मत... मेरे पति के होते हुए भी आज मुझे चुदना पड़ेगा किसी गैर से...

नजमा का सोचता देखकर जुनैद उसे हिलाता है और सभी को चाय देने के लिए कहता है। तभी शाज़िया भी अपने रूम से बाहर आ जाती हैं। जय शाज़िया को भी एक गहरी नजर से देखकर उसकी पूरी बाडी को स्कैन कर लेता है

जुनैद चाय खत्म होने के बाद जय से कहता है- "अंकल आप तो आज यही रुकेंगे ना?"

जुनैद का अंकल कहना जय को पसंद आ रहा था। वो भी जुनैद का बेटा कहने लगता है। और यहीं पर रुकने के लिए जुनैद को कहता है।

जुनैद नजमा को जय को दूसरा कमरा दिखाने के लिए बोलता है।

राज कहता है- "ऊपर कमरे खाली हैं वही पर अइजस्ट कर दो.."

जुनैद हाँ कह देता है और नजमा को ऊपर जाकर रूम सही करने के लिए कहता है तो नजमा हाँ में सिर हिलाती है और राम की चाभियां लेने अपने रूम में जाती है।

राज जय को इशारा करता है की वो भी ऊपर चला जाए नजमा के साथ। तब जय जुनैद को नजमा के साथ जाने के लिए बोलता है, उसकी कुछ मदद करने का बोलकर नजमा के पीछे जाने लगता है।

जुनैद भी हँस देता है और कहता है- "जैसी आपकी मर्जी अंकल.."

नजमा जय को अपने पीछे आता देखकर समझ जाती है की आज तो मेरी चूत फटकर ही रहेगी।

अब नीचे शाज़िया, राज और जुनैद थे। राज और शाज़िया को जय के ऊपर जाने का पता था की वो किसलिए ऊपर गया है। बस जुनैद ही अंजान था।

शाज़िया भी राज से चुदने के बाद कुछ ज्यादा ही फ्रेश थी। वो अब जुनैद से टूर के बारे में पूछती है। वो तीनों आपस में बात करने लगते हैं।
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

Post by rajsharma »

उधर नजमा ऊपर पहुँचकर जब रूम का दरवाजा खोलती है, तभी जय नजमा को गोदी में उठा लेता है। लेकिन कमरे में कोई बैड नहीं था तो जय नजमा से पूछता है- "राज का रूम कहां है?" और नजमा को गोदी में लेकर ही राज के रूम में आ जाता है।

नजमा को राज के बेड पर लिटा देता है और रूम को गौर से देखता है तो उसे राज के बेड में नजमा की दो-तीन पैंटी पड़ी मिलती है। वो उन्हें उठाकर नजमा से पूछता है- "मेरी जान... कितनी बार चुदाई हई तुम्हारी यहा?"

नजमा जय के सवाल से शरमा जाती है।

जय नजमा के करीब आता है और उसके ऊपर ही लेट जाता है और उसके होठों को अपने होंठों में कैद कर लेता है और एक हाथ नीचं लेजाकर उसकी लेगिंग को नीचे सरका देता है, और अपनी एक उंगली नजमा की चूत में डाल देता है।

नजमा जय को मना करती है- "अभी सही टाइम नहीं है प्लीज.. मुझे जाने दो। मैं मौका मिलते ही आपके पास आ जाऊँगी..."

लेकिन जय को तो बस कैसे भी नजमा की गुलाबी चूत चाहिए थी। वो नजमा की चूत का दीवाना हो गया था। नजमा जैसी हूर की परी उसे चोदने को मिल रही थी। उससे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसे तो कैसे भी करके एक बार अपना लंड नजमा की चूत में डालना था।

जय की उंगली जाते ही नजमा की आ निकल जाती है। उसे पता था की वो चाहे जितना मना करे जय नहीं मानेंगे। अब वो भी जय की किसिंग का और चूत में उंगली का मजा ले रही थी। नजमा की चूतू तो पहले से जय ने गीली कर रखी थी। अब जय उठकर खड़ा हो जाता हैं और नजमा को घोड़ी बनाने के लिए कहता है।
नजमा जय को समझाती है- "प्लीज.. अभी मत चोदो। मैं आपका मसल नहीं ले पाऊँगी अभी."

लेकिन जय नजमा को घोड़ी बना देता है और उसकी चूत को किसी कुत्ते की तरह ऊपर से नीचे तक कई बार चाटता है, और अपनी जीभ चूत के छेद में डाल देता है। थोड़ी देर ऐसे ही चूत चाटने के बाद जय अपनी लोवर नीचे करके अपना लंड आजाद कर देता है और थोड़ा सा भूक अपने लंड पर लगाता है और थोड़ा धक नजमा की चूत में लगा देता है।
नजमा भी अब समझ जाती है की चूत फटने का टाइम आ गया है। नजमा डरते-डरते जय में कहती है "जय जी प्लीज़्ज़... धीरे से डालना.."
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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जय अपना लंड नजमा की गुलाबी चूत में लगाता है और नजमा की कमर को पकड़कर अपने लंड को नजमा की चूत में दबाता है। जिससे जय का टोपा नजमा की चूत में फंस जाता है। जय नजमा की गाण्ड को देख रहा था और उसकी गाण्ड के छेद को भी। जय नजमा की गाण्ड को देखकर और ज्यादा जोश में आ जाता है। नजमा की कमर का जोर से पकड़कर तेजी से अपने लंड का दबाव नजमा की चूत में डालता है। लंड का प्रेशर इतना तंज था की जय का लंड नजमा की चूत को फाइता हुआ करीब 3" इंच तक अंदर चला जाता है।

नजमा की चूत जय का मोटा लंड अंदर जाते ही पूरी फैल जाती है। जिससे नजमा की जोरदार चीख निकल जाती है, और जो नीचे बैठे थे उन्हें भी चीख सुनाई देती है। तब जुनैद उठकर ऊपर जाने लगता है तो राज उसे पकड़ लेता है।
शाज़िया कहती हैं- "राज सर, आप जाकर देखिए। मुझे लगता हैं भाभी ने कुछ देख लिया है। शायद रूम में कोई छिपकली उनके ऊपर गिर गई हो..."

राज उठकर ऊपर चला जाता है, और जुनैद सोच में पड़ जाता है। राज ऊपर पहुँचते ही अपने रूम में जाता है जहां जय अपना आधा लंड नजमा की चूत में डालकर खड़ा था। राज के आते ही जय अपना लंड नजमा की चूत से निकाल लेता है।

राज जय को कहता है- "अर्ब रुक जा साले... अभी जुनैद आकर तरी करतूत देखता तो क्या सोचता? साले तेरा लंड नजमा इतनी आसानी से अपनी चूत में नहीं ले पाएगी.."

उधार नजमा की आँखें आँसुओं से भरी थी, उसकी चूत अपने पूरे आकार में फैल गई थी। उसे बहुत तेज दर्द हो रहा था। जय के लंड निकालने के बाद भी उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने घाव में नमक डाल दिया
हो। राज को भी पता था की जुनैद कभी भी ऊपर आ सकता है। वो जय को लोवर पहनने के लिए कहता है और खुद अपनी पैंट नीचे कर देता है और अपने लंड को एक बार फिर से नजमा की चूत में सेट करता है।

नजमा समझ जाती है की राज क्या सोच रहा है? वो पहले नजमा को चोदकर उसकी चूत का छेद ढीला करना चाहता है। वो धीरे-धीरे अपना लंड नजमा की चूत में उतार देता है। राज का लंड लेने में नजमा को थोड़ा दर्द हुआ था, लेकिन उससे कहीं ज्यादा मजा भी आया था।

राज नजमा को ऐसे ही पाँच मिनट तक चोदता है। जब नजमा की चूत थोड़ी ज्यादा गीली हो जाती है तो वो जय को अपने पास बुलाता है और अपना लंड बाहर निकाल लेता है और जय को अपना लंड नजमा की चूत में डालने के लिए कहता है।

नजमा आज दो लंड एक चुदाई में ले रही थी। उसकी चूत इसी उत्तेजना में पानी छोड़े जा रही थी। राज से चुदवाना अब नजमा को बहुत अच्छा लगने लगा था। जय नजमा की चूत में अपना लंड लगाता है और नजमा की कमर को पकड़कर अपना लंड नजमा की चूत में दबाने लगता है। जय का लंड नजमा की चूत की फांकों को फैलाता हुआ अंदर जाने लगता है।
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